शहनाज तेजी से दौड़ती हुई अपने कमरे मे घुस गई, वो अभी नहा कर निकली थी लेकिन अपने बेटे शादाब का ऐसा रूप देख कर पसीने पसीने हो गई। उसने गेट को बंद किया और आँखै बंद करके लम्बी लम्बी साँसे लेने लगी। पता नही क्या खाता रहता है ये लड़का एकदम घोड़े जैसा हो गया है। उसने धीरें से एक हाथ अपनी चूत पर रख दिया और उसकी सिसकी निकल पड़ी।
आह मेरी चूत तो तू गई काम से आज, उफ्फ्फ
शादाब अपनी मा शहनाज के इस तरह डरकर भाग जाने से जोश मे आ गया और शहनाज का तौलिया लेकर उसे देने के लिए चल पड़ा। जैसे ही शादाब ने गेट को बजाया तो शहनाज जैसे वापिस होश मे आई और बोली:"
" क्या हुआ अब, क्यों गेट बजा रहे हो मेरा?
शादाब बड़ी मासूमियत से बोला:'
" अम्मी मेरी जान आपका तौलिया देने आया था मैं, किचन मे ही खुलकर गिर गया था ना। आप डर क्यों गई थी अम्मी?
शहनाज के लबो पर स्माइल आ गई और बोली:' कमीने मैं तेरी ताकत देख कर डर गई थी, एक महीना दूर रहकर तू तो बहुत तगड़ा हो गया हैं मेरे राजा।
शादाब अपने खड़े हुए लंड को पेंट के ऊपर से ही सहलाते हुए बोला:" हाय मेरी शहनाज अभी से डर गई, अभी तो कुछ किया भी नही मैंने।
शहनाज अपने बेटे की बात सुनकर अंदर तक काँप उठी और बोली:" जो किया वो क्या कम था, अब क्या तू उस औखली के जैसे मेरी भी तली निकालना चाहता है ।
शादाब का लंड तो जैसे पूरे जोश मे आ गया और झटके पर झटके मारने लगा। शादाब बोला:' आज तो देखती जाना मेरी जान क्या क्या निकाल दूंगा तेरा!!
शहनाज:" उफ्फ्फ तू ना बड़ा शैतान हो गया है, जा पहले नहा ले देख कितना पसीना आया हुआ है तुझे।
शादाब :" अम्मी वो मैं आपका तौलिया देने आया था।
शहनाज :" जा आज अपनी मा शहनाज के तौलिये से ही नहा ले मेरे राजा,।
शादाब:" ठीक हैं अम्मी, मै अभी आया बस आज जल्दी से तैयार हो जाओ। आज मैंने आपके लिए जो ड्रेस खरीदी थी वो आप पहन लेना।
इतना कहकर शादाब बाथरूम मे घुस गया और नहाने लगा। शहनाज ने अपने आपको सजाना शुरू कर दिया और सबसे पहले अपने जिस्म पर अपने बेटे का पसंदीदा परफ्यूम छिडक दिया और फिर अपनी आँखो मे गहरा काला काजल लगाया, उसके बाद अपना मैकअप बॉक्स खोल कर अपने चांद से खूबसूरत चेहरे को और खूबसूरत बनाने लगी। उसने आज अपने होंठो पर बिल्कुल गहरे लाल रंग की लिपिस्टिक लगाई और पूरी तरह से सजकर तैयार हो गई। उसके खुले बाल उसे और ज्यादा मादक बना रहे थे। शहनाज ने धड़कते दिल के साथ ही शॉर्ट ड्रेस उठायी और उसे पहन लिया।
शहनाज आईने के सामने खड़ी हो गई तो उसने देखा कि ये लिंगरी जैसी ड्रेस उसकी चूचियो को ठीक से नही ढक पा रही थी जिससे उसकी आधे से ज्यादा चूचिया बाहर झांक रही थी मानो आजाद होने के लिए फड़फड़ा रही हो। शहनाज की नजर उसकी चूत पर पड़ी जिसके होंठ आधे से ज्याद बाहर झांक रहे थे। कपड़े की एक पतली सी लकीर थी बस चूत पर जो चूत को ठीक से नही ढक पा रही थी और पूरी तरह से गीली हो चुकी चूत से हल्का हल्का रस बहकर बाहर जांघो तक आ रहा था। अपने आप को इस रूप मे देख कर शहनाज का रोम रोम सुलग उठा और जिस्म मे एक आग सी भर गई और वो पलट गई। उसके पलटते की उसकी गांड उसे नजर आ गई जिसमे लिंगरी की पतली सी एक पट्टी अंदर घुसी हुई थी और लगभग पूरी गांड नंगी थी।
शहनाज की आँखे लाल सुर्ख होकर दहकने लगी और उसने एक बार फिर से परफ्यूम का डिब्बा उठाया और अपनी चूत पर टिका कर जब तक छिड़कती चली गई जब तक कि डिब्बा खाली नही हो गया। शहनाज की चूत आज पूरी तरह से महक रही थी मानो शहनाज भी आज की रात अपनी पिछले एक महीने की प्यास बुझा लेना चाहती थी।
उधर शादाब ने अपने लंड के सब बाल साफ कर दिये और उसका लंड जड़ तक बिल्कुल साफ नजर आने लगा जिससे वो और ज्यादा लम्बा लग रहा था। शादाब आज शहनाज से अपना लंड चुसवाना चाहता था इसलिए लंड को बहुत अच्छे से रगड़ रगड़ कर साफ किया और नहाने मे जुट गया। शहनाज ने नाइट बल्ब को छोड़ कर सब बल्ब बंद कर दिये और अपने बेटे का इंतजार करने लगी तभी नीचे से दादा जी की आवाज सुनाई पड़ी।
" शादाब अरे बेटा शादाब!!
शहनाज ने एक सूट उठाया और पहन कर बाहर आ गई और बोली:" जी अब्बा क्या हुआ? वो नहा रहा हैं अभी।
दादा जी:" बेटी वो चाय नही पिलाई तुमने आज हमे।
शहनाज को अपनी गलती का एहसास हुआ कि चुदने की ख़ुशी मे उसने चाय नही बनाई।
शहनाज:" जी दादा जी अभी लाई
इतना बोलकर वो किचन मे घुस गई और चाय बनाने लगी। शादाब नहा कर आ चुका था और अपने जिस्म पर सिर्फ एक टावल लपेटा हुआ था। शहनाज को सूट सलवार मे देख कर उसका मूड पूरी तरह से खराब हो गया तो शहनाज सब समझ गई और बोली:"
" शादाब जाओ नीचे चाय दे आओ बेटा ।
शादाब ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और चाय लेकर नीचे की तरफ चल दिया। दादा दादी को उसने चाय दी और दोनो पीने लगे।
दादा :" शादाब थक गया होगा बेटा, पूरे दिन इतनी भाग दौड़ करी हैं आज तुमने।
शादाब तो जैसे खुद ऊपर जाने के लिए मौक़े की तलाश मे था और मौका उसे दादा जी ने खुद दे दिया तो शादाब बोला:"
" जी दादा जी, बहुत थक गया हु आज तो।
दादी:" जाओ बेटा, आराम कर लो तुम अब।
शादाब उन्हे सलाम बोलकर खुशी खुशी ऊपर की तरफ चल दिया और गेट मे घुसते ही सबसे पहले उसने सीढीयो का पहला गेट बंद कर दिया और जैसे ही छत पर गया तो सीढीयो का ऊपर वाला गेट भी बंद कर दिया। शादाब का लंड आज पूरे उफान पर था।
शहनाज एक हल्के लाल रंग का सूट सलवार पहने शादाब का इंतजार कर रही थी। जैसे ही शादाब कमरे मे घुसा तो शहनाज ने उसे स्माइल दी।शहनाज बहुत खूबसूरत लग रही थी
इस ड्रेस में शहनाज़ की चूचियां पूरी तरह से उभर रही थी लेकिन फिर भी शादाब का मुह उतर गया और उसने शहनाज को एक फीकी सी स्माइल दी तो शहनाज चलती हुई उसके पास आई और ठीक उसके सामने खड़ी हो गई। शहनाज के जिस्म से उठती हुई परफ्यूम की मादक गंध शादाब के होश उड़ाने लगी और उसकी आँख मे फिर से लाली तैरने लगी।
शहनाज ने अपने हाथ से उसका मुह ऊपर किया और उसकी आँख मे देखते हुए बोली:"
" लगता हैं मेरी जान मुझसे नाराज़ हैं, क्या हुआ मेरे राजा कुछ तो बोल ?
शादाब उदास लहजे में बोला:"
" अम्मी मुझे लगा कि आप मेरे लिए आज वो ड्रेस पहन लेगी जो हमने आज दिन में आपके लिए खरीदी थी।
शहनाज़ ने शादाब का मुंह उपर उठाया और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:_
" अच्छा तो ये बात है चल जल्दी से अपनी आँखे बंद कर अभी ख़ुश कर देती हु मेरे राजा।
शादाब ने जल्दी से अपनी आँख बंद कर ली और शहनाज ने अपनी आँख बंद करके अपना सूट सलवार उतार दिया।
अब शहनाज की पीठ शादाब की तरफ थी । उसने धीरे से शादाब के कान में उसे आँखे खोलने को कहा तो शादाब ने जैसे ही अपनी आँखे खोली तो उसे शहनाज उसी लिंगरी मे नजर आई जो उसने आज खरीदी थी।
लिंगरी की पतली सी पट्टी उसकी गांड मे पूरी तरह से धंसी हुई थी और उसकी गांड के दोनों उभार साफ नंगे नजर आ रहे थे। उसकी गोरी चिकनी कमर पर फैले उसके काले बाल उसे और ज्यादा सेक्सी बना रहे थे।
शादाब ये सब देख कर अपने होश खो बैठा और अपने जिस्म से अपने कपड़े उतार कर फ़ेंक दिये। अब उसके जिस्म पर सिर्फ एक अंडर वियर था जिसमे लंड बड़ी मुश्किल से समाया हुआ था।
शादाब:" उफ् क्या लग रही हो शहनाज तुम, जान ही ले लोगी क्या आज? बस अब पलट जाओ मेरी जान.!
शहनाज की साँस पूरी तरह से उखड़ चुकी थी और चूचिया ज्वार भाटे की तरह उछल रही थी। शहनाज का चेहरा गर्म से लाल हो गया था और उसका पूरा जिस्म मस्ती से काँप रहा था। शहनाज अपने जिस्म की सारी ताकत समेट कर पलट गई और शादाब तो जैसे शहनाज का ये रूप देख कर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया।
शहनाज इस ड्रेस में स्वर्ग से उतरी किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी। बोलती हुई आँखे, रस टपकाते हुए होंठ, लम्बी गर्दन, दोनों कंधे बिल्कुल नंगे, बिखरे हुए बाल, गोरी गोरी चूचियां आधे से ज्यादा बाहर , एकदम पूरी तरह से भरे हुए नंगे कूल्हे। गुलाबी रंगत लिए आधे से ज्यादा बाहर झांक रहे चूत के होंठ। चूत से निकले रस से उसकी जांघे चिकनी होकर चमक रही थी।
शादाब जैसे किसी यंत्रवत मशीन की तरह आगे बढ़ा और शहनाज की टांगो के बीच में बैठते हुए उसकी चूत से निकले रस को जीभ निकाल कर चाट लिया।
शहनाज के मुह से एक मस्ती भरी सिसकी निकल पड़ी और उसका मुह मस्ती से खुलता चला गया
" आह मेरी जान, बेड पर ले चलो अपनी शहनाज को मेरे राजा।
शहनाज को शादाब ने किसी गुड़िया की तरह उठा लिया क्योंकि रोजे रखने और एक्सरसाइज की वजह से उसका जिस्म बिल्कुल छरहरा बन गया था। शहनाज शादाब से कसकर लिपट गई और उसने खुले हुए गेट की तरफ इशारा किया तो शादाब उसे गोद में लिए हुए गेट पर गया तो शहनाज ने गेट को बंद कर दिया और उस पर एक मोटा पर्दा डाल दिया। उसके बाद जैसे ही कमरे की सभी खिड़किया बंद हुई तो शादाब ने शहनाज को जैसे ही बेड पर लिटाया तो शहनाज ने उसे अपने ऊपर खींच लिया और अपने होंठ शादाब के होंठो पर रख दिये और चुसने लगी। शादाब एक भूखे भेड़िये की तरह शहनाज के होंठो पर टूट पड़ा। शहनाज की चुचिया शादाब के सीने में घुसी जा रही थी और लंड तनाव के कारण अंडर वियर के होल से अपने आप बाहर निकल आया था और शहनाज की चूत पर रगड़ खा रहा था।
शादाब ने अपनी जीभ शहनाज के मुह में घुसा दी तो शहनाज उसकी जीभ को अपनी जीभ से चूसने लगी। शादाब अपनी मा के गोरे कंधो को जोर जोर से मसल रहा था। लंड के हल्के हल्के धक्के शहनाज की चूत पे पड़ रहे थे जिससे शहनाज की चूत पूरी तरह से भीगती जा रही थी।
किस करते करते ही शादाब ने शहनाज की लिंगरी को ऊपर की तरफ उठा दिया और शहनाज ने बिना कोई विरोध किए खुशी खुशी अपनी दोनों बाँहे ऊपर उठा दी और शादाब ने अपनी माँ को पूरी तरह से नंगा कर दिया।
नंगी होते ही उसकी चूचिया उछल कर बाहर आ गई और शादाब उन्हे देखने लगा तो शहनाज एकदम से शर्मा गई और लिंगरी को उठा कर अपनी चूचियो और चूत को ढक लिया।
शहनाज की नशीली आँखे, खूबसूरत चेहरे पर बिखरे हुए काले बाल, दूध सा गोरा जिस्म, सेब के आकार की बड़ी बड़ी ठोस चूचिया, जैसे ही शाहनाज ने शादाब को स्माइल दी तो शादाब ने एक झटके के साथ उसके हाथ से ड्रेस छीन कर फ़ेंक दी तो शहनाज के मुह से एक मस्ती भरी आह निकल गई और जैसे ही शादाब की नजर उसके नंगे जिस्म पर पडी तो वो शर्म के मारे पलट गई जिससे उसकी नंगी उभरी हुई गांड शादाब की आँखो के आगे आ गई।
शादाब ने उसकी नंगी गांड को हाथो में भर लिया और जोर से मसलते हुए बोला:"
" आह शहनाज मेरी अम्मी तेरी गांड कितनी बड़ी हैं।
गांड जोर से रगडे जाने की वजह से शहनाज के मुह से एक जोरदार आह निकल गई और शहनाज एक बार फिर से पलट गई और अपने दोनो हाथ अपनी चूचियो पर रख लिए और शादाब की तरफ जीभ निकाल दी तो अपनी नजरे उसकी चूत पर ले गया। शहनाज ने उसे अपनी चूत की एक झलक दिखा कर अपनी टांगो को बंद कर दिया और शादाब को एक बहुत ही कामुक स्माइल दी ।
शादाब ने एक झटके के साथ अपना अंडर वियर उतार उतार फेंका और पूरी तरह से नंगा होकर बेड पर चढ़ गया। शहनाज की नजर जैसे ही लंड पर पड़ी तो लंड उसे आज बिल्कुल चिकना साफ होने के कारण ज्यादा लम्बा नजर आया और लंड इतना टाइट हो चुका था कि एक एक नस उभर कर साफ दिख रही थी। शहनाज के चेहरे के रंग बदलने लगे। शादाब सब समझ और उसके कान में धीरें से बोला:"
" शहनाज आज तेरी चूत की तली भी निकाल देगा तेरे बेटे का लंड मेरी मा, तेरी आँख मिचोली बंद अब तू मेरा दम देख।
इतना कहकर शादाब ने शहनाज के दोनों हाथो को जोर से एक तरफ करके अपने एक हाथ मे पकड़ लिया और दूसरे हाथ मे उसकी चूची को भर लिया और जोर जोर से दबाने लगा, शहनाज को अपनी चूचियो मे मीठा मीठा दर्द होने लगा और वो सिसक पडी
" आह उफ्फ्फ थोड़ा प्यार से दबा ना मेरे राजा, तेरी मा की चूचिया है शादाब।
शादाब नीचे झुकते हूए शहनाज की दूसरी चूची को जीभ से चाटने लगा तो एक आनंद भरी लहर शहनाज के जिस्म में दौड़ गई। शहनाज अपनी चूची को ऊपर उठा उठा कर उसके मुह में घुसाने की कोशिश करने लगी लेकिन शादाब ने अपनी जीभ निकाल कर उसके तने हुए निप्पल पर फेर दी तो शहनाज़ का जिस्म झटके खाने लगा और शहनाज ने दम लगाते हुए अपने दोनों हाथो को शादाब से छुडा लिया और उसके सिर को अपनी चूचियो पर दबाने लगी और आन्हे भरते हुए बोली:_
" आह शादाब अा दाब अपनी मा की चूचियां मेरे राजा, चूस ले ना मेरी चूचियों को तू
शहनाज़ पूरी तरह से मस्त हो गई थी और अपनी नंगी चूत को लंड पर रगड़ रही थी। जब भी सुपाड़ा चूत के होंठो को जोर से रगड़ता तो शहनाज़ का जिस्म उछल पड़ता जिससे चूचियां उसके मुंह पर लगती। शादाब ने अब शहनाज़ की दोनो चूचियों को हाथो में भर लिया और जोर जोर से मसलने लगा।
शहनाज़ के मुंह से निकलती हुई मादक सिसकियां अब जोर पकड़ रही थी और शहनाज़ की चूत तो आज अपना पूरा रस बहा रही थी जिससे लंड का सुपाड़ा पूरी तरह से भीग गया था। शादाब ने फिर से अपनी जीभ शहनाज़ की चूची पर फिराई तो शहनाज़ ने जोर से उसका सिर अपनी चूचियों पर दबा दिया और तड़पते हुए बोली:"
," आह उफ्फ सादाब, जान ही ले लेगा क्या री मेरी, चूस ले अब तो।
शादाब ने शहनाज़ की आंखों में देखा तो उसे एक तड़प दिखाईं दी और शहनाज़ ने अपनी चूची उठाकर उसकी तरफ बढ़ाई तो शादाब ने उसकी चूची को मुंह में भर लिया और शहनाज़ तो जैसे इस मस्त एहसास से कांप उठी और हाथ नीचे ले जाकर शादाब का लंड पकड़ लिया और अपनी टांगो चौड़ी करते हुए चूत पर टिका दिया और सिसकते हुए बोली: आह घुस जा शादाब अपनी मा की चूत में, दे दे लोला
शादाब ने शाहनाज की चूचियों को चूसना शुरू किया तो और शाहनाज ने मस्ती में अपनी चूत लंड पर उछाल दी जिससे सुपाड़ा चूत के होंठ रगड़ गया और शादाब ने शाहनाज के निप्पल को हल्का हल्का दांतो से काटना शुरू कर दिया तो शहनाज ने अपनी बांहे उसकी कमर पर कस दी और नीचे से गांड़ उठा उठा कर चूत में लंड घुसाने की कोशिश करने लगी। शादाब जानबूझकर लंड को उधर इधर हिला रहा था जिससे वो चूत के मुंह पर ठीक से नहीं लग पा रहा था। शहनाज़ उत्तेजना से पागल हो उठी और अपनी टांगे बेड पर पटकने लगी और बोली:_
" आह मेरे राजा, तेरी शहनाज़ की चूत तेरे मूसल से कूटने के लिए तड़प रही है, घुसा दे लोला मेरे शादाब
शादाब ने शहनाज़ की टांगों को पूरी तरह से खोल दिया और नीचे आते हुए उसकी जांघो को चूमने लगा, शहनाज़ से शादाब की जीभ की रगड़ बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वो मस्ती से कांप रही थी।
शहनाज़ की चूत से उठती हुई मादक परफ्यूम की तेज गंध शादाब के दिलो दिमाग पर छाती गई और उसने शहनाज़ की चूत के आस पास चाटना शुरु किया तो शहनाज़ की चूत से रस बाहर निकलने लगा। शादाब अपने होंठ चूत के पास लेकर जाता लेकिन जैसे ही छूने को होता तो फिर से शहनाज़ की जांघो को चूमने लगता। शहनाज़ पूरी तरह से मचल रही थी और अपनी चूत चूसवाना चाहती थी लेकिन सीधे सीधे बोलने की हिम्मत उसमे नहीं थी। शहनाज़ ने अपने दोनो हाथों से शादाब का सिर थाम लिया और अगली बार जैसे ही शादाब के होंठ चूत के पास गए तो शहनाज़ ने थोड़ा नीचे सरकते हुए शादाब का मुंह अपनी चूत पर दबा दिया । शादाब तो जैसे बस इसका इंतजार कर रहा था उसने शहनाज़ की चूत पर उपर से नीचे तक जीभ फेर दी।
शहनाज़ चूत पर अपने बेटे की जीभ की रगड़ से मस्ती से भर उठी और सिसकते हुए बोली-"
" आह शादाब चूस ले बेटा अपनी मा की चूत, देख तेरे लिए कितना रस छोड़ रही है।
शादाब ने शहनाज़ की चूत पर उपर से नीचे की जीभ फेरना शुरू कर दिया और शहनाज़ खुद ही मस्ती में आकर अपनी चूचियों को मसलने लगी। शादाब ने अपनी जीभ को जैसे ही शहनाज़ की चूत में घुसा दिया तो शहनाज़ का बदन हिलने लगा और उसने अपनी एक टांग को पूरी तरह से खोलते हुए शादाब के सिर पर रख दिया और अपने जिस्म को पटकने लगी
" आह हाय शादाब, मेरी चूत इतनी अच्छी हैं आज पता चला, उफ्फ तो तू कमाल का लड़का निकला मेरे राजा।
शादाब ने शहनाज़ की चूत की दीवारों को अंदर से चाटना शुरू किया तो शहनाज़ की सिसकियां तेज होने लगी और शादाब ने जोश में आकर अपनी उंगली से चूत की कलिट को सहलाना शुरू किया तो शहनाज़ का जिस्म झटके पर झटके खाने लगा और वो अपने जिस्म को पटकने लगी और चूचियां उछलने लगी।
तभी शादाब की जीभ शहनाज़ की चूत के जी स्पॉट से जा टकराई तो शहनाज़ को लगा कि वो मस्ती से मर जाएगी और उसकी आंखे बंद हो गई जोर जोर से सिसकियां लेने लगी और बोली:_
" उफ्फ आह मेरी चूत यहीं यहीं चूस, उफ्फ यहां तो बहुत मजा अा रहा है, मेरी चूत हाय शादाब रोज चूसना ऐसे ही।
शादाब ने जैसे ही उपर से नीचे तक जी स्पॉट पर जीभ को जोर जोर से रगड़ा तो शहनाज़ की चूत का बांध टूट गया और उसने जोर से शादाब का सिर अपनी चूत में घुसा दिया और मस्ती से सिसक उठी:
" हाय मैं तो गई शादाब, तेरी मा की चूत शादाब, हाय चूत मेरी चूत
शहनाज़ की चूत से निकलती हुई खट्टे खट्टे नमके रस की धार शादाब के मुंह में पड़ने लगी जिसे वो चाटता चला गया। शहनाज़ का जिस्म झटके खाता रहा और शादाब उसकी चूत का सारा रस पी गया। जैसे ही शहनाज़ की चूत से रस टपकना बंद हुआ तो उसने शादाब को अपने उपर खींच लिया और दीवानी होकर उसका मुंह चूमने लगी। शहनाज़ ने अपने बेटे को झटका दिया और उसके ऊपर आ गई। दोनो मा बेटे एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे। शहनाज ने आगे बढ़कर उसके होंठ चूम लिए और बोली:'
" हाय मेरी जान, बहुत मजा आया, तूने तो मुझे ये अद्भुत सुख देकर पूरी तरह से जीत लिया शादाब। सच में तू पूरा मर्द बन गया हैं बेटा।
शादाब अपनी तारीफ सुनकर खुश हुआ और शहनाज़ का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया तो शहनाज़ ने लंड को हल्का सा दबा दिया और बोली:_
" उफ्फ शादाब इसे क्या खिला दिया आज देख तो कैसे अकड़ रहा है और कितना मोटा लग रहा है आज ये।
शादाब:_ अम्मी आपके लिए प्यार के लिए तड़प रहा है ये।
शहनाज़ ने शादाब को स्माइल दी और उसकी आंखो में देखते हुए अपना मुंह नीचे की तरफ बढ़ाने लगीं क्योंकि आज शादाब ने उसकी चूत चूसकर जो सुख उसे दिया था उससे शहनाज़ आज शादाब की गुलाम बन गई थी।
शहनाज़ ने शादाब ने लंड को हाथ में पकड़ लिया और उसकी जड़ तक हाथ फिराने लगी। उसकी चूत कांप उठी क्योंकि लंड आज कुछ ज्यादा ही ठोस हो गया था। उफ्फ ये तो उस मूसल से भी ज्यादा ठोस लग रहा है आज, लगता हैं आज ये लड़का मेरी चूत की तली भी निकाल देगा।
शहनाज़ ने अपना मुंह खोल दिया और लंड के सुपाड़े को चाट लिया तो शादाब जोर से सिसक उठा । शहनाज़ ने अपने मुंह को खोलते हुए लंड के सुपाड़े को मुंह में भर लिया और चूसने लगी।
शादाब मस्ती से भर उठा और सिसकते हुए बोला:" आह शहनाज़ पूरा मुह में ले ले मेरी जान।
शादाब जोर जोर से लंड को चूसने लगी और अपनी गान्ड उठा कर लंड उसके मुंह में घुसाने की कोशिश करने लगा। शहनाज़ ने अपना पूरा दम लगाते हुए अपने मुंह को पूरा खोल दिया और आधे से ज्यादा लंड मुंह में भर लिया और चूसने लगी।
शादाब के हाथ अपने आप उसके सिर पर अा गए और शहनाज़ के मुंह को लंड पर दबाने लगे। शादाब का लंड एक घंटे से तड़प रहा था इसलिए शादाब कोशिश कर रहा था किसी तरह पूरा लंड शहनाज़ के मुंह में घुस जाए लेकिन लंड का साइज इतना ज्यादा था कि सिर्फ़ आधे लंड से ही उसका मुंह पूरी तरह से भर गया था। शादाब तड़पते हुए बोला:_
" आह अम्मी, पूरा लंड चूस लो, जड़ तक घुसा लो
शहनाज़ ने शादाब की तरफ इशारा किया मानो उसे बता रही हो कि लंड इससे ज्यादा मुंह में नहीं घुस पाएगा। शादाब ने शहनाज़ को पलट दिया और उसके ऊपर आकर उसकी आंखो के देखते हुए लंड का दबाव उसके मुंह पर बढ़ाया तो शहनाज़ ने स्माइल करते हुए अपना मुंह खोल दिया और शादाब ने पूरी ताकत से धक्का लगाया तो लंड उसके मुंह को पूरा खोलते हुए गले में घुस गया। शहनाज़ को शादाब से ऐसी उम्मीद नहीं थी इसलिए दर्द से तड़प उठी और शादाब ने बिना रुके उसके मुंह में लंड के धक्के लगाने शुरू कर दिए।
शहनाज़ को उसका मुंह फटता हुआ नजर अा रहा था और दर्द के मारे उसकी आंखो से आंसू बह चले और उसके गले से बस गें गें की आवाज निकल रही थीं कि शादाब मस्ती से आंखे बंद किए धक्के पर धक्का लगा रहा था। लंड पर शहनाज़ के टाइट मुंह का असर होने लगा और शादाब ने एक आखिरी धक्का लगाया है लंड को जड़ तक घुसा दिया। शहनाज़ को लगा जैसे लंड उसके गले को फाड़कर उसकी आंतो में घुस जायेगा। दर्द के मारे शहनाज़ का पूरा चेहरा आंसुओ से भीग चुका था। शादाब का लंड शहनाज़ के मुंह में पिचकारी मारता रहा और अंत में सिकुड़ कर बाहर आ गया।
लंड के ठंडा होते ही शादाब का जोश भी ठंडा हो गया और उसने शहनाज़ के चेहरे को जीभ से चाट चाट कर साफ़ कर दिया। शहनाज़ अपने बेटे का इतना प्यार देखकर दर्द में भी मुस्कुरा उठी और बोली:_
" जानवर कहीं का, आज तो लग रहा था जैसे मेरा मुंह फाड़ ही देगा तू।
शादाब को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपने दोनो कान पकड़ लिए तो शहनाज़ स्माइल करते हुए बोली:"
"पहले दर्द देता हैं और फिर माफी मांगता है मेरा बेदर्दी सनम।
शादाब ने शहनाज़ के गाल चूम लिए और उसे जोर से अपनी बांहों में कस लिया।
शादाब:" आई लव यू शहनाज़।
शहनाज़ उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए बोली:" लव यू टू मेरे शादाब। पता हैं तेरे मुंह से शहनाज़ सुनकर बहुत अच्छा लगता हैं।
शादाब उसकी प्यारी सी नाक को पकड़ कर हिलाते हुए बोला:'
" अच्छा मेरी शहनाज़, तुम मेरी जान हो मेरा सब कुछ हो।
शहनाज़ उसकी कमर को हल्का सा दबाते हुए बोली:" सच में शादाब प्यार का इजहार मुझे ज़िन्दगी में सिर्फ तुमसे हुआ है।
शादाब ने शहनाज़ के चांद से सुंदर मुखड़े को दोनो हाथो में भर लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:_
" मैंने भी तेरे लिए सब कुछ ठुकरा दिया शहनाज़ रिश्ते नाते, मान मर्यादा समाज।
शहनाज़:" शादाब मुझे तुम्हारे रूप में दुनिया का सबसे ज्यादा प्यार करने वाला शोहर मिला है।
शादाब ने शहनाज़ का माथा चूम लिया और बोला:" अम्मी मैंने जब आपको एयरपोर्ट पर देखा तो मैं तो तभी आपका दीवाना हो गया था शहनाज़।
शहनाज़ उसे छेड़कर अपनी जीभ निकाल कर बोली:_
" मा का दीवाना मेरा बेटा शादाब।
शादाब शहनाज़ की इस बात से इतना खुश हुआ कि अपने होंठ उसके होठों पर टिका दिए और चूसने लगा। शहनाज़ भी अपने बेटे का साथ देते हुए उसके होंठो को चूसने लगी। शादाब पूरी तरह से शहनाज़ के उपर छाया हुआ था जिससे दोनो की टांगे आपस में टकरा रही थी। शहनाज़ किस करते करते ही अपनी टांगे शादाब की टांगो से रगड़ने लगी और शादाब ने जोश में आकर अपनी जीभ शहनाज़ के मुंह में घुसा दी तो शहनाज़ ने उसकी जीभ को लपक लिया और चूसने लगी। दोनो मा बेटे एक दूसरे का रस चूसने लगे। शादाब का लंड फिर से अपना सिर उठाने लगा और शहनाज़ के जिस्म में भी आग सुलगने लगी। किसे करते हुए ही शादाब ने शहनाज़ की चुचियों को अपनी मजबूत छाती से रगड़ना शुरू कर दिया। शहनाज़ और शादाब दोनो के होंठ अलग हुए और शादाब ने अपने होंठ शहनाज़ की गरदन पर रख दिए और चाटने लगा। शहनाज़ के लिए से मस्ती भरी आह निकल पड़ी। शादाब ने शहनाज़ की चुचियों को हाथो में भर लिया और प्यार से सहलाने लगा तो शहनाज़ का जिस्म पूरी तरह से तप गया और चूत से रस एक बार फिर से बाहर आने लगा।
शादाब का लंड एक बार फिर से अपनी पूरी औकात में अा गया और शहनाज़ की चूत से अड गया। शादाब ने जैसे ही शहनाज़ की चुचियों को मुंह में भरा तो शहनाज़ ने अपने मुंह से ढेर सारा थूक निकाल कर शादाब के लंड पर लगा कर उसे पूरी तरह से चिकना कर दिया। शादाब भी एक महीने से शहनाज़ की चुदाई के लिए तड़प रहा था इसलिए वो जोर जोर से अपनी अम्मी की चूची चूसने लगा और शहनाज़ ने शादाब की आंखो से देखते हुए उसका एक पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और शादाब की एक उंगली को खुद ही अपनी चूत में घुसा दिया और सिसक पड़ी
" आह शादाब मेरे बेटे, मनाले अपनी अम्मी के साथ चांद रात
शादाब शहनाज़ की इतनी तड़प देखकर जोश में आ गया और उसकी चूत को जोर से रगड़ते हुए अपनी उंगली बाहर निकाल कर अपने तगड़े लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर टिका दिया और शहनाज़ ने मुंह से कुछ बोले बिना ही अपना निचला होंठ अपने दांतो में दबाकर शादाब को एक कामुक स्माइल दी और अपने एक हाथ की उंगली और अंगूठे को चूत के जैसे बनाकर उसमे एक उंगली घुसा दी। शादाब ने अपने लंड का एक जोरदार धक्का लगाया और सुपाड़ा चूत के होंठो को रगड़ते हुए अंदर घुस गया तो शहनाज़ दर्द भरी सिसकारियां लेने लगी और शहनाज़ ने जोर से अपनी बांहे शादाब के गले में लपेट दी। शादाब ने बहुत तगड़ा धक्का लगाया और लंड शहनाज़ की चूत को अंदर तक रगड़ते हुए जड़ तक घुस गया तो शहनाज़ के मुंह से दर्द भरी सिसकारियां निकल पड़ी
" आह शादाब मेरे राजा चांद रात मुबारक हो मेरे शौहर
शादाब ने जोर से शहनाज़ को कस लिया और लंड को चूत में अंदर ही रगड़ते हुए बोला:'
" तुम्हे भी मुबारक हो मेरी जान शहनाज, चांद रात पर अपने बेटे का लंड मुबारक हो।
दोनो एक साथ स्माइल कर दिए और शादाब ने लंड को पूरा बाहर निकाला और फिर से एक ही धक्के में जड़ तक शहनाज़ की चूत में घुसा दिया तो शहनाज़ फिर से दर्द भरी मस्ती से सिसक उठी और शादाब ने बिना देर किए शहनाज़ की चूत में लंड को तेजी से पेलना शुरू कर दिया और दोनो चूचियों को जोर जोर से मसलने लगा।
शहनाज़ का जिस्म हर झटके पर उछल रहा था और शहनाज़ की चूत में अब लंड आराम से अन्दर बाहर हो रहा था जिससे शहनाज़ मस्ती से मचल रही थी, सिसक रही थी, उछल रही थी।
शादाब के लंड की रगड़ आज शहनाज़ की चूत को हर धक्के पर सिसकने के लिए मजबूर कर रही थी और पूरे कमरे में शहनाज़ की मस्ती भरी सिसकारियां गूंज रही थी। अगर सीढ़ियों का गेट और कमरे का गेट ठीक से बन्द नहीं होता तो दादा दादी सब सुन लेते।
शादाब ने शहनाज़ की आंखो में देखते हुए दोनो हाथो से उसके गले को पकड़ लिया और जोर जोर से धक्के मारने लगा। शहनाज़ की चूत अब पूरी तरह से चिकनी हो गई थी जिससे लंड तूफान की स्पीड से घुस रहा था। हर धक्के पर बेड हिल रहा था।
शहनाज़ की चूत शादाब के धक्के बर्दाश्त नहीं कर पाई और वो सिसकते हुए झड़ गई
" आह शादाब उफ्फ, गई मेरी चूत, हाय मा चुद गई मैं तो।
शादाब बिना रुके धक्के लगाता
रहा और उसने शहनाज़ को उठाकर घोड़ी बना दिया जिससे उसकी चूत पूरी तरह से उभर कर अा गई और शादाब ने एक ही झटके में फिर से लंड को जड़ तक उतार दिया। शहनाज़ को एक अनोखे सुख की अनुभूति हुई और उसका मुंह मस्ती से खुलता चला गया
" आह शादाब उफ्फ कितना अच्छा लग रहा हैं कहां से सीखा तूने हाय मेरे राजा ?
शादाब ने जोर से लंड को बाहर निकाला और फिर से जड़ तक घुसा दिया तो लंड सीधे बच्चेदानी से जा लगा।
" आह शादाब मेरी बच्चेदानी में घुस गया तेरा लोला, घोड़ी सी बना दिया है तूने मुझे कमीने
शादाब ने शहनाज़ के बाल पकड़ लिए और जोर जोर से लंड घुसाने लगा। शहनाज़ की चूत एक बार फिर से गर्म हो गई और वो अपने आप अपने अपनी चूत को लंड पर धकेलने लगीं ।
" आह शादाब पूरा रगड़ रहा था मेरी चूत तेरा ये लोला, उफ्फ और चोद मुझे मार चूत।
शादाब ने पूरी ताकत से लंड को बाहर निकाला और एक तगड़ा धक्का शहनाज़ की चूत में लगा दिया तो शहनाज़ के पैर उखड़ गए और वो बेड पर आगे को गिर पड़ी और शादाब उसके उपर गिरा जिससे लंड उसकी चूत में घुसता चला गया।
" आह शादाब, उफ्फ मर गई हाय मा री,
शादाब ने शहनाज़ को जकड़ लिया और तूफान की गति से उसकी चूत में धक्के लगाते हुए बोला:"
" आह शहनाज़ देख मेरा लोला कैसे तेरी चूत का भोसड़ा बनाएगा अब ।
इतना कहकर शादाब ने अपना पूरा दम लगाते हुए तेज तेज धक्के लगाने शूरु कर दिए
शहनाज़ को बहुत मजा आने लगा और बोली:"
" आह शादाब, यूआईआईआई उफ्फ सआईआईआईआई तेरा लोला मेरी चूत मार रहा है
शहनाज़ एक बार फिर से जोर से सिसकते हुए झड़ गई और पूरी ताकत से बेड शीट को दबोच लिया। शादाब बिना रुके तूफानी रफ्तार से धक्के लगाने लगा तो शहनाज़ की चूत का हाल बेहाल हो गया और वो दर्द से कराह उठी
" आह शादाब कमीने छोड़ दे मुझे, ये मेरी चूत हैं औखली नहीं,
शादाब ने उसे जोर से कस लिया और तेज तेज धक्के लगाते हुए बोला:" आह शहनाज़ आज तेरी चूत की तली निकाल दूंगा, हाय तेरी चूत।
शहनाज़ आगे को खिसकी तो लंड बाहर निकल गया तो शादाब ने उसे फिर से पीछे को खींच लिया और लंड को उसकी चूत पर टिका दिया तो शहनाज़ ने एक बार शादाब की तरफ देखा तो शादाब ने जोर का धक्का लगाया और लन को फिर से चूत में घुसा दिया और धक्के पर धक्का लगाने लगा जिससे शहनाज़ फिर से सिसक उठी
" आह शादाब हट जा मेरे राजा, मार ही डालेगा क्या मुझे आऊ च उफ्फ हाय मा
शादाब ने एक हाथ से शहनाज़ की गर्दन को थाम लिया और दूसरे से उसकी गांड़ दबाते हुए जोर जोर से धक्के लगाने लगा।
गांड़ दबाए जाने से जैसे जादू हो गया और शहनाज़ की चूत फिर से सुलग उठी और वो मस्ती से सिसकते हुए बोली:_
": आह शादाब दबा मेरी गान्ड, उफ्फ ये गांड़ दबवाने के लिए ही तो मैं तुझसे चुद गई राजा,
शादाब ने अब दोनो हाथो में उसकी गांड़ को दबोच लिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा तो शहनाज़ का पूरा जिस्म मस्ती से उछलने लगा और वो मजे से सिसकती हुई बोली:_
" आह शादाब उफ्फ मेरी चूत फिर से झड़ जाएगी निकाल देे मेरी चूत की तली मेरे राजा !!
शहनाज़ ने अपनी कमर और मुंह को उपर उठा लिया और हर धक्के पर उसका जिस्म हिलने से उसके बाल लहरा रहे थे और शहनाज़ पूरी जोर जोर से सिसक रही थी। पूरे कमरे में दोनो की मस्त मादक सिसकियां गूंज रही थी। शादाब ने अपने जिस्म की सारी ताकत समेट ली और शहनाज़ की चूत में लंड तूफान मचा दिया तो शहनाज़ एक बार फिर से सिसकते हुए झड़ गई
" आह शादाब गई मेरी चूत, हाय राजा बस कर
शादाब के लंड में भी उबाल आने लगा और उसके धक्के किसी पागल सांड की तरह पड़ने लगे। शहनाज़ की चूत से फाच फाच की मधुर आवाज गूंज रही थी। शादाब ने पूरी ताकत से एक आखिरी धक्का लगाया और लंड किसी रॉकेट की तरह शहनाज़ की चूत में जड़ तक घुस गया और शहनाज़ की बच्चेदानी के एक सिरे को दूसरे में घुसा दिया तो शहनाज़ दर्द से कराह उठी
" आह शादाब फाड़ दी मेरी चूत,उफ्फ मेरी चूत की तली निकल गई मेरी मा
शादाब जोर से सिसकते हुए शहनाज़ की पीठ पर ढेर हो गया
" आह शहनाज़ मेरी अम्मी।
शादाब के लंड ने एक के बाद एक वीर्य की पिचकारी की झड़ी सी शहनाज़ की चूत में लगा दी और शहनाज़ की लंड की मार से जलती हुई चूत को ठंडक मिलने लगी और वो मस्ती से शादाब का मुंह चूमने लगी मानो उसे इस दमदार चुदाई के लिए इनाम दे रही हो।
शादाब ने चांद रात की इस रात को पूरी तरह से यादगार बनाने के लिए शहनाज़ को और दो बार चोदा और उसके बाद दोनो मा बेटे एक दूसरे से लिपट कर सो गए।
अगले दिन सुबह कोई पांच बजे शहनाज की आंख खुली और उसने शादाब को भी उठा लिया और उसे बांहों में भर कर बोली:"
" ईद मुबारक हो मेरी जान शादाब।
शादाब ने शहनाज़ का गाल चूम लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" आपको भी मुबारक हो मेरी नाज़।