रविवार का दिन था गर्मी का महीना होने के बावजूद भी मौसम बड़ा ही सुहावना लग रहा था,,, और वह भी इसलिए कि आज उसकी बड़ी बहन किसी काम से घर से बाहर जा रही थी और दिन भर वह अपनी मां के साथ अकेला रहने वाला था और यही मौका था जब वह अपनी मां को ब्रा और पैंटी गिफ्ट कर सकता था,,, इसलिए आज वह बहुत खुश था,, लेकिन उसकी मां को बिल्कुल भी नहीं पता था कि उसका बेटा उसके लिए ब्रा और पैंटी खरीद कर ला चुका है,,,, वह इस बात से पूरी तरह से इंसान अपने काम में मगन थी और अंकित था कि योग्य मौके की तलाश में था,,,।
Sugandha or ankit ki haalat
सुबह-सुबह नहा धोकर वह तैयार हो चुका था,, सुगंधा जल्दी ही खाना और नाश्ता दोनों बना चुकी थी,,, क्योंकि आज उसे थोड़ा घर की सफाई भी करनी थी,,, अंकित बार-बार अपनी मां की तरफ देखकर मुस्कुरा दे रहा था और उसका इस तरह से मुस्कुराना सुगंधा को भी अच्छा लग रहा था,,, उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच जाने के बाद इतना तो वह समझ ही सकती थी कि उसके बेटे के मन में क्या चल रहा है वह जान गई थी कि उसका बेटा उसकी तरफ पूरी तरह से आकर्षित है,,, इसलिए तो अपने बेटे की मुस्कुराहट देखकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी,,,, लेकिन अभी तक दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी बस एक दूसरे से आंखों ही आंखों में वह दोनों बातें कर रहे थे लेकिन बात की शुरुआत करते हुए सुगंधा बोली,,,,।
Dono aage badhna chahte the lekin darte the
क्या बात है आज कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रहा है,,,(किचन पर पड़े बर्तन को इकट्ठा करते हुए वह बोली,,)
ककककक,, कुछ नहीं ऐसी कोई बात नहीं है,,,।
नहीं जरूर पूछे तभी तो मुस्कुरा रहा है मुझे देख कर,,,,।
वह क्या है ना कि आज तुम कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही हो,,,।
अच्छा आज मैं तुझे ज्यादा खूबसूरत लग रही हूं रहने दे मस्का लगाने को मैं आज नहाई नहीं हूं,,,,।
सच में तुम नहीं नहाई हो,,,!(आश्चर्य जताते हुए अंकित बोला )
तो क्या आज मैं नहाई नहीं हूं,,,,,।
ओहहहह फिर भी मम्मी तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो कोई तो मैं देख कर कह नहीं सकता कि तुम नहाई नहीं हो इतनी तरो ताजा लग रही हो,,,,।
रोज नहीं लगती क्या,,,?
Ankit or uski ma ek din
लगती तो रोज ही हो सच कहूं तो मुझे तो तुम फिल्म की हीरोइन लगती हो जो कभी भी कहीं भी देखो स्वर्ग की अप्सरा ही लगती है,,,।(अंकित धीरे-धीरे अपनी मां को लाइन पर ला रहा था वह इस तरह की बातें करके अपनी मां का मन बहला रहा था और बातों ही बातों में हुआ अपनी मां के सामने अपना लाया हुआ गिफ्ट दे देना चाहता था,,,,, लेकिन गिफ्ट देने के बावजूद भी वह अपने मन में एक मलाल महसूस जरूर करता कि वह अपनी मां को अपने ही द्वारा खरीद कर लाई गई ब्रा और पैंटी पहने हुए देख ली सकता क्योंकि वह जानता है कि भला ऐसी कौन सी मैन होगी जो ब्रा पैंटी पहन कर अपने बेटे को दिखाएगी,, कि कैसी लग रही है,,,, अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा बोली,,,)
आज कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहा है क्या बात है,,,,!(बर्तन कोई इकट्ठा करके अपने हाथ में लेकर उसे घर के पीछे की तरफ ले जाते हुए वह बोली और पीछे-पीछे अंकित जाने लगा,,,, सुगंधा ढेर सारे बर्तन को एक प्लास्टिक के तब में रखकर कमर पर टिका कर उसे ले जा रही थी और ऐसा करके ले जाने में उसकी कमर की लक और उसके नितंबों का उभार कुछ गजब का आकार ले रहा था,,, जिसे देखने में अंकित को आनंद आ रहा था। कुछ दिनों से जिस तरह के हालात मां बेटे के बीच पनप चुके थे उसे देखते हुए कुछ भी खाने में अंकित को डर नहीं लग रहा था लेकिन वह फिर भी सोच समझ कर बोल रहा था और अपनी मां की बात का जवाब देते हुए वह बोला,,,,)
जहां तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत हो वहां पर हीरो बनकर रोमांटिक होना पड़ता है,,,,।
Ankit apni ma k sath masti karta hua
ओहहहहह ,,,, क्या बात है तू तो सच में फिल्मों के हीरो की तरह डायलॉग मार रहा है कहीं फिल्मों के हीरो की तरह हरकत मत करने लगा,,,,।(इस तरह की बातें करके सुगंधा के भी तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और उसे भी मजा आ रहा था अपनी मां की बात सुनकर अंकित बोला,,,)
किस तरह की हरकत मम्मी,,,,,?
अरे वही जो उसे दिन फिल्म में नहीं देखा कैसे एक दूसरे को किस कर रहे थे,,,,।
(अपनी मां की बात सुनते ही अंकित के बदन मदहोशी जाने लगी उसे याद आ गया कि कैसे उसकी मां उसे पकड़ कर उसके होठों पर चुंबन कर रही थी,,, और वह तुरंत मौके का फायदा उठाते हुए बोला,,,)
अच्छा उसी तरह से जैसे तुम किचन में चुंबन कर रही थी सच में मुझे बहुत मजा आया था मम्मी मैं तो कभी सोचा भी नहीं था कि चुंबन में भी इतना मजा आता है,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा की टांगों के बीच सिहरन सी दौड़ने लगी और वह मुस्कुराने लगी,,,,, वह भी अपने बेटे से मजा लेना चाहती थी जिस तरह की बातें वह दोनों आपस में करने लगे थे उसे देखते हुए सुगंधा को उम्मीद की किरण नजर आ रही थी की बहुत ही जल्दी दोनों के बीच सारीरीक संबंध स्थापित हो जाएगा,,, लेकिन कैसे होगा यह वह नहीं जानती थी वैसे तो सुगंध भी अपने बेटे के मन की बात को समझ चुकी थी कि वह भी उसके साथ संबंध बनाना चाहता है लेकिन कहने से डर रहा है शायद दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता दीवार बन रहा था ,,, क्योंकि जिस तरह से वह नहीं चाहती थी अपने बेटे से सीधे-सीधे कह दे कि मैं तुझसे चुदवाना चाहती हूं वैसे ही उसका बेटा भी सीधे-सीधे उसको यह नहीं कहना चाहता था कि मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं,,,, और यही दोनों को आगे बढ़ने में बाधा रूप बन रहा था,,,, लेकिन जो कुछ भी दोनों के बीच हो रहा था वह भी बेहद आनंद दायक था,,,,। अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा शर्मा गई थी,,,, आज घर में तृप्ति भी नहीं थी इसलिए वह जानती थी कि घर में अंकित और वह दोनों अकेले इसलिए कुछ रोमांचक होने का अंदेशा उसे हो रहा था,,,,,।
Sugandha apne bete ka pent utarti huyi
वह झूठे बर्तन और ढेर सारे कपड़े लेकर बैठ गई थी,,,, जब ज्यादा बर्तन और कपड़े धोने होते थे तो सुगंधा घर के पीछे ही धोती थी वह अपनी साड़ी को घुटनों तक उठकर बैठ गई थी अपने दोनों टांगें फैला कर और अंकित ठीक उसके सामने बैठकर बातें कर रहा था अपनी मां को इस हालत में देखना उसे अच्छा लगता था उसकी टांगें खुली हुई थी और अपने मन में वह यही सोच रहा था कि कहां से वह बिना कपड़ों की होती तो जिस तरह से वह टांगे खोल कर बैठी है उसकी गुलाबी बुर भी खुल गई होती,,,,, वह अपनी मां की बुर को नहाते हुए देख चुका था और सुगंधा खुद अपने बेटे को अपनी बुर के दर्शन कराई थी दरवाजे के छोटे से छेद में से,, लेकिन फिर भी वह अपनी मां की बुर को एकदम करीब से अच्छी तरह से देख नहीं पाया था इसलिए अपनी मां की बुर देखने की इच्छा उसके मन में हमेशा प्रबलित रहती है,,,।
दोनों मां बेटे इधर-उधर की बातें करते रहे दोनों को मजा आ रहा था एक दूसरे से बातें करने में ,,,, ज्यादातर दोनों रोमांटिक बातें करते थे और इस तरह की बातें करके दोनों आनंद के साथ-साथ आगे बढ़ना भी चाहते थे कि दोनों के बीच कोई बात बन सके लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था देखते ही देखते सुगंधा सारे झूठे बर्तन और कपड़ों को धो डाली थी और नहाने की तैयारी कर रही थी लेकिन तभी उसे पता चला कि नहाने वाला साबुन तो है ही नहीं इसलिए वह अंकित से बोली,,,।
अंकित जरा जाकर नहाने वाला साबुन तो गया नहाने वाला साबुन खत्म हो गया है,,,।
तुम नहाओगी मम्मी,,,,!
Ankit apni ma ki chudai karta hua
और क्या देख नहीं रहा है हालत और वैसे भी आज नहाई नहीं हूं तुझे पहले भी बता चुकी हूं,,,।
ठीक है मैं जाकर साबुन ले आता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही अंकित अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और जाने लगा लेकिन इस दौरान सुगंधा की नजर उसके पेट में बने तंबू पर पड़ चुकी थी जो कि अच्छा खासा तंबू बनाया हुआ था और उसके तंबू पर नजर पड़ते ही उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल होने लगी वह समझ गई कि उसके बेटे के पेंट में तंबू क्यों बना है उसका लंड क्यों खड़ा है। , जब आंखों के सामने इतनी खूबसूरत औरत बेठी हो तो भला ऐसा कौन सा मर्द होगा जिसका लंड खड़ा नहीं हो जाएगा,,,, अंकित जा चुका था लेकिन जाते-जाते सुगंधा के तन बदन में आग लगा दिया था उसके मन में वासना का तूफान जगा गया था वैसे तो सुगंध कई बार अपनी हरकतों से अपने बेटे को अपने नंगे बदन के दर्शन कर चुकी थी लेकिन आज फिर से उसके मन में यही हो रहा था आज वह देखना चाहती थी कि दोपहर के समय उसका बेटा क्या उसे नहाते हुए देखने की कोशिश करेगा,,,, और इसलिए वह जल्दी-जल्दी अपना ब्लाउज और ब्राउज़र कर एक तरफ रख ले और पेटीकोट को भी निकाल कर रखती उसके बाद केवल साड़ी को अपने बदन से लपेट ली ताकि आराम से उसके बेटे को उसके नंगे पन का एहसास हो सके,,,।
अंकित अभी साबुन लेकर आया नहीं था और इससे पहले ही सुगंधा अपने ऊपर पानी डालना शुरू कर दी थी अपनी साड़ी को भिगोना शुरू कर दी थी ताकि वह भी कर उसकी चूचियों से उसके नंगे बदन से इस कदर चिपक जाए कि उसका बदन एकदम से साड़ी पहने होने के बावजूद भी उभरकर उसकी आंखों के सामने नजर आए,,,, और वह अपने बदन पर पानी डालकर खुद इस बात का जायजा ले रही थी कि सब कुछ उसके सोने के मुताबिक हो रहा है कि नहीं और जैसे ही अपनी नंगी चूचियों की तरफ देखी तो अपनी निप्पल को तना हुआ देखकर मंद मंद मुस्कुराने लगी क्योंकि वाकई में गीली साड़ी में उसकी चूची एकदम साफ नजर आ रही थी,,,, उसकी उत्सुकता बढ़ने लगी थी वह अपने बेटे का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी और धीरे-धीरे अपने ऊपर पानी डाल रही थी वह एक तरह से अपने ऊपर पानी नहीं बल्कि अपनी जवानी का रस डाल रही थी जिसमें वह पूरी तरह से अपने आप को डुबो डाली थी सोचने समझने की शक्ति को छीण कर डाली थी,,,वह वासना की आग में इस कदर सुलग रही थी कि यह भी भूल गई थी कि वह अपने बेटे के साथ ही इस तरह की गंदी हरकत कर रही है,,,, लेकिन इस खेल में इस तरह की हरकत करने में उसे जो आनंद प्राप्त हो रहा था उसे जीने का एक नया उमंग प्राप्त हो गया था वरना जब से उसके पति का देहांत हुआ था वह सिर्फ अपने बच्चों के लिए जी रही थी लेकिन आप उसे ऐसा लग रहा था कि उसे भी अपने लिए जीना चाहिए,,,।
Sugandha nahati huyi
थोड़ी देर में अंकित आ गया था और अपनी मां की हालत को देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी वह अपनी मां को एक टक देखता ही रह गया था,,,, सुगंधा जान गई थी कि उसका बेटा क्या लेकिन फिर भी वह अपने आप को इस तरह से उलझ रखी थी कि वह अंकित की तरफ नहीं देख रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा इस समय क्या देख रहा होगा और वाकई में इस समय अंकित अपनी मां की चूचियों को देख रहा था जो की गीली साड़ी में और भी ज्यादा मादक हो गई थी,,, उसकी निप्पल एकदम खजूर की तरह तनी हुई साड़ी के ऊपर झलक रही थी जिसे देखकर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और वह अपने मन में सोच रहा था की काश दोनों सूचियां को हाथ में पकड़ने का मौका मिल जाता तो कितना मजा आ जाता,,, इस तरह का ख्याल उसके मन में आते ही तुरंत उसे सुमन का ध्यान आ गया जो कि खुद ही अपनी चूचियों को दबवा रही थी,,,और हकीकत में उसे सुमन से ही पता चला की औरतों की चूचियों के लिए देखने में कड़क लगती है लेकिन दबाने में एकदम हुई की तरह नरम-नरम होती है और इसीलिए अपने मन में सोच रहा था कि अगर उसे अपनी मां की चूची दबाने का मौका मिला तो कितना मजा आ जाएगा,,,,।
सुगंधा नीचे सर झुका कर अपने पैर को मल रही थी और अंकित को ऐसा ही लग रहा था कि उसकी मां ने उसे नहीं देखी है इसलिए वहीं खड़े होकर अपनी मां को ही देख रहा था उसका गिला बदन और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था खास करके उसकी चुचियों का आकार ऐसा लग रहा था की कुछ ज्यादा बढ़ गया है,,,। सुगंधा जानती थी कि उसका बेटा ठीक उसके सामने खड़ा है और वह कुछ बोल नहीं रहा है इसका मतलब साफ था कि वह उसके बदन को देखने का सुख भोग रहा है लेकिन ज्यादा देर तक सुगंध भी अपने सर को नीचे झुकाए बैठ नहीं सकती थी इसलिए चौंकने का नाटक करते हुए बोली,,,,।
Chuchio par sabun lagati sugandha
अरे आ गया तू मुझे तो पता ही नहीं चला,,,,ला मुझे साबुन दे दे,,,,,।
(इतना सुनते ही अंकित अपनी जेब में हाथ डाला और अपनी जेब में से लाइफ ब्वाय साबुन बाहर निकाल लिया उसे अपनी मां के हाथ में थमाने लगा,,,, और फिर सुगंध मुस्कुराते हुए साबुन लेकर उसे खोलने लगी अंकित वहीं खड़ा अपनी मां को ही देख रहा था सुगंध भी यही चाहती थी कि उसका बेटा उसे नहाते हुए देखे लेकिन फिर भी उसे टोकना जरूरी था इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली,,,,)
अरे यही खड़ा रहेगा कि जाएगा भी मुझे नहाने तो दे,,,।
ओहहहह,,,,(जैसे अचानक ही कुछ याद आया हो ओर वह तुरंत वहां से हट गया,,, वह कुछ देर के लिए अपनी मां की नजरों से दूर हुआ था और सुगंधा तिरछी नजर से उसे देख भी रही थी वह जा चुका था वह जैसे ही अपने कमरे में गया था सुगंधा को अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था कि वह उसे नहीं भगाती तो अच्छा होता अब अपने अंगों का प्रदर्शन किसके लिए करें,,,, इसलिए उदास मन से अपने बदन पर साबुन लगाने लगी और अपने अंगों का प्रदर्शन का ख्याल उसके मन से एकदम से उतर गया था लेकिन फिर भी वह अपने बेटे के इंतजार में ही थी की कब वह चोरी-छिपी से नहाते हुए देखें और वह अपनी मादक अदाओं से अपनी नशीली जवानी से उसे अपना दीवाना बनाए,,,,।
NAhati huyi sugandha
और जैसा कि वह अपने मन में सोच रही थी अंकित भी ज्यादा देर तक अपनी मां के नंगे बदन को देखने से अपने आप को रोक नहीं सका और दबे पांव अपने कमरे से बाहर आया और दीवार की ओट में खड़ा हो गया यह देखकर सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी उसका मन प्रसन्न होने लगा,,, और उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी वह मदहोश होने लगी,,, और वह अपने मन में ही अपने आप से ही बोली देखा ना मेरा बेटा मेरी जवानी का दीवाना हो गया है वह मेरे से दूर हो ही नहीं सकता,,,,। और फिर वह अपने बदन पर साबुन लगाना शुरू कर दी,,,,, अंकित की मदहोशी बढ़ती जा रही थी उसके पेट में तंबू बन चुका था और सुगंध साबुन लगाने के बहाने अपनी साड़ी को नीचे सरका कर अपनी नंगी चूचियों पर साबुन लगा रही थी और अपनी मां की नंगी चूची देखकर अंकित की हालत खराब होती जा रही थी,,,, वैसे तो अपनी मां को नहाते हुए पहले भी देख चुका था लेकिन इस समय पहली बार वह दोपहर में घर के पीछे खुले में नहाते हुए देख रहा था इसलिए उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,,
Sugadha nahati huyi
सुगंधा जिस तरह से अपनी चूचियों पर साबुन लगा रही थी वह साबुन कम उसे दबा ज्यादा रही थी और यह देखकर अंकित अपने मन में नहीं सोच रहा था कि जब कुसुम की छोटी-छोटी चूची को दबाने में इतना मजा आ रहा था तो अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूची दबाने में कितना मजा आएगा यहीं सोचता हुआ वह पेंट के ऊपर से अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया,,,, सुगंधा का अंग प्रदर्शन बढ़ता जा रहा था,,, वह उठकर खड़ी हो गई थी क्योंकि उसकी साड़ी एकदम बदन से चिपकी हुई थी और जब-जब पानी ऊपर डाल रही थी उसकी साड़ी और ज्यादा उसकी जांघों से चिपक जा रही थी इसलिए अंकित को अपनी मां की मोटी मोटी जांघों का एहसास भी बहुत अच्छी तरह से हो रहा था,,,,, लेकिन तभी उसका दिमाग काम करना बंद हो गया जब उसकी साड़ी एकदम से उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार से चिपक गई थी और उसकी मां की गुलाबी बुर एकदम उभर कर साड़ी के ऊपर से नजर आ रही थी,,,।
उत्तेजना के मारे सुगंधा की बुर कचोरी की तरह फुल चुकी थी और इसीलिए साड़ी के ऊपर एकदम अच्छे से नजर आ रही थी उसकी बीच की दरार भी एकदम उपसी हुई नजर आ रही थी यह सब देखकर अंकित की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसके माथे से पसीना टपकने लगा था अपनी मां की मदद कर देने वाली जवानी उसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,, सुगंधा अब तक अपनी नंगी चूचियों पर साबुन लगा रही थी लेकिन धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाकर अपनी जांघों पर भी साबुन लगा रही थी और देखते ही देखते वह अपनी बुर पर साबुन लगाकर,, उसके झाग को अपनी बुर पर रगड़ने लगी वह जानबूझकर अपने बेटे के सामने इस तरह की हरकत कर रही थी वह जानती थी कि उसका बेटा चोरी छिपे उसे ही देख रहे हैं उसके नंगे बदन को देख रहा है,,,।
Sugadha
अंकित को अपनी मां की हरकत बेहद लुभावनी लग रही थी उसका मन कर रहा था कि खुद जाकर अपने हाथों से अपनी मां के नंगे बदन पर साबुन लगाई उसकी बुर पर साबुन लगाकर जोर-जोर से रगड़े और अपने लंड को उसकी बुर में डालकर उसकी सारी गंदगी को बाहर निकाल दे,,,, और ऐसा सोचकर उसका मन कर रहा था किसी समय अपने पेंट में से अपने लंड को बाहर निकलना लेकिन ऐसा करने से वहां डर रहा था क्योंकि दोपहर का समय था उसकी मां की नजर उसके ऊपर कभी भी पड़ सकती थी,,, लेकिन फिर भी वह पेंट के ऊपर से अपने लंड को जोर-जोर से मसल रहा था दबा रहा था।,, अपनी बर पर साबुन रगड़ते रगड़ते सुगंधा की भी हालत खराब हो रही थी वह जानती थी कि उसका बेटा उसकी हरकत को देख रहा है मस्त हो रहा है इसलिए उसकी भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और वह देखते ही देखते हैं अपने ऊपर पानी डालकर अपनी बर के ऊपर से साबुन के झाग को एकदम से दूर कर दी उसकी करी गुलाबी पर एकदम साफ नजर आने लगी,,,।
अपनी मां की गुलाबी बुर देखकर अंकित का गला उत्तेजना के मारे सूखने लगा,,, उसकी सांसों की गति तेज होने लगी और फिर सुगंधा जानबूझकर अपनी दो उंगली को एक साथ अपनी बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगी और अपने पैर को उठाकर दीवार से टिका दी,,, अपने बेटे के सामने ऐसा हुआ जानबूझकर की थी वह अपने बेटे को दिखाना चाहती थी कि वह कितनी चुदवासी है उसे एक मर्द की जरूरत है और वह मर्द की कमी उसका बेटा ही पूरा कर सकता है,,,,,, सुगंधा की सांसें उपर नीचे हो रही थी वह मदहोश में जा रही थी उसकी दोनों उंगलियों बड़ी तेजी से बुर में अंदर बाहर हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई उसकी चुदाई कर रहा है वह अपनी गांड को भी गोल-गोल घूम रही थी अपनी उंगलियों के सहारे ही नचा रही थी यह सब देखकर अंकित कितने बदन में आग लग रहा था उसकी जवानी सुलग रही थी अगर इस समय वह अपनी मां के सामने चला जाता है और अपने लंड को बाहर निकाल कर उसकी बुर में डाल भी देता तो उसकी मां उसे कुछ नहीं कहती और उसे अपनी बाहों में भरकर खुद अपनी कमर आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर देती लेकिन इतना अंकित नहीं समझ पा रहा था,,,,।
इशारे ही इशारे में उसकी मां उसे आमंत्रण दे रही थी उसे अपनी तरफ बुला रही थी अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी उसे खुला निमंत्रण दे रही थी कि आ और मेरी प्यास बुझा दे लेकिन औरतों के इशारों को समझने में अंकित अभी नादान था बच्चा था वह इशारों को नहीं समझ पा रहा था इसीलिए वह भी अपने आप में झुलस रहा था,,,, क्योंकि वह भी चाहता था कि वह अपनी मां की चुदाई करें लेकिन आगे बढ़ने से डर रहा है और सुगंधा से की अपनी उंगली को पतवार बनाकर वासना के तूफान के पार निकल जाना चाहती थी,,,, लेकिन ऐसा हो पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था क्योंकि जितना वह इसमें से निकलने की कोशिश करती थी और भी ज्यादा इसमें डुबती चली जा रही थी और उसमें डूबने में भी उसे मजा आ रहा था,,,।
उंगलियों के सहारे सुगंधा अपने चरमसु पर पहुंच चुकी थी उसका बदन एकदम से अकड़ गया और उसकी बुर से बदन रस का फवारा फूट पड़ा और गहरी गहरी सांस लेने लगी वह अपने बेटे के सामने ही अपनी उंगली से झड़ रही थी आज इस तरह की हरकत करने में उसे और भी ज्यादा मजा आया था वह जानती थी उसका बेटा ठीक उसकी आंखों के सामने दीवाल की ओट में छिपकर उसे ही देख रहा है,,, और इसीलिए तो उसके आनंद मैं और भी ज्यादा बढ़ोतरी हो गई थी,,,। वह झड़ चुकी थी उसके वासना का तूफान शांत हो चुका था और वह फिर से नहाना शुरू कर दी थी,,, अब अंकित का वहां ठहरना ठीक नहीं था क्योंकि जो कुछ भी उसे देखना था वह देख लिया था और सीधा अपने कमरे में चला गया था और अपनी मां का इंतजार कर रहा था कि कब अपने कमरे में जाए क्योंकि अब यही सही मौका था अपनी मां को ब्रा पेंटी का गिफ्ट देने का,,,,।
थोड़ी देर में सुगंधा नहा चुकी थी और केवल टावल लपेटकर अपने कमरे में जाने लगी थी और अंकित को एहसास हो गया था कि उसकी मां अपने कमरे में जा रही इसलिए तुरंत अपने बैग में से पैकेट निकाल कर अपने कमरे से बाहर आ गया था और दरवाजे पर ही उसकी मुलाकात अपनी मां से हो गई थी और मुस्कुराते हुए अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला,,,,।
तुम्हारे लिए गिफ्ट है,,,।
(पैकेट को आगे बढ़ाते हुए बोला,,, और उसकी मां उसके पैकेट को देखने लगी वह अपने टॉवल को अपनी आधी चूचियों पर दबाकर लपेटी हुई थी उसकी आधी च एकदम साफ दिख रही थी और अंकित की नजर भी समय अपनी मां की चूचियों पर ही थी ना जाने ऐसा कौन सा आकर्षण होता है औरत के बदन में की मर्द चाहे जितनी बार देखे उसका मन भरता ही नहीं है क्योंकि अभी-अभी वह अपनी मां को पूरी तरह से नंगी ही देख चुका था और अपनी मां को अपनी बुर में उंगली करते हुए भी देख चुका था लेकिन फिर भी उसकी प्यास थी कि बुझने का नाम ही नहीं ले रही थी,,,, सुगंधा भी एक हाथ से टॉवल को थामे हुए दूसरे हाथ को आगे बढ़कर अपने बेटे के हाथ में से उस पैकेट को लेते हुए बोली,,,)
मेरे लिए गिफ्ट,,,!(सुगंधा पैकेट को हाथ में लेकर आश्चर्य जताते हुए बोली,,,,)
हां मम्मी तुम्हारे लिए,,,
लेकिन क्या है इसमें,,,?
खोल कर खुद ही देख लो,,,,,
अच्छा,,,,(इतना कहने के साथ ही सुगंध अपने कमरे में उसे पैकेट को लेकर प्रवेश कर गई और टॉवल पहने हुए ही वह बिस्तर पर बैठकर उसे पैकेट को खोलने लगी अंकित मर्यादा दिखाते हुए दरवाजे पर ही खड़ा हो गया था और वहीं से अपनी मां को देख रहा था जो कि इस समय टावल में बला की खूबसूरत लग रही थी,,, सुगंधा धीरे-धीरे उस पैकेट को खोलने लगी जो कि अंकित अपने ही हाथों से पैक किया था और देखते देखते वह पूरा पैकेट खोल दे और पैकेट के अंदर जो दिखाई दिया उसे देखकर खुशी से उसकी आंखें चौंधिया गई,,,)