Beshkimti update mitr20.....
सुमन के स्तन हवा में झूलने लगे थे , दोनो स्तनों के बीच से खून की एक पतली धार सीधा बहती हुई नाभी की गहराइयों में कहीं खोने लगी थी....
**"" मेरे ख्याल से तुम लोगों को मेरी बात समझ आ चुकी होगी..... मैं तुम मै से किसी को कोई तकलीफ नहीं दूंगा अगर बिना कुछ कहे मेरा काम कर दोगे...""**
पीटर की सर्द आवाज एक बार फिर से स्पीकर से बाहर निकली ....और इस बार उसने जो कहा वो किसी सौदे बाज की ही भाषा थी जिसे मैं अच्छे से समझ चुका था....
"" तुम क्या चाहते हो पीटर....हम से क्या काम करवाना चाहते हो....??...अगर मुझ से तुम्हे कोई भी काम है तो मैं उसे जरूर पूरा करूंगा लेकिन सबसे पहले तुम्हे मां को बिना कोई तकलीफ पहुंचाए हमारे हवाले करना होगा...""
अभी मैने अपनी बात पूरी ही करी थी की वो दोनो मशीनी हाथ जिन्होंने मां को जकड़ रखा था उन्होंने मां को जमीन पर सुरक्षित उतार दिया....अगले ही पल वो दोनो हाथ फिर से दीवार के अंदर समा चुके थे जबकि एक मशीनी हाथ मै लगा चकरी नुमा कटर अभी भी पूरी गति के साथ घूमे जा रहा था....
तभी एक झटका मुझे और लगा.....मुख्य दरवाजे और खिड़कियों पे स्टेनलेस स्टील की मोटी मोटी सलाखे निकल आई जो की इस बात का संकेत दे रहा थी की अब हम इस ट्री हाउस पर एक कैदी बन चुके है और ये ट्री हाउस एक ट्री हाउस ना रह कर एक जेल में तब्दील हो चुका है...
**"" मैने तुम्हारी बात मान कर तुम्हारी मां को आजाद कर दिया लेकिन अब तुम्हे मेरे लिए कुछ करना होगा..""**
मैने मां की तरफ देखा जो लगातार रोए जा रही थी जबकि प्रिया और नेहा उन्हे संभालने की असफल कोशिश किए जा रही थी.... मां को इस तरह रोता देख मेरा कलेजा फटने लगा था इसलिए खुद को संभालते हुए मैने मां से कहा.....
"" मां आप चिंता मत करो....आपका बेटा आपको कुछ भी नही होने देगा....""
मां को आश्वासन देने के बाद मैने नेहा से कहा.....
"" नेहा... मां को प्लीज उनके कमरे में ले जाओ...मै यहां सब कुछ संभाल लूंगा...!""
नेहा मां को संभालती हुई उनके कमरे मैं ले गई जबकि प्रिया मेरी बगल में आकर खड़ी हो चुकी थी....
अब बोलने की बारी पीटर की थी ...
**"" तुम्हे एक डिवाइस बनाना होगा....और उस डिवाइस को उस जगह लगाना होगा जहां मैं तुम्हे बताऊंगा...अगर तुम मेरा काम कर दोगे तो मैं तुम सभी को ना सिर्फ आजाद कर दूंगा बल्कि ये जगह छोड़ कर भी चला जाऊंगा....और अगर तुम मेरा काम करने से मना करोगे तो यहां मौजूद सभी लोगों को इतना तड़पा तड़पा के मारूंगा की तुम अपने पैदा होने पर पछताओगे....बोलो मंजूर है या नहीं...??""**
अभी पीटर ने अपनी बात खतम ही करी थी कटर लगा हुआ मशीनी हाथ प्रिया के सामने लहराने लगा....प्रिया डर के मारे मुझ से लिपट गई जबकि मैंने प्रिया को अपनी बाहों मै लेते चीख उठा......
"" मेरे परिवार को डराना बंद करो पीटर.....जब मैंने तुमसे कह दिया की में तुम्हारा काम कर दूंगा तो फिर ये सब क्यों.....बताओ मुझे की कोनसा डिवाइस बनाना है और उसके लिए जो सामान लगेगा वो मुझे कहां मिलेगा...""
अभी मैने इतना ही कहा था की छत से निकला वो आखिरी हाथ भी अपनी जगह फिर से स्थापित हो गया....
**"" मुझे माफ करना....क्या करूं मुझे थोड़ा जल्दी गुस्सा आ जाता है.....उस डिवाइस को बनाने के लिए जो भी सामान या औजार लगेंगे वो यहीं इसी घर में मिल जाएंगे....बस जैसे जैसे मैं तुम्हे बताता जाऊंगा वैसे वैसे तुम उसे बनाते जाना , मै जानता हूं की तुम साइंटिस्ट हो ना की कोई इंजीनियर......""**
अभी पीटर ने अपनी बात खतम ही करी थी की कुछ रोबोट्स जो घर की साफ सफाई किया करते थे वो एक एक करके कुछ पुर्जे , सर्किट्स ,औजार और ना जाने क्या क्या ला ला कर फर्श पे रखने लगे....और कुछ ही समय में वहां पुर्जों का ढेर लग चुका था....
**"" अब जैसा जैसा मैं कहूंगा तुम इन सब पुर्जों को वैसे वैसे जोड़ते चले जाना, वैसे ये काम में इन सब रोबोट्स से भी करवा सकता था लेकिन अभी मेरा प्रोग्राम इस लायक नही है की में ऐसा कुछ कर सकूं""**
इतना कहने के बाद पीटर मुझे इंस्ट्रक्शन देने लगता है और वैसे वैसे मैं और प्रिया उस डिवाइस को बनाना शुरू कर देते है....
तकरीबन दो घंटे गुजर चुके थे उस डिवाइस को बनाते बनाते लेकिन ना पीटर ने हमे आराम करने के लिया बोला और ना ही हम आराम करने के मूड में थे....तभी पीटर ने कुछ कहा...
**"" राज....तुम मुंबई में रहते हो ना......कैसे रह लेते हो तुम इतने भीड़ भाड़ वाली जगह पर...?? तुम्हे नहीं लगता की अगर इतनी बड़ी जगह मैं कम लोग रहें ताकि उन्हें संसाधनों की कभी भी कमी ना हो....ज्यादा बारिश हो तो बाढ़ आ जाती है....बारिश कम हो तो अनाज की पैदावार कम होती है ,गर्मी ज्यादा हो तो पानी की कमी गर्मी कम हो तो मानसून बेकार हो जाता है...इन सब बातों की क्या वजह हो सकती है....मुझे तो एक ही वजह समझ आती है की इंसान अपने लालच की वजह से प्रकृति के साथ खिलवाड़ करता जा रहा है और उन लोगो की वजह से बाकी जीवों को हद से ज्यादा तकलीफे झेलनी पड़ती है....क्या कोई तरीका है जिस से ये सब कुछ रुक जाए...??""**
पीटर ने एक ऐसा अनसुलझा सवाल मुझ से किया जिसका जवाब हर एक इंसान के पास है और वही जवाब मैंने भी उसे दिया...
"" हम सभी प्रकृति को अपनी मां बोलते है लेकिन इस मां की बदनसीबी खुद इसके बच्चे ही हैं , जो इस से सब कुछ ले लेते हैं लेकिन बदलें मैं कुछ नहीं देते....ज्यादा अनाज उगाने के लिए जंगल काटे जाते हैं लेकिन ये भूल जाते हैं की जंगल ही नही होगा तो बारिश कैसे आएगी....इंसानी अतिक्रमण की वजह से नदियां अपना रास्ता बदल रही है जिसका नतीजा बाढ़ जो आपके जीवन के साथ साथ आपका सब कुछ बहा ले जाती है....खनिज की भूख ऐसी की धरती को इंसान लगातार खोखला किए जा रहा है जिसका नतीजा भूकंप या फिर भूस्खलन जैसी आपदा जो प्रकृति के दर्द का आभास करवाता है लेकिन फिर भी दोष सारा प्रकृति का क्योंकि इंसान सिर्फ अपने दर्द को महसूस करता है उसने जो खोया उसका ही मातम मनाता है लेकिन प्रकृति का क्या जिस से इंसान लगातार लूट खसोट किए जा रहा है...प्रकृति ने सभी के लिए एक चक्र एक साइकिल सिस्टम बनाया था जिस से इंसानों को इसलिए बाहर रखा ताकि वह अपने तेज दिमाग से हमेशा प्रकृति का संतुलन बनाए रखेंगे लेकिन हुआ क्या....""
अभी मैने अपनी बात खतम नही करी थी की पीटर ने मुझे बीच में ही टोकते हुए कहा...
**"" ये चक्र या साइकिल सिस्टम क्या होता है राज....थोड़ा डिटेल मैं बताओ प्लीज...""**
मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ की पीटर इस बारे में क्यों जानना चाहता है लेकिन जो में जानता था वो बताने में हर्ज तो बिलकुल भी नहीं था इसलिए मैने बताना शुरू किया...
** प्रकृति ने संतुलन बनाए रखने के लिए हर जीव का निर्माण किया सिर्फ इंसानों को उस चक्र से बाहर रखा क्योंकि प्रकृति ने उसे तेज दिमाग दिया.....इस चक्र की शुरुवात सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव से हो जाती है लेकिन हम ज्यादा सूक्ष्मता मैं ना जाकर सिर्फ उन्ही बातो पर ध्यान देते है जो समझ में आ सके....एक छोटा कीड़ा जिसका काम अपशिष्ट को पोषक खाद मैं परिवर्तित करने का होता है जिसे उस से बड़ा कीड़ा मार के खा जाता है...""
एक बार फिर से मुझे पीटर ने टोका...
**"" ये तो गलत बात हुई ना राज....क्यों वह छोटा कीड़ा ऐसे ही किसी का भोजन बन गया जबकि वो प्रकृति की मदद ही कर रहा था...""**
मेरे सामने पीटर का एक और सवाल मुंह बाए खड़ा था जिस से मुझे लग गया की इसको डिटेल मैं ही समझाना होगा....
"" पीटर ....माना वह कीड़ा अपशिष्ट को बदल कर खाद का निर्माण कर रहा हो लेकिन अगर उसका जीवन इसी तरह से चलता रहा तो पृथ्वी पर अपशिष्ट नही बचेगा और फिर वह प्रकृति को ही नुकसान पहुंचाने लगेगा....कुल मिलाकर प्रत्येक जीव का कर्म और अंत निर्धारित है....जब उस छोटे कीड़े को बड़ा कीड़ा खा जाएगा तो उस बड़े कीड़े को उस से बड़ा कोई जीव....मान लो एक जंगल में 10 शेर है और 200 हिरण और शेर ने उन हिरनों का शिकार करना बंद कर दिया तो वह 200 से कब दो लाख हो जाएंगे और जंगल की सारी व्यवस्था खत्म हो जाएगी क्योंकि किसी के खाने के लिए ना वहां चारा होगा ना ही कोई हरियाली बस इसी लिए शेर का काम इस व्यवस्था को चलाए रखना....अब तुम मुझ से पूछोगे की अगर वह 200 हिरण 10 शेर खा जाए तब क्या होगा....??""
इस बार पीटर पर मैंने सवाल दागा....जिसका जवाब उसने तुरंत ही दिया...
"" शेरों के लिए धीरे धीरे सारा खाना खत्म हो जाएगा और वह भूख से ही मरने लगेंगे....यानी जंगल तो रह जाएगा लेकिन उस जंगल में कोई जीव नही बचेगा ""**
पीटर ने अपेक्षा के अनुरूप ही जवाब दिया....जिसे सुन मैं पीटर द्वारा फैलाई गई परेशानी को भूल एक बार मुस्कुरा उठा..।
"" हां पीटर बिल्कुल ऐसा ही कुछ हम इंसान इस प्रकृति के साथ कर रहे हैं....सारे संसाधन खत्म करते जा रहे है लेकिन फिर भी दिखावा ये करते हैं जैसे प्रकृति की सबसे ज्यादा परवाह हम लोग ही करते हैं...ना जाने क्यों प्रकृति ने इंसान को इतनी उम्र बक्शी क्यों प्रकृति ने हमारा शिकार करने के लिए किसी को नही बनाया....!!!????""
में अपनी बात खत्म कर चुका था और इसी के साथ वह आखिरी बोल्ट भी उस डिवाइस में लगा चुका था...
**"" बहुत बढ़िया राज....तुमने सच मै अच्छा काम किया....में तुम्हारे परिवार को दिए कष्ट के लिए क्षमा प्रार्थी हूं ...बस मेरा एक और काम और उसके बाद तुम यहां बेफिक्र हो कर रह सकते हो...""**
मैने एक ठंडी सांस ली और उसके बाद पीटर से कहा...
"" अब क्या करना है पीटर...??? मुझे इतना तो समझ आ गया की तुम ये डिवाइस मुझ से कहीं लगवाना चाहते हो लेकिन कहां अब ये तुम बता ही दो... और अगर तुम मुझे बता सको की ये डिवाइस आखिर काम क्या करता है तो मुझे खुशी होगी की मैने कुछ ऐसा बनाया जिसके बारे में मै कुछ जानता हूं""
**"" में तुम्हे एक लोकेशन कॉर्डिनेट दे रहा हूं तुम्हे उस लोकेशन पर जाकर किसी ऊंची जगह इस डिवाइस को इंस्टॉल करना होगा एक बात और में भी तुम्हारी तरह प्रकृति में भरोसा रखता हूं इसलिए इतना जान लो कि ये डिवाइस प्रकृति को नुकसान पहुंचाने के लिए तो बिलकुल भी नही हैं....वैसे तुमने अभी कहा था की अगर इंसानों को भी प्रकृति इस चक्र में शामिल करती तो प्रकृति को फायदा मिलता....क्या ये बात सही है राज...??""**
मैने बिना कुछ सोचे पीटर को जवाब दिया...
"" हां पीटर जिस तरह जंगल के 200 हिरनों पे दस शेर थे उसी तरह इंसान की व्यवस्था भी प्रकृति को कर के रखनी चाहिए थी , अब तुम मुझे वो कॉर्डिनेट दो ताकि तुम्हारा बचा हुआ आखिरी काम भी में कर दूं...""
मेरी बात खतम होते ही पीटर ने मुझे वो कॉर्डिनेट बताने शुरू किए जिसे सुन कर मैं खुद को आश्चर्य के सागर में गोते लगाने से ना रोक सका....
जारी रहेगा अगले अपडेट मै.......!!
Jaksah update bhai21........
इस द्वीप पर मैंने बस एक ही रात गुजारी है लेकिन इतने कम वक्त में हमारे साथ ऐसे ऐसे वाकिए हो गए की अब कुछ समझ में नहीं आ रहा.....में यहां आया तो था कुछ रिसर्च करने के लिए लेकिन रिसर्च तो दूर मैं अपनी लेब भी अच्छे से देख नहीं पाया और अब ये पीटर की आफत ....ना जाने मुझ से कोनसा डिवाइस बनवा लिया न जाने अब और कौनसी नई आफत अपने पैर पसारने की तैयारी कर रही है ....पीटर ने जो लोकेशन कोर्डिनेट मुझे दिए वह बिल्कुल वही कॉर्डिनेट्स थे जो मुझे समंदर के किनारे एक बॉटल मैं मिले थे ....आखिर क्या रहस्य है इस लोकेशन का ?? ...अगर मुझे इस रहस्य से पर्दा उठाना है तो मुझे अब इस लोकेशन पे जाना ही होगा...।
**""क्या हुआ राज क्या सोच रहे हो ?? कहीं तुम्हे मुझ पर अभी भी कोई संदेह तो नही की काम हो जाने के बाद भी में तुम्हारे परिवार को आजाद नही करूंगा...""**
पीटर की आवाज सुन मैं अपने ख्यालों से बाहर निकला...
"" नही पीटर ऐसा कुछ नही है....में बस ये सोच रहा था की जल्दी से जल्दी तुम्हारे काम को अंजाम दे दूं ताकि मैं अपनी रिसर्च का काम निपटा सकूं ...वैसे मेरे मन में एक सवाल और भी था की तुम्हे इसी लोकेशन पे ये डिवाइस क्यों इंस्टॉल करवाना है और ये डिवाइस इंस्टॉल करवाके तुम आखिर करोगे क्या...??""
पीटर ने मेरे सवाल का बड़ी सहजता के साथ जवाब दिया....
**"" में क्या करूंगा ये तो अभी मैं भी नही जानता और मैंने ये लोकेशन क्यों सेलेक्ट करी है उसकी वजह बस इतनी है की यहां इस डिवाइस को चलाने के लिए ऊर्जा काफी है ....एक बात बताना चाहूंगा तुम्हे की जब तुम ये डिवाइस एक्टिवेट कर दोगे तो मैं इस जगह को छोड़ के उसी लोकेशन पे पहुंच जाऊंगा जहां तुम ये डिवाइस लगाओगे और मेरे जाते ही यहां का सिक्योरिटी सिस्टम पहले की तरह हो जाएगा...अब तुम्हे देर न करते हुए अपने काम में लग जाना चाहिए ...।""**
**ठीक है पीटर ...एक बार मैं मेरी मां से मिल लूं उसके बाद तुम्हारे काम के लिए निकल जाऊंगा ।""
पीटर से बस इतना कह मैं तुरंत मां के रूम की तरफ लपका और मेरे साथ प्रिया भी....
मां के दोनो स्तनों के मध्य एक हल्की सी खरोच आई थी जिस वजह से मां का खून बह निकला था ....अंदर घुसते ही सबसे पहली नजर मेरी उसी जगह पड़ी जहां मां को चोट लगी थी लेकिन नेहा ने वहां एक बैंडेज लगा दी थी और ब्लाउज भी बदल दिया था...
"" मां ... मां...आप ठीक तो हो ना....आपको ज्यादा चोट तो नही आई है ना...??""
बिस्तर से उठते हुए मां ने जवाब दिया....
"" नही राज मुझे कुछ नहीं हुआ....बस मुझे तेरी चिंता खाए जा रहीं है.....हम सब को बचाने के लिए तू जो काम करने जा रहा है वो सही है या गलत बस यही सोच सोच के दिल बैठा जा रहा है....अपना ध्यान रखना मेरे बच्चे....मुझे अपनी परवाह नहीं है लेकिन जब मैं तुम तीनो को देखती हूं तो घबरा जाती हूं...अगर तुमने उसका काम नही किया तो पीटर ना जाने तुम सबके साथ क्या सलूक करेगा.....बस यही एक वजह है की में कलेजे पर पत्थर रख तुझे जाने दे रही हूं....""
इतना कहते ही मां सुबकने लगी और मैंने उन्हें ढांढस बंधाते हुए कहा....
"" मुझे कुछ नही होगा मां और ना ही यहां मौजूद परिवार के सदस्य को कुछ होगा....में अब जा रहा हूं मां....नेहा प्लीज मां का ख्याल रखना और प्रिया तू मां और नेहा के साथ ही रहना...""
प्रिया - में यहां नहीं रुकूंगी भाई.....में आपके साथ चलूंगी मां का ध्यान रखने के लिए यहां भाभी है और वैसे भी पीटर ने कहा है की वह अब किसी को तकलीफ नहीं पहुंचाएगा तो मुझे आपकी हेल्प के लिए साथ चलना ही चाहिए....
प्रिया की बात सही थी क्योंकि उस डिवाइस को ले जाने के लिए मुझे किसी न किसी की जरूरत तो थी ही....पीटर शायद ही मुझे कबीले वालों से मदद लेने देगा इसलिए मैने प्रिया को अपनी मौन स्वीकृति दे दी....
में और प्रिया बाहर हाल में आ गए और पीछे पीछे नेहा और मां भी....
"" पीटर मैं जाने के लिए तैयार हूं....मेरी मदद के लिए प्रिया साथ आएगी जबकि नेहा और मां यही रहेगी....तुम्हे कोई ऐतराज तो नही है इस बात से..??""
कुछ पलों की शांति के बाद पीटर की आवाज हाल में गूंजी....
**"" में अपने वादे का पक्का हूं राज....लेकिन किसी और को इस बारे में कुछ भी पता नही होना चाहिए क्योंकि मैं इस वक्त ये बिल्कुल नही चाहूंगा की कोई मेरे काम में अड़चन पैदा करे....""**
पीटर का इतना कहना हुआ और दरवाजे पर लगी स्टील की सलाखे हट गई और दरवाजा अपने आप खुलता चला गया.... अभी हम सब दरवाजे से बाहर निकलने ही वाले थे की प्रिया वापस घूमी और उस जगह चली गई जहां कुछ देर पहले मां पर मशीनी हाथो ने हमला किया था....नीचे पड़ा मां का छोटा सा शोल्डर बैग अपने कब्जे मैं लेकर प्रिया हमारे साथ आकर खड़ी हो गई....
मां की नजर जब प्रिया के कंधे पर लटके बेग पर पड़ी तो उनके चेहरे पर सुकून के भाव उमड़ आए....और उन्होंने प्रिया के माथे को चूमते हुए कुछ कहा...
"" प्रिया....मेरी बच्ची अपना और अपने भाई का ख्याल रखना....""
"" हां मां आप भाई की या मेरी चिंता मत करो....हम जल्दी ही वापस लौट आएंगे ""
प्रिया ने अपनी बात खतम ही करी थी की पीटर की आवाज स्पीकर से गूंज उठी....
**""राज तुम्हारी मां और नेहा दरवाजे से बाहर नही जा सकते इसलिए तुम दोनो यही से इनसे विदा लो और अपने काम को अंजाम देने की तरफ पहला कदम बढ़ाओ""**
मैने मां और नेहा को बारी बारी गले से लगाया और उनसे विदा ली....विदा लेने के बाद जैसे ही हम दोनो भाई बहन ने हॉल के मुख्य दरवाजे से बाहर कदम रखा स्टेनलेस स्टील की मोटी सलाखें फिर से दरवाजे की जगह उभर आई....
नेहा और मां बिना कुछ कहे बस उन सलाखों को किसी कैदी की भांति पकड़े बस हमे ही देखे जा रहे थे तभी यकायक मुख्य दरवाजा भी बंद हो गया....
दिन के साढ़े तीन बजे थे लेकिन बाहर अंधेरा होना शुरू हो चुका था....प्रोफेसर दास ने मुझे जो आई फोन दिया था वो साथ लाना मैं बिलकुल भी नही भुला था लेकिन उस मोबाइल मैं सिग्नल नाम की कोई चिड़िया अभी मौजूद नहीं थी....
मैने और प्रिया ने वह डिवाइस संभाल के उठाया हुआ था डिवाइस ज्यादा भारी तो नही था लेकिन उसकी लंबाई तकरीबन साढ़े छह फीट होगी, दिखने मैं वह डिवाइस किसी छोटे रॉकेट की भांति लग रहा था लेकिन ये रॉकेट ही होगा ऐसा मेरा बिलकुल भी मानना नही हैं....
प्रिया - भाई अब हम उस लोकेशन तक कैसे पहुंचेंगे....हमारे पास ना तो कोई बोट हैं और ना ही कोई साधन की हम समंदर में जाकर वह लोकेशन ढूंढ सकें...।
प्रिया की चिंता को समझते हुए मैने कहा...
"" जब हम इस द्वीप पर आ रहे थे तब हेलीकॉप्टर से मैने कुछ मछली पकड़ने वाली नावें देखी थी जो इसी द्वीप के कबीले के लोगो की होगी....हमे चुप चाप वहां से एक नाव चुरानी हैं और वहां से निकलने के बाद ही हमे उस लोकेशन के बारे में पता करना होगा....अगर मेरा मोबाइल अभी चालू होता तो एक सेकंड में वह लोकेशन पता कर लेता लेकिन शायद पीटर ने यहां के सारे नेटवर्क बंद कर दिए है इसी वजह से ये मोबाइल भी काम नही कर रहा...""
प्रिया - शायद हम पीटर की रेंज से दूर जाने पर आपका मोबाइल काम करना शुरू कर दें....और आपके बॉस को यहां जो हुआ उसके बारे में भी सूचित कर दें , क्या पता वो हमारी कुछ मदद कर पाए....??
प्रिया की बात सुन मैं चलते चलते एक क्षण के लिए रुका लेकिन एक गहरी सांस छोड़ते हुए फिर से चलते हुए कहने लगा....
"" अभी इस बारे में किसी को भी इनफॉर्म करना खतरे से खाली नही होगा....ना जाने पीटर मां और नेहा का क्या हाल करेगा जब उसे इस बारे में पता चलेगा....इस बात को हमे किसी को नही बताना है ये ध्यान रखना बच्चा...""
अंधेरे में चलते चलते हम उस जगह तक पहुंच गए जहां एक तरफ तो कबीले वालों की बस्ती थी और दूसरी तरफ उन लोगों की कुछ नावें बंधी हुई थी समंदर के तट पर.....
बिना कोई आवाज किए हम उन नावों की तरफ बढ़ने लगे और उनमें से एक ठीक ठाक नाव देख कर उसमे चढ़ गए....
कुछ देर की मशक्कत के बाद हम तट से दूर अथाह समंदर में निकल आएं....
मैने अपना मोबाइल निकाला तो उसमे सिग्नल भी दिखाई देने लगे थे...मैने बिना कोई देरी किए उस मोबाइल मैं एक ऐप को ओपन किया जिसके बारे में मुझे दास बाबू ने कुछ दिन पहले बताया था की इसमें कोई भी लोकेशन कॉर्डिनेट डालो ये उस जगह की लोकेशन बताना शुरू कर देगा....
मैने पीटर द्वारा दी हुई लोकेशन उस ऐप में डाली और लोकेशन डालने के साथ ही मोबाइल की स्क्रीन पे एक कंपास ( दिशा सूचक यंत्र ) उभर आया.... उस कंपास के नीचे की तरफ किलोमीटर और नॉटिकल माइल दोनो तरह की दूरी दिखाने वाली डिजिटल मीटर भी चालू हो चुका था....
कंपास के हिसाब से हमें पूर्व की तरफ जाना था और नीचे दिखा रहे किलोमीटर भी तकरीबन 80 किमी ही दिखा रहा था और नॉटिकल माइल्स वाला मीटर 148.16 दिखा रहा था....
मैने अपना मोबाइल प्रिया के हाथो मै देते हुए कहा....
"" प्रिया ये कंपास हमे अपनी मंजिल तक लेकर जाएगा...तुम मुझे बराबर दिशा बताती रहना ताकि मैं बिना किसी रुकावट के नाव खेता रहूं....""
इसी के साथ प्रिया मुझे दिशा दिखाने लगी और वो दिशा हमे किस तरफ लेकर जाएगी वो आप पाठकों को जरूर पता होगा....एडवेंचर और थ्रिल से भरपूर होगा अगला अपडेट इसीलिए कहानी की गलतियां और अच्छाइयां बताने मैं कंजूसी न बरतें.....ये कहानी आपकी है में बस इसे लिख रहा हूं
Nice update21........
इस द्वीप पर मैंने बस एक ही रात गुजारी है लेकिन इतने कम वक्त में हमारे साथ ऐसे ऐसे वाकिए हो गए की अब कुछ समझ में नहीं आ रहा.....में यहां आया तो था कुछ रिसर्च करने के लिए लेकिन रिसर्च तो दूर मैं अपनी लेब भी अच्छे से देख नहीं पाया और अब ये पीटर की आफत ....ना जाने मुझ से कोनसा डिवाइस बनवा लिया न जाने अब और कौनसी नई आफत अपने पैर पसारने की तैयारी कर रही है ....पीटर ने जो लोकेशन कोर्डिनेट मुझे दिए वह बिल्कुल वही कॉर्डिनेट्स थे जो मुझे समंदर के किनारे एक बॉटल मैं मिले थे ....आखिर क्या रहस्य है इस लोकेशन का ?? ...अगर मुझे इस रहस्य से पर्दा उठाना है तो मुझे अब इस लोकेशन पे जाना ही होगा...।
**""क्या हुआ राज क्या सोच रहे हो ?? कहीं तुम्हे मुझ पर अभी भी कोई संदेह तो नही की काम हो जाने के बाद भी में तुम्हारे परिवार को आजाद नही करूंगा...""**
पीटर की आवाज सुन मैं अपने ख्यालों से बाहर निकला...
"" नही पीटर ऐसा कुछ नही है....में बस ये सोच रहा था की जल्दी से जल्दी तुम्हारे काम को अंजाम दे दूं ताकि मैं अपनी रिसर्च का काम निपटा सकूं ...वैसे मेरे मन में एक सवाल और भी था की तुम्हे इसी लोकेशन पे ये डिवाइस क्यों इंस्टॉल करवाना है और ये डिवाइस इंस्टॉल करवाके तुम आखिर करोगे क्या...??""
पीटर ने मेरे सवाल का बड़ी सहजता के साथ जवाब दिया....
**"" में क्या करूंगा ये तो अभी मैं भी नही जानता और मैंने ये लोकेशन क्यों सेलेक्ट करी है उसकी वजह बस इतनी है की यहां इस डिवाइस को चलाने के लिए ऊर्जा काफी है ....एक बात बताना चाहूंगा तुम्हे की जब तुम ये डिवाइस एक्टिवेट कर दोगे तो मैं इस जगह को छोड़ के उसी लोकेशन पे पहुंच जाऊंगा जहां तुम ये डिवाइस लगाओगे और मेरे जाते ही यहां का सिक्योरिटी सिस्टम पहले की तरह हो जाएगा...अब तुम्हे देर न करते हुए अपने काम में लग जाना चाहिए ...।""**
**ठीक है पीटर ...एक बार मैं मेरी मां से मिल लूं उसके बाद तुम्हारे काम के लिए निकल जाऊंगा ।""
पीटर से बस इतना कह मैं तुरंत मां के रूम की तरफ लपका और मेरे साथ प्रिया भी....
मां के दोनो स्तनों के मध्य एक हल्की सी खरोच आई थी जिस वजह से मां का खून बह निकला था ....अंदर घुसते ही सबसे पहली नजर मेरी उसी जगह पड़ी जहां मां को चोट लगी थी लेकिन नेहा ने वहां एक बैंडेज लगा दी थी और ब्लाउज भी बदल दिया था...
"" मां ... मां...आप ठीक तो हो ना....आपको ज्यादा चोट तो नही आई है ना...??""
बिस्तर से उठते हुए मां ने जवाब दिया....
"" नही राज मुझे कुछ नहीं हुआ....बस मुझे तेरी चिंता खाए जा रहीं है.....हम सब को बचाने के लिए तू जो काम करने जा रहा है वो सही है या गलत बस यही सोच सोच के दिल बैठा जा रहा है....अपना ध्यान रखना मेरे बच्चे....मुझे अपनी परवाह नहीं है लेकिन जब मैं तुम तीनो को देखती हूं तो घबरा जाती हूं...अगर तुमने उसका काम नही किया तो पीटर ना जाने तुम सबके साथ क्या सलूक करेगा.....बस यही एक वजह है की में कलेजे पर पत्थर रख तुझे जाने दे रही हूं....""
इतना कहते ही मां सुबकने लगी और मैंने उन्हें ढांढस बंधाते हुए कहा....
"" मुझे कुछ नही होगा मां और ना ही यहां मौजूद परिवार के सदस्य को कुछ होगा....में अब जा रहा हूं मां....नेहा प्लीज मां का ख्याल रखना और प्रिया तू मां और नेहा के साथ ही रहना...""
प्रिया - में यहां नहीं रुकूंगी भाई.....में आपके साथ चलूंगी मां का ध्यान रखने के लिए यहां भाभी है और वैसे भी पीटर ने कहा है की वह अब किसी को तकलीफ नहीं पहुंचाएगा तो मुझे आपकी हेल्प के लिए साथ चलना ही चाहिए....
प्रिया की बात सही थी क्योंकि उस डिवाइस को ले जाने के लिए मुझे किसी न किसी की जरूरत तो थी ही....पीटर शायद ही मुझे कबीले वालों से मदद लेने देगा इसलिए मैने प्रिया को अपनी मौन स्वीकृति दे दी....
में और प्रिया बाहर हाल में आ गए और पीछे पीछे नेहा और मां भी....
"" पीटर मैं जाने के लिए तैयार हूं....मेरी मदद के लिए प्रिया साथ आएगी जबकि नेहा और मां यही रहेगी....तुम्हे कोई ऐतराज तो नही है इस बात से..??""
कुछ पलों की शांति के बाद पीटर की आवाज हाल में गूंजी....
**"" में अपने वादे का पक्का हूं राज....लेकिन किसी और को इस बारे में कुछ भी पता नही होना चाहिए क्योंकि मैं इस वक्त ये बिल्कुल नही चाहूंगा की कोई मेरे काम में अड़चन पैदा करे....""**
पीटर का इतना कहना हुआ और दरवाजे पर लगी स्टील की सलाखे हट गई और दरवाजा अपने आप खुलता चला गया.... अभी हम सब दरवाजे से बाहर निकलने ही वाले थे की प्रिया वापस घूमी और उस जगह चली गई जहां कुछ देर पहले मां पर मशीनी हाथो ने हमला किया था....नीचे पड़ा मां का छोटा सा शोल्डर बैग अपने कब्जे मैं लेकर प्रिया हमारे साथ आकर खड़ी हो गई....
मां की नजर जब प्रिया के कंधे पर लटके बेग पर पड़ी तो उनके चेहरे पर सुकून के भाव उमड़ आए....और उन्होंने प्रिया के माथे को चूमते हुए कुछ कहा...
"" प्रिया....मेरी बच्ची अपना और अपने भाई का ख्याल रखना....""
"" हां मां आप भाई की या मेरी चिंता मत करो....हम जल्दी ही वापस लौट आएंगे ""
प्रिया ने अपनी बात खतम ही करी थी की पीटर की आवाज स्पीकर से गूंज उठी....
**""राज तुम्हारी मां और नेहा दरवाजे से बाहर नही जा सकते इसलिए तुम दोनो यही से इनसे विदा लो और अपने काम को अंजाम देने की तरफ पहला कदम बढ़ाओ""**
मैने मां और नेहा को बारी बारी गले से लगाया और उनसे विदा ली....विदा लेने के बाद जैसे ही हम दोनो भाई बहन ने हॉल के मुख्य दरवाजे से बाहर कदम रखा स्टेनलेस स्टील की मोटी सलाखें फिर से दरवाजे की जगह उभर आई....
नेहा और मां बिना कुछ कहे बस उन सलाखों को किसी कैदी की भांति पकड़े बस हमे ही देखे जा रहे थे तभी यकायक मुख्य दरवाजा भी बंद हो गया....
दिन के साढ़े तीन बजे थे लेकिन बाहर अंधेरा होना शुरू हो चुका था....प्रोफेसर दास ने मुझे जो आई फोन दिया था वो साथ लाना मैं बिलकुल भी नही भुला था लेकिन उस मोबाइल मैं सिग्नल नाम की कोई चिड़िया अभी मौजूद नहीं थी....
मैने और प्रिया ने वह डिवाइस संभाल के उठाया हुआ था डिवाइस ज्यादा भारी तो नही था लेकिन उसकी लंबाई तकरीबन साढ़े छह फीट होगी, दिखने मैं वह डिवाइस किसी छोटे रॉकेट की भांति लग रहा था लेकिन ये रॉकेट ही होगा ऐसा मेरा बिलकुल भी मानना नही हैं....
प्रिया - भाई अब हम उस लोकेशन तक कैसे पहुंचेंगे....हमारे पास ना तो कोई बोट हैं और ना ही कोई साधन की हम समंदर में जाकर वह लोकेशन ढूंढ सकें...।
प्रिया की चिंता को समझते हुए मैने कहा...
"" जब हम इस द्वीप पर आ रहे थे तब हेलीकॉप्टर से मैने कुछ मछली पकड़ने वाली नावें देखी थी जो इसी द्वीप के कबीले के लोगो की होगी....हमे चुप चाप वहां से एक नाव चुरानी हैं और वहां से निकलने के बाद ही हमे उस लोकेशन के बारे में पता करना होगा....अगर मेरा मोबाइल अभी चालू होता तो एक सेकंड में वह लोकेशन पता कर लेता लेकिन शायद पीटर ने यहां के सारे नेटवर्क बंद कर दिए है इसी वजह से ये मोबाइल भी काम नही कर रहा...""
प्रिया - शायद हम पीटर की रेंज से दूर जाने पर आपका मोबाइल काम करना शुरू कर दें....और आपके बॉस को यहां जो हुआ उसके बारे में भी सूचित कर दें , क्या पता वो हमारी कुछ मदद कर पाए....??
प्रिया की बात सुन मैं चलते चलते एक क्षण के लिए रुका लेकिन एक गहरी सांस छोड़ते हुए फिर से चलते हुए कहने लगा....
"" अभी इस बारे में किसी को भी इनफॉर्म करना खतरे से खाली नही होगा....ना जाने पीटर मां और नेहा का क्या हाल करेगा जब उसे इस बारे में पता चलेगा....इस बात को हमे किसी को नही बताना है ये ध्यान रखना बच्चा...""
अंधेरे में चलते चलते हम उस जगह तक पहुंच गए जहां एक तरफ तो कबीले वालों की बस्ती थी और दूसरी तरफ उन लोगों की कुछ नावें बंधी हुई थी समंदर के तट पर.....
बिना कोई आवाज किए हम उन नावों की तरफ बढ़ने लगे और उनमें से एक ठीक ठाक नाव देख कर उसमे चढ़ गए....
कुछ देर की मशक्कत के बाद हम तट से दूर अथाह समंदर में निकल आएं....
मैने अपना मोबाइल निकाला तो उसमे सिग्नल भी दिखाई देने लगे थे...मैने बिना कोई देरी किए उस मोबाइल मैं एक ऐप को ओपन किया जिसके बारे में मुझे दास बाबू ने कुछ दिन पहले बताया था की इसमें कोई भी लोकेशन कॉर्डिनेट डालो ये उस जगह की लोकेशन बताना शुरू कर देगा....
मैने पीटर द्वारा दी हुई लोकेशन उस ऐप में डाली और लोकेशन डालने के साथ ही मोबाइल की स्क्रीन पे एक कंपास ( दिशा सूचक यंत्र ) उभर आया.... उस कंपास के नीचे की तरफ किलोमीटर और नॉटिकल माइल दोनो तरह की दूरी दिखाने वाली डिजिटल मीटर भी चालू हो चुका था....
कंपास के हिसाब से हमें पूर्व की तरफ जाना था और नीचे दिखा रहे किलोमीटर भी तकरीबन 80 किमी ही दिखा रहा था और नॉटिकल माइल्स वाला मीटर 148.16 दिखा रहा था....
मैने अपना मोबाइल प्रिया के हाथो मै देते हुए कहा....
"" प्रिया ये कंपास हमे अपनी मंजिल तक लेकर जाएगा...तुम मुझे बराबर दिशा बताती रहना ताकि मैं बिना किसी रुकावट के नाव खेता रहूं....""
इसी के साथ प्रिया मुझे दिशा दिखाने लगी और वो दिशा हमे किस तरफ लेकर जाएगी वो आप पाठकों को जरूर पता होगा....एडवेंचर और थ्रिल से भरपूर होगा अगला अपडेट इसीलिए कहानी की गलतियां और अच्छाइयां बताने मैं कंजूसी न बरतें.....ये कहानी आपकी है में बस इसे लिख रहा हूं
अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा21........
इस द्वीप पर मैंने बस एक ही रात गुजारी है लेकिन इतने कम वक्त में हमारे साथ ऐसे ऐसे वाकिए हो गए की अब कुछ समझ में नहीं आ रहा.....में यहां आया तो था कुछ रिसर्च करने के लिए लेकिन रिसर्च तो दूर मैं अपनी लेब भी अच्छे से देख नहीं पाया और अब ये पीटर की आफत ....ना जाने मुझ से कोनसा डिवाइस बनवा लिया न जाने अब और कौनसी नई आफत अपने पैर पसारने की तैयारी कर रही है ....पीटर ने जो लोकेशन कोर्डिनेट मुझे दिए वह बिल्कुल वही कॉर्डिनेट्स थे जो मुझे समंदर के किनारे एक बॉटल मैं मिले थे ....आखिर क्या रहस्य है इस लोकेशन का ?? ...अगर मुझे इस रहस्य से पर्दा उठाना है तो मुझे अब इस लोकेशन पे जाना ही होगा...।
**""क्या हुआ राज क्या सोच रहे हो ?? कहीं तुम्हे मुझ पर अभी भी कोई संदेह तो नही की काम हो जाने के बाद भी में तुम्हारे परिवार को आजाद नही करूंगा...""**
पीटर की आवाज सुन मैं अपने ख्यालों से बाहर निकला...
"" नही पीटर ऐसा कुछ नही है....में बस ये सोच रहा था की जल्दी से जल्दी तुम्हारे काम को अंजाम दे दूं ताकि मैं अपनी रिसर्च का काम निपटा सकूं ...वैसे मेरे मन में एक सवाल और भी था की तुम्हे इसी लोकेशन पे ये डिवाइस क्यों इंस्टॉल करवाना है और ये डिवाइस इंस्टॉल करवाके तुम आखिर करोगे क्या...??""
पीटर ने मेरे सवाल का बड़ी सहजता के साथ जवाब दिया....
**"" में क्या करूंगा ये तो अभी मैं भी नही जानता और मैंने ये लोकेशन क्यों सेलेक्ट करी है उसकी वजह बस इतनी है की यहां इस डिवाइस को चलाने के लिए ऊर्जा काफी है ....एक बात बताना चाहूंगा तुम्हे की जब तुम ये डिवाइस एक्टिवेट कर दोगे तो मैं इस जगह को छोड़ के उसी लोकेशन पे पहुंच जाऊंगा जहां तुम ये डिवाइस लगाओगे और मेरे जाते ही यहां का सिक्योरिटी सिस्टम पहले की तरह हो जाएगा...अब तुम्हे देर न करते हुए अपने काम में लग जाना चाहिए ...।""**
**ठीक है पीटर ...एक बार मैं मेरी मां से मिल लूं उसके बाद तुम्हारे काम के लिए निकल जाऊंगा ।""
पीटर से बस इतना कह मैं तुरंत मां के रूम की तरफ लपका और मेरे साथ प्रिया भी....
मां के दोनो स्तनों के मध्य एक हल्की सी खरोच आई थी जिस वजह से मां का खून बह निकला था ....अंदर घुसते ही सबसे पहली नजर मेरी उसी जगह पड़ी जहां मां को चोट लगी थी लेकिन नेहा ने वहां एक बैंडेज लगा दी थी और ब्लाउज भी बदल दिया था...
"" मां ... मां...आप ठीक तो हो ना....आपको ज्यादा चोट तो नही आई है ना...??""
बिस्तर से उठते हुए मां ने जवाब दिया....
"" नही राज मुझे कुछ नहीं हुआ....बस मुझे तेरी चिंता खाए जा रहीं है.....हम सब को बचाने के लिए तू जो काम करने जा रहा है वो सही है या गलत बस यही सोच सोच के दिल बैठा जा रहा है....अपना ध्यान रखना मेरे बच्चे....मुझे अपनी परवाह नहीं है लेकिन जब मैं तुम तीनो को देखती हूं तो घबरा जाती हूं...अगर तुमने उसका काम नही किया तो पीटर ना जाने तुम सबके साथ क्या सलूक करेगा.....बस यही एक वजह है की में कलेजे पर पत्थर रख तुझे जाने दे रही हूं....""
इतना कहते ही मां सुबकने लगी और मैंने उन्हें ढांढस बंधाते हुए कहा....
"" मुझे कुछ नही होगा मां और ना ही यहां मौजूद परिवार के सदस्य को कुछ होगा....में अब जा रहा हूं मां....नेहा प्लीज मां का ख्याल रखना और प्रिया तू मां और नेहा के साथ ही रहना...""
प्रिया - में यहां नहीं रुकूंगी भाई.....में आपके साथ चलूंगी मां का ध्यान रखने के लिए यहां भाभी है और वैसे भी पीटर ने कहा है की वह अब किसी को तकलीफ नहीं पहुंचाएगा तो मुझे आपकी हेल्प के लिए साथ चलना ही चाहिए....
प्रिया की बात सही थी क्योंकि उस डिवाइस को ले जाने के लिए मुझे किसी न किसी की जरूरत तो थी ही....पीटर शायद ही मुझे कबीले वालों से मदद लेने देगा इसलिए मैने प्रिया को अपनी मौन स्वीकृति दे दी....
में और प्रिया बाहर हाल में आ गए और पीछे पीछे नेहा और मां भी....
"" पीटर मैं जाने के लिए तैयार हूं....मेरी मदद के लिए प्रिया साथ आएगी जबकि नेहा और मां यही रहेगी....तुम्हे कोई ऐतराज तो नही है इस बात से..??""
कुछ पलों की शांति के बाद पीटर की आवाज हाल में गूंजी....
**"" में अपने वादे का पक्का हूं राज....लेकिन किसी और को इस बारे में कुछ भी पता नही होना चाहिए क्योंकि मैं इस वक्त ये बिल्कुल नही चाहूंगा की कोई मेरे काम में अड़चन पैदा करे....""**
पीटर का इतना कहना हुआ और दरवाजे पर लगी स्टील की सलाखे हट गई और दरवाजा अपने आप खुलता चला गया.... अभी हम सब दरवाजे से बाहर निकलने ही वाले थे की प्रिया वापस घूमी और उस जगह चली गई जहां कुछ देर पहले मां पर मशीनी हाथो ने हमला किया था....नीचे पड़ा मां का छोटा सा शोल्डर बैग अपने कब्जे मैं लेकर प्रिया हमारे साथ आकर खड़ी हो गई....
मां की नजर जब प्रिया के कंधे पर लटके बेग पर पड़ी तो उनके चेहरे पर सुकून के भाव उमड़ आए....और उन्होंने प्रिया के माथे को चूमते हुए कुछ कहा...
"" प्रिया....मेरी बच्ची अपना और अपने भाई का ख्याल रखना....""
"" हां मां आप भाई की या मेरी चिंता मत करो....हम जल्दी ही वापस लौट आएंगे ""
प्रिया ने अपनी बात खतम ही करी थी की पीटर की आवाज स्पीकर से गूंज उठी....
**""राज तुम्हारी मां और नेहा दरवाजे से बाहर नही जा सकते इसलिए तुम दोनो यही से इनसे विदा लो और अपने काम को अंजाम देने की तरफ पहला कदम बढ़ाओ""**
मैने मां और नेहा को बारी बारी गले से लगाया और उनसे विदा ली....विदा लेने के बाद जैसे ही हम दोनो भाई बहन ने हॉल के मुख्य दरवाजे से बाहर कदम रखा स्टेनलेस स्टील की मोटी सलाखें फिर से दरवाजे की जगह उभर आई....
नेहा और मां बिना कुछ कहे बस उन सलाखों को किसी कैदी की भांति पकड़े बस हमे ही देखे जा रहे थे तभी यकायक मुख्य दरवाजा भी बंद हो गया....
दिन के साढ़े तीन बजे थे लेकिन बाहर अंधेरा होना शुरू हो चुका था....प्रोफेसर दास ने मुझे जो आई फोन दिया था वो साथ लाना मैं बिलकुल भी नही भुला था लेकिन उस मोबाइल मैं सिग्नल नाम की कोई चिड़िया अभी मौजूद नहीं थी....
मैने और प्रिया ने वह डिवाइस संभाल के उठाया हुआ था डिवाइस ज्यादा भारी तो नही था लेकिन उसकी लंबाई तकरीबन साढ़े छह फीट होगी, दिखने मैं वह डिवाइस किसी छोटे रॉकेट की भांति लग रहा था लेकिन ये रॉकेट ही होगा ऐसा मेरा बिलकुल भी मानना नही हैं....
प्रिया - भाई अब हम उस लोकेशन तक कैसे पहुंचेंगे....हमारे पास ना तो कोई बोट हैं और ना ही कोई साधन की हम समंदर में जाकर वह लोकेशन ढूंढ सकें...।
प्रिया की चिंता को समझते हुए मैने कहा...
"" जब हम इस द्वीप पर आ रहे थे तब हेलीकॉप्टर से मैने कुछ मछली पकड़ने वाली नावें देखी थी जो इसी द्वीप के कबीले के लोगो की होगी....हमे चुप चाप वहां से एक नाव चुरानी हैं और वहां से निकलने के बाद ही हमे उस लोकेशन के बारे में पता करना होगा....अगर मेरा मोबाइल अभी चालू होता तो एक सेकंड में वह लोकेशन पता कर लेता लेकिन शायद पीटर ने यहां के सारे नेटवर्क बंद कर दिए है इसी वजह से ये मोबाइल भी काम नही कर रहा...""
प्रिया - शायद हम पीटर की रेंज से दूर जाने पर आपका मोबाइल काम करना शुरू कर दें....और आपके बॉस को यहां जो हुआ उसके बारे में भी सूचित कर दें , क्या पता वो हमारी कुछ मदद कर पाए....??
प्रिया की बात सुन मैं चलते चलते एक क्षण के लिए रुका लेकिन एक गहरी सांस छोड़ते हुए फिर से चलते हुए कहने लगा....
"" अभी इस बारे में किसी को भी इनफॉर्म करना खतरे से खाली नही होगा....ना जाने पीटर मां और नेहा का क्या हाल करेगा जब उसे इस बारे में पता चलेगा....इस बात को हमे किसी को नही बताना है ये ध्यान रखना बच्चा...""
अंधेरे में चलते चलते हम उस जगह तक पहुंच गए जहां एक तरफ तो कबीले वालों की बस्ती थी और दूसरी तरफ उन लोगों की कुछ नावें बंधी हुई थी समंदर के तट पर.....
बिना कोई आवाज किए हम उन नावों की तरफ बढ़ने लगे और उनमें से एक ठीक ठाक नाव देख कर उसमे चढ़ गए....
कुछ देर की मशक्कत के बाद हम तट से दूर अथाह समंदर में निकल आएं....
मैने अपना मोबाइल निकाला तो उसमे सिग्नल भी दिखाई देने लगे थे...मैने बिना कोई देरी किए उस मोबाइल मैं एक ऐप को ओपन किया जिसके बारे में मुझे दास बाबू ने कुछ दिन पहले बताया था की इसमें कोई भी लोकेशन कॉर्डिनेट डालो ये उस जगह की लोकेशन बताना शुरू कर देगा....
मैने पीटर द्वारा दी हुई लोकेशन उस ऐप में डाली और लोकेशन डालने के साथ ही मोबाइल की स्क्रीन पे एक कंपास ( दिशा सूचक यंत्र ) उभर आया.... उस कंपास के नीचे की तरफ किलोमीटर और नॉटिकल माइल दोनो तरह की दूरी दिखाने वाली डिजिटल मीटर भी चालू हो चुका था....
कंपास के हिसाब से हमें पूर्व की तरफ जाना था और नीचे दिखा रहे किलोमीटर भी तकरीबन 80 किमी ही दिखा रहा था और नॉटिकल माइल्स वाला मीटर 148.16 दिखा रहा था....
मैने अपना मोबाइल प्रिया के हाथो मै देते हुए कहा....
"" प्रिया ये कंपास हमे अपनी मंजिल तक लेकर जाएगा...तुम मुझे बराबर दिशा बताती रहना ताकि मैं बिना किसी रुकावट के नाव खेता रहूं....""
इसी के साथ प्रिया मुझे दिशा दिखाने लगी और वो दिशा हमे किस तरफ लेकर जाएगी वो आप पाठकों को जरूर पता होगा....एडवेंचर और थ्रिल से भरपूर होगा अगला अपडेट इसीलिए कहानी की गलतियां और अच्छाइयां बताने मैं कंजूसी न बरतें.....ये कहानी आपकी है में बस इसे लिख रहा हूं
अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
लास्ट अपडेट को 40दिन से भी ज्यादा हो गए हैं और लेखक हाथी के कान मैं सोया है....21........
इस द्वीप पर मैंने बस एक ही रात गुजारी है लेकिन इतने कम वक्त में हमारे साथ ऐसे ऐसे वाकिए हो गए की अब कुछ समझ में नहीं आ रहा.....में यहां आया तो था कुछ रिसर्च करने के लिए लेकिन रिसर्च तो दूर मैं अपनी लेब भी अच्छे से देख नहीं पाया और अब ये पीटर की आफत ....ना जाने मुझ से कोनसा डिवाइस बनवा लिया न जाने अब और कौनसी नई आफत अपने पैर पसारने की तैयारी कर रही है ....पीटर ने जो लोकेशन कोर्डिनेट मुझे दिए वह बिल्कुल वही कॉर्डिनेट्स थे जो मुझे समंदर के किनारे एक बॉटल मैं मिले थे ....आखिर क्या रहस्य है इस लोकेशन का ?? ...अगर मुझे इस रहस्य से पर्दा उठाना है तो मुझे अब इस लोकेशन पे जाना ही होगा...।
**""क्या हुआ राज क्या सोच रहे हो ?? कहीं तुम्हे मुझ पर अभी भी कोई संदेह तो नही की काम हो जाने के बाद भी में तुम्हारे परिवार को आजाद नही करूंगा...""**
पीटर की आवाज सुन मैं अपने ख्यालों से बाहर निकला...
"" नही पीटर ऐसा कुछ नही है....में बस ये सोच रहा था की जल्दी से जल्दी तुम्हारे काम को अंजाम दे दूं ताकि मैं अपनी रिसर्च का काम निपटा सकूं ...वैसे मेरे मन में एक सवाल और भी था की तुम्हे इसी लोकेशन पे ये डिवाइस क्यों इंस्टॉल करवाना है और ये डिवाइस इंस्टॉल करवाके तुम आखिर करोगे क्या...??""
पीटर ने मेरे सवाल का बड़ी सहजता के साथ जवाब दिया....
**"" में क्या करूंगा ये तो अभी मैं भी नही जानता और मैंने ये लोकेशन क्यों सेलेक्ट करी है उसकी वजह बस इतनी है की यहां इस डिवाइस को चलाने के लिए ऊर्जा काफी है ....एक बात बताना चाहूंगा तुम्हे की जब तुम ये डिवाइस एक्टिवेट कर दोगे तो मैं इस जगह को छोड़ के उसी लोकेशन पे पहुंच जाऊंगा जहां तुम ये डिवाइस लगाओगे और मेरे जाते ही यहां का सिक्योरिटी सिस्टम पहले की तरह हो जाएगा...अब तुम्हे देर न करते हुए अपने काम में लग जाना चाहिए ...।""**
**ठीक है पीटर ...एक बार मैं मेरी मां से मिल लूं उसके बाद तुम्हारे काम के लिए निकल जाऊंगा ।""
पीटर से बस इतना कह मैं तुरंत मां के रूम की तरफ लपका और मेरे साथ प्रिया भी....
मां के दोनो स्तनों के मध्य एक हल्की सी खरोच आई थी जिस वजह से मां का खून बह निकला था ....अंदर घुसते ही सबसे पहली नजर मेरी उसी जगह पड़ी जहां मां को चोट लगी थी लेकिन नेहा ने वहां एक बैंडेज लगा दी थी और ब्लाउज भी बदल दिया था...
"" मां ... मां...आप ठीक तो हो ना....आपको ज्यादा चोट तो नही आई है ना...??""
बिस्तर से उठते हुए मां ने जवाब दिया....
"" नही राज मुझे कुछ नहीं हुआ....बस मुझे तेरी चिंता खाए जा रहीं है.....हम सब को बचाने के लिए तू जो काम करने जा रहा है वो सही है या गलत बस यही सोच सोच के दिल बैठा जा रहा है....अपना ध्यान रखना मेरे बच्चे....मुझे अपनी परवाह नहीं है लेकिन जब मैं तुम तीनो को देखती हूं तो घबरा जाती हूं...अगर तुमने उसका काम नही किया तो पीटर ना जाने तुम सबके साथ क्या सलूक करेगा.....बस यही एक वजह है की में कलेजे पर पत्थर रख तुझे जाने दे रही हूं....""
इतना कहते ही मां सुबकने लगी और मैंने उन्हें ढांढस बंधाते हुए कहा....
"" मुझे कुछ नही होगा मां और ना ही यहां मौजूद परिवार के सदस्य को कुछ होगा....में अब जा रहा हूं मां....नेहा प्लीज मां का ख्याल रखना और प्रिया तू मां और नेहा के साथ ही रहना...""
प्रिया - में यहां नहीं रुकूंगी भाई.....में आपके साथ चलूंगी मां का ध्यान रखने के लिए यहां भाभी है और वैसे भी पीटर ने कहा है की वह अब किसी को तकलीफ नहीं पहुंचाएगा तो मुझे आपकी हेल्प के लिए साथ चलना ही चाहिए....
प्रिया की बात सही थी क्योंकि उस डिवाइस को ले जाने के लिए मुझे किसी न किसी की जरूरत तो थी ही....पीटर शायद ही मुझे कबीले वालों से मदद लेने देगा इसलिए मैने प्रिया को अपनी मौन स्वीकृति दे दी....
में और प्रिया बाहर हाल में आ गए और पीछे पीछे नेहा और मां भी....
"" पीटर मैं जाने के लिए तैयार हूं....मेरी मदद के लिए प्रिया साथ आएगी जबकि नेहा और मां यही रहेगी....तुम्हे कोई ऐतराज तो नही है इस बात से..??""
कुछ पलों की शांति के बाद पीटर की आवाज हाल में गूंजी....
**"" में अपने वादे का पक्का हूं राज....लेकिन किसी और को इस बारे में कुछ भी पता नही होना चाहिए क्योंकि मैं इस वक्त ये बिल्कुल नही चाहूंगा की कोई मेरे काम में अड़चन पैदा करे....""**
पीटर का इतना कहना हुआ और दरवाजे पर लगी स्टील की सलाखे हट गई और दरवाजा अपने आप खुलता चला गया.... अभी हम सब दरवाजे से बाहर निकलने ही वाले थे की प्रिया वापस घूमी और उस जगह चली गई जहां कुछ देर पहले मां पर मशीनी हाथो ने हमला किया था....नीचे पड़ा मां का छोटा सा शोल्डर बैग अपने कब्जे मैं लेकर प्रिया हमारे साथ आकर खड़ी हो गई....
मां की नजर जब प्रिया के कंधे पर लटके बेग पर पड़ी तो उनके चेहरे पर सुकून के भाव उमड़ आए....और उन्होंने प्रिया के माथे को चूमते हुए कुछ कहा...
"" प्रिया....मेरी बच्ची अपना और अपने भाई का ख्याल रखना....""
"" हां मां आप भाई की या मेरी चिंता मत करो....हम जल्दी ही वापस लौट आएंगे ""
प्रिया ने अपनी बात खतम ही करी थी की पीटर की आवाज स्पीकर से गूंज उठी....
**""राज तुम्हारी मां और नेहा दरवाजे से बाहर नही जा सकते इसलिए तुम दोनो यही से इनसे विदा लो और अपने काम को अंजाम देने की तरफ पहला कदम बढ़ाओ""**
मैने मां और नेहा को बारी बारी गले से लगाया और उनसे विदा ली....विदा लेने के बाद जैसे ही हम दोनो भाई बहन ने हॉल के मुख्य दरवाजे से बाहर कदम रखा स्टेनलेस स्टील की मोटी सलाखें फिर से दरवाजे की जगह उभर आई....
नेहा और मां बिना कुछ कहे बस उन सलाखों को किसी कैदी की भांति पकड़े बस हमे ही देखे जा रहे थे तभी यकायक मुख्य दरवाजा भी बंद हो गया....
दिन के साढ़े तीन बजे थे लेकिन बाहर अंधेरा होना शुरू हो चुका था....प्रोफेसर दास ने मुझे जो आई फोन दिया था वो साथ लाना मैं बिलकुल भी नही भुला था लेकिन उस मोबाइल मैं सिग्नल नाम की कोई चिड़िया अभी मौजूद नहीं थी....
मैने और प्रिया ने वह डिवाइस संभाल के उठाया हुआ था डिवाइस ज्यादा भारी तो नही था लेकिन उसकी लंबाई तकरीबन साढ़े छह फीट होगी, दिखने मैं वह डिवाइस किसी छोटे रॉकेट की भांति लग रहा था लेकिन ये रॉकेट ही होगा ऐसा मेरा बिलकुल भी मानना नही हैं....
प्रिया - भाई अब हम उस लोकेशन तक कैसे पहुंचेंगे....हमारे पास ना तो कोई बोट हैं और ना ही कोई साधन की हम समंदर में जाकर वह लोकेशन ढूंढ सकें...।
प्रिया की चिंता को समझते हुए मैने कहा...
"" जब हम इस द्वीप पर आ रहे थे तब हेलीकॉप्टर से मैने कुछ मछली पकड़ने वाली नावें देखी थी जो इसी द्वीप के कबीले के लोगो की होगी....हमे चुप चाप वहां से एक नाव चुरानी हैं और वहां से निकलने के बाद ही हमे उस लोकेशन के बारे में पता करना होगा....अगर मेरा मोबाइल अभी चालू होता तो एक सेकंड में वह लोकेशन पता कर लेता लेकिन शायद पीटर ने यहां के सारे नेटवर्क बंद कर दिए है इसी वजह से ये मोबाइल भी काम नही कर रहा...""
प्रिया - शायद हम पीटर की रेंज से दूर जाने पर आपका मोबाइल काम करना शुरू कर दें....और आपके बॉस को यहां जो हुआ उसके बारे में भी सूचित कर दें , क्या पता वो हमारी कुछ मदद कर पाए....??
प्रिया की बात सुन मैं चलते चलते एक क्षण के लिए रुका लेकिन एक गहरी सांस छोड़ते हुए फिर से चलते हुए कहने लगा....
"" अभी इस बारे में किसी को भी इनफॉर्म करना खतरे से खाली नही होगा....ना जाने पीटर मां और नेहा का क्या हाल करेगा जब उसे इस बारे में पता चलेगा....इस बात को हमे किसी को नही बताना है ये ध्यान रखना बच्चा...""
अंधेरे में चलते चलते हम उस जगह तक पहुंच गए जहां एक तरफ तो कबीले वालों की बस्ती थी और दूसरी तरफ उन लोगों की कुछ नावें बंधी हुई थी समंदर के तट पर.....
बिना कोई आवाज किए हम उन नावों की तरफ बढ़ने लगे और उनमें से एक ठीक ठाक नाव देख कर उसमे चढ़ गए....
कुछ देर की मशक्कत के बाद हम तट से दूर अथाह समंदर में निकल आएं....
मैने अपना मोबाइल निकाला तो उसमे सिग्नल भी दिखाई देने लगे थे...मैने बिना कोई देरी किए उस मोबाइल मैं एक ऐप को ओपन किया जिसके बारे में मुझे दास बाबू ने कुछ दिन पहले बताया था की इसमें कोई भी लोकेशन कॉर्डिनेट डालो ये उस जगह की लोकेशन बताना शुरू कर देगा....
मैने पीटर द्वारा दी हुई लोकेशन उस ऐप में डाली और लोकेशन डालने के साथ ही मोबाइल की स्क्रीन पे एक कंपास ( दिशा सूचक यंत्र ) उभर आया.... उस कंपास के नीचे की तरफ किलोमीटर और नॉटिकल माइल दोनो तरह की दूरी दिखाने वाली डिजिटल मीटर भी चालू हो चुका था....
कंपास के हिसाब से हमें पूर्व की तरफ जाना था और नीचे दिखा रहे किलोमीटर भी तकरीबन 80 किमी ही दिखा रहा था और नॉटिकल माइल्स वाला मीटर 148.16 दिखा रहा था....
मैने अपना मोबाइल प्रिया के हाथो मै देते हुए कहा....
"" प्रिया ये कंपास हमे अपनी मंजिल तक लेकर जाएगा...तुम मुझे बराबर दिशा बताती रहना ताकि मैं बिना किसी रुकावट के नाव खेता रहूं....""
इसी के साथ प्रिया मुझे दिशा दिखाने लगी और वो दिशा हमे किस तरफ लेकर जाएगी वो आप पाठकों को जरूर पता होगा....एडवेंचर और थ्रिल से भरपूर होगा अगला अपडेट इसीलिए कहानी की गलतियां और अच्छाइयां बताने मैं कंजूसी न बरतें.....ये कहानी आपकी है में बस इसे लिख रहा हूं