गर्मी की छुट्टियों में दोपहर के समय सुगंधा के घर मेंअंकित की आंखों के सामने जो कुछ भी हो रहा था जो कुछ भी उसे दिखाई दे रहा था उसे नजारे में मदहोशी और नशा ही नशा था जो कि इस नशे को अंकित अपनी आंखों से पी रहा था,,, इस अद्भुत नशे को पीने के लिए होठों की नहीं आंखों की जरूरत थी और इस नशे को अंकित अपनी आंखों से पीकर मस्त हो रहा था अपनी आंखों के सामने इतने अद्भुत और मदहोश कर देने वाला दृश्य देखकर उसके छक्के छूटने लगे थे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी आंखों के सामने कोई गंदी फिल्म चल रही है उसका हर एक दृश्य कामुकता और मदहोशी से भरा हुआ था एक औरत को नहाते हुए देखना शायद हर एक मर्द का सपना और उसकी चाहत होती है,,,, लेकिन औपचारिक रूप से नहाते हुए एक औरत को देखना भी हर मर्द के लिए मदहोशी और वासना का सबब बन जाता है। और यही हाल अंकित का भी हो रहा थालेकिन यहां दृश्य जो कुछ भी उसकी आंखों के सामने भजा जा रहा था वह कोई औपचारिक नहीं था यह सुगंधा की तरफ से अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने का एक जाल साज युक्ति थी जिसे उसका बेटा पूरी तरह से फंसता चला जा रहा था।

और वैसे भी अंकित अपनी मां के इस माया जाल में पूरी तरह से फंस जाना चाहता था,,, इसमें कोईकिसी भी प्रकार का दबाव नहीं था बस एक दूसरे के प्रति आकर्षण था जो धीरे-धीरे वासना में तब्दील होती जा रही थी और एक दूसरे को पाने की चाहत बढ़ती जा रही थी,,,, इसमें ना तो सुगंध की तरफ से कोई जोर जबरदस्ती थी कि नहीं तु मुझे नहाते हुए देख और ना ही अंकित की तरफ से कोई ऐसा दबाव था कि उसे यह दृश्य देखना ही पड़ेगा अपनी मां को नहाते हुए देखना ही पड़ेगा ऐसा बिल्कुल भी नहीं था जो कुछ भी हो रहा था इसमें दोनों की सहमति थी,,,सुगंधा नहाते हुए अपने अंगों का प्रदर्शन करना चाहती थी अपने बेटे के सामने उसे दिखाना चाहती थी और उसका बेटा अपनी मां को नहाते हुए देखना चाहता था उसके खूबसूरत अंगों को देखना चाहता था,,, अपनी मां के मदमस्तजवानी से भरी हुई पिछवाड़े को देखकर जो की पेटिकोट कमर तक उठ जाने की वजह से उसकी आधी गांड एकदम साफ दिखाई दे रही थी,,, इस अद्भुत नजारे को देखकरअंकित का लंड जवानी से फूलने लगा था और उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके लैंड पीने से फट न जाए,,,अंकित को ऐसा लग रहा था कि उसकी मां को मालूम नहीं है कि वह कपड़े छत पर डालकर नीचे आ गया है उसकी आंखों के सामने खड़ा है उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसकी मां अनजान है तभी इस अवस्था में नहा रही है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था अंकित के आने की भनक उसकी मां को पहले ही लग चुकी थी,,, जिसके चलते उसने अपनी पेटीकोट को अपनी आधी गांड तक चढ़ा ली थी। क्योंकि वह अपने बेटे को अपनी गांड दिखाना चाहती थी और अपने बेटे के सामने अपनी भरी हुई जवान परोस चुकी थी जिसका भोग लगाने के लिए अंकित बेताब नजर आ रहा था,,,।

कुछ क्षण तक अंकित इस अद्भुत नजारे को देखकर पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था और पेंट के ऊपर से अपने लंड कोजोर-जोर से दबा रहा था मसल रहा था ऐसा लग रहा था की इस अद्भुत नजारे को देखकर वह पेंट के ऊपर से अपने लंड को दबा दबा कर तोड़ डालेगा,,,, लेकिन तभी अपने बेटे को यह जताते हुए सुगंधा उसकी तरफ घूम गई की उसके आने की भनक उसे लग गई है वह एकदम से अपने बेटे की तरफ घूमते हुए बोली,,,।
तू कपड़े डाल कर आ गया बेटा,,,,(और उसका ऐसा कहते हुए उसकी तरफ घूमने था कि अपनी आंखों के सामने के नजारे को देखकरअंकित की आंखें फटी की फटी रह गई वह पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डूबने लगा वह फटी आंखों से अपनी मां की मस्त-मस्त जवानी को देखने से अपने आप को बिल्कुल भी नहीं रोक पाया,,,और शायद उसकी जगह कोई भी बेटा होता तो अपनी मां के इस रूप को देखने से शायद अपने आप को बिल्कुल भी नहीं रोक पाता भले ही वह कितना ही संस्कारी और मर्यादा से भरा हुआ हो वह इस नजारे को देखने से अपने आप को बिल्कुल भी नहीं रोक पाता क्योंकि उसकी आंखों के सामने का नजारा ही कितना अद्भुत और मदहोशी भरा था कि अपनी मां के सामने भी वह उसे नजारे को देखता ही रह गया था,,,, जिस तरह से सुगंधा अपने बेटे के आने की भनक पातें ही तुरंत अपनी पेटीकोट को अपनी आधी गांड तक उठा दी थी उसी तरह से जब अंकित ठीक उसके पीछे खड़ा होकर उसे नहाते हुए देख रहा था उसकी गांड की दर्शन कर रहा था उसी समय नहाते हुए सुगंधा अपने पेटिकोट को आगे से क्योंकि उसके बदन से पानी में बिकने से पूरी तरह से चिपक गया था अपने उसे किले पेटीकोट को इस कदर हल्का सा ऊपर की तरफ उठा दीजिए उसकी बुर एकदम साफ दिखाई दे रही थी और यह वह जानबूझकर अपने बेटे को दिखाना चाहती थी,,, और अंकित अपनी मां की बुर देखकर पूरी तरह से पागल हो गया था उसकी सांसें उखड़ने लगी थीऔर सुगंधा इस तरह से अपने ऊपर पानी डाल रही थी मानो कि जैसे वह पूरी तरह से अनजान होगी उसके बदन का कौन सा हिस्सा पूरी तरह से उजागर हो गया है।

तू आ गया बेटा बस इतना कहकर बात पूरी तरह से नहाने में मशगूल हो गई थी या यूं कह लो की अपने बेटे को अपनी बुर दिखाने में पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,,अंकित फटी आंखों से अपनी मां के उस रूप यौवन का रस अपनी आंखों से पी रहा था जो कि इस समय पावरोटी की तरह पूरी तरह से फूल चुकी थी,,,, तकरीबन 2 मीटर जितनी दूरी पर अंकित खड़ा था और यहां से सुगंधा के खूबसूरत बदन का अंग अंग उसे साफ दिखाई दे रहा था,,,लेकिन इस समय अंकित को अपनी मां के खूबसूरत बदन का कुछ और दिखाई नहीं दे रहा था बस उसकी बुर दिखाई दे रही थी जो की उत्तेजना के मारे पावरोटी की तरह भूल चुकी थी और उसके बदन सेगिरने वाला पानी उसकी दोनों टांगों के बीच के उसे पतली दरार से होकर गुजर रही थी जिस पर हल्के हल्के बाल उगे हुए थे वैसे तोउसकी मां की बुर पूरी तरह से चिकनी ही थी लेकिन बस हल्के हल्के बाल आने की शुरुआत हुई थी और उसे पर पानी की बूंदे का इकट्ठा हो जा रही थी जो की और ओस की बूंद की तरह दिखाई दे रही थी,,,, और उस औस की बूंद पर अपने होंठ रखकर अंकित उस रस को पीना चाहता था अपनी मां की बुर को चाटना चाहता था जैसे राहुल की मां की बुर को जाता थावैसे तो एक बार अपनी मां की बुर पर होठ रखने का उसे मौका मिल चुका था लेकिन राहुल की मां की तरह उसकी बुर चटाई करने का मौका अभी हाथ नहीं लगा था,,,।
कुछ देर तक सुगंधा अपने बेटे को अपनी बुर दिखाती रही और अंकित अपनी मां की बुर देखता रहासुगंध को अच्छी तरह से मालूम था कि उसके बेटे की हालात पूरी तरह से खराब हो चुकी है उसकी बुर देखकर पहले वह अपनी गांड दिखाइए औरअपने बेटे की हालत को पूरी तरह से खराब कर दी और जैसे ही वह थोड़ा समझने की कोशिश किया तो उसे उसकी तरफ घूम कर उसे अपनी बुर दिखा दी शायद इस दोहरे हमले को उसका बेटा चल नहीं पाया था इस बात का एहसास सुगंधा को अच्छी तरह से हो रहा था क्योंकि वह उसके पेट में तंबू की हालत को देख रही थी जो की पूरी तरह से फटने की कगार पर आ चुका था,,, सुगंधा को इस बात का भी डर लग रहा था कि कहीं देखकर ही उसके बेटे का पानी निकल जाए,,,,नहाते हुए अपने ऊपर पानी डालते हुए वह नजर नीचे करके अपने बेटे की हालत और उसकी हरकत को देख रही थी उसकी हर एक हरकत सुगंधा के तन-बाद में आग लग रहे थे क्योंकि इस समय उसके बेटे कहां से उसके लंड पर था जो की पेंट के ऊपर से ही वह जोर-जोर से दबा रहा था वह अपने बेटे की ईस स्थिति को अच्छी तरह से समझ सकती थी,,,वह समझ सकती थी कि उसे इस रूप में देखकर उसके बेटे पर क्या गुजर रही होगी उसके बारे में क्या सोच रहा होगा,,,,इस बात को सोचकर उसके मन में गुदगुदी सी होने लगी कि जिस गुलाबी छेद को उसका बेटा अपनी आंखों से देख कर पागल हो रहा है उसी गुलाबी छेद में वह अपना लंड डालने के लिए तड़प रहा होगा,,, और उसकी यह सड़क देखकर सुगंधा को मन ही मन प्रसन्नता हो रही थी,,, उसे इस बात की भी खुशी थी कि उसका जवान बेटा उसकी जवानी देखकर पागल हो रहा है इसका मतलब साफ था कि उसमें अभी बहुत कुछ बचा हुआ था उसकी जवानी बरकरार थी,, जवानी की आग बरकरार थी,,, अपनी जवानी की गर्मी में वह किसी भी मर्द को पिघलाने में वह अभी भी पूरी तरह से सक्षम थी।

अंकित की बोलती बंद हो चुकी थीउसकी फटी आंखें आश्चर्य से भरा चेहरा उसके मन में क्या चल रहा है सब कुछ बयां कर रहा था और इस स्थिति में अपने बेटे को देखकर सुगंधा मन ही मन खुश हो रही थी और फिर वह धीरे से बोली,,,,।
अंकित तू भी जाकर नहा ले तेरे कपड़े भी गीले हो चुके हैं,,,,(लेकिन इस दौरान वह अपने पेटिकोट के कपड़े को नीचे करने की बिल्कुल भी शुध नहीं ली,,,अंकित को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां की बुर अनजाने में एकदम साफ दिखाई दे रही है या जानबूझकर उसकी मां उसे अपनी बुर दिखा रही है,,, इसका जवाब अंकित के पाससंजोया हुआ था क्योंकि कुछ देर पहले ही उसे इस बात का एहसास हो गया था कि जो कुछ भी हो रहा था उसकी मां सब कुछ सोची समझी साजिश के तहत कर रही थी वह उसे सबको दिखाना चाहती थी क्योंकि पंखा साफ करते हुए उसकी मां पेंटी नहीं पहनी थी और कुछ देर पहले जब वह अपनी मां को बिस्तर पर लेकर गिरा था सबसे अच्छी तरह से एहसास हुआ था कि उसकी मां चड्डी पहनी हुई थी जिसका मतलब साथ था कि उसकी मां खुद उसे अपनी बुर दिखाना चाहती थी,,, वह अपने मन में यही सब सो रहा था कि उसे इस तरह के ख्यालों में खोया हुआ देखकर उसकी मां फिर से बोली,,,)
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क्या हुआ क्या सोच रहा है तू भी आकर नहा ले तेरे कपड़े भी गिले हो गए हैं,,,।(अपनी मां की बात सुनकरअंकित की तंद्रा भंग हुई और ऐसा लगा कि जैसे वह नींद से जागा हो वह एकदम से हडबडाते हुए बोला,,,)
ककककक,,,,,ममममम,,, मैं तुम्हारे साथ,,,,, कैसे नहा सकता हूं,,,,।
(अपने बेटे की हड़बड़ाहट पर सुगंधा को हंसी आ गई और वह हंसते हुए बोली,,,,)
इसमें क्या हो गया क्या तू मेरे साथ नहीं नहा सकता मेरे साथ तो मेरा हाथ बंटा सकता है कपड़े धो सकता है घर की सफाई कर सकता है तो नहा क्यों नहीं सकता,,,,,,,।
लेकिन,,,, एक मां के साथ एक बेटा कैसे नहा सकता है,,,।
अरे नहा सकता हैऔर वैसे भी घर में हम दोनों के सिवा तीसरा तो कोई है नहीं अगर तीसरा कोई होता तो शायद ऐसा संभव नहीं होता कि उसकी हाजिरी में एक मां बेटे खुलकर ना आएइस समय कोई नहीं है तो तू आराम से मेरे साथ नहा सकता है देख तो सही मौसम कितना अच्छा है आसमान कितना खुला हुआ है,,,,,,,(अपनी मां के कहने पर अपने आप ही अंकित की नजर आसमान की तरफ चली गई जो कि वाकई में एकदम आसमानी रंग का एकदम साफ दिखाई दे रहा था गर्मी के महीने में आसमान एकदम साफ दिखाई देता है और घर के पीछे से यह नजारा कुछ और भी अद्भुत नजर आता था,,,अंकित इधर-उधर नजर घुमा कर देखने लगा उन दोनों को देखने वाला इस समय वहां कोई नहीं था और वैसे भी घर के पीछे वाले भाग पर वह दोनों खड़े थे जहां पर किसी के देखने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी उसके पीछे मैदानी मैदान था और वह थोड़ा निचले स्तर पर था जहां से कोई अगर गुजर कर जाए तो भी इस और देखने की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी,,, अंकित कुछ बोल नहीं रहा था बस अपनी मां की बात को सुन रहा था और सुगंधा को अपनी बेटे की नजर का अच्छी तरह से पता था वह जानती थी कि उसकी नजर अभी तक उसकी बुर पर ही टिकी हुई थी अभी तक वह उसकी चूची की तरफ नहीं देखा था इसलिए वह अपनी बेटी को अपनी चूची दिखाना चाहती थी जवानी से भरी हुई दोनों चूचियों के दर्शन करना चाहती थी भले ही वह पेटिकोट के अंदर कैद थीं लेकिन पेटिकोट के भीगने की वजह से वह पूरी तरह से पेटिकोट के ऊपर अपनी आभा बिखेर रही थी,,, इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,) जल्दी से आजा अब देर मत कर,,,(मग से पानी अपने ऊपर डालते हुए और दूसरे हाथ को अपनी चूची के ऊपर से नीचे की तरफ लाते हुए यह एक तरफ सेअपने बेटे की नजर को अपनी चूचियों पर लाने का इशारा था,,,) बहुत ठंडा पानी है ऐसी गर्मी में नहाने में और भी ज्यादा मजा आएगा,,,,.

और वाकई में जैसा सुगंधा चाहती थी वैसा ही हुआ उसके हाथ के इशारे को उसका बेटा अच्छी तरह से देख रहा था और उसकी नजर एकदम से उसकी चूचियों पर पड़ गई,,,,जो की पेटिकोट की पूरी तरह से गीले हो जाने की वजह से उसके खरबूजे जैसी चूचियों पर एकदम से चिपक सी गई थीऔर उत्तेजना के मारे उसकी दोनों निप्पल छुहारे के दाने की तरह एकदम कड़क हो चुके थे और पेटीकोट के ऊपर पूरी तरह से ऊपरी सतह पर साफ दिखाई दे रहे थे और ऐसा लग रहा था कि जैसे पेटिकोट फाड़कर दोनों बाहर आ जाएंगे,,, अंकित वाकई मे इस अद्भुत नजारे को अधूरा ही देख रहा था,,,अभी तक वह अपनी मां की बुर को देख रहा था जो कि हर एक मर्द का सपना होता है एक औरत की खूबसूरत बुर को अपनी आंखों से देखना और अंकित ने इस अद्विक नजारे को अपनी आंखों से देखा भी जिसकी तुलना वह कर नहीं सकता था जिसे अपने शब्दों में बयां नहीं कर सकता था लेकिन वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि औरत के खूबसूरत बदन का हर एक अंग मर्दों की उत्तेजना को चरणक्षम शिखर तक ले जाता हैऔरत के हर एक खूबसूरत अंग वाकई में मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने में पूरी तरह से सक्षम होते हैं और इसी में उसकी मां की चूचियां भी इजाफा कर रही थी। अंकितपानी में भीगी हुई पेटीकोट में उपसी हुई अपनी मां की गीली चूचियों को देखकर उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था,,,, अंकित की हालत एकदम से खराब होने लगी अंकित अपने हाथों में अपनी मां की दोनों चूचियों को लेकर से जोर-जोर से दबाना चाहता था रगड़ देना चाहता था एक अद्भुत सुख के एहसास में डूब जाना चाहता था इसलिए वह अपनी मां के प्रस्तावको ठुकरा नहीं पाया और वैसे भी ठुकराने लायक कोई कारण उसके पास बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह खुद अपनी मां के साथ नहाने का सुख भोगना चाहता था इसलिए वह तुरंत अपने कदम आगे बढ़ने लगा लेकिन तभी उसकी मां उसे रोकते हुए बोली,,,,)

अरे पहले अपने कपड़े तो उतार दे,,,, कपड़े उतार कर नहाने में और भी ज्यादा मजा आता है,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर अंकित के बदन में गुदगुदी होने लगी औरउसके मन में हुआ कि वह अपनी मां से कह दे की फिर तुम पेटिकोट क्यों पहनी हो इसे भी उतार दो नहाने में मजा आएगा लेकिन ऐसा कहने की उसकी हिम्मत नहीं हुई और वह मुस्कुराते अपनी मां की आंखों के सामने अपने कपड़े उतारने लगा वह जानता था कि उसके पेट में तंबू बना हुआ है और पेट के उतरते ही अंडरवियर एक अद्भुत जाकर लिया हुआ उसकी मां की आंखों के सामने नजर आने लगेगा लेकिन इस समय उसके बदन में मदहोशी छाई हुई थी अपनी मां की मदमस्त जवानी देखकर वासना चाहिए हुई थी इसलिए वह अपने अंडरवियर में बने तंबू को छुपाने की कोशिश बिल्कुल भी ना करते हुए अपने पेंट का बटन खोलने लगा,,,,जिसे देखकर सुगंधा के तन-बदन में आग लग रही थी उसके दिल की धड़कन बढ़ती चली जा रही थी वह अपने बेटे को अंडरवियर में देखना चाहती थी अपने बेटे के घटीले बदन को देखना चाहती थी,,,,वह देखना चाहती थी कि पेट के ऊपर से दिखने वाला तंबू उसके बेटे के अंडरवियर में किस तरह का दिखाई देता है और इस बात को सोचकर ही उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,,और देखते-देखते उसकी आंखों के सामने ही अंकित अपना पेट भी उतार कर एक तरफ रख दिया और अंडरवियर में बना हुआ तंबू सुगंधा की आंखों के सामने दिखाई देने लगा सुगंधा के मन की लालच बढ़ने लगीउसके तन बदन में गुदगुदी होने लगी और उसका मन कर रहा था कि अभी इसी समय आगे बढ़कर अपने हाथों से अपने बेटे के बदन से उसका अंडरवियर भी निकाल कर उसे पूरी तरह से नंगा कर दे,,,,,लेकिन यह सिर्फ सुगंधा के मां का ख्याल था जिसे हकीकत का शक्ल देने में काफी हिम्मत की जरूरत थी जो कि इस समय उसमें नहीं थी भले ही वह किसी भी तरह से अपने बेटे को अपनी नग्नता के दर्शन कर रही थी लेकिन इस तरह की हरकत करने में उसकी हिम्मत गवाही नहीं दे रही थी,,,,,।
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अंडरवियर में खड़ा अंकित अपनी कमर पर हाथ रखकर इधर-उधर चारों तरफ नजर घुमा कर देख रहा था वह ऐसा औपचारिक रूप से जानबूझकर कर रहा थाखास करके वह अपनी मां को अपनी अंडरवियर में बना तंबू दिखाना चाहता था मन तो उसका इस समय कर रहा था कि अंडरवियर में बने छेद में से अपने लंड को बाहर निकाल कर एकदम से लटका ले और अपनी मां को जी भर कर उसका दर्शन कराए,,,, लेकिन यह भी सिर्फ अंकित की सोच थी,,,वैसे ज्यादा कुछ कर सपना की स्थिति में नहीं था वैसे भी अपनी मां की मधुमक से जवान देखकर उसकी गर्मी का एहसास उसके बदन को पूरी तरह सेअपनी आगोश में लिया हुआ था उसके माथे से पसीना टपक रहा था उसका पूरा बदन पसीने से तार बात था एक तो जेठ की गर्मी ऊपर से उसकी मां की जवानी की गर्मी दोनों अंकित की हालत खराब कर रही थीऔर दूसरी तरफ अपने बेटे के पेट में बने तंबू को देखकर सुगंधा की हालत खराब हो रही थी और वह अपने बेटे के सामने ही अपनी बर को जोर-जोर से अपनी हथेली में दबा दबा कर मसल देना चाहते थे और इशारों ही इशारों में उसे बता देना चाहती थी कि उसे क्या चाहिए,,,, लेकिन इस दौरान अभी भी उसकी बुर झलक रही थी दिखाई दे रही थीऔर अंकित भारी-भारी से अपनी मां के जवान के दोनों केंद्र बिंदु पर नजर दौड़ा ले रहा था तभी उसकी चूचियों की तरफ तो कभी उसकी बुर की तरफ देख कर वह पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था,,,, सुगंधा को भी एहसास हो रहा था कि उसका बेटा अपने अंडरवियर में बने तंबू को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था मतलब साफ था कि आप दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी वह भी अपनी बुरे दिख रही थी और उसका बेटा भी अपने अंडरवियर में बने तंबू को दिखा रहा था और शायद उसका बस चलता है तो अपने अंडर बियर को निकाल कर अपना लंड उसे दिखा देता,,,लेकिन इतना कुछ होने के बावजूद भी दोनों अभी मर्यादा की हल्की डोर में बने हुए थे जो किसी भी वक्त टूट सकती थी।

आजा देख कितना ठंडा पानी है,,,, आ मैं तुझे नहला देती हुं,,,,,,,(सुगंधा का इतना कहना था कि उसका बेटा मुस्कुराता हुआ अपनी मां के करीब पहुंच गया एक अद्भुत एहसास का अनुभव हो रहा था अपनी मां के बेहद करीब पहुंचकर क्योंकि उसकी मां इस समय कुछ अलग ही रूप में थी वह इस समय जवानी की मादकता को अपने बदन से टपका रही थी और उसे रस को पीने के लिए अंकित तड़प रहा था मचल रहा थाबेहद करीब से अपनी मां की दोनों बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर वह पागल हुआ जा रहा था चूचियों के बीच की निप्पल पेटीकोट से एकदम साफ दिखाई दे रही थी मन तो उसका इस समय कर रहा था कि अपना दोनों हाथ आगे बढार अपनी मां की चूचियों को थाम ले और उन्हें जोर-जोर से दबाए,,,,, और उसे पूरा यकीन था कि उसकी हरकत से उसकी मां पूरी तरह से मस्त हो जाएगी और हो सकता है कि अपने हाथों से अपनी चूची पकड़ कर उसके मुंह में डाल दे,,, लेकिन फिर भी वह अपने मन में उठ रहे इस ख्याल को हरकत की शक्ल देने में सक्षम नहीं था,,,,। अपनी मां के खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए वह बोला,,,)
सच में तुम मुझे नहला दोगी,,,,।
हां क्यों नहीं जब तू छोटा था तब मैं ही तो तुझे नहलाती थी,,,,,(ऐसा क्या करूं अपने मन में ही बोली अभी तक तुझे अपनी जवानी के पानी में नहला तो रही हूं,,,)

तब तो बहुत मजा आएगा,,,, वैसे भी मेरी पीठ पर मैल जम सी गई है,,,, शायद तुम उसे मलमल कर साफ कर सकती हो,,,,।
हां हां क्यों नहीं तू नीचे बैठ जा,,,,,।
(और अपनी मां की बात मानते हुए अपनी मां की तरह पीठ करके वह नीचे बैठ गया,,,सुगंधा अपने बेटे को देख रही थी उसकी मासूमियत पर वह मुस्कुरा रही थी उसे अच्छा लग रहा था और वह अपने बेटे के ऊपर पानी डालना शुरू कर दी देखते ही देखते वह पूरी तरह से पानी में भीग गया और फिर इसके बाद वह बदन करने वाला ब्रश लेकर उसे जोर-जोर से अपने बेटे की पीठ पर रगड़ने लगी हालांकि अभी तक वह साबुन नहीं लगाई थी,,,,थोड़ी ही देर में उसे अपने बेटे की पीठ साफ नजर आने लगी वैसे साफ तो थी ही बस गर्मी की वजह से उसे पर मैल जम गई थी और इसके बाद वहां अपने बेटे के बदन पर साबुन रगड़ना शुरू कर दी बरसों के बाद अपनी मां के हाथ से नहाने में उसे मजा आ रहा था,,, यह मजा औपचारिक या स्वाभाविक नहीं था,,,, कि आज वह अपनी मां के हाथ से नहा रहा है तो उसे अच्छा लग रहा है।उसे अच्छा इसलिए लग रहा था कि वह एक खूबसूरत औरत के हाथों से नहा रहा था और इस बात की खुशी और भी ज्यादा दुगुनी हुई जा रही है कि वह खूबसूरत औरत उसकी मां थी उसकी मां की जवानी का जलवा वह अपनी आंखों से देख चुका था इसलिए उसकी खुशी फूल ही नहीं समा रही थी,,,, तभी साबुन लगाते हुएअंकित को अपनी मां की चुचियों का एहसास अपने सर पर होने लगा उसकी दोनों चुचियों का वजन उसे अपने सर पर महसूस होने लगा था जो की सुगंधा जानबूझकर अपनी चूचियों को उसके सर पर सटाकर उसके पेट और छाती में साबुन लगा रही थी,,,,अपनी मां की हरकत से अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी उसके बदन में गुदगुदी होने लगी,,,।