अध्याय - 16
वैसे तो रमेश के कई दोस्त ऐसे थे जिनके शादी के बाद भी अफेयर्स रहे है लेकिन उसने कभी उर्मी के साथ धोखा नहीं किया,
विवाह के बाद से ही उसने लड़कियों को ताड़ना लगभग बन्द सा कर दिया था,
लेकिन आज अचानक जैसे उसके अन्दर सोया हुआ मर्द फिर से जाग उठा था उसने पाया की उसकी पेंट में उनका लन्ड तन के खड़ा हो गया था.
अब तक राजश्री सामने की बर्थ पर बैठी गाने सुन रही थी,
रमेश इसी उधेड़बुन में लगा था जब राजश्री ने अपनी सैंडिल खोली और पैर बर्थ पर करके लेट गई,
एक बार फिर उसके कुछ शांत होते बदन में करंट दौड़ गया. राजश्री उसकी तरफ करवट ले कर लेटी हुई थी और उसकी डीप-नेक टी-शर्ट में से उसकी छातीयाँ उभर कर बाहर निकल आई थी,
इससे पहले की रमेश का दीमाग इस नए झटके से उबर पाता उसकी नज़र राजश्री की टांगों के बीच बन रही 'V' आकृति पर जा ठहरी.
रमेश एक अजीबोगरीब आग में जलने लगा,
उसी क्षण रमेश ने फैसला कर लिया कि ये आग राजश्री के बदन से ही बुझेगी,
जो भी हो उन्हें किसी तरह अपनी बहन के साथ हमबिस्तर होने का रास्ता खोजना होगा,
और जब दोनों तरफ लगी हो आग बराबर तो क्या ही कहने,
लेकिन भविष्य के गर्भ में क्या है न तुम जाओ न हम,
उसी समय कविता अपनी महिला मंडली में पहुंच चुकी थी, आज सब रमा के घर पर थी, एक अभी भी नही आई थी,
और बातो बातो में फिर से वही बाते चल पड़ी,
कविता - क्या बताऊँ ये मेरी बेटी को आज कितने ही लोगो ने स्टेशन जाने के रास्ते मे देख कर सपनो में चोद दिया होगा, कइयों की तो हालात देख के लग रहा था कि साले अभी के अभी वही पटक कर चोद देंगे, गुस्सा भी आ रहा था और मजा भी उसके बाप की भी हालत उन्ही लोगो के जैसी थी,
शर्मा आंटी - अरे वाह कविता, तेरी तो आज फिर चांदी,
कविता ने जीभ होठो पर बड़ी हवस दिखाते हुवे फेर ली,
रमा - अरे यार आज ये कांता कैसे नही आई, लता किधर है वो?? कही तेरे पति को लेकर नही भाग गई,
लता - पता नही आज तो, यहाँ आने से पहले फ़ोन किया तो थोड़ी घबरा के बोल रही थी कि थोड़ी देर होगी आने में,
रमा - घबरा रही थी,
रमा ने तुरंत फोन मिलाया उसी समय कांता उसके घर पर आ पहुंची, और फोन काटते हुवे बोली,
कांता - रमा की बच्ची, करवा दिया न मेरे घर मे कलेश, आज तो मैं तुझे छोडूंगी नही,
रमा (आश्चर्य से) - मैंने क्या कर दिया,??
बाकी सब औरते भी एक साथ बोली, "हाँ क्या कर दिया रमा ने, हमे भी तो बताओ,
काँता - क्या बताऊँ मेरे तो भाग ही फुट गए, इस रमा ने मेरे बसे बसाये घर मे आग लगा दी,
रमा - कुछ साफ साफ बताएगी या ऐसे ही झूठे इल्जाम लगाती रहेगी,
कांता - रश्मि के पापा ने आज उस छम्मकछल्लो को
बाकी औरते एक साथ " अरे कोनसी छम्मकछल्लो??
कांता - वो करमजली कम्मो
बाकी औरते एक साथ - साफ साफ बता कांता हुवा क्या और रमा को क्यों कोस रही हो,
कांता - आज सुबह 10 बजे आस पास में सब्जी लेने बाजार गयी, जाने से पहले मैंने कम्मो को घर के काम बात दिए थे, लेकिन जब वापस आई तो कम्मो कही नही दिखी,
मैंने सोचा वो चली गयी होगी, लेकिन तभी मेरे बैडरूम से उसकी आन्ह उन्ह की आवाज आ रही थी,
लता - क्या, तेरे बैडरूम से, हाय रे मेरे तो भाग ही फुट गए
बाकी औरते उसकी तरफ देख कर - लता, तेरे कैसे भाग फुट गए,
कांता - अरे उसके क्या मेरे फुट गए, भाग और वो सब इस कामिनी रमा की वजह से, इसी ने उस छम्मकछल्लो को मार्गदर्शन दिया था मटक मटक चलने और सज धज कर रहने को, उसी के चक्कर मे रश्मि के पापा ने उसको आज मेरे बिस्तर पर चोद दिया,
मेरे जाने के पहले ही कम्मो घर के काम मे लग गई थी,
एक घंटे बाद जब मैं वापस आई तो घर मे कोई नही था, रसोई में देखा तो कम्मो भी नही थी, मैंने सोचा कि काम खत्म करके चली गयी होगी, फ्रिज से पानी निकाल कर पीने लगी तो एक चीख सुनाई दी, वो उस छिनाल कम्मो की थी, में भागी भागी देखने के लिए गई तो वो आवाज मेरे कमरे से आ रही थी,
कमरे के अंदर झांक कर देखा तो रश्मि के पापा ने दरवाजा उसको पकड़ लिया था,.
कविता - अरे बाप रे, फिर
कांता - रश्मि के पापा ने उसे दीवार के साथ लगा दिया और उसके होंठ चूसने रहे थे,
वो साली रंडी भी रश्मि के पापा होंठों को चूसने लगी,
रश्मि के पापा उसके चुचे दबा रहे थे,
पांच मिनट के किस के बाद जब वो दोनों अलग हुए,
तो कम्मो बोली- साहब कल के जैसे फिर कोई आ गया तो क्या होगा? कल तो मेमसाहब ने आके पूरे मजे का सत्यानाश कर दिया,
रश्मि के पापा - कम्मो मेरी जान आज कोई नहीं आएगा. आज इधर सिर्फ तू और मैं ही है,. मैंने सब सैटिंग कर दी है.
रश्मि को उसकी फ्रेंड के घर भेज दिया और तेरी मेमसाहब को कुछ मर्दो वाला सामान लाने के लिए बोला है जिसमे ज्यादा समय लगेगा,
कम्मो (मुस्कुराते हुए) - वाह साहब, एक 2 ऊँगली की जगह के लिए इतने पापड़,
इतना बोलकर कम्मो ने उनका हाथ पकड़ कर अपने घाघरे में डाल दिया.
रश्मि के पापा - वाह कम्मो तेरी चुत तो बिलकुल गरम है और गीली भी हो चुकी थी.
अब कम्मो ने उसने हाथ नीचे करके पैंट के ऊपर से ही उनका लंड पकड़ लिया और मसलने लगी.
कम्मो बार बार बोल रही थी "जल्दी कर लो, जो करना है."
फिर रश्मि के पापा ने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए. कुछ ही पलों में बस उसके शरीर पर सिर्फ ब्रा और पेंटी ही रह गयी थी.
कम्मो ने भी उनकी पैंट और शर्ट उतार दी और कच्छे के अन्दर से लंड पकड़ लिया.
कम्मो (रश्मि के पापा का लंड पकड़ कर) - ये तो बहुत बड़ा है साहब. आज मुझे इससे चुदने में बहुत मजा आएगा.
इतना बोलकर कम्मो ने उनको कच्छे से लंड निकाल कर मुँह में लेकर चूसना शुरू कर कर दिया.
रश्मि के पापा के चेहरे देख के लग रहा था कि लंड चुसाई से उनका मन जैसे सातवें आसमान पर उड़ने लगा था.
थोड़ी देर बाद रश्मि के पापा के लंड को कम्मो के मुँह की गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई और रश्मि के पापा ने उसके मुँह में ही पानी छोड़ दिया.
रश्मि के पापा के वीर्य को कम्मो ने बड़े मजे से पिया और दोबारा लंड चूसने लगी.
फिर रश्मि के पापा ने उसको मेरे बेड पर ले गए.
कम्मो को लिटा कर रश्मि के पापा उसके चूचों पर टूट पड़े.
रश्मि के पापा - आह्ह्ह … कितने मस्त चुचे थे उसके. बड़े मोटे मोटे और भरपूरे रसीले.
कम्मो के पूरे शरीर पर किस करते हुए रश्मि के पापा उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत पर किस करने लगे.
चूत पर रश्मि के पापा होंठों का स्पर्श पाते ही कमीनी कम्मो तो जैसे पागल ही हो गयी.
इसके बाद रश्मि के पापा ने कम्मो की पैंटी भी उतार दी.
रश्मि के पापा उसकी नंगी चुत पर किस करने लगे और चुत चाटने लगे.
कम्मो की चुत एकदम मस्त चिकनी लग रही थी और उसमें से रस निकल रहा था,
कविता और शर्मा आंटी (एक साथ बोली) - सच बता कांता, ये सब देख कर तेरी चूत में पानी आया के नही,
कांता ये सब सुन कर बड़ी निर्लज्जता से होंठ को काट लिया,
कांता - तुम लोग को सुनना है तो सुन लो, नही तो मैं चली वापस,
रमा - कहाँ चली, चूत की आग बुझाने
कांता - में जा रही हु फिर
रमा - अरे रुक तो सही, चल बता बात,
कांता ने आगे सुनाना शुरू किया,
अब रश्मि के पापा अपनी जीभ उसकी चुत के अन्दर देकर जीभ से चोदने लगे.
दस मिनट की चुसाई के बाद ही कम्मो अकड़ने लगी और लम्बी सिसकारी ‘इस्स्स …’ करते हुए झड़ने लगी.
थोड़ी देर बाद कम्मो फिर से उनका लंड चूसने लगी,
उनका लंड अपने आकार में आ गया. रश्मि के पापा भी कम्मो को किस करने लगे.
अब कम्मो ने उनको लंड पकड़ते हुए कहा
कम्मो - जल्दी से चोद दे मेरी चूत साहब … मुझे चुदे हुए बहुत दिन हो गए. आज तू मेरी चुत फाड़ ही दे अपने इस मोटे लंड से … आह … मुझे चोद दे. मेरा मर्द रात को दारू पीके पड़ जाता है, और में चूत की आग को उंगली से शांत करती हूं,
कांता (सभी औरतो के ओर देख कर) - सच बताऊ सहन तो मुझसे भी नहीं हो रहा था, पर सीधा प्रसारण देख के सम्मोहित हो गई थी,
उसी समय रश्मि के पापा ने अपना लंड कम्मो की चुत पर लगाया और धक्का दे मारा. उनका लंड एक बार तो कम्मो की चूत के अन्दर नहीं गया … फिसल गया.
कम्मो (लंड पकड़ कर अपनी चुत पर लगाते हुवे) - अब डालो साहब,
रश्मि के पापा ने फिर से धक्का मारा, तो इस बार उनका आधा लंड कम्मो की चुत में उतर गया.
लड के अन्दर जाते ही कम्मो के मुँह से एक जोरदार चीख निकली और मेरे मुंह से आह निकली,
रश्मि के पापा मेरी आह सुनकर डर गये, रुक गये और इधर उधर देखने लगे, मैंने खुद को तुरन्त छुपा लिया,
मुझे लगा कि रश्मि के पापा ने मुझे देख लिया लगता है,
फिर कुछ भी नही दिखाई दिया तो कम्मो की और देख कर बोले,
रश्मि के पापा - क्या हुआ कम्मो, चिल्लाई क्यों, दर्द हो रहा है तो निकाल लू,
कम्मो - साहब रुको मत .. मैं सह लूंगी .. आप बस पूरा अन्दर डाल दो, बहुत दिनों बाद लन्ड नसीब हुवा है, में तो कब से चाह रही थी, कि कोई मुझे चोदे, इसलिए तो जब रमा दीदी ने ये बड़े गले का ब्लॉउज और नाभि दर्शना साड़ी पहनने के लिए कहा तो मैं तुरन्त मान गई,
रश्मि के पापा ने ये सुनते ही एक राहत की सांस ली और अगला एक और झटका मार कर पूरा लंड अन्दर डाल दिया.
लंड घुसेड़ कर रश्मि के पापा कम्मो के मम्मो का रस पीने लगे,
कम्मो भी नीचे से गांड उठा उठा कर उनका साथ देने लगी.
फिर तो बस वो चुदाई शुरू हुई कि कम्मो चिल्लाने लगी
कम्मो - उम्म्ह… अहह… हय… याह… और जोर से … और जोर से कर … मजा आ रहा है … आह …
रश्मि के पापा भी लगातार कम्मो को चोद रहा था और उसके चुचों को भींचते हुए मसल रहा थे, चूस रहा थे,
कम्मो भी उनका पूरा साथ दे रही थी.
उनके साथ पंद्रह मिनट की जोरदार चुदाई के बाद जब रश्मि के पापा झड़ने को हुवे तो उन्होंने पूछा
रश्मि के पापा - कम्मो कहां निकालूं?
कम्मो - अन्दर ही छोड़ दो साहब … आग के ऊपर पानी महसूस करना चाहती हूँ. आपके लंड के पानी को अपनी चुत में लेना चाहती हूँ.
रश्मि के पापा तेज तेज झटके मारते हुए झड़ गये.
तब तक वो साली मादरचोद रंडी कम्मो भी झड़ गयी.
फिर रश्मि के पापा उसी तरह उसके ऊपर पड़े रहे,
कम्मो - मजा आ गया साहब, बहुत दिनों बाद इस चूत की आग बुझी है,
रश्मि के पापा - मुझे भी बहुत मजा आया कम्मो,
रश्मि के पापा फिर से उसके एक चुचे को मुँह में भर कर चूसने लगे
कम्मो - साहब क्या अभी भी मन नहीं भरा, अब छोड़ दो मेमसाहब आ जायेगी और मुझे दूसरे घर पर भी जाना है काम के लिए,
रश्मि के पापा - हां कम्मो मन तो अभी नहीं भरा,
रश्मि के पापा कम्मो के ऊपर से हट कर साइड में लेट गये, कम्मो मेरे बिस्तर से उठ कर बाथरूम में चली गयी और चुत साफ़ करके वापस अपने कपड़े पहनने लगी,
मैं भी दबे पांव वापस घर के बाहर आ गई, और पांच मिनट बाद वापस घर मे घुसी एकदम गुस्से में,
तब तक रंडी साली कम्मो कपड़े पहन कर रसोई में आ चुकी थी और रश्मि के पापा बाथरूम में घुस चुके थे, और दोनों ऐसे दिखा रहे थे कि कुछ हुआ ही नहीं है,
मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर सच पूछो तो मजा भी बहुत आया,
फिर कम्मो के घर से जाने के बाद रश्मि भी घर पर आ गयी थी और में यहाँ आ गयी इस रमा से लड़ने,
गुप्ताइन जो बहुत देर से चुपचाप बैठी ये कांता की पूरी बात सुनके बोली
गुप्ताइन - एक बात है, हम में से किस किस के पति ने इस कम्मो को चोदा होगा, ??
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"""सोच रहा हूँ ऐसी ही एक मीटिंग सारे के सारे आदमियो की भी करा ही दु"""