अंकित अपने कमरे में अपने बिस्तर पर बैठा हुआ था और वह धीरे-धीरे अपने बैग को खोलकर उसने छुपी हुई वह किताब निकाल लिया था जो किताब उसे अपनी मां की अलमारी से मिली थी, किताब के मुख पृष्ठ ने उसका ध्यान पूरी तरह से अपनी तरफ आकर्षित कर लिया था,,,, अर्धनग्न और नग्न अवस्था में खड़ी औरत की तस्वीर देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां की अलमारी में इतनी अश्लील किताब थी जिसका बीच का पन्ना वह खोलकर एक लाइन पढ़ भी लिया था जिसे पढ़ते ही उसके बाद में झनझनाहट से फैलने लगी थी उसकी आंखों के आगे उत्तेजना के बदले घिरने लगे थे और वहां उससे ज्यादा पढ़ नहीं पाया था और किताब को बंद करके छुपा कर अपनी बैग में रखकर अपने काम के लिए निकल गया था,,,।
Sugandha ki masti apne bete k sath
रास्ते भर वह उसे किताब के बारे में मन ही मन सोच भी रहा था लेकिन रास्ते में उसके साथ से भी कहीं ज्यादा उत्तेजित कर देने वाली चीज उसके साथ थी और वह थी सुमन जो अपनी बातों से अपनी अश्लील हरकतों से उसे अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित करती चली जा रही थी और एक तरह से वह अपनी जवानी का उसे दीवाना बना ली थी,,,सुमन की हरकत सेवा पूरी तरह से वाकिफ तो हो ही चुका था उसकी हरकतों ने हीं तो उसे और भी ज्यादा उत्तेजना का एहसास दिलाया था वरना गोल गोल और कठोर दिखने वाली चुची अंदर से कितनी रुई की तरह नरम होती है यह उसे कहां मालूम था अगर सुमन उसे अपनी चूची दबाने के लिए ना बोलती तो शायद वह ईस एहसास से अनजान ही रहता,,,, नूपुर सुगंधा के बाद एक समान ही थी जो उसकी जवानी के लावे को पिघलाने मे लगी हुई थी इसलिए तो सुमन के प्रति भी उसका आकर्षण बना हुआ था,,,।
लेकिन इस समय वह अपने बिस्तर पर अपनी मां के अलमारी में पाए हुए स्टील किताब को अपने हाथ में लेकर अपनी मां के बारे में ही सोच रहा था और इस समय उसके आकर्षण का केंद्र बिंदु उसकी मा ही थी।
और जिस तरह के हालात उसके और उसकी मां के बीच बने थे उसे देखते हुए वह पूरी तरह से अपनी मां को छोड़ने के लिए ललाईत था लेकिन उसे चोदने का कोई रास्ता उसे नजर नहीं आ रहा था,,,, वैसे भी अपनी मां की कामुक हरकतों को देखकर वह पानी पानी हो गया था एक तो पहले सही सुगंधा के बदन की बनावट किसी स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा से काम नहीं थी बड़ी-बड़ी गोल चूचियां एकदम तनी हुई पतली कमर बदन पर चर्बी उतनी ही चिकनी जरूरत हो उतनी ही चढ़ी हुई थी और नितंबों का आकार एकदम से जान लेवा था अगर उसे कोई भी देखा तो बस देखता ही रहता था और सपनों में न जाने उसके साथ क्या-क्या कर गुजर कर अपनी जवानी की गर्मी को शांत करता था ऐसे में अंकित का अपनी मां की जवानी पर फिदा हो जाना कोई बड़ी बात नहीं थी उसकी जगह कोई और होता तो शायद अब तक वह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच पहुंचकर चुदाई का मजा लूट लिया होता,,,।
Apni ma ki peticoat utarta hua ankit
अंकित का दिल जोरो से धड़क रहा था वह धीरे से उसे किताब के पहले पन्ने को पलट दिया और पढ़ने लगा,,,, राहुल की मां अकेले ही अपने बेटे को पाल-पोसकर बड़ा की थी तकरीबन 10 साल पहले उसके पति का देहांत हो चुका था और इस दौरान उसका बेटा अब पूरा जवान हो चुका था,,, हट्टा कट्टा बदन का मालिक हो जाने पर राहुल पूरी तरह से औरतों और लड़कियों क्या आकर्षण का केंद्र बिंदु बन चुका था जिसमें उसकी मां भी बाकात नहीं थी,,, ऐसा राहुल की मां के साथ पहले कभी नहीं हुआ था लेकिन एक रात में अपने बेटे को देखने का नजरिया उसकी पूरी तरह से बदल चुका था जब उसने पहली बार अपने बेटे को खुले में पेशाब करते हुए देखी थी और वह भी घर के पीछे अनजाने में वह पीछे पहुंच चुकी थी और अपने बेटे को पेशाब करता हुआ देखकर पहले तो उसे कोई खास बात नहीं लगी लेकिन जैसे ही उसकी नजर अपने बेटे के लंड पर पड़ी वैसे ही उसके तो होश उड़ गए,,,।
अपने पति के देहांत के बाद से राहुल की मां अपनी जवानी को किसी गैर मर्द के आगे नहीं परोसी थी,, बरसों से अपनी जवानी को संभाल कर बरकरार रखी हुई थी इसीलिए इस उम्र में भी उसकी जवानी पूरी तरह से कड़क थी कहीं से भी ढीलापन नहीं था। उसकी,, खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाऊज़ और साड़ी के अंदर होने के बावजूद भी देखने वालों के होश उड़ा देती थी बड़ी-बड़ी गांड किसी का भी लंड खड़ा करने में सक्षम थी,,, ऐसा नहीं था कि मोहल्ले के लड़के और मर्द उसके पीछे ना पड़े हो बहुत से लोग उसके पीछे उसकी जवानी का स्वाद चखने के लिए दिन रात उसके पीछे हाथ धोकर पड़े रहते थे इन सबके बावजूद भी राहुल की मैन किसी को भी अपने करीब नहीं आने दी थी और अपने पति के देहांत के बाद अपनी ख्वाहिशों को अपने सीने में दफन कर चुकी थी,,,।
Ankit or uski ma
लेकिन उसे रात उसकी ख्वाहिशे फिर से उजागर हो गई एक बार फिर से उसे औरत होने का एहसास होने लगा जब वह अपने बेटे के खड़े लंड को देखी इसकी मोटाई उसकी लंबाई उसके होश उड़ा रही थी क्योंकि इतना मोटा और लंबा लंड उसने आज तक नहीं देखी थी ना ही उसके पति का इतना मोटा और लंबा था जितना वह देखी थी उससे आधा ही था,,, और फिर अपने बेटे से ही चुदवाने की इच्छा उसकी जागरूक होने लगी,,, पहले तो अपने ही ख्यालों पर उसे अपने आप पर गुस्सा आने लगा लेकिन दिन रात उसकी आंखों के सामने उसके बेटे का लहराता हुआ लंड सामने नजर आने लगता था जिससे वह अपने मन की मंशा को दबा नहीं पाई थी ,,,।
राहुल इन सब बातो से एकदम अनजान था वह अपनी मां को कभी भी गंदी नजर से नहीं देखा था लेकिन उसकी मां ही उसके प्रति गंदी नजर रखने लगी थी जिसका एहसास उसे तब हुआ जब उसकी आंखों के सामने ही उसकी मां कपड़े बदलने लगी अपने ब्लाउज पहनने लगी उतरने लगी क्योंकि ऐसा वह पहले कभी करती नहीं थी और एक बार तो हद हो गई थी वह घर के पीछे गुसलखाने में नहा रही थी और बिना कपड़ों के एकदम नंगी होकर और ऐसे हालात में भी वह अपने बेटे को आवाज देकर अपनी पीठ पर साबुन मलने के लिए बुलाई थी,,,।
Ankit k lund ko chaddhi k upar se sahlaati huyi sugandha
post pics
राहुल को बड़ा अजीब लगता था अपनी मां का व्यवहार देख कर लेकिन न जाने क्यों उसे अपनी मां का नंगा बदन देखकर अच्छा लगने लगा उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी और उसे भी मजा आने लगा लेकिन वह नहीं जानता था कि उसकी मां उसके साथ छुड़वाना चाहती है उसे ऐसा ही लगता था कि शायद यह सब सहज हो रहा है सामान्य तरीके से लेकिन यह बिल्कुल असामान्य था जिसे समझते समझते उसकी भी इच्छा एकदम प्रबलित होने लगी थी,,,, क्योंकि राहुल की मां इतनी मदहोश कर देने वाली जवानी की मालकिन थी कि उसके सामने अस्तव्यस्त हालत में कभी खाना बनाती थी तो कभी टीवी देखने बैठ जाती थी,,,, साड़ी घुटने तक चढ़ जाती थी और अपने बिस्तर पर वह पेट के बल लेटी थी और ऐसे में वह दोनों टांगों को ऊपर उठकर किसी किताब को पढ़ने की कोशिश करती थी जिसकी वजह से उसकी साड़ी उसकी जामुन तक आ जाती थी और उसकी मोंटी मोटी जांघें एकदम से उजागर हो जाती थी जिसे देखकर ना चाहते हुए भी राहुल का लंड खड़ा हो जाता था,,,,।
ऐसे ही राहुल की मां का अंग प्रदर्शन का सिलसिला आगे बढ़ता ही रहा और एक दिन बड़े जोरों की बारिश हो रही थी कच्चा मकान होने की वजह से जगह-जगह से पानी टपक रहा था और सोने की जगह न होने की वजह से राहुल की मां अंदर ही अंदर खुश होते हुए उसे अपनी बिस्तर पर सोने के लिए आमंत्रित कर दी लेकिन इससे पहले वह अपने बदन पर मालिश करवाना चाहती थी और मालिक के बहाने अपने बेटे को अपनी जवानी की झलक दिखाना चाहती थी और जाने अनजाने में उसकी मालिश करते हुए राहुल अपनी मां की रसीली बुर के दर्शन कर लिया जिसे देखते ही उसके चेहरे का रंग एकदम से बदलने लगा,,, आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था अपनी मां को कई बार नंगी देख चुका था लेकिन पहली बार वह अपनी मां की बुर को देख रहा था उसकी बनावट उसकी भूगोल पूरी तरह से उसको लुभा देने वाली थी,,,,
Apne bete k lund se khelti huyi sugandha
ऐसे क्या देख रहा है इस पर भी तेल लगाकर मालिश कर,,,,(अपनी मां के मुंह से इस तरह के शब्द सुनकर तो राहुल के होश एकदम से उड़ने लगे उसकी भी इच्छा जाग रही थी इसलिए अपनी मां की बात मानते हुए सरसों का तेल वह अपनी मां की बुर पर रखकर मालिश करने लगा और देखते ही देखते उत्तेजना के सागर में डूबने लगा उसकी मां अपनी हरकत को बढ़ाते हुए अपना हाथ आगे बढ़कर पेट में तने हुए उसके लंड को पकड़ने लगी बस फिर क्या था राहुल की मां अपने बेटे को अपनी जवानी का दीवाना बनाने में कामयाब हो चुकी थी,,, राहुल पहले तो अपनी मां की हरकत से थोड़ा परेशान हो रहा था वह ऐसा न करने को कह रहा था लेकिन उसकी मां इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी और उसे समझा बूझकर उसके भी कपड़े उतार कर उसे भी पूरी तरह से नंगा कर दी थी उसके मोटे तगड़े लड को देखकर वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाई और उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी बस फिर क्या था राहुल भी अपना आपा खो बैठा था लेकिन उसे संभोग की क्रिया की प्रक्रिया नहीं मालूम थी,,,,
लेकिन उसे रात को राहुल की मां उसे संभोग क्रिया में पूरी तरह से पारंगत कर दी थी हर तरीके से वह चुदाई का आनंद ली थी यहां तक की सुबह होते-होते राहुल अपने ही मन से अपनी मां को घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी चुदाई कर रहा था,,,,।
(क्या सब पढ़ते ही अंकित के तो होश उड़ गए वह कहानी पूरी तरह से मां बेटे के बीच की थी वह कहानी का पहला अध्याय पढ़ने के बाद पूरी तरह से होशो हवास को खो बैठा था और राहुल और उसकी मां की तरह वह अपनी और अपनी मां के बीच तुलना करने लगा था दोनों का जीवन एक जैसा ही था उसकी मां भी बरसों से प्यासी थी,,, राहुल की कहानी को पढ़कर अंकित राहुल से अपने आप की तुलना करने लगा था वह अच्छी तरह से समझ रहा था कि जिस तरह से राहुल के साथ हो रहा था वैसा ही तो उसके साथ भी हो रहा था उसकी मां भी तो उसके सामने कपड़े बदलने कपड़े उतारना नंगी होकर नहाना उसके सामने पेशाब करना इन सब तरह की हरकत कर रही थी,,,।
इस कहानी को पढ़कर अंकित समझ गया था कि उसकी मां पूरी तरह से चुदवासी है वर्षों से वह अकेले ही जीवन काट रही थी बिस्तर पर करवटें बदल रही थी लेकिन इस समय वह मर्द की जरूरत महसूस कर रही थी,,, ठीक राहुल की मां की तरह लेकिन अपने मुंह से बात कह नहीं पा रही थी कि उसे अपने बेटे का लंड लेना है,,,, अंकित पूरी तरह से मदहोश हो चुका था कहानी पढ़कर वह अपनी मां के बारे में सोचने लगा था और वह इस बारे में भी गौर करने लगा था कि इस तरह की मां बेटे के बीच की गंदी कहानी की किताब उसकी मां की अलमारी में क्या कर रही थी दूसरा कोई ओला नहीं सकता था उसकी मां ही इस तरह की किताब को खरीद कर लाई है और पढ़कर मजा ले रही है और इस कहानी को पढ़कर ही वह भी इस तरह की हरकत करते हुए शायद अपने ही बेटे से चुदवाना चाहती है ऐसा अपने मन में सोचते ही अंकित के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,, कहानी के माध्यम से उसे समझ में आना लगा की बहुत ही जल्द वह भी चुदाई का सुख भोग पाएगा वह भी बुर में लंड डाल पाएगा जिसके बारे में सोच सोच कर उसकी तड़प बढ़ती जा रही है,,,,।
धीरे-धीरे करके उसे किताब को पढ़ते पढ़ते तीन बज चुके थे और 3:00 बजाते हैं तक उसे किताब की मदहोशी में राहुल इस कदर खो गया की तीन बार मुठ मार चुका था और इस किताब के माध्यम से वह अपनी मां के मन में क्या चल रहा था वह पूरी तरह से समझ गया था वह समझ गया था कि उसकी मां लंड के लिए तड़प रही है और अपने ही बेटे के लंड को अपनी बुर में लेना चाहती है इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है अंकित के लिए वह बहुत खुश था,,, वह किताब को वापस अपने बैग में रखकर सोने की कोशिश करने लगा उसके ख्यालों में उसकी मां की जवानी पूरी तरह से छाई हुई थी और बार-बार राहुल और उसकी मां के बारे में सोच सोच कर वह अपने मन में कल्पना करने लगता था कि वह राहुल की तरह ही अपनी मां की चुदाई करेगा उसे पूरा सुख देगा उसे संतुष्ट कर देगा और ऐसा सोचते सोचते कब उसे नींद आ गई उसे भी पता नहीं चला,,,,।
सुबह जब उसकी मां किचन में खाना बना रही थी तो वह चोरी छिपे उस कीताब को छुपा कर अपनी मां के कमरे में ले गया और वापस उसी जगह पर रख दिया जहां से वह उस किताब को निकाला था,,,, किताब को लेकर उसके मन में बहुत सारी बातें आ रही थी वह अपने मन में इस बात को भी सोच रहा था कि इस किताब को अपनी मां के सामने रखकर उससे पूछे कि यह सब क्या है अगर मैं उसे चुदवाना चाहती है तो वह उसे चोदने के लिए तैयार है,,, लेकिन यह सब अंकित के मां का केवल खाली पुलाव था जो ख्यालों में ही पक सकता था हकीकत में उसे पकाना नामुमकिन था,, क्योंकि अपनी मां के सामने इस तरह की बात करने की हिम्मत अभी उसमे बिल्कुल भी नहीं थी वैसे एक औरत को चोदने की चाहत उसकी भी बढ़ती जा रही थी और वह इस इच्छा को अपने मन में दबाकर घुटन भी महसूस करता था लेकिन जो कुछ भी चल रहा था उसमें भी उसे बहुत मजा आ रहा था और वह इस खेल को चलने देना चाहता था,,,, इसलिए खामोश रहा,,,।
Blouse k upar se chuchi dabata hua ankit
खाना बनाते समय सुगंधा गाउन पहनी हुई थी जो कि वह अपनी गाउन को तृप्ति के कॉलेज जाने के बाद से ही इस तरह से लपेटकर बंधी हुई थी कि उसके नितंबों का आकार उस गाऊन में एकदम साफ नजर आता था और उसे पर नजर पड़ते ही अंकित के लंड की सुरसुराहट बढ़ने लगी,,,, वह दरवाजे पर एकदम से अपने हाथ बांधकर खड़ा हो गया और अपनी मां को मुस्कुरा कर देखने लगा तृप्ति जा चुकी थी इसलिए उसमें डर नहीं था क्योंकि जो कुछ भी कल हुआ था जिस तरह से वह अपनी मां को अपने हाथों से ब्रा और पेटी पहनाया था वह सब उसकी हिम्मत को और उसके हौसले को बढ़ा रहा था,,,, अंकित को इस तरह से अपनी तरफ मुस्कुराता हुआ देखकर सुगंधा भी उसकी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी सुगंध जानती थी कि इस समय उसका बेटा क्या देख रहा होगा वह जानती थी कि उसका बेटा इस समय उसकी गांड को प्यासी नजरों से देख रहा होगा इसलिए हल्के से किचन के फ्लोर पर झुक कर मुस्कुराते हुए बोली और जिसकी वजह से उसकी गांड का आकार और भी ज्यादा बाहर निकल गया,,,,)
ऐसे क्या देखकर मुस्कुरा रहा है,,,,?
मैं इसलिए मुस्कुरा रहा हूं कि तुम बहुत अच्छी लग रही हो,,,,।
मैं अच्छी लग रही हूं इसलिए मुस्कुरा रहा है,,,!(रोटी को तवे पर रखते हुए बोली)
ऐसी बात नहीं है खूबसूरत तो तुम हमेशा ही लगती हो लेकिन इस समय गाऊन में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही हो,,,।(अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देखते हुए बोला और सुगंधा भी तिरछी नजर से उसकी नजरों को पहचान रही थी कि इस समय वह क्या देख रहा है इसलिए हल्का सा थिरकन अपने नितम्बों में लाते हुए सुगंधा बोली,,,)
गर्मी में गाउन सुकून देता है इसलिए पहन ली और खाना बनाते समय कुछ ज्यादा ही गर्मी लगती है,,,।
लेकिन तुम्हारे ऊपर सब कुछ अच्छा लगता है,,,।
अच्छा तो तूने मेरे ऊपर सब कुछ देख लिया है,,,।
वैसे तो सब कुछ देख लिया हूं लेकिन कल बहुत कुछदेख लिया,,,(अंकित की यह बात सुनते हैं आंखों को नचाते हुए अंकित की तरह देखने लगी तो अंकित अपनी बात को संभालते हुए बोला,,,)
मेरा मतलब है कि तुम ब्रा पेंटी में भी बहुत खूबसूरत लगती हो,,,।
मैं इतनी खूबसूरत नहीं लगती थी उन कपड़ों में लेकिन तेरे द्वारा खरीद कर लाई गई ब्रा पेंटी कुछ ज्यादा ही अच्छी है,,,।
ब्रा पेंटी अच्छी नहीं है पहनने वाली अच्छी है इसलिए ब्रा पेंटी भी अच्छी लगने लगती है,,।
ओहहहह,,,, इशारों इशारों में तू मेरी खूबसूरती की तारीफ कर रहा है या मुझे बना रहा है,,,।
तुम्हें बनाकर क्या मिलेगा मैं तो हकीकत बता रहा हूं,,, मैंने जो देखा है अभी बता रहा हूं अगर उसे हालत में कोई और भी देखेगा तो यही कहेगा।
अच्छा तो,,तु यह चाहता है कि कोई और भी मुझे उसे हालत में देखें जिस हालत में तूने देखा था,,,।
बिल्कुल भी नहीं तुम्हें जो उसे हालत में देखेगा तो उसकी आंख नोच लूंगा,,,,।
ओहहहह,,,, क्या बात है मतलब उसे हाथ में सिर्फ तू ही मुझे देख सकता है और कोई नहीं,,,।
कोई भला क्यों देखेगा आखिरकार तुम मेरी मम्मी हो किसी और की थोड़ी हो जो तुम्हें इस हालत में देखेगा,,,,,।
( सुगंधा अपने बेटे की बात सुनकर मन ही मन खुश हो रही थी,,, क्योंकि उसकी आंखों में साफ़ दिखाई दे रहा था कि वह उसे उसे अवस्था में किसी और को देखने नहीं देना चाहता बस अपना ही सब कुछ देखना चाहता है और यही तड़प और यही चाहत तो सुगंधा अपने बेटे की आंखों में देखना चाहती थी जो कि उसे साफ दिखाई दे रहा था।,, सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी वह फूली हुई रोटी को चिमटे से पकड़कर उसे बर्तन में रखते हुए बोली,, )
अच्छा जहां तक मेरा मानना है कि तो पहली बार किसी औरत को अपने हाथों से ब्रा और पैंटी पहना रहा था,, क्या मेरा मानना सही है या इस तरह से तो किसी और को भी,,,(इतना कह कर वहां चुप हो गई और रोटी को फिर से तुम्हें पर रखकर उसे पकाने लगी और अंकित अपनी मां की बात सुनकर उत्साहित होता हुआ बोला ।।)
नहीं बिल्कुल भी नहीं कल मेरा पहला अनुभव था इसलिए तो मेरे पसीने छूट रहे थे,,,।
क्यों पसीने क्यों छूट रहे थे तेरे,,,!(अनजान बनने का नाटक करते हुए सुगंधा बोली ,,)
अरे,,,,,(इतना कहकर वह मुस्कुरा कर शर्माने लगा और यह देखकर सुगंधा का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि वह समझ रही थी कि उसका बेटा किस लिए इतना शर्मा रहा है इसलिए वह फिर से जोर देते हुए बोली,,)
क्या हुआ बताना पसीने क्यों छूट रहे थे तेरे,,,?
अब सामने इतनी खूबसूरत औरत और अभी बिना कपड़ों के एकदम नंगी खड़ी हो तो मेरे तो क्या किसी के भी पसीने छूट जाएंगे,,,।
ओहहहहह,,,, यह बात है क्या मैं सच में बहुत ज्यादा खूबसूरत हूं,,,,(तवे पर रखी हुई रोटी को अपने हाथ से पलटते हुए बोली,,,)
बहुत-बहुत बहुत ज्यादा पूरे मोहल्ले में इतनी खूबसूरत औरत कोई नहीं है और,,,,,,(इतना कहकर फिर से खामोश हो गया तो फिर से सुगंधा बोली)
फिर चुप हो गया बताना क्या,,,,?
मुझे तो शर्म आती है,,,।
अरे शर्माने की कौन सी बात है बता दे,,,, मैं कहां तुझे डांटने वाली हूं,,,,।
सच में डांटोगी तो नहीं,,,.
नहीं बिल्कुल भी नहीं तु बता तो सही,,,,।
ओहहहह मैं कह रहा था कि तुम खूबसूरत तो हो ही कपड़ों में मैं तुम्हें देखे आया हूं तुम बहुत खूबसूरत लगती हो लेकिन कल पहली बार बिना कपड़ों के तुम्हें देखा तो तुम सच में स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा की तरह दिख रही थी इतनी खूबसूरत औरत मैंने अपनी जिंदगी में यहां तक की फिल्मों में भी नहीं देखा हूं,,,।
(अपने बेटे के मुंह से अपने हुस्न की तारीफ सुनकर सुविधा गदगद हुए जा रही थी खास करके अपने नंगेपन की तारीफ सुनकर उसके तो होश उड़े जा रहे थे और वह भी अपने बेटे के मुंह से तो वह एकदम सातवें आसमान में उड़ने लगी थी,,, वह एकदम प्रसन्न होते हुए बोली,,,)
मुझे पहली बार बिना कपड़ों के देख रहा था,,,,।
हां पहली बार मैं तुम्हें बिना कपड़ों के देखा था,,,।
लेकिन अस्पताल में तो तू ही मेरी पेंटि उतारा था और बीमारी की हालत में तू ही मुझे नहलवाया था तब तुझे खूबसूरती नजर नहीं आई थी,,,।
तब तुम बीमार थी तब मेरी नजर में उसे तरह की तुम नहीं दिखाई दी हालांकि तुम खूबसूरत बहुत थी लेकिन उसे समय में इन सब के बारे में नहीं सोचा था लेकिन कल सच में मेरे होश उड़ गए थे और मुझे तो गर्व हो रहा है कि मेरी मां कितनी खूबसूरत है,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की लहर तो उठा ही रही थी वह मदहोश भी हो रही थी लेकिन किसी तरह से अपने आप को संभाले हुए थे अपने बेटे की बात से वह प्रसन्न भी हो रही थी और नंगी देखने वाली बात पर उसका मन कर रहा था कि कह दे कि उसने बहुत बार मुझे पेशाब करते हुए भी तो देखा है मेरी नंगी गांड को देखा है तब कैसा लग रहा था लेकिन वह ऐसा नहीं कह पाए क्योंकि जो कुछ भी उसका बेटा कह रहा था वह अभी पूरी तरह से आनंददायक था धीरे-धीरे उसे लग रहा था कि उसका बेटा लाइन पर आ रहा है जल्द ही उसकी ख्वाहिश पूरी होने वाली है और,,, सुगंधा और कुछ बोल पाती ईससे पहले अंकित अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
दो जोड़ी तुम ट्राई कर चुकी हो लेकिन एक जोड़ी ब्रा पैंटी अभी भी बाकी है कहो तो अभी पहना कर देख लु उसका साइज,,,,।
नहीं नहीं अभी बहुत देर हो रही है घड़ी तो देख तेरा भी समय हो रहा है और मुझे भी स्कूल जाना है,,,।
(किसकी बात है सुनकर सुगंधा अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करते हुए प्रसन्न हो रही थी क्योंकि उसका बेटा धीरे-धीरे हिम्मत दिखा रहा था लेकिन समय का अभाव होने की वजह से वह इस समय ऐसा कुछ भी नहीं कर सकती थी और घड़ी को देखकर अंकित को भी एहसास हुआ की बहुत देर हो गई है इसलिए जल्दी से नाश्ता करके वह भी बैग लेकर घर से निकल गया और उसके बाद सुगंध भी जल्दी-जल्दी तैयार होकर स्कूल की तरफ चल दी,,,,।)