करीम का नुनु अब आसिफा के भोसड़े मैं बड़ी आसानी से अंदर बहार हो रहा था।
क्युकी आसिफा का भोसड़ा काफी चौड़ा था।
इस बार करीम काफी लम्बा टिका।
अब्ब करीम आसिफा की चूत की खुदाई करते हुए।
करीम : आसिफा जान।
आसिफा : (धक्कों से लड़खड़ाती हुए आवाज मैं ) हाँ बेटा।
करीम : तुम और हामिद सच मैं माँ बेटे हो ?
आसिफा : हाँ।
करीम : और नदीम हामिद का बेटा है ?
आसिफा : हाँ।
करीम : (धक्कों से हफ्ते हुए ) ये सब हुआ कैसे?
आसिफा : बेटा बड़ी लम्बी कहानी है।
करीम : सुना न।
आसिफा: अभी ??
करीम : हाँ मुझे नहीं लगता तेरी ये ढीली चूत मेरा जल्दी निकल पाएगी।
आसिफा : कल दोपहर को तू फ्री हो तोह कल अभी मेरे हलक से आवाज नहीं निकल रही।
करीम : ये तोह बता दे हामिद तुझे आज कल चोदता हुए अम्मी बुलाता है क्या ?
आसिफा
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शरमाते हुए ) हाँ।
करीम : चल मेरी जान मुझे अम्मी को भी छोड़ना है घर जा कर। जल्दी उलटी हो कर अपनी गांड दे।
आसिफा : बेटा वैसे तोह मैं अपनी गांड के 25 रुपए ज्यादा चार्ज करती हूँ पर तेरे लिए फ्री।
आज तूने मुझे खुस कर दिया।
करीम अब्ब आसिफा को कुटिया बना कर गांड मैं छोड़ना सुरु कर देता है।
वैसे तोह करीम का नुनु छोटा था पर उसमें जोश इतना खतरनक था की उसने आसिफा की टट्टी निकल दी और उसकी गांड मैं झड़ गया।
अब्ब आसिफा इतनी थक गयी थी उसने अपनी गांड पर करीम के माल से सनी हुई टट्टी साफ़ करने का कास्ट नहीं उठाई।
और वो ऐसी ही गंदे बिस्तर पर जिसपर ना जाने कितनो के वीर्य के निशान पड़े हुए थे। एक और मेरे दोस्त करीम का निशान जुड़ गया।
और पूरे कमरे मैं अम्मी की टट्टी और करीम के वीर्य की महक फ़ैल गयी।
अब तक मई भी ३ बार मुठ मार कर बुरी तरह थक गया था।
और मेरी आंख लग गयी।