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Incest मुझे प्यार करो,,,

sunoanuj

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बहुत ही कामुक अपडेट ! जबरदस्त 👏🏻👏🏻👏🏻
 

MotaLund21

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टीवी पर रोमांटिक फिल्म का रोमांटिक फिर से देखकर जिस तरह से सुगंधा गर्म हो चुकी थी,,, उसे देखकर ऐसा ही लग रहा था की सुगंधा जरूर कुछ ना कुछ हरकत करेगी,,, क्योंकि टीवी के रोमांटिक दृश्य को देखकर उसका बेटा भी मदहोश हो चुका था उसके भी पेट में तंबू बन चुका था,,,, और इसी के चलते सुगंधा अपनी दोनों टांगों को उठाकर सामने पड़े टेबल पर रख दिया और साड़ी को धीरे-धीरे अपनी जांघों के ऊपर तक खींच दी,,, ऐसा हुआ जानबूझकर कर रही थी अपने बेटे को अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित करने के लिए और उसका बेटा ठीक उसके बगल में बैठा था और अपनी मां की हरकत देखकर पूरी तरह से मत हुआ जा रहा था,,,।

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अंकित अपनी मां की मदहोश कर देने वाली हरकत देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था और वह अपनी आंखों को टीवी की जगह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच दिखाया हुआ था वह अपनी मां की गुलाबी बुर को देखना चाहता था उसके दर्शन करना चाहता था लेकिन सुगंधा जानबूझकर इतना ही साड़ी कमर तक उठाई थी ताकि सब कुछ तो देखा जा सके लेकिन उसकी बुर दिखाई ना दे और यही तड़प वह अपने बेटे के चेहरे पर देख रही थी,, मोटी मोटी जांघो से सुशोभित सुगंधा की जवानी ट्यूबलाइट की रोशनी में अपनी अलग आभा बिखेर रही थी,,, तृप्ति वहां से उठकर कब का अपने कमरे में सोने के लिए जा चुकी थी और इसी मौके का फायदा सुगंधा उठाना चाहती थी और इसी के चलते वह अपनी जवानी का प्रदर्शन कर रही थी,,,।




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जिस तरह की हालत और तड़प सुगंधा अपने अंदर महसूस कर रही थी उसी तरह की तड़प उसका बेटा भी महसूस कर रहा था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपनी मां की बर देखने के लिए तड़प रहा हो और कभी देखा ना हो वह अपनी मां की बुर को देख चुका था उसके दर्शन कर चुका था,,, लेकिन यह भी सही था कि बहुत बार देखने के बावजूद भी वह नजर भर कर अपनी मां की बुर को देख नहीं पाया था उसके भूगोल को समझ नहीं पाया था इसलिए तो इस समय भी उसकी तरफ बढ़ती जा रही थी और सुगंधा थी कि अपने बेटे को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी,,,।

लेकिन सुगंधा की कामुकता भारी क्रियाकलाप आगे बढ़ती इससे पहले ही घर के पीछे किसी चीज के गिरने की बड़ी तेजी से आवाज आई और दोनों एकदम से चौंक गए,,, सुगंधा जल्दी से अपने कपड़े को व्यवस्थित करके अपनी जगह से उठकर खड़ी हो चुकी थी,,,,, और अंकित भी अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया था दोनों मां बेटे एक दूसरे को सवालिया नजरों से देख रहे थे,,,,,। दोनों के मन में यही शंका थी कि हो सकता है कोई चोर घर में घुस आया हो इसीलिए तो सुगंधा अपने बेटे को बड़ा सा डंडा लेने के लिए बोली थी जो की कोने में पड़ा था और अंकित भी आगे बढ़ाकर उसे डंडे को अपने हाथ में ले लिया था,,,।


सुगंधा जल्दी से टीवी बंद कर दी थी,,,,, और वह भी एक बड़ा सा डंडा अपने हाथ में ले ली और अंकित की तरफ देखने लगी,,,,‌

क्या गिरा होगा,,,!(आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखते हुए अंकित बोला,,,)

मालूम नहीं चल कर देखना पड़ेगा,,,,

मैं भी साथ चलूंगा,,,,।

लेकिन चौकन्ना रहना पड़ेगा हो सकता है कोई चोर हो,,,,

तब तो मैं आगे रहूंगा मम्मी,,,,।

नहीं अंकित तू पीछे रहना तू अभी इतना बड़ा नहीं हो गया है,,,।

क्या बात करती हो मम्मी मैं एकदम जवान हो गया हूं मुझे आगे रहने दो अगर कर हुआ तो दो ही डंडे में उसकी हड्डी तोड़ दूंगा,,,।
(अपने बेटे का जोश और हिम्मत देखकर सुगंधा मन ही मन खुश होने लगी और अपने बेटे की जवानी पर गर्व करने लगी लेकिन फिर भी वह जानती थी कि वह अपने बेटे को इस तरह से आगे नहीं रख सकती थी ,,इसलिए बोली,,,)

तू चाहे कितना भी बड़ा हो जा अंकित मां की नजरों में तू अभी बच्चा ही रहेगा इसलिए मैं आगे रहती हूं और तू पीछे पीछे,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुगंधा धीरे-धीरे कदम आगे बढ़ाने लगी,,, पीछे पीछे अंकित चलने लगा सुगंधा के हाथ में भी मोटा और लंबा डंडा था जिसे वह कस के पकड़ी हुई थी और अपने आप को तैयार कर रही थी कि अगर कोई चोर हुआ तो वह कस के वार करेगी,,,,, और यही सोचकर वह धीरे-धीरे अपना कदम आगे बढ़ा रही थी और पीछे से अंकित धीरे से बोला,,)

मम्मी संभाल कर,,,,,।

तू चिंता मत कर,,,,

(दोनों मां बेटे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे कुछ देर के लिए दोनों के मन से वासना और मदहोशी का तूफान गुजर चुका था दोनों एकदम सामान्य हो चुके थे मां और बेटा दोनों के अंदर एक बार फिर से चरित्र का बदलाव हो चुका था दोनों अपने मूल रूप में आ चुके थे,,, अपने कमरे से निकल कर दोनों पीछे की तरफ जा रहे थे,, दोनों के मन में इस बात का डर भी था कि कहीं कर हुए तो क्या होगा अगर एक हुआ तो फिर भी ठीक अगर एक से ज्यादा हुए तो क्या होगा,,,,। अगर उनके पास हथियार हुआ मतलब की चाकु हॉकी स्टिक या फिर रिवोल्वर हुई तो,,,, क्यों नहीं हो सकती कर के पास तो सारे हथियार होते हैं और उन्हें चलाने से भी वह बिल्कुल भी नहीं कतराते,,,, इस बारे में सोचते ही सुगंधा के बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी ,, उसके पसीने छूटने लगे,,,,। और वह अपने बेटे को एकदम से सचेत करते हुए बोली,,,)

एकदम चौकन्ना रहना अंकित कुछ भी हो सकता है,,,।

मै एकदम चौकन्ना हुं मम्मी,,,, बस तुम अपने आप को संभालना,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा को हिम्मत मिल रही थी,,,, और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी पीछे से एक बार गिरने के बाद किसी तरह की आवाज नहीं आ रही थी बिल्कुल सन्नाटा छाया हुआ था,,,, सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी कि पीछे एकदम अंधेरा होगा लेकिन फिर भी चांदनी रात होने की वजह से साफ दिखाई दे रहा होगा अभी तक दोनों पीछे नहीं पहुंचे थे दोनों के हाथ में अपनी रक्षा के लिए हथियार के नाम पर केवल डंडा ही था पर उसे भी दोनों बड़ी सिद्धत से पकड़े हुए थे,,,।

धीरे-धीरे करके दोनों मां बेटे घर के पीछे की तरफ पहुंच गए थे,,,,,,, घर के पीछे भी एक बल्ब लगा हुआ था लेकिन इस समय वह जल नहीं रहा था क्योंकि वह स्विच ऑफ था और उसकी बटन दीवार पर ही थी और वह धीरे से अपने बेटे से बोली,,,,।

अंकित में बटन दबाने जा रही हूं एकदम ध्यान देना कौन है कहां है,,,,, हो सकता है यही छुपा हुआ हो,,,,।

तुम चिंता मत करो मम्मी मैं एकदम तैयार हूं,,,,(अंकित अपने मन में ठान लिया था कि अगर सच में कोई चोर हुआ तो आज वह इस डंडे से मार मार कर उसकी हड्डियां तोड़ देगा उसे जरा भी डर नहीं लग रहा था जवान कौन था जो से भरा हुआ और इस बात से उसके मन में गुस्सा भी था कि वह कोई भी हो उसके घर में घुस आया था,,,,, इस बात का गुस्सा तो उसके मन में था ही वह इस बात से और ज्यादा क्रोधित था कि कमरे के अंदर रोमांटिक फिल्म देखते हुए इतना अच्छा दृश्य उसकी मां दिखा रही थी जिस पर पर्दा पड़ गया था,,,,।

दोनों का दिल बड़ी जोरों से धड़क रहा था क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ था जब दोनों के मन में इस तरह का डर था कि उनके घर में चोर घुस आया है और वह दोनों उसे चोर का मुकाबला करने के लिए हाथ में डंडा लिए घर के पीछे पहुंच चुके थे सिकंदर धीरे से अपना हाथ बटन पर रखी और उसे एकदम से दबा दी और पीछे एकदम से बल्ब जल उठा और उसकी रोशनी चारों तरफ फैल गई,,,, तभी सामने उन दोनों की नजर गई तो वहां पर एक गमला गिरा हुआ था और उसे टूटे हुए गमले की तरफ देखकर जैसे ही सुगंधा बोली ,,,)

कौन है वहां,,,?
(उसका इतना कहना था कि तभी गमले के पीछे बिल्ली निकाली और म्याऊं बोलते हुए जल्दी से दीवार खुद कर भाग गई,,,, और उस बिल्ली को देखकर सुगंधा राहत की सांस लेते हुए बोली,,,)

अच्छा तो यह बिल्ली का काम था,,,,।

हां मम्मी और हम तो कुछ और ही समझ रहे थे,,,।

चलो अच्छा ही हुआ कि बिल्ली थी वरना चोर होता तो गड़बड़ हो जाती,,,।

कुछ गड़बड़ नहीं होती मम्मी देख रही हो ना या डंडा मार मार कर उसका कचुमर बना देता,,,,।

हां देख तो रही हूं वैसे तो है बहुत बड़ा हिम्मतवाला तेरी जगह कोई और होता तो शायद वह डर जाता,,,।

तभी तो कहता हूं मम्मी की मैं बड़ा हो गया हूं तुम रहती हो कि अभी भी बच्चा हो,,,,।

हां बाबा तु बड़ा हो गया है बस,,,,।

खामखा बिल्ली ने सारा खेल बिगाड दी इतनी अच्छी फिल्म चल रही थी,,,,,,।

वह चुम्मा चाटी वाली फिल्म तुझे अच्छी लग रही थी,,,(सुगंधा जानबूझकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हुए बोली क्योंकि वह जिस तरह से गर्म होकर अपने अंगों का प्रदर्शन कर रही थी चोर की आशंका होते ही उसकी उत्तेजना हवा में फूर्ररर हो गई थी और इस समय घर के पीछे एकांत बातें ही वह फिर से मदहोश होना चाहती इसलिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हुए बोली अपनी मां की बात सुनकर अंकित थोड़ा शरमाते हुए बोला,,,)

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन कहानी अच्छी थी,,,।

लेकिन गर्मी भी तो बहुत थी और यहां देख कितनी अच्छी हवा चल रही है,,,,।

तुम सच कह रही हो मम्मी तुमको कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही थी मैं तुम्हारी हालत देखा था,,,।

क्या देखा था,,,?(जानबूझकर मदहोश होते हुए सुगंधा बोली,,,)

यही देखा था कि तुमसे गर्मी बरसात नहीं हो रही थी और तुम साड़ी अपनी कमर तक उठा दी थी,,,।

ओहहह ,,,,, तो क्या हो गया अंकित सच में मुझे बहुत गर्मी लग रही थी इसलिए मैं सारी कमर तक उठा दी थी ताकि थोड़ी हवा लग सके और वैसे भी तेरी जानकारी के लिए बता दूं कि हमेशा औरतों की टांगों के बीच कुछ ज्यादा ही गर्मी लगती है तुझे मैं यह पहले भी बता चुकी हूं इसलिए तो मुझसे गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,,।

मुझे भी ऐसा लगने लगा है कि वास्तव में औरतों की टांगों के बीच ज्यादा ही गर्मी रहती है,,,,।

तुझे कैसे मालूम,,,!(आश्चर्य जताते हुए सुगंधा बोली)

अरे मम्मी तुम ही ने तो बताई हो तुम्हारी हालत देखकर मैं समझ गया,,,

और तेरी हालत देखकर,,,(एकदम से अंकित के पेंट में बने तंबू की तरफ देखते हुए) मुझे कैसा लग रहा है कि तेरी भी टांगों के बीच ज्यादा गर्मी लग रही है,,,।
(अपनी मां की बात सुनते ही उसे अपनी स्थिति का भान हुआ लेकिन वह यहां पर थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए हल्का सा मुस्कुराया और अपने हाथ को अपने तंबू पर रखकर उसे हल्के से दबा दिया ऐसा वह जानबूझकर कर रहा था और ऐसा करते हुए धीरे से बोला,,)

हां मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा है,,,,।

(जिस तरह से अंकित में जवाब दिया था उसका जवाब सुनकर उसकी हिम्मत देखकर सुगंधा की दोनों टांगों के बीच हलचल मचने लगी वह समझ गई कि यही वह मर्द है जो उसकी जवानी की प्यास बुझा सकता है इसलिए मुस्कुराते हुए वह बोली,,)

अंकित कमरे में कितनी गर्मी लग रही थी लेकिन देख घर के पीछे कितनी ठंडी हवा चल रही है कितना अच्छा लग रहा है मन कर रहा है यहीं पर कुछ देर बैठ जाऊं,,,।

मेरा भी यही मन कर रहा है मम्मी,,,,।


तो ठीक है चल कुछ देर यहीं बैठ कर हवा लेते हैं,,,।
(इतना कहने के साथ ही एक कोने में पड़ी दो कुर्सी को खींचकर पास में ले आई और एक कुर्सी पर अंकित को बैठने का इशारा करते हुए बोली,,,)

तू बैठ में बल्ब बुझा देती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही सुगंधा बल्ब बुझाने के लिए आगे बढी और बटन समाधि और अगले ही पल जलता हुआ बल्ब एकदम से बुझ गया और घर के पीछे फैली हुई रोशनी एकदम सीमित हो गई अब कृत्रिम बल्ब की रोशनी नहीं बल्कि आसमान की चांदनी से फैली हुई कुदरत रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था लेकिन जिस तरह से उसकी मां बल्ब बुझाने के लिए बोली थी यह बात सुनकर अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,, क्योंकि उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मानो उसकी मां उसके साथ चुदवाने के लिए कमरे के अंदर की लाइट बंद करने के लिए जा रही हो,,, ताकि वह अंधेरे में उसे आराम से और बेझिझक चुदाई का आनंद लूट सके,,,, लाइट बंद करने के बाद वह भी कुर्सी पर आकर बैठ गई औरबोली,,,)

रात काफी हो चुकी है इसलिए बल्ब जलना उचित नहीं है,,,, वैसे भी चांदनी रात में सब कुछ साफ दिखाई दे रहा है,,,,,,(घर के पीछे पहले चांदनी रात के उजाले को देखकर मन ही मन प्रसन्न होते हुए सुगंधा बोली क्योंकि वह जानती थी की चांदनी रात होने की वजह से बल्ब का जालना उचित नहीं है क्योंकि वैसे भी सब कुछ साफ दिखाई दे रहा है,,,, बातों ही बातों में सुगंधा अपने बेटे से बोली,,,)

अच्छा यह बात तो मुझे बेवकूफ बना रहा है ना,,,।

किस बात के लिए,,,!

अच्छा ऐसे बोल रहा है जैसे तुझे कुछ मालूम ही नहीं,,,,।

अरे सच में मुझे नहीं मालूम तुम क्या कह रही हो किस बारे में कह रही हो,,,,।

धत्,,,, तेरी कि मुझे तो लगा कि मेरा बेटा बड़ा हो गया है जवान हो गया है लेकिन पहला ही वादा तोड़ दिया,,,,।


वादा कैसा वादा,,,,!


अरे बेवकूफ मेरे लिए चड्डी खरीदने का,,,,।

(अपनी मां की बात सुनते हैं एकदम से अंकित के बदन में सिहरन सी दौड़ गई और वह एकदम से मुस्कुराते हुए बोला,,,)

अरे चड्डी के बारे में बात कर रही हो वह तो मैं कल लेकर आऊंगा,,,,।

फिर से बेवकूफ बना रहा है अगर तेरे पास पैसे नहीं है तो बोल दे मैं तुझसे नहीं मांगूंगी और वैसे भी अपने पास से तुझे चड्डी खरीदने के लिए मैं पैसे नहीं दूंगी यह क्या बात हो गई मुझसे ही पैसा लेकर मुझे ही गिफ्ट करेगा,,,।

नहीं नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है मैं तो सही समय देख रहा था ताकि मैं तुम्हारे लिए अच्छी सी चड्डी खरे सकूं और कल छुट्टी का दिन है इसलिए मैं बड़ी आराम से तुम्हारे लिए खरीद सकता हूं और वैसे भी मुझे पैसे नहीं चाहिए जो तुम मुझे जेब खर्च कर देती हो उसमें से मैं काफी पैसा बचा चुका हूं और उसी पैसे का लाकर दूंगा,,,,।

तब तो ठीक है तब तो सच में मेरा बेटा बड़ा हो गया मैं तो समझी कि भूल ही गया है,,,,।

मैं भला कैसे भूल सकता हूं पहली बार तो तुम्हारे लिए कुछ लाने का वादा किया हूं,,,,।

(चड्डी का जिक्र सुगंधा जानबूझकर की थी,,, क्योंकि वह माहौल को फिर से गर्म करना चाहती थी और ऐसा ही हो रहा था कुछ देर पहले जिस तरह का तंबू अंकित के पेट में बना हुआ था वह शांत हो चुका था लेकिन चड्डी का जिक्र होते ही एक बार फिर से उसके पेंट में तंबू बन चुका था। ,,,,। और एक बार फिर से सुगंधा की बुर पानी छोड़ रही थी,,,, घर के पीछे बैठे-बैठे काफी समय हो चुका था,,,,और सुगंधा के मन में कुछ और चल रहा था,,, इसलिए वह बोली,,,)

बहुत देर हो गई है सुबह उठना भी है,,,।

हां मम्मी देर तो काफी हो चुकी है लेकिन यहां इतनी अच्छी हवा चल रही है कि उठकर जाने का मन ही नहीं कर रहा है,,,,,।

मेरा भी लेकिन क्या करें जाना तो पड़ेगा ही नींद नहीं पूरी होगी तो सुबह नींद नहीं खुलेगी,,,,(इतना कहने के साथ सुगंध अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और अंगड़ाई देने लगी उसकी भारी भरकम गांड अंगड़ाई लेते समय कुछ ज्यादा बाहर निकाल कर नजर आने लगी जिसे देखकर अंकित का लंड अंगड़ाई लेने लगा,,, और वह अपनी मां की गांड देखकर पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को दबा दिया,,, उसकी हरकत तिरछी नजर से उसकी मां ने देख ली और मन ही मन मुस्कुराने लगी वह समझ गई कि उसके बेटे के भी बदन में आग लगी हुई है उसे पाने के लिए,,,, अपनी मां की मदहोश कर देने वाली अंगड़ाई देखकर अंकित बोला,,)

क्या अभी भी अंदर चड्डी नहीं पहनी हो,,,।
(इतना सुनते ही सुगंध अपने बेटे की तरफ देखकर मुस्कुरा दी और बोली)

ले देख ले,,, तुझे तो जैसे विश्वास ही नहीं होता,,,,(और इतना कहने के साथ ही कदम आगे बढ़कर वह दीवार के कोने पर पहुंच गई जहां पर बैठ कर वह अक्सर पैसाब किया करती थी,,,, यह देखकर अंकित का दिल जोरों से धड़कने लगा वह समझ गया कि कुछ गजब का होने वाला है और देखते ही देखते उसकी मां अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,, अंकित की हालत खराब होने लगी क्योंकि जो वह सोच रहा था उसकी मां वही करने जा रही थी,,,,, इस दृश्य को देख देख कर ऐसा लग रहा था कि अंकित पूरी तरह से मर्द बन जाएगा,,,,,।

देखते ही देखते सुगंधा अपनी साड़ी को धीरे-धीरे करके कमर तक उठाती और वास्तव में वह साड़ी के नीचे कुछ नहीं पहनी थी वह एकदम नंगी थी और जैसे ही वह कमर तक साड़ी उठाई सुगंधा अपने दोनों हथेलियां को अपनी नंगी गांड पर रखकर उसे सहलाते हुए पीछे की तरफ नजर घूमाकर अंकित से नजरे मिलाते हुए बोली,,,)

देख लिया ना मैं कुछ नहीं पहनी हूं पर तुझे ऐसा लगता है कि मैं तुझसे झूठ बोल रही हूं,,,।

नहीं मम्मी ऐसा नहीं है मुझे इस बात से अच्छी लगता है कि बिना चड्डी पहने तुम कैसे पढ़ाने के लिए चली जाती हो कैसे बाहर निकल जाती हो,,,।

क्या करूं मजबूरी है अगर होती तो पहन कर जाती पर वैसे भी अंदर पहनी हो कि नहीं पहनी हो किसको पता चलने वाला है तेरी तरह मैं किसी के सामने उठा कर दिखाती थोड़ी हूं,,,,।

(सुगंधा अपने बेटे के सामने धीरे-धीरे पुरी तरह से खुलने लगी थी और काफी हद तक खुल चुकी थी यह देखकर अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था क्योंकि उसकी मां के बढ़ता और उसकी हरकत को देखकर अंकित के जीवन में बहार आ गई थी,,, वैसे भी एक जवान लड़के को क्या चाहिए एक खूबसूरत औरत उसकी कामुकता भरी हरकत अच्छी से महसूस करके वह बार-बार उत्तेजित होता रहे,,,)

अच्छा करती हो मम्मी लोगों को क्या पता कि आसमान की परी जैसी दिखने वाली खूबसूरत औरत साड़ी के अंदर चड्डी नहीं पहनती,,,।

अच्छा तो मैं तुझे परी की तरह दिखती हूं,,,।

उससे भी ज्यादा खूबसूरत और सच कहूं तो मैं तुम्हारी तरह आज तक इतनी खूबसूरत औरत नहीं देखा,,,,।

अच्छा,,,,।


हां मम्मी में सच कह रहा हूं,,,,।

चल अब रहने दे बातें बनाने को तेरी ईस तरह की बातें सुनकर कहीं मेरी पेशाब न छूट जाए,,,,(सुगंधा एकदम बेशर्मी भरी बातें अपने बेटे से करने लगी थी और उसकी यह बात सुनकर तो अंकित को ऐसा महसूस होने लगा कि कहीं उत्तेजना के मारे उसका लंड फट न जाए,,,, अपनी मां की बेशर्म भरी बातें सुनकर थोड़ा सा बेशर्म होने का हिम्मत करते हुए अंकित भी बोला,,,)

रहने तुम अभी तुम्हारी बात सुनकर तो मुझे पेशाब लगने लगी है,,,।
(अंकित की बात सुनकर सुगंध का मन प्रसन्नता से भर गया उसके चेहरे पर एकदम से नूर झलकने लगा और वह उत्साहित होते हुए बोली,,,)

तो देर किस बात की है आजा तू भी पेशाब कर ले,,,,(इतना कहने के साथ ही सुगंधा धीरे से बैठ गई और पेशाब करने लगी उसकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम से बाहर निकल गई चांदनी रात में उसकी गांड एकदम से मस्त चमक रही थी जिसे देखकर अंकित का मन कर रहा था कि उसकी गांड को जीभ लगाकर चाट जाए,,,, अंकित की हालत खराब होने लगी थी वह इतना तो समझ किया था कि उसके सामने उसकी मां एकदम बेशर्म बन चुकी है तो उसे भी शर्म करने की कोई जरूरत नहीं है और उसका भी मन करने लगा कि अपनी मां के साथ वह भी पेशाब करें आखिरकार ऐसा मौका मर्द की जिंदगी में बहुत ही काम आता है जब वह एक साथ एक औरत के साथ पेशाब करता हूं औरत की बुर से पेशाब की धार निकलती है और दूसरी तरफ मर्द के लंड से पेशाब की धार निकलती है ऐसा नजारा कमी देखने को मिलता है आज अच्छा मौका था जिसके बारे में कभी अंकित सोचा नहीं था आज वही अद्भुत क्रीड़ा करने का अच्छा मौका आ चुका था और इस मौके को अंकित गवाना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी वह शर्मा रहा था इसलिए सुगंधा एक बार फिर से अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)

अाजा शर्मा मत पेशाब कर ले,,,, मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है,,,, याद है ना क्लीनिक में तू ही बाथरूम के अंदर परख नदी में मेरे पेशाब का सैंपल लिया था और कैसे लिया था यह तुझे बताने की जरूरत नहीं है तब मुझसे क्यों शर्मा रहा है,,,,। चल आजा,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर अंकित के बदन में जोश बढ़ने लगा उसकी हिम्मत बढ़ने लगी वह भी हिम्मत दिखाना चाहता था और मौका भी सही था इसलिए वह भी धीरे से आगे बड़ा और अपनी मां के बगल में जाकर खड़ा हो गया उसकी मां पेशाब कर रही थी और नजर उठा कर अपने बेटे की तरफ मुस्कुरा कर देखने लगी और बोली,,,)

चल जल्दी से पेशाब कर ले,,,,।
(अंकित अपनी मां को देख रहा था और उसकी दोनों टांगों के बीच निकलती हुई पेशाब की धार को देख रहा था अंकित जानता था कि यह धार उसकी बुर से निकल रही है उसकी गुलाबी छेद से निकल रही है,,, लेकिन यहां से सिर्फ उसे पेशाब की धार दिखाई दे रही थी उसकी मां की गुलाबी बुरे नहीं दिखाई दे रही थी उसे देखने की तड़प उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी लेकिन फिर भी इतना भी उसके लिए बहुत काफी था,,,,।

मदहोशी की पराकाष्ठा कमरे के पीछे दर्शाई जा रही थी,,, मां बेटे दोनों मदहोश हो चुके थे सुगंधा की तरफ से यह खुला आमंत्रण था अंकित के लिए लेकिन अंकित इसे साफ तौर पर स्वीकार करने से घबरा रहा था डर रहा था उसकी जगह कोई और होता तो शायद इसी समय उसकी बुर में अपना लंड डालकर उद्घाटन कर चुका होता है लेकिन फिर भी एक झिझक उसके मन में थी जो उसे रोक रही थी,,,,।

अपनी मां की तरफ देखते हुए अंकित अपने पेट का बटन खोलने लगा यह देखकर सुगंधा का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि सुगंधा अब तक अपने बेटे के लंड को बस एक ही बार देखी पाई है और वो भी जब उसके कमरे में उसे जगाने के लिए गई थी और अगर इस समय सब कुछ सही हुआ तो वह दूसरा मौका होगा जब वह अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड के दर्शन करेगी,,,,, अपनी मां की तरह अंकित भी बेशर्म बनते हुए धीरे-धीरे अपने पेंट की बटन खोलकर उसकी चेन को नीचे सरकार कर अपने पेंट को एकदम से घुटनों तक खींच दिया,,,, घुटनों तक पेट आते ही उसके अंदर बियर में बना अद्भुत खूंटा नजर आने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी बैल को बांधने के लिए खूंटा गाडा गया हो,,,, सुगंधा का दील जोरों से धड़क रहा था इस तरह का अद्भुत नजारा देखकर सुगंधा का मन कर रहा था कि अपने हाथों से अपने बेटे का अंडरवियर निकाल कर उसके लंड को अपने हाथ में पकड़कर उसे पेशाब करवाए,,, ।

लेकिन ऐसा करने में उसे न जाने क्यों अजीब लग रहा था लेकिन यह काम अंकित बड़े अच्छे से करते हैं अपने अंदर बियर को दोनों तरफ से पकड़ कर उसे आगे की तरफ खींचकर एक अच्छी खासी दूरी बनाकर अपने लंड से बाहर की तरफ करके उसे नीचे कर दिया ऐसा अंकित ने इसलिए किया था ताकि बड़े आराम से उसके अंदर किया नीचे सड़क सके क्योंकि उसका लंड एकदम से लोहे के रोड की तरह तन कर खड़ा था और ऐसे में सीधे-सीधे अंडरवियर नीचे खींचना उचित नहीं था,,, क्योंकि सीधे-सीधे अंडरवियर नीचे आता ही नहीं और यही अदा सुगंधा के तन बदन में आग लगा गई ,,।

बेहद अद्भुत नजारा घर के पीछे दर्शाया जा रहा था मन बैठकर पेशाब कर रही थी और उसके बगल में बेटा पेशाब करने के लिए अपने अंडरवियर को उतर चुका था और अंडरवियर के उतरते ही उसका मतवाला लंड एकदम से हवा में लहराने लगा जिसे देखकर सुगंधा के मुंह के साथ-साथ उसके बुर में भी पानी आ गया,,, सुगंधा इस तरह की अद्भुत नवरी को कभी नहीं देखी थी पड़ोसन के द्वारा दिखाई गई गंदी फिल्म में भी इस तरह का नजारा उसे देखने को नहीं मिला था,,, इसलिए तो उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चलने लगी थी और अंकित की भी हालत खराब थी अंकित जानता था कि उसकी मां उसके लंड को ही देख रही है और यह देखकर अंकित केतन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी उसका मन कर रहा था कि ईसी समय अपनी मां की चुदाई कर दे ,,, लेकिन वह जानता था की चुदाई करने का अनुभव उसे बिल्कुल भी नहीं है अगर वह ऐसा कर भी देता तो निश्चित तौर पर वह सफल हो जाता इस बात को अच्छी तरह से जानता था अगर एक बार भी उसे चुदाई का अनुभव होता तो वह अपने आप को बिल्कुल भी नहीं रोकता,,।

सुगंधा की आंखों में प्यास नजर आ रही थी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने की प्यास,,, वह अंदर ही अंदर तड़प रही थी उसकी दोनों टांगों के बीच भूचाल आ रहा था वह मदहोश हो रही थी उत्तेजना से उसका बदन कंपकंपा रहा था,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें मन तो उसका कर रहा था किसी समय अपना हाथ आगे बढ़कर अपने बेटे के लंड को थाम ले और उसे अपने मुंह में भरकर जी भर कर चूसे,,, लेकिन न जाने कौन सी झिझक उसे आगे बढ़ने से रोक रही थी,,, लेकिन फिर भी जो नजर उसकी आंखों के सामने था वह अद्भुत था जिसकी तुलना करना नामुमकिन था सुगंधा के लिए क्योंकि उसने आज तक इस तरह का मोटा तगड़ा लंबा लंड देखी ही नहीं थी,,, सुगंधा की बुर से छुलक छुलक कर पेशाब की धार निकल रही थी,,,,।

अंकित अपनी मां की उत्तेजना को और बढ़ाते हुए अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ लिया और उसे ऊपर नीचे करके हिलाते हुए,,, पेशाब करने लगा सुगंधा के मुंह से एक भी शब्द नहीं टूट रहे थे वह मुक दर्शक बनकर अपने बेटे की हरकत को देख रही थी,,, अंकित के पेशाब की धार बड़ी तेजी से सामने की दीवार पर गिर रही थी और दूसरी तरफ सुगंधा की बुर से पेशाब कि धार कमजोर पड़ रही थी,,,। मां बेटे दोनों मदहोशी के आलम में पूरी तरह से डूब चुके थे इस तरह का एहसास उन दोनों को कभी नहीं हुआ था यह पल यह क्षण पूरी तरह से आंतरिक हो चुका था इस पल में दोनों डूब चुके थे खो चुके थे,,, अगर इस समय दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन जाता तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं थी लेकिन फिर भी संभोग और उसके क्रिया का लाभ के बीच बस एक ही कदम की दूरी रह गई थी,,, लेकिन इस दूरी को खत्म करने के लिए एक कदम बढ़ाने में दोनों की हिम्मत नहीं हो रही थी,,,।

जैसे तैसे करके पैसाब वाला कार्यक्रम खत्म हो चुका था,,,, दोनों अपने कपड़ों को व्यवस्थित कर चुके थे लेकिन जिस तरह के हालात दोनों के बीच बन चुके थे दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर पा रहे थे दोनों सीधे अपने कमरे में चले गए और अपने वस्त्र को उतार कर अपने हाथों से अपनी जवानी की गर्मी को शांत करने की पूरी कोशिश करने लगे।
Lgta hai ab sugandha ki chut ki khujli mitne wali hai, beta hi pelega thodi bahut sharam ki deewar thi wo bhi hat rhi hai, ab to kbhi bhi maa ko chodne ka intezar kar rha hai Ankit
 
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