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Incest मुर्दों का जजी़रा

Vijay2309

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नेहा का एक गलत फैसला उसकी लाइफ चौपट कर दी.... उसने अपने फेमिली के विरुद्ध जाकर रोहित से शादी की जो उनके लिए बहुत खराब रहा ।........ लेकिन क्या नेहा को राज की आंखों में अपने लिए प्रेम की भावना नहीं दिखी ? क्या वो नहीं जानती थी कि राज उससे बेपनाह मोहब्बत करता है ?

रोहित से रूसवा होकर वो राज के आशियाने में पनाह मांग रही है..... खुबसूरत लड़की है....राज का पहला प्यार है.... शायद राज पिघल जाए......हो भी क्यों नहीं ?..... खुबसूरत लड़कियों को दुखी भला कौन देख सकता है !

प्रिया का नेहा के प्रति जलन भाई के साथ किए गए उसके व्यवहार के लिए नहीं बल्कि उसका सौतिया डाह के लिए ज्यादा दिखाई दे रहा है ।

बेहतरीन अपडेट विजय भाई ! अगले अपडेट का इन्तजार रहेगा ।
कहानी पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया भाई....नया अपडेट आज आ जाएगा:hug:
 

Vijay2309

Well-Known Member
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waiting for the next update...
very very very good and nice updated waiting for next update and my friend
Waiting for next update.
Kya hua, update kha hai?
कहानी पसंद करने के लिए आप सभी का शुक्रिया....नया अपडेट आज आ जाएगा:yo:
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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मुंबई , यूं तो सपनों की मायानगरी कहलाती है लेकिन यहां सभी के सपने पूरे हो जाएं ऐसा भी नहीं है....सपने देखना या सपने दिखाना इस शहर की खासियत है , चाहे वो फिल्मी दुनिया की चमक धमक हो या अरबों रुपया कमाने वाले बिजनेसमैन लोगों की खोखली दुनियां हो या फिर मामूली सी चाल में रहने वाले राज चंद्रा की गरीबी और परेशानियों से भरी दुनियां हो....

राज इस वक़्त समंदर किनारे बैठा गीली रेत में अपनी उंगलियां घुमा रहा था....हर बार वो अपना नाम लिखने की कोशिश करता लेकिन समंदर की लहर उसे इतना भी वक़्त नहीं दे रही थी की वो उस मुलायम रेत पर अपना पूरा नाम लिख सके.....
दुबला पतला , रंग सांवला, कद काठी का औसत....ना जाने अपना नाम लिखने में ऐसा खोया हुआ था कि उसे ये याद ही नहीं रहा कि ऑफिस से निकले उसे तीन घंटे से ज्यादा हो गए हैं....रात के 9.30 बजने वाले थे और उसी वक़्त किसी ने राज के कंधे पर पीछे से हाथ रखा....

राज की मानो जैसे तपस्या भंग हो गई हो.....वो एक दम से हड़बड़ा कर अपनी जगह से उठा और कंधे पर हाथ रखने वाले की तरफ घूम गया....

राज - कहिए.....क्या हुआ...?
अजनबी ने अपने चेहरे पर कातिल मुस्कान लाते हुए राज को जवाब दिया....
अजनबी - मुझे लगा आप अकेले बैठे बोर हो रहे हो में तो बस आपको कंपनी देने के लिए इधर आ गया....
राज - जी नहीं शुक्रिया ....में वैसे भी घर जाने वाला था अब मुझे किसी की कंपनी कि जरूरत नहीं है..
अजनबी - अच्छा अच्छा....लगता है आप मेरी बात का बुरा मान गए...दरअसल मैं आपसे कहना चाहता था कितना हसीन मौसम हो रखा है....चांदनी बिखरी है आसमां में ज्वार भी धीरे धीरे बढ़ रहा है समंदर की ठंडी हवा भी कितनी सुहानी हो चली है और सबसे अच्छी बात ये कि इस पूरे बीच पे आप भी अकेले और में भी....
अपनी बात पूरी करते करते अजनबी ने अपनी एक आंख मार दी...जिसे देख राज के जिस्म में चीटियां रेंग गई....

राज - ये क्या बदतमीजी है.....तुम्हे में क्या उस तरह का लड़का दिखता हूं क्या..?? माना में इधर अकेला बैठा था लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि तुम इस तरह से बदतमीजी करोगे मेरे साथ.....अब चुप चाप मुझे यहां से जाने दो वरना मैं पुलिस मैं तुम्हारी कंप्लेन कर दूंगा....

राज ने उस आदमी को पुलिस की धमकी तो दे दी लेकिन अंदर ही अंदर उसकी कितनी फट रही थी ये खुद राज ही महसूस कर सकता है....

अजनबी - मुझे कोनसा तुम्हारे साथ शादी करनी है.....500 रुपए दूंगा बस मेरे साथ आधे घंटे के लिए उन चट्टानों के पीछे चल चल.....कसम से बिल्कुल भी दर्द नहीं होने दूंगा तुझे....ये देख मेरे पास जैल भी है चिकना चिकना....

अजनबी की बात सुनकर राज का पिछ्वाड़ा कांप उठा....उसने इधर देखा ना उधर बस सरपट दौड़ लगा दी....अभी वो दौड़ते दौड़ते उसने अजनबी की तरफ पलट कर देखा तो उसे राहत की सांस अाई.....वो अजनबी अपनी ही खुमारी में दूसरी दिशा में आगे बढ़ चुका था....

10 बज चुके थे और अब किसी भी हालत में 10.15 की बस पकड़नी थी ......एक बार फिर से उसने नरम रेत पर दौड़ लगा दी लेकिन अभी वो कुछ दूर तक ही दौड़ा था कि पता नहीं कैसे उसे एक ठोकर लगी और उसका सर रेत में पड़े एक पत्थर से टकरा गया......
कहते है ना कि जब ग्रह नक्षत्र खराब हो तो एक मामूली वस्तु भी आपके मजे ले सकती है और ऐसा ही राज के साथ भी हुआ....
राज के माथे से झरझर खून बहने लगा उसकी आंखो के आगे चांद सितारे तांडव सा करने लग गए थे....उन्हीं चांद सितारों का तांडव देखते देखते राज अपने होश खो ता चला गया.....

शायद आज सच में राज की किस्मत के सितारे बुलंदी पर बैठ कर दारू पी रहे थे तभी ना सितारों को उसका ख्याल रहा ओर ना ही उधर से गुजरते कुछ लोगो को जिनमें से वो अजनबी भी राज को अनदेखा करते हुए अपने घर की तरफ निकल गया......



ज्वार की वजह से समंदर भी अब अपना आकार बदलने लगा था.....तेज हवा के साथ आती हुई लहरें भयंकर प्रतीत हो रही थी.....तकरीबन डेढ़ घंटे बाद एक तेज लहर ने राज को भिगो दिया.....ठंडे पानी का अहसास होते ही राज अपनी बेहोशी से बाहर आया ओर अपने माथे पर लगी चोट को हाथ लगा के महसूस करने लगा.....लेकिन ना अब वहां से कोई खून बह रहा था और ना ही सर पे कोई घाव महसूस हुआ राज को.....
मन ही मन राज खुद को कोसते हुए खड़ा हुआ और अपने कपड़े झाड़ते हुए अपना बैग उठाने के लिए झुका.....अभी उसने बैग उठाया ही था कि एक हल्की सी खनक ने उसका ध्यान उस जगह लगा दिया जहां कुछ देर पहले उसका बैग पड़ा था....

चांदनी रात में वो बिल्कुल साफ साफ देख पा रहा था......उसने रेत में धंसी उस वस्तु को बाहर निकाला और चांद की तरफ करके उस वस्तु को देखने लगा.....वो वस्तु एक कांच की बोतल थी जिसके अंदर कागज जैसा कुछ पड़ा था....राज ने बिना वक़्त गवाए उस बोतल से कॉर्क हटाया और ओर अंदर से कागज बाहर निकाल लिया.....

चांद की रोशनी इतनी भी तेज नहीं थी कि उस छोटे से कागज पे जो लिखा था वो पढ़ा जा सके.....राज को बस उस कागज पे कुछ लकीरें और कुछ नंबर लिखे दिखाई दिए और बाकी कुछ भी नहीं.....उसने फुर्ती से वो कागज़ अपनी जेब में घुसेड़ा और अपने कपड़े झाड़ता हुआ सड़क कि ओर बढ़ गया.....

लिफ्ट ले लेकर राज किसी तरह अपने घर तक पहुंचा, दरवाजा खुलते ही राज की नजर सबसे पहले अपनी छोटी बहन प्रिया पर पड़ी जो की रात के दो बजे भी अपनी पढ़ाई में लगी हुई थी....

राज - क्या बात है प्रिया अभी तक तुम सोई नहीं..??
प्रिया वापस अपनी स्टडी टेबल पर बैठते हुए बोली...

प्रिया - भैया फाइनल एगजाम सर पे आ गए है....अगर अभी भी पढ़ने नहीं बैठी तो इस बार स्कॉलरशिप नहीं मिल पाएगी.... और वैसे भी कब तक आप अकेले हम सब का बोझ उठाते रहोगे....कभी ना कभी तो मुझे भी कमाने के लिए निकलना ही पड़ेगा...

प्रिया की बात पूरी हुई तब तक राज अपने जूते उतार चुका था और उसके बाद राज कुर्सी पर बैठते हुए प्रिया से बोला....

राज - प्रिया....में नहीं चाहता तू भी मेरी तरह दुनिया के धक्के खाए.....बायो साइंस में पीएचडी करने के बाद भी मुझे कोई ढ़ंग की नोकरी नहीं मिल पाई....किसी तरह एक प्राइवेट लेब में नौकरी मिली है लेकिन उस से भी घर चलाना भारी पड रहा है.... वैसे एक बात बता मां की तबीयत अब कैसी है....सुबह जब मैं गया था तब अच्छा खासा बुखार था उन्हें...

प्रिया ने एक बार राज कि तरफ देखा और फिर बोलना शुरू किया....
प्रिया - भैया लेडिज में ऐसी प्रॉब्लम हर महीने आती है....साइंस के इतने अच्छे स्टूडेंट होने के बाद भी आप ये सब भूल कैसे जाते हो..???
राज - अच्छा अच्छा ठीक है अब दाढ़ी मां मत बन.....मां ने और तूने खाना खाया या मेरा ही इंतेज़ार कर रहे थे....??

प्रिया - मां को मैंने खाना खिला के सुला दिया है भैया बस अब आप और में ही बाकी रहें है..... वैसे मैं एक बात पूछना तो भूल ही गई की आपके कपड़ों पे इतनी मिट्टी कैसे लग गई आज....??

राज बुरा सा मुंह बनाते हुए बोलने लगा....

राज - कुछ नहीं यार वहीं मेरी बीमारी....तू तो जानती है ही की मुझे अगर सर पे हल्की सी चोट भी लग जाए तो मुझे ऐसा लगता है कि खूब सारा खून बहने लगता है....बस ऐसी ही एक चोट आज समंदर किनारे लग गई और में बेहोश हो गया....जब होश आया तो काफी देर हो चुकी थी बस इसी वजह से मुझे आने मैं इतनी देरी हो गई....

प्रिया राज के सर पे लगी चोट को देखने कुछ जरूरत से ज्यादा ही पास आ गई..... कॉटन की नाइटी में से प्रिया के निप्पल के उभार साफ़ नजर आ रहे थे लेकिन राज ने तुरंत उन खूबसूरत उभारों से अपनी दृष्टि हटा ली....प्रिया राज कि चोट का मुआयना कर चुकी थी.... सर पे बस एक हल्का सा गुमड़ ही उभरा था ना कोई घाव और ना ही कोई खून का निशान....

उसके बाद दोनों भाई बहन ने अच्छे से खाना खाया और प्रिया फिर से अपनी पढ़ाई में लग गई जबकि राज उसी रूम में अपने बिस्तर पे लेटा लेटा उस कागज को देखे जा रहा था जिसमें एक नक्शा बना हुआ था और 8 अलग अलग नंबर लिखे हुए थे ।

सुबह जब राज कि नींद खुली तो उसकी सब से पहली नजर प्रिया पर पड़ी जो की राज के पलंग के नीचे ही बिस्तर बिछा के सो रही थी....उसकी नाइटी उसकी जांघो तक चढ़ी हुई थी...दूध जैसी गोरी जांघे किसी भी मर्द के ज़मीर को हिला देने के लिए काफी थी..... और उसका असर राज पर भी होना लाजमी था....एक तो राज का लंड पहले से ही खड़ा था उपर से प्रिया कि क़यामत ढाती जांघें देख राज का लंड झटके मारने लगा....

किसी तरह राज ने खुद को संभाला ओर प्रिया के उपर एक साफ चादर डाल दी...अब राज अपने बिस्तर से उठ के सीधा किचन की तरफ पानी पीने गया जहां राज कि मां पहले से ही मौजूद थीं...

राज की मां सुमन 48साल के लगभग होगी लेकिन फिगर और रंग के मामले में वो प्रिया से कहीं से कम नहीं थी ।

सुमन - राज....कल रात इतनी देर कैसे हो गई घर आने में...??
सुमन ने चिंतित होते हुए राज से अपनी बात कही...लेकिन राज ने बात बदलने के हिसाब से अपना सवाल मां पर डाल दिया...
राज - मां पहले ये बताओ आपकी तबियत कैसी है.....डाक्टर के पास चलना हो तो बताओ मैं आपको ले चलता हूं....

सुमन कुछ सोचते हुई बोली....

सुमन - नहीं रै .....में अब ठीक हूं.....मुझे हल्का सा बुखार था जो की अब ठीक है तू बिना वजह मेरी चिंता मत किया कर....अच्छा एक बात तो मैंने तुझे बताई ही नहीं....आज दिन में तेरी नेहा भाभी आ रही है.....रोहित किसी काम से दिल्ली जा रहा है तो कुछ दिनों के लिए वो हमारे साथ ही रहेगी....।।

रोहित और राज दोनो जुड़वा भाई है, रोहित जो कि किसी मल्टीनेशनल कंपनी मैं मामूली सी नोकरी कर रहा है.... और राज की भाभी नेहा कि तो बात ही मत पूछो....सुंदर इतनी की सुंदरता शरमा जाए कॉलेज के दिनों से ही राज नेहा को पसंद करता था लेकिन कभी अपने दिल की बात नेहा को नहीं बता पाया और शायद इसी वजह से नेहा नाम कि लॉटरी रोहित के नाम पर खुल गई........नेहा को राज पसंद करता है ये बात सिर्फ प्रिया जानती थी, और शायद यही वजह थी कि रात को नेहा के आने की खबर प्रिया ने राज को नहीं दी ।

राज को सोच में डूबा देख सुमन ने अपना सवाल राज पे दागा....

सुमन - क्या हुआ बेटा ...?? किस सोच मैं डूब गया....तेरी तबियत तो ठीक है ना...??

राज का चेहरा नेहा का नाम सुनते ही उतर चुका था....आखिर कैसे सामना करेगा नेहा का फिर से राज....शादी के दो हफ्ते बाद ही रोहित और नेहा दूसरी जगह रहने लगे थे जो की रोहित के ऑफिस के पास भी पड़ता था और नेहा के पीहर के पास भी.....जबकि शादी मैं बड़ी मुश्किल से राज घर आ पाया था वो भी बस रिसेप्शन वाले दिन उसके बाद जब वो वापस घर आया तो रोहित और नेहा दूसरे घर में शिफ्ट हो चुके थे....आज पूरे एक साल बाद नेहा के आने की बात सुनकर राज बौखला सा गया था....

राज - नहीं मां में ठीक हूं.....अच्छा मेरे लिए जल्दी से कुछ नाश्ता बना दो में आज जल्दी ऑफिस जाऊंगा....
अपनी बात कह के राज बाथरूम कि तरफ बढ़ गया जबकि प्रिया अपने बिस्तर में लेटी लेटी अपने भाई का असल दर्द समझ पा रही थी.....
:superb: :good: :perfect: amazing story hai bhai,
starting to bahot hi shandaar hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai
 

aman rathore

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सुबह के 7 बज चुके थे....राज नहा धो कर ऑफिस के लिए रेडी हो चुका था जबकि प्रिया जस्ट अभी बिस्तर से उठ कर बाहर बरामदे में आ चुकी थी....

प्रिया - मां मेरे लिए भी दो परांठे बना देना....जब तक मैं भी नहा कर आ जाती हूं....आज में कॉलेज भैया के साथ ही चली जाऊंगी....

इतना कह प्रिया टॉवल उठा के बाथरूम में घुस गई जबकि प्रिया की मां सोच मै डूब गई...

सुमन - राज ये प्रिया को क्या हो गया है....उसका कॉलेज ओर तेरी लेब दोनो ही अलग अलग दिशा में है फिर वो तेरे साथ कैसे जाएगी कॉलेज...?

राज ने अपने बैग मैं वॉटर बॉटल डालते हुए कहा...

राज - मां कॉलेज ओर लेब अलग अलग दिशाओं मै है लेकिन बस तो एक ही जगह से मिलेगी....आप भी ना पता नहीं क्या क्या सोचना शुरू कर देती हो....प्रिया के कहने का मतलब ये था कि वो मेरे साथ बस स्टॉप तक चली जाएगी और कुछ नहीं...।

सुमन खुद पर ही मुस्कुराते हुए....

सुमन - सच में राज में भी पागल हो गई हूं तुम लोगो का सोच सोच के....चल अब जल्दी से नाश्ता कर ले जब तक प्रिया भी नहा के आ जाएगी....फिर तुम दोनों के टिफिन भी पेक कर देती हूं...

सुमन इतना कह के फटाफट हाथ चलाने लग गई जबकि राज अपना नाश्ता खतम करने में लग चुका था....

प्रिया भी अब तैयार हो कर बाहर आ चुकी थी और सुमन ने प्रिया का टिफिन भी राज के टिफिन के पास में ही रख दिया....क्योंकि प्रिया सुबह सुबह नाश्ता नहीं करती इसी वजह से सुमन ने प्रिया का नाश्ता नहीं लगाया था....

दोनो भाई बहन घर से बाहर निकल कर सड़क पर आ चुके थे लेकिन दोनों ही बिल्कुल चुपचाप चल रहे थे....लेकिन प्रिया ने इस चुप्पी को तोड़ते हुए कहा....

प्रिया - भैया क्यों उस लड़की के लिए आप अभी भी अपना दिल जला रहे हो....अब भूल जाइए उसको , क्योंकि अब सब कुछ बदल चुका है....आपके इस तरह घुट घुट के जीने से नेहा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा बल्कि आप और कमजोर होते चले जाएंगे....खुद की हालत देखी है आपने कभी....पहले मेरा भाई कितना हैंडसम लगता था लेकिन अब क्या हालत बना ली उस बेगैरत लड़की के पीछे..??

अचानक ये बोलते बोलते प्रिया की आंखे छलक उठी जबकि राज अपना सर नीचे किए लगातार चले जा रहा था जैसे उसे प्रिया कि बात से कोई फर्क पड़ा ही नहीं हो...

प्रिया अपने भाई को इस हालत में देख के और भी ज्यादा परेशान हो गई....उसने राज का हाथ पकड़ के रोकते हुए कहा....

प्रिया - भैया मैंने आपसे अभी कुछ कहा है....आप इस तरह से खुद को खतम नही कर सकते....आपको मेरी बात का जवाब देना ही होगा...।।

प्रिया इस वक़्त गुस्से और अपने भाई के लिए उठे दर्द में ये भी भूल गई की वह इस वक़्त सड़क पर है....लेकिन राज ने प्रिया की आंखो में आंसू देखे तो वो खुद को जवाब देने से नहीं रोक पाया....पहले उसने प्रिया के आंसू पोंछे फिर अपनी बात कहना शुरू करी....

राज - देख प्रिया मैंने सिर्फ और सिर्फ एक लड़की को चाहा , लेकिन अब वो मेरी ज़िन्दगी में नहीं आ सकती कभी भी ये भी मै जानता हूं...लेकिन में क्या करूं यार ज़िन्दगी इस तरह से मेरे साथ खेल खेलगी मुझे आज भी यकीन नहीं हो रहा...!

प्रिया अपने भाई के सीने में उठते दर्द को भली भांति समझ पा रही थी...इसलिए उसने राज के प्रति थोड़ा सख्त मिजाज अपनाते हुए बोला...

प्रिया - भाई ऐसे काम नहीं चलेगा....मुझे मेरा पुराना भाई वापस चाहिए , अगर आप बोलो तो में आपके लिए लड़की ढूंढ़ सकती हूं.... और अगर आपको इसी तरह रहना है तो मुझे माफ करना में इसमें आपका साथ नहीं दे सकती , में कल ही मां को सब कुछ सच सच बता दूंगी ...!

राज - प्रिया बेकार की बाते मत कर....मेरी ज़िन्दगी में अब कोई भी लड़की नहीं आ सकती.... और रही बात मां को बताने की तो उन्हें बताने से पहले एक बार ये जरूर सोच लेना की मेरे साथ साथ तू रोहित की भी ज़िन्दगी बर्बाद कर देगी....इसलिए जैसा चल रहा है उसे वैसा चलने दे....

राज ने अपनी बात ख़तम ही करी थी कि प्रिया कि बस तेज आवाज़ करते हुए उसके सामने आकर रूकी...लेकिन प्रिया ने बस में चढ़ते हुए बस इतना ही बोला....

प्रिया - अगर कोई लड़की आपकी ज़िंदगी में नहीं आ सकती तो मैं आऊंगी , अभी मैं मरी नहीं हूं ।।।।

इतना कह कर प्रिया बस में चढ़ गई और राज बस प्रिया को आंखे फाड़े देखे जा रहा था.....राज का ध्यान तब टूटा जब प्रिया की बस वहां से जा चुकी थी....

राज का दिमाग प्रिया द्वारा कहीं गई बातों के झंझावात से जूझ रहा था लेकिन उसके पास प्रिया कि किसी भी बात का जवाब नहीं था....अभी वो कोई जवाब ढूंढ पाता इस से पहले ही राज की बस भी आ धमकी....

लगभग दो घंटे बाद राज अपनी लेब के मुख्य दरवाजे से भीतर दाखिल हुआ....तभी राज के सामने एक चपरासी भी जिन्न की भांति प्रकट हो गया....

चपरासी - राज साहब आपको दास बाबू ने बुलाया है....उन्होंने कहा है की जैसे ही राज ऑफिस आए उसे तुरंत मेरे पास भेज दिया जाए....

राज ने कुछ सोचते हुए चपरासी से पूछा...

राज - क्या हुआ काका ....सर का मूड तो ठीक है ना....कहीं कोई ऐसी वैसी बात तो नहीं हुई ...??

चपरासी - नहीं साहब इस बारे में मुझे कोई अंदाजा नहीं है....मेरे ख्याल से आपको अब जल्दी से उनसे मिल लेना चाहिए....

अपनी बात कह के चपरासी अपने काम में लग गया ओर राज लिफ्ट की तरफ बढ़ गया जो उसे 6 मंजिल पर ले जाएगी....


मै आई कम इन सर....

राज ने दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा.... और अंदर से आवाज आई "" यस कम इन ""

राज इस वक़्त दास बाबू के सामने खड़ा था जो कि 65 की उम्र के होंगे बाल और दाढ़ी रविन्द्र नाथ टैगोर की तरह बढ़े हुए थे... दास बाबू ने माइक्रो बायोलॉजी मैं काफी नाम कमाया और उसी नाम के सहारे उन्होंने ये लेब खड़ी करी थी....

दास बाबू - राज तुम एक मोबाइल क्यों नहीं ले लेते....तुम्हे पता है में कल रात से तुम्हे एक खबर देने के लिए बेचैन हूं लेकिन तुम्हारा कोई पता ही नहीं है..... और प्लीज सीट डॉउन , बात काफी सीरियस है इसलिए तुम बैठ ही जाओ तो बेहतर है.....।

राज घबराते हुए दास बाबू के सामने रखी एक कुर्सी पर बैठ जाता है ...


दास बाबू - राज मुझे तुम्हारी काबिलियत के बारे मै अच्छे से पता है, और में ये भी जानता हूं कि एक अच्छा वैज्ञानिक किस तरह से अपने हुनर को दबा के बैठा हुआ है , राज में तुम्हे आज वो मौका देना चाहता हूं जो की किसी भी व्यक्ति के लिए अहम होता है...... में चाहता हूं कि तुम ब्लू आइलैंड की लेब को संभालो....पैसा इज्जत और शोहरत इतनी मिलेगी जिसके बारे में तुमने कभी सोचा भी नहीं होगा , बस तुम्हे वहां एक ऐसा इन्वेंशन करना होगा जो मानवता के इतिहास को बदल के रख दे....क्या तुम इतनी बड़ी जिम्मेदारी के लिए तैयार हो राज ...?

दास बाबू कि बात सुन राज कि हवाइयां उड़ने लगी थी , एक तो इतनी बड़ी जिम्मेदारी उस पर उसे ये भी पता नहीं था कि उसे इन्वेंट क्या करना है.... और सब से बड़ी बात अगर राज ब्लू आयलैंड चला गया तो पीछे से उसके परिवार को कोन संभालेगा....बस यही सब बातें राज को विचलित किए जा रही थी.... और जब दास बाबू ने राज की स्थिति देखी तो उन्होंने अपनी बात कही...!


दास बाबू - मेरे ख्याल से तुम्हे अपने परिवार की चिंता हो रही है.....अगर ऐसा है तो मेरे पास उसका जवाब भी है , तुम अपने पूरे परिवार को वहां अपने साथ रख सकते हो....बस मामला काफी सेंसेटिव है इसलिए तुम अपने इन्वेंशन के बारे में किसी को बताओगे नहीं....बिल्कुल टॉप सीक्रेट रखना होगा...प्रोजेक्ट की जानकारी तुम्हे ब्लू आयलैंड पहुंचते ही दे दी जाएगी....अब मुझे बस तुम हां या ना में जवाब दो ताकि मुझे अब आगे क्या करना है में वो सब कुछ सोच सकूं.....!!

दास बाबू की बात सुनकर राज काफी हद्द तक सेटिस्फाई हो चुका था, लेकिन फिर भी एक सवाल दास बाबू पर दाग ही दिया ...!

राज - सर ब्लू आयलैंड से वापस आने जाने के लिए क्या साधन उपलब्ध होंगे.....क्योंकि अगर मेरी बहन मेरे साथ वहां जाती है तो उसे एग्जाम देने के लिए मुंबई आना ही होगा....।

दास बाबू ने थोड़ा चिढ़ते हुए अपनी बात कही....

दास बाबू - कैसी बच्चों जैसी बाते करते हो राज.....अगर कोई कहीं जाएगा तो वहां उसे कोई ना कोई साधन तो दिया ही जाएगा आने जाने के लिए.....हर दस दिन बाद मुंबई से एक हेलीकॉप्टर ब्लू आयलैंड के लिए निकलेगा....जो की तुम लोगो के राशन और लेब के सामान को लेकर जाएगा.....अगर किसी को वहां से वापस आना है तो वो हेलीकॉप्टर में बैठ के निकल सकता है बस...!!

राज का इतना ही सुनना था और तुरंत उसने अपना फैसला दास बाबू को सुना दिया...

राज - ठीक है सर.....में तैयार हूं ब्लू आयलैंड जाने के लिए ....वहां जाने के लिए कब निकालना होगा सर ???

दास बाबू - तीन दिनों में तुम्हे निकालना होगा....अपने कपड़े ही लेना साथ में बाकी सारा जरूरत का सामान तुम्हे वहीं मिल जाएगा....

राज - ठीक है सर....में आज ही मां को ये खुशखबरी सुना देता हूं....!!

इतना कह के राज अपनी कुर्सी से उठा और बाहर जाने लगा तो दास बाबू ने उसे रुकने के लिए कहा और अपनी टेबल के नीचे से एक बॉक्स निकाल कर राज के हाथों में थमा दिया....

राज - ये क्या है सर ???


दास बाबू - ये तुम्हारे लिए लैपटॉप और एक आई फोन ताकि मैं तुम से पर्सनली कॉन्टैक्ट कर सकू....एक बात और राज....जिस जज़ीरे पर तुम लोग जा रहे हो वो किसी भी नजर मैं स्वर्ग से कम नहीं हैं , लेकिन में तुम्हे सावधान भी करना चाहूंगा जो चीज जितनी सुंदर होती हैं वो उतनी ही खतरनाक भी होती है.....इसलिए वहां खुद का और अपने परिवार का भी ध्यान तुम्हे ही रखना होगा...!!!
:superb: :good: :perfect: awesome update hai bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
raj ki to achanak se kismat hi badal gayi hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai
 

aman rathore

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आज तो जैसे राज के जिस्म पर पंख लग गए हो.....वो इतना खुश पहले कभी नहीं था , उसके पिता की मृत्यु के बाद तो राज जैसे टूट ही गया था और बाकी रही सही कसर नेहा ने उसके सगे भाई से शादी करके पूरी कर दी ।

अभी राज अपनी टेबल पर बैठा ही था कि दास बाबू द्वारा दिया गया आई फोन बज उठा....
राज - हेल्लो...??
प्रतिउत्तर में सामने से दास बाबू की धीर गंभीर आवाज राज को सुनाई दी...

दास बाबू - राज मैं कुछ डॉक्यूमेंट तुम्हारे पास भिजवा रहा हूं , जिस पर तुम्हे सिग्नेचर करना होगा....तुम किसी खास प्रोजेक्ट के लिए ब्लू आयलैंड जा रहे हो ये बात लेब में किसी को भी पता नहीं होनी चाहिए....तुम्हे ये बात अपने परिवार के अलावा किसी को भी नहीं बतानी हैं.... मेरे ख्याल से तुम्हे मेरी बात समझ आ गई होगी...।

इतना बोल कर दास बाबू ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया और राज अपने रोज मर्रा के काम निपटाने लग गया...

शाम 6 बजते ही राज अपनी लेब से बाहर आ चुका था ....उसका मन तो कर रहा था कि जल्दी से जल्दी घर जा कर ये खुशखबरी अपने परिवार को सुनाए....लेकिन घर जाने से पहले वो कुछ शॉपिंग करना चाहता था अपनी मां और बहन के लिए इस लिए वो एक मॉल में चला गया....

सबसे पहले उसने मां के लिए साड़ी देखनी शुरू की जो की एक से एक आकर्षक रंगों मैं वहां मौजूद थीं , राज ने दो सुंदर साड़ी पसंद करी और सेल्स मेन उन साड़ियों को लेकर काउंटर पर चला गया....अब राज प्रिया के लिए कुछ अच्छा लेना चाहता था इसलिए उसने अपनी नजर चारों तरफ दौड़ाई....तभी उसे एक डमी नजर अाई जिसे एक व्हाइट कलर शॉर्ट निक्कर टाइप का कपड़ा पहना रखा था और एक टॉप जो की शोल्डर से पूरी तरह से खुला था बस दो डोरियां ही शोल्डर पर मौजूद थीं....

राज ने सेल्समैन को इशारा करके ऐसी ही ड्रेस निकालने के लिए कहा और कुछ ही पलों में वो ड्रेस भी काउंटर पर आ गई....

राज ने वहां का बिल चुकाया और मॉल से बाहर निकल गया.....उसके बाद एक मिठाई कि दुकान से उसने अलग अलग तरह की दो किलो मिठाई ली और बस स्टॉप की तरफ बढ़ गया....

बस स्टॉप जाते वक़्त उसकी नजर उस बीच की तरफ गई जहां वो कल रात बेहोश हो गया था....इस जगह को देख राज के चेहरे पर एक मुस्कान चमक उठी और एक पुराना सा गीत गुनगुनाते हुए बस स्टॉप की तरफ चलने लगा....

रात हो चली थी और राज भी अपने घर के दरवाजे पर पहुंच चुका था , अभी राज दरवाजे पर दस्तक देने ही वाला था कि खट की आवाज के साथ दरवाजा खुल गया , इस वक़्त प्रिया अपने भाई के सामने खड़ी थी जो कि आज काफी खुश नजर आ रही थी....
प्रिया - मुझे पता था आप आने वाले हो....और ये आपके हाथ में क्या है.....???

राज ने मुस्कुराते हुए प्रिया को जवाब दिया "" गिफ्ट्स.... ""
राज की बात सुन प्रिया चहक उठी उसने राज के हाथो से वो सारे पैकेट्स ले लिए और अपने भाई को अंदर आने के लिए रास्ता दिया....

प्रिया - मां देखो तो भाई क्या लाया है ....

प्रिया की आवाज सुन सुमन भी रसोई का काम छोड़ के बरामदे में आ गई और गिफ्ट्स के बारे में पूछने लगी....

सुमन - क्या बात है राज आज ये गिफ्ट्स किस खुशी में....कहीं कोई लॉटरी तो नहीं लगी है ना....

राज ने मुस्कुराते हुए कहा

राज - पहले ये गिफ्ट ओपन करके तो देखो उसके बाद बताता हूं सारी बात....

राज का इतना कहना था कि प्रिया ज़मीन पर ही बैठ के वो गिफ्ट्स खोलने लगी....सबसे पहले उसे दो सुंदर सुंदर साड़ियां नजर आईं जिन्हें देख प्रिया का मुंह खुला का खुला रह गया.....

प्रिया - वाउ भैया इतनी सुन्दर साड़ी कहां से ली आपने....?? मम्मी देखो तो सही भैया कितनी प्यारी साड़ी लाए हैं..!

सुमन उन साड़ियों को उलट पलट के देखती हुई बोलती है...!

सुमन - राज किसके लिए लाया है ये साड़ियां...??

राज - मां ये दोनों साड़ियां आपके लिए ही है..!

राज की बात सुनकर सुमन का चेहरा उतर गया ....उसने मायूस होते हुए अपनी बात कही

सुमन - राज क्या जरूरत थी इन साड़ियों पर इतना पैसा खराब करने की...तू अच्छे से जानता है तेरे पापा की डैथ के बाद में ऐसी चमक धमक वाली साड़ियां नहीं पहनती हूं.....तू जाकर कल ही इन्हें वापस दे देना....

अपनी मां कि ऐसी बात सुनकर राज का मन भी उदास हो गया..

राज - पापा के जाने के बाद मैंने आपको हमेशा ऐसे फीके कपड़ों में ही देखा है...लेकिन अब से आप इस तरह के कपड़े नहीं पहनोगी....और अगर आपने मना किया तो में आपसे हमेशा के लिए नाराज हो जाऊंगा...अब चलो मुझे जल्दी से एक साड़ी पहन के दिखाओ...

सुमन इस वक़्त असमंजस कि स्थिति में थी , इसी लिए प्रिया ने सुमन का हौसला बढ़ाते हुए कहा...

प्रिया - भैया इतने प्यार से आपके लिए साड़ी लाए है , क्या आप अपनी फीकी दुनिया के पीछे भैया का प्यार से भरा दिल तोड़ेंगी....आप जल्दी से तैयार हो कर आइए जब तक में दूसरा गिफ्ट खोलती हूं...

ना चाहते हुए भी सुमन अपने रूम में घुस गई जबकि प्रिया ने अपना गिफ्ट खोला तो वो खुशी से झूम उठी...

प्रिया - भैया ये आप मेरे लिए लाए हो....?? सच में मुझे यकीन नहीं हो रहा मेरा प्यारा भाई मेरे लिए इतनी गजब की ड्रेस लाया है....आप एक मिनट यही रुको मैं ये ड्रेस पहन के आती हूं...

प्रिया एक दूसरे रूम में घुस गई जहां राज और प्रिया सोया करते थे.....अंदर घुसते ही प्रिया ने सबसे पहले अपनी जींस उतारी और उसके बाद टॉप....इस वक़्त प्रिया वाइट ब्रा और पैंटी मै क़यामत लग रही थी ,.खुद को इस तरह नंग धड़ंग देख प्रिया खुद से ही शरमा गई....

प्रिया ने राज द्वारा लाए कपड़े पहन लिए थे, लेकिन उस अपने कपड़ों मै कुछ ऐसा नजर आया जिसे देख प्रिया ने बुरा सा मुंह बनाया....दरअसल टॉप के कंधे खुले होने कि वजह से प्रिया की ब्रा की स्ट्रैप नुमाया हो रही थी जो इस वक़्त इस ड्रेस पर काफी ज्यादा बुरी लग रही थी....

प्रिया ने एक पल खुद को अच्छे से देखा और फिर एक झटके मैं अपनी ब्रा का हुक खोल दिया....प्रिया ने ब्रा उतार कर राज के बिस्तर पर रख दी और जब उसने बिना ब्रा के खुद को इस ड्रेस में देखा तो खुद पे गुरूर किए बिना नहीं रह पाई.....प्रिया की हार्ड निप्पल भाले की तरह तनी हुई थी....अपने सेक्सी फिगर को देख प्रिया ने खुद को ही एक फ्लाइंग किस दिया और आइने में खुद को उपर से नीचे तक देखने लगी....

अब बारी थी प्रिया के बाहर आने कि इसलिए प्रिया ने घबराते घबराते दरवाजा खोला और बरामदे मैं आ गई....


राज की नजर जैसे ही प्रिया पर पड़ी उसका मुंह खुला का खुला रह गया....उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि प्रिया इस ड्रेस में इतनी सेक्सी लगेगी ...।

प्रिया - क्या हुआ राज भैया अच्छी नहीं लग रहीं हूं क्या मैं....??

इतना बोल प्रिया गोल गोल घूम कर राज को अपनी ड्रेस दिखाने लगी और राज बुत बना बस प्रिया की ख़ूबसूरती में ही खोया रहा....
तभी ज़मीन पर पड़ी किसी चीज से प्रिया को ठोकर लगी और जैसे ही प्रिया गिरने को हुई राज को होश आया वो अपनी बहन को थामने के लिए आगे बढ़ा ही था कि प्रिया ने खुद के हाथ ज़मीन पर टिका कर खुद को नीचे गिरने से बचा लिए.......लेकिन जब प्रिया संभल के खड़ी हुई तो स्थित बिल्कुल अलग हो चुकी थी....

प्रिया के टॉप की डोरी उसके कंधे से सरक के नीचे उतर चुकी थी और प्रिया का लेफ्ट साइड बूब पूरी तरह से बाहर निकल गया....

राज की नजर जब प्रिया की खुली छाती पर पड़ी तो उसने तुरंत अपना मुंह दूसरी तरफ फैर लिया ....राज का इस तरह मुंह फेरना प्रिया को समझ नहीं आया और जब उसने अपने टॉप से बाहर निकल आए बूब को देखा बस....

प्रिया - आे माय गॉड..... सॉरी भैया सॉरी.....


इतना कह प्रिया तेज़ी से उसी रूम में घुस गई जहां उसने कपड़े चेंज किए थे....

दरवाजा बंद था....एक तरफ जहां राज अभी भी अपनी नजरें दूसरी तरफ घुमाने से डर रहा था , वहीं प्रिया कि सांसे धोंकनी की तरह चल रही थी....उसकी कुंवारी चूत आज पहली बार अपना पानी छोड़ चुकी थी....सफेद जांघो से रिसता हुआ अमृत जल फर्श पर गिरकर एक मदहोश कर देने वाली महक उत्पन्न करने लगा था , जब प्रिया को इस बात का अहसास हुआ प्रिया ने शर्म के मारे अपने दोनो हाथ चेहरे पर रख लिए...

आखिर कार प्रिया ने खुद की भावनाओं को काबू करते हुए अपनी ड्रेस उतार के कॉटन का गाउन पहन लिया जो की वो रात को सोते वक़्त पहनती थी.....तभी बाहर से आती राज की आवाज सुन प्रिया जल्दी जल्दी उस रूम से बाहर निकली....

बरामदे में यैलो कलर कि साड़ी मैं सुमन बिजलियां गीरा रही थी....सुमन ने साड़ी की मैचिंग का ही ब्लाउस भी पहना था जो कि उसके पुराने कपड़ों में से निकाला था....ब्लाउस का गला काफी डीप था इस वजह से पारदर्शी साड़ी में से सुमन की क्लीवेज साफ नजर आ रही थी....

राज - वाह मां गजब लग रही हो आप....मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा की आप मेरी वहीं पुरानी वाली मां हो....अब आगे से ऐसे ही कपड़े पहनोगी आप....और इस बार कोई ना नुकर नहीं होनी चाहिए....

सुमन ने शर्म से अपनी आंखे ज़मीन मैं गड़ाए राज को अपनी बात कहीं...

सुमन - राज अगर ऐसे कपड़े पहन कर बाहर जाऊंगी तो लोग अलग अलग तरह की बातें करेंगे....में ऐसे ही ठीक हूं तू मेरी चिंता मत कर....अब मुझे ये बता आज ऐसी क्या बात है जो तूने अभी तक नहीं बताई....
राज वहां रखी एक कुर्सी पर बैठता हुआ एक नजर प्रिया पर डालता है जो कि बरामदे के एक कोने में सिमटी हुई खड़ी थी...लेकिन तुरंत ही अपनी नजरें प्रिया से हटा कर अपनी बात कहना शुरू करता है...

राज - मां दरअसल मुझे एक प्रोजेक्ट दिया गया है , जोकि ब्लू आयलैंड पर बनी एक लेब में पूरा करना है....और वहां मेरे साथ साथ आप दोनों भी चल रहीं है....मुझे इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए हर महीने 3 लाख रुपए और प्रोजेक्ट पूरा होने पर 10 करोड़ ईनाम भी दिया जाएगा....( पैसों वाली बात राज को तब पता चली थी जब वो दास बाबू के द्वारा भेजे गए पेपर पर दस्तखत कर रहा था )

राज की बात सुन सुमन बेहद खुश हो गई....

सुमन - वाह राज ये तो बड़ी अच्छी खबर सुनाई तूने.....में अभी जाकर सब का मुंह मीठा करा के आती हूं....लोग भी तो जाने मेरा बेटा कितना लायक हैं....

राज ने घर से बाहर निकलती अपनी मां का हाथ पकड़ के रोका और उनसे कहने लगा....

राज - नहीं मां नहीं .....हमें ये सब कुछ किसी को भी नहीं बताना है , बस आप दोनों मेरे साथ चलने कि तैयारी कर लो....सिर्फ जरूरत के कपड़े और ज्यादा कुछ भी सामान नहीं लेकर चलना है...!

इतनी देर से कोने मैं से अपने भाई को निहारती प्रिया बोली....

प्रिया - और वो जो कल नेहा....आई मीन नेहा भाभी आ रही हैं उनका क्या करना है...

प्रिया की बात सुन सुमन भी प्रश्नवाचक दृष्टि से राज को देखने लगी....लेकिन राज को कुछ सूझ नहीं रहा था तो उसने कहा.....

राज - उन्हें भी साथ ले चलेंगे....बस अभी और कोई सवाल नही , मां बड़ी जोर की भूख लगी है अब आप जल्दी से कुछ खाना बना दो....और प्रिया तू एक मिठाई का पैकेट ले जाकर आस पास वालों को ये खुशखबरी दे दे की मेरा प्रोमोशन हो गया है और कुछ महीने के लिए हम सब बाहर जा रहे हैं ।

प्रिया अपने भाई की बात सुनकर तुरंत अपने रूम में गई और एक चुन्नी अपने ऊपर डाल कर एक मिठाई का पैकेट लेकर बाहर निकल गई.....


राज ने जल्दी ही अपने कपड़े चेंज कर लिए और अपना लैपटॉप खोल कर बिस्तर पर जा बेटा......


इंटरनेट से लैपटॉप को कनेक्ट करने के बाद राज ने गूगल पर सब से पहले सर्च किया "" ब्लू आयलैंड ""

सर्च पूरी होते ही कई द्वीपों की पिक्चर्स उभर के सामने आ गई लेकिन कोई भी इमेज एक जैसी नहीं थी....यानी कि गूगल के हिसाब से ब्लू आयलैंड नाम का कोई जजीरा नहीं है......

तभी उसे एक फोटो पर कुछ नंबर दिखाई दिए जो की उस द्वीप की दिशा और स्थिति के बारे में थे द्वीप का कुछ नाम नहीं था बस एक फोटो और लोकेशन के नंबर.....


तभी राज को एक झ्टका लगा .... उसने वो पर्ची अपने पर्स से निकली जो उस दिन उसे बॉटल से मिली थी....पर्ची पर भी बिल्कुल वैसे ही नंबर लिखे थे जैसे कि गूगल बता रहा था.....लेकिन जो मैप उस पर्ची पर बना था वो गूगल कि तस्वीर से मैच नहीं कर रहा था.....पर्ची पर बना मैप देख कर ये साफ प्रतीत हो रहा था कि ये मैप किसी तरह की सुरंगों की भूल भुलैया का नक्शा है.....राज अपना सर खुजाता जा रहा था लेकिन उसे बस इतना ही समझ आया कि ये किसी तरह की सुरंगे है और कुछ नहीं .....
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priya aur raj ek dusre ke kareeb aa rahe hain,
ab dekhte hain ki aage kya hota hai
 

aman rathore

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अभी राज उस द्वीप कि फोटो और पर्ची पर बने नक्शे का मिलान कर ही रहा था कि अचानक लैपटॉप की स्क्रीन से वो इमेज गधे के सिर से सिंग की तरह गायब हो गई....

राज ने उस तस्वीर को गूगल पर बार बार सर्च करने की कोशिश करी लेकिन नतीजा शून्य ही रहा , इमेज का इस तरह से स्क्रीन से गायब हो जाना राज के समझ के बाहर की बात थी इसी लिए उसने प्रिया को आवाज लगाई जो बाहर बरामदे में ही बैठी पढ़ाई कर रही थी....

राज - प्रिया....एक मिनट इधर आना तो बच्चा...

प्रिया का चेहरा अपने भाई की आवाज सुन खिल उठा....वो तो कब से खुद को कोसे जा रही थी कि राज अब उस से बात नहीं करेगा....लेकिन इस तरह अपने भाई को प्यार से आवाज लगाता देख प्रिया किताबों को लगभग एक तरफ फेंकती हुई राज के रूम की तरफ भागी...

प्रिया - क्या हुआ भैया....?? खाना बनने मैं अभी थोड़ा वक़्त और है ....आप कहो तो मैं आपके लिए शर्बत बना दूं....??

राज - अरे ...तुझ से खाने की किसने पूछा ??? मैंने तुझे यहां इसलिए बुलाया ताकि तू मुझे बता सके कि क्या अपने आप कोई इमेज गायब हो सकती है गूगल से....


राज की बात सुन प्रिया नासमझी के भाव में बोली...


प्रिया - कौनसी इमेज भैया....और कहां गायब हो गई....??


राज को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने प्रिया को तफसील से बताना शुरू किया...


राज - अभी कुछ देर पहले मैंने गूगल पर एक इमेज ढूंढी थी ,लेकिन में उस इमेज को देख ही रहा था कि अचानक वो इमेज स्क्रीन से गायब हो गई....अब में दुबारा उस इमेज को ढूंढ़ना चाह रहा हूं ,लेकिन वह मिल नहीं रही कहीं भी....एक बार तू देख कर बता ना ।


प्रिया अब मोर्चा संभाल चुकी थी और उस लैपटॉप को अपनी गोद में रख सर्च हिस्ट्री खंगालने लगी, लेकिन प्रिया भी उस इमेज को ढूंढ पाने मैं नाकाम हो रही थी.... आखिर कार प्रिया ने अपने हाथ खड़े करते हुए कहा...


प्रिया - भैया जिसने ये इमेज पोस्ट करी थी उसने रिमूव कर दी है गूगल से ....अब कुछ नहीं हो सकता....


इतना कह प्रिया ने अपनी गोद से लैपटॉप वापस बिस्तर पर रखा और वहां से उठ कर जाने लगी....लेकिन राज ने उसका हाथ पकड़ कर फिर से अपने पास बैठा लिया और कहने लगा...


राज - सॉरी बच्चा ....मुझे तेरे लिए इस तरह की ड्रेस नहीं लानी चाहिए थी.....में कभी भी नहीं चाहूंगा की तू अपने भाई से नजर चुराए या कोई भी ऐसी गलती का खुद को दोषी ठहराए...जो कुछ आज हुआ वो नहीं होना चाहिए था लेकिन फिर भी में तुझ से माफी.....


अभी राज ने माफी शब्द कहा ही था कि प्रिया ने राज के मुंह पर हाथ रख दिया....


प्रिया - भैया इसमें आपकी कोई गलती नहीं है... वो ड्रेस वास्तव में काफी सुन्दर है और रही बात उस घटना कि तो आप तो मेरे वो भाई हो जिसने बचपन में मेरी सूसू पॉटी तक साफ करी है ....अगर आपकी ये बहन आपके लिए जान भी दे जाए तो आपका कर्जा नहीं उतार सकती...इसलिए ऐसी फालतू की बातों को दिमाग में मत लाओ और जल्दी से मुझे एक प्यारी प्यारी किच्ची दे दो....कितने साल हो गए आपने मुझे एक भी कीच्ची नहीं दी....


प्रिया ने झुंठ मुंठ मुंह बनाकर दूसरी तरफ मुंह कर लिया...

राज - बच्चा अब तू छोटी नहीं रही है.......अब तुझ घोड़ी को इस उमर में किच्चि दूंगा तो लोग क्या सोचेंगे....


प्रिया ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा...


प्रिया - दुनिया क्या कहेगी आपको उसकी परवाह है ' लेकिन आपका बच्चा क्या कह रहा है उसकी कोई फिकर नहीं.....जाओ मैं आपसे बात नहीं करती... आज से खाना भी नहीं खाऊंगी जब तक मुझे मेरी क़िच्ची नहीं मिल जाती....


राज इस वक़्त भारी दुविधा में पड़ चुका था.....उसका दिमाग उसे प्रिया को किस करने से मना कर रहा था लेकिन दिल में बसी प्रिया की मासूमियत और प्यार उसे बाहों में भर खूब सारी क़िछि देने के लिए कह रहा है....


आखिरकार दिल और दिमाग में से दिल कि जीत हुई और राज ने एक झटके मैं प्रिया को अपनी गोद में खींच लिया और उसे बाहों में भर कर उसके गालों पर किच्चियों की बरसात कर दी....


अचानक हुए इस हमले से प्रिया बदहाल सी हो गई....बड़ी मुश्किल से राज से खुद को छुड़ाते हुए प्रिया बोली....


प्रिया - ओहओ भैया सारे गाल गंदे कर दिए आपने....मैंने एक किछि मांगी थी ना की खूब सारी किछियां......अब जाने दो मुझे...,

इतना कह प्रिया अपनी जगह से उठी और घूम कर जाने ही लगी थी कि राज बोल पड़ा......


राज - वैसे मैं ही गधा था जो इतने मीठे गालों को किच्छी देनी बन्द कर दी.....चल कोई बात नहीं देर आए दुरुस्त आए आज से सुबह और शाम दोनो टाइम तुझे कीछी जरूर मिलेगी....


प्रिया राज को अंगूठा दिखाते हुए कहती है .....


प्रिया - कुछ भी नहीं मिलेगा अब आपको ....अगर कोई बदमाशी की तो मम्मी को बता के पिट्टी लगवा दूंगी आपकी....


इतना कह प्रिया हंसते हुए बाहर बरामदे की तरफ भाग गई....जबकि राज के दिमाग से ब्लू आयलैंड की गुत्थी भी निकल गई थी इस छोटी सी मस्ती से...


थोड़ी ही देर में सुमन तीनों का खाना लेकर आ गई और राज और प्रिया तो खाने को देखते ही उस पर टूट पड़े....

आज सुमन ने राज की पसंद की सब्जी और रायता बनाया था, और जो चीज राज की पसंद की हो वो प्रिया कि भी पसंद हो जाती है.....


थोड़ी देर बाद सभी खाना खा कर अपने अपने बिस्तर पर पसर गए ....जहां सुमन अपने अलग रूम में थी वहीं प्रिया और राज एक ही रूम में थे ....प्रिया ने अपना बिस्तर ज़मीन पर बिछा रखा था जबकि राज एक पलंग पर बिछे बिस्तर पर लेट चुका था....


प्रिया - कल नेहा आएगी.....आप अभी भी मम्मी से बोल कर उन्हें आने से रोक सकते है ....।


राज ने एक ठंडी सांस लेते हुए प्रिया से कहा ...

राज - आने दे बच्चा .... उसे भी तो पता चले की राज मरा नहीं है अभी.....वो भी तो देखे की राज गिरा जरूर लेकिन फिर से उठ खड़े होने का माद्दा रखता है , मुझे अब उसके आने या ना आने से कोई फर्क नहीं पड़ता ....

इतना कह राज ने दूसरी तरफ अपना मुंह फेर लिया और राज के इस तरह मुंह फेरने का मतलब प्रिया अच्छे से समझती थी.....प्रिया तुरंत अपने बिस्तर पर खड़ी हुई और अपने भाई के बिस्तर पर लेट कर राज को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया.....


इस वक़्त प्रिया ने राज को कस कर अपने आप से लगा रखा था तभी प्रिया ने अपना हाथ राज के सीने से हटा कर उसके चेहरे पर रख राज के बहते अश्रु साफ करते हुए कहती है ....


प्रिया - मर ने दे ना भाई उस छिनाल को.....एक भाई को इतना दर्द देकर दूसरे भाई को हम से छीन लिया ऐसी औरत मेरे भैया के लायक कभी नहीं हो सकती.....वो भले ही हमारे साथ कुछ दिन रहने आ जाए लेकिन उस रंडी की परछाई भी मै अब अपने भाई पर नहीं पड़ने दूंगी ......


इतना कह प्रिया ने एक बार फिर से कस कर राज को अपनी बाहों मै भर लिया और अपना चेहरा राज कि पीठ में दबा दिया......




पूरा घर इस वक़्त शांति में डूबा हुआ था .....चलते हुए पंखे की खट खट के अलावा बस दोनो भाई बहन के धड़कते दिलों की आवाज ही इस वक़्त उस घर में गूंज रही थी........
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"" राज बेटा उठ जा.....आज लेब नहीं जाना क्या ???""

राज ने अपनी आंखे खोली तो सामने सुमन को मुस्कुराते पाया.....लेकिन अगले ही पल जब राज ने अपने बिस्तर से उठने की कोशिश करी तो उसने देखा कि प्रिया ने उसे अभी तक कस कर अपनी बांहों में भर रखा है....

प्रिया को इस तरह मासूमियत से सोते देख राज के चेहरे पर मुस्कान आ गई....उसने बिना इसकी परवाह किए की उसकी मां सामने खड़ी है , राज ने प्रिया के गुलाबी गालों पर एक गुड मॉर्निंग किस्सी कर दी.....

अपने गालों पर भाई के होंठो का स्पर्श पा कर प्रिया कुनमुनाती सी उठी.....
"" ये क्या भैया सुबह सुबह ही मेरे गाल गंदे कर दिए ""

इतना कह प्रिया फिर से दूसरी तरफ मुंह करके सोने लगी लेकिन तभी सुमन की स्नेह से भरी आवाज सुन प्रिया ने आंखे भी खोल दी...

"" लाडो आे मेरी लाडो.....चल खड़ी हो जा अब जल्दी से तू भी....में नाश्ते की तैयारी करती हूं जब तक तुम दोनों भाई बहन फ्रेश हो कर आ जाओ.. ""

प्रिया ने बिस्तर पर लेटे लेटे ही एक बार अपनी मां कि तरफ देखा और कहने लगी.....

"" मां आज कॉलेज कि छुट्टी है इसलिए में आज सारा दिन सोऊंगी.... प्लीज़ डोंट डिस्टर्ब मी....""

प्रिया की बात सुनकर सुमन ने झूटा गुस्सा दिखाते हुए कहा....


"" डोंट डिस्टर्ब मी की मम्मी चुप चाप खड़ी हो जा , नहीं तो अभी पानी भर के बाल्टी लाती हूं आज तेरा स्नान इसी पलंग पे करवाती हूं....""

अपनी मां कि बात सुन जहां प्रिया ने बुरा सा मुंह बनाते हुए अपना चेहरा बिस्तर मैं घुसा लिया वहीं राज ने प्रिया को उठाने के लिए उसके पेट के नीचे अपने दोनो हाथ ले जाकर प्रिया को पीछे से पकड़ लिया और एक झटके मैं प्रिया को उठा लिया.....

प्रिया इस वक़्त राज की बांहों मै झूल रही थी....लेकिन ऐसी स्थिति में भी वो आंखे खोलने का नाम नहीं के रही थी....

आखिरकार राज ने ही हार मानते हुए प्रिया को फिर से बिस्तर पर लेटाया और उठ के वहां से जाने लगा तो प्रिया ने अचानक से राज का हाथ पकड़ लिया ....

"" क्या हुआ भाई ....आप भी से जाओ ना मेरे पास....देखो ना कितनी अच्छी नींद आ रही थी..... ""

प्रिया की बात सुन सुमन ने गुस्सा करते हुए कहा...


"" खुद तो बिगड़ के धूल हो ही रही है , और मेरे बेटे को भी अपने जैसा बना रही है.... चल अब चुप चाप खड़ी हो जा वरना आज तेरी खेर नहीं....""

सुमन अभी गुस्से में तमतमाई रूम से बाहर ही निकल रही थी कि राज की आवाज ने उसके कदम रोक दिए....


"" सोने दो ना मां इसको थोड़ी देर..... वैसे भी ये रात भर जाग जाग के पढ़ती रहती है , अगर नींद पूरी नहीं हुई तो ये बीमार हो जाएगी ....और आज आपके काम में मै हेल्प करवाता हूं.....आज मुझे भी लेब नहीं जाना इसलिए सारा दिन आप लोगो के साथ ही बिताऊंगा....""

सुमन राज की बात पर कोई रिएक्शन दे पाती उस से पहले ही प्रिया किसी रोबोट कि मानिंद अपने बिस्तर पर से उठी और राज के गालों पर किस करके बस इतना सा बोल कर फिर से बिस्तर पर ओंधी पड़ गई...

"" आई लव यू भाई ""

भाई बहन का ये प्यार देख जहां सुमन के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई वहीं राज ने भी प्रतिउत्तर में प्रिया से कहा...।

"" आई लव यू बच्चा ""





आज के दिन की शुरुआत राज के लिए काफी मायने में अहम थी ....एक तो आज नेहा घर आने वाली थी उपर से प्रिया का बिगड़ा मूड नेहा को देखते ही और ज्यादा खराब ना हो जाए इसका भी ध्यान राज को ही रखना था..... बस आज का दिन ही तो था मुंबई में राज के पास क्योंकि कल तो उसे निकल पड़ना था ब्लू आयलैंड के लिए.....



दो पहर का वक़्त हो चला था , प्रिया और सुमन अपनी अपनी पैकिंग कर चुकी थी ब्लू आयलैंड जाने के लिए ....तभी दरवाजे पर हुई दस्तक ने सबका ध्यान दरवाजे कि तरफ खींचा .....


ना प्रिया दरवाजा खोलने जाना चाहती थी और ना ही राज....दोनो ही अंदर ही अंदर ये जानते थे कि दरवाजे पर दस्तक देने वाला व्यकिं नेहा के अलावा और कोई नहीं हो सकता.....

सुमन - लगता है नेहा आ गई ....।।

इतना कह सुमन दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ गई....दरवाजा खोलते ही सामने खड़ी नेहा को देखते ही सुमन कि आंखे फ़ैल गई.....

नेहा ने इस वक़्त ब्लू कलर का कुर्ता और व्हाइट कलर की लेगी पहन रखी थी.....मदमस्त चूचियों की दरार के बीच फसा हुआ मंगलसूत्र खुद के भाग्य पर इतरा रहा था .....एक बार तो सुमन भी नेहा के गड़ाराए बदन को देख भौचक्का सी रह गई लेकिन जब सुमन की नजरें नेहा के चेहरे पर पड़ी तो वह खुद का हाथ नेहा के चेहरे पर फेरने से नहीं रोक पाई.....


नेहा ने आंखो पर एक चश्मा लगा रखा था जो कि आंखो के आस पास बने काले घेरे को छुपाने में नाकाम हो रहा था.....

सुमन - ये तेरी आंख को क्या हुआ नेहा.....चश्मा उतार के दिखा मुझे .

अभी नेहा दरवाजे पर ही खड़ी थी जबकि सुमन ये सब कुछ भूल नेहा की आंखो पर चढ़े चश्मे के पीछे की सच्चाई को जानने के लिए बेसब्र हो रही थी.....

प्रिया - मम्मी नेहा.....आई मीन नेहा भाभी को अंदर तो आने दो....

प्रिया नेहा को देखते ही समझ गई थी कि कुछ ना कुछ गडबड जरूर है लेकिन बाहर खड़े हो कर इस तरह से सवाल जवाब करना सही नहीं था...

नेहा अब अंदर बरामदे में आ चुकी थी जबकि राज सुमन के दरवाजा खोलने से पहले ही उठ कर अपने रूम में जा चुका था....

सुमन - क्या हुआ बेटा....तेरी आंखो के नीचे ये निशान कैसे....ये चश्मा उतार तो एक बार , देखू तो सही की मेरी बहू को ऐसी क्या चिंता खाए जा रही है जो इस तरह के निशान आंखो के नीचे हो गए हैं ....

नेहा - नहीं मम्मी कुछ नहीं हुआ आप परेशान मत होइए....और वैसे भी मुझे अब ऐसे निशानों से कोई फर्क नहीं पड़ता....।

प्रिया जब तक नेहा के लिए पानी का ग्लास के अाई थी....भले से प्रिया के दिल में नेहा के लिए कोई अपनत्व नहीं था लेकिन फिर भी थी तो उसकी भाभी ही....

नेहा पास मैं पड़ी कुर्सी पर बैठ गई और दूसरी कुर्सी पर सुमन बैठ कर नेहा से बात करने लगी , जबकि प्रिया फिर से रसोई के अंदर जा चुकी थी ताकि वो नेहा के लिए चाय बना सके....

सुमन - नेहा अब तू क्या घर के अंदर भी ये चश्मा लगाकर बैठेगी क्या.....।

अपनी सास की बात सुनकर नेहा ने झिझकते हुए अपना चश्मा उतारा और अपना सर नीचे झुका लिया.....

सुमन समझ चुकी थी कि नेहा के साथ कुछ गलत हुआ है इसलिए वो अपनी कुर्सी से उतर नेहा के सामने खड़ी हो गई....नेहा के कंधो पर अपने हाथ रखते हुए सुमन ने कहा....

सुमन - नेहा ....क्या तू अब मुझ से भी अपना दर्द छुपाएगी....रोहित से कोई कहा सुनी हो गई क्या बेटा...."""

रोहित का नाम सुनते ही नेहा फफक उठी .....पता नहीं कब से भरा पड़ा वो आंसुओ का बांध आखिरकार आज टूट के बिखर ही गया... नेहा को इस कदर रोते देख सुमन का कलेजा दहल गया .....

सुमन ने नेहा का चेहरा अपने हाथों में लेकर जब देखा तो सुमन के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक चुकी थी.....

नेहा की एक आंख पूरी तरह से सुज के काली पड गई थी , उस आंख मैं बुरी तरह से खून जमा हो जाने कि वजह से कालापन आ गया था....

सुमन नेहा कि ऐसी दशा देख चीख उठी और इस वक़्त जो सबसे पहला नाम उसके होंठो पे आया वो था राज....



"" राज.......राज......ये देख नेहा को क्या हो गया.....कहां है तू राज....""

अपनी मां को इस तरह चीखते देख राज तुरंत रूम का दरवाजा खोल बरामदे में आ गया ....बरामदे में आते ही सबसे पहली नजर नेहा पर पड़ी ....जिसकी एक आंख लगातार आंसू उगल रही थी जबकि दूसरी आंख कभी भी खून उगल सकती थी....

सुमन - राज.. नेहा को हॉस्पिटल ले कर जा , देख तो क्या हालत हो गई है इसकी....

नेहा को इस हाल मैं देख एक बार तो राज की भी टांगे धूजने लगी थी लेकिन तुरंत ही खुद पर काबू करते हुए राज फिर से अपने रूम में गया और अपने मोबाइल से ओला कैब बुक करने लगा....

घर का माहौल पूरी तरह से बदल चुका था , जहां थोड़ी देर पहले जिनके दिलों में नेहा के प्रति घृणा के भाव थे वहां अब उनके दिलों में दया और दहशत दोनो ही भाव घुल मिल चुके थे....

कुछ ही समय मै कैब चाल के नीचे खड़ी थी....सुमन और प्रिया नेहा को सहारा देकर कैब तक ले आए , राज आगे वाली सीट पर पहले से मौजूद था जबकि प्रिया और नेहा पीछे वाली सीट पर बैठ गए थे....जबकि सुमन अपने सीने पर हाथ रखे बाहर ही खड़ी थी....राज ने कैब ड्राइवर से नजदीकी हॉस्पिटल चलने को कहा और कैब ड्राइवर ने अपनी कार एक झटके मैं दौड़ा दी .

कैब फर्राटे से गलियों से हो कर गुजरते हुए पास ही मौजूद एक प्राइवेट हॉस्पिटल के बाहर पहुंच चुकी थी , प्रिया और नेहा कैब के रुकते ही दरवाजा खोल बाहर निकल गई जबकि राज ने भी जल्दी से अपने पर्स में से 150 रुपए निकाल कर कैब ड्राइवर को से दिए....


प्रिया , राज और नेहा तीनों इस वक़्त हॉस्पिटल के मेन हाल मैं मौजूद थे ....

राज ने वहां से गुजरती एक नर्स से पूछा ...

राज - सिस्टर ... डाक्टर जोशी इस वक़्त कहां मिलेंगे ??

नर्स - सर आगे सीधा जा कर लेफ्ट ले लेना वहीं डाक्टर जोशी आपको मिलेंगे...

इतना कह नर्स आगे चली गई , जबकि राज ने प्रिया का हाथ थाम लिया और प्रिया ने नेहा का हाथ ....

तीनो कुछ ही पलों में डाक्टर जोशी के केबिन के अंदर थे.... डाक्टर जोशी को एक सेकंड का वक़्त भी नहीं लगा राज को पहचान लेने मैं ।

डाक्टर - अरे राज तुम यहां कैसे ??? आज इधर का रास्ता कैसे भूल गए दोस्त ....??

राज का लेब में जॉब करने की वजह से शहर के अधिकतर डाक्टर उसे अच्छे से जानते थे ...

राज - ये देखिए डाक्टर साब इनकी आंख पर काफी गहरी चोट लगी है ....आंख का मामला था इसलिए में सिर्फ आप पर भरोसा कर सकता था....

डाक्टर जोशी ने नेहा को देखा और तुरंत अपनी डेस्क पर लगी घंटी बजा दी....

अगले ही पल वहां एक नर्स आ चुकी थी ....

डाक्टर - नर्स इनकी आंख से जमा हुआ ब्लड निकालना है, तुरंत तैयारी करो....

अपनी बात कह डाक्टर ने नेहा को केबिन के साथ अटैच एक एक्जामिन रूम में जाने को कहा ...नेहा घबराती हुई अपनी जगह से खड़ी हुई , लेकिन नेहा को इस तरह से घबराता देख डाक्टर बोला ...

डाक्टर - घबराने की जरूरत नहीं है बेटा....तुम्हारी आंख जल्दी ही बिल्कुल पहले जैसी हो जाएगी वो भी बिना किसी कट या ऑपरेशन के.....।

इतना कह डॉक्टर भी नेहा के पीछे पीछे एग्जामीन रूम में चले गए ....कुछ ही मिनट में एक नर्स भी उस रूम में हाथों में एक ट्रे लिए घुस गई ...

प्रिया - ये आखिर हो क्या रहा है भैया.....ऐसा लग रहा है जैसे नेहा को किसी ने बुरी तरह से पीटा हो.....!

राज - मेरा भी ऐसा ही सोचना है प्रिया .....लेकिन जख्म कुरेदने से जख्म और बढ़ जाता है इसलिए हम नेहा के साथ नॉर्मल ही रहेंगे .....उस से ये जरूर जानने की कोशिश करेंगे कि ऐसा किसने किया और क्यों, अगर वो बताना चाहेगी तो बता देगी नहीं तो समय के साथ हमें इंतेज़ार करना होगा ताकि वो अपना नासूर खुद हमें खोल कर दिखाए...

प्रिया - लेकिन भैया हमें कल सुबह ब्लू आयलैंड के लिए निकलना भी तो है , क्योंकि नेहा का इस हाल में वहां जाना नामुमकिन है....

राज - तू ठीक कह रही है प्रिया....लेकिन वहां जाना भी जरूरी है ....अब तो डाक्टर जोशी ही कुछ बता पाएंगे इस बारे में ...

इतना कह राज और प्रिया की चल रही बातचीत पर एक विराम लग गया....

तकरीबन आधे घंटे बाद डाक्टर उस रूम से बाहर आया....और कहने लगा...

डाक्टर - राज....तुमने अच्छा किया राज जो इसे सीधे मेरे पास ले आए.....अगर ज्यादा देर हो जाती तो इसकी एक आंख की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती.... वैसे मुझे अभी तक समझ नहीं आया कि इसे इस तरह जानवरों की तरह किसने मारा ....इसकी आंख पर लगी चोट से ये साफ जाहिर हो रहा है कि किसी ने सिर्फ एक ही जगह बार बार प्रहार किया है....

राज ने परेशानी का भाव अपने चेहरे पर लाते हुए कहा....

राज - ये तो हम भी नहीं जानते डाक्टर साब की इनके साथ ऐसा किसने किया , लेकिन हम उस वक़्त का इंतेज़ार करेंगे जब ये हमें खुद सब कुछ बता सके....क्योंकि में नहीं चाहता कि हमारे कुरेदने से घाव और बढ़ जाए..... वैसे मुझे आपसे एक बात और पूछनी थी....इनकी ये चोट कब तक ठीक हो पाएगी....

डाक्टर अपनी सीट पर बैठता हुआ कहता है...

डाक्टर - जमा हुआ ब्लड तो मैंने निकाल दिया है राज ....कुछ दवाइयां और लिख देता हूं जो की एक हफ्ते तक इन्हे खिलानी है...अभी इनकी आंख पर ड्रेसिंग कर दी है जो की दो दिन तक रखनी है....एक बात का विशेष ध्यान रखना होगा तुम्हे .....किसी भी प्रकार के धुंआ या आंखो मैं आंसू आए ऐसे किसी भी जरिए से इन्हे दूर रखना होगा....आंख पर बेंडेज होने की वजह से आंख पर हवा नहीं लगेगी इस लिए ये ट्रैवल कर सकती है , ज्यादा देर तक आंखों पर जोर नहीं डालना जितना हो सके कम से कम तीन दिन इन्हे आराम मिलना ही चाहिए.....

राज - दरअसल हम लोगो को कल कहीं जाना है ....क्या ये ऐसे समय में ट्रैवल कर पाएंगी....

डाक्टर - जैसा कि मैंने कहा इन्हे आराम कि जरूरत है ....अगर आज की रात ये अच्छे से आराम कर लेती हैं तो कल तुम लोग कहीं भी जा सकते हो बस ध्यान रहे कि जहां तुम जा रहे हो वहां भी इसे आराम मिले....

डाक्टर की बात खतम ही हुई थी कि नर्स नेहा का हाथ पकड़े उस रूम में दाखिल हो चुकी थी.....नेहा की एक आंख पर इस वक़्त ड्रेसिंग हो रखी थी , जिसे देख राज कि मुट्ठियां गुस्से में कस चुकी थी.....
:superb: :good: :perfect: awesome update hai bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
ye neha ki aisi haalat ab kaise ho gayi :o,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai
 
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