तृप्ति के गांव जाने के बाद अंकित और उसकी मां के लिए हर एक रात बेहद मधुर होती जा रही थी,,,हर एक रात को कुछ ना कुछ एक दूसरे को देखने दिखाने का मौका मिल रहा था और यह मौका उन दोनों के जीवन का सबसे अद्भुत पल होता जा रहा था,,, हर एक पल में मधुरता मादकता मदहोशी छाई हुई थी,,,अंकित अपनी मां को बाहों में लेकर उसके होठों पर चुंबन करके अपने मन की मनसा को दर्शा चुका था अगर उसकी मां उससे अलग ना हुई तो शायद दोनों मंजिल तक पहुंच जाते,,, एन मौके पर सुगंधा क्यों अपने पैर पीछे खींच ली यह सुगंधा को भी समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि सुगंधा भी तो यही चाहती थी,,,, शायद यह मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते की वजह से हुआ था क्योंकिसुगंधा अपने बेटे के साथ एकाकार होना चाहती थी एक औरत के रूप में लेकिन जब कभी भी दोनों के बीच ऐसा कुछ होता है तबन जाने क्यों सुगंधा के अंदर से औरत अलग हो जाती है और वह एक मां के रूप में सामने होती है जिसकी वजह से वह अपने बेटे के साथ कुछ भी कर पाने में असमर्थ हो जाती है।

लेकिन एक चुंबन से वह समझ गई थी उसका बेटा भी वही चाहता है जैसा कि वह चाहती है। इसलिए वह बहुत खुश थी,,, और चुंबन करने की वजह भी वह खुद बताई थी इसलिए उसके बेटे को एक मौका मिल गया था इस तरह से चुंबन करने का जिसके चलते उसने रात में छत पर अपने बेटे को अपनी लंबी गांड के दर्शन कर रही थीऔर सुबह जब उठी तो उसके लंड को अपनी गांड के बीचों बीच महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,,, जिसके चलते वह कुछ देर तक उसी तरह से लेटी रह गई थी,,, और आज तो उसे कुर्ता पजामा पहनकर दौड़ने में बहुत अच्छा लग रहा था वह अपने बेटे पर उसकी नजरों पर गौर कर रही थी वह उसके खूबसूरत बदन को ही निहार रहा था,,, पजामे में उसकी गांड और ज्यादा बड़ी लग रही थीजिसे अंकित प्यासी नजरों से देख रहा था और आगे एक बटन नीचे होने की वजह से उसके चूचियों के बीच की गहरी पतली लकीर एकदम साफ दिखाई दे रही थी जिसके बारे में उसका बेटा खुद पहनते समय जिक्र कर चुका था और इसमें कोई आपत्ति नहीं है यदि जता दिया था,,, और खुद चूचियों को प्यासी नजरों से देखकर मस्त हो रहा था,,, अपने बेटे की इस तरह की नजर से सुगंधा बार-बार मदहोश हो रही थी।

जोगिंग करने के बाद मां बेटे दोनों घर पर पहुंच चुके थे,,,,,,, चाय नाश्ता और खाना बना लेने के बाद वह घर की सफाई में लग गई थी,,,,, कुछ देर तक अंकित अपने कमरे में ही आराम कर रहा थालेकिन बहुत देर से अपनी मां को ना देखने के बाद बहुत धीरे से अपने कमरे से बाहर निकाला और अपनी मां के कमरे में पहुंच गया तो देखा उसकी मां कमरे की सफाई कर रही थी यह देखकर वह बोला,,,।
यह क्या कर रही हो मम्मी,,,?
अरे बहुत दिन हो गए थे कमरे की सफाई नहीं की थी तो सोची चलो आज कमरे की सफाई ही कर लुंं।
चलो मैं भी तुम्हारा हाथ बंटा लेता हूं,,,(इतना कहकर वह भी सफाई काम में लग गया,,, सुगंधा उसे इस तरह से काम करते देखकर मन ही मन में मुस्कुरा रही थी लेकिन तभी उसके दिमाग में कुछ और चलने लगा उसे याद आया की अलमारी में उसने मां बेटे वाली कहानी वाली किताब रखी हुई है जो वह किसी भी तरह से अपने बेटे को दिखाना चाहती थी ताकि उसका बेटा हुआ कहानी को पड़े और उसके मन में मां बेटे के बीच के रिश्ते को लेकर कुछ-कुछ और ऐसा वह पहले भी कर चुकी थी लेकिन शायद सुगंधा को लगता था कि उसका बेटा उस किताब पर ध्यान नहीं दिया था,,, इसलिए आज मौका अच्छा थाआज वह किसी भी तरह से अपने बेटे को वह किताब दिखाना चाहती थी इसलिए वह बोली,,,)

तू यह सब रहने दे तू अलमारी की सफाई करना उसमें बहुत सारी किताबें पड़ी है तो एक जगह पर रख दे वह सब रद्दी हो चुकी है कबाड़ी वाले को बेचने के काम आएगी,,,।
ठीक है मम्मी मैं अभी अलमारी साफ कर देता हूं,,,,(इतना कहकर अंकितअलमारी खोलकर अलमारी की सफाई करने लगा उसमें ढेर सारी किताबें रखी हुई थी जिन्हें देख-देख कर वह एक तरफ रख रहा था और जरूरी किताब को एक तरफ रख रहा था तिरछी नजर से सुगंधा अपने बेटे की तरफ देख रही थी वह देखना चाहती थी कि वह किताब उसके हाथ लगती है तब वह क्या करता है,,,, कुछ देर तक अंकित अलमारी की सफाई करता रहा लेकिन वह किताब उसे नहीं मिली थी तब उसे याद आया कि वह किताब तो उसने ड्रोवर के अंदर रखी थी,,, इसलिए वह तुरंत बोली,,,)
नीचे अगर सफाई हो गई हो तो ड्रोवर भी देख लेना,,, बहुत रद्दी किताबें पड़ी है,,, सब बेच दूं तो,,, कचरा कम हो जाए,,,।
मम्मी तुम सच कह रही हो तुम्हारी अलमारी में काम से ज्यादा तो बेकार की चीजे पड़ी है,,,,।(इतना कहते हुए वह अंदर से जूनी पुरानीतीन-चार ब्रा निकाला जो कि हर एक जगह से फटी हुई थी और उसे अपने हाथ में लेकर अपनी मां के सामने दिखने लगा उसे देखकर सुगंधा शर्म से पानी पानी हो गई और बोली,,,)
अरे यह क्या दिख रहा है मैं यह सब नहीं पहनती ये तो बहुत पुरानी है फटी हुई है,,,,।
इसलिए तो बता रहा हूं इसे पहनना भी नहीं,,,।
क्यों,,,?
अरे इतनी खूबसूरत औरत हो और फटी ब्रा पहनोगी तो कितना खराब लगेगा,,,,।
खूबसूरत,,,,(मुस्कुराते हुए सुगंधा बोली,,)

तो क्या खूबसूरत है ही तो हो मेरा बस चलता तो रोज तुम्हें नए कपड़े पहनाता लेकिन क्या करूं अभी कमाता नहीं हूं नहीं इसलिए मजबूर हूं,,,,।
तो कमाना शुरू कर दे फिर रोज मेरे लिए नए कपड़े लेकर आना,,,।
मैं भी यही सोच रहा हूं अगर कमाता होता तो रोज तुम्हारे लिए गिफ्ट लेकर आता,,,,,,।
तेरे पापा भी मेरे लिए रोज कुछ ना कुछ लेकर ही आते थे,,,,(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा को अनायास ही अपने पति की याद आ गई थी और अपनी मां की बात सुनकर अंकित बोला,,,)
तो क्या हुआ मम्मीमैं भी तुम्हारे लिए रोज गिफ्ट लेकर आऊंगा पापा नहीं है तो क्या हुआ मैं तो हूं ना,,,।
(अंकित अपनी मां को दिलासा देते हुए बोल रहा थालेकिन उसकी इस भावुकता में एक सारे एक आकर्षक और एक पति के द्वारा पूरी करने वाली शारीरिक जरूरत भी शामिल थी जिसे वह इशारे में अपनी मां को समझा रहा था और शायदशब्दों के द्वारा दिए गए थे सारे को उसकी मां अच्छी तरह से समझ रही थी वह जानती थी कि उसका बेटा उसे एक पति की तरह शारीरिक सुख भी जरूर देगा इसलिए मुस्कुराते हुए बोली,,,)

मुझे पूरा यकीन है कि तु एकदीन तेरे पापा की ही तरह मेरी सारी जरूरतें पूरी करेगा,,,,(सुगंधा के द्वारा भी यह एक इशारा ही था,,,, और इस ईशारे को अंकित समझने की कोशिश कर रहा था और फिर से वह अलमारी की सफाई करना शुरू कर दिया,,,, देखते ही देखते वह अलमारी के ड्रोवर को खोल दियाऔर उसमें से बेकार की वस्तुओं को निकाल कर एक तरफ रखना लगा और तभी अंदर की तरफ जब हाथ डाला तो उसे वही किताब मिल गई और वह ड्रोवर में से उस किताब को बाहर निकाल कर,,,देखने लगा सुगंधा अपने बेटे की हरकत को तिरछी नजर से देख रही थी उसके हर एक हाव-भाव को देख रही थी,,, अंकित के हाथों में वह किताब आते ही उसके मुख्य पृष्ठ को देखकर अंकित के चेहरे का भाव बदलने लगा था उसे याद आ गया था कि इस किताब को वह पहले भी पढ़ चुका था औरअपनी मां के बारे में सोच रहा था किस तरह की किताब क्या हुआ सच में पढ़ती होगी अगर पढ़ती होगी तो उन्हें भी एक मां बेटे के बीच का रिश्ता इसी तरह से दिखाई देता होगा इस बात को सोचकर वह काफी खुश हुआ था,,, और इस समय भी उसके मन में यही सब चल रहा था वह धीरे से उसे किताब के पन्नों को पलटने लगा जिसमें कुछ रंगीन गंदे चित्र भी छुपे हुए थे और मां बेटे के बीच की कहानी भी थी,,,सुगंधा तिरछी नजर से अपने बेटे की हरकत पर बराबर नजर रखी हुई थी उसके चेहरे पर प्रश्न है क्या भाव नजर आ रहे थे जब उसने देखी कि उसके बेटे के हाथ में वही किताब लग गई है जिसे वह दिखाना चाहती थी लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि उसका बेटा उस किताब को पहले भी पढ़ चुका था,,,,।
Sugandha ka khwab

मां बेटे दोनों के दिल की धड़कन तेज होने लगी थी अपनी मां से नजर बचाकर वह किताब के पन्नों को पलट कर उसमें लिखी गई कहानी के शब्दों को जल्दी-जल्दी पढ़ रहा था तभी उसकी आंखों के सामने कहानी का कुछ भाग लिखा हुआ नजर आया जिसे पढ़कर उसका लंड एकदम से टन्ना गया,,,,।
मम्मी की बड़ी-बड़ी गांड ट्यूब लाइट की दूरी और रोशनी में चमक रही थी मैंने कभी अपनी मां को पेशाब करते हुए नहीं देखा था,, लेकिन पहली बार जब अनजाने में ही मेरी नजरमां पर पड़ी तो मैं देखता ही रह गया पहली बार मां की नंगी गांड मेरे लिए किसी अजूबे से काम नहीं थी और वह भी मम्मी पेशाब कर रहे थे उनकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम कसी हुई थी,,,, मां ने साड़ी कमर तक उठाकर पेशाब कर रही थी जिसकी वजह सेकमर के नीचे का पूरा भाग दिखाई दे रहा था उनके पेशाब की आवाज किसी मधुर ध्वनि की तरह मेरे कानों में पड़ रही थी जिसे सुनकर मैं पागल हुआ जा रहा था मैं दीवार के पीछे से यह सब नजर देख रहा था मां को इस बात का अहसास तक नहीं था कि मैं उन्हें इस हालत में देख रहा हूं,,,,मेरी टांगों के बीच अजीब सी हलचल हो रही थी जिसे महसूस करके बदन में मस्ती से चढ रही थी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं।
Sugandha ki kalpna

इतना पढ़कर तोअंकित की हालत एकदम से खराब होने लगी उसका दिल जोरो से धड़कने लगा हालांकि वह अपनी मां को बहुत बार पेशाब करते हुए देख चुका था लेकिन कहानी में पहली बार इस तरह का वर्णन पढ रहा था जिसे पढ़कर उसके बाद में सुरसुरी से दौड़ने लगी थी,,, पल भर में उसके मन में ढेर सारे सवालढेर सारे विचार जन्म लेने लगे वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसकी मां इस तरह की किताब अपनी अलमारी में रखी है तो इस तरह की कहानी भी पढ़ती होगी उसे मां बेटे के बीच के रिश्ते के बारे में अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा कि एक कमरे के अंदर मां बेटे अगर अकेले रह रहे हो तो उन दोनों के बीच क्या होना संभव है यही सोचकर उसकी हिम्मत बढ़ने लगी थी और वह उसकी किताब के बारे में अपनी मां से जिक्र करना चाहता था लेकिन इसके लिए उसे काफी हिम्मत जुटाना थाऔर तिरछी नजर से काम करते समय सुगंधा अपने बेटे को देख रही थी उसकी हरकत को देख रही थी,,,, सुगंधा मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि उसे एहसास हो रहा था कि किताब में लिखी हुई कहानी उसके बेटे कोपसंद आ रही थी जिसमें वह रुचि ले रहा था तभी तो वह सब कुछ भूल चुका था तभी उसका ध्यान भंग करने के लिए उसकी मां बोली,,,)
क्या हुआ जल्दी-जल्दी कर जल्दी से काम खत्म करना है अभी मैं नहाई भी नहीं हूं कपड़े भी धोना है,,,।

हां मम्मी कर रहा हूं लेकिन यह तुम्हारी अलमारी में मुझे क्या मिला है,,,?
क्या मिला है,,,?(सुगंधा अनजान बनते हुए बोली)
कोई किताब है लेकिन यह कोई स्कूल की किताब नहीं है,,,,।
क्या ऐसी कौन सी किताब आ गई कोई मैगजीन होगी सरस सलिल जैसी,,,।
नहीं मम्मी ऐसी तो कोई भी मैगजीन नहीं है,,,,।
ला अच्छा मुझे दिखा तो ऐसी कौन सी किताब मेरे अलमारी में आ गई जिसके बारे में मुझे पता नहीं है,,,।
लो तुम ही देख लो,,,, मैं तो इसके पन्ने पलट कर देखा बहुत गंदी कहानी है,,,(अपनी मम्मी की तरफ घूम कर उसे वह गंदी किताब उसके हाथ में थमाते हुए वह बोला,,,सुगंधा भी अपना हाथ आगे बढ़ाकर उस गंदी किताब को अपने हाथ में ले ली और उसके मुख्य पृष्ठ को देखकर एकदम से जानबूझकर शर्मिंदगी का नाटक करते हुए बोली,,,)
हाय दैया यह तुझे कहां मिल गई रे,,,,।
तुम्हारी अलमारी में और कहां बहुत गंदी किताब है,,,।
यह तो मैं भी जानती हूं कि बहुत गंदी किताब है,,,।
तो क्या तुमने ईसको पढ़ी हो,,,
मेरी अलमारी में है तो पढी ही होंऊंगी,,,, लेकिन तूने क्या पढ़ लिया जो एकदम हैरान हो गया है,,,,(किताब के पन्नों को पलटते हुए और वो भी अपने बेटे के सामने वह बोली,,,)
क्या बताऊं मम्मी मुझे तो बताते भी शर्म आ रही है क्या ऐसी भी किताबें होती हैं मैं तो पहली बार देख रहा हूं,,,।
मैं भी पहली बार देखी थी तब मैं भी तेरी तरह हिरण हो गई थी मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह की भी किताबें होती है और इस तरह की कहानी भी होती है जब पहली बार तेरे पापा लेकर आए थे,,,।
पापा लेकर आए थे,,,,(अंकित हैरान होता हुआ बोला क्योंकि वह किताब नहीं लग रही थी)
हां तेरे पापा लेकर आए थे लेकिन खरीद कर नहीं लाए थे यह किताब के साथ दो-तीन किताबें और थी जो कि तेरे पापा के दोस्त ने उन्हें पढ़ने के लिए दिया था,,,, और तब से यह किताब घर पर ही पड़ी थी लेकिन बस एक ही बची है,,,।
तो क्या पापा इस तरह की कहानी पढ़ते थे,,,,।
नहीं उन्हें लगा कि कोई नोवल होगा कोई जासूसीलेकिन जब पढ़ने लगे तो वो भी हैरान हो गए मैं भी उनके साथ ही बैठी थी तो मेरी नजर भी पड़ गई और मैं भी हैरान हो गई,,,, वैसे तु क्या पढ़ लिया जो तेरी हालत खराब हो गई,,,,।

नहीं जाने दो मुझसे तो बताया भी नहीं जाएगा,,,, इस तरह की कहानी तो मैं पहली बार पढ़ रहा हूं,,,
लेकिन बता तो सही ,,,,।
अरे कैसे बताऊं मुझे तो शर्म आती है,,,,।
इसमें शरम कैसी जो पड़ा है बता दे वैसे तो सबकुछ सामने ही है,,,, और तु कोई चोरी छुपे तो पढ़ा नहीं,,, वैसे तो पूरी किताब ही गजब की है लेकिन तू कौन सी लाइन पढ़ लिया जो तेरी हालत खराब हो गई बात भी दे,,,,,(सुगंधा जानबूझकर अपने बेटे को उकसा रही थी बताने के लिएऔर अंकित भी समझ रहा था कि उसकी मां क्या सुनना चाह रही है इसलिए वह अपने मन में सोचा कि जब उसे कोई एतराज नहीं है तो भला हुआ क्यों शर्मा की चादर ओढ़ कर इतने अच्छे मौके को अपने हाथ से गंवा दे,,,,। इसलिए वह हीम्मत करके अपनी मां से बोला,,,)
जो पढ़ा वह तो मेरे दिमाग को एकदम सन्न कर दिया,,,,,।
पढ़ा क्या यह तो बता,,,,,(सुगंधा लालायित हुए जा रही थी अपने बेटे के मुंह से उस गंदी किताब के शब्द को सुनने के लिए,,,,,, अपनी मां की उत्सुकता देखकर अंकित के मन में भी प्रसन्नता हो रही थी इसलिए वह हिम्मत दिखा कर बोला ,,,)

लाओ में पढ़कर ही बता दु ऐसे तो मुझसे बताया नहीं जाएगा,,,(अंकित अपनी मां की तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोला सुगंधा भी मौके की नजाकत को समझते हुए तुरंत अपने हाथ मिली हुई किताब को आगे बढ़कर अपने बेटे को थमा दी और अंकित उस किताब को लेकर उसके पन्ने पलटने लगा और जो शब्द उसने पढे थे वह बोलने लगा,,,,)
मम्मी की बड़ी-बड़ी गांड ट्यूब लाइट की दुधिया रोशनी में चमक रही थी मैंने कभी अपनी मां को पेशाब करते हुए नहीं देखा था,, लेकिन पहली बार जब अनजाने में ही मेरी नजरमां पर पड़ी तो मैं देखता ही रह गया पहली बार मां की नंगी गांड मेरे लिए किसी अजूबे से काम नहीं थी और वह भी मम्मी पेशाब कर रहे थे उनकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम कसी हुई थी,,,, मां ने साड़ी कमर तक उठाकर पेशाब कर रही थी जिसकी वजह सेकमर के नीचे का पूरा भाग दिखाई दे रहा था उनके पेशाब की आवाज किसी मधुर ध्वनि की तरह मेरे कानों में पड़ रही थी जिसे सुनकर मैं पागल हुआ जा रहा था मैं दीवार के पीछे से यह सब नजर देख रहा था मां को इस बात का अहसास तक नहीं था कि मैं उन्हें इस हालत में देख रहा हूं,,,,मेरी टांगों के बीच अजीब सी हलचल हो रही थी जिसे महसूस करके बदन में मस्ती सी चढ रही थी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। मम्मी की बुर से लगातार पेशाब की धार फूट रही थी उसमें से मधुर संगीत नहीं कर रही थी और उसे मधुर संगीत ने मेरे लंड को खड़ा करने में बिल्कुल भी समय नहीं लियामैं अपनी मां की नंगी गांड को देख रहा था वह पेशाब कर रही थी और मेरा हाथ अपने आप पेंट के ऊपर से मेरे लंड को दबा रहा था,,,,।
सुगंधाकी तड़प

(अंकित इस कहानी को पढ़ते समय अपनी मां की तरफ तिरछी नजर से देख ले रहा था जैसे वह उसके हवाओं को देख रही थी वैसे ही अंकित भी अपनी मां के चेहरे के हाव भाव को देखने की कोशिश कर रहा था,,,, अंकित के मुंह से निकले एक-एक शब्द मदहोशी से भरे हुए थे जो उसकी मां के कानों में घुलकर उसे मस्त कर रहे थे।यह देखकर अंकित को भी आनंद आ रहा था और वह बड़ी दिलचस्पी दिखाकर कहानी को आगे पढ़ रहा था,,,,।)
मम्मी निश्चिंत होकर पेशाब कर रही थी,,,,और उसे देखना और वह इस हालत में शायद संभावना होता अगर 2 दिन पहले ही बाथरूम का दरवाजा टूट कर अलग ना हो गया होता उसकी रिपेयरिंग करना बाकी था और उसेबाथरूम से निकाल कर दूसरी तरफ दिए थे इसलिए बाथरूम पूरी तरह से बेपर्दा हो चुका था और इसीलिए मुझे यह खूबसूरत नजारा देखने का मौका मिला,,,,मुझे पहली बार एहसास हुआ की मम्मी कितनी खूबसूरत है उसकी गांड कितनी खूबसूरत है उसका गोरा रंग उसे और भी कितना ज्यादा सेक्सी बनाता है,,,,,मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मम्मी कितना पेशाब करती है बड़ी देर से उसकी बुर से पेशाब की धार फुटते जा रही थी,,, मन तो कर रहा था कि मैं भी बाथरुम में घुस जाऊं और पीछे से मम्मी की बुर में लंड डाल दु और उनकी चुदाई कर दुं,,, लेकिन डर इस बात का था कि कहीं मम्मी शोर ना मचा दे,,,, किसी को पता चल गया तो क्या होगा लेकिन इतना तो मुझे मालूम था कि मम्मी को भी इसी चीज की जरूरत है क्योंकि बरसों से उन्होंने अपनी जवानी को संभाल कर रखी थी,,,, मैं 10 साल का था तभी पापा गुजर गए थे तब से मम्मी अकेले ही थी,,,, घर में बस में मम्मी और मेरी दो बड़ी बहनें,,, मम्मी की गदराई जवानी देखकर मुझे मालूम था उन्हें मोटे तगड़े लंबे लंड की जरूरत थी,,,,,(जब यह लाइन अंकित ने पढा तो तिरछी नजर से अपनी मां की तरफ देखने लगा अंकित को एहसास हुआ कि उसकी मां उसकी पेंट की तरफ देख रही थी और जब उसने गौर किया तो वाकई में उसके पेट में तंबू सा बन गया था लेकिन अंकित अपने पेट में बने तंबू को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था और आगे की लाइन पढ़ने लगा,,,)
अप से ही मजा लेती हुई सुगंधा
मेरा लंड पेंट से बाहर आने के लिए तड़प रहा था और मम्मी की बुर में जाने के लिए मचल रहा था मम्मी की तरफ से बस इशारा आना बाकी थाअगर इसी समय ऐसा हो जाता तो मैं मम्मी को बाथरूम में हीं जमकर चुदाई कर देता,,,इतना तुम्हें जानता था कि अगर मम्मी मौका देती तो मैं मम्मी की जवानी कर रहा था अपने लंड से मुझे छोड़ देता उन्हें पूरी तरह से संतुष्ट करने का दम मेरे में बहुत था बस मम्मी के इसारे की देरी थी,,,,,।
बस बस रहने दे बाप रे इतनी गंदी कहानी मैं तो कभी सोची भी नहीं थी,,,,(बीच में ही अंकित को रोकते हुए सुगंधा बोली तो अंकित अपनी मां की तरफ देखते हुए अाशचर्य से बोला,,,)
लेकिन तुमने तो पढ़ी हो ना,,,।
अरे पूरी किताब थोड़ी पढी हूं तेरी ही तरह एक दो पन्ने ही पढ़ी हूं,,,,,,।
सच में बहुत गंदी किताब है ना मम्मी मेरी तो हालत खराब हो गई,,,,।
ला ईस किताब को मुझे दे,,,, इसे तो रद्दी में बेचने में भीबदनामी हो जाएगी किसी को पता चल गया कि जिस घर से यह किताब बेची गई है तो गजब हो जाएगा,,,।
सही कह रही हो मम्मी,,,(इतना कहते हुए अंकित उसे किताब को अपनी मां की तरफ बढ़ा दिया और उसकी मां उसे किताब को अपने हाथ में लेकर बिस्तर के नीचे रख दी,,,, और अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,,,)
जल्दी से अब सफाई कर इस किताब ने तो मेरे पसीने छुड़ा दिए,,,,।
सच कह रही हो मेरी भी हालत खराब कर दिया इस किताब ने,,,,(ऐसा कहते हुए वह फिर से आलमारी साफ करने लगा,,,, लेकिन इस कहानी को पढ़ने के बाद मां बेटे दोनों के मन में उथल-पुथल चल रही थी अब उन दोनों के पास बात करने के लिए इस कहानी को लेकर बहुत सारे मुद्दे थे,,,, और अंकित भी अपनी मां से इस तरह की बातों की शुरुआत करना चाहता था इस कहानी को लेकर बहुत सारी बातें सवाल उसके मन में चल रहे थे।)
