Update - 1
मेरी उम्र इस वक्त काफी हो गई है लेकिन फिर भी वे पुरानी यादें अभी भी वैसे ही ताज़ा हैं और मेरे ज़हन में वैसे ही हैं जैसे कि कल की बात हो।
यह ऑटोबायोग्राफी लिखने से पहले मैं आपको अपना थोड़ा सा परिचय दे दूँ।
मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में एक बड़े जमींदार के घर में पैदा हुआ था, मैं अपने माता-पिता की एकलौती औलाद हूँ और बड़े ही नाज़ों से पाला गया हूँ।
ढेर सारे मिले लाड़ प्यार के कारण मैं एक बहुत ही ज़िद्दी और झगड़ालू किस्म के लड़के के रूप में जाना जाता था।
एक बहुत बड़ी हवेली में हमारा घर होता था। मुझ आज भी याद है कि हमारे घर में दर्जनों नौकर नौकरानियाँ हुआ करते थे जिनमें से 3-4 जवान नौकरानियाँ सिर्फ मेरे काम के लिए हुआ करती थी। यह सब हमारे खेतों पर काम करने वालों मज़दूरों की बेटियाँ होती थी। इनको भर पेट भोजन और अच्छे कपड़े मिल जाते थे तो वे उसी में खुश रहती थीं।
यहाँ यह बता देना ज़रूरी है कि मैं जीवन की शुरुआत से ही औरतों की प्रति बहुत आकर्षित था। मेरी आया बताया करती थी कि मैं हमेशा ही औरतों के स्तनों के साथ खेलने का शौक़ीन था। जो भी औरत मुझको गोद में उठाती थी उसका यही कहना होता था कि मैं उनके स्तनों के साथ बहुत खेलता था।
और यही कारण रहा होगा जो आगे चल कर मैं सिर्फ औरतों का दास बन गया, मेरा सारा जीवन केवल औरतों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने में बीत गया।
मेरा जीवन का मुख्य ध्येय शायद स्त्रियों के साथ काम-क्रीड़ा करना ही था, यह मुझको अब बिल्कुल साफ़ दिख रहा है क्योंकि मैंने जीवन में और कुछ किया ही नहीं… सिर्फ स्त्रियों के साथ काम क्रीड़ा के सिवाये!
जैसा कि आप आगे मेरी जीवन कथा में देखेंगे कि मैं अल्पायु में ही काम वासना में लीन हो गया था और उसका प्रमुख कारण मेरे पास धन की कोई कमी न होना था और मेरे माँ बाप अतुल धन और सम्पत्ति छोड़ गए थे कि मुझ को जीवन-यापन के लिए कुछ भी करने की कोई ज़रुरत नहीं थी।
ऐसा लगता है कि विधि के विधान के अनुसार मेरा जीवन लक्ष्य केवल स्त्रियाँ ही थी और इस दिशा में मेरी समय समय पर देखभाल करने वाली नौकरानियों को बहुत बड़ा हाथ रहा था। जवान होने तक मेरे सारे काम मेरी नौकरानियाँ ही किया करती थी, यहाँ तक कि मुझे नहलाना आदि भी…
मुझे आज भी याद है कि जब मुझको मेरी आया नहलाती थी तो मेरे लंड के साथ ज़रूर खेलती थी। वह कभी उसको हाथों में लेकर खड़ा करने की कोशिश करती थीं।
उस खेल में मुझ को बड़ा ही मज़ा आता था। वह सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहन कर ही मुझको नहलाती थीं और नहाते हुई छेड़छाड़ में कई बार मेरे हाथ उनके पेटीकोट के अंदर भी चले जाते थे और उनकी चूत पर उगे हुए घने बाल मेरे हाथों में आ जाते थे।
एकभी कभार मेरा हाथ उनकी चूत के होटों को भी छू लेता था जो कई बार पानी से भरी हुई होती थी, एक अजीब चिपचापा रस मेरी उँगलियों पर लग जाता था जो कई बार मैंने सूंघा था। बड़ी ही अजीब मादक गंध मुझ को अपने उन हाथों से आती थी जो उन लड़कियों की चूत को छू कर आते थे। उनकी गीली चूतों का रहस्य मुझे आज समझ आता है।
उन्हीं दिनों एक बहुत ही शौख और तेज़ तरार लड़की मेरे काम के लिए रखी गई थी, वह होगी 18-19 साल की और उसका जिस्म भरा हुआ था, रंग भी काफी साफ़ और खिलता हुआ था।
वैसे रात को मेरी मम्मी मेरे साथ नहीं सोती थी और कोई भी बड़ी उम्र की काम वाली को मेरे साथ सोना होता था। वह मेरे कमरे में नीचे ज़मीन पर चटाई बिछा कर सोती थीं।
जब से वह नई लड़की मेरा काम देखने लगी तो मेरा मन उस के साथ सोने को करता था। उस लड़की का नाम सुंदरी था और वह अपने नाम के अनूरूप ही थी।
इस लिए मैं नहाते हुए उससे काफी छेड़ छाड़ करने लगा। अब मैं उसकी चूत को कभी कभी चोरी से छू लेता था और उसकी चूत के बालों में उँगलियाँ फेर देता लेकिन वह भी काफी चतुर थी। वह अब अपना पेटीकोट कस कर चूत के ऊपर रख लेती थी ताकि मेरी उंगली या हाथ उसके पेटीकोट के अंदर न जा सके लेकिन मैं भी छीना झपटी में उसके उरोजों के साथ खेल लिया करता था।
अक्सर उस के निप्पल उसके पतले से ब्लाउज में खड़े हो जाते थे और मैं उनको उंगली से छूने की भरसक कोशिश करता था।
यह सब कैसे हो रहा था, यह आज तक मैं समझ नहीं पाया। जबकि मेरे दोस्त खूब खेल कूद में मस्त रहते थे, मैं चुपके से नौकरानियों की बातें सुनता रहता या फिर उनसे छेड़ छाड़ में लगा रहता।
यह बात मेरी माँ और पिता से छुपी न रह सकी और वे मुझको हॉस्टल में डालने के चक्कर में पड़ गये क्योंकि उनको लगा कि मैं नौकरानियों के बीच रह कर उनकी तरह की बुद्धि वाला बन जाऊँगा।
लेकिन मैं भी झूठ मूठ की बेहोशी आने का बहाना करने लगा। मैं अक्सर रात को डर कर चिल्लाने लगता और यह देख कर मेरे माँ बाप ने मुझको हॉस्टल में डालने का विचार रद्द कर दिया।
जो सुन्दर लड़की मेरे काम के लिए रखी गयी थी वह काफी होशियार थी और वह मेरी उच्छशृंख्ल प्रकृति को समझ गई थी।
एक दिन वो कहने लगी- कितना अच्छा होता अगर मैं आपके कमरे में ही सो पाती।
मैंने उससे पूछा कि यह कैसे हो सकता है तो वह बोली- तुमको रात में बड़ा डर लगता है ना?
मैंने कहा- हाँ!
तो वह बोली- मम्मी से कहो कि सुंदरी ही तुम्हारे कमरे में सोयेगी।
बस उस रात मैंने काफी डर कर शोर मचाया और मम्मी को मेरे साथ सोना पड़ा लेकिन अगले दिन ही उन्होंने एक बहुत बुड्ढी सी नौकरानी को मेरे कमरे में सुला दिया।
हमारी योजना फ़ेल हो गई लेकिन सुंदरी काफी चतुर थी, उसने बुड्ढी को तंग करने का उपाय मुझ को सुझाया और उसी ही रात बुड्ढी काम छोड़ कर चली गई।
हुआ यूं कि रात को एक मेंढक को लेकर मैंने बुड्ढी के घागरे में डाल दिया जब वह गहरी नींद में सोयी थी। जब मेंढक उसके घगरे में हलचल मचाने लगा तो वह चीखती चिल्लाती बाहर भाग गई और उस दिन के बाद वापस नहीं आई।
तब मैंने मम्मी को कहा कि सुंदरी को मेरे कमरे में सुला दिया करो और मम्मी थोड़ी न नकुर के बाद मान गई।
दिन भर मैं स्कूल में रहता था और दोपहर को लौटता था। मेरे साथ के लड़के बड़े भद्दे मज़ाक करते थे जिनमें चूत और लंड का नाम बार बार आता था लेकिन मैं उन सबसे अलग रहता था।
मेरे मन में औरतों को देखने की पूरी जिज्ञासा थी लेकिन कभी मौका ही नहीं मिलता था।
जब से सुंदरी आई थी, मेरी औरतों के बारे में जानकारी लेने की इच्छा बड़ी प्रबल हो उठी थी। यहाँ तक कि मैं मौके ढूंढता रहता था ताकि में औरतों को नग्न देख सकूँ।
इसीलिए साइकिल लिए मैं कई बार गाँव के तालाब और पोखरे जाता रहता था लेकिन कभी कुछ दिखाई नहीं दिया।
एक दिन मैं साइकिल पर यों ही घूम रहा था कि मुझको कुछ आवाज़ें सुनाई दी जो एक झाड़ी के पीछे से आ रही थी।
मैंने सोचा कि देखना चाहिये कि क्या हो रहा है।
थोड़ी दूर जाकर मैंने साइकिल को एक किनारे छुपा दिया और खुद धीरे से उसी झड़ी की तरफ बढ़ गया।
झाड़ी के एक किनारे से कुछ दिख रहा था। ऐसा लगा कि कोई आदमी और औरत है उसके पीछे, झाड़ी को ज़रा हटा कर देखा तो ऐसा लगा एक आदमी एक औरत के ऊपर लेटा हुआ है और ऊपर से वो धक्के मार रहा है और औरत की नंगी टांगें हवा में ऊपर लहरा रही थीं।
मुझको कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। फिर भी लगा कि कोई काम छिपा कर करने वाला हो रहा है यहाँ।
मैं अपनी जगह पर चुपचाप खड़ा रहा और देखता रहा।
थोड़ी देर बाद वो आदमी अपनी धोती को ठीक करते हुए उठा और औरत की नंगी टांगों और जांघों पर हाथ फेरता रहा था।
तभी वो औरत भी उठी और अपनी धोती ठीक करती हुई खड़ी हो गई। मैं भी वहाँ से खिसक गया, साइकिल उठा कर घर आ गया।
और यहाँ से शुरू होती है मेरी और सुंदरी की कहानी।
सुन्दरी न सिर्फ सुन्दर थी बल्कि काफी चालाक भी थी। यह मैं आज महसूस कर रहा हूँ कि कैसे उसने मेरी मासूमियत का पूरा फायदा उठाया। अपने शरीर को मोहरा बना कर उसने सारे वह काम करने की कोशिश की जो वह कभी सोच भी नहीं सकती थी।
उसने रोज़ मेरे साथ सोने का पूरा फायदा उठाया, वह रोज़ रात को मुझ से ऐसे काम करवाती थी जो उस समय मैं कभी सोच भी नहीं सकता था.
शुरू में तो मुझको वह रोज़ रात को मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसती थी जिससे मुझको बहुत मज़ा आता था। उसने तभी मुझको उसकी चूत में ऊँगली डालना सिखाया और जब वह मेरा लंड चूसती तभी मैं उसकी चूत में ऊँगली डाल कर अंदर बाहर करता।
यह काम मुझ को बहुत अछा लगता था।
लेकिन सबसे पहले उसने अपने स्तन को चूसना सिखाया था मुझे कि कैसे निप्पल को होंटों के बीच रख कर चूसना चाहिए जिसके करने से उसको मज़ा तो बहुत आता था लेकिन मुझ को भी कुछ कम नहीं आता था। उसके छोटे लेकिन ठोस उरोजों को चूसने का एक अपना ही आनन्द था।
यह काम कुछ दिन तो खूब चला लेकिन एक दिन मम्मी को शक हो गया और उन्होंने मेरी एक भी न सुनी और सुन्दरी को मुझसे दूर कर दिया। वह अब सिर्फ घर की गाय भैंस से दूध निकालने का काम करने लगी।
उसकी जगह जो आई, वह ज्यादा मस्त नहीं थी लेकिन शारीरिक तौर से काफी भरी हुई थी, उसके चूतड़ काफी मोटे थे।
अब उसके साथ नहाने का मज़ा ही नहीं था क्यूंकि वह मुझ को अंडरवियर पहने हुए ही नहलाती थी। एक दो बार उसके मम्मों को छूने की कोशिश की लेकिन उसने हाथ झटक दिया।
रात को वह चटाई पर सोती थी और बड़ी गहरी नींद सोती थी।
एक रात वह जब सो रही थी तो मैंने उसकी धोती उठा कर उसकी चूत को देखा ही नहीं, उसके काले घने बालों के बीच में ऊँगली डाल कर देखा।
उसकी चूत तो सूखी थी और बहुत ही बदबूदार थी लेकिन कोई रुकावट नहीं मिली जिसका मतलब तब तो नहीं मालूम था लेकिन अब मैं अच्छी तरह समझता हूँ, यानि वह कुंवारी नहीं थी।
फिर एक रात मेरी नींद खुली तो मैंने महसूस किया कि मोटी नौकरानी की धोती ऊपर उठी हुई थी और उसकी ऊँगली काफी तेज़ी से हिल रही थी चूत पर।
तब तो मैं नहीं समझ पाया लेकिन अब जानता हूँ कि वह अपना पानी ऊँगली से छुठा रही थी। जैसे ही उसकी उंगली और तेज़ी से चली तो उसके मुख से अजीब अजीब सी आवाज़ें आने लगी। ऊँगली की तेज़ी बढ़ने के साथ ही उसके चूतड़ भी ऊपर उठने लगे और आखिर में एक जोर से ‘आआहा’ की आवाज़ के बाद उसका शरीर ढीला पड़ गया।
मैं भी अपन आधे खड़े लंड के साथ खेलता रहा।
लेकिन मैं भी सुन्दरी को नहीं भूला था, एक दिन जब वह दूध लेकर रसोई में जा रही थी तो मैंने उसको रोक लिया और इधर उधर देख कर जब कोई नहीं था तो मैंने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और झट से उसके गाल पर चुम्मा कर दिया।
वह गुस्सा हो गई लेकिन मैंने भी हाथ उसकी धोती के अंदर डाल दिया और उसकी चूत के काले बालों के बीच चूत के होठों पर रख दिया। उसके एक हाथ में दूध की बाल्टी थी और दूसरे में लोटा, वह बस हिल कर मेरा हाथ हटाने की कोशिश करती रही।
यह ज़रूर बोलती रही- सोमू न करो, कोई देख लेगा।
मैंने भी झट उसकी चूत के अंदर ऊँगली दे डाली और उसके चूत के बालों को हल्का सा झटका दे कर हाथ निकाल लिया और बोला- अभी मेरे कमरे में आओ, ज़रूरी काम है।
उसने हाँ में सर हिला दिया और रसोई में चली गई।
जब वो आई तो मैंने उसे बताया कि मैं उसको कितना मिस कर रहा हूँ।
तो वह बोली- सोमू, तुम कुछ देते तो हो नहीं और मुफ्त में छेड़ छाड़ करते रहते हो?
मैं बोला- अच्छा, क्या चाहिए तुमको?
तो उसने कहा- पैसे नहीं हैं मेरी माँ के पास।
मैंने झट जेब से एक रूपया निकाल कर उसको दे दिया और कहा कि अगर वह रोज़ दोपहर को मेरे पास आयेगी तो मैं उसको रोज़ एक रूपया दूंगा।
यह उन दिनों की बात है जब एक रूपए की बड़ी कीमत होती थी।
यहाँ यह बता दूँ मैं कि हमारी हवेली का कैसा नक्शा था।
हवेली सही मायनों में बहुत बड़ी थी और उसमें कम से कम 10 कमरे थे। एक बड़ा हाल कमरा और 7 कमरे नीचे थे, जिसमें मम्मी और पापा के पास तीन कमरे थे और बाकी गेस्ट रूम थे।
क्यूंकि मैं अकेला ही बच्चा घर में था तो मेरा कमरा दूसरी मंजिल पर था, किसी भी नौकर को मेरी मर्ज़ी के बिना अंदर आने की इजाज़त नहीं थी। लड़कियाँ जो नौकरानियाँ थी, वे सब ऊपर तीसरी मंज़िल पर रहती थीं।
गर्मियों में हम सब दोपहर को थोड़ा सो जाते थे। घर में सिर्फ 5-6 पंखे लगे थे। मेरे कमरे का पंखा बहुत बड़ा था और बहुत ठंडी हवा देता था और सब काम वाली लड़कियाँ कोशिश करके मेरे कमरे में सोने को उत्सुक रहती थी।
सुन्दरी दोपहर में मेरे पास आ गई और गर्मी से परेशान हो कर उसने अपने ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके उन्नत उरोज खुल गए। गरीबी के कारण गाँव की लड़कियाँ ब्रा नहीं पहनती थी।
आज मेरा मन था कि सुन्दरी को पूरी नग्न देखूँ, मेरे कहने पर पहले तो वह नहीं मानी फिर एक रूपये के लालच से मान गई।
दरवाज़ा पक्का बंद करवाने के बाद उसने पहले धोती उतार दी और फिर उसने ब्लाउज भी उतार दिया। सफ़ेद पेटीकोट में वह काफी सेक्सी लग रही थी लेकिन उस वक्त मुझको सेक्सी के मतलब नहीं मालूम थे, मैं उसके उरोजों के साथ खेलने लगा, दिल भर कर उनको चूमा और चूसा और उसकी चूत में भी खूब ऊँगली डाली।
फ़िर न जाने सुन्दरी ने या फिर मैंने खुद ही उसकी चूत पर स्थित भगनासा ढून्ढ लिया।
जब मैंने उसको रगड़ा उँगलियों के बीच तो सुन्दरी धीरे धीरे चूतड़ हिलाने लगी।
मैंने पूछा भी कि मज़ा आ रहा है क्या?
तो वह बोली तो कुछ नहीं लेकिन मेरे हाथ को ज़ोर से अपनी जाँघों में दबाने-खोलने लगी और मैंने फिर महसूस किया उसका सारा जिस्म कांप रहा है और मेरे हाथ को उसकी गोल जांघों ने जकड़ रखा है।
थोड़ी देर यही स्थिति रही फिर धीरे से मेरा हाथ जांघों से निकल आया लेकिन हाथ में एकदम सफ़ेद चिपचापा सा कुछ लगा था।
मैंने पूछा भी यह क्या है तो वह कुछ बोली नहीं, आँखें बंद किये लेटी रही।
मैंने भी अपने हाथ के चिपचिपे पदार्थ को सूंघा तो बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी।
वह था पहला अवसर जब मैंने किसी औरत को छूटते हुए देखा और महसूस भी किया। मुझे नहीं मालूम था कि जीवन में ऐसे कई मौके आने वाले हैं जब मैं ऐसे दृश्य देखूँगा।
मैंने सुन्दरी से पूछा- यह पानी कैसा है?
तो वह बोली- यह हर औरत की चूत से निकलता है जब वह खूब मस्त होती है।
तब उसने मुझको खूब चूमा और मेरे लबों को चूसा।
मैंने उससे पूछा- क्या यह ही औरतों में बच्चे पैदा करता है?
वह ज़ोर से हंसी और बोली- नहीं रे सोमू… जब तक आदमी का लंड हमारे इस छेद में नहीं जाता, कोई बच्चा नहीं पैदा हो सकता।
उस रात जब मोटी नौकरानी मेरे कमरे में सोई तो मैंने फैसला किया कि मैं भी उसको नंगी देखूंगा लेकिन यह कब और कैसे संभव होगा यह मैं तय नहीं कर पा रहा था।
जब वह खूब गहरी नींद में थी तो मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके उसके ब्रा लेस स्तनों को देखने लगा, फिर धीरे से मैंने उसके निप्पल को ऊँगली से गोल गोल दबाना शुरू किया और धीरे धीरे वो खड़े होने लगे और फिर मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी।
हल्के हल्के सिसकारी भरते हुए उसकी चूत ने गीला होना शुरू कर दिया और उसके चूतड़ ऊपर उठने लगे। मैंने उसका चूत वाला बटन मसलना शुरू कर दिया और वह भी तेज़ी से अपनी चूत मेरे हाथ पर रगड़ने लगी और फिर एकदम उसका सारा शरीर अकड़ गया और उसकी चूत में से पानी छूट पड़ा।
मैंने जल्दी से हाथ चूत से निकाला और अपने बिस्तर में लेट गया और तब देखा कि उसने आँख खोली और इधर उधर देखा, खासतौर पर मेरे बेड को और जल्दी से अपना पेटीकोट नीचे कर दिया और फिर खर्राटे भरने लगी।
सुन्दरी के साथ बड़े ही गर्मी भरे दिन बीत रहे थे, भरी दोपहर में वह छुपते हुए मेरे कमरे में आ जाती थी और हम दोनों एक दूसरे में खो जाते थे।
आते ही वह मुझ को लबों पर एक चुम्मी करती और मेरे होटों को चूसती। मैं भी उसकी नक़ल में वैसा ही करता। दोनों के मुंह का रस एक दूसरे के अंदर जाता और खूब आनन्द आता। फिर वह अपना ब्लाउज खोल देती और मुझ से अपने निप्पल चुसवाती और साथ ही मेरा हाथ अपनी धोती के अंदर पतले पेटीकोट में अपनी चूत पर रख देती।
फिर उसने चूत में ऊँगली से कामवासना जगाना सिखाया मुझे।
अब जब वह मेरे लंड पर हाथ रखती तो लंड खड़ा होना शुरू हो जाता और मेरे सख्त लंड को सुन्दरी मुंह में लेकर चूसने लगती और फिर एक दिन उस ने पूरी नंगी होकर लंड को अपने अंदर डालने की कोशिश की, सबसे पहले उसने मेरे लंड को चूत के मुंह पर रगड़ा एक मिनट तक और जब लंड का सर चूत के अंदर 1 इंच चला गया तो वह रुक गई और उसने मेरे होटों को ज़ोर से चूमा और अपनी जीभ भी मुंह में डाल दी, उसको गोल गोल घुमाने लगी।
मैं भी ऊपर से हल्का धक्का मारने लगा जिसके कारण मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया। मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड आग की भट्टी में चला गया है। तभी सुन्दरी ने नीचे से एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लंड पूरा अंदर चूत में चला गया।
कामवासना की यह पहली अनुभूति बड़ी ही इत्तेजक और आनन्द दायक लगी। फिर सुन्दरी के कहने पर मैंने ऊपर से धक्के मारने शुरु कर दिए और सुन्दरी भी नीचे से खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगी।
फिर मुझको लगा कि सुन्दरी की चूत मेरे लंड को पकड़ रही है और जैसे ‘बन्द और खुल’ रही है। फिर सुन्दरी ने मुझको कस कर भींच लिया और उसका जिस्म कांपने लगा और फिर थोड़ी देर में वह एकदम ढीली पढ़ गई और मेरा लंड सफ़ेद झाग जैसे पदार्थ से लिप्त हुआ बाहर निकल आया।
लंड अभी भी खड़ा था लेकिन उसमें से कोई पदार्थ नहीं निकला।
इस तरह हमने कई दफा सेक्स का खेल खेला और हम दोनों को काफी आनन्द भी आया। मैं अब काफी कुछ सेक्स के बारे में समझने लगा था।
अब सुन्दरी के बाद मैंने रात वाली मोटी के साथ भी यही खेल खेलने की सोची। उसी रात को जब वह आई तो मैंने उसको पकड़ लिया, एक चुम्मी उसके गालों पर जड़ दी, वह एकदम छिटक कर परे हो गई और मुझ को घूरने लगी।
मैंने कहा- घबराओ नहीं, मैं तुमको कुछ नहीं कहूँगा।
और फिर मैंने उसको पास बुलाया और कहा कि तुम सोती हो, बिस्तर पर सोया करो ना!
‘नहीं न… मालकिन देखेंगी तो घर से निकाल देंगी।’
मैंने कहा- तुम ऐसे ही घबराती हो और फिर मैं तुमको पैसे दूंगा।
वह बोली- कितने पैसे दोगे छोटे मालिक?
मैंने कहा- कितने चाहिये तुमको?
वह बोली- तुम बताओ कितने पैसे दोगे?मैंने कहा- 2 रुपये दूंगा चूमक़ चाटी का!
और वह राज़ी हो गई। उस ज़माने में 1-2 रुपये बड़ी रकम होती थी गाँव वालों के लिये।
और सबसे बड़ा आकर्षण था मखमली बेड पर सोने का मज़ा!
उस रात मैं ने उसको नहीं छेड़ा और खूब सोया।
अगली रात वह फिर आ गई और नीचे सोने लगी, मैंने इशारे से उसको पास बुलाया और बिस्तर पर सोने को कहा।
वह हिचकिचाती हुई मेरे साथ लेट गई, मैंने उसके मोटे होटों पर एक हल्की किस की और अपना एक हाथ उसके स्तनों पर रख दिया। उसने झट से मेरा हाथ हटा दिया।
मैंने फिर उसको चूमा और अब हाथ उसके पेट पर रख दिया और वह चुप रही। फिर वही हाथ मैंने उसकी धोती में लिपटी उसकी जाँघों पर रख दिया और धीरे धीरे उसको ऊपर नीचे करने लगा और साथ ही उसको चूमता रहा, फिर धीरे से दूसरे हाथ को उसके स्तनों पर फेरने लगा।
मैंने उसको कहा- तुम्हारे स्तन तो एकदम मोटे और सॉलिड हैं।
शायद वह समझी नहीं, मैंने फिर कहा- ये बड़े मोटे और सख्त हैं, क्या करती हो इनके साथ?
वह बोली- सारा दिन फर्श पर कपड़ा मारना पड़ता है हवेली में तो काफी मेहनत हो जाती है।
फिर धीरे से मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके मोटे स्तन एकदम बाहर आ गए जैसे जेल से छूटे हों।
मैंने तो पहले उनको देख रखा था तो मैं उसका जिस्म जानता था।
फिर मेरा एक हाथ उसकी धोती के अंदर डालने लगा तो उसने हाथ पकड़ लिया और बोली- किसी को बताओगे तो नहीं छोटे मालिक?
मैंने कहा- नहीं रे, यह कोई बताने की चीज़ थोड़ी है।
और उसने धोती ऊपर उठाने दी।
पहले मैंने उसकी चूत को ग़ौर से देखा और समझने की कोशिश करने लगा कि उसकी चूत और सुन्दरी की चूत में क्या फर्क है।
मोटी की चूत बड़ी उभरी हुई थी और काफी बड़ी लग रही थी जबकि सुन्दरी की चूत काफ़ी डेलिकेट लगती थी। मैंने मोटी की चूत में ऊँगली डाली तो बहुत तंग थी जबकि सुन्दरी की थोड़ी खुली थी।
मैंने मोटी से पूछा कि उसने कितने आदमियों से करवाया है, तो पहले तो वह बहुत शरमाई लेकिन फिर जब मैंने पैसे का लालच दिया तो बोल पड़ी, उसने बताया कि हवेली में काम करने वाला एक माली उसका दोस्त है और वह अक्सर दिन में उसके पास जाती है और वह उसको चोदता है लेकिन बड़ी जल्दी झड़ जाता है, तसल्ली नहीं होती उससे तो आकर कुछ करना पड़ता है।
मैंने पूछा- क्या करती हो वहाँ से आकर?
तो उसने मुंह फेर लिया।
मैं बोला- मैं जानता हूँ, क्या करती हो तुम!
वह बोली- छोटे मालिक आप कैसे जानते हो?
तब मैंने उसको बताया कि जब उसने ऊँगली डाली थी चूत में तो मैं जाग रहा था और उसकी ऊँगली का कमाल देखा था।
मोटी उदास होकर बोली- क्या करूँ छोटे मालिक… और कोई मिलता ही नहीं?
मैंने कहा- एक रूपया दूंगा अगर तू मेरे सामने ऊँगली डाल कर अपना छुटायेगी।
और वह तैयार हो गई। उस दिन उसकी ऊँगली का कमाल छुप कर देखा था लेकिन आज तो सब सामने होने वाला था, मैं बड़ा प्रसन्न हुआ और ध्यान से देखने लगा कि मोटी क्या करती है और उसने सब वही किया जो उसने उस रात में किया। लेकिन आज उसका जब छूटा तो वह काफी ज़ोर से चूतड़ हिलाने लगी, जब उसका छूट गया तो मैंने उसकी चूत से में ऊँगली डाल कर उसके छूटते पानी को सूंघा तो वह काफी महक भरा था।
दोस्तो, यह सब जो मैं आज लिख रहा हूँ वह मेरे साथ वाकिया हुआ और मैंने भी जम कर उन औरतों का मज़ा लूटा। यह सब मेरे परिवार से छुपा रहा क्यूंकि मैं सब औरतों या लड़कियों को काफी धन से मदद करता था और मैं समझता हूँ यही कारण रहा होगा कि किसी ने मेरी शिकायत मेरे परिवार वालों से नहीं की।
मैं स्कूल में भी लड़कों को काफी कुछ सेक्स के बारे में बताया करता था लेकिन मेरा ज्ञान यौन के विषय में अभी काफी अधूरा था जैसे जैसे मैं यौन में आगे बढ़ता गया, मेरा ज्ञान और गहरा होता गया।
मैं धीरे धीरे यह महसूस करने लगा कि मेरा सारा जीवन शायद यौन ज्ञान हासिल करने में लग जायेगा। यही कारण था कि मेरा सारा वक्त औरतों के बारे में सोचने में ही गुज़र जाता।
थोड़ा समय बीतने के बाद मेरे यौन जीवन में फिर बदलाव आया जिसका मुख्य कारण था सुन्दरी का विवाह और मोटी का माली के बेटे के साथ भाग जाना।
दोनों ने मेरे यौन जीवन में काफी बड़ा रोल अदा किया था, उन दोनों के कारण ही मैं औरतों के बारे में काफी कुछ जान सका।
उनके जाने के बाद मम्मी को लगा कि मेरे कमरे में किसी और को सोने की ज़रूरत नहीं थी क्यूंकि मेरी लम्बाई अब बड़ी तेज़ी से बढ़ने लगी और साथ ही मैंने महसूस किया कि मेरा लंड भी अब तेज़ी से बड़ा होने लगा। क्यूंकि मैंने किसी पुरुष का लंड नहीं देखा था लेकिन लड़के अक्सर बताते कि पुरुष का लंड 4-5 इंच का होता है लेकिन मेरा लंड खड़ा होता तो मैं उसको नापता था और वह भी 4-5 इंच का होता था। मुझ को विश्वास नहीं होता था कि मेरा लंड भी पुरुष की तरह बड़ा हो गया है।
खैर यह दुविधा तो चलती रही लेकिन तभी मेरा सम्पर्क एक लम्बी औरत से हो गया। वह हमारी नई नौकरानी बन कर आई थी और मेरा भी सारा काम देखना उसकी ड्यूटी थी।
उसका नाम कम्मो था और वह 5 फ़ीट 6 इंच लम्बी थी, उसका रंग सांवला था लेकिन स्तन काफी बड़े थे और उसके चूतड़ भी काफी मोटे थे, वह कोई 22-23 की थी लेकिन विधवा थी इसीलिए शायद वह बहुत सादे कपड़े पहनती थी लेकिन जब वह काम करते हुए झुकती तो मोटे स्तन एकदम सामने आ जाते थे जैसे उसके तंग ब्लाउज से अभी उछलने वाले हों।
मैं ने भी आहिस्ता से उसको पटाना शुरू कर दिया। जब वह मेरे कमरे में आती थी न तो मैं उसको छूने की पूरी कोशिश करता, कभी जान बूझ कर जाते हुए उसके चूतड़ पर हाथ फेर देता।
वह भी बुरा मनाने की बजाये हल्के से मुस्कुरा देती और धीरे धीरे मेरी हिम्मत बढ़ती गई और उसके आने के ठीक तीन दिन बाद मैंने उसको चूम लिया।
और वह मुस्करा कर बोली- छोटे मालिक ज़रा संभल के… कोई देख न ले।
मैंने भी उसके हाथ में दो रूपए रख दिए और वह खुश हो गई।
मैंने उसको दोपहर में मेरे कमरे में आने के लिया राज़ी कर लिया। और इस तरह से मेरा खेल कम्मो के साथ शुरू हो गया।
वह सांवली ज़रूर थी पर उसके नयन नक्श काफी तीखे थे।
सबसे पहले मैंने अपना लंड खड़ा करके उससे पूछा- यह कैसा है?
वह बोली- अभी थोड़ा छोटा है और पतला भी है।
तब मैंने पूछा कि उसके पति का लंड कैसा था? तो उसका सर शर्म से झुक गया।
मैंने जोर देकर कहा- बता ना कैसा था?
तो वह रोते हुए बोली- उसका काफी बड़ा और मोटा था और काफी देर तक चोदता था। वह 2-3 बार छूट जाती थी।
जब वह यह बता रही तो मेरी उँगलियाँ उसकी चूचियों के साथ खेल रही थीं जो मेरा हाथ लगते ही एकदम सख्त हो गई थी। मैं उनको मुंह में लेकर चूसने लगा और कम्मो के मुंह से अपने आप ही ‘आह आह ओह्ह हो…’ निकलने लगा।
यह सुन कर मेरा लंड और भी सख्त हो गया और मैंने अपना हाथ उसकी धोती के अंदर डाल दिया।
सबसे पहले मेरा हाथ उसकी बालों से भरी हुईं चूत पर जा लगा। मैंने महसूस किया कि उसकी चूत बेहद गीली हो गई थी। मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और अपना पायजामा उतार कर उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगा। मेरा 5 इंच का लंड शायद उसकी चूत पर उगे घने बालों के जंगल में खो जाता लेकिन उसने अपने हाथ से उसको चूत के अंदर डाल दिया और मैंने गरम और गीली चूत को पूरी तरह से महसूस किया। इससे पहले सुन्दरी की चूत ज्यादा गीली नहीं होती थी।
कम्मो इतनी गरम हो चुकी थी कि मुश्किल से 7-8 धक्के लगने पर ही उसने अपनी टांगों से मुझको ज़ोर से दबा दिया और उसका शरीर ज़ोर से कांपने लगा लेकिन मेरा लंड अभी भी धक्के मार रहा था।
यह देख कर कम्मो भी नीचे से थाप देने लगी और फिर 5 मिनट में उसकी चूत फिर से पानी पानी हो गई लेकिन मैं अभी काफी तेज़ धक्के मार रहा था क्यूंकि कम्मो की चूत पूरी तरह से पनिया गई थी इस कारण उसमें से फिच फिच की आवाज़ आ रही थी।
कम्मो 5-6 बार छूट चुकी थी और उसका जिस्म भी ढीला पढ़ गया था और वह कहने लगी- बस करो छोटे मालिक, अब मैं थक गई हूँ।
मैं उसके ऊपर से हट कर नीचे बिस्तर पर लेट गया। लेकिन मेरा लंड अभी भी पूरा खड़ा था और उसमें से अभी तक कुछ भी नहीं निकला था।
यह देख कर कम्मो हैरान थी।
फिर वह मेरे लंड के साथ खेलने लगी।
दस मिन्ट ऐसे लेट रहने के बाद भी मेरा लंड वैसा ही सख्त खड़ा था। अब कम्मो मेरे ऊपर बैठ गई और अपनी चूत में मेरा लंड डाल लिया और ऊपर से धक्के मारने लगी।
चूत की गर्मी और उस में भरे रस से मेरा लंड खूब मस्ती में आया हुआ था और मैं भी नीचे से धक्के मारने लगा और करीब दस मिनट बाद कम्मो फिर झड़ गई और अपना लम्बा शरीर मेरे ऊपर डाल कर थक कर लेट गई।
फिर वह उठी और बड़ी हैरानी से मेरे लंड को देखने लगी जो अभी भी वैसे ही खड़ा था और हँसते हुए बोली- छोटे मालिक, आपका लंड तो कमाल का है, अभी भी नहीं थका और क्या मस्त खड़ा है। जिससे आप की शादी होगी वह लड़की तो खूब ऐश करेगी।
यह कह कर कम्मो बाहर जाने लगी तो मैंने उसको कहा- रात को फिर आ जाना।
तो वह बोली- मालकिन को पता चल गया न, तो मुझ को नौकरी से निकाल देगी।
और यह कह कर वह चली गई और फिर मैं भी सो गया।
शाम को घूमने के लिए निकला तो गाँव की तरफ चला गया और वहाँ तालाब के किनारे बैठ गया। मैंने देखा कि गाँव की औरतें जिनमें जवान और अधेड़ शामिल थी, तालाब से पानी भरने के लिए आई और पानी भरने के बाद वह अपनी धोती ऊंची करके टांगों और पैरों को धोने लगी।
यह देख कर मुझको बड़ा मज़ा आ रहा था… कुछ जवान औरतों के स्तन ब्लाउज में से झाँक रहे थे जब वे पानी भरती थी। तभी मैंने फैसला किया कि तालाब सुबह या शाम को आया करूंगा और ये गरम नज़ारे देखा करूंगा।
कहानी जारी रहेगी।