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Incest मुझे प्यार करो,,,

rohnny4545

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पढ़ाई के बहाने अपने घर में बुलाकर सुमन ने जो कुछ भी अंकित के साथ किया था वह अंकित के लिए बेहद अद्भुत और अविस्मरणीय पल था जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,, सुमन के बारे में अपने दोस्तों के मुंह से वह कहीं बार सुन चुका था कि सुमन दूसरी तरह की लड़की है,,, लेकिन कभी ऐसा कुछ देखा नहीं था कि जिसकी वजह से वह भी समान पर दूसरी लड़कियों की तरह होने का शक करता लेकिन इस बीच वह सुमन की जवानी के प्रति बराबर आकर्षित हुआ जा रहा था,,, उसका गदराया बदन हमेशा अंकित की उत्तेजना का कारण बनता जा रहा था और सबसे खास था सुमन की बड़ी-बड़ी गांड जो कि वाकई में बेहद लुभावनी लगती थी,, और जिस पर वह खुद अपने लंड की रगड़ को अच्छी तरह से महसूस कर चुका था और वह भी बनिए की दुकान पर जहां पर सुमन ही उसे राशन लेने के लिए साथ लेकर गई थी,,,।

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अंकित अपने घर आ चुका था एक अद्भुत एहसास को अपने अंदर संजोए,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि सुमन खुद उसे अपने कमरे में बुलाकर उसके साथ इस तरह की हरकत करेगी लेकिन जो कुछ भी हुआ था उसमें अंकित की ही बनाई थी अंकित को कुछ सीखने को मिल रहा था अभी तक वह अपनी मां की चूची को देखकर ही मत हुआ जा रहा था उसने उसके भूगोल को तो पूरी तरह देख लिया था लेकिन उसे छूकर नहीं देखा था उसे एहसास को महसूस नहीं किया था जो एहसास एक औरत की मदमस्त कर देने वाली चुची को स्पर्श करके उसे पकड़ कर उसे दबाकर होती है,,, और यह सुख उसे सुमन के द्वारा प्राप्त हुआ था,,,। और इसलिए वह मन ही मन सुमन को धन्यवाद कर रहा था,,,।




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अपनी मां के संपूर्ण बदन को वह नग्नवस्था में बहुत बार देख चुका था,,, अपनी मां की चूची के भी दर्शन हुआ कर चुका था और उसे देखकर उसकी गोलाई देखकर खरबूजे जैसा आकार देख कर उसे ऐसा ही लगता था की औरतों की चूचियां एकदम कड़क होती होगी लेकिन उसका यह भ्रम तब टूट गया जब सुमन की चूची को अपने हाथ में लेकर दबाना शुरू किया था एकदम मुलायम रुई की तरह और वह एकदम से मदहोश हो गया था,,, चूचियों को छूने में कितना आनंद और मदहोशी का एहसास होता है यह उसे पहली बार हुआ था सुमन की चूची को पकड़ते ही उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,,, और सुमन ने खुद उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी चूचियों पर रखी थी और अपने आप से ही अपनी चूची को दबाने के लिए उसे प्रेरित की थी,,, खूबसूरत जवान लड़की इतनी खुले विचारों वाली हो सकती है यह उसने कभी सोचा ही नहीं था वह सोचा था कि सब कुछ धीरे-धीरे ही होता है जैसा कि वह अपनी मां के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था लेकिन सुमन तो एक कदम आगे ही निकली वह अपने आप से ही सब कुछ करवाने पर उतारू हो चुकी थी अंकित को पूरा यकीन था कि अगर उसकी मां ना आई होती तो उसे जरूर मर्द की तरह एक खूबसूरत औरत के साथ शुख भोगने का सौभाग्य प्राप्त होता ।


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अपने घर में आकर भी अंकित को चैन नहीं मिल रहा था बार-बार उसकी आंखों के सामने सुमन ही नजर आ रही थी जो अपने आप से अपनी टीशर्ट निकाल कर अपनी चूचियों को एकदम नंगी करती थी और मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रहती थी यह सब सोच कर अंकित की हालत एकदम से खराब हुए जा रही थी मैं जानता था कि अब ऐसे आराम मिलने वाला नहीं है इसका इलाज खुद ही करना पड़ेगा और यही सोच करूंगा बाथरूम के अंदर घुस गया था और बाथरूम के अंदर घुसते ही अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया था,,, और सुमन के बारे में सोच रहा था उसके व्यक्तित्व के बारे में सोच रहा था वह उसके चरित्र के बारे में मन मंथन कर रहा था की सुमन क्या चाहती है,,,।



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अंकित औरतों की मां की भाषा को ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ा-थोड़ा समझने लगा था और पूरी तरह से जवान होने के नाते उसे इतना तो समझ में आ ही रहा था कि एक लड़की अपने कमरे में बुलाकर अगर इस तरह की हरकत करे तो वह क्या चाहती है,,, और अपने मन में उठ रहे इस प्रश्न का जवाब वह अच्छी तरह से जानता था और जवाब के बारे में सोचकर ही उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे,,, और सुमन ने तो उसे यह भी कही थी कि इस बारे में वह किसी को ना बताएं और इस तरह का मजा हुआ आगे भी देती रहेगी इसका मतलब साफ था कि बहुत ही जल्द वह अपने आप को सुमन की दोनों टांगों के बीच पाने वाला था,,, और वह अपने मन में यह भी सोच रहा था कि जो सुख वह अपनी मां से प्राप्त करना चाहता था वह सुख उसे सुमन बहुत ही जल्द देने वाली है और इसीलिए उसकी उत्तेजना का ठिकाना न था,,,।



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बाथरूम के अंदर नग्न अवस्था में खड़े होने और सुमन के बारे में सोचने पर ही उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था जिसे वह अपनी मुट्ठी में लेकर धीरे-धीरे दिला रहा था और सुमन के बारे में सोच रहा था अपनी आंखों को बंद करके वह सुमन के बारे में गंदी कल्पना करने लगा था जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी,,, बस सुमन के बारे में वही कल्पना कर रहा था जो कुछ देर पहले उसकी मां के आने से रुक गई थी वह अपने मन में सोच रहा था कि वह सुमन की चूचियों को दोनों हाथों में लेकर जोर-जोर से दबा रहा है सुमन की हालत खराब हो रही है और सुमन खुद उसके चेहरे को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचकर खुद ही उसके होठों को अपनी चूची से सटा दी,,,,।




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यह पल अंकित के लिए बेहद अद्भुत था ,,वहपागलों की तरह सुमन की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया था जिससे सुमन की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,,, और देखते ही देखते सुमन अपना हाथ आगे बढ़ाकर अंकित के लंड को पकड़ ली और उसे जोर-जोर से पेंट के ऊपर से दबाना शुरू कर दी,,, अब अंकित के लिए काबू में रहना कठिन हुआ जा रहा था वह धीरे से अपना हाथ आगे बढ़कर सुमन की दोनों टांगों के बीच रख दिया और पजामे के ऊपर से ही उसकी गुलाबी बुर र को मसलना शुरू कर दिया,,, जीससे सुमन की उत्तेजना बढ़ने लगी और वह देखते देखते अपना पजामा उतरकर एकदम नंगी हो गई,,,, अंकित सुमन की गर्म जवानी देखकर पागल हुआ जा रहा था और देखते देखते वह भी अपने सारे कपड़े उतार करके नंगा हो गया,,,।




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अंकित के लंड को देखकर सुमन के चेहरे पर हवन होने लगी क्योंकि वाकई में अंकित का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा लग रहा था,,, सुमन अपने आप ही अपने दोनों टांगों को खोल कर अंकित को अपनी तरफ आकर्षित करने लगी और देखते-देखते अंकित सुमन की दोनों टांगों के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी बुर में डालकर उसे चोदना शुरू कर दिया इस तरह की कल्पना करते हुए वह जोर-जोर से मुठ मार रहा था,,,,। उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसकी सांसों की गति उखड़ रही थी और देखते ही देखते उसके लंड से फवारा छुटकर बाथरूम की दीवार पर गिरने लगी और थोड़ी देर बाद जब बहुत शांत हुआ तो मग में पानी लेकर हुआ है दीवार पर गिरे अपने वीर्य को साफ करने लगा,,, क्योंकि वह जानता था तृप्ति तो शायद दीवार पर गिरे उसके वीर्य को नहीं पहचान पाएगी कि वह क्या है लेकिन उसकी मां जरूर पहचान लेगी,,, इसलिए वह जल्दी-जल्दी से साफ कर दिया था और नहा कर बाहर आ गया था,,,,।



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रविवार का दिन था और आज के दिन अंकित ने तय कर लिया था कि आज वह अपनी मां के लिए चड्डी खरीद कर ही रहेगा जिसके लिए उसके पास पैसे भी थे और वह दोपहर में खाना खाने के बाद अपनी मां को बिना बताए घर से अपनी मां के लिए चड्डी खरीदने के लिए निकल चुका था वह जानता था कि उसे कहां जाना है वह पास के बाजार से नहीं बल्कि थोड़ी दूर जाना चाहता था ताकि चड्डी खरीदते समय उसे कोई परिचित का इंसान देख ना ले,, इसलिए वह कुछ दूर तक पैदल चलता हुआ चौराहे पर पहुंच गया और वहां से ऑटो करके अपनी मार्केट से दूर दूसरे मार्केट की ओर निकल गया,,,। और तकरीबन 25 मिनट के बाद वह दूसरे मार्केट में पहुंच चुका था जो की उसके घर से तकरीबन 20 किलोमीटर की दूरी पर यहां पर उसके परिचित का मिलना मुश्किल था,,, इस बात को वह अच्छी तरह से जानता था,,,।




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मार्केट में पहुंचने के बाद अंकित कुछ देर तक इधर-उधर घूम कर पूरे मार्केट का मुआयना करता रहा यहां पर उसके मार्केट के मुकाबले दुकान बड़ी-बड़ी थी और काफी अच्छी तरह की साज सजावट वाली दुकान थी,,, कुछ देर तक इधर-उधर घूमने के बाद एक अच्छी सी कपड़े की दुकान में प्रवेश कर गया जहां पर ज्यादा कस्टमर तो नहीं थे लेकिन कुछ औरतें थीं,,,, पहले तो दुकान के दरवाजे पर खड़ा होकर वहां अंदर की तरफ डरा डरा सा देख रहा था क्योंकि एक काउंटर पर कुछ औरतें खड़ी थी और अंदर काम करने वाली भी सेल्स गर्ल थी,,, इसलिए उसका मन झिझक रहा था,,, लेकिन तभी काउंटर पर खड़ी एक लड़की उसे मुस्कुराते हुए अंदर बुलाने लगी और वह उसे लड़की की मुस्कान देखकर अंदर जाने से अपने आप को रोक नहीं पाया और अंदर प्रवेश कर गया और वैसे भी दुकान को देखकर वह समझ गया था कि उसकी मां के लिए यही से अच्छी चड्डी मिलेगी,,,,।



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दुकान में प्रवेश करते ही अंकित काउंटर पर खड़ी लड़की के पास गया और वह काउंटर पर कोई और कस्टमर नहीं था इसलिए वह थोड़ा निश्चित था,,।

बोलिए सर आपको क्या चाहिए,,,(काउंटर वाली लड़की मुस्कुराते हुए अंकित से बोली लेकिन अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले वैसे तो घर से चला था कि वह दुकान वाले से औरत की चड्डी के बारे में बात करेगा अच्छी सी चड्डी अपनी मां के लिए खरीद लेगा लेकिन काउंटर पर लड़की को देखकर उसकी सिट्टी पीट्टी गुम हो गई थी,,,, वह कुछ बोल नहीं पाया और उसकी ख़ामोशी को देख कर वह काउंटर वाली लड़की फिर से बोली,,,।)



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क्या हुआ सर क्या सोच रहे हैं यहां आपको सब तरह की वैरायटी के कपड़े मिल जाएंगे वैसे किसके लिए खरीदना है आपको आपके लिए या,,,, किसी और के लिए,,,(किसी और के लिए कहते हुए काउंटर वाली लड़की अपनी आंख को नचाते हुए बोली थी,,, अंकित को कुछ देर तक समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें क्या करें कैसे मांगे लेकिन फिर वह अपने मन में सोचने लगा कि यह लड़की कौन सी उसकी परिचित है वह क्यों इस लड़की से शर्मा रहा है घबरा रहा है और वैसे भी वह अपने घर से काफी दूर आया है चड्डी खरीदने के लिए फिर शर्माना कैसा और इसलिए ऐसा सोचकर उसके मन का डर कम होने लगा और वह हिम्मत करके बोला,,,,)

मुझे अच्छी सी पेंटी चाहिए,,,।




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(अंकित की बात सुनते ही उसे काउंटर वाली लड़की के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और वह मुस्कुराते हुए और अपनी आंखों को नचाते हुए बोली,,,)

ओहहह,,,, मुझे पहले से ही मालूम था तभी तो तुम इतना शर्मा रहे थे इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है,,,,,।


पहली बार खरीद रहा हूं ना इसलिए,,,,।

वह तो तुम्हारे हवा बहुत देखकर ही पता चल रहा है की पहली बार खरीद रहे हो,,,। वैसे तुम्हें किसके लिए खरीदना है,,, तुम्हें देखकर लग तो नहीं रहेगी तुम्हारी शादी हो गई होगी इसका मतलब साफ है,,,।

क्या मतलब,,,,(उसे लड़की के बात करने के अंदाज से अंकित के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अंदर ही अंदर शर्मा भी रहा था और घबरा भी रहा था,,)




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मतलब यही कि जवान हो हट्टे कट्टे हो जरूर तुम अपनी गर्लफ्रेंड के लिए पेंटी खरीदने के लिए आए हो,,, आजकल तुम्हारी उम्र की लड़की इसी तरह का गिफ्ट दे रहे हैं,,,,।

(गर्लफ्रेंड का नाम लेकर उसे लड़की ने अंकित का काम एकदम आसान करती थी क्योंकि अंकित अपने मन में नहीं सोच रहा था कि किसके लिए खरीदने के लिए आया है क्या बताएगा,,,,, और उसे काउंटर वाली लड़की की बात सुनकर मुस्कुराते हुए वह बोला,,,)

हां गर्लफ्रेंड के लिए कोई अच्छी सी दिखाना,,,,।

ऐसे ही चालू किस्म की चाहिए या ब्रांडेड कंपनी की,,,

ब्रांडेड कंपनी की ताकि लूज ना पड़े,,,।

बड़े दिलदार हो गर्लफ्रेंड पर अच्छा खासा पैसा खर्च करना जानते हो,,,,,।

जी,,,,(काउंटर वाली लड़की से बात करने में अंकित को भी मजा आ रहा था वह अंकित की बात सुनकर,,, मुस्कुराते हुए दूसरी तरफ पलट कर पेंटी लेने जा ही रही थी कि तभी उसे अचानक कुछ याद आया और वह फिर से अंकित की तरफ घूम कर जैसे कुछ भूल गई हो इस तरह से याद करते हुए बोली,,,)

अरे कौन सी साइज का चाहिए यह तो तुमने बताया ही नहीं,,,,,,।



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(काउंटर वाली लड़की की बातें सुनकर तो अंकित के पसीने छूटने लगे क्योंकि वह अपनी मां का साइज भूल चुका था वैसे वह अपनी मां की गांड का साइज अपने हाथों से नापा था साड़ी के ऊपर से इतनी और साड़ी के अंदर से भी लेकिन कितना नाप था वह उसके दिमाग से निकल चुका था,,,, और तुरंत उसके मन में उसे दिन वाली घटना याद आने लगी जब वह अपनी मां की गांड का नाप ले रहा था वह भी क्या गजब का पल था और वैसे भी वह मौका शायद ही किसी बेटे के जिंदगी में आते हैं जब वह अपने हाथों से अपनी मां की गांड का नाप लेता हो और वह भी अपनी मां के लिए चड्डी खरीदने के लिए,,,, अंकित के जेहन में उसके मन मस्तिष्क में उसकी मां का नंगा बदन पूरी तरह से छप चुका था उसकी मां की गांड का आकार भी पूरी तरह से छप चुका था लेकिन उसका साइज नहीं मालूम था,,,, इसलिए वह इधर-उधर नजर मिलाकर सोचने लगा था लेकिन उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा था और वह जानता था कि गलत नाप बता देने से उसकी सारी मेहनत मिट्टी में मिल जाती इसलिए वह गलत नाप बताना नहीं चाहता था,,,।


Sugandha ki kalpna apne bete k sath
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अंकित के हाव-भाव को देखकर वह काउंटर वाली लड़की समझ गई थी कि अंकित को नाप नहीं मालूम है और वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी,,, लेकिन उसका काम यही था इसलिए वह फिर से बोली,,,)

क्या हुआ सर बताइए ना कौन सा नाप चाहिए,,,

नननन,,,नाप ,,,, नाप तो मैं भूल गया,,,,(एकदम से हडबडाते हुए अंकित बोला,,,, उसे इस बात का डर था कि माप न होने की वजह से उसे वापस जाना होगा लेकिन इस समस्या का भी समाधान उसका काउंटर वाली लड़की के पास था वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)



Sugandha

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जाने दीजिए सर अच्छा यह बताइए क्या तुम्हारी गर्लफ्रेंड का फिगर मेरी तरह था,,,(और ऐसा कहते हुए वह काउंटर वाली लड़की अपने हाथों पर करके गोल-गोल घूम कर उसे अपना फिगर दिख रही थी जब वह सामने की तरफ मुंह करके घूम तो उसकी ऊभरी हुई गांड पर अंकित की नजर ठीक हो गई क्योंकि उसकी कहानी कुछ अद्भुत तरीके से बाहर निकली हुई थी जिसे देखकर अंकित के तन बदन में हलचल होने लगी लेकिन जिस तरह से वह काउंटर वाली लड़की अंकित को अपना फिगर दिखा रही थी और जब वह अपनी गांड अंकित की तरफ करके घूमी थी तो वह तिरछी नजर से अंकित को देख रही थी और अंकित को अपनी गांड की तरफ देखता हुआ पाकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,, पूरी तरह से घुम लेने के बाद वह फिर से बोली,,,)

बताइए सर क्या मेरी तरह फीगर है आपकी गर्लफ्रेंड का,,,,।


Suman ki panty utarta ankit

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(काउंटर वाली लड़की की उन्नत नितंबों को देखकर उत्तेजना के मारे अंकित का मुंह खुला का खुला रह गया था लेकिन उसकी बात सुनकर वह जल्दी से अपनी मां को बंद कर लिया और बोला ,,,)

जी नहीं,,,,।


तो फिर बताइए आपकी गर्लफ्रेंड का फिगर कैसा है वह मोटी है पतली है कैसी है,,,,,।




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(अब अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले क्योंकि वह अपनी गर्लफ्रेंड के लिए नहीं बल्कि अपनी मां के लिए चड्डी खरीदने के लिए आया था जिसकी कारण काफी बड़ी-बड़ी थी जिसकी चूचियां जैसी थी उसका फिगर गजब का था लेकिन लड़कियों जैसा बिल्कुल भी नहीं था एकदम भरा हुआ भजन था लेकिन यह सब हुआ कैसे बताएं इसलिए वह आश्चर्य से उस काउंटर वाली लड़की को देखता ही रह गया,,,,, लेकिन इसका भी समाधान उस काउंटर वाली लड़की के पास था क्योंकि वह एक सेल्स गर्ल थी उसे मालूम था कि कस्टमर को क्या चाहिए और किस तरह से अपना सामान बेचना इसलिए वह बोली,,,)




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चलिए कोई बात नहीं सर ,,,,,, जाने दीजिए मेरी जैसी नहीं है तो फिर सामने देख रहे हैं तीन-चार लेडिस खड़ी है उनमें से बताइए किसकी तरह आपकी गर्लफ्रेंड का फिगर है तब मैं सही नाप का दे दूंगी,,,,।
(काउंटर वाली लड़की की बात सुनते ही अंकित की जान में जाना ही और वह सामने के काउंटर की तरफ देखने लगा जहां पर तीन चार लेडिस खड़ी थी उन चार औरतों को वह बड़ी गौर से देखने लगा और तभी उनमें से एक औरत का फिगर उसकी मां से बिल्कुल मिलता जुलता था उसकी भी बड़ी-बड़ी गांड थी बड़ी-बड़ी चूचियां थी उसकी लंबाई भी उसकी मां की तरह ही थी बस रंग थोड़ा सा दबा हुआ था और वह तुरंत उस औरत की तरफ उंगली दिखाते हुए बोला,,,,)






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वो,,वो,,,, खड़ी है ना किनारे ,,,, पीले रंग की साड़ी वाली,,,,।


कौन वो जो हाथ में थैला लेकर खड़ी है,,,,।

हां हां वही,,,,।

(अंकित की बात सुनकर वह काउंटर वाली लड़की बड़ी गौर से उसे औरत को देखने लगी जिसे अंकित उंगली के इशारे से दिखाया था वह एकदम मोटी ताजी गजब के फिगर वाली औरत थी लेकिन लड़की बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन उसे काउंटर वाली लड़की को क्या मालूम की अंकित जिसके लिए चड्डी खरीदने के लिए आया है वह उसकी गर्लफ्रेंड नहीं बल्कि उसकी मां है और एक मां होने के नाते उसके बदन की बनावट कुछ अलग ही थी लेकिन वह काउंटर वाली लड़की समझ रही थी कि शायद मोटी गर्लफ्रेंड होगी,,, और मुस्कुराते हुए तुरंत आंठ दस तरह की पेटी निकाल कर उसकी आंखों के सामने काउंटर पर रख दी जिसे अंकित अपने हाथ में लेकर देख रहा था,,,,। और वह उसे देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी,,,, पर मुस्कुराते हुए बोली,,,)


Blouse utarta hua ankit

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तुम्हारी गर्लफ्रेंड के तो काफी बड़ी-बड़ी है,,,,!


क्या,,,?


उसका पिछवाड़ा,,,,(एकदम से बेशर्मी दिखाते हुए वह काउंटर वाली लड़की बोली,,,, उसकी बात सुनकर हाथ में पेंटी लिए हुए अंकित उसकी तरफ आश्चर्य से देखने लगा,,, अंकित को हैरान होता हुआ देखकर वह काउंटर वाली लड़की बोली,,,)

हैरान होने की जरूरत नहीं हैरान तुम्हें हो मुझे लगा कि मेरी फिगर वाली कोई गर्लफ्रेंड होगी लेकिन शायद तुम्हारा टेस्ट कुछ दूसरा है,,,,।
(उसकी बात सुनकर अंकित मन ही मन खुश हो रहा था क्योंकि पहली बार कोई ऐसी लड़की मिली थी जो इस तरह की बातें कर रही थी इसलिए वह मुस्कुराता हुआ बोला)


Siman ki chudai karta hua Ankit

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तुम सही कह रही हो,,,, मुझे बड़ी-बड़ी,,,, वाली ही पसंद है,,,(गांड शब्द को अंकित खुलकर नहीं बोल पाया था लेकिन वह जानता था कि वह काउंटर वाली लड़की उसकी बात को समझ गई थी इसलिए तो मुस्कुरा रही थी और वह मुस्कुराते हुए बोली)

क्या तुम उसे काबू में कर लेते हो,,,,
(अंकित उस काउंटर वाली लड़की की बात को समझ रहा था,,, इसलिए वह मुस्कुराता हुआ बोला,,,)

क्यों नहीं,,,,, एक कहावत तो तुम भी सुनी होगी की टीवी चाहे कितनी भी इंच की हो लेकिन उसका रिमोट 8 इंच का ही रहता है जिससे वह चलती है और काबू में भी रहती है,,,,।
(अंकित का हाजिर जवाब सुनकर वह लड़की एकदम मंत्र मुक्त हो गई क्योंकि वह पहली बार इस तरह की कहावत को सुन रही थी जो कि एकदम बराबर फिट बैठ रही थी और वह एकदम से खुश होते हुए बोली)



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अरे वह तुम तो एकदम खिलाड़ी निकले मैं तो तुम्हें अनाड़ी समझ रही थी लेकिन तुम्हारी एक कहावत ने मुझे यकीन दिला दिया कि तुम किसी किस्म के बंदे हो गजब वैसे मेरा नाम काजल है,,,,

जी मेरा नाम अंकित है,,,

बहुत सुंदर नाम है,,,


तुम्हारा नाम भी काफी सुंदर है,,,,(उस लड़की के खुले विचारों वाली बात को सुनकर अंकित का भी हौसला बुलंद हो रहा था और इस बात से वह ज्यादा निश्चित तथा कि यहां पर उसे कोई जानता नहीं था और यह लड़की उसकी परिचित की बिल्कुल भी नहीं थी और काफी दूर की थी इसलिए अंकित को भी अब उसके साथ झिझक नहीं हो रही थी इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अच्छा एक बात बताओ अगर यह सब में तुम्हें पसंद करना होता तो कौन सी पसंद करती,,,,।
(न जाने क्यों वह काउंटर वाली लड़की अंकित की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी इसलिए मुस्कुराते हुए बिना देर किए हुए वह बोली,,,)

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अगर मुझे पसंद करना होता तो,,,,, मैं यह लाल,,, पीली और यह ब्लैक रंग की पेंटी पसंद करती,,,,(तीनों पेंटिंग को अपने हाथ में लेकर वह बोली और उसकी पसंद देखकर अंकित भी मुस्कुराता हुआ बोला,,,)

वाह ,,, कमाल हो गया मैं अपने मन में यही पसंद किया था,,, लेकिन मुझे दो ही चाहिए थी,,,।

लेकिन तुम तीन लेकर जाना क्योंकि एक और दो से गर्लफ्रेंड ज्यादा खुश नहीं होती,,,।

तुम्हें कैसे मालूम,,,


अरे मैं भी एक लड़की हूं और मैं भी किसी की गर्लफ्रेंड हूं इसलिए अच्छी तरह से जानती हो तुम अगर अपनी गर्लफ्रेंड को तीन दोगे तो बहुत खुश हो जाएगी और तुम्हें डबल खुशी देगी,,,।



डबल खुशी मतलब,,,,,


डबल खुशी का मतलब नहीं जानते गर्लफ्रेंड क्या देती है खुश होने के बाद,,,,(वह मुस्कुराते हुए बोली और अंकित उसके कहने के मतलब को समझ गया था इसलिए वह भी मुस्कुराने लगा और अपने मन में सोचने लगा कि काश ऐसा ही होता,,,,,)

तो चलो जल्दी से इसे पेक कर दो,,,,


और कुछ नहीं चाहिए,,,,,?

नहीं-नहीं बस इतना ही,,,,


अरे ब्रा तो लेते जाओ,,,,,


नहीं ले सकता क्योंकि मुझे उसका भी साइज नहीं मालूम है,,,,।


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लेकिन मुझे मालूम है ना पेटी के हिसाब से ब्रा का साइज अपने आप पता चल जाता है,,,,,,, अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड का पिछवाड़ा बड़ा बड़ा है तो उसकी छाती भी बड़ी-बड़ी होगी एकदम खरबूजे की तरह,,,,


जी हां,,,,।

रुको मैं ब्रा भी दे देती हूं,,,,।


लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है,,,,


अरे तीन नहीं एक ही ले जाओ,,,,(और इतना कह कर रहा है ब्रा निकालने लगी और अपनी पसंद की एक अच्छी खासी जालीदार ब्रा निकाल कर काउंटर पर रख दी,,,,और अंकित उसे ब्रा को देखने लगा उसके कब को देखने का और अंदाजा लगाने लगा कि उसकी मां की चूची इसमें ठीक से आ पाएगी कि नहीं और अंकित के इस हरकत को देखकर वह समझ गई कि अंकित क्या सोच रहा है इसलिए वह बोली,,,,)




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तो बिल्कुल भी चिंता मत करो उसे औरत को देखकर पेंटी निकलवाए हो ना,,, तो उसकी छाती के साइज का ही मैं तुम्हें ब्रा निकाल कर दी हूं तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,,।

ठीक है तुम रहती हो तो सही ही होगी,,,।

अरे बहुत अच्छी लगेगी जालीदार सब कुछ साफ दिखेगी,,,,(उसके कहने के मतलब को समझ कर अंकित मुस्कुराने लगा और थोड़ी ही देर में वहां से पैसे देकर दुकान से बाहर निकल गया,,,, शाम होने लगी इसलिए ज्यादा देर तक यहां रुकना ठीक नहीं था और वैसे भी अपनी मां के लिए ब्रा और पेंटी खरीदने में उसके सारे बचत के पैसे चले गए थे इसलिए ज्यादा फिजूल खर्च करना उसे उचित नहीं लगा और वह ओटो पकड़कर अपने घर पहुंच गया उसकी किस्मत अच्छी थी कि अभी घर पर कोई नहीं आया था ना तो उसकी बहन थी मेरी उसकी मां आई थी रविवार होने की वजह से वह जानता था कि उसकी मां थोड़ा टहलने के लिए निकल जाती थी इसलिए जल्दी से ताला खोलकर घर में प्रवेश किया और अपनी मां के लिए इलाही हुई चड्डी और ब्रा को अपने बैग में रखकर छुपा दिया वह उचित समय पर अपनी मां को देना चाहता था,,,,।)


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Last edited:

sunoanuj

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पढ़ाई के बहाने अपने घर में बुलाकर सुमन ने जो कुछ भी अंकित के साथ किया था वह अंकित के लिए बेहद अद्भुत और अविस्मरणीय पल था जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,, सुमन के बारे में अपने दोस्तों के मुंह से वह कहीं बार सुन चुका था कि सुमन दूसरी तरह की लड़की है,,, लेकिन कभी ऐसा कुछ देखा नहीं था कि जिसकी वजह से वह भी समान पर दूसरी लड़कियों की तरह होने का शक करता लेकिन इस बीच वह सुमन की जवानी के प्रति बराबर आकर्षित हुआ जा रहा था,,, उसका गदराया बदन हमेशा अंकित की उत्तेजना का कारण बनता जा रहा था और सबसे खास था सुमन की बड़ी-बड़ी गांड जो कि वाकई में बेहद लुभावनी लगती थी,, और जिस पर वह खुद अपने लंड की रगड़ को अच्छी तरह से महसूस कर चुका था और वह भी बनिए की दुकान पर जहां पर सुमन ही उसे राशन लेने के लिए साथ लेकर गई थी,,,।

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अंकित अपने घर आ चुका था एक अद्भुत एहसास को अपने अंदर संजोए,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि सुमन खुद उसे अपने कमरे में बुलाकर उसके साथ इस तरह की हरकत करेगी लेकिन जो कुछ भी हुआ था उसमें अंकित की ही बनाई थी अंकित को कुछ सीखने को मिल रहा था अभी तक वह अपनी मां की चूची को देखकर ही मत हुआ जा रहा था उसने उसके भूगोल को तो पूरी तरह देख लिया था लेकिन उसे छूकर नहीं देखा था उसे एहसास को महसूस नहीं किया था जो एहसास एक औरत की मदमस्त कर देने वाली चुची को स्पर्श करके उसे पकड़ कर उसे दबाकर होती है,,, और यह सुख उसे सुमन के द्वारा प्राप्त हुआ था,,,। और इसलिए वह मन ही मन सुमन को धन्यवाद कर रहा था,,,।




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अपनी मां के संपूर्ण बदन को वह नग्नवस्था में बहुत बार देख चुका था,,, अपनी मां की चूची के भी दर्शन हुआ कर चुका था और उसे देखकर उसकी गोलाई देखकर खरबूजे जैसा आकार देख कर उसे ऐसा ही लगता था की औरतों की चूचियां एकदम कड़क होती होगी लेकिन उसका यह भ्रम तब टूट गया जब सुमन की चूची को अपने हाथ में लेकर दबाना शुरू किया था एकदम मुलायम रुई की तरह और वह एकदम से मदहोश हो गया था,,, चूचियों को छूने में कितना आनंद और मदहोशी का एहसास होता है यह उसे पहली बार हुआ था सुमन की चूची को पकड़ते ही उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,,, और सुमन ने खुद उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी चूचियों पर रखी थी और अपने आप से ही अपनी चूची को दबाने के लिए उसे प्रेरित की थी,,, खूबसूरत जवान लड़की इतनी खुले विचारों वाली हो सकती है यह उसने कभी सोचा ही नहीं था वह सोचा था कि सब कुछ धीरे-धीरे ही होता है जैसा कि वह अपनी मां के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था लेकिन सुमन तो एक कदम आगे ही निकली वह अपने आप से ही सब कुछ करवाने पर उतारू हो चुकी थी अंकित को पूरा यकीन था कि अगर उसकी मां ना आई होती तो उसे जरूर मर्द की तरह एक खूबसूरत औरत के साथ शुख भोगने का सौभाग्य प्राप्त होता ।


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अपने घर में आकर भी अंकित को चैन नहीं मिल रहा था बार-बार उसकी आंखों के सामने सुमन ही नजर आ रही थी जो अपने आप से अपनी टीशर्ट निकाल कर अपनी चूचियों को एकदम नंगी करती थी और मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रहती थी यह सब सोच कर अंकित की हालत एकदम से खराब हुए जा रही थी मैं जानता था कि अब ऐसे आराम मिलने वाला नहीं है इसका इलाज खुद ही करना पड़ेगा और यही सोच करूंगा बाथरूम के अंदर घुस गया था और बाथरूम के अंदर घुसते ही अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया था,,, और सुमन के बारे में सोच रहा था उसके व्यक्तित्व के बारे में सोच रहा था वह उसके चरित्र के बारे में मन मंथन कर रहा था की सुमन क्या चाहती है,,,।



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अंकित औरतों की मां की भाषा को ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ा-थोड़ा समझने लगा था और पूरी तरह से जवान होने के नाते उसे इतना तो समझ में आ ही रहा था कि एक लड़की अपने कमरे में बुलाकर अगर इस तरह की हरकत करे तो वह क्या चाहती है,,, और अपने मन में उठ रहे इस प्रश्न का जवाब वह अच्छी तरह से जानता था और जवाब के बारे में सोचकर ही उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे,,, और सुमन ने तो उसे यह भी कही थी कि इस बारे में वह किसी को ना बताएं और इस तरह का मजा हुआ आगे भी देती रहेगी इसका मतलब साफ था कि बहुत ही जल्द वह अपने आप को सुमन की दोनों टांगों के बीच पाने वाला था,,, और वह अपने मन में यह भी सोच रहा था कि जो सुख वह अपनी मां से प्राप्त करना चाहता था वह सुख उसे सुमन बहुत ही जल्द देने वाली है और इसीलिए उसकी उत्तेजना का ठिकाना न था,,,।



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बाथरूम के अंदर नग्न अवस्था में खड़े होने और सुमन के बारे में सोचने पर ही उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था जिसे वह अपनी मुट्ठी में लेकर धीरे-धीरे दिला रहा था और सुमन के बारे में सोच रहा था अपनी आंखों को बंद करके वह सुमन के बारे में गंदी कल्पना करने लगा था जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी,,, बस सुमन के बारे में वही कल्पना कर रहा था जो कुछ देर पहले उसकी मां के आने से रुक गई थी वह अपने मन में सोच रहा था कि वह सुमन की चूचियों को दोनों हाथों में लेकर जोर-जोर से दबा रहा है सुमन की हालत खराब हो रही है और सुमन खुद उसके चेहरे को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचकर खुद ही उसके होठों को अपनी चूची से सटा दी,,,,।




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यह पल अंकित के लिए बेहद अद्भुत था ,,वहपागलों की तरह सुमन की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया था जिससे सुमन की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,,, और देखते ही देखते सुमन अपना हाथ आगे बढ़ाकर अंकित के लंड को पकड़ ली और उसे जोर-जोर से पेंट के ऊपर से दबाना शुरू कर दी,,, अब अंकित के लिए काबू में रहना कठिन हुआ जा रहा था वह धीरे से अपना हाथ आगे बढ़कर सुमन की दोनों टांगों के बीच रख दिया और पजामे के ऊपर से ही उसकी गुलाबी बुर र को मसलना शुरू कर दिया,,, जीससे सुमन की उत्तेजना बढ़ने लगी और वह देखते देखते अपना पजामा उतरकर एकदम नंगी हो गई,,,, अंकित सुमन की गर्म जवानी देखकर पागल हुआ जा रहा था और देखते देखते वह भी अपने सारे कपड़े उतार करके नंगा हो गया,,,।




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अंकित के लंड को देखकर सुमन के चेहरे पर हवन होने लगी क्योंकि वाकई में अंकित का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा लग रहा था,,, सुमन अपने आप ही अपने दोनों टांगों को खोल कर अंकित को अपनी तरफ आकर्षित करने लगी और देखते-देखते अंकित सुमन की दोनों टांगों के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी बुर में डालकर उसे चोदना शुरू कर दिया इस तरह की कल्पना करते हुए वह जोर-जोर से मुठ मार रहा था,,,,। उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसकी सांसों की गति उखड़ रही थी और देखते ही देखते उसके लंड से फवारा छुटकर बाथरूम की दीवार पर गिरने लगी और थोड़ी देर बाद जब बहुत शांत हुआ तो मग में पानी लेकर हुआ है दीवार पर गिरे अपने वीर्य को साफ करने लगा,,, क्योंकि वह जानता था तृप्ति तो शायद दीवार पर गिरे उसके वीर्य को नहीं पहचान पाएगी कि वह क्या है लेकिन उसकी मां जरूर पहचान लेगी,,, इसलिए वह जल्दी-जल्दी से साफ कर दिया था और नहा कर बाहर आ गया था,,,,।



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रविवार का दिन था और आज के दिन अंकित ने तय कर लिया था कि आज वह अपनी मां के लिए चड्डी खरीद कर ही रहेगा जिसके लिए उसके पास पैसे भी थे और वह दोपहर में खाना खाने के बाद अपनी मां को बिना बताए घर से अपनी मां के लिए चड्डी खरीदने के लिए निकल चुका था वह जानता था कि उसे कहां जाना है वह पास के बाजार से नहीं बल्कि थोड़ी दूर जाना चाहता था ताकि चड्डी खरीदते समय उसे कोई परिचित का इंसान देख ना ले,, इसलिए वह कुछ दूर तक पैदल चलता हुआ चौराहे पर पहुंच गया और वहां से ऑटो करके अपनी मार्केट से दूर दूसरे मार्केट की ओर निकल गया,,,। और तकरीबन 25 मिनट के बाद वह दूसरे मार्केट में पहुंच चुका था जो की उसके घर से तकरीबन 20 किलोमीटर की दूरी पर यहां पर उसके परिचित का मिलना मुश्किल था,,, इस बात को वह अच्छी तरह से जानता था,,,।




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मार्केट में पहुंचने के बाद अंकित कुछ देर तक इधर-उधर घूम कर पूरे मार्केट का मुआयना करता रहा यहां पर उसके मार्केट के मुकाबले दुकान बड़ी-बड़ी थी और काफी अच्छी तरह की साज सजावट वाली दुकान थी,,, कुछ देर तक इधर-उधर घूमने के बाद एक अच्छी सी कपड़े की दुकान में प्रवेश कर गया जहां पर ज्यादा कस्टमर तो नहीं थे लेकिन कुछ औरतें थीं,,,, पहले तो दुकान के दरवाजे पर खड़ा होकर वहां अंदर की तरफ डरा डरा सा देख रहा था क्योंकि एक काउंटर पर कुछ औरतें खड़ी थी और अंदर काम करने वाली भी सेल्स गर्ल थी,,, इसलिए उसका मन झिझक रहा था,,, लेकिन तभी काउंटर पर खड़ी एक लड़की उसे मुस्कुराते हुए अंदर बुलाने लगी और वह उसे लड़की की मुस्कान देखकर अंदर जाने से अपने आप को रोक नहीं पाया और अंदर प्रवेश कर गया और वैसे भी दुकान को देखकर वह समझ गया था कि उसकी मां के लिए यही से अच्छी चड्डी मिलेगी,,,,।



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दुकान में प्रवेश करते ही अंकित काउंटर पर खड़ी लड़की के पास गया और वह काउंटर पर कोई और कस्टमर नहीं था इसलिए वह थोड़ा निश्चित था,,।

बोलिए सर आपको क्या चाहिए,,,(काउंटर वाली लड़की मुस्कुराते हुए अंकित से बोली लेकिन अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले वैसे तो घर से चला था कि वह दुकान वाले से औरत की चड्डी के बारे में बात करेगा अच्छी सी चड्डी अपनी मां के लिए खरीद लेगा लेकिन काउंटर पर लड़की को देखकर उसकी सिट्टी पीट्टी गुम हो गई थी,,,, वह कुछ बोल नहीं पाया और उसकी ख़ामोशी को देख कर वह काउंटर वाली लड़की फिर से बोली,,,।)



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क्या हुआ सर क्या सोच रहे हैं यहां आपको सब तरह की वैरायटी के कपड़े मिल जाएंगे वैसे किसके लिए खरीदना है आपको आपके लिए या,,,, किसी और के लिए,,,(किसी और के लिए कहते हुए काउंटर वाली लड़की अपनी आंख को नचाते हुए बोली थी,,, अंकित को कुछ देर तक समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें क्या करें कैसे मांगे लेकिन फिर वह अपने मन में सोचने लगा कि यह लड़की कौन सी उसकी परिचित है वह क्यों इस लड़की से शर्मा रहा है घबरा रहा है और वैसे भी वह अपने घर से काफी दूर आया है चड्डी खरीदने के लिए फिर शर्माना कैसा और इसलिए ऐसा सोचकर उसके मन का डर कम होने लगा और वह हिम्मत करके बोला,,,,)

मुझे अच्छी सी पेंटी चाहिए,,,।




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(अंकित की बात सुनते ही उसे काउंटर वाली लड़की के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और वह मुस्कुराते हुए और अपनी आंखों को नचाते हुए बोली,,,)

ओहहह,,,, मुझे पहले से ही मालूम था तभी तो तुम इतना शर्मा रहे थे इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है,,,,,।


पहली बार खरीद रहा हूं ना इसलिए,,,,।

वह तो तुम्हारे हवा बहुत देखकर ही पता चल रहा है की पहली बार खरीद रहे हो,,,। वैसे तुम्हें किसके लिए खरीदना है,,, तुम्हें देखकर लग तो नहीं रहेगी तुम्हारी शादी हो गई होगी इसका मतलब साफ है,,,।

क्या मतलब,,,,(उसे लड़की के बात करने के अंदाज से अंकित के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अंदर ही अंदर शर्मा भी रहा था और घबरा भी रहा था,,)




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मतलब यही कि जवान हो हट्टे कट्टे हो जरूर तुम अपनी गर्लफ्रेंड के लिए पेंटी खरीदने के लिए आए हो,,, आजकल तुम्हारी उम्र की लड़की इसी तरह का गिफ्ट दे रहे हैं,,,,।

(गर्लफ्रेंड का नाम लेकर उसे लड़की ने अंकित का काम एकदम आसान करती थी क्योंकि अंकित अपने मन में नहीं सोच रहा था कि किसके लिए खरीदने के लिए आया है क्या बताएगा,,,,, और उसे काउंटर वाली लड़की की बात सुनकर मुस्कुराते हुए वह बोला,,,)

हां गर्लफ्रेंड के लिए कोई अच्छी सी दिखाना,,,,।

ऐसे ही चालू किस्म की चाहिए या ब्रांडेड कंपनी की,,,

ब्रांडेड कंपनी की ताकि लूज ना पड़े,,,।

बड़े दिलदार हो गर्लफ्रेंड पर अच्छा खासा पैसा खर्च करना जानते हो,,,,,।

जी,,,,(काउंटर वाली लड़की से बात करने में अंकित को भी मजा आ रहा था वह अंकित की बात सुनकर,,, मुस्कुराते हुए दूसरी तरफ पलट कर पेंटी लेने जा ही रही थी कि तभी उसे अचानक कुछ याद आया और वह फिर से अंकित की तरफ घूम कर जैसे कुछ भूल गई हो इस तरह से याद करते हुए बोली,,,)

अरे कौन सी साइज का चाहिए यह तो तुमने बताया ही नहीं,,,,,,।



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(काउंटर वाली लड़की की बातें सुनकर तो अंकित के पसीने छूटने लगे क्योंकि वह अपनी मां का साइज भूल चुका था वैसे वह अपनी मां की गांड का साइज अपने हाथों से नापा था साड़ी के ऊपर से इतनी और साड़ी के अंदर से भी लेकिन कितना नाप था वह उसके दिमाग से निकल चुका था,,,, और तुरंत उसके मन में उसे दिन वाली घटना याद आने लगी जब वह अपनी मां की गांड का नाप ले रहा था वह भी क्या गजब का पल था और वैसे भी वह मौका शायद ही किसी बेटे के जिंदगी में आते हैं जब वह अपने हाथों से अपनी मां की गांड का नाप लेता हो और वह भी अपनी मां के लिए चड्डी खरीदने के लिए,,,, अंकित के जेहन में उसके मन मस्तिष्क में उसकी मां का नंगा बदन पूरी तरह से छप चुका था उसकी मां की गांड का आकार भी पूरी तरह से छप चुका था लेकिन उसका साइज नहीं मालूम था,,,, इसलिए वह इधर-उधर नजर मिलाकर सोचने लगा था लेकिन उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा था और वह जानता था कि गलत नाप बता देने से उसकी सारी मेहनत मिट्टी में मिल जाती इसलिए वह गलत नाप बताना नहीं चाहता था,,,।

अंकित के हाव-भाव को देखकर वह काउंटर वाली लड़की समझ गई थी कि अंकित को नाप नहीं मालूम है और वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी,,, लेकिन उसका काम यही था इसलिए वह फिर से बोली,,,)

क्या हुआ सर बताइए ना कौन सा नाप चाहिए,,,

नननन,,,नाप ,,,, नाप तो मैं भूल गया,,,,(एकदम से हडबडाते हुए अंकित बोला,,,, उसे इस बात का डर था कि माप न होने की वजह से उसे वापस जाना होगा लेकिन इस समस्या का भी समाधान उसका काउंटर वाली लड़की के पास था वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)

जाने दीजिए सर अच्छा यह बताइए क्या तुम्हारी गर्लफ्रेंड का फिगर मेरी तरह था,,,(और ऐसा कहते हुए वह काउंटर वाली लड़की अपने हाथों पर करके गोल-गोल घूम कर उसे अपना फिगर दिख रही थी जब वह सामने की तरफ मुंह करके घूम तो उसकी ऊभरी हुई गांड पर अंकित की नजर ठीक हो गई क्योंकि उसकी कहानी कुछ अद्भुत तरीके से बाहर निकली हुई थी जिसे देखकर अंकित के तन बदन में हलचल होने लगी लेकिन जिस तरह से वह काउंटर वाली लड़की अंकित को अपना फिगर दिखा रही थी और जब वह अपनी गांड अंकित की तरफ करके घूमी थी तो वह तिरछी नजर से अंकित को देख रही थी और अंकित को अपनी गांड की तरफ देखता हुआ पाकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,, पूरी तरह से घुम लेने के बाद वह फिर से बोली,,,)

बताइए सर क्या मेरी तरह फीगर है आपकी गर्लफ्रेंड का,,,,।

(काउंटर वाली लड़की की उन्नत नितंबों को देखकर उत्तेजना के मारे अंकित का मुंह खुला का खुला रह गया था लेकिन उसकी बात सुनकर वह जल्दी से अपनी मां को बंद कर लिया और बोला ,,,)

जी नहीं,,,,।


तो फिर बताइए आपकी गर्लफ्रेंड का फिगर कैसा है वह मोटी है पतली है कैसी है,,,,,।

(अब अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले क्योंकि वह अपनी गर्लफ्रेंड के लिए नहीं बल्कि अपनी मां के लिए चड्डी खरीदने के लिए आया था जिसकी कारण काफी बड़ी-बड़ी थी जिसकी चूचियां जैसी थी उसका फिगर गजब का था लेकिन लड़कियों जैसा बिल्कुल भी नहीं था एकदम भरा हुआ भजन था लेकिन यह सब हुआ कैसे बताएं इसलिए वह आश्चर्य से उस काउंटर वाली लड़की को देखता ही रह गया,,,,, लेकिन इसका भी समाधान उस काउंटर वाली लड़की के पास था क्योंकि वह एक सेल्स गर्ल थी उसे मालूम था कि कस्टमर को क्या चाहिए और किस तरह से अपना सामान बेचना इसलिए वह बोली,,,)

चलिए कोई बात नहीं सर ,,,,,, जाने दीजिए मेरी जैसी नहीं है तो फिर सामने देख रहे हैं तीन-चार लेडिस खड़ी है उनमें से बताइए किसकी तरह आपकी गर्लफ्रेंड का फिगर है तब मैं सही नाप का दे दूंगी,,,,।
(काउंटर वाली लड़की की बात सुनते ही अंकित की जान में जाना ही और वह सामने के काउंटर की तरफ देखने लगा जहां पर तीन चार लेडिस खड़ी थी उन चार औरतों को वह बड़ी गौर से देखने लगा और तभी उनमें से एक औरत का फिगर उसकी मां से बिल्कुल मिलता जुलता था उसकी भी बड़ी-बड़ी गांड थी बड़ी-बड़ी चूचियां थी उसकी लंबाई भी उसकी मां की तरह ही थी बस रंग थोड़ा सा दबा हुआ था और वह तुरंत उस औरत की तरफ उंगली दिखाते हुए बोला,,,,)

वो,,वो,,,, खड़ी है ना किनारे ,,,, पीले रंग की साड़ी वाली,,,,।


कौन वो जो हाथ में थैला लेकर खड़ी है,,,,।

हां हां वही,,,,।

(अंकित की बात सुनकर वह काउंटर वाली लड़की बड़ी गौर से उसे औरत को देखने लगी जिसे अंकित उंगली के इशारे से दिखाया था वह एकदम मोटी ताजी गजब के फिगर वाली औरत थी लेकिन लड़की बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन उसे काउंटर वाली लड़की को क्या मालूम की अंकित जिसके लिए चड्डी खरीदने के लिए आया है वह उसकी गर्लफ्रेंड नहीं बल्कि उसकी मां है और एक मां होने के नाते उसके बदन की बनावट कुछ अलग ही थी लेकिन वह काउंटर वाली लड़की समझ रही थी कि शायद मोटी गर्लफ्रेंड होगी,,, और मुस्कुराते हुए तुरंत आंठ दस तरह की पेटी निकाल कर उसकी आंखों के सामने काउंटर पर रख दी जिसे अंकित अपने हाथ में लेकर देख रहा था,,,,। और वह उसे देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी,,,, पर मुस्कुराते हुए बोली,,,)

तुम्हारी गर्लफ्रेंड के तो काफी बड़ी-बड़ी है,,,,!


क्या,,,?


उसका पिछवाड़ा,,,,(एकदम से बेशर्मी दिखाते हुए वह काउंटर वाली लड़की बोली,,,, उसकी बात सुनकर हाथ में पेंटी लिए हुए अंकित उसकी तरफ आश्चर्य से देखने लगा,,, अंकित को हैरान होता हुआ देखकर वह काउंटर वाली लड़की बोली,,,)

हैरान होने की जरूरत नहीं हैरान तुम्हें हो मुझे लगा कि मेरी फिगर वाली कोई गर्लफ्रेंड होगी लेकिन शायद तुम्हारा टेस्ट कुछ दूसरा है,,,,।
(उसकी बात सुनकर अंकित मन ही मन खुश हो रहा था क्योंकि पहली बार कोई ऐसी लड़की मिली थी जो इस तरह की बातें कर रही थी इसलिए वह मुस्कुराता हुआ बोला)

तुम सही कह रही हो,,,, मुझे बड़ी-बड़ी,,,, वाली ही पसंद है,,,(गांड शब्द को अंकित खुलकर नहीं बोल पाया था लेकिन वह जानता था कि वह काउंटर वाली लड़की उसकी बात को समझ गई थी इसलिए तो मुस्कुरा रही थी और वह मुस्कुराते हुए बोली)

क्या तुम उसे काबू में कर लेते हो,,,,
(अंकित उस काउंटर वाली लड़की की बात को समझ रहा था,,, इसलिए वह मुस्कुराता हुआ बोला,,,)

क्यों नहीं,,,,, एक कहावत तो तुम भी सुनी होगी की टीवी चाहे कितनी भी इंच की हो लेकिन उसका रिमोट 8 इंच का ही रहता है जिससे वह चलती है और काबू में भी रहती है,,,,।
(अंकित का हाजिर जवाब सुनकर वह लड़की एकदम मंत्र मुक्त हो गई क्योंकि वह पहली बार इस तरह की कहावत को सुन रही थी जो कि एकदम बराबर फिट बैठ रही थी और वह एकदम से खुश होते हुए बोली)

अरे वह तुम तो एकदम खिलाड़ी निकले मैं तो तुम्हें अनाड़ी समझ रही थी लेकिन तुम्हारी एक कहावत ने मुझे यकीन दिला दिया कि तुम किसी किस्म के बंदे हो गजब वैसे मेरा नाम काजल है,,,,

जी मेरा नाम अंकित है,,,

बहुत सुंदर नाम है,,,


तुम्हारा नाम भी काफी सुंदर है,,,,(उस लड़की के खुले विचारों वाली बात को सुनकर अंकित का भी हौसला बुलंद हो रहा था और इस बात से वह ज्यादा निश्चित तथा कि यहां पर उसे कोई जानता नहीं था और यह लड़की उसकी परिचित की बिल्कुल भी नहीं थी और काफी दूर की थी इसलिए अंकित को भी अब उसके साथ झिझक नहीं हो रही थी इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अच्छा एक बात बताओ अगर यह सब में तुम्हें पसंद करना होता तो कौन सी पसंद करती,,,,।
(न जाने क्यों वह काउंटर वाली लड़की अंकित की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी इसलिए मुस्कुराते हुए बिना देर किए हुए वह बोली,,,)

अगर मुझे पसंद करना होता तो,,,,, मैं यह लाल,,, पीली और यह ब्लैक रंग की पेंटी पसंद करती,,,,(तीनों पेंटिंग को अपने हाथ में लेकर वह बोली और उसकी पसंद देखकर अंकित भी मुस्कुराता हुआ बोला,,,)

वाह ,,, कमाल हो गया मैं अपने मन में यही पसंद किया था,,, लेकिन मुझे दो ही चाहिए थी,,,।

लेकिन तुम तीन लेकर जाना क्योंकि एक और दो से गर्लफ्रेंड ज्यादा खुश नहीं होती,,,।

तुम्हें कैसे मालूम,,,


अरे मैं भी एक लड़की हूं और मैं भी किसी की गर्लफ्रेंड हूं इसलिए अच्छी तरह से जानती हो तुम अगर अपनी गर्लफ्रेंड को तीन दोगे तो बहुत खुश हो जाएगी और तुम्हें डबल खुशी देगी,,,।



डबल खुशी मतलब,,,,,


डबल खुशी का मतलब नहीं जानते गर्लफ्रेंड क्या देती है खुश होने के बाद,,,,(वह मुस्कुराते हुए बोली और अंकित उसके कहने के मतलब को समझ गया था इसलिए वह भी मुस्कुराने लगा और अपने मन में सोचने लगा कि काश ऐसा ही होता,,,,,)

तो चलो जल्दी से इसे पेक कर दो,,,,


और कुछ नहीं चाहिए,,,,,?

नहीं-नहीं बस इतना ही,,,,


अरे ब्रा तो लेते जाओ,,,,,


नहीं ले सकता क्योंकि मुझे उसका भी साइज नहीं मालूम है,,,,।


लेकिन मुझे मालूम है ना पेटी के हिसाब से ब्रा का साइज अपने आप पता चल जाता है,,,,,,, अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड का पिछवाड़ा बड़ा बड़ा है तो उसकी छाती भी बड़ी-बड़ी होगी एकदम खरबूजे की तरह,,,,


जी हां,,,,।

रुको मैं ब्रा भी दे देती हूं,,,,।


लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है,,,,


अरे तीन नहीं एक ही ले जाओ,,,,(और इतना कह कर रहा है ब्रा निकालने लगी और अपनी पसंद की एक अच्छी खासी जालीदार ब्रा निकाल कर काउंटर पर रख दी,,,,और अंकित उसे ब्रा को देखने लगा उसके कब को देखने का और अंदाजा लगाने लगा कि उसकी मां की चूची इसमें ठीक से आ पाएगी कि नहीं और अंकित के इस हरकत को देखकर वह समझ गई कि अंकित क्या सोच रहा है इसलिए वह बोली,,,,)

तो बिल्कुल भी चिंता मत करो उसे औरत को देखकर पेंटी निकलवाए हो ना,,, तो उसकी छाती के साइज का ही मैं तुम्हें ब्रा निकाल कर दी हूं तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,,।

ठीक है तुम रहती हो तो सही ही होगी,,,।

अरे बहुत अच्छी लगेगी जालीदार सब कुछ साफ दिखेगी,,,,(उसके कहने के मतलब को समझ कर अंकित मुस्कुराने लगा और थोड़ी ही देर में वहां से पैसे देकर दुकान से बाहर निकल गया,,,, शाम होने लगी इसलिए ज्यादा देर तक यहां रुकना ठीक नहीं था और वैसे भी अपनी मां के लिए ब्रा और पेंटी खरीदने में उसके सारे बचत के पैसे चले गए थे इसलिए ज्यादा फिजूल खर्च करना उसे उचित नहीं लगा और वह ओटो पकड़कर अपने घर पहुंच गया उसकी किस्मत अच्छी थी कि अभी घर पर कोई नहीं आया था ना तो उसकी बहन थी मेरी उसकी मां आई थी रविवार होने की वजह से वह जानता था कि उसकी मां थोड़ा टहलने के लिए निकल जाती थी इसलिए जल्दी से ताला खोलकर घर में प्रवेश किया और अपनी मां के लिए इलाही हुई चड्डी और ब्रा को अपने बैग में रखकर छुपा दिया वह उचित समय पर अपनी मां को देना चाहता था,,,,।)
Bahut hee gajab update …
 

ToorJatt7565

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पढ़ाई के बहाने अपने घर में बुलाकर सुमन ने जो कुछ भी अंकित के साथ किया था वह अंकित के लिए बेहद अद्भुत और अविस्मरणीय पल था जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था,,, सुमन के बारे में अपने दोस्तों के मुंह से वह कहीं बार सुन चुका था कि सुमन दूसरी तरह की लड़की है,,, लेकिन कभी ऐसा कुछ देखा नहीं था कि जिसकी वजह से वह भी समान पर दूसरी लड़कियों की तरह होने का शक करता लेकिन इस बीच वह सुमन की जवानी के प्रति बराबर आकर्षित हुआ जा रहा था,,, उसका गदराया बदन हमेशा अंकित की उत्तेजना का कारण बनता जा रहा था और सबसे खास था सुमन की बड़ी-बड़ी गांड जो कि वाकई में बेहद लुभावनी लगती थी,, और जिस पर वह खुद अपने लंड की रगड़ को अच्छी तरह से महसूस कर चुका था और वह भी बनिए की दुकान पर जहां पर सुमन ही उसे राशन लेने के लिए साथ लेकर गई थी,,,।

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अंकित अपने घर आ चुका था एक अद्भुत एहसास को अपने अंदर संजोए,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि सुमन खुद उसे अपने कमरे में बुलाकर उसके साथ इस तरह की हरकत करेगी लेकिन जो कुछ भी हुआ था उसमें अंकित की ही बनाई थी अंकित को कुछ सीखने को मिल रहा था अभी तक वह अपनी मां की चूची को देखकर ही मत हुआ जा रहा था उसने उसके भूगोल को तो पूरी तरह देख लिया था लेकिन उसे छूकर नहीं देखा था उसे एहसास को महसूस नहीं किया था जो एहसास एक औरत की मदमस्त कर देने वाली चुची को स्पर्श करके उसे पकड़ कर उसे दबाकर होती है,,, और यह सुख उसे सुमन के द्वारा प्राप्त हुआ था,,,। और इसलिए वह मन ही मन सुमन को धन्यवाद कर रहा था,,,।




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अपनी मां के संपूर्ण बदन को वह नग्नवस्था में बहुत बार देख चुका था,,, अपनी मां की चूची के भी दर्शन हुआ कर चुका था और उसे देखकर उसकी गोलाई देखकर खरबूजे जैसा आकार देख कर उसे ऐसा ही लगता था की औरतों की चूचियां एकदम कड़क होती होगी लेकिन उसका यह भ्रम तब टूट गया जब सुमन की चूची को अपने हाथ में लेकर दबाना शुरू किया था एकदम मुलायम रुई की तरह और वह एकदम से मदहोश हो गया था,,, चूचियों को छूने में कितना आनंद और मदहोशी का एहसास होता है यह उसे पहली बार हुआ था सुमन की चूची को पकड़ते ही उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,,, और सुमन ने खुद उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी चूचियों पर रखी थी और अपने आप से ही अपनी चूची को दबाने के लिए उसे प्रेरित की थी,,, खूबसूरत जवान लड़की इतनी खुले विचारों वाली हो सकती है यह उसने कभी सोचा ही नहीं था वह सोचा था कि सब कुछ धीरे-धीरे ही होता है जैसा कि वह अपनी मां के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था लेकिन सुमन तो एक कदम आगे ही निकली वह अपने आप से ही सब कुछ करवाने पर उतारू हो चुकी थी अंकित को पूरा यकीन था कि अगर उसकी मां ना आई होती तो उसे जरूर मर्द की तरह एक खूबसूरत औरत के साथ शुख भोगने का सौभाग्य प्राप्त होता ।


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अपने घर में आकर भी अंकित को चैन नहीं मिल रहा था बार-बार उसकी आंखों के सामने सुमन ही नजर आ रही थी जो अपने आप से अपनी टीशर्ट निकाल कर अपनी चूचियों को एकदम नंगी करती थी और मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रहती थी यह सब सोच कर अंकित की हालत एकदम से खराब हुए जा रही थी मैं जानता था कि अब ऐसे आराम मिलने वाला नहीं है इसका इलाज खुद ही करना पड़ेगा और यही सोच करूंगा बाथरूम के अंदर घुस गया था और बाथरूम के अंदर घुसते ही अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया था,,, और सुमन के बारे में सोच रहा था उसके व्यक्तित्व के बारे में सोच रहा था वह उसके चरित्र के बारे में मन मंथन कर रहा था की सुमन क्या चाहती है,,,।



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अंकित औरतों की मां की भाषा को ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ा-थोड़ा समझने लगा था और पूरी तरह से जवान होने के नाते उसे इतना तो समझ में आ ही रहा था कि एक लड़की अपने कमरे में बुलाकर अगर इस तरह की हरकत करे तो वह क्या चाहती है,,, और अपने मन में उठ रहे इस प्रश्न का जवाब वह अच्छी तरह से जानता था और जवाब के बारे में सोचकर ही उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे,,, और सुमन ने तो उसे यह भी कही थी कि इस बारे में वह किसी को ना बताएं और इस तरह का मजा हुआ आगे भी देती रहेगी इसका मतलब साफ था कि बहुत ही जल्द वह अपने आप को सुमन की दोनों टांगों के बीच पाने वाला था,,, और वह अपने मन में यह भी सोच रहा था कि जो सुख वह अपनी मां से प्राप्त करना चाहता था वह सुख उसे सुमन बहुत ही जल्द देने वाली है और इसीलिए उसकी उत्तेजना का ठिकाना न था,,,।



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बाथरूम के अंदर नग्न अवस्था में खड़े होने और सुमन के बारे में सोचने पर ही उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था जिसे वह अपनी मुट्ठी में लेकर धीरे-धीरे दिला रहा था और सुमन के बारे में सोच रहा था अपनी आंखों को बंद करके वह सुमन के बारे में गंदी कल्पना करने लगा था जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी,,, बस सुमन के बारे में वही कल्पना कर रहा था जो कुछ देर पहले उसकी मां के आने से रुक गई थी वह अपने मन में सोच रहा था कि वह सुमन की चूचियों को दोनों हाथों में लेकर जोर-जोर से दबा रहा है सुमन की हालत खराब हो रही है और सुमन खुद उसके चेहरे को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचकर खुद ही उसके होठों को अपनी चूची से सटा दी,,,,।




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यह पल अंकित के लिए बेहद अद्भुत था ,,वहपागलों की तरह सुमन की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया था जिससे सुमन की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,,, और देखते ही देखते सुमन अपना हाथ आगे बढ़ाकर अंकित के लंड को पकड़ ली और उसे जोर-जोर से पेंट के ऊपर से दबाना शुरू कर दी,,, अब अंकित के लिए काबू में रहना कठिन हुआ जा रहा था वह धीरे से अपना हाथ आगे बढ़कर सुमन की दोनों टांगों के बीच रख दिया और पजामे के ऊपर से ही उसकी गुलाबी बुर र को मसलना शुरू कर दिया,,, जीससे सुमन की उत्तेजना बढ़ने लगी और वह देखते देखते अपना पजामा उतरकर एकदम नंगी हो गई,,,, अंकित सुमन की गर्म जवानी देखकर पागल हुआ जा रहा था और देखते देखते वह भी अपने सारे कपड़े उतार करके नंगा हो गया,,,।




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अंकित के लंड को देखकर सुमन के चेहरे पर हवन होने लगी क्योंकि वाकई में अंकित का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा लग रहा था,,, सुमन अपने आप ही अपने दोनों टांगों को खोल कर अंकित को अपनी तरफ आकर्षित करने लगी और देखते-देखते अंकित सुमन की दोनों टांगों के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी बुर में डालकर उसे चोदना शुरू कर दिया इस तरह की कल्पना करते हुए वह जोर-जोर से मुठ मार रहा था,,,,। उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसकी सांसों की गति उखड़ रही थी और देखते ही देखते उसके लंड से फवारा छुटकर बाथरूम की दीवार पर गिरने लगी और थोड़ी देर बाद जब बहुत शांत हुआ तो मग में पानी लेकर हुआ है दीवार पर गिरे अपने वीर्य को साफ करने लगा,,, क्योंकि वह जानता था तृप्ति तो शायद दीवार पर गिरे उसके वीर्य को नहीं पहचान पाएगी कि वह क्या है लेकिन उसकी मां जरूर पहचान लेगी,,, इसलिए वह जल्दी-जल्दी से साफ कर दिया था और नहा कर बाहर आ गया था,,,,।



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रविवार का दिन था और आज के दिन अंकित ने तय कर लिया था कि आज वह अपनी मां के लिए चड्डी खरीद कर ही रहेगा जिसके लिए उसके पास पैसे भी थे और वह दोपहर में खाना खाने के बाद अपनी मां को बिना बताए घर से अपनी मां के लिए चड्डी खरीदने के लिए निकल चुका था वह जानता था कि उसे कहां जाना है वह पास के बाजार से नहीं बल्कि थोड़ी दूर जाना चाहता था ताकि चड्डी खरीदते समय उसे कोई परिचित का इंसान देख ना ले,, इसलिए वह कुछ दूर तक पैदल चलता हुआ चौराहे पर पहुंच गया और वहां से ऑटो करके अपनी मार्केट से दूर दूसरे मार्केट की ओर निकल गया,,,। और तकरीबन 25 मिनट के बाद वह दूसरे मार्केट में पहुंच चुका था जो की उसके घर से तकरीबन 20 किलोमीटर की दूरी पर यहां पर उसके परिचित का मिलना मुश्किल था,,, इस बात को वह अच्छी तरह से जानता था,,,।




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मार्केट में पहुंचने के बाद अंकित कुछ देर तक इधर-उधर घूम कर पूरे मार्केट का मुआयना करता रहा यहां पर उसके मार्केट के मुकाबले दुकान बड़ी-बड़ी थी और काफी अच्छी तरह की साज सजावट वाली दुकान थी,,, कुछ देर तक इधर-उधर घूमने के बाद एक अच्छी सी कपड़े की दुकान में प्रवेश कर गया जहां पर ज्यादा कस्टमर तो नहीं थे लेकिन कुछ औरतें थीं,,,, पहले तो दुकान के दरवाजे पर खड़ा होकर वहां अंदर की तरफ डरा डरा सा देख रहा था क्योंकि एक काउंटर पर कुछ औरतें खड़ी थी और अंदर काम करने वाली भी सेल्स गर्ल थी,,, इसलिए उसका मन झिझक रहा था,,, लेकिन तभी काउंटर पर खड़ी एक लड़की उसे मुस्कुराते हुए अंदर बुलाने लगी और वह उसे लड़की की मुस्कान देखकर अंदर जाने से अपने आप को रोक नहीं पाया और अंदर प्रवेश कर गया और वैसे भी दुकान को देखकर वह समझ गया था कि उसकी मां के लिए यही से अच्छी चड्डी मिलेगी,,,,।



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दुकान में प्रवेश करते ही अंकित काउंटर पर खड़ी लड़की के पास गया और वह काउंटर पर कोई और कस्टमर नहीं था इसलिए वह थोड़ा निश्चित था,,।

बोलिए सर आपको क्या चाहिए,,,(काउंटर वाली लड़की मुस्कुराते हुए अंकित से बोली लेकिन अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले वैसे तो घर से चला था कि वह दुकान वाले से औरत की चड्डी के बारे में बात करेगा अच्छी सी चड्डी अपनी मां के लिए खरीद लेगा लेकिन काउंटर पर लड़की को देखकर उसकी सिट्टी पीट्टी गुम हो गई थी,,,, वह कुछ बोल नहीं पाया और उसकी ख़ामोशी को देख कर वह काउंटर वाली लड़की फिर से बोली,,,।)



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क्या हुआ सर क्या सोच रहे हैं यहां आपको सब तरह की वैरायटी के कपड़े मिल जाएंगे वैसे किसके लिए खरीदना है आपको आपके लिए या,,,, किसी और के लिए,,,(किसी और के लिए कहते हुए काउंटर वाली लड़की अपनी आंख को नचाते हुए बोली थी,,, अंकित को कुछ देर तक समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें क्या करें कैसे मांगे लेकिन फिर वह अपने मन में सोचने लगा कि यह लड़की कौन सी उसकी परिचित है वह क्यों इस लड़की से शर्मा रहा है घबरा रहा है और वैसे भी वह अपने घर से काफी दूर आया है चड्डी खरीदने के लिए फिर शर्माना कैसा और इसलिए ऐसा सोचकर उसके मन का डर कम होने लगा और वह हिम्मत करके बोला,,,,)

मुझे अच्छी सी पेंटी चाहिए,,,।




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(अंकित की बात सुनते ही उसे काउंटर वाली लड़की के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और वह मुस्कुराते हुए और अपनी आंखों को नचाते हुए बोली,,,)

ओहहह,,,, मुझे पहले से ही मालूम था तभी तो तुम इतना शर्मा रहे थे इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है,,,,,।


पहली बार खरीद रहा हूं ना इसलिए,,,,।

वह तो तुम्हारे हवा बहुत देखकर ही पता चल रहा है की पहली बार खरीद रहे हो,,,। वैसे तुम्हें किसके लिए खरीदना है,,, तुम्हें देखकर लग तो नहीं रहेगी तुम्हारी शादी हो गई होगी इसका मतलब साफ है,,,।

क्या मतलब,,,,(उसे लड़की के बात करने के अंदाज से अंकित के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अंदर ही अंदर शर्मा भी रहा था और घबरा भी रहा था,,)




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मतलब यही कि जवान हो हट्टे कट्टे हो जरूर तुम अपनी गर्लफ्रेंड के लिए पेंटी खरीदने के लिए आए हो,,, आजकल तुम्हारी उम्र की लड़की इसी तरह का गिफ्ट दे रहे हैं,,,,।

(गर्लफ्रेंड का नाम लेकर उसे लड़की ने अंकित का काम एकदम आसान करती थी क्योंकि अंकित अपने मन में नहीं सोच रहा था कि किसके लिए खरीदने के लिए आया है क्या बताएगा,,,,, और उसे काउंटर वाली लड़की की बात सुनकर मुस्कुराते हुए वह बोला,,,)

हां गर्लफ्रेंड के लिए कोई अच्छी सी दिखाना,,,,।

ऐसे ही चालू किस्म की चाहिए या ब्रांडेड कंपनी की,,,

ब्रांडेड कंपनी की ताकि लूज ना पड़े,,,।

बड़े दिलदार हो गर्लफ्रेंड पर अच्छा खासा पैसा खर्च करना जानते हो,,,,,।

जी,,,,(काउंटर वाली लड़की से बात करने में अंकित को भी मजा आ रहा था वह अंकित की बात सुनकर,,, मुस्कुराते हुए दूसरी तरफ पलट कर पेंटी लेने जा ही रही थी कि तभी उसे अचानक कुछ याद आया और वह फिर से अंकित की तरफ घूम कर जैसे कुछ भूल गई हो इस तरह से याद करते हुए बोली,,,)

अरे कौन सी साइज का चाहिए यह तो तुमने बताया ही नहीं,,,,,,।



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(काउंटर वाली लड़की की बातें सुनकर तो अंकित के पसीने छूटने लगे क्योंकि वह अपनी मां का साइज भूल चुका था वैसे वह अपनी मां की गांड का साइज अपने हाथों से नापा था साड़ी के ऊपर से इतनी और साड़ी के अंदर से भी लेकिन कितना नाप था वह उसके दिमाग से निकल चुका था,,,, और तुरंत उसके मन में उसे दिन वाली घटना याद आने लगी जब वह अपनी मां की गांड का नाप ले रहा था वह भी क्या गजब का पल था और वैसे भी वह मौका शायद ही किसी बेटे के जिंदगी में आते हैं जब वह अपने हाथों से अपनी मां की गांड का नाप लेता हो और वह भी अपनी मां के लिए चड्डी खरीदने के लिए,,,, अंकित के जेहन में उसके मन मस्तिष्क में उसकी मां का नंगा बदन पूरी तरह से छप चुका था उसकी मां की गांड का आकार भी पूरी तरह से छप चुका था लेकिन उसका साइज नहीं मालूम था,,,, इसलिए वह इधर-उधर नजर मिलाकर सोचने लगा था लेकिन उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा था और वह जानता था कि गलत नाप बता देने से उसकी सारी मेहनत मिट्टी में मिल जाती इसलिए वह गलत नाप बताना नहीं चाहता था,,,।

अंकित के हाव-भाव को देखकर वह काउंटर वाली लड़की समझ गई थी कि अंकित को नाप नहीं मालूम है और वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी,,, लेकिन उसका काम यही था इसलिए वह फिर से बोली,,,)

क्या हुआ सर बताइए ना कौन सा नाप चाहिए,,,

नननन,,,नाप ,,,, नाप तो मैं भूल गया,,,,(एकदम से हडबडाते हुए अंकित बोला,,,, उसे इस बात का डर था कि माप न होने की वजह से उसे वापस जाना होगा लेकिन इस समस्या का भी समाधान उसका काउंटर वाली लड़की के पास था वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)

जाने दीजिए सर अच्छा यह बताइए क्या तुम्हारी गर्लफ्रेंड का फिगर मेरी तरह था,,,(और ऐसा कहते हुए वह काउंटर वाली लड़की अपने हाथों पर करके गोल-गोल घूम कर उसे अपना फिगर दिख रही थी जब वह सामने की तरफ मुंह करके घूम तो उसकी ऊभरी हुई गांड पर अंकित की नजर ठीक हो गई क्योंकि उसकी कहानी कुछ अद्भुत तरीके से बाहर निकली हुई थी जिसे देखकर अंकित के तन बदन में हलचल होने लगी लेकिन जिस तरह से वह काउंटर वाली लड़की अंकित को अपना फिगर दिखा रही थी और जब वह अपनी गांड अंकित की तरफ करके घूमी थी तो वह तिरछी नजर से अंकित को देख रही थी और अंकित को अपनी गांड की तरफ देखता हुआ पाकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,, पूरी तरह से घुम लेने के बाद वह फिर से बोली,,,)

बताइए सर क्या मेरी तरह फीगर है आपकी गर्लफ्रेंड का,,,,।

(काउंटर वाली लड़की की उन्नत नितंबों को देखकर उत्तेजना के मारे अंकित का मुंह खुला का खुला रह गया था लेकिन उसकी बात सुनकर वह जल्दी से अपनी मां को बंद कर लिया और बोला ,,,)

जी नहीं,,,,।


तो फिर बताइए आपकी गर्लफ्रेंड का फिगर कैसा है वह मोटी है पतली है कैसी है,,,,,।

(अब अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले क्योंकि वह अपनी गर्लफ्रेंड के लिए नहीं बल्कि अपनी मां के लिए चड्डी खरीदने के लिए आया था जिसकी कारण काफी बड़ी-बड़ी थी जिसकी चूचियां जैसी थी उसका फिगर गजब का था लेकिन लड़कियों जैसा बिल्कुल भी नहीं था एकदम भरा हुआ भजन था लेकिन यह सब हुआ कैसे बताएं इसलिए वह आश्चर्य से उस काउंटर वाली लड़की को देखता ही रह गया,,,,, लेकिन इसका भी समाधान उस काउंटर वाली लड़की के पास था क्योंकि वह एक सेल्स गर्ल थी उसे मालूम था कि कस्टमर को क्या चाहिए और किस तरह से अपना सामान बेचना इसलिए वह बोली,,,)

चलिए कोई बात नहीं सर ,,,,,, जाने दीजिए मेरी जैसी नहीं है तो फिर सामने देख रहे हैं तीन-चार लेडिस खड़ी है उनमें से बताइए किसकी तरह आपकी गर्लफ्रेंड का फिगर है तब मैं सही नाप का दे दूंगी,,,,।
(काउंटर वाली लड़की की बात सुनते ही अंकित की जान में जाना ही और वह सामने के काउंटर की तरफ देखने लगा जहां पर तीन चार लेडिस खड़ी थी उन चार औरतों को वह बड़ी गौर से देखने लगा और तभी उनमें से एक औरत का फिगर उसकी मां से बिल्कुल मिलता जुलता था उसकी भी बड़ी-बड़ी गांड थी बड़ी-बड़ी चूचियां थी उसकी लंबाई भी उसकी मां की तरह ही थी बस रंग थोड़ा सा दबा हुआ था और वह तुरंत उस औरत की तरफ उंगली दिखाते हुए बोला,,,,)

वो,,वो,,,, खड़ी है ना किनारे ,,,, पीले रंग की साड़ी वाली,,,,।


कौन वो जो हाथ में थैला लेकर खड़ी है,,,,।

हां हां वही,,,,।

(अंकित की बात सुनकर वह काउंटर वाली लड़की बड़ी गौर से उसे औरत को देखने लगी जिसे अंकित उंगली के इशारे से दिखाया था वह एकदम मोटी ताजी गजब के फिगर वाली औरत थी लेकिन लड़की बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन उसे काउंटर वाली लड़की को क्या मालूम की अंकित जिसके लिए चड्डी खरीदने के लिए आया है वह उसकी गर्लफ्रेंड नहीं बल्कि उसकी मां है और एक मां होने के नाते उसके बदन की बनावट कुछ अलग ही थी लेकिन वह काउंटर वाली लड़की समझ रही थी कि शायद मोटी गर्लफ्रेंड होगी,,, और मुस्कुराते हुए तुरंत आंठ दस तरह की पेटी निकाल कर उसकी आंखों के सामने काउंटर पर रख दी जिसे अंकित अपने हाथ में लेकर देख रहा था,,,,। और वह उसे देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी,,,, पर मुस्कुराते हुए बोली,,,)

तुम्हारी गर्लफ्रेंड के तो काफी बड़ी-बड़ी है,,,,!


क्या,,,?


उसका पिछवाड़ा,,,,(एकदम से बेशर्मी दिखाते हुए वह काउंटर वाली लड़की बोली,,,, उसकी बात सुनकर हाथ में पेंटी लिए हुए अंकित उसकी तरफ आश्चर्य से देखने लगा,,, अंकित को हैरान होता हुआ देखकर वह काउंटर वाली लड़की बोली,,,)

हैरान होने की जरूरत नहीं हैरान तुम्हें हो मुझे लगा कि मेरी फिगर वाली कोई गर्लफ्रेंड होगी लेकिन शायद तुम्हारा टेस्ट कुछ दूसरा है,,,,।
(उसकी बात सुनकर अंकित मन ही मन खुश हो रहा था क्योंकि पहली बार कोई ऐसी लड़की मिली थी जो इस तरह की बातें कर रही थी इसलिए वह मुस्कुराता हुआ बोला)

तुम सही कह रही हो,,,, मुझे बड़ी-बड़ी,,,, वाली ही पसंद है,,,(गांड शब्द को अंकित खुलकर नहीं बोल पाया था लेकिन वह जानता था कि वह काउंटर वाली लड़की उसकी बात को समझ गई थी इसलिए तो मुस्कुरा रही थी और वह मुस्कुराते हुए बोली)

क्या तुम उसे काबू में कर लेते हो,,,,
(अंकित उस काउंटर वाली लड़की की बात को समझ रहा था,,, इसलिए वह मुस्कुराता हुआ बोला,,,)

क्यों नहीं,,,,, एक कहावत तो तुम भी सुनी होगी की टीवी चाहे कितनी भी इंच की हो लेकिन उसका रिमोट 8 इंच का ही रहता है जिससे वह चलती है और काबू में भी रहती है,,,,।
(अंकित का हाजिर जवाब सुनकर वह लड़की एकदम मंत्र मुक्त हो गई क्योंकि वह पहली बार इस तरह की कहावत को सुन रही थी जो कि एकदम बराबर फिट बैठ रही थी और वह एकदम से खुश होते हुए बोली)

अरे वह तुम तो एकदम खिलाड़ी निकले मैं तो तुम्हें अनाड़ी समझ रही थी लेकिन तुम्हारी एक कहावत ने मुझे यकीन दिला दिया कि तुम किसी किस्म के बंदे हो गजब वैसे मेरा नाम काजल है,,,,

जी मेरा नाम अंकित है,,,

बहुत सुंदर नाम है,,,


तुम्हारा नाम भी काफी सुंदर है,,,,(उस लड़की के खुले विचारों वाली बात को सुनकर अंकित का भी हौसला बुलंद हो रहा था और इस बात से वह ज्यादा निश्चित तथा कि यहां पर उसे कोई जानता नहीं था और यह लड़की उसकी परिचित की बिल्कुल भी नहीं थी और काफी दूर की थी इसलिए अंकित को भी अब उसके साथ झिझक नहीं हो रही थी इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अच्छा एक बात बताओ अगर यह सब में तुम्हें पसंद करना होता तो कौन सी पसंद करती,,,,।
(न जाने क्यों वह काउंटर वाली लड़की अंकित की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी इसलिए मुस्कुराते हुए बिना देर किए हुए वह बोली,,,)

अगर मुझे पसंद करना होता तो,,,,, मैं यह लाल,,, पीली और यह ब्लैक रंग की पेंटी पसंद करती,,,,(तीनों पेंटिंग को अपने हाथ में लेकर वह बोली और उसकी पसंद देखकर अंकित भी मुस्कुराता हुआ बोला,,,)

वाह ,,, कमाल हो गया मैं अपने मन में यही पसंद किया था,,, लेकिन मुझे दो ही चाहिए थी,,,।

लेकिन तुम तीन लेकर जाना क्योंकि एक और दो से गर्लफ्रेंड ज्यादा खुश नहीं होती,,,।

तुम्हें कैसे मालूम,,,


अरे मैं भी एक लड़की हूं और मैं भी किसी की गर्लफ्रेंड हूं इसलिए अच्छी तरह से जानती हो तुम अगर अपनी गर्लफ्रेंड को तीन दोगे तो बहुत खुश हो जाएगी और तुम्हें डबल खुशी देगी,,,।



डबल खुशी मतलब,,,,,


डबल खुशी का मतलब नहीं जानते गर्लफ्रेंड क्या देती है खुश होने के बाद,,,,(वह मुस्कुराते हुए बोली और अंकित उसके कहने के मतलब को समझ गया था इसलिए वह भी मुस्कुराने लगा और अपने मन में सोचने लगा कि काश ऐसा ही होता,,,,,)

तो चलो जल्दी से इसे पेक कर दो,,,,


और कुछ नहीं चाहिए,,,,,?

नहीं-नहीं बस इतना ही,,,,


अरे ब्रा तो लेते जाओ,,,,,


नहीं ले सकता क्योंकि मुझे उसका भी साइज नहीं मालूम है,,,,।


लेकिन मुझे मालूम है ना पेटी के हिसाब से ब्रा का साइज अपने आप पता चल जाता है,,,,,,, अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड का पिछवाड़ा बड़ा बड़ा है तो उसकी छाती भी बड़ी-बड़ी होगी एकदम खरबूजे की तरह,,,,


जी हां,,,,।

रुको मैं ब्रा भी दे देती हूं,,,,।


लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है,,,,


अरे तीन नहीं एक ही ले जाओ,,,,(और इतना कह कर रहा है ब्रा निकालने लगी और अपनी पसंद की एक अच्छी खासी जालीदार ब्रा निकाल कर काउंटर पर रख दी,,,,और अंकित उसे ब्रा को देखने लगा उसके कब को देखने का और अंदाजा लगाने लगा कि उसकी मां की चूची इसमें ठीक से आ पाएगी कि नहीं और अंकित के इस हरकत को देखकर वह समझ गई कि अंकित क्या सोच रहा है इसलिए वह बोली,,,,)

तो बिल्कुल भी चिंता मत करो उसे औरत को देखकर पेंटी निकलवाए हो ना,,, तो उसकी छाती के साइज का ही मैं तुम्हें ब्रा निकाल कर दी हूं तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,,।

ठीक है तुम रहती हो तो सही ही होगी,,,।

अरे बहुत अच्छी लगेगी जालीदार सब कुछ साफ दिखेगी,,,,(उसके कहने के मतलब को समझ कर अंकित मुस्कुराने लगा और थोड़ी ही देर में वहां से पैसे देकर दुकान से बाहर निकल गया,,,, शाम होने लगी इसलिए ज्यादा देर तक यहां रुकना ठीक नहीं था और वैसे भी अपनी मां के लिए ब्रा और पेंटी खरीदने में उसके सारे बचत के पैसे चले गए थे इसलिए ज्यादा फिजूल खर्च करना उसे उचित नहीं लगा और वह ओटो पकड़कर अपने घर पहुंच गया उसकी किस्मत अच्छी थी कि अभी घर पर कोई नहीं आया था ना तो उसकी बहन थी मेरी उसकी मां आई थी रविवार होने की वजह से वह जानता था कि उसकी मां थोड़ा टहलने के लिए निकल जाती थी इसलिए जल्दी से ताला खोलकर घर में प्रवेश किया और अपनी मां के लिए इलाही हुई चड्डी और ब्रा को अपने बैग में रखकर छुपा दिया वह उचित समय पर अपनी मां को देना चाहता था,,,,।)
Rohnny bhai story to mast hai
But bahut lamba khich rha hai yrr
Opening tak nhi kiya abhi tak hero ne
 
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