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इस द्वीप पर मैंने बस एक ही रात गुजारी है लेकिन इतने कम वक्त में हमारे साथ ऐसे ऐसे वाकिए हो गए की अब कुछ समझ में नहीं आ रहा.....में यहां आया तो था कुछ रिसर्च करने के लिए लेकिन रिसर्च तो दूर मैं अपनी लेब भी अच्छे से देख नहीं पाया और अब ये पीटर की आफत ....ना जाने मुझ से कोनसा डिवाइस बनवा लिया न जाने अब और कौनसी नई आफत अपने पैर पसारने की तैयारी कर रही है ....पीटर ने जो लोकेशन कोर्डिनेट मुझे दिए वह बिल्कुल वही कॉर्डिनेट्स थे जो मुझे समंदर के किनारे एक बॉटल मैं मिले थे ....आखिर क्या रहस्य है इस लोकेशन का ?? ...अगर मुझे इस रहस्य से पर्दा उठाना है तो मुझे अब इस लोकेशन पे जाना ही होगा...।
**""क्या हुआ राज क्या सोच रहे हो ?? कहीं तुम्हे मुझ पर अभी भी कोई संदेह तो नही की काम हो जाने के बाद भी में तुम्हारे परिवार को आजाद नही करूंगा...""**
पीटर की आवाज सुन मैं अपने ख्यालों से बाहर निकला...
"" नही पीटर ऐसा कुछ नही है....में बस ये सोच रहा था की जल्दी से जल्दी तुम्हारे काम को अंजाम दे दूं ताकि मैं अपनी रिसर्च का काम निपटा सकूं ...वैसे मेरे मन में एक सवाल और भी था की तुम्हे इसी लोकेशन पे ये डिवाइस क्यों इंस्टॉल करवाना है और ये डिवाइस इंस्टॉल करवाके तुम आखिर करोगे क्या...??""
पीटर ने मेरे सवाल का बड़ी सहजता के साथ जवाब दिया....
**"" में क्या करूंगा ये तो अभी मैं भी नही जानता और मैंने ये लोकेशन क्यों सेलेक्ट करी है उसकी वजह बस इतनी है की यहां इस डिवाइस को चलाने के लिए ऊर्जा काफी है ....एक बात बताना चाहूंगा तुम्हे की जब तुम ये डिवाइस एक्टिवेट कर दोगे तो मैं इस जगह को छोड़ के उसी लोकेशन पे पहुंच जाऊंगा जहां तुम ये डिवाइस लगाओगे और मेरे जाते ही यहां का सिक्योरिटी सिस्टम पहले की तरह हो जाएगा...अब तुम्हे देर न करते हुए अपने काम में लग जाना चाहिए ...।""**
**ठीक है पीटर ...एक बार मैं मेरी मां से मिल लूं उसके बाद तुम्हारे काम के लिए निकल जाऊंगा ।""
पीटर से बस इतना कह मैं तुरंत मां के रूम की तरफ लपका और मेरे साथ प्रिया भी....
मां के दोनो स्तनों के मध्य एक हल्की सी खरोच आई थी जिस वजह से मां का खून बह निकला था ....अंदर घुसते ही सबसे पहली नजर मेरी उसी जगह पड़ी जहां मां को चोट लगी थी लेकिन नेहा ने वहां एक बैंडेज लगा दी थी और ब्लाउज भी बदल दिया था...
"" मां ... मां...आप ठीक तो हो ना....आपको ज्यादा चोट तो नही आई है ना...??""
बिस्तर से उठते हुए मां ने जवाब दिया....
"" नही राज मुझे कुछ नहीं हुआ....बस मुझे तेरी चिंता खाए जा रहीं है.....हम सब को बचाने के लिए तू जो काम करने जा रहा है वो सही है या गलत बस यही सोच सोच के दिल बैठा जा रहा है....अपना ध्यान रखना मेरे बच्चे....मुझे अपनी परवाह नहीं है लेकिन जब मैं तुम तीनो को देखती हूं तो घबरा जाती हूं...अगर तुमने उसका काम नही किया तो पीटर ना जाने तुम सबके साथ क्या सलूक करेगा.....बस यही एक वजह है की में कलेजे पर पत्थर रख तुझे जाने दे रही हूं....""
इतना कहते ही मां सुबकने लगी और मैंने उन्हें ढांढस बंधाते हुए कहा....
"" मुझे कुछ नही होगा मां और ना ही यहां मौजूद परिवार के सदस्य को कुछ होगा....में अब जा रहा हूं मां....नेहा प्लीज मां का ख्याल रखना और प्रिया तू मां और नेहा के साथ ही रहना...""
प्रिया - में यहां नहीं रुकूंगी भाई.....में आपके साथ चलूंगी मां का ध्यान रखने के लिए यहां भाभी है और वैसे भी पीटर ने कहा है की वह अब किसी को तकलीफ नहीं पहुंचाएगा तो मुझे आपकी हेल्प के लिए साथ चलना ही चाहिए....
प्रिया की बात सही थी क्योंकि उस डिवाइस को ले जाने के लिए मुझे किसी न किसी की जरूरत तो थी ही....पीटर शायद ही मुझे कबीले वालों से मदद लेने देगा इसलिए मैने प्रिया को अपनी मौन स्वीकृति दे दी....
में और प्रिया बाहर हाल में आ गए और पीछे पीछे नेहा और मां भी....
"" पीटर मैं जाने के लिए तैयार हूं....मेरी मदद के लिए प्रिया साथ आएगी जबकि नेहा और मां यही रहेगी....तुम्हे कोई ऐतराज तो नही है इस बात से..??""
कुछ पलों की शांति के बाद पीटर की आवाज हाल में गूंजी....
**"" में अपने वादे का पक्का हूं राज....लेकिन किसी और को इस बारे में कुछ भी पता नही होना चाहिए क्योंकि मैं इस वक्त ये बिल्कुल नही चाहूंगा की कोई मेरे काम में अड़चन पैदा करे....""**
पीटर का इतना कहना हुआ और दरवाजे पर लगी स्टील की सलाखे हट गई और दरवाजा अपने आप खुलता चला गया.... अभी हम सब दरवाजे से बाहर निकलने ही वाले थे की प्रिया वापस घूमी और उस जगह चली गई जहां कुछ देर पहले मां पर मशीनी हाथो ने हमला किया था....नीचे पड़ा मां का छोटा सा शोल्डर बैग अपने कब्जे मैं लेकर प्रिया हमारे साथ आकर खड़ी हो गई....
मां की नजर जब प्रिया के कंधे पर लटके बेग पर पड़ी तो उनके चेहरे पर सुकून के भाव उमड़ आए....और उन्होंने प्रिया के माथे को चूमते हुए कुछ कहा...
"" प्रिया....मेरी बच्ची अपना और अपने भाई का ख्याल रखना....""
"" हां मां आप भाई की या मेरी चिंता मत करो....हम जल्दी ही वापस लौट आएंगे ""
प्रिया ने अपनी बात खतम ही करी थी की पीटर की आवाज स्पीकर से गूंज उठी....
**""राज तुम्हारी मां और नेहा दरवाजे से बाहर नही जा सकते इसलिए तुम दोनो यही से इनसे विदा लो और अपने काम को अंजाम देने की तरफ पहला कदम बढ़ाओ""**
मैने मां और नेहा को बारी बारी गले से लगाया और उनसे विदा ली....विदा लेने के बाद जैसे ही हम दोनो भाई बहन ने हॉल के मुख्य दरवाजे से बाहर कदम रखा स्टेनलेस स्टील की मोटी सलाखें फिर से दरवाजे की जगह उभर आई....
नेहा और मां बिना कुछ कहे बस उन सलाखों को किसी कैदी की भांति पकड़े बस हमे ही देखे जा रहे थे तभी यकायक मुख्य दरवाजा भी बंद हो गया....
दिन के साढ़े तीन बजे थे लेकिन बाहर अंधेरा होना शुरू हो चुका था....प्रोफेसर दास ने मुझे जो आई फोन दिया था वो साथ लाना मैं बिलकुल भी नही भुला था लेकिन उस मोबाइल मैं सिग्नल नाम की कोई चिड़िया अभी मौजूद नहीं थी....
मैने और प्रिया ने वह डिवाइस संभाल के उठाया हुआ था डिवाइस ज्यादा भारी तो नही था लेकिन उसकी लंबाई तकरीबन साढ़े छह फीट होगी, दिखने मैं वह डिवाइस किसी छोटे रॉकेट की भांति लग रहा था लेकिन ये रॉकेट ही होगा ऐसा मेरा बिलकुल भी मानना नही हैं....
प्रिया - भाई अब हम उस लोकेशन तक कैसे पहुंचेंगे....हमारे पास ना तो कोई बोट हैं और ना ही कोई साधन की हम समंदर में जाकर वह लोकेशन ढूंढ सकें...।
प्रिया की चिंता को समझते हुए मैने कहा...
"" जब हम इस द्वीप पर आ रहे थे तब हेलीकॉप्टर से मैने कुछ मछली पकड़ने वाली नावें देखी थी जो इसी द्वीप के कबीले के लोगो की होगी....हमे चुप चाप वहां से एक नाव चुरानी हैं और वहां से निकलने के बाद ही हमे उस लोकेशन के बारे में पता करना होगा....अगर मेरा मोबाइल अभी चालू होता तो एक सेकंड में वह लोकेशन पता कर लेता लेकिन शायद पीटर ने यहां के सारे नेटवर्क बंद कर दिए है इसी वजह से ये मोबाइल भी काम नही कर रहा...""
प्रिया - शायद हम पीटर की रेंज से दूर जाने पर आपका मोबाइल काम करना शुरू कर दें....और आपके बॉस को यहां जो हुआ उसके बारे में भी सूचित कर दें , क्या पता वो हमारी कुछ मदद कर पाए....??
प्रिया की बात सुन मैं चलते चलते एक क्षण के लिए रुका लेकिन एक गहरी सांस छोड़ते हुए फिर से चलते हुए कहने लगा....
"" अभी इस बारे में किसी को भी इनफॉर्म करना खतरे से खाली नही होगा....ना जाने पीटर मां और नेहा का क्या हाल करेगा जब उसे इस बारे में पता चलेगा....इस बात को हमे किसी को नही बताना है ये ध्यान रखना बच्चा...""
अंधेरे में चलते चलते हम उस जगह तक पहुंच गए जहां एक तरफ तो कबीले वालों की बस्ती थी और दूसरी तरफ उन लोगों की कुछ नावें बंधी हुई थी समंदर के तट पर.....
बिना कोई आवाज किए हम उन नावों की तरफ बढ़ने लगे और उनमें से एक ठीक ठाक नाव देख कर उसमे चढ़ गए....
कुछ देर की मशक्कत के बाद हम तट से दूर अथाह समंदर में निकल आएं....
मैने अपना मोबाइल निकाला तो उसमे सिग्नल भी दिखाई देने लगे थे...मैने बिना कोई देरी किए उस मोबाइल मैं एक ऐप को ओपन किया जिसके बारे में मुझे दास बाबू ने कुछ दिन पहले बताया था की इसमें कोई भी लोकेशन कॉर्डिनेट डालो ये उस जगह की लोकेशन बताना शुरू कर देगा....
मैने पीटर द्वारा दी हुई लोकेशन उस ऐप में डाली और लोकेशन डालने के साथ ही मोबाइल की स्क्रीन पे एक कंपास ( दिशा सूचक यंत्र ) उभर आया.... उस कंपास के नीचे की तरफ किलोमीटर और नॉटिकल माइल दोनो तरह की दूरी दिखाने वाली डिजिटल मीटर भी चालू हो चुका था....
कंपास के हिसाब से हमें पूर्व की तरफ जाना था और नीचे दिखा रहे किलोमीटर भी तकरीबन 80 किमी ही दिखा रहा था और नॉटिकल माइल्स वाला मीटर 148.16 दिखा रहा था....
मैने अपना मोबाइल प्रिया के हाथो मै देते हुए कहा....
"" प्रिया ये कंपास हमे अपनी मंजिल तक लेकर जाएगा...तुम मुझे बराबर दिशा बताती रहना ताकि मैं बिना किसी रुकावट के नाव खेता रहूं....""
इसी के साथ प्रिया मुझे दिशा दिखाने लगी और वो दिशा हमे किस तरफ लेकर जाएगी वो आप पाठकों को जरूर पता होगा....एडवेंचर और थ्रिल से भरपूर होगा अगला अपडेट इसीलिए कहानी की गलतियां और अच्छाइयां बताने मैं कंजूसी न बरतें.....ये कहानी आपकी है में बस इसे लिख रहा हूं