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Adultery मिस्टर वारिस - Adultery, Incest, Thriller

कहानी के लिये क्या सुझाव है?

  • बहोत अच्छी

    Votes: 43 63.2%
  • अच्छी है

    Votes: 19 27.9%
  • ठीक नही

    Votes: 1 1.5%
  • कुछ कमियां है (कमेंट में बताएंगे)

    Votes: 3 4.4%
  • लिखना बंद कर दे तु!!

    Votes: 2 2.9%

  • Total voters
    68

WriterTeja

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54
शुभकामनाएँ :congrats:
कहानी की शुरुआत तो बढ़िया लग रही है
"अजब फॅमिली की गजब कहानी" ये टाइटल ज्यादा सही लग रहा है फॅमिली इंटरों से तो :lol1:
देखते हैं आगे
वही रखना था पर इस नाम की कहि कहानियां है और वारिसदार इस लिए चुना क्योकी ये aim part है कहानी का. धन्यवाद शुभकामनाएं देने के लिए❤️✌️
 

WriterTeja

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● Season 1 || Episode 2

दो दिन के बाद फेमिली रजिस्ट्रेशन होने का समय था। मेरे शर्त के मुताबिक नानी ने एक आदमी को मेरा होटल रूम और गाड़ी का सब अतापता देने बोल दिया। मैं वैसे भी फेमिली टुगेदर के मूड में ना था, तो मौहोल ढलता देख वहां से उड़नछू होने की ताक में था। सब लोग अपने अपने काम मे मगन होने लगे। पर 4 आंखे थी जो मुझे चुभ रही थी और कुछ आखोको मैं चुभ रहा था। उसमें से मुझे चुभने वाली आँखे थी मेरी माँ, सौतेला बाप। तकरीबन 6, 7 साल बाद मुझे देख रहे थे वो। मा की आँखों मे कुछ ज्यादा ही प्यार और पश्चाताप का कॉकटेल टपक रहा था। अभीतक की आधी से ज्यादा जिंदगी अनाथ की तरह जीने के बाद उस औरत के लिए मेरे मन मे कुछ भी भाव नही थे। जो भी थे वो एक इंसानियत के नाते उभर रहे होंगे ऐसा मेरा मानना था। पर उस समय उसके इस मा का प्यार वाले जाल में फसना ना था।


कंगाल से अमीर बनने का ये काल मेरे लिए बहोत ज्यादा आनंद देने वाला होना चाहिए था पर मुझे वैसा अमीरजादे वाला रोल करने में कोई इंटरेस्ट ना था, क्योकि स्कूल कॉलेज में अमीरजादे लोगो का जो बर्ताव सहा था उससे अमीर होना नरक में जीने जैसे लगता था मुझे। मेरे बहोतसे दोस्त यातो मिडल क्लास या तो बहोत गरीब थे ,जिनकी वजह से मैं परेशानी भरी मेरी जिंदगी अबतक सहन कर पाया। उनके लिए कुछ कर पाऊंगा ये सोच नानी के ऑफर के बाद पहले जहन में आई मेरे। और दूसरी समाज ने माथे पर कलंक जैसे बिठाये मा बाप से बदला। इसी सोच विचार में डूबा था कि नानी ने मुझे अपने कमरे में बुला लिया।


3 मजली हवेली।नीचे किचन , स्टोर रूम , भगवान का मंदिर और प्लेइंग क्लब । पहला मजला नानी , मा और मामा का रूम। दूसरा मंजला सारे मौसी और तीसरे पर सारे बच्चे । हवेली के बाजू के एरिया मे गेस्ट हाउस । हवेली और गेस्ट हाउस के बीच मे स्विमिंगपुल। इतने अमीर घर का वारिसदार बचपन से लावारिस की तरह जी रहा था। जिंदगी भी क्या मोड़ लाती है। पर हर कोई गरीब से अमीर बनने में उल्हासी नही होता। फिरसे गरीब होने का डर ज्यादा रहता है।


मैं नानी के पीछे पीछे उनके कमरे में गया। सोफे पर बैठ गया। नानी," देख विकि, अभी जो बातें बताने जा रही हु वो ध्यान से सुनो।"


मैं," जी।"


" ये इंडस्ट्री, कॉरपोरेट के आका होना बाहरसे अमीर और ऐशो आराम का दिखता होगा आम लोगो का पर उन जगहों का मालकाना होना जिम्मेदारी का काम है। तुम्हारे साथ जो भी बचपन से हुआ वो निहायती गलत था ये मैं जानती हूं। तुम्हारा होना तुम्हारे दादी के नशे में बकने के वजह से मालूम पड़ा नही तो तुम्हारी माँ अपनी शादी बचाने और तेरे पिता मुझे डुबाने के लिए तुम्हे मरने छोड़ गए। ऐसा मत समझना कि मैं जहर घोल रही हु, पर जो है सच वो है। पर इसका परिणाम है कि इस घर मे जितने भी लोग है, मैं और तुम्हारे मा पिता से भी ज्यादा तुम्हे अभी के दुनियादारी की ज्यादा जानकारी और अनुभव है। पता नही क्यो पर अपने खुद के खुनो से ज्यादा तुमपे भरोसा है मुझे और इसकी वजह से मैंने तुम्हें ही नही सारे परिवार को अंधेरे में रख ये निर्णय लिया है। इतना जान लो, इंडस्ट्रीयलीस्ट होना अपने आप मे एक माफिया का हिस्सा होना है। और मेरे घर मे सारे गुंडे भरे पड़े है, तुम्हारा आना बहोत से लोगो को खटका है। यहां भी और इंडस्ट्री में भी। तुम्हारा पब्लिक इन्फॉर्मेशन अभीतक सारे इंडस्ट्री के बोर्ड पर गया होगा। तो अभी से अपनी इमेज और जान दोनों संभाल कर। " नानी रुक गयी।


मैं, "पहले भी बोल दिया और अभी भी बोल रहा हु, we are mutual. दुनियादारी में इतना मार खाने के बाद आपकी जगह महसूस कर सकता हु। मेरे भूतकाल के जिम्मेदार सिर्फ तीन लोग है और बाकियो पर मैं इसका इल्जाम नही लगाऊंगा। देर से क्यो न हो, आप मेरी नानी है, वारिसदार नही पर पोता होने के नाते से आपके सारे जिम्मेदारी और हुकुम मेरी जिम्मेदारी है। (नानी के आंखों में थोड़ी सी नर्मी थी, जैसे वो रो ही दे!)

आपने जो विश्वास दिखाया है उसके लिए धन्यवाद!! अभी बुढ़ापे के दिन मजेसे बितावो। झुनझुनवाला एम्पायर जैसे थाट में खड़ा है वैसे ही रहेगा, ये विकि का वादा है आपको।"


नानी खड़ी हो गयी, " विकि मैं तुम्हे गले लगा सकती हूं।"


मैं खुद उनके पास गया और उन्होंने बिना समय गवाए मुझे गले लगा दिया। नानी," दिल को जैसे सुकून आया है। तुम मेरी और इस झेड वी एम्पायर की आखरी उमीद हो। बस मेरे मरने तक मेरे साथ रहना यही आखरी ख्वाइश है।"


नानी के मुझे कस कर पकड़ा था, मेरा लन्ड फूलने लगा था। नानी करिब 57, 58 साल की भरे शरीर की औरत थी तो आदमी का गर्म होना आम था। मेरी हवस वाली गर्मी नानी को मालूम ना पड़ी हो ये हो नही सकता, औरते इसमे बहोत एक्सपर्ट होती है। नानी की गर्म सांसे दबाने की कोशिश की हुई सिसकी मुझे भी महसूस हुई।उनका हाथ पीठ से मेरे पिछवाड़े पर गया। अभी मेरा बम्बू तंबू बनने से कोई नही रुका सकता था।मेरा 7 इंच का बम्बू अभी बेंड हो रहा था और उसपर घर्षण भी महसूस हो रहा था। मैं खुदको कंट्रोल करने के लिए खुदको दूर करने लगा तो नानी ने और दबोच लिया। उनकी सांसे फूल रही थी, कनहते आवाज मेरे कानों में चेतना उभार रहे थे।


मेरे हाथ भी उनके उभरे गांड पर टिक गए। उनकी बड़ी सिसकी निकल गयी। और अचानक से उन्होंने अपनी जखड़न छोड़ दी। ऑर्गेजम हुआ लगता है। अपने पोते के साथ ऑर्गेजम करके भी उनकी आंखों में लज्जा या अपराध वाली भावना नही दिख रही थी।


वो," अभी तुम जावो चाहो तो आज गेस्ट रूम में नही तो होटल रूम में जाकर आराम करो। "


उनका साड़ी का पल्लू गिर गया था पर उन्होंने वैसे ही ब्लाउज में मेरे सामने से मोड़ लिया और बेड पर जाकर बैठ गयी और किसी के फोटो को देखने लगी। भावना की तीव्रता से वो इस घर के गॉडफादर उनके पति होंगे ऐसे लग रहा था। मैं वहां से बाहर निकला।


बाहर निकलते ही सामने हमारी पूज्य माताजी खड़ी थी और पीछे बॉडीगार्ड की तरह उनके नये यार। मैं वो लोग वहां पर नही है ऐसा दिखावा करते हुए वहां से निकलने लगा। तभी सौतेले बाप का आवाज कान पर पड़ा, " बेटा विकि, कैसे हो?" मैंने उसे भी इग्नोर किया।


माताजी," तुम्हारे पापा ने कुछ पूछा है विकि, ऐसे बत्तमीजी मत करो ।"


अभी दिमाग का भोसड़ा हो रहा था मेरे, " माननीय सुशीला देवीजी, मेरे मा बाप की मौत होकर अठरह साल हो चुके है , आपको कुछ गलतफहमी हो रही है लगता है। और हा मा बाप के बिना पले बढ़े बच्चो में तमीज ना होवे है। चल वंटास!!


सौतेला बाप," ये क्या तरीका है अपने मा से बात करने का विकि!?" मा ने करीब करीब आँसू ढल दिए थे।


" मिस्टर कॉल बॉय, कान में कुछ लिया है क्या आपने? सुनाई नही देता। " मेरे इस बत्तमीजी पे मा भड़क गई और आगे बढ़ मेरे कान के नीचे बजा दी। मेरा सौतेला बाप शोक हो गया। उसने मा को पीछे लिया।


वो," सोरी विकि तुम्हारी माँ का ऐसा दिल से कोई इरादा नही था।"


मैं हस दिया चेतन(सौतेला बाप ) को अनदेखा कर, " सुशीलादेवी जी, कपड़ो से गरीब बेचारा हु समझ ये बड़ी गलती कर दी आपने। और चेतन दी कॉल बॉय…" इतना बोल मैंने उसके कान के नीचे दो बार सीधे और उल्टे हाथ का दे दिया। ये देख मा तो घबराई सी गयी, चेतन सुन्न पड़ गया, " सुन चूतिये पहिला तेरे कान का इलाज था, फिर बोल रहा हु मेरे मा बाप अठरह साल पहले मर चुके है। और दूसरा तेरी रंडी के हिस्से का, समाज का नियम पालते हुए औरत पे हाथ नही उठाया। पर हर बार ऐसा नियम पालन होगा ये मत समझना।"


दोनों मेरे रास्ते से बाजू हुए, परिवार के बहोत से लोग फिरसे डायनिंग के पास दिखाई दिए। रात के खाने का समय था शायद उनके। कुछ लोग शोक में तो कुछ लोग हल्के से हसि के मुह लेकर मेरी नजर बचानी की कोशिश करने लगे। मैं आज बहोत थका था तो नानी के कहने के अनुसार गेस्ट हाउस चला गया।


मेरे गेस्ट हाउस की ओर जाने के बाद**


रितु," पापा आपका अपोजिशन तगड़ा मालूम पड़ता है।"

नीतू,"सही कहे हो दी, पापा अपनी कुर्सी कस के पकड़े रहो।"


यशवंत और नीलेश ने बस बेटियो को गंभीरता भरी नजर देकर खाना चालू किया।


"अच्छा खासा मुड़ बन गया था नानी के साथ। पूरा कचरा कर दिया इन लोगो ने।" ऐसे सोचते सोचते मैं गेस्ट हाउस की ओर चला गया और जैसे ही रूम में गया सामने देखा कि दादी सोफे पे दारू पीते हुए बैठी थी। अब तो मेरा सर गुस्से से फट रहा था। मैं वैसे ही बाहर जाने लगा तो उसने पुकारा, " गुस्सा मत हो विकि, तुम्हारा गुस्सा जायज है और मुझे माफी न मिलना भी। तुम आज यहां आराम करो मैं स्टोअर रूम में जाति हु। तुम अभी मालिक हो इस घर, हवेली,जायदाद के। अभी खुश रहो।"


कुछ देर के लिए मुझे ये ध्यान में ही नही रहा कि, जी हां ये हजार करोड़ के एम्पायर का मालिक हुआ हूं मैं। तकरीबन नानी का 40 और मा का रजिस्टर बेटा होने के बाद मेरा 20 शेअर मिलाके 60 परसेन्ट हो जाएगा जो मैनेजमेंट के मीटिंग के बाद नानी तो वैसे भी मुझे ही दे देगी, उनके वासनावो भरी भावना से तो ऐसे ही महसूस हो रहा है।


मुह नीचे कर दादी गेस्ट रूम से बाहर जाने लगी। मेरे आने से जैसे उनकी सारी नशा उतर गई हो। मुझे इस मुड में नींद तो आने नही वाली थी नानी ने आधा खड़ा कर छोड़ा और माँ और चेतन ने दिमाग का भोसड़ा किया था। फस्ट्रेशन सा हो गया था।


मैं," प्रमिलादेवी जी…"


दादी रुक गयी और घूम गयी। उनकी आंखें नीचे ही थी।


मैं," ये रंडीबाजी , दारूबाजी करके क्या पा लिया जिंदगी में आपने? अभी मुह नीचे कर शर्मनाक होने का क्या मतलब बनता है? "


दादी बस सुने जा रही थी। गुनहगार का काम की वही होता है। गुनाह साबित हो तो क्या अपील करे, है कि नही!?


मैंने आगे बढ़ उनकी गर्दन ऊपर की । 58 साल की नशे में धुत बुढ़िया आज भी चुदवाने का शौक रखती है। वो नाइटी में थी। गर्दन के थोड़ा नीचे से घुटने तक थोड़ा ट्रांसपरेंट गाउन जैसा जो दो धागों से कंधो के सहारे लटक रहा हो ऐसा कपड़ा। विस्की वाइन की मिक्स परफ्यूम मारा हुआ। लटके चुचे तो तकरीबन दिख रहे थे। काफी चरबिलि थी तो, चुचे भी चरबिले (Fat) थे। पैंटी का कॉर्नर ऑंखोंको महसूस हो रहा था।


वो कुछ बोलती उससे पहले मैंने उसके गर्दन को जखड़ ओंठो को चूसना चालू किया। ऐसा दृश्य था कि उसने पी हुई दारू मैं उसके ओठो से फिरसे पी रहा हु। उसने थोड़ा विरोध किया पर पैदाइशी हवस और नशे और उम्र से आई कमजोरी ने उसे हरा दिया। मैं उनको खींचा और सोफे पर बैठ उन्हें जांघ पे बिठा दिया।


कुछ समय तक ओंठ चूसते चूसते। उनके चुचे और चूत दोनों मसल मसल के गर्म कर दिए।एक हाथ से नाइटी गाउन ऊपर कर पेंटी को निकाल दिया और ऊपर से गाउन खींच चुचो को आझाद कर उन्हें बारीबारी चूसने लगा। उनके मुह से आह उम्म आह ममममम आह सिसकारियों का जैसे संगीत बज रहा था। कुछ देर बाद चुचे निचोड़ने के बाद बेड पर ले जा के 69 पोजिशन पकड़ ली। उसने मेरा जीन्स निकाला और पागल की तरह चूसने लगी।मैं भी चूत को चांट चांट के मजे ले रहा था। रंडिया इस उम्र में भी हाइजेनिक थी। पूरा साफ सुधरा चूत था इसका। पहले सोफा और बाद में 69 में दो बार पानी निकाल दिया था दादी ने। बेहोश न होजाये इसलिए मैंने सीधा होकर लन्ड चूत में घुसाके उसको उड़ाना चालू किया। वो चुचो के साथ हवा वे सैर कर रही थी।


आह आह मैया मोरी अअअअ हआ आ आ उम्म चौद जोर से फर् फक फक फक आह……..


थोड़ी देर बाद उसको पेट के बल सुलाक़े ऊपर सोया और लन्ड सेट कर ऊपर से चुदाई शुरू की। बेड से कहि अच्छा उसका बदन मुझे महसूस हो रहा था।कुछ देर हैवानियत की तरह भड़ास निकलने के बाद मैंने मेरा पानी उसके मुह में दे दिया।


बुढ़िया थक चुकी थी , हांफते हुए बोली, " बेटा बाप से भी ज्यादा जोशीला है, तेरा स्टेमिना तुझे बहोत दूर ले जाएगा। इस चुदाई को मेरा माफीनामा समझू…."


"इतनी बेशर्म हो, खुद के बेटे का भी ले चुकी हो। इतने पाप करने के बाद 15 मिनिट के चुदाई में माफी पाना चाहती हो? इस चुदाई का मतलब तू मेरी ऑफिशियल रंडी है। जिस वक्त लौड़ा भड़केगा। वो भड़ास तेरी चूत शांत करेगी। तेरी जिस आदत ने हमारी जिंदगी के लोडे लगाए वही लोडे तेरे अंदर घुसाउंगा।"


वो कुछ बोली नही, बस उठके एक पेग बनाया और बालकनी के दरवाजे पर हाथ मे पेग लिए खड़ी हो गयी।


वो," मुझे मालूम है कि मेरे पाप धुलने वाले है नही, ठीक ही है ये , भुगतना मेरी तकदीर है।"


मैंने पीछे से जाकर पड़ा लन्ड गांड पे घिसते हुए हाथो के नीचे से कसते हुए चुचे मसलना चालू किया। वो ऐसे तिलमिलाइ जैसे वाइब्रेटर को चूत में बड़ी मात्रा में चलाया गया हो।


मैं," इतने साल में बहोत मौके थे गलती सुधारने के पर ये नशा तुमको ले डूबी रंडिया।" इतना बोल उसे वही झुकाकर उसके चूत में खुदाई चालू कर दी। रूम किचन बाथरूम वाले 1RK गेस्ट हाउस के हर कोने में रातभर मैं उसे चोदता रहा। और चूत में लन्ड रख ही सो गया। सुबह उठा तो दादी वैसे ही नंगी सोई थी। मेरा लन्ड उसके चूत में था।


तभी बाहर से आवाज आया," मालकिन उठ गए क्या? मैंने आपका काम कर दिया,...(इतने में दादी उठी, उसको उस सिन का अंदाजा आ गया और मुझे भी। वो उसको रोकती उससे पहले मैंने उसका मुह दबाया।)


आगे," काम कर दिया है… बड़ी मालकिन का और नए मालिक का प्रायवेट बातचीत का ऑडियो है मेरे पास, जल्दी दरवाजा खोलिये. कोई देख लेगा तो आफत आ जायेगी।"


मैं दादी के कान में, " तेरी गांड की चरबी उतरती ही नही है ना भोसडी वाली, उसको अभी अंदर बुला नॉर्मल में।" मैं दादी को अपने ऊपर लेकर सोने का नाटक किया। जैसे उसे लगे कि मैं दादी का बुलाया हुआ कॉल बॉय हु। इसके आसपास के लोगो को इसके आदतों के पता जरूर होगा है जाहिर सी बात है।


वो अंदर आ गयी," आपने जैसे बोला था वैसे बड़ी मालकिन और नए साब की अकेले में हुए बात मैंने कैसे वैसे रेकॉर्ड कर ली है। मेरा पैसा दो और रेकॉर्ड लेलो। इससे आपको आपका पार्टनर शिप मिल जाएगा इसकी गेरेन्टी है।"


दादी कुछ बोल नही रही थी। मौका उनके हाथ मे जाए उससे पहले मैंने मेरा मुह पीछे से बाहर निकाला," जिस थाली में खाओ उसी में छेद करो। पौराणिक काल से चला आ रहा है। पर आपका चेहरा जाना से क्यो लग रहा है? आप….?"



-------- और आगे--------


अपडेट जल्दी मिलने के लिए मुझे फॉलो करना न भूलियेगा और अपडेट का अभिप्राय जरुर देना. जल्द मिलेंगे.........
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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● Season 1 || Episode 2

दो दिन के बाद फेमिली रजिस्ट्रेशन होने का समय था। मेरे शर्त के मुताबिक नानी ने एक आदमी को मेरा होटल रूम और गाड़ी का सब अतापता देने बोल दिया। मैं वैसे भी फेमिली टुगेदर के मूड में ना था, तो मौहोल ढलता देख वहां से उड़नछू होने की ताक में था। सब लोग अपने अपने काम मे मगन होने लगे। पर 4 आंखे थी जो मुझे चुभ रही थी और कुछ आखोको मैं चुभ रहा था। उसमें से मुझे चुभने वाली आँखे थी मेरी माँ, सौतेला बाप। तकरीबन 6, 7 साल बाद मुझे देख रहे थे वो। मा की आँखों मे कुछ ज्यादा ही प्यार और पश्चाताप का कॉकटेल टपक रहा था। अभीतक की आधी से ज्यादा जिंदगी अनाथ की तरह जीने के बाद उस औरत के लिए मेरे मन मे कुछ भी भाव नही थे। जो भी थे वो एक इंसानियत के नाते उभर रहे होंगे ऐसा मेरा मानना था। पर उस समय उसके इस मा का प्यार वाले जाल में फसना ना था।


कंगाल से अमीर बनने का ये काल मेरे लिए बहोत ज्यादा आनंद देने वाला होना चाहिए था पर मुझे वैसा अमीरजादे वाला रोल करने में कोई इंटरेस्ट ना था, क्योकि स्कूल कॉलेज में अमीरजादे लोगो का जो बर्ताव सहा था उससे अमीर होना नरक में जीने जैसे लगता था मुझे। मेरे बहोतसे दोस्त यातो मिडल क्लास या तो बहोत गरीब थे ,जिनकी वजह से मैं परेशानी भरी मेरी जिंदगी अबतक सहन कर पाया। उनके लिए कुछ कर पाऊंगा ये सोच नानी के ऑफर के बाद पहले जहन में आई मेरे। और दूसरी समाज ने माथे पर कलंक जैसे बिठाये मा बाप से बदला। इसी सोच विचार में डूबा था कि नानी ने मुझे अपने कमरे में बुला लिया।


3 मजली हवेली।नीचे किचन , स्टोर रूम , भगवान का मंदिर और प्लेइंग क्लब । पहला मजला नानी , मा और मामा का रूम। दूसरा मंजला सारे मौसी और तीसरे पर सारे बच्चे । हवेली के बाजू के एरिया मे गेस्ट हाउस । हवेली और गेस्ट हाउस के बीच मे स्विमिंगपुल। इतने अमीर घर का वारिसदार बचपन से लावारिस की तरह जी रहा था। जिंदगी भी क्या मोड़ लाती है। पर हर कोई गरीब से अमीर बनने में उल्हासी नही होता। फिरसे गरीब होने का डर ज्यादा रहता है।


मैं नानी के पीछे पीछे उनके कमरे में गया। सोफे पर बैठ गया। नानी," देख विकि, अभी जो बातें बताने जा रही हु वो ध्यान से सुनो।"


मैं," जी।"


" ये इंडस्ट्री, कॉरपोरेट के आका होना बाहरसे अमीर और ऐशो आराम का दिखता होगा आम लोगो का पर उन जगहों का मालकाना होना जिम्मेदारी का काम है। तुम्हारे साथ जो भी बचपन से हुआ वो निहायती गलत था ये मैं जानती हूं। तुम्हारा होना तुम्हारे दादी के नशे में बकने के वजह से मालूम पड़ा नही तो तुम्हारी माँ अपनी शादी बचाने और तेरे पिता मुझे डुबाने के लिए तुम्हे मरने छोड़ गए। ऐसा मत समझना कि मैं जहर घोल रही हु, पर जो है सच वो है। पर इसका परिणाम है कि इस घर मे जितने भी लोग है, मैं और तुम्हारे मा पिता से भी ज्यादा तुम्हे अभी के दुनियादारी की ज्यादा जानकारी और अनुभव है। पता नही क्यो पर अपने खुद के खुनो से ज्यादा तुमपे भरोसा है मुझे और इसकी वजह से मैंने तुम्हें ही नही सारे परिवार को अंधेरे में रख ये निर्णय लिया है। इतना जान लो, इंडस्ट्रीयलीस्ट होना अपने आप मे एक माफिया का हिस्सा होना है। और मेरे घर मे सारे गुंडे भरे पड़े है, तुम्हारा आना बहोत से लोगो को खटका है। यहां भी और इंडस्ट्री में भी। तुम्हारा पब्लिक इन्फॉर्मेशन अभीतक सारे इंडस्ट्री के बोर्ड पर गया होगा। तो अभी से अपनी इमेज और जान दोनों संभाल कर। " नानी रुक गयी।


मैं, "पहले भी बोल दिया और अभी भी बोल रहा हु, we are mutual. दुनियादारी में इतना मार खाने के बाद आपकी जगह महसूस कर सकता हु। मेरे भूतकाल के जिम्मेदार सिर्फ तीन लोग है और बाकियो पर मैं इसका इल्जाम नही लगाऊंगा। देर से क्यो न हो, आप मेरी नानी है, वारिसदार नही पर पोता होने के नाते से आपके सारे जिम्मेदारी और हुकुम मेरी जिम्मेदारी है। (नानी के आंखों में थोड़ी सी नर्मी थी, जैसे वो रो ही दे!)

आपने जो विश्वास दिखाया है उसके लिए धन्यवाद!! अभी बुढ़ापे के दिन मजेसे बितावो। झुनझुनवाला एम्पायर जैसे थाट में खड़ा है वैसे ही रहेगा, ये विकि का वादा है आपको।"


नानी खड़ी हो गयी, " विकि मैं तुम्हे गले लगा सकती हूं।"


मैं खुद उनके पास गया और उन्होंने बिना समय गवाए मुझे गले लगा दिया। नानी," दिल को जैसे सुकून आया है। तुम मेरी और इस झेड वी एम्पायर की आखरी उमीद हो। बस मेरे मरने तक मेरे साथ रहना यही आखरी ख्वाइश है।"


नानी के मुझे कस कर पकड़ा था, मेरा लन्ड फूलने लगा था। नानी करिब 57, 58 साल की भरे शरीर की औरत थी तो आदमी का गर्म होना आम था। मेरी हवस वाली गर्मी नानी को मालूम ना पड़ी हो ये हो नही सकता, औरते इसमे बहोत एक्सपर्ट होती है। नानी की गर्म सांसे दबाने की कोशिश की हुई सिसकी मुझे भी महसूस हुई।उनका हाथ पीठ से मेरे पिछवाड़े पर गया। अभी मेरा बम्बू तंबू बनने से कोई नही रुका सकता था।मेरा 7 इंच का बम्बू अभी बेंड हो रहा था और उसपर घर्षण भी महसूस हो रहा था। मैं खुदको कंट्रोल करने के लिए खुदको दूर करने लगा तो नानी ने और दबोच लिया। उनकी सांसे फूल रही थी, कनहते आवाज मेरे कानों में चेतना उभार रहे थे।


मेरे हाथ भी उनके उभरे गांड पर टिक गए। उनकी बड़ी सिसकी निकल गयी। और अचानक से उन्होंने अपनी जखड़न छोड़ दी। ऑर्गेजम हुआ लगता है। अपने पोते के साथ ऑर्गेजम करके भी उनकी आंखों में लज्जा या अपराध वाली भावना नही दिख रही थी।


वो," अभी तुम जावो चाहो तो आज गेस्ट रूम में नही तो होटल रूम में जाकर आराम करो। "


उनका साड़ी का पल्लू गिर गया था पर उन्होंने वैसे ही ब्लाउज में मेरे सामने से मोड़ लिया और बेड पर जाकर बैठ गयी और किसी के फोटो को देखने लगी। भावना की तीव्रता से वो इस घर के गॉडफादर उनके पति होंगे ऐसे लग रहा था। मैं वहां से बाहर निकला।


बाहर निकलते ही सामने हमारी पूज्य माताजी खड़ी थी और पीछे बॉडीगार्ड की तरह उनके नये यार। मैं वो लोग वहां पर नही है ऐसा दिखावा करते हुए वहां से निकलने लगा। तभी सौतेले बाप का आवाज कान पर पड़ा, " बेटा विकि, कैसे हो?" मैंने उसे भी इग्नोर किया।


माताजी," तुम्हारे पापा ने कुछ पूछा है विकि, ऐसे बत्तमीजी मत करो ।"


अभी दिमाग का भोसड़ा हो रहा था मेरे, " माननीय सुशीला देवीजी, मेरे मा बाप की मौत होकर अठरह साल हो चुके है , आपको कुछ गलतफहमी हो रही है लगता है। और हा मा बाप के बिना पले बढ़े बच्चो में तमीज ना होवे है। चल वंटास!!


सौतेला बाप," ये क्या तरीका है अपने मा से बात करने का विकि!?" मा ने करीब करीब आँसू ढल दिए थे।


" मिस्टर कॉल बॉय, कान में कुछ लिया है क्या आपने? सुनाई नही देता। " मेरे इस बत्तमीजी पे मा भड़क गई और आगे बढ़ मेरे कान के नीचे बजा दी। मेरा सौतेला बाप शोक हो गया। उसने मा को पीछे लिया।


वो," सोरी विकि तुम्हारी माँ का ऐसा दिल से कोई इरादा नही था।"


मैं हस दिया चेतन(सौतेला बाप ) को अनदेखा कर, " सुशीलादेवी जी, कपड़ो से गरीब बेचारा हु समझ ये बड़ी गलती कर दी आपने। और चेतन दी कॉल बॉय…" इतना बोल मैंने उसके कान के नीचे दो बार सीधे और उल्टे हाथ का दे दिया। ये देख मा तो घबराई सी गयी, चेतन सुन्न पड़ गया, " सुन चूतिये पहिला तेरे कान का इलाज था, फिर बोल रहा हु मेरे मा बाप अठरह साल पहले मर चुके है। और दूसरा तेरी रंडी के हिस्से का, समाज का नियम पालते हुए औरत पे हाथ नही उठाया। पर हर बार ऐसा नियम पालन होगा ये मत समझना।"


दोनों मेरे रास्ते से बाजू हुए, परिवार के बहोत से लोग फिरसे डायनिंग के पास दिखाई दिए। रात के खाने का समय था शायद उनके। कुछ लोग शोक में तो कुछ लोग हल्के से हसि के मुह लेकर मेरी नजर बचानी की कोशिश करने लगे। मैं आज बहोत थका था तो नानी के कहने के अनुसार गेस्ट हाउस चला गया।


मेरे गेस्ट हाउस की ओर जाने के बाद**


रितु," पापा आपका अपोजिशन तगड़ा मालूम पड़ता है।"

नीतू,"सही कहे हो दी, पापा अपनी कुर्सी कस के पकड़े रहो।"


यशवंत और नीलेश ने बस बेटियो को गंभीरता भरी नजर देकर खाना चालू किया।


"अच्छा खासा मुड़ बन गया था नानी के साथ। पूरा कचरा कर दिया इन लोगो ने।" ऐसे सोचते सोचते मैं गेस्ट हाउस की ओर चला गया और जैसे ही रूम में गया सामने देखा कि दादी सोफे पे दारू पीते हुए बैठी थी। अब तो मेरा सर गुस्से से फट रहा था। मैं वैसे ही बाहर जाने लगा तो उसने पुकारा, " गुस्सा मत हो विकि, तुम्हारा गुस्सा जायज है और मुझे माफी न मिलना भी। तुम आज यहां आराम करो मैं स्टोअर रूम में जाति हु। तुम अभी मालिक हो इस घर, हवेली,जायदाद के। अभी खुश रहो।"


कुछ देर के लिए मुझे ये ध्यान में ही नही रहा कि, जी हां ये हजार करोड़ के एम्पायर का मालिक हुआ हूं मैं। तकरीबन नानी का 40 और मा का रजिस्टर बेटा होने के बाद मेरा 20 शेअर मिलाके 60 परसेन्ट हो जाएगा जो मैनेजमेंट के मीटिंग के बाद नानी तो वैसे भी मुझे ही दे देगी, उनके वासनावो भरी भावना से तो ऐसे ही महसूस हो रहा है।


मुह नीचे कर दादी गेस्ट रूम से बाहर जाने लगी। मेरे आने से जैसे उनकी सारी नशा उतर गई हो। मुझे इस मुड में नींद तो आने नही वाली थी नानी ने आधा खड़ा कर छोड़ा और माँ और चेतन ने दिमाग का भोसड़ा किया था। फस्ट्रेशन सा हो गया था।


मैं," प्रमिलादेवी जी…"


दादी रुक गयी और घूम गयी। उनकी आंखें नीचे ही थी।


मैं," ये रंडीबाजी , दारूबाजी करके क्या पा लिया जिंदगी में आपने? अभी मुह नीचे कर शर्मनाक होने का क्या मतलब बनता है? "


दादी बस सुने जा रही थी। गुनहगार का काम की वही होता है। गुनाह साबित हो तो क्या अपील करे, है कि नही!?


मैंने आगे बढ़ उनकी गर्दन ऊपर की । 58 साल की नशे में धुत बुढ़िया आज भी चुदवाने का शौक रखती है। वो नाइटी में थी। गर्दन के थोड़ा नीचे से घुटने तक थोड़ा ट्रांसपरेंट गाउन जैसा जो दो धागों से कंधो के सहारे लटक रहा हो ऐसा कपड़ा। विस्की वाइन की मिक्स परफ्यूम मारा हुआ। लटके चुचे तो तकरीबन दिख रहे थे। काफी चरबिलि थी तो, चुचे भी चरबिले (Fat) थे। पैंटी का कॉर्नर ऑंखोंको महसूस हो रहा था।


वो कुछ बोलती उससे पहले मैंने उसके गर्दन को जखड़ ओंठो को चूसना चालू किया। ऐसा दृश्य था कि उसने पी हुई दारू मैं उसके ओठो से फिरसे पी रहा हु। उसने थोड़ा विरोध किया पर पैदाइशी हवस और नशे और उम्र से आई कमजोरी ने उसे हरा दिया। मैं उनको खींचा और सोफे पर बैठ उन्हें जांघ पे बिठा दिया।


कुछ समय तक ओंठ चूसते चूसते। उनके चुचे और चूत दोनों मसल मसल के गर्म कर दिए।एक हाथ से नाइटी गाउन ऊपर कर पेंटी को निकाल दिया और ऊपर से गाउन खींच चुचो को आझाद कर उन्हें बारीबारी चूसने लगा। उनके मुह से आह उम्म आह ममममम आह सिसकारियों का जैसे संगीत बज रहा था। कुछ देर बाद चुचे निचोड़ने के बाद बेड पर ले जा के 69 पोजिशन पकड़ ली। उसने मेरा जीन्स निकाला और पागल की तरह चूसने लगी।मैं भी चूत को चांट चांट के मजे ले रहा था। रंडिया इस उम्र में भी हाइजेनिक थी। पूरा साफ सुधरा चूत था इसका। पहले सोफा और बाद में 69 में दो बार पानी निकाल दिया था दादी ने। बेहोश न होजाये इसलिए मैंने सीधा होकर लन्ड चूत में घुसाके उसको उड़ाना चालू किया। वो चुचो के साथ हवा वे सैर कर रही थी।


आह आह मैया मोरी अअअअ हआ आ आ उम्म चौद जोर से फर् फक फक फक आह……..


थोड़ी देर बाद उसको पेट के बल सुलाक़े ऊपर सोया और लन्ड सेट कर ऊपर से चुदाई शुरू की। बेड से कहि अच्छा उसका बदन मुझे महसूस हो रहा था।कुछ देर हैवानियत की तरह भड़ास निकलने के बाद मैंने मेरा पानी उसके मुह में दे दिया।


बुढ़िया थक चुकी थी , हांफते हुए बोली, " बेटा बाप से भी ज्यादा जोशीला है, तेरा स्टेमिना तुझे बहोत दूर ले जाएगा। इस चुदाई को मेरा माफीनामा समझू…."


"इतनी बेशर्म हो, खुद के बेटे का भी ले चुकी हो। इतने पाप करने के बाद 15 मिनिट के चुदाई में माफी पाना चाहती हो? इस चुदाई का मतलब तू मेरी ऑफिशियल रंडी है। जिस वक्त लौड़ा भड़केगा। वो भड़ास तेरी चूत शांत करेगी। तेरी जिस आदत ने हमारी जिंदगी के लोडे लगाए वही लोडे तेरे अंदर घुसाउंगा।"


वो कुछ बोली नही, बस उठके एक पेग बनाया और बालकनी के दरवाजे पर हाथ मे पेग लिए खड़ी हो गयी।


वो," मुझे मालूम है कि मेरे पाप धुलने वाले है नही, ठीक ही है ये , भुगतना मेरी तकदीर है।"


मैंने पीछे से जाकर पड़ा लन्ड गांड पे घिसते हुए हाथो के नीचे से कसते हुए चुचे मसलना चालू किया। वो ऐसे तिलमिलाइ जैसे वाइब्रेटर को चूत में बड़ी मात्रा में चलाया गया हो।


मैं," इतने साल में बहोत मौके थे गलती सुधारने के पर ये नशा तुमको ले डूबी रंडिया।" इतना बोल उसे वही झुकाकर उसके चूत में खुदाई चालू कर दी। रूम किचन बाथरूम वाले 1RK गेस्ट हाउस के हर कोने में रातभर मैं उसे चोदता रहा। और चूत में लन्ड रख ही सो गया। सुबह उठा तो दादी वैसे ही नंगी सोई थी। मेरा लन्ड उसके चूत में था।


तभी बाहर से आवाज आया," मालकिन उठ गए क्या? मैंने आपका काम कर दिया,...(इतने में दादी उठी, उसको उस सिन का अंदाजा आ गया और मुझे भी। वो उसको रोकती उससे पहले मैंने उसका मुह दबाया।)


आगे," काम कर दिया है… बड़ी मालकिन का और नए मालिक का प्रायवेट बातचीत का ऑडियो है मेरे पास, जल्दी दरवाजा खोलिये. कोई देख लेगा तो आफत आ जायेगी।"


मैं दादी के कान में, " तेरी गांड की चरबी उतरती ही नही है ना भोसडी वाली, उसको अभी अंदर बुला नॉर्मल में।" मैं दादी को अपने ऊपर लेकर सोने का नाटक किया। जैसे उसे लगे कि मैं दादी का बुलाया हुआ कॉल बॉय हु। इसके आसपास के लोगो को इसके आदतों के पता जरूर होगा है जाहिर सी बात है।


वो अंदर आ गयी," आपने जैसे बोला था वैसे बड़ी मालकिन और नए साब की अकेले में हुए बात मैंने कैसे वैसे रेकॉर्ड कर ली है। मेरा पैसा दो और रेकॉर्ड लेलो। इससे आपको आपका पार्टनर शिप मिल जाएगा इसकी गेरेन्टी है।"


दादी कुछ बोल नही रही थी। मौका उनके हाथ मे जाए उससे पहले मैंने मेरा मुह पीछे से बाहर निकाला," जिस थाली में खाओ उसी में छेद करो। पौराणिक काल से चला आ रहा है। पर आपका चेहरा जाना से क्यो लग रहा है? आप….?"



-------- और आगे--------


अपडेट जल्दी मिलने के लिए मुझे फॉलो करना न भूलियेगा और अपडेट का अभिप्राय जरुर देना. जल्द मिलेंगे.........
लास्ट का सीन तो और भी जबर्दस्त बना ........... इस नौकरनी का चेहरा जाना सा क्यों लग रहा है....... इसकी भी कहानी कुछ हटके होगी
 

MAD DEVIL

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● Season 1 || Episode 2

दो दिन के बाद फेमिली रजिस्ट्रेशन होने का समय था। मेरे शर्त के मुताबिक नानी ने एक आदमी को मेरा होटल रूम और गाड़ी का सब अतापता देने बोल दिया। मैं वैसे भी फेमिली टुगेदर के मूड में ना था, तो मौहोल ढलता देख वहां से उड़नछू होने की ताक में था। सब लोग अपने अपने काम मे मगन होने लगे। पर 4 आंखे थी जो मुझे चुभ रही थी और कुछ आखोको मैं चुभ रहा था। उसमें से मुझे चुभने वाली आँखे थी मेरी माँ, सौतेला बाप। तकरीबन 6, 7 साल बाद मुझे देख रहे थे वो। मा की आँखों मे कुछ ज्यादा ही प्यार और पश्चाताप का कॉकटेल टपक रहा था। अभीतक की आधी से ज्यादा जिंदगी अनाथ की तरह जीने के बाद उस औरत के लिए मेरे मन मे कुछ भी भाव नही थे। जो भी थे वो एक इंसानियत के नाते उभर रहे होंगे ऐसा मेरा मानना था। पर उस समय उसके इस मा का प्यार वाले जाल में फसना ना था।


कंगाल से अमीर बनने का ये काल मेरे लिए बहोत ज्यादा आनंद देने वाला होना चाहिए था पर मुझे वैसा अमीरजादे वाला रोल करने में कोई इंटरेस्ट ना था, क्योकि स्कूल कॉलेज में अमीरजादे लोगो का जो बर्ताव सहा था उससे अमीर होना नरक में जीने जैसे लगता था मुझे। मेरे बहोतसे दोस्त यातो मिडल क्लास या तो बहोत गरीब थे ,जिनकी वजह से मैं परेशानी भरी मेरी जिंदगी अबतक सहन कर पाया। उनके लिए कुछ कर पाऊंगा ये सोच नानी के ऑफर के बाद पहले जहन में आई मेरे। और दूसरी समाज ने माथे पर कलंक जैसे बिठाये मा बाप से बदला। इसी सोच विचार में डूबा था कि नानी ने मुझे अपने कमरे में बुला लिया।


3 मजली हवेली।नीचे किचन , स्टोर रूम , भगवान का मंदिर और प्लेइंग क्लब । पहला मजला नानी , मा और मामा का रूम। दूसरा मंजला सारे मौसी और तीसरे पर सारे बच्चे । हवेली के बाजू के एरिया मे गेस्ट हाउस । हवेली और गेस्ट हाउस के बीच मे स्विमिंगपुल। इतने अमीर घर का वारिसदार बचपन से लावारिस की तरह जी रहा था। जिंदगी भी क्या मोड़ लाती है। पर हर कोई गरीब से अमीर बनने में उल्हासी नही होता। फिरसे गरीब होने का डर ज्यादा रहता है।


मैं नानी के पीछे पीछे उनके कमरे में गया। सोफे पर बैठ गया। नानी," देख विकि, अभी जो बातें बताने जा रही हु वो ध्यान से सुनो।"


मैं," जी।"


" ये इंडस्ट्री, कॉरपोरेट के आका होना बाहरसे अमीर और ऐशो आराम का दिखता होगा आम लोगो का पर उन जगहों का मालकाना होना जिम्मेदारी का काम है। तुम्हारे साथ जो भी बचपन से हुआ वो निहायती गलत था ये मैं जानती हूं। तुम्हारा होना तुम्हारे दादी के नशे में बकने के वजह से मालूम पड़ा नही तो तुम्हारी माँ अपनी शादी बचाने और तेरे पिता मुझे डुबाने के लिए तुम्हे मरने छोड़ गए। ऐसा मत समझना कि मैं जहर घोल रही हु, पर जो है सच वो है। पर इसका परिणाम है कि इस घर मे जितने भी लोग है, मैं और तुम्हारे मा पिता से भी ज्यादा तुम्हे अभी के दुनियादारी की ज्यादा जानकारी और अनुभव है। पता नही क्यो पर अपने खुद के खुनो से ज्यादा तुमपे भरोसा है मुझे और इसकी वजह से मैंने तुम्हें ही नही सारे परिवार को अंधेरे में रख ये निर्णय लिया है। इतना जान लो, इंडस्ट्रीयलीस्ट होना अपने आप मे एक माफिया का हिस्सा होना है। और मेरे घर मे सारे गुंडे भरे पड़े है, तुम्हारा आना बहोत से लोगो को खटका है। यहां भी और इंडस्ट्री में भी। तुम्हारा पब्लिक इन्फॉर्मेशन अभीतक सारे इंडस्ट्री के बोर्ड पर गया होगा। तो अभी से अपनी इमेज और जान दोनों संभाल कर। " नानी रुक गयी।


मैं, "पहले भी बोल दिया और अभी भी बोल रहा हु, we are mutual. दुनियादारी में इतना मार खाने के बाद आपकी जगह महसूस कर सकता हु। मेरे भूतकाल के जिम्मेदार सिर्फ तीन लोग है और बाकियो पर मैं इसका इल्जाम नही लगाऊंगा। देर से क्यो न हो, आप मेरी नानी है, वारिसदार नही पर पोता होने के नाते से आपके सारे जिम्मेदारी और हुकुम मेरी जिम्मेदारी है। (नानी के आंखों में थोड़ी सी नर्मी थी, जैसे वो रो ही दे!)

आपने जो विश्वास दिखाया है उसके लिए धन्यवाद!! अभी बुढ़ापे के दिन मजेसे बितावो। झुनझुनवाला एम्पायर जैसे थाट में खड़ा है वैसे ही रहेगा, ये विकि का वादा है आपको।"


नानी खड़ी हो गयी, " विकि मैं तुम्हे गले लगा सकती हूं।"


मैं खुद उनके पास गया और उन्होंने बिना समय गवाए मुझे गले लगा दिया। नानी," दिल को जैसे सुकून आया है। तुम मेरी और इस झेड वी एम्पायर की आखरी उमीद हो। बस मेरे मरने तक मेरे साथ रहना यही आखरी ख्वाइश है।"


नानी के मुझे कस कर पकड़ा था, मेरा लन्ड फूलने लगा था। नानी करिब 57, 58 साल की भरे शरीर की औरत थी तो आदमी का गर्म होना आम था। मेरी हवस वाली गर्मी नानी को मालूम ना पड़ी हो ये हो नही सकता, औरते इसमे बहोत एक्सपर्ट होती है। नानी की गर्म सांसे दबाने की कोशिश की हुई सिसकी मुझे भी महसूस हुई।उनका हाथ पीठ से मेरे पिछवाड़े पर गया। अभी मेरा बम्बू तंबू बनने से कोई नही रुका सकता था।मेरा 7 इंच का बम्बू अभी बेंड हो रहा था और उसपर घर्षण भी महसूस हो रहा था। मैं खुदको कंट्रोल करने के लिए खुदको दूर करने लगा तो नानी ने और दबोच लिया। उनकी सांसे फूल रही थी, कनहते आवाज मेरे कानों में चेतना उभार रहे थे।


मेरे हाथ भी उनके उभरे गांड पर टिक गए। उनकी बड़ी सिसकी निकल गयी। और अचानक से उन्होंने अपनी जखड़न छोड़ दी। ऑर्गेजम हुआ लगता है। अपने पोते के साथ ऑर्गेजम करके भी उनकी आंखों में लज्जा या अपराध वाली भावना नही दिख रही थी।


वो," अभी तुम जावो चाहो तो आज गेस्ट रूम में नही तो होटल रूम में जाकर आराम करो। "


उनका साड़ी का पल्लू गिर गया था पर उन्होंने वैसे ही ब्लाउज में मेरे सामने से मोड़ लिया और बेड पर जाकर बैठ गयी और किसी के फोटो को देखने लगी। भावना की तीव्रता से वो इस घर के गॉडफादर उनके पति होंगे ऐसे लग रहा था। मैं वहां से बाहर निकला।


बाहर निकलते ही सामने हमारी पूज्य माताजी खड़ी थी और पीछे बॉडीगार्ड की तरह उनके नये यार। मैं वो लोग वहां पर नही है ऐसा दिखावा करते हुए वहां से निकलने लगा। तभी सौतेले बाप का आवाज कान पर पड़ा, " बेटा विकि, कैसे हो?" मैंने उसे भी इग्नोर किया।


माताजी," तुम्हारे पापा ने कुछ पूछा है विकि, ऐसे बत्तमीजी मत करो ।"


अभी दिमाग का भोसड़ा हो रहा था मेरे, " माननीय सुशीला देवीजी, मेरे मा बाप की मौत होकर अठरह साल हो चुके है , आपको कुछ गलतफहमी हो रही है लगता है। और हा मा बाप के बिना पले बढ़े बच्चो में तमीज ना होवे है। चल वंटास!!


सौतेला बाप," ये क्या तरीका है अपने मा से बात करने का विकि!?" मा ने करीब करीब आँसू ढल दिए थे।


" मिस्टर कॉल बॉय, कान में कुछ लिया है क्या आपने? सुनाई नही देता। " मेरे इस बत्तमीजी पे मा भड़क गई और आगे बढ़ मेरे कान के नीचे बजा दी। मेरा सौतेला बाप शोक हो गया। उसने मा को पीछे लिया।


वो," सोरी विकि तुम्हारी माँ का ऐसा दिल से कोई इरादा नही था।"


मैं हस दिया चेतन(सौतेला बाप ) को अनदेखा कर, " सुशीलादेवी जी, कपड़ो से गरीब बेचारा हु समझ ये बड़ी गलती कर दी आपने। और चेतन दी कॉल बॉय…" इतना बोल मैंने उसके कान के नीचे दो बार सीधे और उल्टे हाथ का दे दिया। ये देख मा तो घबराई सी गयी, चेतन सुन्न पड़ गया, " सुन चूतिये पहिला तेरे कान का इलाज था, फिर बोल रहा हु मेरे मा बाप अठरह साल पहले मर चुके है। और दूसरा तेरी रंडी के हिस्से का, समाज का नियम पालते हुए औरत पे हाथ नही उठाया। पर हर बार ऐसा नियम पालन होगा ये मत समझना।"


दोनों मेरे रास्ते से बाजू हुए, परिवार के बहोत से लोग फिरसे डायनिंग के पास दिखाई दिए। रात के खाने का समय था शायद उनके। कुछ लोग शोक में तो कुछ लोग हल्के से हसि के मुह लेकर मेरी नजर बचानी की कोशिश करने लगे। मैं आज बहोत थका था तो नानी के कहने के अनुसार गेस्ट हाउस चला गया।


मेरे गेस्ट हाउस की ओर जाने के बाद**


रितु," पापा आपका अपोजिशन तगड़ा मालूम पड़ता है।"

नीतू,"सही कहे हो दी, पापा अपनी कुर्सी कस के पकड़े रहो।"


यशवंत और नीलेश ने बस बेटियो को गंभीरता भरी नजर देकर खाना चालू किया।


"अच्छा खासा मुड़ बन गया था नानी के साथ। पूरा कचरा कर दिया इन लोगो ने।" ऐसे सोचते सोचते मैं गेस्ट हाउस की ओर चला गया और जैसे ही रूम में गया सामने देखा कि दादी सोफे पे दारू पीते हुए बैठी थी। अब तो मेरा सर गुस्से से फट रहा था। मैं वैसे ही बाहर जाने लगा तो उसने पुकारा, " गुस्सा मत हो विकि, तुम्हारा गुस्सा जायज है और मुझे माफी न मिलना भी। तुम आज यहां आराम करो मैं स्टोअर रूम में जाति हु। तुम अभी मालिक हो इस घर, हवेली,जायदाद के। अभी खुश रहो।"


कुछ देर के लिए मुझे ये ध्यान में ही नही रहा कि, जी हां ये हजार करोड़ के एम्पायर का मालिक हुआ हूं मैं। तकरीबन नानी का 40 और मा का रजिस्टर बेटा होने के बाद मेरा 20 शेअर मिलाके 60 परसेन्ट हो जाएगा जो मैनेजमेंट के मीटिंग के बाद नानी तो वैसे भी मुझे ही दे देगी, उनके वासनावो भरी भावना से तो ऐसे ही महसूस हो रहा है।


मुह नीचे कर दादी गेस्ट रूम से बाहर जाने लगी। मेरे आने से जैसे उनकी सारी नशा उतर गई हो। मुझे इस मुड में नींद तो आने नही वाली थी नानी ने आधा खड़ा कर छोड़ा और माँ और चेतन ने दिमाग का भोसड़ा किया था। फस्ट्रेशन सा हो गया था।


मैं," प्रमिलादेवी जी…"


दादी रुक गयी और घूम गयी। उनकी आंखें नीचे ही थी।


मैं," ये रंडीबाजी , दारूबाजी करके क्या पा लिया जिंदगी में आपने? अभी मुह नीचे कर शर्मनाक होने का क्या मतलब बनता है? "


दादी बस सुने जा रही थी। गुनहगार का काम की वही होता है। गुनाह साबित हो तो क्या अपील करे, है कि नही!?


मैंने आगे बढ़ उनकी गर्दन ऊपर की । 58 साल की नशे में धुत बुढ़िया आज भी चुदवाने का शौक रखती है। वो नाइटी में थी। गर्दन के थोड़ा नीचे से घुटने तक थोड़ा ट्रांसपरेंट गाउन जैसा जो दो धागों से कंधो के सहारे लटक रहा हो ऐसा कपड़ा। विस्की वाइन की मिक्स परफ्यूम मारा हुआ। लटके चुचे तो तकरीबन दिख रहे थे। काफी चरबिलि थी तो, चुचे भी चरबिले (Fat) थे। पैंटी का कॉर्नर ऑंखोंको महसूस हो रहा था।


वो कुछ बोलती उससे पहले मैंने उसके गर्दन को जखड़ ओंठो को चूसना चालू किया। ऐसा दृश्य था कि उसने पी हुई दारू मैं उसके ओठो से फिरसे पी रहा हु। उसने थोड़ा विरोध किया पर पैदाइशी हवस और नशे और उम्र से आई कमजोरी ने उसे हरा दिया। मैं उनको खींचा और सोफे पर बैठ उन्हें जांघ पे बिठा दिया।


कुछ समय तक ओंठ चूसते चूसते। उनके चुचे और चूत दोनों मसल मसल के गर्म कर दिए।एक हाथ से नाइटी गाउन ऊपर कर पेंटी को निकाल दिया और ऊपर से गाउन खींच चुचो को आझाद कर उन्हें बारीबारी चूसने लगा। उनके मुह से आह उम्म आह ममममम आह सिसकारियों का जैसे संगीत बज रहा था। कुछ देर बाद चुचे निचोड़ने के बाद बेड पर ले जा के 69 पोजिशन पकड़ ली। उसने मेरा जीन्स निकाला और पागल की तरह चूसने लगी।मैं भी चूत को चांट चांट के मजे ले रहा था। रंडिया इस उम्र में भी हाइजेनिक थी। पूरा साफ सुधरा चूत था इसका। पहले सोफा और बाद में 69 में दो बार पानी निकाल दिया था दादी ने। बेहोश न होजाये इसलिए मैंने सीधा होकर लन्ड चूत में घुसाके उसको उड़ाना चालू किया। वो चुचो के साथ हवा वे सैर कर रही थी।


आह आह मैया मोरी अअअअ हआ आ आ उम्म चौद जोर से फर् फक फक फक आह……..


थोड़ी देर बाद उसको पेट के बल सुलाक़े ऊपर सोया और लन्ड सेट कर ऊपर से चुदाई शुरू की। बेड से कहि अच्छा उसका बदन मुझे महसूस हो रहा था।कुछ देर हैवानियत की तरह भड़ास निकलने के बाद मैंने मेरा पानी उसके मुह में दे दिया।


बुढ़िया थक चुकी थी , हांफते हुए बोली, " बेटा बाप से भी ज्यादा जोशीला है, तेरा स्टेमिना तुझे बहोत दूर ले जाएगा। इस चुदाई को मेरा माफीनामा समझू…."


"इतनी बेशर्म हो, खुद के बेटे का भी ले चुकी हो। इतने पाप करने के बाद 15 मिनिट के चुदाई में माफी पाना चाहती हो? इस चुदाई का मतलब तू मेरी ऑफिशियल रंडी है। जिस वक्त लौड़ा भड़केगा। वो भड़ास तेरी चूत शांत करेगी। तेरी जिस आदत ने हमारी जिंदगी के लोडे लगाए वही लोडे तेरे अंदर घुसाउंगा।"


वो कुछ बोली नही, बस उठके एक पेग बनाया और बालकनी के दरवाजे पर हाथ मे पेग लिए खड़ी हो गयी।


वो," मुझे मालूम है कि मेरे पाप धुलने वाले है नही, ठीक ही है ये , भुगतना मेरी तकदीर है।"


मैंने पीछे से जाकर पड़ा लन्ड गांड पे घिसते हुए हाथो के नीचे से कसते हुए चुचे मसलना चालू किया। वो ऐसे तिलमिलाइ जैसे वाइब्रेटर को चूत में बड़ी मात्रा में चलाया गया हो।


मैं," इतने साल में बहोत मौके थे गलती सुधारने के पर ये नशा तुमको ले डूबी रंडिया।" इतना बोल उसे वही झुकाकर उसके चूत में खुदाई चालू कर दी। रूम किचन बाथरूम वाले 1RK गेस्ट हाउस के हर कोने में रातभर मैं उसे चोदता रहा। और चूत में लन्ड रख ही सो गया। सुबह उठा तो दादी वैसे ही नंगी सोई थी। मेरा लन्ड उसके चूत में था।


तभी बाहर से आवाज आया," मालकिन उठ गए क्या? मैंने आपका काम कर दिया,...(इतने में दादी उठी, उसको उस सिन का अंदाजा आ गया और मुझे भी। वो उसको रोकती उससे पहले मैंने उसका मुह दबाया।)


आगे," काम कर दिया है… बड़ी मालकिन का और नए मालिक का प्रायवेट बातचीत का ऑडियो है मेरे पास, जल्दी दरवाजा खोलिये. कोई देख लेगा तो आफत आ जायेगी।"


मैं दादी के कान में, " तेरी गांड की चरबी उतरती ही नही है ना भोसडी वाली, उसको अभी अंदर बुला नॉर्मल में।" मैं दादी को अपने ऊपर लेकर सोने का नाटक किया। जैसे उसे लगे कि मैं दादी का बुलाया हुआ कॉल बॉय हु। इसके आसपास के लोगो को इसके आदतों के पता जरूर होगा है जाहिर सी बात है।


वो अंदर आ गयी," आपने जैसे बोला था वैसे बड़ी मालकिन और नए साब की अकेले में हुए बात मैंने कैसे वैसे रेकॉर्ड कर ली है। मेरा पैसा दो और रेकॉर्ड लेलो। इससे आपको आपका पार्टनर शिप मिल जाएगा इसकी गेरेन्टी है।"


दादी कुछ बोल नही रही थी। मौका उनके हाथ मे जाए उससे पहले मैंने मेरा मुह पीछे से बाहर निकाला," जिस थाली में खाओ उसी में छेद करो। पौराणिक काल से चला आ रहा है। पर आपका चेहरा जाना से क्यो लग रहा है? आप….?"



-------- और आगे--------


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Wow solid dia update yr
Sala ye family bi bdi ajeeb hai warris na hone ke karan agar VICKY ki yaad aagy or usse pehle jee rha hai ya marr rha hai ki h pta ni
.
VICKY ki Nani ke hisaab se ghr me he kuch dushman hai shyad reason simple hai daulat
Or shyad islye Vicky ki Maa or stepdad ne Vicky se bat krne ki try Kia ab is bat me kitni sacchaii hai ye to update btayga
.
But ye Dadi bi ajeeb nikli pehle istrh reaction dia jaise bhot pachtava horha ho apne kia pr or last me naukarani ne aake Jo bola usse to yhe lgta ye bi kuch km shatir ni
Aakhir ye naukrani kn hai jisko dekh ke Vicky ko Jana pechana lgi wo
.
VERY WELL UPDATE BHAI
 

Dhansu2

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● Season 1 || Episode 2

दो दिन के बाद फेमिली रजिस्ट्रेशन होने का समय था। मेरे शर्त के मुताबिक नानी ने एक आदमी को मेरा होटल रूम और गाड़ी का सब अतापता देने बोल दिया। मैं वैसे भी फेमिली टुगेदर के मूड में ना था, तो मौहोल ढलता देख वहां से उड़नछू होने की ताक में था। सब लोग अपने अपने काम मे मगन होने लगे। पर 4 आंखे थी जो मुझे चुभ रही थी और कुछ आखोको मैं चुभ रहा था। उसमें से मुझे चुभने वाली आँखे थी मेरी माँ, सौतेला बाप। तकरीबन 6, 7 साल बाद मुझे देख रहे थे वो। मा की आँखों मे कुछ ज्यादा ही प्यार और पश्चाताप का कॉकटेल टपक रहा था। अभीतक की आधी से ज्यादा जिंदगी अनाथ की तरह जीने के बाद उस औरत के लिए मेरे मन मे कुछ भी भाव नही थे। जो भी थे वो एक इंसानियत के नाते उभर रहे होंगे ऐसा मेरा मानना था। पर उस समय उसके इस मा का प्यार वाले जाल में फसना ना था।


कंगाल से अमीर बनने का ये काल मेरे लिए बहोत ज्यादा आनंद देने वाला होना चाहिए था पर मुझे वैसा अमीरजादे वाला रोल करने में कोई इंटरेस्ट ना था, क्योकि स्कूल कॉलेज में अमीरजादे लोगो का जो बर्ताव सहा था उससे अमीर होना नरक में जीने जैसे लगता था मुझे। मेरे बहोतसे दोस्त यातो मिडल क्लास या तो बहोत गरीब थे ,जिनकी वजह से मैं परेशानी भरी मेरी जिंदगी अबतक सहन कर पाया। उनके लिए कुछ कर पाऊंगा ये सोच नानी के ऑफर के बाद पहले जहन में आई मेरे। और दूसरी समाज ने माथे पर कलंक जैसे बिठाये मा बाप से बदला। इसी सोच विचार में डूबा था कि नानी ने मुझे अपने कमरे में बुला लिया।


3 मजली हवेली।नीचे किचन , स्टोर रूम , भगवान का मंदिर और प्लेइंग क्लब । पहला मजला नानी , मा और मामा का रूम। दूसरा मंजला सारे मौसी और तीसरे पर सारे बच्चे । हवेली के बाजू के एरिया मे गेस्ट हाउस । हवेली और गेस्ट हाउस के बीच मे स्विमिंगपुल। इतने अमीर घर का वारिसदार बचपन से लावारिस की तरह जी रहा था। जिंदगी भी क्या मोड़ लाती है। पर हर कोई गरीब से अमीर बनने में उल्हासी नही होता। फिरसे गरीब होने का डर ज्यादा रहता है।


मैं नानी के पीछे पीछे उनके कमरे में गया। सोफे पर बैठ गया। नानी," देख विकि, अभी जो बातें बताने जा रही हु वो ध्यान से सुनो।"


मैं," जी।"


" ये इंडस्ट्री, कॉरपोरेट के आका होना बाहरसे अमीर और ऐशो आराम का दिखता होगा आम लोगो का पर उन जगहों का मालकाना होना जिम्मेदारी का काम है। तुम्हारे साथ जो भी बचपन से हुआ वो निहायती गलत था ये मैं जानती हूं। तुम्हारा होना तुम्हारे दादी के नशे में बकने के वजह से मालूम पड़ा नही तो तुम्हारी माँ अपनी शादी बचाने और तेरे पिता मुझे डुबाने के लिए तुम्हे मरने छोड़ गए। ऐसा मत समझना कि मैं जहर घोल रही हु, पर जो है सच वो है। पर इसका परिणाम है कि इस घर मे जितने भी लोग है, मैं और तुम्हारे मा पिता से भी ज्यादा तुम्हे अभी के दुनियादारी की ज्यादा जानकारी और अनुभव है। पता नही क्यो पर अपने खुद के खुनो से ज्यादा तुमपे भरोसा है मुझे और इसकी वजह से मैंने तुम्हें ही नही सारे परिवार को अंधेरे में रख ये निर्णय लिया है। इतना जान लो, इंडस्ट्रीयलीस्ट होना अपने आप मे एक माफिया का हिस्सा होना है। और मेरे घर मे सारे गुंडे भरे पड़े है, तुम्हारा आना बहोत से लोगो को खटका है। यहां भी और इंडस्ट्री में भी। तुम्हारा पब्लिक इन्फॉर्मेशन अभीतक सारे इंडस्ट्री के बोर्ड पर गया होगा। तो अभी से अपनी इमेज और जान दोनों संभाल कर। " नानी रुक गयी।


मैं, "पहले भी बोल दिया और अभी भी बोल रहा हु, we are mutual. दुनियादारी में इतना मार खाने के बाद आपकी जगह महसूस कर सकता हु। मेरे भूतकाल के जिम्मेदार सिर्फ तीन लोग है और बाकियो पर मैं इसका इल्जाम नही लगाऊंगा। देर से क्यो न हो, आप मेरी नानी है, वारिसदार नही पर पोता होने के नाते से आपके सारे जिम्मेदारी और हुकुम मेरी जिम्मेदारी है। (नानी के आंखों में थोड़ी सी नर्मी थी, जैसे वो रो ही दे!)

आपने जो विश्वास दिखाया है उसके लिए धन्यवाद!! अभी बुढ़ापे के दिन मजेसे बितावो। झुनझुनवाला एम्पायर जैसे थाट में खड़ा है वैसे ही रहेगा, ये विकि का वादा है आपको।"


नानी खड़ी हो गयी, " विकि मैं तुम्हे गले लगा सकती हूं।"


मैं खुद उनके पास गया और उन्होंने बिना समय गवाए मुझे गले लगा दिया। नानी," दिल को जैसे सुकून आया है। तुम मेरी और इस झेड वी एम्पायर की आखरी उमीद हो। बस मेरे मरने तक मेरे साथ रहना यही आखरी ख्वाइश है।"


नानी के मुझे कस कर पकड़ा था, मेरा लन्ड फूलने लगा था। नानी करिब 57, 58 साल की भरे शरीर की औरत थी तो आदमी का गर्म होना आम था। मेरी हवस वाली गर्मी नानी को मालूम ना पड़ी हो ये हो नही सकता, औरते इसमे बहोत एक्सपर्ट होती है। नानी की गर्म सांसे दबाने की कोशिश की हुई सिसकी मुझे भी महसूस हुई।उनका हाथ पीठ से मेरे पिछवाड़े पर गया। अभी मेरा बम्बू तंबू बनने से कोई नही रुका सकता था।मेरा 7 इंच का बम्बू अभी बेंड हो रहा था और उसपर घर्षण भी महसूस हो रहा था। मैं खुदको कंट्रोल करने के लिए खुदको दूर करने लगा तो नानी ने और दबोच लिया। उनकी सांसे फूल रही थी, कनहते आवाज मेरे कानों में चेतना उभार रहे थे।


मेरे हाथ भी उनके उभरे गांड पर टिक गए। उनकी बड़ी सिसकी निकल गयी। और अचानक से उन्होंने अपनी जखड़न छोड़ दी। ऑर्गेजम हुआ लगता है। अपने पोते के साथ ऑर्गेजम करके भी उनकी आंखों में लज्जा या अपराध वाली भावना नही दिख रही थी।


वो," अभी तुम जावो चाहो तो आज गेस्ट रूम में नही तो होटल रूम में जाकर आराम करो। "


उनका साड़ी का पल्लू गिर गया था पर उन्होंने वैसे ही ब्लाउज में मेरे सामने से मोड़ लिया और बेड पर जाकर बैठ गयी और किसी के फोटो को देखने लगी। भावना की तीव्रता से वो इस घर के गॉडफादर उनके पति होंगे ऐसे लग रहा था। मैं वहां से बाहर निकला।


बाहर निकलते ही सामने हमारी पूज्य माताजी खड़ी थी और पीछे बॉडीगार्ड की तरह उनके नये यार। मैं वो लोग वहां पर नही है ऐसा दिखावा करते हुए वहां से निकलने लगा। तभी सौतेले बाप का आवाज कान पर पड़ा, " बेटा विकि, कैसे हो?" मैंने उसे भी इग्नोर किया।


माताजी," तुम्हारे पापा ने कुछ पूछा है विकि, ऐसे बत्तमीजी मत करो ।"


अभी दिमाग का भोसड़ा हो रहा था मेरे, " माननीय सुशीला देवीजी, मेरे मा बाप की मौत होकर अठरह साल हो चुके है , आपको कुछ गलतफहमी हो रही है लगता है। और हा मा बाप के बिना पले बढ़े बच्चो में तमीज ना होवे है। चल वंटास!!


सौतेला बाप," ये क्या तरीका है अपने मा से बात करने का विकि!?" मा ने करीब करीब आँसू ढल दिए थे।


" मिस्टर कॉल बॉय, कान में कुछ लिया है क्या आपने? सुनाई नही देता। " मेरे इस बत्तमीजी पे मा भड़क गई और आगे बढ़ मेरे कान के नीचे बजा दी। मेरा सौतेला बाप शोक हो गया। उसने मा को पीछे लिया।


वो," सोरी विकि तुम्हारी माँ का ऐसा दिल से कोई इरादा नही था।"


मैं हस दिया चेतन(सौतेला बाप ) को अनदेखा कर, " सुशीलादेवी जी, कपड़ो से गरीब बेचारा हु समझ ये बड़ी गलती कर दी आपने। और चेतन दी कॉल बॉय…" इतना बोल मैंने उसके कान के नीचे दो बार सीधे और उल्टे हाथ का दे दिया। ये देख मा तो घबराई सी गयी, चेतन सुन्न पड़ गया, " सुन चूतिये पहिला तेरे कान का इलाज था, फिर बोल रहा हु मेरे मा बाप अठरह साल पहले मर चुके है। और दूसरा तेरी रंडी के हिस्से का, समाज का नियम पालते हुए औरत पे हाथ नही उठाया। पर हर बार ऐसा नियम पालन होगा ये मत समझना।"


दोनों मेरे रास्ते से बाजू हुए, परिवार के बहोत से लोग फिरसे डायनिंग के पास दिखाई दिए। रात के खाने का समय था शायद उनके। कुछ लोग शोक में तो कुछ लोग हल्के से हसि के मुह लेकर मेरी नजर बचानी की कोशिश करने लगे। मैं आज बहोत थका था तो नानी के कहने के अनुसार गेस्ट हाउस चला गया।


मेरे गेस्ट हाउस की ओर जाने के बाद**


रितु," पापा आपका अपोजिशन तगड़ा मालूम पड़ता है।"

नीतू,"सही कहे हो दी, पापा अपनी कुर्सी कस के पकड़े रहो।"


यशवंत और नीलेश ने बस बेटियो को गंभीरता भरी नजर देकर खाना चालू किया।


"अच्छा खासा मुड़ बन गया था नानी के साथ। पूरा कचरा कर दिया इन लोगो ने।" ऐसे सोचते सोचते मैं गेस्ट हाउस की ओर चला गया और जैसे ही रूम में गया सामने देखा कि दादी सोफे पे दारू पीते हुए बैठी थी। अब तो मेरा सर गुस्से से फट रहा था। मैं वैसे ही बाहर जाने लगा तो उसने पुकारा, " गुस्सा मत हो विकि, तुम्हारा गुस्सा जायज है और मुझे माफी न मिलना भी। तुम आज यहां आराम करो मैं स्टोअर रूम में जाति हु। तुम अभी मालिक हो इस घर, हवेली,जायदाद के। अभी खुश रहो।"


कुछ देर के लिए मुझे ये ध्यान में ही नही रहा कि, जी हां ये हजार करोड़ के एम्पायर का मालिक हुआ हूं मैं। तकरीबन नानी का 40 और मा का रजिस्टर बेटा होने के बाद मेरा 20 शेअर मिलाके 60 परसेन्ट हो जाएगा जो मैनेजमेंट के मीटिंग के बाद नानी तो वैसे भी मुझे ही दे देगी, उनके वासनावो भरी भावना से तो ऐसे ही महसूस हो रहा है।


मुह नीचे कर दादी गेस्ट रूम से बाहर जाने लगी। मेरे आने से जैसे उनकी सारी नशा उतर गई हो। मुझे इस मुड में नींद तो आने नही वाली थी नानी ने आधा खड़ा कर छोड़ा और माँ और चेतन ने दिमाग का भोसड़ा किया था। फस्ट्रेशन सा हो गया था।


मैं," प्रमिलादेवी जी…"


दादी रुक गयी और घूम गयी। उनकी आंखें नीचे ही थी।


मैं," ये रंडीबाजी , दारूबाजी करके क्या पा लिया जिंदगी में आपने? अभी मुह नीचे कर शर्मनाक होने का क्या मतलब बनता है? "


दादी बस सुने जा रही थी। गुनहगार का काम की वही होता है। गुनाह साबित हो तो क्या अपील करे, है कि नही!?


मैंने आगे बढ़ उनकी गर्दन ऊपर की । 58 साल की नशे में धुत बुढ़िया आज भी चुदवाने का शौक रखती है। वो नाइटी में थी। गर्दन के थोड़ा नीचे से घुटने तक थोड़ा ट्रांसपरेंट गाउन जैसा जो दो धागों से कंधो के सहारे लटक रहा हो ऐसा कपड़ा। विस्की वाइन की मिक्स परफ्यूम मारा हुआ। लटके चुचे तो तकरीबन दिख रहे थे। काफी चरबिलि थी तो, चुचे भी चरबिले (Fat) थे। पैंटी का कॉर्नर ऑंखोंको महसूस हो रहा था।


वो कुछ बोलती उससे पहले मैंने उसके गर्दन को जखड़ ओंठो को चूसना चालू किया। ऐसा दृश्य था कि उसने पी हुई दारू मैं उसके ओठो से फिरसे पी रहा हु। उसने थोड़ा विरोध किया पर पैदाइशी हवस और नशे और उम्र से आई कमजोरी ने उसे हरा दिया। मैं उनको खींचा और सोफे पर बैठ उन्हें जांघ पे बिठा दिया।


कुछ समय तक ओंठ चूसते चूसते। उनके चुचे और चूत दोनों मसल मसल के गर्म कर दिए।एक हाथ से नाइटी गाउन ऊपर कर पेंटी को निकाल दिया और ऊपर से गाउन खींच चुचो को आझाद कर उन्हें बारीबारी चूसने लगा। उनके मुह से आह उम्म आह ममममम आह सिसकारियों का जैसे संगीत बज रहा था। कुछ देर बाद चुचे निचोड़ने के बाद बेड पर ले जा के 69 पोजिशन पकड़ ली। उसने मेरा जीन्स निकाला और पागल की तरह चूसने लगी।मैं भी चूत को चांट चांट के मजे ले रहा था। रंडिया इस उम्र में भी हाइजेनिक थी। पूरा साफ सुधरा चूत था इसका। पहले सोफा और बाद में 69 में दो बार पानी निकाल दिया था दादी ने। बेहोश न होजाये इसलिए मैंने सीधा होकर लन्ड चूत में घुसाके उसको उड़ाना चालू किया। वो चुचो के साथ हवा वे सैर कर रही थी।


आह आह मैया मोरी अअअअ हआ आ आ उम्म चौद जोर से फर् फक फक फक आह……..


थोड़ी देर बाद उसको पेट के बल सुलाक़े ऊपर सोया और लन्ड सेट कर ऊपर से चुदाई शुरू की। बेड से कहि अच्छा उसका बदन मुझे महसूस हो रहा था।कुछ देर हैवानियत की तरह भड़ास निकलने के बाद मैंने मेरा पानी उसके मुह में दे दिया।


बुढ़िया थक चुकी थी , हांफते हुए बोली, " बेटा बाप से भी ज्यादा जोशीला है, तेरा स्टेमिना तुझे बहोत दूर ले जाएगा। इस चुदाई को मेरा माफीनामा समझू…."


"इतनी बेशर्म हो, खुद के बेटे का भी ले चुकी हो। इतने पाप करने के बाद 15 मिनिट के चुदाई में माफी पाना चाहती हो? इस चुदाई का मतलब तू मेरी ऑफिशियल रंडी है। जिस वक्त लौड़ा भड़केगा। वो भड़ास तेरी चूत शांत करेगी। तेरी जिस आदत ने हमारी जिंदगी के लोडे लगाए वही लोडे तेरे अंदर घुसाउंगा।"


वो कुछ बोली नही, बस उठके एक पेग बनाया और बालकनी के दरवाजे पर हाथ मे पेग लिए खड़ी हो गयी।


वो," मुझे मालूम है कि मेरे पाप धुलने वाले है नही, ठीक ही है ये , भुगतना मेरी तकदीर है।"


मैंने पीछे से जाकर पड़ा लन्ड गांड पे घिसते हुए हाथो के नीचे से कसते हुए चुचे मसलना चालू किया। वो ऐसे तिलमिलाइ जैसे वाइब्रेटर को चूत में बड़ी मात्रा में चलाया गया हो।


मैं," इतने साल में बहोत मौके थे गलती सुधारने के पर ये नशा तुमको ले डूबी रंडिया।" इतना बोल उसे वही झुकाकर उसके चूत में खुदाई चालू कर दी। रूम किचन बाथरूम वाले 1RK गेस्ट हाउस के हर कोने में रातभर मैं उसे चोदता रहा। और चूत में लन्ड रख ही सो गया। सुबह उठा तो दादी वैसे ही नंगी सोई थी। मेरा लन्ड उसके चूत में था।


तभी बाहर से आवाज आया," मालकिन उठ गए क्या? मैंने आपका काम कर दिया,...(इतने में दादी उठी, उसको उस सिन का अंदाजा आ गया और मुझे भी। वो उसको रोकती उससे पहले मैंने उसका मुह दबाया।)


आगे," काम कर दिया है… बड़ी मालकिन का और नए मालिक का प्रायवेट बातचीत का ऑडियो है मेरे पास, जल्दी दरवाजा खोलिये. कोई देख लेगा तो आफत आ जायेगी।"


मैं दादी के कान में, " तेरी गांड की चरबी उतरती ही नही है ना भोसडी वाली, उसको अभी अंदर बुला नॉर्मल में।" मैं दादी को अपने ऊपर लेकर सोने का नाटक किया। जैसे उसे लगे कि मैं दादी का बुलाया हुआ कॉल बॉय हु। इसके आसपास के लोगो को इसके आदतों के पता जरूर होगा है जाहिर सी बात है।


वो अंदर आ गयी," आपने जैसे बोला था वैसे बड़ी मालकिन और नए साब की अकेले में हुए बात मैंने कैसे वैसे रेकॉर्ड कर ली है। मेरा पैसा दो और रेकॉर्ड लेलो। इससे आपको आपका पार्टनर शिप मिल जाएगा इसकी गेरेन्टी है।"


दादी कुछ बोल नही रही थी। मौका उनके हाथ मे जाए उससे पहले मैंने मेरा मुह पीछे से बाहर निकाला," जिस थाली में खाओ उसी में छेद करो। पौराणिक काल से चला आ रहा है। पर आपका चेहरा जाना से क्यो लग रहा है? आप….?"



-------- और आगे--------


अपडेट जल्दी मिलने के लिए मुझे फॉलो करना न भूलियेगा और अपडेट का अभिप्राय जरुर देना. जल्द मिलेंगे.........
Mast jabardast update
 
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