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Incest मुझे प्यार करो,,,

Raj880

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सुगंधा बहुत खुश थी अपने बेटे की हिम्मत को देखकर क्योंकि अब वह खुलकर बातें करने लगा था उसके हुस्न के बारे में उसकी खूबसूरती के बारे में उसके नंगेपन के बारे में धीरे-धीरे उसके मन की झिझक दूर हो रही थी,,, और यही तो वह चाहती थी कि उसका बेटा भी नूपुर के बेटे की तरह एकदम खुले विचार वाला हो जाए ताकि उसकी प्यास बुझा सके,, बरसों से बदन में दबी हुई प्यास कुछ महीनो से उसे बहुत परेशान कर रहे थे इसका इलाज एक ही था संभोग और वह अंकित का साथ मिले बिना,, पूरा नहीं हो सकता अपनी प्यास बचाने के लिए नूपुर को अपने ही बेटे का साथ चाहिए था उसी का सहारा उसके पास था क्योंकि वह जानते थे कि अगर अपनी प्यास बुझाने के लिए अगर उसके पैर घर की दहलीज लांघ गए तो बदनामी होना तय है,,, ऐसे में अपनी प्यास भी बुझ जाए और घर की बदनामी भी ना हो इसलिए अपने बेटे ही का साथ उसे गंवारा था,, और इस बात की खुशी भी थी कि अब इस खेल में उसका बेटा भी पूरी तरह से सहभागी हो चुका था और जाते-जाते अपने मन की बात भी पता क्या था कि अभी एक जोड़ी ब्रा और पेंटी ट्राई करना बाकी है,,,।



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इस बात को सुनकर सुगंधा के तन-बदन में हलचल बढ़ गई थी,,, क्योंकि इस बात से वह अपने बेटे की इरादे को जान चुकी थी कि उसका बेटा उसे एक बार फिर से नंगी देखना चाहता है उसके नंगे पति को देखना चाहता है उसके खूबसूरत अंगों को अपनी आंखों से देखकर अपने बदन की प्यास बुझाना चाहता है,,, इसलिए तो अपने बेटे की बात सुनकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,, लेकिन समय का भाव होने की वजह से अपने बेटे की इच्छा को पूरी नहीं कर सकती थी और मां बेटे दोनों अपनी समय से स्कूल के लिए निकल गए थे,,।









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पढ़ाई में होशियार अंकित का मन पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लगता था उसकी आंखों के सामने रात दिन उसकी मां का नंगा बदन हीं घूमता रहता था और साथ में सुमन की मदहोश कर देने वाली जवानी,, जिसकी चूचियों को दबाकर वह जवानी का मजा थोड़ा बहुत ले चुका था और इस खेल में वह आगे पढ़ना चाहता था इससे ज्यादा मजा लेना चाहता था वह जानता था कि इससे ज्यादा क्या होता है लेकिन चूचियों से मजा लेने के बाद के आगे का मजा लेने का मौका नहीं मिल पा रहा था आंखों से तो बहुत कुछ हो चुका था लेकिन अपने हाथों से और अपने मर्दाना अंग से जो काम करना बाकी था वह शायद अभी उसकी सोच से ज्यादा कठिन लग रहा था क्योंकि वहां तक पहुंचने में उसे काफी समय लग रहा था,,,। बाकी औरतों के अंगों को देखने की ख्वाहिश तो उसकी रोज ही पूरी हो जा रही थी बाहर से ना सही घर में ही अपनी मां के खूबसूरत अंगों को देखकर उसकी आंखों की प्यास बुझने की जगह और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,,। अंकित को इस बात की खुशी थी कि वह अपनी मां की खूबसूरत बुर को बेहद नजदीक से देख चुका था,,, लेकिन उसे स्पर्श करने का मौका उसे नहीं मिला था हालांकि अपनी मां को गिरने से बचते वक्त वह अपनी मां के बुरे पर अपनी हथेली रखकर उसे दबा भी दिया था रगड़ दिया था लेकिन खुले दिल से उसे स्पर्श करने का सुख अभी तक उसे नहीं प्राप्त हुआ था,,,।




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कभी कभार वह अपने मन में यह सोचकर परेशान भी हो जाता था की मां बेटे के बीच इस तरह का संबंध जायज है या नहीं क्योंकि मजा तो उसे बहुत आता था लेकिन जब कभी भी वह इस रिश्ते के बारे में सोचता था तो अंदर से उसका मन उसे कचोटता था,,, एक मन उसका उसे धिक्कारता था,,, उससे कहता था कि यह तो क्या कर रहा है अपनी मां के बारे में इतनी गंदी-गंदी बातें सोचता है उसके साथ गलत करने की भावना रखता है उसके हमको कुछ देखकर खुश होता है उसकी चूची उसकी गांड उसकी बुर देखने के लिए हमेशा तड़पता रहता है क्या ऐसा एक बेटे को करना शोभा देता है क्या एक बेटे के लिए यह जायज है कि वह अपनी मां को गंदी नजर से देखें अपनी मां को संभोग सुख का वस्तु समझे,,, भला यह कैसे संभव है कि एक बेटा अपनी मां को चोदना चाहता हो अपनी मां के साथ गंदे संबंध स्थापित करना चाहता हो,, उसके बारे में गंदे ख्याल रखता हो किसी न किसी बहाने उसके खूबसूरत अंगों को स्पर्श कर देता हो,,, पकड़ लेता हो रगड़ देता हो,,, यह भला एक आदर्श बेटे के लिए उचित है,,,।





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अंकित का मन उससे ही सवाल पूछता था कि जो तू कर रहा है क्या यह सही है तू अपनी मां को चोदना चाहता हैं क्या एक बेटा अपनी मां को कभी चोदने के बारे में सोच सकता है,,, भला तो यह कैसे कर सकता हूं तुझे अपनी मां को नंगी देखने में मजा आता है उसके खूबसूरत अंगों को देखने में मजा आता है उसे पेशाब करते हुए देखने में मजा आता है भला यह कैसे संभव है कोई भी बेटा अपनी मां को नग्न अवस्था में नहाते हुआ या पेशाब करते हुए नहीं देखना चाहता तो तू कैसे देखता है,,, तुझे क्यों इन सब चीजों में मजा आ रहा है,,,, अगर इन सब बारे में किसी को पता चल गया तो तेरा क्या होगा कभी सोचा है घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा घर से बाहर निकलेगा तो सब तुझे मादरचोद कहेंगे तेरी मां को भी गंदी नजरों से देखेंगे तेरी मां में और रंडी में कोई फर्क नहीं रह जाएगा समाज के लोग तेरी मां को भी गंदी नजर से देख कर हमेशा उसके साथ संबंध बनाने की सोचेंगे उनके मन में यही चलता रहेगा कि जब यह अपने बेटे से चुदवा सकती है तो उनसे क्यों नहीं चुदवाएगी,,, सो जरा तेरा क्या हाल होगा,,,?




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और अपने मन में उठ रहे इस तरह के सवाल का वह जवाब खुद ही नहीं दे पाता था कुछ पल के लिए उसे भी अपनी किए पर पछतावा होने लगता था कुछ पल के लिए उसे भी एहसास होता था कि वह दुनिया का सबसे गंदा बेटा है जो अपनी मां को ही गंदे नजर से देखा है और यह सब दोबारा न करने की मन में ही कसम खाकर वह यही सोचता था कि अब वह ऐसा हरकत कभी नहीं करेगा अपनी मां को गंदी नजर से कभी नहीं देखेगा अपनी मां के बारे में कभी भी गलत ख्याल आता अपने मन में नहीं आएगा लेकिन जब भी वह अपने घर पहुंचता था और अपनी मां को किसी भी हालत में देखा था तो उसके मन में फिर से वही भावना जागृत होने लगती थी साड़ी में कसी हुई अपनी मां की गांड देखकर फिर से उसके मन में काम भावना जागरूक होने लगती थी काम करते समय अपनी मां की चूचियों की झलक उसके मन में फिर से वासना पैदा कर देती थी उसका झुकना उसका चलना उसका काम करना हर एक क्रिया में उसे अपनी मां की मादकता ही नजर आती थी उसकी कामुकता झलकती थी और ऐसे हालात में वह फिर उत्तेजित होने लगता था और फिर से अपनी मां के बारे में गंदे ख्याल अपने मन में लाने लगता था और ऐसा करने में उसे आनंद भी आता था और फिर वह सब कुछ भूल जाता है जो ऐसा न करने की अपने मन में कसम खाया करता था,,,।





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आज भी उसके मन में इसी तरह की दुविधा हो रही थी,,, स्कूल में बैठे-बैठे वह यही सोच रहा था कि क्या वह अपनी मां के साथ इस खेल में आगे बढ़े या अपने आप को यहीं रोक ले लेकिन इतना तो उसे समझ में आ रहा था कि अभी खेल में रुकना एकदम नामुमकीन हो गया था,,, क्योंकि ना चाहते हुए भी उठते बैठते सोते जागते उसके मन में बस अपनी मां के बारे में ही ख्याल आते थे इसलिए वह किसी भी तरह से अपने आप को रोक नहीं पा रहा था लेकिन फिर भी अपने आप को रोकने की वह बहुत कोशिश कर रहा था अपने दोस्त राहुल से लेकर उसे बहुत कुछ सीखने को मिला था राहुल के संगत का असर ही था जो वह अपनी मां के साथ खुलकर बातें करने लगा था,,,, इसलिए वह राहुल से मिलना चाहता था उसे एक बार मुलाकात करना चाहता था वह देखना चाहता था कि राहुल और उसकी मां के बीच वाकई में
इस तरह का रिश्ता है जैसा कि वह उन दोनों के बीच सब करता था और उसी तरह का रिश्ता वह अपनी मां के साथ काम करना चाहता था वह पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहता था,,,, और उसे छुट्टी की घंटी बजने का इंतजार था,,,,।






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और जैसे ही छुट्टी की घंटी बजी वह जल्दी से अपना बैग लेकर निकल गया राहुल के घर की तरफ पैदल ही,,, वैसे भी नूपुर से मिले काफी दिन हो गए थे अगली मुलाकात जिस तरह से गुजरी थी उसे मुलाकात को लेकर अंकित के मन में ढेर सारी यादें बसी हुई थी और भावनाएं जागरूक हो चुकी थी इसलिए वह कई दिनों से नूपुर से मिलना चाहता था लेकिन मुझे समय नहीं मिल रहा था लेकिन आज वह समय निकालकर उसके घर जाना चाहता था और अपने मन की शंका को अपने मन की दुविधा को दूर कर लेना चाहता था,,, लेकिन उसके मन में इस बात को लेकर समझती थी कि कहीं घर पर राहुल ना मिला तो राहुल से मुलाकात ना हुई तो केवल उसकी मां से ही मुलाकात हुई तो वह भले ही एक और मुलाकात में नूपुर के साथ आंखों से मजा ले लेगा लेकिन उसकी शंका दूर नहीं हो पाएगी मां बेटे के बीच के रिश्ते को लेकर यह सब सोचता हुआ वह कब राहुल के घर पहुंच गया उसे भी पता नहीं चला,,,। उसका दिल जोरो से धड़क रहा था क्योंकि वह अनजान था कि घर में कौन-कौन मौजूद होगा राहुल होगा उसकी मां होगी या उसके पापा होंगे या तो फिर केवल उसकी मां अकेली ही होगी यही सब सो कर वह दरवाजे तक पहुंच गया था,,,।






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दरवाजे की बेल बजाकर वह खड़ा हो गया,,, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आ रहा था वह दूसरी बात बेल बजाने ही वाला था कि उसे एहसास हुआ कि दरवाजा हल्का सा खुला हुआ है,,, और वह बेल ना बजा कर धीरे से दरवाजे पर हाथ रख तो दरवाजा खुद व खुद खुलता चला गया,,,, इस तरह से दरवाजा खुला पाकर उसके दिल की धड़कन ओर तेज बढ़ने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अंदर कोई है भी या नहीं,,,,,, धड़कते दिल के साथ बहुत घर में प्रवेश कर गया वैसे तो उसे घर के लोग जानते ही थे इसलिए उसे इस बात की फिक्र नहीं थी कि कोई अगर देख लेगा तो क्या सोचेगा कि बिना बेल बजाए घर में प्रवेश कर गया,,, इस बात की चिंता उसके मन में नहीं थी क्योंकि राहुल और उसकी मां से वह भली भांति परिचित था और वह दोनों भी उसे अच्छी तरह से जानते थे,,,, लेकिन फिर भी घर में किसी भी प्रकार का शोर शराबा या किसी भी प्रकार की हाथ नहीं थे एकदम शांति थी उसे थोड़ा अजीब लगा,,,।






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कुछ देर तक वहीं खड़ा रह कर वह सोचता रहा कि घर में रुके या यहां से चला जाए लेकिन फिर उसे समझ में आया कि घर का दरवाजा खुला हुआ है तो जरूर कोई ना कोई तो होगा या हो सकता है कि सो गया हो जब उसके मन में ख्याल आया तो तो उसके दिमाग में नूपुर घूमने लगी और बिस्तर पर गहरी नींद सोई हुई उसकी मुद्रा उसके मन की कल्पना में आने लगी,,, वह अपनी मम्मी सो नहीं लगा कि अगर वाकई में राहुल की मां गहरी नींद में सो रही होगी तो उसे सोई हुई देखने में भी बहुत आनंद आएगा और वह उसे जगाएगा क्योंकि वह जानता था कि राहुल की मां उसकी हरकत से बिल्कुल भी नाराज नहीं होगी और अगर कुछ बोली भी तो बोल देगा कि वह तो राहुल से मिलने आया था और घर का दरवाजा खुला हुआ था इसलिए उसे थोड़ी चिंता भी थी इसलिए वह घर से वापस गया नहीं बल्कि तसल्ली कर लेना चाहता था कि घर में कोई है भी या नहीं यही सब अपने मन में सोच रहा था,,,। और सोचते सोचते वह अपने दोस्त की मां के कमरे की पास पहुंच गया वह पहले से ही जानता था कि उसकी मां का कमरा कौन सा है,,,।





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पहली बार अंकित इस तरह की हरकत किसी अनजान घर में कर रहा है उसे थोड़ा डर भी लग रहा था लेकिन राहुल की मां को निद्रा अवस्था में देखने की चाहत उसके मन में बढ़ती जा रही थी और इसी चाहत की वजह से उसके मन में हिम्मत भी मिल रही थी जिसके चलते वह इस तरह की हरकत करने पर उतारू हो चुका था,,, अंकित की सांस बड़ी तेजी से चल रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई आना चाहिए कहीं कोई देख ना ले कहीं कोई उसके बारे में गलत ना सोचने लग जाए ,,, यही सब सोता हुआ वहां राहुल की मां के कमरे के दरवाजे के पास पहुंच गया था लेकिन जल्दी उसे एहसास हो गया कि दरवाजा अंदर से तो बंद है,,,, आप क्या करें उसे लगने लगा कि वाकई में राहुल की मां गहरी नींद में सो रही है अब इस तरह से दरवाजा खटखटाना उचित नहीं है वह निराश होकर वहां से चलने वाला था कि अंदर से खिल खिलाकर हंसने की आवाज आ रही थी,, जो कि किसी औरत की ही थी अंकित को समझते देर नहीं लगी की वह आवाज राहुल की मां की ही थी उसे बड़ा अजीब लगा दरवाजा अंदर से बंधे हैं और अंदर से हंसने की आवाज आ रही है आखिरकार अंदर हो क्या रहा है,,,,,। उत्सुकता बस वह अपना काम दरवाजे पर टिककर अंदर की आवाज सुनने के लिए आतुर होने लगा और कोशिश करने लगा कि आखिरकार अंदर हो क्या रहा है लेकिन तभी जो उसके कानों में आवाज आई उसे सुनकर उसके होश उड़ गए,,,




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आहहहह,,, धीरे से,,,, न जाने क्यों जल्दबाजी दिखा रहा है,,,,,।
(यह आवाज राहुल की मां नूपुर की ही थी जिसे अंकित अच्छी तरह से पहचानता था,,, कानों में पड़ी इतनी सी बात उसकी शंका को और ज्यादा मजबूत करने लगे लेकिन अंदर राहुल की मां के साथ कौन है यह अंकित को नहीं मालूम था और यही वह देखना चाहता था ,,, तसल्ली कर लेना चाहता था कि आखिरकार अंदर साथ में है कौन और हो क्या रहा है लेकिन दरवाजा तो बंद था अंदर देख पाना मुश्किल हुआ जा रहा था,,, अंकित दरवाजे के की होल से भी अंदर देखने की पूरी कोशिश किया लेकिन उसमें भी उसे सफलता हासिल नहीं है उसका दिल जोरो से धड़क रहा था अंदर खिलखिलाहट की आवाज बढ़ती जा रही थी और रह रहकर,,,सससहहहहह ,,,,आहहहहहह की आवाज भी आ रही थी और इस तरह की आवाज सुनकर तो उसके होश उड़ रहे थे और साथ में उसके लंड की हालत भी खराब हो रही थी,,,, अंदर देखने का जुगाड़ उसे मिल नहीं रहा था तभी उसकी नजर खिड़की पर गई और वह तुरंत खिड़की के पास पहुंच गया और उसकी किस्मत अच्छी थी की खिड़की का एक पल्ला हल्का सा खुला हुआ था उसने उस पल्ले में अपनी नजर टिकाकर अंदर की तरफ देखने लगा,,, दोपहर का समय होने के बावजूद भी अंदर ट्यूब लाइट जल रही थी और ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में अगले ही पल जो उसे नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,,।




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अंदर का नजारा वाकई में उसके होश उड़ा देने वाला था और उसके संस्कारों उसकी मर्यादा को तार-तार कर देने वाला था जिस तरह की धारणा वह अपने मन में कभी कभार बांध कर अपने आप पर ग्लानि महसूस करता था उस धारणा को तोड़ देने वाला था,,, अंदर का नजारा देखकर उसके पैर वहीं पर चल रहे थे उसकी आंखें फटी के फटी रह गई थी जिस बारे में वह केवल कल्पना किया करता था अपने मन में सोचा करता था वही दृश्य उसकी आंखों के सामने नजर आ रहा था,,,, अंदर का दृश्य था ही कुछ ऐसा कि अगर अंकित की जगह कोई और देखा तो उसकी भी आंखें फटी की फटी रह जाती,,,।

अंदर कमरे में बिस्तर पर राहुल की मां एकदम नंगी देती हुई थी उसकी दोनों टांगें खुली हुई थी और टांगों के बीच जो शख्स था उसे देखकर वाकई में अंकित की हालत खराब हो गई थी और उसके मन में भी एक उम्मीद की नहीं किरण जगी थी क्योंकि नूपुर की दोनों टांगों के बीच कोई और नहीं बल्कि उसका ही सगा बेटा राहुल था और वह भी पूरी तरह से नंगा था और वह अपनी मां की बुर चाट रहा था इस दृश्य को देखकर पल भर में ही अंकित का लंड एकदम से खड़ा हो गया,,, और जिस उद्देश्य से वह राहुल के घर आया था अपने प्रश्नों का जवाब ढूंढने अपने आप ही उसके सारे सवाल का जवाब बिस्तर पर ही मिल गया था अब उसे ज्यादा कुछ सोचने की जरूरत नहीं थी क्योंकि उसकी आंखों के सामने ही एक मां अपनी दोनों टांगें खोलकर अपनी बुर अपने ही बेटे से चटवा रही थी,,,,। अंकित की तो हालत खराब होने लगी वह अंदर ही अंदर खुश भी हो रहा था इस तरह के दृश्य को देखकर क्योंकि जिस रिश्ते के बारे में सोचकर वह परेशान हो रहा था वही रिश्ता बिस्तर पर मजे ले रहा था,,,।




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अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि वह वहीं रुके या वहां से चला जाए वह ईस खेल को आगे भी देखना चाहता था क्योंकि पहली बार वह इस तरह के दृश्य को देख रहा था अपनी आंखों के सामने ही एक औरत और एक जवां मर्द को नग्न अवस्था में एक ही बिस्तर पर मजे लेते हुए देख रहा था,,, उसके लिए यह सब कल्पना जैसा ही था क्योंकि आज तक वह इस तरह का सिर्फ कल्पना ही किया था लेकिन हकीकत में देखा नहीं था केवल किताबों में ही इस तरह की दृश्य को देखा था लेकिन आज हकीकत में अपनी आंखों से देख रहा था,,,। अंकित को सबकुछ साफ नजर आ रहा था नूपुर पूरी तरह से नंगी होकर बिस्तर पर लेते हुई थी उसकी दोनों टांगें खुली हुई थी और राहुल पागलों की तरह अपनी मां की बुर चाट रहा था यह देखकर अंकित अपने से अच्छी किस्मत राहुल की समझ रहा था जो अपनी मां की बुर को अपनी जेब लगाकर चाट रहा था जबकि वह अपनी मां की बुर देखने के लिए तड़प जाता था,,,।



नुपुर और राहुल

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कमरे में राहुल की मां की गरमा-गरम शिसकारी की आवाज गूंज रही थी,, जिसे सुनकर अंकित की हालत खराब हो रही थी नूपुर अपना हाथ आगे बढ़कर उसके बाल को कस के अपनी मुट्ठी में भींच कर रह रह कर अपनी कमर ऊपर उठा दे रही थी। जो कि उसकी उत्तेजना को दर्शा रहा था,,, अंकित को साफ नजर आ रहा था कि राहुल पागलों की तरह अपनी मां की बुर को चाट रहा था,,,। अंकित को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसे ऐसा कुछ देखने को मिल जाएगा वह तो कुछ सीखने आया था राहुल से क्योंकि राहुल के साथ रहकर ही वह और तो क्या आकर्षण के बारे में समझ पाया था उसे क्या मालूम था कि उसके घर पर आकर आज उसे जिंदगी का एक नया सबक सिखाने को मिलेगा इसके बारे में सोचकर उसकी मां उसे कभी-कभी का कचोटता था,,, कमरे के अंदर की हालात पूरी तरह से मदहोशी भरी थी जिसे देखकर के अंकित के तन बदन में भी आग लग रही थी उसकी जवानी सुलग रही थी वही समय कुछ कर तो नहीं सकता था लेकिन अपने जीवन का अनमोल सुख जो आंसू आंखों से लिया जाता है उसे पूरी तरह से महसूस कर रहा था उसे सुख को भोग रहा था,,,।


अंकित भी इसी तरह से बुर चाटना चाहता था

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गलती किताबों के चित्र में उसने कई चित्र ऐसे भी देखे थे जिसमें नायक नायिका की बुर को अपने होठों से अपनी जीभ से चाट रहा था,,, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि वाकई में कोई ऐसा भी कर सकता है लेकिन आज वह अपनी आंखों से देख रहा था और अपने मन में सोच भी रहा था कि जब औरत की बर देखने में इतना आनंद आता है तो वास्तव में उसे होठों से चाटने में और भी ज्यादा मजा आता होगा तभी तो राहुल अपनी मां की बुर चाट रहा था और उसकी इस क्रिया पर उसकी मां भी उसका पूरा सहयोग देते हुए मजा लूट रही थी,,,, उसे साफ दिखाई दे रहा था की बिस्तर पर उसकी मां आनंद के सागर में गोते लगाते हुए अपने सर को दाएं बाएं पटक रही थी,,,।

सहहहहहह,,, आहहहहहहहह,,,,, मेरे राजा तूने तो मुझे पागल कर दिया,,,,आहहहहहह,,,,, पुरी जीभ अंदर डालकर चाट,,,,आहहहहह,,,,,।



राहुल का अपनी मां क साथ मदहोश करदेने वाला नजारा देखकर अंकित की हालत खराब हो रही थी

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तु बिल्कुल भी चिंता मत कर रानी तुझे मत कर दूंगा,,,,,बहुत करारी बुर है तेरी,,,,ऊमममममम,,,(जोर जोर से चाटते हुए राहुल बोला उन दोनों की बातें भी बेहद मद भरी थी जिसे सुनकर अंकित को भी नशा छा रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि एक मां अपनी बेटी को मेरे राजा और बेटा अपनी मां को रानी करके संबोधन कर रहा था यह सब भी अंकित के लिए बिल्कुल नया था,,,,, यह सब देखकर,, अंकित के तन बदन में हलचल मच रही थी,,, उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था अंदर का गरमा गरम दृश्य देखकर अंकित से अपने मन पर काबू नहीं हो रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह वहीं रुक रहे या वहां से चला जाए आंखों के सामने इतना मधुर मनोहर दृश्य देखकर उसका वहां से जाने का भी मन नहीं कर रहा था,,,। धड़कते दिल के साथ अंकित कमरे के अंदर के एक-एक पल के दृश्य को अपनी आंखों में कैद कर रहा था,,, इस तरह का नजारा उसने केवल चित्र के जरिए किताबों में देखा था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने वही चित्र एकदम सजीव होकर उसकी आंखों के सामने नाच रहे थे,,,।



नुपुर और राहुल

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पागलों की तरह अपनी मां की बुर चटाई करने के बाद,,, राहुल धीरे से खड़ा हुआ और घुटनों के बल हो गया अंकित को एकदम साफ नजर आ रहा था कि राहुल का लंड खड़ा था और उसे प्यासी नजरों से उसकी मां देख रही थी,,,, अंकित को ऐसा लग रहा था कि अब दोनों के बीच चुदाई का खेल शुरू हो जाएगा लेकिन तभी उसकी सोच के विरुद्ध राहुल की मां उठकर वह भी राहुल की तरह घुटनों के बल बैठ गई और सीधे अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपने बेटे के लंड को पकड़ते हुए बोली,,,,।


जब देखो तब तेरा खड़ा हो जाता है,,,, इससे किसी और की बुर की चुदाई तो नहीं किया है ना,,,,।


बिल्कुल भी नहीं मम्मी तेरी बुर की सिवा और किसी की बुर मुझे अच्छी नहीं लगती,,,, लेकिन अंकित की मां की बड़ी-बड़ी गांड देखकर मेरा मन बहुत चोदने को करता है उसे,,,,।

(अंकित को तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह कुछ और सुन रहा हो उसे भरोसा नहीं हो रहा था इसलिए वह एकदम से कम लगाकर सुनने की कोशिश करने लगा और उसकी बात सुनकर नूपुर बोली ,,)

अंकित की मां,,,, वह तेरी इच्छा कभी पूरी नहीं करेगी वह दूसरी औरतों की तरह नहीं है,,,,।

लेकिन उसका भी तो जवान बेटा है मेरी तरह और जहां तक मेरा मानना है उनके तो पति भी नहीं है बरसों से वह ऐसे ही थोड़ी रहती होगी जरूर अपने घर में मेरी तरह ही जैसे मैं तुम्हें चोदता हूं वैसे वह भी अपने बेटे से चुदवाती होगी,,,।

(इतना सुनकर अंकित को यकीन हो गया था कि वह दोनों उसके और उसकी मां के बारे में ही बातें कर रहे थे अपनी मां का जिक्र सुनकर अंकित की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी क्योंकि उसने जो सुना था ठीक ही सुना था राहुल उसकी मां को चोदने की इच्छा रखता था जिसे कहने का मतलब साफ था कि उसे अपनी मां से ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी उसकी मां लग रही थी,,, एक तरह से राहुल की बात सुनकर अंकित अपने आप पर करो महसूस कर रहा था कि उसकी मां वाकई में सबसे ज्यादा खूबसूरत है वह फिर से कान लगाकर अंदर की बात सुनने की कोशिश करने लगा,,,।)


मुझे तो नहीं लगता लेकिन हो भी सकता है चार दिवारी के अंदर मां बेटे के बीच क्या खिचड़ी पक रही है किसे पता अब हम दोनों कोई देख लो हम दोनों मां बेटा होने के बावजूद भी पति-पत्नी की तरह मजा ले रहे हैं इस बात को भला कोई क्या जानता होगा,,,(नूपुर अपने बेटे के लंड को पकड़कर हिलाते हुए बोली,,,, राहुल की मां की बात सुनकर अंकित भी सोच में पड़ गया था कि वाकई में वह जो भी कह रही है सच कह रही है चार दीवारी के अंदर किसी भी रिश्ते के पीछे क्या हो रहा है यह भला चारदीवारी के बाहर किसे पता चलेगा जब तक की बताया ना जाए अंकित अपने मन में सोचने लगा कि अगर वाकई में चार दिवारी के अंदर उसके और उसकी मां के बीच संबंध स्थापित हो जाएंगे तो भी इस बात का पता किसी को नहीं चलने वाला जैसा कि राहुल अपनी मां के साथ कर रहा है अंकित अपने मन में यही सोच कर खुश हो रहा था कि अगर वह अपनी आंखों से ना देखा तो उसे कभी भरोसा नहीं होता की चार दीवारी के अंदर मां बेटे के बीच-बीच तरह का रिश्ता कायम होता है,,,, अपनी मां की बात सुनकर राहुल अपनी मां के दोनों कद्दू पर हाथ रखकर उसे अपने लंड की तरफ झुकाते हुए बोला,,)

क्या खबर पर मुझे नहीं लगता कि दोनों शांत रहते होंगे बेटा भी पूरी तरह से जवानी और मां भी पूरी तरह से जवानी से भरी हुई है दोनों के बीच हम दोनों जैसा ही रिश्ता होगा,,,,।

चल जाने दे हमें उनसे क्या मतलब,,,,(ऐसा कहते हुए नूपुर खुद अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी और यह देखकर तो अंकित की हालत और ज्यादा खराब होने लगी,,, क्योंकि इस तरह के दृश्य को वह किताब के चित्र में ही देखा था लेकिन आज अपनी आंखों से देख कर उसे समझ में आ गया था कि औरत और मर्द इस तरह से भी सुख प्राप्त करते हैं,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी आंखों के सामने हो रहा था वह कोई कल्पना और सपना नहीं था वह हकीकत था देखते ही देखते राहुल की मां पागलों की तरह अपने बेटे के लंड को मुंह में अंदर बाहर करके चूसने लगी अंकित का भी धैर्य जवाब दे रहा था,,,, और देखते ही देखते वह भी अपनी पेंट की बटन खोलकर अपने लंड को बाहर निकाल लिया जो की पूरी तरह से अपनी औकात में खड़ा था,,,, और उसे धीरे-धीरे वह मसल रहा था,,,)


बस अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है मेरी बुर में आग लगी हुई है जल्दी से अपना लंड डालकर मेरी आग बुझा दे,,,,(ऐसा कहते हुए नूपुर लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल ली और फिर से चित होकर लेट गई और राहुल भी एकदम मदहोश होता हुआ अपनी मां की दोनों टांगों को खोलकर उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बना लिया और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसकी गुलाबी छेद पर रखते हुए बोला,,,)

बिल्कुल भी चिंता मत कर मेरी रंडी आज तेरी बुर का भोसड़ा बना दूंगा,,,,(और ऐसा कहने के साथ ही एक झटके में अपने लंड को पूरी तरह उसकी बुर में डाल दिया जैसे ही उसका लंड उसकी बुर में प्रवेश किया उसकी मां के चेहरे का रंग बदलने लगा हुआ मदहोश होने लगी और देखते ही देखते वह तेज तेज धक्के मारना शुरू कर दिया और यह देखकर अंकित अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया,,,। और यह खेल तब तक चलता रहा जब तक कि वह दोनों घमासान चुदाई के बाद पानी न फेक दिए हो और तब तक अंकित का भी मुठीयाना जारी रहा,,,।

थोड़ी देर में सब कुछ शांत हो चुका था राहुल अपनी मां के ऊपर लाकर गहरी गहरी सांस ले रहा था अंकित समझ गया था कि आप उसका वहां रुकना बिल्कुल भी उचित नहीं है इसलिए वह दबे पांव घर से बाहर निकल गया और सड़क पर आकर गहरी सांस लेने लगा जिस काम के लिए आया था उसका काम हो चुका था जिस सवाल का वह जवाब ढूंढ रहा था उसकी आंखों के सामने अपने आप ही उसका जवाब मिल गया था उसके सारे प्रश्नों का हल मिल चुका था,,, इसके बारे में सोचकर उसे अपने मन में ग्लानि महसूस होती थी बहुत सारे गिरे से कोई दूर हो चुके थे एक नई ऊर्जा का संचार उसके तन बदन में हो रहा था उसका मन मस्तिष्क पूरी तरह से आगे बढ़ने के लिए तैयार हो चुका था,,, वह प्रसन्नता के साथ अपने घर की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,।
Mast update ...... maja aagaya ...... yaar Rohany bhai ..... please Ankit ko thodi rahat de do yaar
 

lovlesh2002

New Member
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बहुत बढ़िया, कहानी को रंगीन कैसे बनाना है ये हुनर लाजवाब है, कहानी के अंदर एक और मां बेटे की sexy कहानी। Bahut khoob, ab jaldi se new update do bro
 
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