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Congratulations for new story.bindas likho or story complete karnaUpdate 01
में अपनी बाइक ले कर रेल्वे स्टेशन पे आ गया...मौसम बहोत सुहाना हो रहा था रात की ठंडी हवा मुझे उत्तेजित करते हुए गुजर रही थी...दूर दूर तक बस हरियाली थी ना कोई घर न कुछ और...बस एक छोटा सा प्लेट फार्म जहा मुस्किल से दो तीन लोग थे...मेरी नजर तभी एक पति पत्नी के जोड़े पे गई... उन्हें देखते ही मुझे अपने जीवन में एक लड़की की कमी का अहसास होने लगा...मेरी नजर उन दोनो पे बार बार चली जाती... भाभी ने एक बैकलेस ब्लाउज पहना था और उस भाई के हाथ वही चल रहे थे.. भाभी का सर उसके पति के कंधे पे टिका हुआ था.. ट्रेन आते ही दोनो ने एक दूसरे की बाहों में खो गई.. भाभी रोने लगी थी...
भाई ने यहां मुझे अभी तक देखा नही होगा.. तभी वह अपनी पत्नी को बाहों में उठा के अपने होठ अपनी पत्नी के होठों से मिला लेता है और इसे चूम रहा था जैसे अब न जाने कब ऐसा अवसर आयेगा... मेरी नजर न चहते हुए भी भाभी की पतली कमर को निहार रही थी...मन ही मन में भी भाभी को अपनी बाहों में लेने के सपने देख रहा था... तभी ट्रेन रूक गई और वो आदमी अपनी बोगी में चला गया.. मैने देखा की वो रोने लगी थी..अब में उस और जाने लगा तब मुझे उस खूबसूरत भाभी के मुख के दर्शन हुए... उम्र में ज्यादा नहीं होगी...बस 20 19 साल की... गांव की लड़की का ऐसा रूप सौंदर्य देख में तो उसके सौंदर्य का दिवाना हो गया... तभी मुझे पीछे से आवाज आई..."अरे बेटा कहा देख रहा है में यह हू" ये आवाज में तोह में कभी भूल नहीं सकता...
में तुरत होस में आ गया और पीछे मुड़ कर देखा तो सामने मां थी...
मां को कुछ देर तो ने देखता ही रहा... बहोत आम सारी पहनी हुई....न कोई मेकअप न कुछ..एक दम घरेलू महिला.... गांव में खेतो में काम करने से रंग भी सवाल हो गया था... लेकिन मेरे लिए तो मां जैसे दुनियां की सब से अधिक खूबसूरत औरत थी और अगर हा ठीक से खुद पर काम करे मां के आगे 28 30 साल की जवान लड़कियां भी पानी कम ही थी... लेकिन मां तो मेरी एक दम गांव की औरत थी जिस के लिए ये सब करना तो जाने दो मां कभी सोचती भी नही थी... हा आज कल के भाभियां तो सब को नई नई साड़ी पहन के सब को लुभाती है लेकिन मां अलग थी...
हम बाते करते हुए बाहर निकल गई.. भाभी भी बाहर आई.. मां ने देखा की ये पूरा स्टेशन एक दम सुमसाम था..मां ने उस से पूछा "बेटी तुम अकेली ही जाओगी कोई लेने नही आ रहा." वो ये सुन जैसे हड़बड़ा गई...मां समझ गई और उसे अपने स्वभाव के मुताबिक़ जैसे तैसे मना ली की मेरी बाइक पे बैठ जाय...
में भी मां की हा में हा मिला रहा था आखिर में वो मान गई... अब एक बाइक पे तीन लोग.. हम जैसे तैसे बैठ गई..मां मेरे पीछे फिर वो...मेरा घर पहले ही आ गया..जो मेरी फैक्टरी के पास थोड़ी दूरी पे था...एक बड़ा सा खुला खेत और उस के चारो और पेड़ और एक कोने में घर दूर से तो पता ही नही चले की यह घर हे... आस पास दूर दूर तक कोई घर न था...
मां को घर पे उतार के अब में उसे उसके घर ले जा रहा था..हवा और ठंडी हो गई थी...गांव पे पक्की सड़क तो थी पर उसकी हालत तो क्या बोलू...हर बार भाभी मेरे से चिपक जाती... और उनकी एक और की चूची मेरी पीठ पे दब जाती..मुझे उनके जिस्म का ऐसा स्पर्श आज ही मिलेगा मेने सपने में भी न सोचा था... बाइक इतना हिल रहा था की उसने मजबूर होके मेरे कंधे को पकड़ लिया...मेरे लिए ये अहसास एक दम नया था ने मदहोश हो गया... तभी वो उसकी मीठी आवाज में बोली "यही रोक दीजिए" और वो बिना बात किए ही जाने लगी...मेने भी ज्यादा बात करना सही नहीं समझा... एक शादी सुदा लड़की मुझे इतनी रात उसके घर तक तो नही ले जायेगी में समझ रहा था...
घर आते ही में मां को आवाज दी..."मां मां कहा हो" में स्टेशन पे मां को आलिंगन भी नही दे पाया था क्यू की में खुले में इस प्यार नही कर जता पाता था...
मां की मीठी आवाज आई.."आई मेरे बच्चे" और सामने मां गीले बाल लिए पेटिकोट ब्लाउज में ही बाथरूम से बाहर आ गए...
To be continued.....
Update 01
में अपनी बाइक ले कर रेल्वे स्टेशन पे आ गया...मौसम बहोत सुहाना हो रहा था रात की ठंडी हवा मुझे उत्तेजित करते हुए गुजर रही थी...दूर दूर तक बस हरियाली थी ना कोई घर न कुछ और...बस एक छोटा सा प्लेट फार्म जहा मुस्किल से दो तीन लोग थे...मेरी नजर तभी एक पति पत्नी के जोड़े पे गई... उन्हें देखते ही मुझे अपने जीवन में एक लड़की की कमी का अहसास होने लगा...मेरी नजर उन दोनो पे बार बार चली जाती... भाभी ने एक बैकलेस ब्लाउज पहना था और उस भाई के हाथ वही चल रहे थे.. भाभी का सर उसके पति के कंधे पे टिका हुआ था.. ट्रेन आते ही दोनो ने एक दूसरे की बाहों में खो गई.. भाभी रोने लगी थी...
भाई ने यहां मुझे अभी तक देखा नही होगा.. तभी वह अपनी पत्नी को बाहों में उठा के अपने होठ अपनी पत्नी के होठों से मिला लेता है और इसे चूम रहा था जैसे अब न जाने कब ऐसा अवसर आयेगा... मेरी नजर न चहते हुए भी भाभी की पतली कमर को निहार रही थी...मन ही मन में भी भाभी को अपनी बाहों में लेने के सपने देख रहा था... तभी ट्रेन रूक गई और वो आदमी अपनी बोगी में चला गया.. मैने देखा की वो रोने लगी थी..अब में उस और जाने लगा तब मुझे उस खूबसूरत भाभी के मुख के दर्शन हुए... उम्र में ज्यादा नहीं होगी...बस 20 19 साल की... गांव की लड़की का ऐसा रूप सौंदर्य देख में तो उसके सौंदर्य का दिवाना हो गया... तभी मुझे पीछे से आवाज आई..."अरे बेटा कहा देख रहा है में यह हू" ये आवाज में तोह में कभी भूल नहीं सकता...
में तुरत होस में आ गया और पीछे मुड़ कर देखा तो सामने मां थी...
मां को कुछ देर तो ने देखता ही रहा... बहोत आम सारी पहनी हुई....न कोई मेकअप न कुछ..एक दम घरेलू महिला.... गांव में खेतो में काम करने से रंग भी सवाल हो गया था... लेकिन मेरे लिए तो मां जैसे दुनियां की सब से अधिक खूबसूरत औरत थी और अगर हा ठीक से खुद पर काम करे मां के आगे 28 30 साल की जवान लड़कियां भी पानी कम ही थी... लेकिन मां तो मेरी एक दम गांव की औरत थी जिस के लिए ये सब करना तो जाने दो मां कभी सोचती भी नही थी... हा आज कल के भाभियां तो सब को नई नई साड़ी पहन के सब को लुभाती है लेकिन मां अलग थी...
हम बाते करते हुए बाहर निकल गई.. भाभी भी बाहर आई.. मां ने देखा की ये पूरा स्टेशन एक दम सुमसाम था..मां ने उस से पूछा "बेटी तुम अकेली ही जाओगी कोई लेने नही आ रहा." वो ये सुन जैसे हड़बड़ा गई...मां समझ गई और उसे अपने स्वभाव के मुताबिक़ जैसे तैसे मना ली की मेरी बाइक पे बैठ जाय...
में भी मां की हा में हा मिला रहा था आखिर में वो मान गई... अब एक बाइक पे तीन लोग.. हम जैसे तैसे बैठ गई..मां मेरे पीछे फिर वो...मेरा घर पहले ही आ गया..जो मेरी फैक्टरी के पास थोड़ी दूरी पे था...एक बड़ा सा खुला खेत और उस के चारो और पेड़ और एक कोने में घर दूर से तो पता ही नही चले की यह घर हे... आस पास दूर दूर तक कोई घर न था...
मां को घर पे उतार के अब में उसे उसके घर ले जा रहा था..हवा और ठंडी हो गई थी...गांव पे पक्की सड़क तो थी पर उसकी हालत तो क्या बोलू...हर बार भाभी मेरे से चिपक जाती... और उनकी एक और की चूची मेरी पीठ पे दब जाती..मुझे उनके जिस्म का ऐसा स्पर्श आज ही मिलेगा मेने सपने में भी न सोचा था... बाइक इतना हिल रहा था की उसने मजबूर होके मेरे कंधे को पकड़ लिया...मेरे लिए ये अहसास एक दम नया था ने मदहोश हो गया... तभी वो उसकी मीठी आवाज में बोली "यही रोक दीजिए" और वो बिना बात किए ही जाने लगी...मेने भी ज्यादा बात करना सही नहीं समझा... एक शादी सुदा लड़की मुझे इतनी रात उसके घर तक तो नही ले जायेगी में समझ रहा था...
घर आते ही में मां को आवाज दी..."मां मां कहा हो" में स्टेशन पे मां को आलिंगन भी नही दे पाया था क्यू की में खुले में इस प्यार नही कर जता पाता था...
मां की मीठी आवाज आई.."आई मेरे बच्चे" और सामने मां गीले बाल लिए पेटिकोट ब्लाउज में ही बाथरूम से बाहर आ गए...
To be continued.....
Awesome, fantastic update bhaiUpdate 01
में अपनी बाइक ले कर रेल्वे स्टेशन पे आ गया...मौसम बहोत सुहाना हो रहा था रात की ठंडी हवा मुझे उत्तेजित करते हुए गुजर रही थी...दूर दूर तक बस हरियाली थी ना कोई घर न कुछ और...बस एक छोटा सा प्लेट फार्म जहा मुस्किल से दो तीन लोग थे...मेरी नजर तभी एक पति पत्नी के जोड़े पे गई... उन्हें देखते ही मुझे अपने जीवन में एक लड़की की कमी का अहसास होने लगा...मेरी नजर उन दोनो पे बार बार चली जाती... भाभी ने एक बैकलेस ब्लाउज पहना था और उस भाई के हाथ वही चल रहे थे.. भाभी का सर उसके पति के कंधे पे टिका हुआ था.. ट्रेन आते ही दोनो ने एक दूसरे की बाहों में खो गई.. भाभी रोने लगी थी...
भाई ने यहां मुझे अभी तक देखा नही होगा.. तभी वह अपनी पत्नी को बाहों में उठा के अपने होठ अपनी पत्नी के होठों से मिला लेता है और इसे चूम रहा था जैसे अब न जाने कब ऐसा अवसर आयेगा... मेरी नजर न चहते हुए भी भाभी की पतली कमर को निहार रही थी...मन ही मन में भी भाभी को अपनी बाहों में लेने के सपने देख रहा था... तभी ट्रेन रूक गई और वो आदमी अपनी बोगी में चला गया.. मैने देखा की वो रोने लगी थी..अब में उस और जाने लगा तब मुझे उस खूबसूरत भाभी के मुख के दर्शन हुए... उम्र में ज्यादा नहीं होगी...बस 20 19 साल की... गांव की लड़की का ऐसा रूप सौंदर्य देख में तो उसके सौंदर्य का दिवाना हो गया... तभी मुझे पीछे से आवाज आई..."अरे बेटा कहा देख रहा है में यह हू" ये आवाज में तोह में कभी भूल नहीं सकता...
में तुरत होस में आ गया और पीछे मुड़ कर देखा तो सामने मां थी...
मां को कुछ देर तो ने देखता ही रहा... बहोत आम सारी पहनी हुई....न कोई मेकअप न कुछ..एक दम घरेलू महिला.... गांव में खेतो में काम करने से रंग भी सवाल हो गया था... लेकिन मेरे लिए तो मां जैसे दुनियां की सब से अधिक खूबसूरत औरत थी और अगर हा ठीक से खुद पर काम करे मां के आगे 28 30 साल की जवान लड़कियां भी पानी कम ही थी... लेकिन मां तो मेरी एक दम गांव की औरत थी जिस के लिए ये सब करना तो जाने दो मां कभी सोचती भी नही थी... हा आज कल के भाभियां तो सब को नई नई साड़ी पहन के सब को लुभाती है लेकिन मां अलग थी...
हम बाते करते हुए बाहर निकल गई.. भाभी भी बाहर आई.. मां ने देखा की ये पूरा स्टेशन एक दम सुमसाम था..मां ने उस से पूछा "बेटी तुम अकेली ही जाओगी कोई लेने नही आ रहा." वो ये सुन जैसे हड़बड़ा गई...मां समझ गई और उसे अपने स्वभाव के मुताबिक़ जैसे तैसे मना ली की मेरी बाइक पे बैठ जाय...
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मां को घर पे उतार के अब में उसे उसके घर ले जा रहा था..हवा और ठंडी हो गई थी...गांव पे पक्की सड़क तो थी पर उसकी हालत तो क्या बोलू...हर बार भाभी मेरे से चिपक जाती... और उनकी एक और की चूची मेरी पीठ पे दब जाती..मुझे उनके जिस्म का ऐसा स्पर्श आज ही मिलेगा मेने सपने में भी न सोचा था... बाइक इतना हिल रहा था की उसने मजबूर होके मेरे कंधे को पकड़ लिया...मेरे लिए ये अहसास एक दम नया था ने मदहोश हो गया... तभी वो उसकी मीठी आवाज में बोली "यही रोक दीजिए" और वो बिना बात किए ही जाने लगी...मेने भी ज्यादा बात करना सही नहीं समझा... एक शादी सुदा लड़की मुझे इतनी रात उसके घर तक तो नही ले जायेगी में समझ रहा था...
घर आते ही में मां को आवाज दी..."मां मां कहा हो" में स्टेशन पे मां को आलिंगन भी नही दे पाया था क्यू की में खुले में इस प्यार नही कर जता पाता था...
मां की मीठी आवाज आई.."आई मेरे बच्चे" और सामने मां गीले बाल लिए पेटिकोट ब्लाउज में ही बाथरूम से बाहर आ गए...
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