बहुत ही शानदार लाजवाब और अद्भुत मनमोहक मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाएक बार फिर से वह दीन आ गया था जब सुगंधा अपने बेटे के सामने कपड़े का नाप लेने वाली थी,,,अंकित इस मामले में अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली समझता था, क्योंकि ऐसा बहुत बार हुआ था जब उसकी मां उसकी आंखों के सामने कपड़े बदलती थी या उतारती थी या फिर उसकी आंखों के सामने ही साड़ी कमर तक उठाकर पेशाब करने बैठ जाती थी,,,अंकित अपने आप को भाग्यशाली इसलिए भी समझता था क्योंकि वह अपनी मां को अपने हाथों से अपनी जवानी की गर्मी को शांत करते हुए देखा था और वह भी बाथरुम में संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में,,, वह भाग्यशाली इस बात से भी था कि उसकी मां बेहद खूबसूरत थी किसी फिल्म की हीरोइन की तरह। उसके बदन का हर एक अंग देखना अंकित अपना किस्मत समझता था। अंकित अपने हाथों से अपनी मां को कपड़े भी पहना चुका था जब उसकी मां बीमार थी उसे बाथरूम ले जाना उसे पेशाब करवाना उसे नहलाना,,, सब कुछ अंकित कर चुका था यहां तक कीअपनी मां के नींद में होने का पूरा फायदा उठाते हुए वह अपनी मां की रसीली बुर का स्वाद भी चख चुका था जिससे सुगंधा बिल्कुल भी अनजान नहीं थी।
इतना कुछ दोनों के बीच हो जाने के बावजूद भीदोनों के बीच अभी तक शारीरिक संबंध स्थापित नहीं हो पाए थे हालांकि दोनों यही चाहते भी थे दोनों की मंजिल यही थी बस रास्ताकठिन होता चला जा रहा था और लंबा होता चला जा रहा था शायद इतना संबंध किसी और मां बेटे में होता तो अब तक दोनों के भी सारे संबंध स्थापित हो चुका होता लेकिन फिर भी सुगंध और अंकित दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता दोनों को आगे बढ़ने में रोक रहा था। वरना ऐसा क्या नहीं हुआ था दोनों के बीच जिससे दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो सके,,, यहां तक की दोनों एक साथ पेशाब करने का भी सुख भोग चुके थे,,, उसे समय तो सुगंध की आंखों के सामने उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंबा लंड एकदम लहरा रहा था लेकिन फिर भी ना तो सुगंधा अपना कदम आगे बढा पाई और ना ही उसका बेटा,,, जबकि ऐसे नाजुक पल ही किसी भी रिश्ते कोकरीब लाने में काफी होता है मां बेटे को भी ऐसे ही नाजुक पर एकदम करीब लाते हैं जिससे दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण होता है और शारीरिक संबंध स्थापित हो जाता है लेकिन सब कुछ होने के बावजूद भी अभी इस रिश्ते से दोनों वंचित थे और दोनों का प्रयास जारी था कि कब दोनों एकाकार हो जाए,,, जिसके चलते सुगंधा एक बार फिर से अपने बेटे के सामने कपड़े उतार कर खरीद कर लाया गया कुर्ता पजामा नापने के लिए तैयार हो चुकी थी,,, और उसने अपने बदन से सारे वस्त्र उतार चुकी थी केवल ब्रा और पैंटी को छोड़कर।
घड़ी में तकरीबन 11:30 का समय हो रहा थाटीवी पर एक रोमांटिक मूवी का खूबसूरत मदहोश कर देने वाला दृश्य देखकर मां बेटे मन ही मन में बहकने लगे थे। जिसके चलते सुगंधा भी अपने बेटे के सामने कपड़े बदलकर कपड़े नापने के लिए तैयार हो चुकी थी,,, जैसे ही कमर पर से सुगंधा अपने पेटिकोट को नीचे छोड़ी पेटिकोट उसके कदमों में जा गिरा और पल भर में ही वह अंकित की आंखों के सामने अर्धनग्न अवस्था में किसी कलाकार की मूर्ति की तरह खड़ी थी जो की बेहद आकर्षक और मदहोश कर देने वाली लग रही थी। अंकित तो अपनी मां का यह रूप देखता ही रह गया वैसे तो अंकित अपनी मां को बहुत बार पूरी तरह से नंगी देख चुका था लेकिनहर एक बार हर एक रूप में अपनी मां को देखने में उसे आनंद और उत्तेजना का अनुभव होता था और इस समय भी उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी। ट्यूबलाइट की दुधिया रोशनी मेंसुगंधा का आकर्षक भजन गोरा रंग और भी ज्यादा चमक रहा था जिसे देखकर अंकित के पेंट में पूरी तरह से तंबू बन चुका था। जिस पर सुगंधा की नजर बार-बार चली जा रही थी। ब्रा और पेंटी में होने के बावजूद भी सुगंधाएक तरह से अपने बेटे के सामने नंगी ही खड़ी थी शर्मा के मरी उसकी नजर नीचे झुकी हुई थी लेकिन बदन में कसमाशाहट और उत्तेजना का संचार पूरी तरह से अपना असर दिख रहा था।
कुछ क्षण तक यह नजर यूं ही चलता रहा। अंकित पागल हुआ जा रहा था उसका मन बावला हो रहा था मन तो उसका कर रहा था किसी समय आगे बढ़कर अपनी मां को अपनी बाहों में कस लें लेकिनमां की भावनाओं को वह ताकत प्रदान नहीं कर पा रहा था क्योंकि उसने इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह कदम बढ़ाकर अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़ सकेजबकि वह इतना तो समझ ही गया था कि उसकी मां क्या चाहती है वरना एक मां अपने बेटे के सामने इस तरह से अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए कभी तैयार ना हो। लेकिन फिर भी अंकित की हिम्मत इससे ज्यादा नहीं बढ़ पा रही थी। लेकिन फिर भी इस दृश्य में इतनी मन रखता इतनी मदहोशी भरी हुई थी की मां बेटे दोनों का अंतर मन बस एक ही बात कर रहा था कि कब दोनों बिस्तर पर जाएं और एकाकार हो जाए,,, सुगंधा की पेंटि आगे से पूरी तरह से गीली हो चली थी,,।अंकित फटी आंखों से अपनी मां की जवानी को देख रहा था जो कि इस उम्र में भी पूरी तरह से उबाल मार रही थी,,, अपनी मां की ब्रा को देखकरवह एक साथ अपनी मां की ब्रा और उसकी चूचियों के बारे में दबे स्वर में तारीफ कर चुका था। और अब अपनी मां की पेंटी की तरफ देखकर और पेंटी में फूली हुई अपनी मां की गांड को देखकर बोला।
बाप रे कसम से पेंटि कितनी कशी हुई है अगर दोनों पर एक साथ फैला लो तो मुझे लगता है की पैंटी फट जाएगी,,,,(अंकितअपने शब्दों में उत्तेजना के रस खोलता हुआ बोला वह अपनी मां को अपने शब्दों अपनी बातों से पूरी तरह से पानी पानी कर देना चाहता था और उसकी बात सुनकर उसकी मां की हालात पूरी तरह से खराब होने लगी थी क्योंकि उसके बेटे ने बातें ही कुछ ऐसी बोल दी थी। भला अपनी मां की पेंटि की बारे में भला कोई इस तरह से कौन तारीफ करता है। इसलिए अपने बेटे की तरफ आश्चर्य से देखते हुए बोली,,,)
A kit or uski ma
भला यह भी कोई बोलने की बात है और वह भी अपनी मां से।
तो क्या हो गया मैं तो खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूं कसम से अगरमैं जो देख रहा हूं इसे देखकर कोई भी यही कहेगा कि ऐसा लग रहा है कि जैसे मूर्ति बनाने वाले कोई मूर्तिकार की कलाकारी हो इतनी खूबसूरती तो एक मूर्तिकार ही एक मूर्ति में पैदा कर सकता है।
चल रहने दे झूठी तारीफ करने को,,,(धड़कते दिल के साथ सुगंधा बोली,,,,हालात उसकी भी खराब हो रही थी लगातार बुर से उसके मदन रस टपक रहा था जिससे पेंटी का आगे वाला भाग गीला हो चुका था,,,, लेकिन अभी तक अंकित की नजर अपनी मां के उस गीलेपन पर नहीं पड़ी थी,,, वरना वह समझ जाता कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है,,,,क्योंकि यह ज्ञान उसकी नानी ने उसे अच्छी तरह से दे दी थी जिसे पाकर वह भी धन्य हो चुका था,,, अपनी मां की बात सुनकर अंकित बोला,,,)
अरे मैं सच कह रहा हूं,,,,इस समय सच में तुम किसी मूर्तिकार की खूबसूरत मूर्ति लग रही हो बदन का हर एक अंग ऐसा लग रहा है की कोई कलाकार ने अपने छेनी और हथौड़ी से कुरेद कुरेद कर तराशा हो,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा गदगद हुए जा रही थी लेकिन फिर भी वह अपने आप को संभाले हुए थी और एकदम सहज होते हुए बोली)
ये खूबसूरत बदन,,,(अपने बदन को ऊपर से नीचे की तरफ देखते हुए) किसी मूर्तिकार की रचना लग रही है तुझे..।
और क्या बनावट देखोकोई भी हिस्सा जरा सा भी ज्यादा निकला हुआ नहीं है जिसे देखकर भद्दा लगे सब कुछ एकदम सीमित मात्रा में है,,। आगे से देखो या,,,(अपनी मां के नितंबों की तरफ पीछे जाते हुए) पीछे से खूबसूरती ही खूबसूरती भरी हुई है,,,,
(अंकित के इस तरह से पीछे जाने परसुगंधा शर्म से लाल होने लगी क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा क्या देख रहा होगा वह कुछ बोल नहीं पा रही थी और अंकित अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) पेंटि की हालत देखो ठीक तरह से तुम्हारी जवानी को छुपा नहीं पा रहा है,,,।
(इस बात को सुनकर तो सुगंधा और ज्यादा गदगद हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस समय अपने बेटे से क्या बोले उसे इस बात के लिए डांटे या उसकी सराहना करें या उसकी बातें सुनकर खुश हो जाए,,, वह अपने मन में तुरंत फैसला नहीं ले पा रही थी और उसकी यह कसम से आहत उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थीअंकित की हालात पूरी तरह से खराब थी इतनी मदमस्त कर देने वाली जवानी से भरी हुई औरत उसकी आंखों के सामने केवल बराबर पेटी में जिसका मतलब साथ था कि यह उसकी तरफ से खुला निमंत्रण है लेकिन इस समय अंकित इस निमंत्रण को स्वीकार करने लायक नहीं था क्योंकि उसके मन में डर था घबराहट थी। सुगंधा अपने बेटे की बात सुनकर हिम्मत करके बोली,,,)
तो सच में पागल हो गया है कुछ भी बकता रहता है कोई अपनी मां से इस तरह से बात करता है क्या,,?
शायद ना भी करते हो,,,,!
तब तु क्यों करता है इस तरह की बातें मुझसे,,,(अपने बेटे की तरफ देखकर दोनों हाथ को कमर पर रखते हुए वह बोली ,,अपने बेटे की आंखों के सामने ब्रा पेंटीपहन कर खड़ी रहने में अब उसे जरा भी शर्म का अनुभव नहीं हो रहा था हालांकिवह अपने बेटे की आंखों के सामने इस अवस्था में सहज नहीं हो पा रही थी लेकिन फिर भी उसकी हिम्मत धीरे-धीरे बढ़ने लगी थी,,,, अपनी मां की बात सुनकर बड़ी चालाकी से जवाब देते हुए अंकित बोला,,,)
क्योंकि मेरी मां बहुत खूबसूरत है इसलिए उसकी खूबसूरती की तारीफ करना तो बनता है और बाकी लोगों की मां खूबसूरत नहीं होगी इसीलिए वह ईस तरह की बात अपनी मां से नहीं बोल पाते,,,,।
अच्छा बच्चु,,, तो मैं अब सारी दुनिया में तुझे सबसे ज्यादा खूबसूरत लगने लगी हूं,,,,।
लगने क्या लगी हो खूबसूरत हो,,,(अपनी मां के उन्नत नितिन को उभार की तरफ देखते हुए अंकित बोला अंकित के इस नजर को सुगंधा अच्छी तरह से पहचान रही थी इसलिए उसकी हालत और ज्यादा खराब हो रही थी,,,,सुगंधा अपने आप पर काबू नहीं कर पा रही थी उसे इस बात का डर था कि अगर वह अपने आप को इस समय नहीं संभाल पाए तो शायद दोनों के बीच कुछ ना कुछ हो जाएगा और वह अपने आप को रोक नहीं पाएगी बल्कि वह चाहती भी यही थी कि दोनों के बीच कुछ ना कुछ हो जाए लेकिन फिर भी न जाने किस तरह का डर उसके मन में बैठा हुआ था कि वह आगे बढ़ने से अपने आप को रोक ले रही थी वरना यही सही मौका था दोनों को एकाकार होने का,,,, इसलिए वह एकदम से बात को बदलते हुए बोली,,,,)
चल अब रहने दे ज्यादा बातें बनाने को ला कुर्ता ला देखु तो सही इसका नाप सही है या नहीं पहनने के बाद कैसा लगता है,,,,(अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए वह बोली तो अंकित भी सोफे पर रखे हुए कुर्ते को अपने हाथ में ले लिया जो कुछ देर पहले वह खुद अपने हाथ में लिए हुआ था,,,, कुर्ते को अपनी मां की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
अच्छा हुआ तुम साड़ी और पेटिकोट उतार दी वरना इसका सही नाप समझ में नहीं आता,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा अपने मन में ही बोली अगर तेरा बस चले तो बाकी के भी कपड़ों को उतार कर नीचे नंगी कर दे,,,,और ऐसा अपने मन में सोते हुए वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर कुर्ते को ले ली और उसे पहनने लगी,,,,अंकित अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसकी मां ब्रा और पैंटी भी उतार देती तो कितना मजा आता,,,,और देखते देखते उसकी मां उसकी आंखों के सामने कुर्ते को दोनों हाथों में डालकर उसे पहन ले चौकी ठीक उसके कमर तक आ रहा था,,,,सुगंधा कुर्ते को पहन कर एकदम प्रसन्न नजर आ रही थी क्योंकि इतना मुलायम और मखमली कपड़ा था कि उसे एहसास ही नहीं हो रहा था कि उसने कुछ पहनी हुई है,,,एकदम प्रसन्न होते हुए इस अवस्था में अपने बेटे के सामने गोल-गोल घूम कर उसे दिखाते हुए बोली,,,,)
Ankit or uski ma
बहुत अच्छा लग रहा है अंकित एकदम हल्का और एकदम आरामदायक मुझे तो पता ही नहीं चल रहा कि मैं कुछ पहनी हूं,,,,(सुगंधा बहुत खुश नजर आ रही थी और इस अवसर पर वह गोल-गोल घूम कर अपने आप ही अपने नितंबों के उभारपन के दर्शन अपने बेटे को करा रही थी,,, जिसे देखकर अंकित के मन मेंआग लगी हुई थी वह अपनी उत्तेजना को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था बड़ी मुश्किल से वह अपनी उत्तेजना पर काबू कर पाया था,,,, अपनी मां की खुशी और उसकी बात सुनकर अंकित बोला,,,)
मैंने बोला था ना तुम पर बहुत खूबसूरत लगेगी और तुम इसे पहन कर और भी ज्यादा खूबसूरत लगने लगेगी,,,, अब जल्दी से पजामा भी पहन लो तब देखना तुम्हारी खूबसूरती में चार चांद लग जाएगा,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंध मुस्कुराई और इस बार खुद ही सोफे तक आई और कैसे हम अपने हाथ में लेकरउसे पहनने लगी बड़ी-बड़ी से वह अपने दोनों टांग को पजामी के अंदर डालकर उसे ऊपर की तरफ खींच दी और अब वह कुर्ता पजामा पहन चुकी थी,,,,अंकित कल्पना में जिस तरह से कुर्ते और पजामे अपनी मां को सोच रहा था उससे भी कई ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक इस समय उसकी मन लग रही थी,,,सुगंधा भी बहुत खुश नजर आ रही थी अपने दोनों हाथ को फैला कर गोल-गोल घूम रही थी उसे खूब अच्छा और आरामदायक महसूस हो रहा थाऔर अंकित उसे पजामें अपनी मां के नितंबों के उभार को देख रहा था क्योंकि काफी आकर्षक और कसा हुआ नजर आ रहा था,,,कुर्ता उसकी कमर तक आता था और नितंबों का जाकर उसके नीचे से शुरुआत होती थी और पजामी के अंदर वह उभार और भी ज्यादा आकर्षकऔर उत्तेजनात्मक दिखाई दे रहा था एकदम साफ पता चल रहा था कि नितंबों का उभार कहां से शुरू हो रहा है,,,, मानो यही दिखाने के लिए कुर्ता केवल कमर तक ही नाप का था। सुगंधा इस तरह से कविताएं घूम रही थी कभी बांए घूम रही थीऔर अपनी नजर पीछे करके अपनी नितंबों की तरफ देखने की कोशिश कर रही थी और उसे साफ दिखाई दे रहा था कि वाकई में पजामे में उसके नितंबों का होवर कुछ ज्यादा ही बड़ा लग रहा था जिसे देखकर उसे खुद मजा आ रहा था,,,, सुगंधा एकदम मुस्कुराते हुए और प्रसन्न मुद्रा में बोली)
बहुत अच्छा लग रहा है अंकित,,, बहुत आरामदायक पहली बार में इस तरह का कपड़ा पहन रही हूं सच में से पहनने में कितना अच्छा लग रहा है।
मैं तो कहता हूं कि इसे पहन कर ही सोया करो अच्छा लगेगा गर्मी में तो और अच्छा लगेगा,,,।
बात तो सही कह रहा है,,,(अपनी नजरों को नीचे करके अपनी चूचियों की तरफ देखते हुए वह बोली) लेकिन इसका बटन कुछ ज्यादा ही नीचे से शुरू हो रहा है थोड़ा अजीब नहीं लग रहा है,,,।
कुछ अजीब नहीं लग रहा है,,, अरे ये तो खूबसूरती है थोड़ा सा दिखाई दे रहा है तो क्या हो गया,,,,
(सुगंधा को समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा उसकी चूचियों के बीच की पतली दरार की तरफ देखकर उसी के बारे में बोल रहा है और इस बात को सुनकर वह शर्म से पानी पानी हो गई अपने बेटे को कुछ बोल नहीं पाई और अपने मन में सोचने लगी कि उसके अंगों के बारे में उसका बेटा कितना खुलकर बोल रहा है,,, सुगंधा की नजर अपने बेटे के पेंट की तरफ जा रही थी और उसमें अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देखकर उसकी बुर कुलबुला रही थी।उसे एहसास हो रहा था कि अगर इस समय वही इजाजत है तो शायद उसके बेटे का लंड उसकी बुर में घुसकर तबाही मचा दे,,, सुगंधा घड़ी की तरफ देखी तो हम 12:05 हो रहा था कपड़े बदलने और नापने की प्रक्रिया में धीरे-धीरे एक घंटा गुजर चुका था इस बात का अहसास तक दोनों को नहीं हुआ था घड़ी की तरफ देखते हुए सुगंधा बोली,,,)
घड़ी में देखा तो सही 12:00 बज गए हैं अब हमें सोना चाहिए क्योंकि सुबह जल्दी उठना है।
तुम ठीक कह रही हो मम्मी,,, लेकिन गर्मी इतनी है कि नींद भी नहीं आ रही है,,,।
बात तो सही कह रहा है इसलिए तो आज हम दोनों छत पर चलकर सोना होगा ऊपर बहुत ठंडी हवा चलती है,,,।
हां यह ठीक रहेगा,,,,(अंकित एकदम खुश होता हुआ बोला क्योंकि वह जानता था कि अगर कमरे में सोना पड़ेगा तो अलग-अलग सोना पड़ेगा और अगर छत पर सोने चलेंगे तो एक साथ तो होंगे,,,, अंकित की बात सुनकर सुगंधा खुश होते हुए बोली,,,)
तू दो तकिया ले ले में चटाई और चादर ले लेती हूं बिछाने के लिए,,,,,(ऐसा कहकर वह चटाई लेने जानेवाली थी कितभी अंकित को न जाने क्या सोचा हुआ तुरंत अपना हाथ आगे बढ़कर अपनी मां का हाथ थाम लिया और उसे अपनी तरफ खींच कर एकदम सेअपनी तरफ खींच लिया जिससे वह एकदम से उसकी बाहों में आ गई और वह तुरंत अपने दोनों हाथों में अपनी मां का खूबसूरत चेहरा थामकर उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया और चुंबन करने लगा,,,,, सुगंधा अपने बेटे की हरकत से एकदम भौंचककी रह गई थी उसे पल भर के लिए तो कुछ समझ में नहीं आया कि यह क्या हो रहा है,,, लेकिन जब तक यह समझ में आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी उसे एहसास होने लगा था कि उसका बेटा क्या कर रहा है कुछ देर पहले टीवी में जो फिल्म चल रही थी वही फिर से उसका बेटा उसके साथ दर्शा रहा था सुगंधा भी चुंबन से पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी बरसों बाद कोई मर्द उसे अपनी बाहों में लेकर उसके होंठों का रस पी रहा था,,,, सुगंधा की गरमा गरम सांसेऔर अंकित की गरमा गरम सांसे एक दूसरे की सांसों से टकरा रही थी एक दूसरे के बदन में और ज्यादा गर्मी पैदा कर रही थी। सुगंधा का बरसो बाद का या पहला चुंबन था जो अपने ही बेटे से उसे प्राप्त हो रहा था लेकिन अंकित के जीवन का यह दूसरा चमन था जो अपनी मां से प्राप्त हो रहा था और पहला चुंबन उसे अपनी मां की भी मां मतलब की अपनी नानी से प्राप्त हुआ था,,,, मां बेटी दोनों से यह सुख उसे प्राप्त हुआ था,,,।
दोनों के साथ से ऊपर नीचे हो रही थी अंकित की हालात पूरी तरह से खराब थी वह जिस तरह से अपनी मां को अपनी बाहों में जकडे हुआ था उसके पेंट में बना तंबू सीधे उसकी बुर पर दस्तक दे रहा था,,, जिसे सुगंधा बहुत अच्छी तरह से महसूस कर रही थी और इसी वजह से उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ रही थी।अंकित की हिम्मत आगे बढ़ रही थी वह अपनी मां की चिकनी कमर पर दोनों हाथ रखकर उसे हल्के-हल्के दबा रहा था और वह अपनी दोनों हथेलियां को अपनी मां की नितंबों पर रखना चाहता था उसे दबाना चाहता था लेकिन तभी उसकी मां उससे एकदम से अलग हो गई,,,, और गहरी गहरी सांस लेती है उसकी तरफ देख रही थी और अपनी हथेली से अपने होठों को पहुंच रही थी जिस पर उसके बेटे का लार लगा हुआ था,,, फिर वह एकदम से कमरे से बाहर निकल गई,,,अंकित कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ भी उसने किया हुआ सही किया या गलत किया,,,, फिर अपने मन में सोचा कि जो होगा देखा जाएगा इसलिए वह अपने आप को सहज करते हुए दो तकिया ले लिया,,, और पानी भर कर जग ले लिया और थोड़ी देर बाद छत के ऊपर आ गया,,,,।
छत पर आकर देखा तो उसकी मां पहले से वहां मौजूद थी। और चटाई बिछा चुकी थी अंकित को देखकर बोली,,,,।
इतनी देर कहां लगा दिया,,,,।
(अंकित को एहसास हुआ कि उसकी मां एकदम सहज थी बिल्कुल भी गुस्सा उनके चेहरे पर नहीं उनकी बातों में दिखाई दे रहा था इसलिए वह भी थोड़ा निश्चित हुआ और जवाब दिया)
तकिया और पानी ले रहा था इसलिए देर लग गई,,,,।
देख तो सही छत पर से कितना अच्छा लगता है और कितनी ठंडी हवा चल रही हैकमरे में तो पंखा चालू होने के बावजूद भी गर्मी ही लगती है,,,,(छत की दीवार पर हाथ रखते हुए और दूर-दूर तक देखते हुए वह बोली उसकी बात सुनकर अंकित भी अपनी मां के करीब भाग्य और वह भी उसी की तरह छत की दीवार पर हाथ रखकर दूर-दूर दिखाई देते हुए घर में जलते हुए बल्ब की तरफ देखते हुए बोला,,,)
सच में मम्मी छत पर से तो अपने मोहल्ले का नजारा ही कुछ और दिखाई देता है और देखो तो सही वाकई में यहां कितनी ठंडक है हम दोनों बेवजह कमरे में गर्मी में तड़पते रहते हैं,,,।
अब गर्मी के महीने तक यही सोएंगे,,,,,,।
हां तुम सच कह रही हो यहां जब इतना सुकून है तो कमरे में सो कर क्यों परेशान हो,,,,।
अपनी छत ज्यादा ऊंची है,,,, देख दूसरों की छत को हमसे छोटी ही है,,,।
सही कह रही हो हम दूसरे की छत पर देख सकते हैं लेकिन दूसरा कोई अपनी छत पर नहीं दे सकता वह देखो,,, सामने वाली छत पर वह लोग भी सोने की तैयारी कर रहे हैं,,,,(सड़क की दूसरी ओर की छत की तरफ इशारा करते हुए अंकित बोला,,,, सुगंधा भी उस छत की तरफ देखते हुए बोली,,,)
Ankit ka sapna apni ma k sath
बहुत से लोग छत पर सोते हैं सिर्फ हम लोग ही नहीं सोते थे,,,,,।
तो क्या इतनी ठंडी हवा छोड़कर पंखे की गर्म हवा ले रहे थे अब तक,,,,,।
(दोनों इसी तरह से बातें कर रहे थे लेकिन कुछ देर पहले का चुंबन दोनों के बदन में अभी भी गर्मी का एहसास दिला रहा था कुछ देर तक वहीं खड़े रहने के बाद दोनों सोने की तैयारी करने लगेअंकित इस बात से खुश था की छत पर एक ही चटाई बिछाई हुई थी मतलबी यही था कि दोनों साथ में सोने वाले थे जिंदगी में आज पहली बार उसके हाथ में हिस्सा मौका लगा था कि आज वह अपनी मां के साथ सोने जा रहा था,,,, यह अंकित के लिए बेहद खुशी की बात थीऔर जितनी खुशी अंकित कह रही थी उतनी ही खुशी सुगंधा को भी हो रही थी क्योंकि आज वह भी पहली बार अपने बेटे के साथ सोने जा रही थी,,,, सुगंधा चटाई पर दो तकिया रख दी थी और दोनों अपनी-अपनी जगह पर कुछ देर और बैठकर बातें करने लगे,,, और दोनों ही अपने मन मेंयह भी सोच रहे थे कि अच्छा हुआ कि समय तृप्ति नहीं है अगर तृप्ति साथ में होती तो शायद ऐसा मौका दोनों को कभी हाथ ना लगता दोनों एक साथ सोने का सुख कभी प्राप्त नहीं कर पाते,,,,
तभी बातों ही बातों में सुगंधा अपनी जगह पर लेटते हुए बोली,,,,)
तुझे क्या हो गया था अंकित तो इस तरह से जो टीवी में देखा था मेरे साथ क्यों कर रहा था,,,!(उत्तेजना के मारे थूक को गले में निगलते हुए बोली,,,,और अंकित भी अपनी मां के सवाल पर पूरी तरह से झेंप गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे लेकिन फिर थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वह बोला,,,,)
तुम ही ने तो कही थी कि,,,,जब कोई किसी को अच्छा लगने लगता है तो इसी तरह से चुंबन करता है और कुछ ज्यादा प्यार होता है तो वह होठों पर चुंबन करता है,,,,।
तो क्या मैं तुझे अच्छी लगती हूं,,,।
क्यों नहीं तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो,,,(अंकित भी चटाई पर पीठ के बल लेटता हुआ बोला,,,)
वह तो बातसही है लेकिन क्या इतनी ज्यादा अच्छी लगती हो कि तु मेरे होठों पर चुंबन करने लगा,,,,।
यह भी तुम ही कही होगी जब दो लोगों के बीच गहरा रिश्ता होता है तो होठों पर चुंबन किया जाता है क्या तुम्हें अच्छा नहीं लगा।
नहीं मुझे तो बहुत अच्छा लगा कि तू मुझे इतना पसंद करता है,,,,।
(अपनी मां का जवाब सुनकरअंकित को राहत महसूस होने लगे वह इस बात से निश्चित हो गया कि उसकी मां को बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा था और अपने आप को खोजने लगा कि वह चुंबन करते समय अपनी हथेलियां को अपनी मां के नितंबों पर रखकर दबाया क्यों नहीं उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने हाथों से सहलाया क्यों नहीं,,,, उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसकी मां उसे कुछ भी नहीं बोलती और उसे अच्छी तरह से याद था कि उसके पेंट में बना तंबू साड़ी के ऊपर से ही उसकी दोनों टांगों के बीच ठोकर मार रहा था,,, और उसे पूरा यकीन था कि उसकी मां को भी लंड की ठोकर अच्छी तरह से महसूस हुई होगी लेकिन वह कुछ बोली नहीं इसका मतलब साथ था कि वह भी वही चाहती है जैसा वह चाहता है। दोनों इसी तरह से बातें करते-करते और दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे थे काफी देर हो चुकी थी और कुछ देर तक दोनों के बीच किसी पर प्रकार की वार्तालाप नहीं हुई तो सुगंधा को लगा कि शायद उसका बेटा सो गया है उसे बड़े जोरों की पेशाब भी लगी थी,,,,,, छत पर ही छोटी सी नाली बनी हुई थी जो नीचे गटर के अंदर तक जाती थी इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत थी नीचे जाने की जरूरत नहीं थी,,,, लेकिन वह चाहती थी कि उसका बेटा जाग जाए क्योंकि वह अपने बेटे को अद्भुत नजारा दिखाना चाहती थी,,,, इसलिए वह अपने बेटे को आवाज़ लगाई,,,)
अंकित,,,,ओ,,,, अंकित,,,,,,, पानी का जग कहां रखा है,,,(जबकि पानी का जब उसकी आंखों के सामने कोने में रखा हुआ था लेकिन वह जानबूझकर अपने बेटे को जगाना चाहती थी जो कि वाकई में उसका बेटा सोया नहीं था,,,,, वह अपनी मां के हलचल को पहचान गया था और सिर्फ सोने का नाटक कर रहा था,,,,उसे पूरा यकीन था कि उसकी मां को पेशाब लगी और वह पेशाब करने जाएगी लेकिन कहां जाएगी यह नक्की नहीं था,,,,, अपनी मां के जगाने से वह नींद में होने का नाटक करते हुए बोला,,,)
क्या हुआ,,,?
पानी का जग कहां है मुझे पेशाब,,,, मेरा मतलब है की प्यास लगी है,,,,,(वह खुलकर अपने बेटे के सामने पेशाब वाली बात नहीं करना चाहती थी लेकिन फिर भी अनजाने में उसके मुंह से यह शब्द निकल गया था जिसे सुनकर एक बार फिर से अंकित का लंड खड़ा होने लगा था,,,,,,और वह फिर भी नींद में होने का नाटक करते हुए अपनी आंखों को बंद किए हुए ही बोला,,,)
वह कोने में पड़ा है,,,,,,,,,,।
ठीक है मैं ले लेती हूं,,,,,(वह धीरे से अपनी जगह से उठी और पानी की जगह की तरफ जाने लगे लेकिन स्पीच वह अपने बेटे की तरफ देख ले रही थी और अंकित भी जैसे ही उसकी मां चटाई पर से उठकर खड़ी हुई थी वह अपनी आंख को खोल दिया था और यह हरकतसुगंधा देख ली थी और मन ही मन खुश होने लगी थी उसे समझ में आ गया था कि उसका बेटा जाग रहा है बस नींद में होने का शायद नाटक कर रहा है,,,, वह धीरे से पानी के चक्र के करीब कहीं और पानी के चक्कर पर रखा हुआ ढक्कन हटाकर पानी पीने लगी,,,,और फिर इधर-उधर देखने के बाद बहुत अच्छी नजर से अपने बेटे की तरफ देखी तो उसकी आंख चमक रही थी वह समझ गई कि वह अपनी आंखों को खोले हुए हैं और यह एहसास होते हैं उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी,,,, अंकित को लग रहा था कि उसकी मां शायद पेशाब करने के लिए नीचे जाएगी,,,, लेकिन उसके सोच के उल्टा ही हुआ हैवह धीरे से छत के कोने में पहुंच गए और जैसे ही वहां पर उसकी मां कोने में खड़ी हुई अंकित का दिल जोरो से धड़कने लगा और उसे अपने मामा का घर याद आ गया,, क्योंकि वह अपने मामा के घर भी इसी तरह का नजारा देख चुका था जब उसकी मांछत पर पेशाब कर रही थी साड़ी उठाकर उसकी नंगी गांड देखकर उसे समय भी अंकित का मन कर रहा था कि पीछे से अपनी मां की बुर में लंड डाल दे,,,,,।
छत के कोने में पहुंचकर सुगंधा नजर पीछे कि तरफ घूमाकर अपने बेटे की तरफ देखने लगी तो अभी भी उसकी आंखें चमक रही थीऔर उसकी आंखों की चमक देख कर उसके बदन में कसमसाहट होने लगी वह समझ गई कि उसका बेटा क्या देखना चाह रहा है,,,,,,पहले भी अपने बेटे को दिखाकर पेशाब कर चुकी थी लेकिन आज की बात को छोड़ दे क्योंकि आज वह साड़ी नहीं पहनी थी बल्कि पजामा पहनी थी और पैजामा पहनकर आज यह मूत्र त्याग करने में उसे एक अद्भुत आनंद आने वाला था जिसका एहसास उसके बदन में उत्तेजना का रस घोल रहा था वह मदहोश हो रही थी,,, वह भी ईस अनुभव को अच्छी तरह से महसूस करना चाहती थी,,, इसलिए वह धीरे से अपने पजामे पर हाथ रखी और अपने अंगूठे को अपने पजामे के अंदर की तरफ सरका दी और अपने अंगूठे से अपनी पेंटीके छोर को भी दबा ली ताकि पजामा और पेंटी दोनों एक साथ नीचे खींच सके,,,।
Sugandha pesaab karti huyi
सुगंधा का भी दील बड़े जोरों से धड़क रहा था,,,जो एहसास सुगंधा के तन बदन को मदहोश कर रहा था वही एहसास अंकित के भी बदन में उत्तेजना की लहर भर रहा था वह भी प्यासी नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था फिर देखते ही देखते सुगंध अपने पजामी को नीचे घुटनों तक खींच दी और उसकी नंगी गांड एकदम से चमक उठे जिसे देखकर अंकित से रहने की और वह अपने पेंट के ऊपर से अपने लंड को दबा दिया जो की पूरी तरह से अपनी औकात में आने लगा था,,,,वह धीरे से नीचे बैठ गई और पेशाब करने लगी अगले ही पल एक अद्भुत सीट की मधुर आवाज जिसके कानों में पढ़ने लगी जो कि इस बात का एहसास करा रहा था कि उसकी मां मुत रही है,,,,, एहसास अंकित की मदहोशी को बढ़ा रहा था उसके बदन में चुदासपन को भर रहा था,,,,पेशाब करते हुए वह एक बार फिर से नजर पीछे की तरफ करके अपने बेटे को देखने लगी तो देखी कि उसका बेटा उसी को ही देख रहा था वह एकदम से मदहोश होने लगी,,, उसकी हालत खराब होने लगीऔर थोड़ी देर में वह पेशाब कर चुकी थी और वापस अपने कपड़ों को व्यवस्थित करकेचटाई पर आकर लेट गई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि बारे में अपने बेटे से बात करें कि ना करें।
और यही कशमकस में वह कब सो गई उसे पता ही नहीं चला,,,, जब सुबह उसकी नींद खुली तो अभी भी अंधेरा था उसे एहसास होने लगा कि सही समय पर उसकी नींद खुली थी उसे लगने लगा था कि 5:00 बज रहा है क्योंकि अभी भी अंधेरा था और सड़क पर थोड़ा वाहनों का आना-जानालगा हुआ था जिससे उसकी आवाज उसे साफ सुनाई दे रहा थालेकिन जैसे ही उसे एहसास हुआ कि उसकी दोनों टांगों के बीच कोई कड़क चीज चुप रही है तो वह एकदम से सन्न रह गईं,, और जब अपनी स्थिति पर गौर की तो एकदम हैरान हो गई,,,वह करवट लेकर दूसरी तरफ मुंह करके सो रही थी और पीछे उसका बेटा एकदम से उसे अपनी बाहों में लेकर सो रहा था और इस स्थिति में उसका लंड पूरी तरह से उसकी दोनों टांगों के बीच पजामे के ऊपर से ही उसकी बुर पर ठोकर मार रहा था उसे अपनी बुर पर अपने बेटे के लंड का कड़कपन एकदम साफ महसूस हो रहा था और यह एहसास उसकी बुर को गिला करने के लिए काफी था,,,, पल भर में ही सुगंधा की सांस ऊपर नीचे होने लगी,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा ऐसा जानबूझकर किया है कि शायद नींद में होने के कारण अपने आप ऐसा हो गया है और इस समय वह जाग रहा है कि सो रहा है यह भी उसे समझ में नहीं आ रहा था इसलिए वह कुछ देर तक इस स्थिति में पड़ी रही तो उसे एहसास होने लगा कि बाकी उसका बेटा नींद में है क्योंकि इससे ज्यादा हरकत बढ़ नहीं रही थी उसे समझ में आ गया कि जब वह नींद में होगी तो शायद वह हिम्मत दिखा कर उसे बाहों में लेकर सो गया होगा,,,,,लेकिन अपने बेटे के लंड की ठोकर अपनी बुर पर महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी एकदम से चुदवासी हो चुकी थी,,,वह अपने मन में सोच रहे थे कि अगर उसका बेटा नींद में होने का पूरा फायदा उठाकर अपने हाथों से इसके पजामी को नीचे करके पीछे से अगर उसकी बुर में लंड डाल दे तो भी वह उसे नहीं रोकेगी,,,, लेकिन ऐसाइस समय नहीं हो सकता था क्योंकि उसका बेटा पूरी तरह से गहरी नींद में था,,,,,।
सुगंधा इतना कुछ होने के बावजूद भी,, इतनी हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी कि उसका बेटा नहीं आगे बढ़ पा रहा है तो क्या हुआ वही आगे बढ़कर अपनी जवानी की प्यास बुझा ले,,,, वह भी सिर्फ सोच कर ही रह जाती थी कुछ करने का समय आता था तो वह भी कमजोर पड़ जाती थी कुछ देर तक इसी तरह से लेटे रहने के बाद,,, वह धीरे से अपने बेटे की बाहों सेअलग हुई और जग के पानी से मुंह धोकर अपने आप को तरोताजा करने की कोशिश करने लगी,,,, और फिर वह अपने बेटे को जगाई,,,,।
अभी भी सड़क पर अंधेरा था और दोनों जोगिंग करने लगे थे सुगंधा को बहुत अच्छा एहसास हो रहा था कुर्ता और पैजामा में दौड़ने में,,, और अंकित अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड देखकर खुश हो रहा था । जोगिंग करने के बाद उजाला होते हैं वह दोनों वापस घर पर आ चुके थे।
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा