नूपुर के घर पर जो कुछ भी अंकित ने देखा था वह सब कुछ एक फिल्म की तरह उसके दिलों दिमाग पर छप चुका था,,,, क्योंकि ऐसा गरमा गरम नजर उसने आज तक अपनी आंखों से कभी नहीं देखा था,,, इस तरह की क्रियाकलाप को वह केवल गंदी किताब की रंगीन पन्नों पर ही चित्र के रूप में देखा था लेकिन उसने कभी सोचा नहीं था कि रंगीन पन्नों के चित्र को वह अपनी नंगी आंखों से देख पाएगा और वह भी मां बेटे को,,, राहुल के घर से अंकित एक नई ऊर्जा लेकर अपने घर की तरफ लौट रहा था वह पूरी तरह से बदल चुका था कमरे के अंदर के गरमा गरम दृश्य नहीं उसके दिल दिमाग के सारे रहस्य को उजागर कर दिया था इसके बारे में सोचकर उसे कभी-कभी अपने आप पर ही ग्लानी महसूस होती थी,, एक नजारे ने सब कुछ बदल दिया था उसे लगने लगा था कि हर घर में कैमरे के अंदर इसी तरह का रिश्ता कायम होता है बस किसी को पता नहीं चलता,,, वह अपने मन में निश्चय कर लिया था कि अब वह भी राहुल की तरह ही अपनी मां से संभोग सुख प्राप्त करेगा और उसे पक्का यकीन था कि उसकी मां इस कार्य में उसका पूरा सहयोग करेगी क्योंकि वह भी यही चाहती थी,,,।
नूपुर राहुल के बारे में सोचता हुआ अंकित अपने घर पर पहुंच चुका था,,। घर पर अभी उसकी मां नहीं आई थी और नहीं उसकी बड़ी बहन तृप्ति आई थी वह घर में प्रवेश करके कुर्सी पर बैठकर उसे घटना के बारे में ही सोचने लगा जिसे वह अपनी आंखों से देखकर आया था राहुल की बात तो उसे और उसकी मां की हरकत से पहले से ही अंकित के मन में शंका के बीच उगने लगे थे लेकिन अभी तक यह शंका ही था लेकिन अपनी आंखों से देखने के बाद उसका शंका हकीकत में बदल चुका था पहले तो उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या वाकई में एक मां बेटे के बीच इस तरह का रिश्ता कायम हो सकता है लेकिन जो कुछ भी उसकी आंखों ने देखा था उसे झूठलाया नहीं जा सकता था अगर किसी के मुंह से सुनता तो शायद वह पूरी तरह से यकीन नहीं कर पाता लेकिन वह खुद अपनी आंखों से देखा था इसलिए इनकार करने का तो सवाल ही नहीं उठता था,,,। अभी तक उसे दृश्य की गर्मी उसके बदन में महसूस हो रही थी अभी तक उसके पेंट में तंबू बना हुआ था,,,।
कुर्सी पर बैठकर अंकित एक-एक दृश्य के बारे में सोच रहा था वह सोच रहा था कि धक्का मारते समय राहुल के चेहरे पर कितना सुकून नजर आ रहा था और उससे भी ज्यादा मदहोशी उसकी मां के चेहरे पर दिखाई दे रही थी क्या वाकई में बुर में लंड डालने में इतना मजा आता है,,, लेकिन राहुल तो डालने के साथ-साथ बड़े जोर-जोर से धक्का लगा रहा था और हर धक्के के साथ उसकी मां पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी क्या वाकई में बुर में लंड डालने के बाद जोर-जोर से कमर हिलाना जरूरी हो जाता है,,, राहुल का उसकी मां की बुर में जोरदार धक्के लगाना अंकित के लिए किसी पहली से काम नहीं था क्योंकि अंकित यही समझता था की बुर में सिर्फ लंड डाला जाता है आगे पीछे किया जाता है,, लेकिन वह इतनी तेज धक्के के साथ किया जाता है इस बारे में उसे जानकारी नहीं थी,,,। लेकिन अब उसे इतना पता चलने लगा था कि तेज धक्को के साथ ही मर्द और औरत दोनों को मजा आता है,,,,।
हर एक दृश्य अंकित के लिए मनोहर था अनमोल था और अतुलनीय था क्योंकि यह सब उसके साथ पहली बार हो रहा था उसे और ज्यादा हैरानी हुई थी जब राहुल को अपनी मां की बुर चाटते हुए देखना इस तरह के दृश्य को वहां रंगीन पन्नों पर चित्र के रूप में देख चुका था लेकिन उसे यकीन नहीं हो रहा था कि एक मर्द औरत की बुर पर अपने होंठ लगाकर अपनी जीभ से वास्तविक में चाटते होंगे क्योंकि अंकित भी यही सोचता था कि उसमें से तो पेसाब किया जाता है भला उसे मुंह में लेकर चाटने में क्या मजा आता होगा,,, लेकिन राहुल को देखने के बाद उसके मन का यह सवाल भी पहेली नहीं रह गया था इस सवाल का भी जवाब उसे मिल गया था क्योंकि वह बड़े साफ तौर पर खिड़की पर खड़ा होकर देख पा रहा था कि इस क्रिया को करने में राहुल से ज्यादा मजा उसकी मां को मिल रहा था तभी तो अपना हाथ उसके सर पर रखकर जोर-जोर से उसे अपनी दोनों टांगों के बीच दबा रही थी ऐसा जाता रही थी कि वह और जोर-जोर से चाटे ,,,।
इसके बाद की क्रिया उसके लिए और भी ज्यादा उत्तेजित कर देने वाली थी इसके बारे में वह केवल सोचा करता था उसे इस क्रिया पर भी यकीन नहीं था कि वाकई में औरत मर्द के लंड को मुंह में लेकर किसी लॉलीपॉप की तरह चुसती है,, लेकिन इस शंका का भी समाधान हो गया था राहुल की मां की क्रियाकलाप को देखकर वह एकदम मंत्र मुग्ध हो गया था,,, वाकई औरत का हर एक अंग हर एक क्रियाकलाप मर्दों को पूरी तरह से मदहोश कर देती है नूपुर बड़े चाव से बेझिझक अपने ही बेटे के लंड को मुंह में लेकर मस्ती के साथ चूस रही थी यह दृश्य अंकित को पूरी तरह से गर्म कर गया था,,, इन सब के बारे में सोचकर कुर्सी पर बैठा अंकित पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रहा था और वह अब अपनी मां के साथ मजा लेने के लिए तैयार था लेकिन वह जानता था कि अभी मंजिल बहुत दूर है क्योंकि वह खुद पहल करने से डरता था भले ही उसे इस बात का एहसास था कि उसकी मां भी यही चाहती है लेकिन फिर भी वह पहल नहीं करना चाहता था क्योंकि उसे डर था कि कहीं उसकी मां उसकी हरकत का बुरा मान गई तो वह घर में रहकर अपनी मां से कभी नजर नहीं मिल पाएगा,,,।
पेट में बनी तंबू को शांत करने की कोशिश करता हुआ वहां पेट के ऊपर से ही अपने लंड को जोर-जोर से दबा रहा था उसकी आंखों के सामने नूपुर का नंगा बदन नाच रहा था नंगी होने के बाद नूपुर वाकई में बहुत खूबसूरत लगती है बड़ी-बड़ी चूची बड़ी-बड़ी कम गुलाबी पर का मजा वह पूरी तरह से अपने बेटे को दे रही थी और यही मजा अंकित भी लेना चाहता था वह अपने मन में सोच रहा था कि जब वह उसके घर गया था तो राहुल की मां उसके साथ कुछ ज्यादा ही छूट छाट ले रही थी,,, और उसकी क्रियाकलाप को वह इस समय सोचकर मदहोश हुआ जा रहा था और अपने मन में यही सोच रहा था कि जब वह अपने बेटे से चुदवा सकती है तो उसके साथ क्यों नहीं,,, जरूर राहुल की मां उसके बारे में भी कुछ सोच रही होगी कभी तो चाय बनाते समय उसकी मदद लेकर उसे पूरी तरह से उत्तेजित कर गई थी,,, नंगी गांड का स्पर्श उसे इस समय भी महसूस हो रहा था,,,।
इन सबको याद करके अंकित से रहा नहीं गया और वह तुरंत कुर्सी पर से उठकर खड़ा हो गया और बाथरूम में चला गया और वहां पर जाकर अपने हाथ से ही अपनी जवानी की गर्मी को शांत करके बाहर आकर हाथ में धोकर अपने आपको फ्रेश कर लिया और तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,, वह समझ गया था कि उसके सपनों की रानी उसकी मां आ चुकी थी वह जल्दी से उठकर दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ गया और जैसे ही दरवाजा खोला तो उसकी आंखों के सामने उसकी मां तो थी लेकिन उसके साथ तृप्ति भी थी आज दोनों साथ में आए थे और दोनों को साथ में देखकर अंकित के चेहरे पर उदासी की लकीर जाने लगी क्योंकि वह अपनी मन में सोच रहा था कि आज ही वह अपनी मां को फिर से एक जोड़ी ब्रा पेंटी का नाप लेने के लिए बोलेगा और इसी मौके का फायदा उठाकर उसके नंगे बदन का रसपान अपनी आंखों से करेगा और उसका स्पर्श करके मदहोश हो जाएगा,,, लेकिन तृप्ति के कारण वह ऐसा नहीं कर सकता था इसलिए एकदम उदास हो गया था और दरवाजा खोलकर एक तरफ खड़ा हो गया दोनों जैसे ही अंदर आए वह दरवाजा बंद करके बोला,,,।
चाय बना दो मम्मी मैं कब से इंतजार कर रहा था,,,।
क्यों कब से इंतजार कर रहा था यही समय तो है मेरा घर पर आने का,,,।
फिर भी मुझे चाय पीना था इसलिए,,।
चल कोई बात नहीं अभी बना देती हुं,,,,
(इतना कहने के बाद सुगंधा हाथ में धोकर फ्रेश हो गई और किचन में जाकर चाय बनाने लगी तृप्ति थक चुकी थी इसलिए वह भी बगल वाली कुर्सी पर बैठकर गहरी सांस लेते हुए बोली)
आखिरी परीक्षा शुरू होने वाली है तैयारी किया कि नहीं,,,,,।
मैं तो पूरी तरह से तैयार हूं,,,,।
देखना नंबर कम नहीं आना चाहिए,,, तु कितना तैयार है यह रिजल्ट आने के बाद ही पता चलेगा,,,।
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो दीदी मेरी तैयारी पूरी तरह से,,,,।(सुगंधा और नूपुर की मदहोश कर देने वाली जवानी में इस कदर अंकित को चुका था कि आखिरी परीक्षा शुरू होने वाली थी और वह परीक्षा के बारे में कुछ सोचा ही नहीं रहा था लेकिन अपनी बड़ी बहन के मुंह से सुनकर उसे एहसास हुआ कि वाकई में इस ही तैयारी करनी चाहिए कहीं फेल हो गया तो पूरा साल बिगड़ जाएगा,,,, अंकित की बात सुनकर तृप्ति बोली,,)
मुझे भी तुझसे यही उम्मीद है,,,, कोई दिक्कत हो तो बताना,,,।
नहीं दीदी सब बराबर है,,,,।
(चाय बनाते समय सुगंधा दोनों की बातों को सुन रही थी और एक शिक्षिका होने की नाते उसे इस बात का एहसास था कि वाकई में उसके बेटे को अब पढ़ाई की ज्यादा जरूरत है इसलिए वह अपने मन में सोचने लगी कि अब कुछ दिनों तक जो कुछ भी हो रहा है उसे बंद करना होगा वरना इस अंकित पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाएगा और इन सब बातों पर गौर करके इसका असर उसके रिजल्ट पर पड़ेगा और वह ऐसा नहीं चाहती थी इसलिए वह अपने मन में सोच ली थी कि कुछ दिनों तक वह सब कुछ बंद कर देगी,,,।
रात को खाना खाने के बाद,,, अंकित टीवी देखने के लिए बैठा था वह अपनी मां का इंतजार कर रहा था क्योंकि उसकी मां भी उसके बगल में बैठकर टीवी देखती थी और तृप्ति की अनुपस्थिति में अपनी टांग उठाकर अपनी मोटी मोटी जांघों के दर्शन कराती थी और फिर सोने जाने से पहले घर के पीछे जाकर पेशाब करती थी एक तरह से उसकी हर एक क्रिया अपने बेटे को लुभाने के लिए ही थी क्योंकि वह अपने बेटे को अच्छी तरह से जान गई थी और एक औरत आने की नाते मर्द की फितरत से अच्छी तरह से बाकी थी वह जानती थी कि मर्दों को क्या चाहिए इसलिए तो वहां अपनी जवानी के दर्शन कराकर अपने बेटे को पूरी तरह से अपनी जवानी के जाल में फंसा ली थी,,,,,, इसीलिए आज भी अंकित इसी इंतजार में बैठा हुआ था,,, और थोड़ी ही देर में उसकी मां भी टीवी वाली रूम में आई लेकिन आते ही बोली,,,।
अंकित तुम्हारी परीक्षा शुरू होने वाली है और तुम टीवी देख रहे हो जाओ अपने कमरे में जाकर परीक्षा की तैयारी करो,,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर अंकित को थोड़ी हैरानी हुई क्योंकि वह सोचा नहीं था कि उसकी मां इस तरह से उसे कमरे में जाने के लिए बोलेगी क्योंकि जहां तक अंकित का मानना था उसकी मां को भी ईस खेल में मजा आ रहा था और किसी न किसी बहाने से वह अपने अंगों को उसकी आंखों के सामने उजागर कर ही देती थी,,, लेकिन आज का रवैया कुछ बदला हुआ था अंकित को इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां एक शिक्षिका थी शायद इसी जिम्मेदारी के बदौलत वह नहीं चाहती थी कि उसका बेटा परीक्षा में काम नंबर लाया फेल हो जाए इसीलिए शायद इस तरह का व्यवहार कर रही थी और अंकित भी मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी मां की बात मानते हुए बोला,,,)
ठीक है मम्मी थोड़ी देर में चला जाता हूं,,,,।
(अंकित एक बहाना करके कुछ देर और बैठा रहा क्योंकि वह जानता था कि टीवी देखने के बाद उसकी मां घर के पीछे पेशाब करने के लिए जाती थी और जी भर कर अपनी गांड दिखाई थी और इसी लालच के बस वह वहां पर बैठा रह गया,,, लेकिन थोड़ी ही देर में उसकी मां टीवी देखने के बाद खुद ही टीवी बंद कर दी और फिर से अंकित को अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करने के लिए बोली और खुद घर के पीछे ना जाकर के
अपने कमरे में सोने के लिए चली गई,,,। अंकित समझ गया था कि अब परीक्षा खत्म होने तक ऐसा कुछ भी होने वाला नहीं है इसलिए वह अपना मन मसोस कर वहां से उठा और वह भी अपने कमरे में चला गया,,, कुछ देर पढ़ाई करने के बाद वह सो गया,,,।
सुगंधा भी अपने मन को मनाकर नींद की आगोश में चली गई,,,,,,,।
कुछ दिनों तक यह सब कुछ संपूर्ण रूप से बंद रहा अंकित को ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला जिससे उसके पेंट में तंबू बन सके,,, सुगंधा भी अपनी हरकतों को काबू में करके अपने आप को व्यवस्थित रखने की कोशिश करने लगी वह घर के पीछे पेशाब करने भी नहीं जाती थी उसे इस बात का फ़िक्र था कि कहीं उसका बेटा उसकी नंगी गांड को देखकर उसकी जवानी के जाल में फंसकर कहीं फेल न हो जाए,,, इसलिए बहुत संभाल कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि अगर उसके बेटे का नंबर कम आया या फेल हुआ तो इसके पीछे वह खुद जिम्मेदार होगी,,, पर वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी कि उसके कारण उसके बेटे का नंबर काम आए या वह फेल हो जाए,,,, परीक्षा शुरू हो चुकी थी और बड़े अच्छे से अंकित परीक्षा दे रहा था,,, लेकिन गणित की परीक्षा के पहले वह कुछ सवाल को हल नहीं कर पा रहा था वह अपनी बहन से पूछना चाहता था लेकिन उससे मैं उसकी बहन घर पर मौजूद नहीं थी,,, तभी उसे सुमन के बारे में याद आया सुमन ने ही उसे बोली थी कि पढ़ाई में किसी चीज की जरूरत पड़े तो वह बेझिझक उससे पूछ सकता है,,,,।
रविवार का दिन था और दूसरे दिन गणित की परीक्षा थी इसलिए वह दोपहर में सुमन के घर अपने सवालों का हल ढूंढने के लिए उसके घर पहुंच गया घर का मुख्य दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था इसलिए उसे दरवाजे पर दस्तक देने की जरूरत नहीं महसूस हुई और वैसे भी वह उसके घर के एकदम सेट हुए घर में ही रहती थी इसलिए एक दूसरे के घर में आने-जाने में किसी को दिक्कत नहीं होती थी इसलिए वह दस्तक नहीं दिया और सीधे घर में प्रवेश कर गया,,,। उसे गणित के सवालों का हल तो चाहिए ही था इस बहाने वह सुमन से मुलाकात करना भी चाहता था क्योंकि पिछली मुलाकात बेहद रोमांचक और उत्तेजक थी,,, इसलिए वह आवाज भी नहीं दे रहा था वह धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ रहा था,,, तभी उसे बाथरूम में पानी गिरने की आवाज आने लगी उस आवाज को सुनकर अंकित के चेहरे पर प्रसन्नता के भावना जरने लगे क्योंकि उसे लगने लगा था कि बाथरूम में समान ही होगी,,, पिछले कुछ दिनों से सुमन से जिस तरह से मुलाकात हो रही थी जिस तरह से सुमन ने पिछली मुलाकात में हरकत की थी उसे देखते हुए अंकित खुद उसके बदन से छूट छाट लेना चाहता था,, और यही सोचकर वह बाथरूम के करीब बढ़ रहा था,,,।
बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था,,, बार-बार पानी गिरने की आवाज से उसे इतना तो एहसास हो रहा था कि बाथरूम के अंदर सुमन नहा रही है इसलिए उसकी उत्सुकता और प्रसन्नता दोनों बढ़ती जा रही थी धीरे-धीरे कदमों से आगे बढ़ता हुआ वह जैसे ही बाथरूम के ठीक सामने पहुंचा तो बाथरूम के अंदर का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए उसकी आंखें फटी के फटी रह गई ,,,,,अंदर का नजारा ही कुछ ऐसा था,,, बाथरूम के अंदर नहा तो रही थी लेकिन सुमन नहीं उसकी मां आ रही थी और वह भी बिना कपड़ों के एकदम नंगी होकर,,,,एक खूबसूरत औरत को बाथरूम के अंदर नंगी नहाता हुआ देख कर अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, वह आंख फाड़े,, सुमन की मां को ही देखे जा रहा था जो कि नहाने में ही व्यस्त थी पूरी तरह से नंगी उनका हर एक अंग दिखाई दे रहा था,,,।
अपनी मां को कई बार नग्न अवस्था में देखने के बाद अंकित को इतना तो पता ही था कि औरत को नंगी देखने पर उसके कौन से अंग को ज्यादा देखना चाहिए और इसीलिए उसे इस समय कोई दिक्कत नहीं हुई उसकी नजर सीधे उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों से होकर उसकी दोनों टांगों के बीच पहुंच गई थी जहां पर झांटों का झुरमुट उगा हुआ था,,,, ऐसा लग रहा था कि महीने से सुमन की मां अपने झांट के बाल साफ नहीं की थी,,,, अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक मन कर रहा था कि वहां से चला जाए और दूसरा मन उसे वही रोकने के लिए कह रहा था,,, क्योंकि कुछ दिनों से उसे ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला था जिससे उसके पेंट में तंबू बन सके उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ सके,,, और आज पल भर में उसके पेंट में तंबू बन गया था,,, इसलिए वह आंख फाड़े सुमन की मां को प्यासी नजरों से देखे जा रहा था,,,।
सुमन की मां इस बात से अनजान की उनके पड़ोस का जवान लड़का उसे नंगी नहाता हुआ देख रहा है वह अपने ही धुन में अपने बदन पर पानी पर पानी डाल रही थी,,, लेकिन जैसे ही उन्हें ऐहसास हुआ की बाथरूम के बाहर कोई खड़ा है तो वह नजर घूमाकर देखने लगी और जैसे ही अंकित को अपने सामने खड़ा पाई तो उनके तो होश उड़ गए वह एकदम से चौंक गई और जल्दबाजी में अपने नंगे बदन को छुपाने की कोशिश करने लगी लेकिन बाथरूम में कोई कपड़ा नहीं था जो उनके नंगे बदन को ढक सकता था वह इसलिए एक हाथ की कहानी अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों पर रखकर दूसरे हाथ की हथेली को अपनी बर पर रखकर उसे देखने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली,,,।
हाय दइया तू कब आया रे,,,,।
(अंकित तो सुषमा आंटी की मदद कर देने वाली जवानी में पूरी तरह से खो चुका था भारी भरकम शरीर होने के बावजूद भी उनके बदन कहां आकर्षण पूरी तरह से अंकित को अपने तरफ मोह रहा था, बड़ी-बड़ी चूचियां बड़ी-बड़ी गांड और झाटों से घिरी हुई गुलाबी बुर जो की दिखाई तो नहीं दे रही थी लेकिन फिर भी अपने होने का एहसास करा रही थी,,, सुषमा आंटी की आवाज जैसे ही उसके कानों में पड़ी वह एकदम से हक्का-बक्का रह गया और हकलाहट भरे स्वर में बोला,,,,।)
वो,,,,,वो ,,,,,,,,आ,,,आआआआआ,,,आंटी ,,,,, सुमन दीदी से मिलना था परीक्षा के सिलसिले से,,,,,,,
पहले जल्दी से वह टावल दे,,, तेरे माथे पर लटक रही है,,,,,।
(इतना सुनकर अंकित ऊपर नजर करके देखने लगा जहां रस्सी पर टावल टंगी हुई थी,,, जल्दी से वह टावर लेकर सुषमा आंटी की तरफ आगे बढ़ा दिया,,, सुषमा आंटी अपनी चूचियों पर से हाथ को हटाकर टावल लेने के लिए उसे आगे बढ़ा दी लेकिन अपनी बुर को ढंक कर रखी,,,, चूचियों पर से हाथ हटाने की वजह से एक बार फिर से उसकी दोनों खरबूजा जैसी चुचीया उजागर हो गई और अंकित प्यासी नजरों से ना चाहते हुए भी उनकी चूचियों को देखने लगा सुषमा खेली खाई औरत थी और इस उम्र में पहुंचने के बाद वह मर्दों की नजर को अच्छी तरह से जानती थी वह समझ गई थी कि अंकित क्या देख रहा है इसलिए जल्दी से उसके हाथों से टावल को लेकर अपने नंगे बदन पर लपेटकर अपने खूबसूरत अंगों को छुपाने की कोशिश करते हुए बोली,,,)
जा अब खड़ा क्यों है अंदर कमरे में है,,,,,,।
जी,,,जी,,,, आंटी,,,,,(इतना कहकर वह हड़बड़ाते हुए अंदर की तरफ जाने लगा उसे जाता हुआ देखकर उसका घबराया हुआ चेहरा देखकर सुषमा आंटी मन ही मन प्रसन्न होने लगी,,,, उन्हें इस बात की प्रसन्नता थी कि इस उम्र में भी जवान लड़का उसे प्यासी नजरों से देख रहा था उसके नंगे बदन को देख रहा था और वह अपनी टॉवल को खोलकर एक बार अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति को देखने लगी जो की पूरी तरह से काले काले बालों के झुरमुट से घिरी हुई थी,,, और वह अपने मन में सोचने लगी कि अंकित उसकी बुर को देखकर क्या सोच रहा होगा उसे पर ढेर सारे बाल को देखकर क्या सोच रहा होगा ठीक तरह से उसकी बुर तो दिखाई भी नहीं दे रही थी,,, वह अपने मम्मी यही सोच रहा होगा कि कैसी औरत ठीक तरह से अपने अंगों की सफाई भी नहीं करती,,,।
इस बात को लेकर सुषमा अपने मन में शर्मिंदगी का एहसास कर रही थी। क्योंकि उसकी आंखों के सामने एक जवान लड़का था जो जवान की दहलीज पर कदम रख चुका था औरतों को कैसी नजरों से देखने लगा था और उसे अभी-अभी इस बात का पता चला था कि अंकित भी औरतों को प्यासी नजरों से देखा है इसलिए तो वह शर्मिंदगी महसूस कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि अंकित उसके नंगे बदन के खूबसूरत अंगों को अपनी आंखों से देख चुका होगा,,,, और उसकी बुर के बारे में क्या सोच रहा होगा उसकी सफाई के बारे में क्या सोच रहा होगा लेकिन जो भी हो उसकी नजर में वासना एकदम साफ दिखाई दे रही और इस बात का एहसास करके वह एकदम से गनगना गई थी,,,।