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Incest मुझे हक है…...

Premkumar65

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Update 03

मां सुबह जल्दी उठ घर के काम में लग गई...में उठा रह तक मां ने चाय नाश्ता बना के रख दिया था...में मां की आदत जनता था..घर में पक्का बाथरूम बना दिया था लेकिन मां तभी जल्दी उठ के घर के पीछे बने बगीचे में अर्ध नंगी खुले आसमान के नीचे नहाती थी...उन्हे बंद कमरे में नहाने में जैसे घुटन होती थी...हिला बदन खुले बाल... पैंटी उतार के.. ब्लाउज खोल के.. अपना पेटीकोट ऊपर कर अपने दो भारी भरकम उरोज छुपाती और और अपनी मखन jesi टांगे चौड़ी कर बैठ रगड़ के नहाती...

में मां से पूछा "मां नहा ली" मां बोली "हा बेटा , चल नाश्ता कर ले"

में से बोला "मां तुम पीछे खुले में नहा सकती हो यहां कोई आता जाता नही सिर्फ हम दो है" मां मेरी बात सुनकर थोड़ा चोक गई और हैरानी से बोली "क्या बोल रहा है तु बेटा में बाहर नही नहा सकती"

में मां के करीब जाके उनको अपनी और खींच के उनकी कमर पे हाथ डाल अपनी और कर के बोला...(मां की आखें जैसे हैरानी से पूछ रही थी बेटा क्या तूने मुझे नहाते हुए देखता था और में सोचती थी की तू सोता रहता है)...
"मां इतना क्यों शरमा रही हो यहां कोई नहीं आने वाला.. तुम जैसे गांव में नहाती थी वैसे खुल के नहा सकती हो.."

मां की कमर पे मेरे हाथ चल रहे थे..मां की मुलायम कमर मुझे उत्तेजित कर रही थी...मेने मां को धीरे से उनकी गर्दन पे चूम लिया...मां पानी पानी हो गई...लेकिन कुच बोले बिना ही खड़ी रही और मुझे हटाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली "बेटा वो सब ठीक ही लेकिन अभी तो हट जा काम करने दे और ऑफ़िस नही जाना तूझे"

में उसके बाद ऑफिस यानी फैक्ट्री के लिए निकल गया..मां पूरा दिन सोच में डूबी रही की उसका बेटा न जाने कब से उसे नहाते हुए देख रहा है और अब वो फिर से उसे वही रूप में देखने के लिए उतावला हो रहा है.. मां को इतना प्यार नहीं मिला था उसके जिस्म से इस सालो से कोई खेला नही था मां पुरा दिन बिस्तर में मचल रही थी..मां का जिस्म उन्हें चीख चीख के बोल रहा था कि उसे किसी को बाहों में बस जाना है किसी मर्द के गर्म जिस्म से अपनी सालो पुरानी आग मिटानी है लेकिन मां थी एक पतिव्रता स्त्री वो अपने जिस्म की भूख को दबा देती है...

में फैक्ट्री में गया तो पता चला कि बड़े साब आज नही आई है और मुझे उनके दस्तखत लेने थे तो में उनकी हवेली की और जाने लगा... में वहा गया तो पता चला कि वो अपनी पत्नी के साथ दूसरी हवेली पे गई है..में वहा के लिए निकल गया.. गेट पे मुझे रोक लिया गया...ये हवली जंगल के पास थी... यहां सिर्फ एक बुढा आदमी था..वो पहले उदर गया और वापस आके बोला आप जा सकते है...

में गया तो सामने एक खूबसूरत औरत थी..उसके जिस्म भरा फुला जिस्म देख मेरा तो बुरा हाल हो गया... बैकलेस ब्लाउज और उसकी काली आखें और बाहर आने को से दिख रहा गोरा रंग मुझे ललचा रहा था की...वो बोली..

"अच्छा तुम हो सूरज.. बाहोत तारीफ सुनी थी आज मिल लिया बैठो मुखी जी आते होंगे.. कुछ लोगे.." उनकी आवाज में एक कामुक स्वर था..उनकी कामुक आवाज से में और अधिक हड़बड़ा गया..और वो समझ गई कि में उनके पूरे जिस्म को बिहार रहा हु और इस से वो और करीब आने लगी...वो मेरे पास आके बैठी...उनकी गोरी कमर जैसे बस दूध से अधिक सफेद और बाल तो जैसे कभी आई ही नहीं हो वैसे हाथ पैर...

images


वो मुझे जैसे छेड़ रही थी मुझ से बाते करते हुए मुझे यह वहा छू लेती और खुद के जिस्म को और अधिक मेरी आखों के आगे खोल रही थी...

शाक्षी – तुम इतना डर क्यों रहे हो लगता है पहली बार कैसी खूबसूरत औरत को देखा हे...

में – (आस पास देख के थोड़ी हिम्मत कर ) जी आप नहीं आप को कोई गलत फेकी हो रही है...

शाक्षी – तो मुझे इतना घूर क्यू रहे हो... क्या मेरा ब्लाउज सही नही..( और वो मुझे उनकी नंगी पीठ दिखाने लगी.)

में अपने आप पर बहोत कंट्रोल कर रहा था की अचानक ही बड़े साहब चिल्ला के बोले.. अअह्ह्ह फिर से नही... शाक्षी शाक्षी....

वो ऊपर चली गई.... शाक्षी मालकिन मेरी मां की उम्र की थी और मालिक मेरे पापा जितने... वीरेंद्र जी नीचे आई थोड़ी देर में लेकिन उन के आने से पहले एक प्यारी सी पायल की चम चम की आवाज के साथ कोई उनके कमरे से निकल के दूसरे कमरे में गया... मेने उनके दस्तखत किए और जाने लगा...

जाते हुए मेरी नजर हवेली की खिड़की पे गई एक प्यारी सी लड़की वहा खड़ी थी...मुझे लगा जैसे मेने उसे कही देखा हे..18 साल से अधिक वो नही थी.. मुझे वो ठीक से नही दिख रही थी...

में काम खतम कर.. मोगरे के फूल लिए घर निकल गया...

To be continued.....
wonderful update.
 

Mister Surajkumar

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Update 04


मे आज काम मालिक के वहा का काम कर के सीधा घर के लिए निकल गया... साम हो गई थी... गजरा हाथ में लिए में
घर का बाहर का गेट खोल के अन्दर आया...

आंगन में ही मां का गांव वाला रूप देख में हैरान हो गया...मुझे नहीं लगा था मां इतना जल्दी यहां पे इसे खुल के रहेगी... लेकिन मां को भी लगता है समझ आ गया था की उसके बेटे ने उसके लिए इस घर पसंद किया था की उसे कोई देखने वाला नही होगा...

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मां आंगन में बैठी थी...क्या हसीन पल था वो...बेटे के इंतजार में मां बैठी हुई.. मां ने टांगे फैला के पेटीकोट ऊपर किया हुआ था जिस से उसके मखमले पाव मुझे साफ दिख रहे थे उमर के साथ उसके कसे हुए जिस्म का आकार और बढ़ रहा था... पैरो पे एक बाल नहीं था...

मैने मां को देख गहरी आस ली और उसके पास जाके बैठ गया...और उसे अपनी बाहों में कस लिया...मेरे पैरो से मां के मखमली त्वचा को सहलाने लगा... हाथ धीरे से मां की कुमार पे रख उसे भी ओवर दे रहा था...

मां – बेटा जल्दी आ गया...

में – मां तेरी याद बहोत आई तो आ गया...मेरी मां को कोई दिक्कत तोह नही हुए आज...

मां – बड़ा आया.. एक काम तो खुद से होता नही...पूरा घर साफ किया आज...

में – (गाल को यह के) मेरी प्यारी मां तुम ही माना करोगी नही तो एक कामवाली रख लूं....

मां – देख बेटा कामवाली कभी नही रखनी चाइए तेरे भले के लिए ही मना करती हु..

में – रख लेने देना फिर तूजे बस आराम करना है...

मां – और फिर सारा दिन में क्या करुंगी... में हुना और में न हो तभी मत रखना... उनकी नियत कैसी हो क्या पता...

में – अरे मेरी भोली मां यहां ऐसा क्या है जो वो चुरा लेगी...

मां – बेटा तुने अभी दुनिया नही देखी...बात चोरी की नही... तू अच्छा कमाता है...भोला है.. कही तुझे अपनी जाल में फसा लिया तो....(मां को डर था कि कोई अश्लिन औरत मुझे उसके पुअर में न फसा ले और ऐसा मां इस लिए सोचती थी कि क्यों की में मां की और बहोत आकर्षित हो जाता था तो मां को लगता था की मुझे कोई भी लड़की इस उल्लू बना लेगी अपनी खूबसूरती में)

में मां की चिंता समझ रहा था....और मां को और अधिक परेशान करना चाहता था....

में – अरे मां में ज्यादा से ज्यादा क्या होगा अच्छी लड़की मिली तो शादी कर लूंगा...तेरा काम भी आसान हो जाएगा..

मां – चुप पागल एक कामवाली से शादी करेगा...तेरे लिए कितनी अच्छी अच्छी सोने जैसी लड़की देख रखी है...

में – मां मुझे सोने जैसी नही मुझे मेरी मां जैसी खुबसूरती और प्यारी सुशील लड़की चाइये...(और मैने मां की आंखो में आखें मिला के देखता रहा हम इतना करीब थे की होठ से होठ मिल जाने में बस दो उंगली की जगा होगी)

मां को मेरी पकड़ से कोई एतराज़ नहीं हुआ... वो खुल के बाते करती रही और मेरे हाथ आ मां की कमर से ऊपर होते हुए उसकी ब्लाउज की किनारे को पकड़ के खेल रहे थे...
मां इस से थोड़ा दूर होने के लिए कोसिस की लेकिन हो नई पाई... में ब्लाउस के किनारे से एक उंगली भी डाल रहा था जिस में मां और तड़प गई...मेरी हिम्मत देख मां हैरान थी...
लिकन में अभी तक उनकी चूची को चुने से बच रहा था...

मां – तू न बहोत बोल रहा है...में कहा तुझे अच्छी लगने लगी अब... तू मिल तो सही एक बार लड़की से फिर माना नही कर पायेगा....

में – मुझे तो यही लड़की चाइए जो अभी मेरी बाहों में हे...पता ही इस का नाम...मेरी लीलावती...मां इस के आगे तो अप्सरा भी आ जाय तो मना कर दू...(में दिल की बात बोल दी.) और धीरे से गजरा मां की छोटी में सजा दिया...

मां अब कुछ बोल पाए इसी हालत में नहीं थी...

मां इतना प्यार बरादस्त नहीं कर पाई और मुझे थक्का दे कर घर में चली गई...और के जा रही मां की खूसबूरत पीठ देख मन में सोचने लगा की मां इसे साधरण ब्लाउज के काम देवी से कम नहीं लगती तो बैकलेस या स्लेवलेस ब्लाउज पहन लेगी तो मेरा की हाल करेगी....

नजारा कुछ ऐसा था दोस्तो खुद देख के सोचो मेरी क्या हालात होगी मां को इस देख...

Anasuya-bharadwaj-telugu-anchor-rangasthalam-S1-8-hd-caps-saree.jpg



To be continued....
 

Delta101

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Update 04


मे आज काम मालिक के वहा का काम कर के सीधा घर के लिए निकल गया... साम हो गई थी... गजरा हाथ में लिए में
घर का बाहर का गेट खोल के अन्दर आया...

आंगन में ही मां का गांव वाला रूप देख में हैरान हो गया...मुझे नहीं लगा था मां इतना जल्दी यहां पे इसे खुल के रहेगी... लेकिन मां को भी लगता है समझ आ गया था की उसके बेटे ने उसके लिए इस घर पसंद किया था की उसे कोई देखने वाला नही होगा...

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मां आंगन में बैठी थी...क्या हसीन पल था वो...बेटे के इंतजार में मां बैठी हुई.. मां ने टांगे फैला के पेटीकोट ऊपर किया हुआ था जिस से उसके मखमले पाव मुझे साफ दिख रहे थे उमर के साथ उसके कसे हुए जिस्म का आकार और बढ़ रहा था... पैरो पे एक बाल नहीं था...

मैने मां को देख गहरी आस ली और उसके पास जाके बैठ गया...और उसे अपनी बाहों में कस लिया...मेरे पैरो से मां के मखमली त्वचा को सहलाने लगा... हाथ धीरे से मां की कुमार पे रख उसे भी ओवर दे रहा था...

मां – बेटा जल्दी आ गया...

में – मां तेरी याद बहोत आई तो आ गया...मेरी मां को कोई दिक्कत तोह नही हुए आज...

मां – बड़ा आया.. एक काम तो खुद से होता नही...पूरा घर साफ किया आज...

में – (गाल को यह के) मेरी प्यारी मां तुम ही माना करोगी नही तो एक कामवाली रख लूं....

मां – देख बेटा कामवाली कभी नही रखनी चाइए तेरे भले के लिए ही मना करती हु..

में – रख लेने देना फिर तूजे बस आराम करना है...

मां – और फिर सारा दिन में क्या करुंगी... में हुना और में न हो तभी मत रखना... उनकी नियत कैसी हो क्या पता...

में – अरे मेरी भोली मां यहां ऐसा क्या है जो वो चुरा लेगी...

मां – बेटा तुने अभी दुनिया नही देखी...बात चोरी की नही... तू अच्छा कमाता है...भोला है.. कही तुझे अपनी जाल में फसा लिया तो....(मां को डर था कि कोई अश्लिन औरत मुझे उसके पुअर में न फसा ले और ऐसा मां इस लिए सोचती थी कि क्यों की में मां की और बहोत आकर्षित हो जाता था तो मां को लगता था की मुझे कोई भी लड़की इस उल्लू बना लेगी अपनी खूबसूरती में)

में मां की चिंता समझ रहा था....और मां को और अधिक परेशान करना चाहता था....

में – अरे मां में ज्यादा से ज्यादा क्या होगा अच्छी लड़की मिली तो शादी कर लूंगा...तेरा काम भी आसान हो जाएगा..

मां – चुप पागल एक कामवाली से शादी करेगा...तेरे लिए कितनी अच्छी अच्छी सोने जैसी लड़की देख रखी है...

में – मां मुझे सोने जैसी नही मुझे मेरी मां जैसी खुबसूरती और प्यारी सुशील लड़की चाइये...(और मैने मां की आंखो में आखें मिला के देखता रहा हम इतना करीब थे की होठ से होठ मिल जाने में बस दो उंगली की जगा होगी)

मां को मेरी पकड़ से कोई एतराज़ नहीं हुआ... वो खुल के बाते करती रही और मेरे हाथ आ मां की कमर से ऊपर होते हुए उसकी ब्लाउज की किनारे को पकड़ के खेल रहे थे...
मां इस से थोड़ा दूर होने के लिए कोसिस की लेकिन हो नई पाई... में ब्लाउस के किनारे से एक उंगली भी डाल रहा था जिस में मां और तड़प गई...मेरी हिम्मत देख मां हैरान थी...
लिकन में अभी तक उनकी चूची को चुने से बच रहा था...

मां – तू न बहोत बोल रहा है...में कहा तुझे अच्छी लगने लगी अब... तू मिल तो सही एक बार लड़की से फिर माना नही कर पायेगा....

में – मुझे तो यही लड़की चाइए जो अभी मेरी बाहों में हे...पता ही इस का नाम...मेरी लीलावती...मां इस के आगे तो अप्सरा भी आ जाय तो मना कर दू...(में दिल की बात बोल दी.) और धीरे से गजरा मां की छोटी में सजा दिया...

मां अब कुछ बोल पाए इसी हालत में नहीं थी...

मां इतना प्यार बरादस्त नहीं कर पाई और मुझे थक्का दे कर घर में चली गई...और के जा रही मां की खूसबूरत पीठ देख मन में सोचने लगा की मां इसे साधरण ब्लाउज के काम देवी से कम नहीं लगती तो बैकलेस या स्लेवलेस ब्लाउज पहन लेगी तो मेरा की हाल करेगी....

नजारा कुछ ऐसा था दोस्तो खुद देख के सोचो मेरी क्या हालात होगी मां को इस देख...

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To be continued....
nice update
 
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Bhai lund khada hote hi Beth gya, bhai lamba update to do bas aapse hi ummeed h is kahani se umeed h mast story h ekant me maa beta thukai karenge Haye maja aa jayega
 

Kumarshiva

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Kataii jahar likh rahe ho brother
Waiting for next update
lilawati maa ke muh se"मेरा बच्चा"sunana
char chand lga deta hai
seducing time ye word "mera bachcha" bahut hi kamuk lagta hai
 
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