चलिए फ्लैशबैक में चलते है
मेरी नयी नयी शादी हुई है. शादी को अभी ४ महीने भी नहीं बीते हैं, और मेरे पतिदेव ने मेरे साथ अभी १५ दिन भी नहीं बिताये हैं. लोक लाज के भय से अभी तक कुंवारी बैठी थी. सुहागरात को पता चला सेक्स इतना मजेदार होता है.
इन १५ दिन में मैं कुल मिला कर ६ दिन ही चुदी थी. इनका पता नहीं कैसा कारोबार है, बाप बेटे दोनों गायब रहते हैं.
पता नहीं सासु माँ ने अपनी जिंदगी कैसे बितायी. खैर मुझे तो ये मेरी सास के पास छोड़ गए हैं. पर पता नहीं क्यों मुझे लगता है की सासु माँ कुछ ज्यादा ही मेरे जिस्म से छेड़ छड करती हैं.
कभी किसी काम से कभी किसी और काम से उनका हाथ कभी उनकी ऊँगली उनका पाँव मेरे जिस्म का नाप लेने के लिए तत्पर रहता है. कभी मेरे बूब्बे दब जाते हैं
कभी बस सहला कर छोड़ दिए जाते हैं.
एक दिन सासू माँ ने पानी ले कर कमरे में बुलाया. “अरी, आ गयी बहु? कुछ और काम बचा है क्या? खाना वाना बना लिया क्या?”
“हाँ सासू माँ, सब काम हो गया है. बस लेटने ही जा रही थी. कोई और काम है क्या?”
“अरी नहीं. अब लेटने ही जा रही है तो आ, थोड़ी देर बात कर लेते हैं. बहुत दिनों बाद समय मिला है.”
थोड़ी देर इधर उधर की बातें होती रही जो घूम फिर कर शादी की बात पर आ गयी.
“बहु, तू खुश तो है न? इतने दिन हो गए हैं,
तुझे अपने पति की शकल देखे, कुछ अकेला सा नहीं महसूस करती?”
“सासू माँ, मैं ठीक हूँ, बस कभी कभी लगता है कि ये कुछ जल्दी जल्दी घर आ जाते तो अच्छा होता. थोडा अकेलापन तो लगता है. ससुरजी भी नहीं रहते, अपने अपनी ज़िन्दगी कैसे गुजारी?”
“बेटी तू तो बड़ी गहरी बात पूछ लेती है.
पहले अजीब सा लगता था, फिर काम में मन लगा लो, तो कुछ नहीं लगता है.”
फिर मैं गिलास लेकर बहार जाने के लिए कड़ी हुई थी कि
“खैर ये सब कहाँ की बातें ले कर बैठ गयी. देखूं तेरा मंगलसूत्र कैसा है?”
यह कह कर उन्होंने मेरे गले से मंगलसूत्र निकालने की प्रक्रिया करी. मेरा मंगलसूत्र थोडा लम्बा था तो वो गले से नीचे मेरी गोलाइयों में अटका था. वो थोडा अटक रहा था तो सासू माँ ने ब्लाउज के अन्दर हाथ डाल दिया, और फिर गलती से उन्होंने मेरे बूब्बे दबा दिए.
“सासू माँ ये क्या?”
“अरी तुझसे क्या छुपाना? तुझे अच्छा नहीं लगा?”
“मैं समझी नहीं अम्मा?”
“मैं समझती हूँ.” यह कह कर सासू माँ ने मेरे ब्लाउज का बटन खोल दिया और मेरे उरोजों को हलके हलके दबाने लगी. मेरे कान में फुसफुसा कर बोलीं “तेरे टेनिस बॉल जैसा खड़ा देख कर तो मेरा पहले दिन से मन टीपने को कर रहा था.”
“पर सासू माँ ये गलत है”
“क्या गलत बहू, जब गर्मी बढ़ जाये तो कुछ गलत सही नहीं रहता.”
“पर…”
मैं कुछ और कहने वाली ही थी की सासू माँ ने मेरे होठ पर अपने होठ रख दिए. वो उनको बेतहाशा चूमने लगी.
उनका एक हाथ बराबर मेरे बूब्बे टीप रहे थे और दूसरा हाथ मेरे हाथ को उनके बूब्बे के तरफ बाधा रहे थे.
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उनके बूब्बे तो उतने कसे नहीं थे, पर फिर भी उमर्गर औरतों से ज्यादा गठे थे. मेरे दोनों हाथ अब उनके बूब्बे टीप रहे थे, और उनका हाथ मेरी साड़ी के अन्दर जा रहा था.
मैं उनको रोकने के लिए बढ़ी, पर सासू माँ ने फिर से उन्हें उनके बुब्बों को दबाने के लिए वापस रख दिया.
एक तो मैं गरम हो रही थी, ४ महीने के बाद ऐसा कुछ हो तो मन नहीं मान रहा था. सासू माँ का हाथ अब तक मेरी पैंटी के ऊपर था. वो ऊपर से ही मेरी चूत रगड़ने लगी.
मैं अब अपना होश खोने लगी थी. मुझे दुनिया जहाँ की कोई फ़िक्र नहीं थी अब. सासू माँ भी पूरे जोश में आ गयी थी.
अब उन्होंने मेरे साए का नाड़ा खींच दिया, जिससे मेरी साड़ी एक झटके में उतर गयी. मैं बस ब्लाउज पैंटी में थी.
सासू माँ ने भी अब अपने कपडे उतार दिए. वो पूरी नंगी हो गयी.
फिर उन्होंने मेरी पैंटी और मेरे ब्लाउज ब्रा भी उतार दिए.
अब मैं अपने बूब्बे खुद टीप रही थी और सासू माँ मेरी चूत को चाटने लगी. जीभ से उन्होंने मेरी पूरी चूत का मुआयना कर डाला. मैं हलकी हलकी सिस्कारियां भरने लगी.
“बहू अब तू बिस्तर पर लेट जा, मैं ड्रेसिंग टेबल से क्रीम लाती हूँ.”
मैं नंगी बिस्तर पर लेट गयी, और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी.
सासू माँ क्रीम लेकर वापस आई. उनके हाथ में एक डब्बा भी था. सासू माँ ने मेरी चूत पर खूब सारा क्रीम मला. “बड़ी टाईट चूत है तेरी.
कितनी बार चुदी है?” “कहाँ अम्मा, ४-५ बार ही तो मौका लगा है.” “फिर तो बढ़िया है, इस टाईट चूत का मजा मैं भी ले लूंगी.”
यह कह कर सासू माँ ने डब्बे में से एक कित्रिम लौड़ा निकला.
इस लौड़े के साथ एक बेल्ट भी था, जिसे सासू माँ ने अपनी कमर पर पहन लिया, अब सासू माँ के लौड़ा भी था और चूचियां भी. मेरी चूत कि तरफ अपना लौड़ा सीध में रख कर एक झटके में मेरी चूत को फाड़ दिया. “आह नहीं, ओह, ओह, नहीं सासू माँ मैं मर जाऊंगी, प्लीज़ ये चीज़ बहार निकल लो.” “अरी रंडी, अब क्या शर्माना. अगर मेरा बेटा तेरी चूत नहीं फा सका तो क्या,
तेरी चूत का भोसड़ा उसकी माँ बना देगी.” ये कह कर उन्होंने गन्दी गन्दी गलियां सुनानी शुरू कर दी.
“अरी बापचोदी, रंडी,
भईचोदी, तुझे तो मैं घोड़ों से चुद्वऊंगी, घोड़ो से क्या, तुझे तो तेरे ससुर से भी चुद्वऊंगी. उनका लंड तो इससे भी बड़ा है. छिनाल, तुझे तेरे ससुर कि रखैल बना डालूंगी. मुझे जान ले, मैं तेरी सौत हूँ, मेरा बेटा मादरचोद, मुझे चोदता है, तुझे भी मैं अपनी सौत बनाऊँगी. ” ये कहते हुए वो मेरे चूतडों पर चपत लगते हुए अपनी स्पीड बढ़ा देती है. मैं दह जाती हूँ,
पर मेरी सास को तो जैसे आग लगी थी, मुझे कुतिया बना दिया. फिर से मेरी गांड में खूब सा क्रीम लगाया.
अबकी उनके पास दो मुँहा लंड था. एक सिरा मेरी गांड में डाल दिया, दूसरा खुद अपनी चूत में ले कर बैठ गयी. पेल पेल कर मेरी गांड भी फाड़ डाली.
मैं दूसरी बार दह गयी. इस तरह कर के मेरी गांड भी चोद डाली. पर जो भी हो, ये था बहुत मजेदार.
“क्यों बहू मजा आया?”
मैं शर्मा गयी.
“क्यूँ री, अब तुझे पता चला, मैं कैसे गुजारा करती हूँ? मेरी सास ने मुझे सिखाया था, फिर मेरी ननद और नंदोई बड़ी मदद करते हैं.”