अंकित सही समय पर आकर अपनी मां को दवा खाने ले गया था और वहां से दवा दिला कर वापस घर पर ले आया था शाम के वक्त ब्लड और पेशाब का रिपोर्ट लेने जब दवा खाने गया तो वहां पता चला कि ज्यादा कुछ नहीं बस हल्का सा मलेरिया का असर था,,, रिपोर्ट के बारे में सुनकर अंकित को थोड़ी राहत हुई,,, और वह यह खबर जब घर पर पहुंच कर अपनी मां को दिया तो वह हैरान हो गई,,, अपने रिपोर्ट के बारे में सुनकर नहीं बल्कि ब्लड और पेशाब के सैंपल के बारे में सोचकर,,,।
तृप्ति जब रिपोर्ट के बारे में सुनी तो उसे भी राहत हुई और वहां अपनी मां से बोली की तीन दिनों तक वह बिल्कुल भी काम ना करें मैं दोनों टाइम पर खाना बना लूंगी और घर का काम कर लूंगी और चाय बनाने के लिए वह रसोई घर में चली गई,,, कमरे में केवल अंकित और उसकी मां थी,,,, अंकित इस बारे में बिल्कुल भी नहीं जानता था कि उसकी मां को ब्लड और पेशाब के सैंपल के बारे में कुछ भी पता नहीं है,, इसलिए वह आराम से अपनी मां के पास बैठ गया उसकी मां भी धीरे से उठकर दीवार का टेका लेकर बिस्तर पर बैठी रह गई,,, और पिछले चार-पांच घंटे के बारे में सोचने लगी जो कि उसके जेहन में बिल्कुल भी उसे पल की तस्वीर नहीं छपी हुई थी जिसके बारे में वह सोचने की कोशिश कर रही थी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था वह पूरी कोशिश कर रही थी उन सब के बारे में सोने के लिए लेकिन उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा था यह सब कैसे हुआ कब हुआ उसे कुछ मालूम नहीं था और अंकित था कि अपनी मां को सहज होता हुआ देखकर बहुत खुश नजर आ रहा था,,,।
वैसे भी आज बाथरूम में जो कुछ भी हुआ था उसके बारे में सोचकर उत्तेजना की चिंगारी रह रहकर उसके तन बदन में जवानी के शोले को भड़का दे रही थी क्योंकि बाथरूम वाला नजारा ही कुछ गजब का था,, क्योंकि वह बार-बार अपने मन में यही सोच रहा था कि जिस तरह का मौका उसे दवा खाने के बाथरूम में मिला अगर वही मौका घर के बाथरूम में मिल जाए तो वह अपनी मां की बुर का भोसड़ा बना देगा,,,, अपनी मां की खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए अंकित बोला,,,।
अब कैसा लग रहा है मम्मी,,,?
अभी तो ठीक लग रहा है लेकिन बदन में थोड़ा-थोड़ा दर्द है,,,(अंकित के सवाल पर अंकित की तरफ देखते हुए सुगंधा बोली,,,)
मैं दवा लेकर आया हूं चाय पीने के बाद दवा पी लेना दर्द भी ठीक हो जाएगा,,,,।
वह सब तो ठीक है लेकिन ब्लड और पेशाब की सैंपल का क्या माजरा है,,।
अरे मम्मी तुम्हारी तबीयत ही कुछ ज्यादा खराब थी इसलिए डॉक्टर को ब्लू और पेशाब का सैंपल लेना पड़ा रिपोर्ट के लिए और यह तो अच्छा हुआ कि रिपोर्ट में ज्यादा कुछ निकला नहीं बस हल्का सा मलेरिया कस रही है जो की दवा खाने के बाद दो-तीन दिन में ही सब सही हो जाएगा,,,,।
अरे वह सब तो ठीक है लेकिन जो कुछ भी हुआ मुझे उसके बारे में कुछ भी याद नहीं है,,,।
मम्मी तुम्हारी तबीयत इतनी खराब थी कि मैं ही तुम्हें सहारा देकर घर के बाहर ले गया औटो किया और वहां से दवा खाने ले गया,,,,।
तु मुझे दवा खाने ले गया,,, तो तृप्ति कहां थी,,,,?(एकदम आश्चर्य जताते हुए सुगंधा बोली,,)
तृप्ति कहां थी वह तो ट्यूशन गई हुई थी मै हीं तुम्हें दवा खाने ले गया था,,,,।
मतलब तेरे साथ तृप्ति नहीं थी,,,(फिर से हैरान होते हुए बोली)
क्या मम्मी बता तो रहा हूं कि मैं ही तुम्हें दवा खाने ले गया था तृप्ति को घर पर थी ही नहीं तुम बीमार हो इस बारे में तो तृप्ति को घर पर आने पर पता चला,,, क्या तुम्हें सच में कुछ भी याद नहीं है,,,।
नहीं मुझे तो बिल्कुल भी याद नहीं है मुझे इतनी जोर का बुखार था कि होश ही नहीं था,,,।
तभी तो तुम्हारी हालत देखकर डॉक्टर ने रिपोर्ट निकालने के लिए बोला था,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा के होश उड़ने लगे क्योंकि उसे कुछ भी याद नहीं था,,,, उसके बेटे का घर से सवाल के लिए उसे लेकर जाना सहारा देकर दवा खाने पहुंचाना और वहां से घर लेकर आना यह सब तो ठीक था लेकिन पेशाब और ब्लड की रिपोर्ट के बारे में उसे कुछ भी याद नहीं था और यही सबसे ज्यादा परेशान कर देने वाली बात थी ब्लड की बात तक भी ठीक थी लेकिन पेशाब,,, पेशाब का सैंपल डॉक्टर ने कैसे लिया यही सोचकर परेशानी जा रही थी क्योंकि उसे तो कुछ पता ही नहीं था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर,, सुगंधा हैरान होते हुए बोली,,)
सब तो ठीक है लेकिन ब्लड और पेशाब का सैंपल कैसे लिया इस बारे में भी मुझे कुछ भी याद नहीं है,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर वह कुछ क्षण तक अपनी मां के खूबसूरत लेकिन आश्चर्य भरे चेहरे की तरह देखने लगा और फिर वह भी हैरान होते हुए बोला)
क्या तुम्हें नहीं मालूम है ब्लड और पेशाब का सैंपल कैसे लिया गया,,,,
मैं तभी तो हैरान हूं मुझे कुछ भी पता नहीं है,,,, तु मुझे शुरू से बता,, क्या हुआ,,,,?
(अंकित हैरान था क्योंकि घर से लेकर के दवा खाने में जो कुछ भी हुआ था उसकी मां को बिल्कुल भी याद नहीं था अब उसे यह नहीं समझ में आ रहा था कि बाकी मैं उसकी मां को याद नहीं था कि वह जानबूझकर कुछ भी याद न होने का बहाना कर रही है लेकिन फिर वह अपने मन में सोचा कि आखिर उसकी मां ऐसा करेगी क्यों,,,, उसकी तबीयत वाकई में कुछ ज्यादा ही खराब थी बुखार से उसका बदन तप रहा था,,,,,,, यह सब सोते हुए अंकित अपने मन में सोचा हो सकता है वाकई मम्मी सच कह रही है,,,, और थोड़े ही देर में उसके दिमाग में चमक होने लगी उसे शरारत सुझने लगी,,, वह अपने मन में ढेर सारी बातें सोचने लगा और ऐसी बातें सोचने लगा जो उसे अपनी मंजिल तक ले जा सकते थे मां बेटे के बीच की दूरी को खत्म कर सकते थे वह समझ गया था कि वह ऐसी कहानी बनाएगा कि उसकी मां पानी पानी हो,,,, जाएगी,,,,,, अपने बेटे को इस तरह से सोच में डूबा हुआ देखकर सुगंधा बोली,।)
अंकित अपनी मां के बारे में सोचकर
अब तू क्या सोचने लगा क्या तुझे भी कुछ भी याद नहीं है,,,,।
नहीं नहीं मुझे तो सब कुछ याद है लेकिन मैं इस बात से हैरान हूं कि वाकई में तुम्हें कुछ भी याद नहीं है दवा खाने में क्या हुआ कैसे वहां पहुंची डॉक्टर ने क्या कहा सैंपल के बारे में क्या कुछ भी याद नहीं है,,,,।(अंकित अपने मन में उठ रहे शक को दूर कर लेना चाहता था इसलिए पूछ रहा था,,)
अरे बुद्धू मुझे कुछ भी याद होता तो मैं तुझसे भला क्यों पूछती,,,,।
बात तो सही है मम्मी लेकिन फिर भी,,,, कोई बात नहीं बुखार ही इतना ज्यादा था कि इंसान होश में ही ना हो,,,, चलो कोई बात नहीं मैं शुरू से बताता हूं,,,,।
(अंकित का इतना कहना था कि तृप्ति चाय बनाकर तीन कप ट्रे में रखकर और कुछ बिस्किट लेकर अपनी मां के कमरे में दाखिल होते हुए बोली)
लो तैयार हो गई चाय,,,
(अंकित अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बड़ी बहन की मौजूदगी में दवा खाने में जो कुछ भी हुआ था वह बताना उचित नहीं था,,,, और शायद इस बात को सुगंधा भी अच्छी तरह से समझते थे इसलिए तृप्ति की मौजूदगी में उसने उस बात की जिक्र ही नहीं छेड़ी,,,)
अंकित का अपनी मां को लेकर बाथरूम की कल्पना
लो मम्मी,,, एक कप उठा लो,,,,,(अंकित की तरफ ट्रे बढाते हुए,,) ले तु भी ले ले,,,,(अंकीत भी हाथ बढ़ाकर चाय का कप ले लिया,,, और ट्रे में से बिस्कुट लेकर खाने लगा और चाय पीने लगा,,,,, तृप्ति भी एक छोटा सा टेबल अपनी मां के बिस्तर के पास लाकर उसे पर बैठ गई और चाय पीने लगी और चाय पीते हुए बोली,,,,।
मम्मी तुम्हारी तबीयत खराब थी तो सुबह बोलना चाहिए था ना मैं कॉलेज नहीं जाती,,,, खामखा तुम्हे परेशान होना पड़ा,,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए तृप्ति बोली,,,)
अरे मुझे अगर पता होता कि मेरी तबीयत इतनी ज्यादा खराब होने वाली है तो क्या मैं दवा नहीं ले लेती,,,, मुझे तो लगा आराम कर लूंगी तो ठीक हो जाएगा क्योंकि बदन में सिर्फ दर्द ही लग रहा था यह तो बाद में एकदम तेज बुखार हो गया और मुझे कुछ पता ही नहीं चला,,,,( सुगंधा भी चाय की चुस्की लेते हुए बोली,,,)
बाथरूम की कल्पना मे अपनी मां की चुदाई करता हुआ अंकित
बात तो सही कह रही है मम्मी अगर हम दोनों को भी इस बात का पता चला की मम्मी की तबीयत खराब लग रही है तो क्या हम दोनों पढ़ने के लिए जाते नहीं ना,,,, यह तो एकाएक तबीयत खराब हो जाती है,,, मैं भी जब पढ़कर घर पर लौटा तो मुझे नहीं मालूम था कि मम्मी घर पर होगी लेकिन जब देखा,,, दरवाजा बाहर से खुला हुआ है ताला नहीं लगा हुआ है तो मुझे लगा कि शायद दीदी तुम होगी,,,, जब अंदर जाकर देखा तो तुम नहीं थी तो मम्मी के कमरे में गया और मम्मी बेसुध होकर सो रही थी,,,, सो क्या रही थी दर्द से कहर रही थी,,,, मैं दो बार आवाज भी लगाया मम्मी मम्मी की मम्मी तो कुछ बोल नहीं रही थी,,,, और जब मैं मम्मी के माथे पर हाथ रख तो मम्मी का माथा एकदम तप रहा था,,, और फिर मैं दवा खाने ले गया,,,,।
(तृप्ति के साथ-साथ,,, सुगंधा भी बड़े ध्यान से अंकित की बात को सुन रही थी लेकिन अंकित ने ब्लड और पेशाब के सैंपल के बारे में कुछ भी नहीं बताया और तृप्ति के सामने न जाने क्यों सुगंध भी खामोश रही और इस बारे में जिक्र नहीं की क्योंकि उसे अंदर ही अंदर ऐसा लग रहा था कि जरूर कुछ हुआ होगा इसलिए वह इस समय बिल्कुल भी जिक्र नहीं की और अंकित की बात सुनकर तृप्ति बोली,,,।)
अच्छा हुआ अंकित तू घर पर मौजूद था वरना मम्मी की तबीयत और ज्यादा खराब हो जाती सही समय पर तूने मम्मी को दवा खाने लेकर दवा दिलाया यही उनके सेहत के लिए अच्छी बात है,,,,।
(कुछ देर तक तीनों में इसी तरह से बातें होती रही,,, सुगंधा की तबीयत अब दुरूस्त थी,,, वह अंकित से जो कुछ भी हुआ था उसके बारे में सुनना चाहती थी लेकिन तृप्ति की मौजूदगी में ऐसा संभव बिल्कुल भी नहीं था इस बात को सुगंधा भी समझने लगी थी,,, क्योंकि सहज होता तो इसी समय अपनी बड़ी बहन की मौजूदगी में वह सब कुछ बता देता लेकिन अंकित खामोश रहा क्योंकि वह बात नहीं जा रहा था उसी समय तृप्ति चाय लेकर आ गई थी और अगर दवा खाने में जो कुछ भी हुआ था वह सामान्य होता तो प्रीति के सामने भी बताने में अंकित को कोई हर्ज नहीं होता,,,, सुगंधा को थोड़ा आराम लगने लगा था,,, इसलिए वह अपने बिस्तर से उठने की कोशिश करते हुए बोली,,,)
खाना बनाने का समय हो रहा है मैं खाना बना देती हूं,,,(सुगंधा का इतना कहना था कि तृप्ति तुरंत अपना हाथ उसके कंधों पर रखकर उसे दबाते हुए बैठने का इशारा करते हुए बोली,,,)
बिल्कुल भी नहीं अब दो-तीन दिन तक तुम आराम करो मैं बना दूंगी बस मुझे बता दो बनाना क्या है,,,,।
अरे रहने दे मैं बना लुंगी,,,(फिर से उठने की कोशिश करते हुए सुगंधा बोली तो फिर से तृप्ति उसे रोक दी और बोली)
क्या मम्मी तुम भी दो-तीन दिन आराम करो मैं बना दूंगी ना बस बता दो क्या बनाना है,,,।
हां मम्मी बता दो ना दीदी बना देगी वैसे भी तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है तो दो-तीन दिन तक आराम ही करो,,,,।
अच्छा सुन दाल चावल ही बना दे,,,,।
ठीक है मम्मी,,,,(और इतना कहने के साथ ही खाली कप और ट्रे लेकर कमरे से बाहर निकल गई और उसके जाते ही सुगंधा बोली,,,)
अब बता क्या हुआ था दवा खाने,,,, में,,,,
(तृप्ति के जाते ही जिस तरह से सुगंधा उत्सुकता दिख रही थी दवा खाने के बारे में जानने के लिए उसे देखते हुए अंकित समझ गया था कि उसकी मम्मी भी कुछ और सुनना चाहती है वरना वह तृप्ति के सामने ही जानने की कोशिश करती की दवा खाने में क्या हुआ था,,,, इसलिए तो अपनी मां की उत्सुकता और उसका बेकाबू पन देखकर अंकित के तन बदन में हलचल होने लगी थी उसके लंड में हरकत होने लगी थी और वह धीरे से बोला,,,)
पता नहीं तुम क्या सोचोगी,,,, मेरी बात का यकीन करोगी कि नहीं मुझे समझ में नहीं आ रहा है,,,।
अरे समझना क्या है,,,, तू जो बोलेगा सच ही बोलेगा जो कुछ भी दवा खाने में हुआ है वही बताएगा ना,,,,
हां वह बात तो ठीक है,,,लेकीन,,,(अंकित का इतना कहना था कि तभी तृप्ति कमरे में दाखिल होते हुए बोली और उसके हाथ में पानी का गिलास था,,,)
अरे मम्मी तुमने तो दवा पी ही नहीं लो जल्दी से पी लो,,,।
हां दवा खाना तो मैं भूल ही गई,,,,।
ओहहह बात ही बात में मैं भी दवा देना भूल गया,,,(और इतना कहकर अंकित मेडिकल से लाई हुई दवा निकाल कर देने लगा सुगंधा चाहती थी कि जल्द से जल्द तृप्ति कमरे से बाहर चली जाए और अंकित दवा खाने के बारे में सब कुछ बताएं,,,, और थोड़ी देर में तृप्ति वापस चली गई उसके जाते ही सुगंध फिर से उत्सुकता दिखाते हुए बोली,,,)
अब बता क्या हुआ था,,,,?
मम्मी लेकिन तुम बुरा मत मानना और मेरे बारे में तो बिल्कुल भी गलत मत सोचना,,,,।
अरे मैं कुछ गलत नहीं समझुंगी तु बता तो सही,, ।
ठीक है मैं सब बताता हूं,,,,(उसका इतना कहना था कि फिर से तृप्ति दरवाजे पर आकर खड़ी हो गई और बाली)
चल अंकित तू मेरी किचन में मदद कर,,,,,, बहुत दिन बाद खाना बना रही हूं इसलिए थोड़ी दिक्कत आ रही है,,,।
अरे मैं क्या करूंगा किचन में आकर,,,,।
किचन में तेरे लायक बहुत कम है चल जल्दी चल,,,,।
(अंकित समझ गया था कि अब उसे जाना पड़ेगा और उसकी मां भी मौके की नजाकत को समझ रही थी इसलिए कुछ बोल नहीं पाई और अंकित वहां से उठकर किचन में चला गया,,,,,,
खाना बनाकर तैयार हो गया था तीनों साथ में मिलकर खाना भी खाएं लेकिन आज तृप्ति सुगंधा और अंकित को अकेले नहीं छोड़ रही थी,,, इसलिए अंकित को मौका ही नहीं मिला सब कुछ बताने का।)