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दोस्तों मेने अपनी पहिली कहानी लिखना शुरु किया था.
पर लिख ने मे थोडी गलतीया हो गई.
इस लिये मे फिरसेे कहानी हिंदी में लिखनाा चालू करुंगा.
उमीद हे की आपको कहानी पसंद आयेगी...
Kahani ka intro toh accha hai bhai.
Lekin ye Gaon ka track record thik nai hai. Jitne bhi log gaon leke aate hai usko chhod ke chale jate hai.
Aap aisa mat krna wrna dil tut jayega..
Anyways,
Naye story ke liye badhai aur best of luck.
गांव में लल्लू के परिवार का पांच कमरे वाला मकान था. एक कमरे में हरिया और कामिनी सोते थे. दूसरे में लल्लू और संध्या, और तीसरे में सुधिया सोती थी. और बाकी दो कमरों में चाचा का परिवार.
जो शहर से कभी कबार आते तब उस कमरे में ठहरे थे.
सूरज की रोशनी के साथ गांव में नए दिन की शुरुआत हुई . हरिया सुबह जल्दी उठकर खेतों में चला गया.
कामिनी की रात को जोरदार चुदाई हुुइ थी, उसकी चूत दर्द कर रही थी. रात को हरिया ने उसे बेरहमी से चोदा था.
कामिनी सुबह उठकर नहाने के लिए जल जाते हैं.
इधर सुधिया भी, सुबह उठकर नहाने के लिए चली जाते हैं.
सुधिया नहाने के लिए बाथरूम मैं जाती है. ओर दरवाजे की कुंडी लगा देती है.
उसके बाद ब्लाउज के बटन खोल ने लगती है. ब्लाउज खोलने ते ही, उछलकर चूचियां बाहर आ जाते हैं. बड़ी-बड़ी चूचियां हवा में तैरने लगती है. चुचियां किसी बड़े पपीते की तरह दिख रही थी.
उतरा हुआ ब्लाउज को बाजू में फेंक देती है.
हाथ नीचे ले जाकर घागरे का नाड़ा खोल देते हैं.
घागरा जमीन पर गिर जाता है.
सुधिया ने कच्ची पहनी होती है. बड़ी-बड़ी झाटों की वजह से. कच्ची काफी फुली हुई थी. लंबी लंबी झाटे कच्छी के बाजू से बाहर की ओर निकली हुई थी.
उसका शरीर बहुत मादक था. ( अगर सुधिया का कोई इस रूप में देखता. तो उसका पानी निकल जाता.)
इतना माधक ओर भरा हुआ शरीर था. सुधीया का,
अब सुधिया पानी लेकर अपनी शरीर पर डालती है, साबुन को लेकर अपने शरीर पर मलने लगती है, मलते मलते उसका हाथ चूचियों पर चला जाता है.
चूचियां इतनी बड़ी थी की, हाथ में समा नहीं रही थी.
सुधिया चूची के ऊपर से साबुन मलने लगते हैं.
एक हाथ नीचे ले जाकर, कच्ची के अंदर डालकर चुत के ऊपर झाटो पर रगड़ने लगती है.
पूरे शरीर पर साबुन लगाने के बाद, शरीर पर पानी डालकर सब साफ कर देती है. ओर
टोलिया लेकर शरीर को पोछने लगाती है. शरीर पोछने बाद कच्छी को उतार देती है,
अब सुधिया पूरी नंगी थी.
उसकी चुत लंबी लंबी झाटों से घिरी हुइ, बहुत कसी हुई थी.
झाटो के ऊपर से कुछ बुन्द निचे गिर रही थी. यह नजारा ऐसा था जैसे, अमृतकुंज से अमृत की कुछ बुन्द निचे गिर रही हो. बहोत विलोभनीय नजारा था.
(पती के मौत के बाद, सुधिया की चुत प्यासी रहने लगी. उसका मन चुदाई के लिए बेकरार था.
पर समाज और इज्जत के डर की वजह से उसने अपने अंदर के औरत को मार डाला,
ओर अंदर की वासणा को अपने अंदर ही दबाए रखा. और जीवन जीने का निश्चय किया .)
नहाने के बाद सुधिया साड़ी पहन कर बाहर आ गए.........