फिर मैंने उसके होंठों को चूमते हुए उसके पूरे चेहरे को चूमने लगी। मेरी मदहोशी अब भी कायम थी। इसी स्थिति में मैं पारुल के चेहरे को चूमते हुए उसके गर्दन को चूमने लगी। फिर गर्दन को चूमते हुए मैं अब उसके चुची के तरफ बढ़ी और उसके निप्पलों को चूसने लगी। काफी देर तक उसके निप्पल्स को चूसा। मैंने अपनी पूरी जिंदगी में पहली बार किसी के चूचकों को चूसा था।अब मैं नीचे की ओर जाते हुए उसके नाभी को चाटने लगी। ये प्रतिक्रिया ठीक वैसे ही थी जैसा पारुल ने मेरे साथ किया था। तभी पारुल ने मुझे अपने पैर को उसके सिर की तरफ करने को कहा।इससे पहले पारुल पूरी तरह बिस्तर पर लेटी थी और मैं उसके कमर तक आ चुकी थी। इसीलिए जब उसने मुझे मेरे पैर को उसके सिर की ओर करने को कहा मैंने तुरंत ही उसकी बात मानते हुए अपने पैर उसके सिर की ओर रखा।अब मैं उसके चूत के सामने थी। मैं कुछ सोचती इससे पहले ही पारुल ने फिर से मेरी चूत को चाटना शुरू कर दी।अब मैंने अपने सभी सोंचों को पीछे छोड़कर उसके चूत में अपना मुँह लगा दी। शुरुआत में तो उसके चूत का स्वाद थोड़ा अजीब लगा पर जल्द ही मैं इसकी अभ्यस्त हो गई। उधर पारुल ने अपने जीभ को नुकीला बनाते हुए मेरे चूत में घुसेड़ दी। अब मैं साँतवें आसमान में थी। मैंने भी अपने सभी सोंचों को दूर करके उसके पूरे चूत को मुँह में भरकर चुसने लगी। तभी पारुल ने पहली बार मेरे चूत मे दो उंगली डाली और चूत को फैलाकर अपनी जीभ को और अंदर डालने लगी। तभी मैं एकबार फिर चरमोत्कर्ष पर पहुँची और जबरदस्त तरीक़े से झड़ने लगी।मैंने भी अब उसके चूत को पूरे मनोयोग से चाटने चुसने लगी। तभी मुझे पेशाब करने की इच्छा हुई, परंतु पारुल ने मेरे सिर को अपने चूत पर दबाया। कुछ क्षण उपरांत मुझे लगा कि पारुल झड़ने वाली है। मैं अपना सिर उसके चूत से हटाना चाहा पर उसने अपने दोनों जाँघों से मेरे सिर को दबा लिया और मेरे मुँह में ही झड़ने लगी। झड़ने के बाद वह भी सुस्त पर गई और मैं उठकर बाथरूम में पेशाब करने गई। मेरे पीछे पीछे वह भी आयी और बैठकर मेरे चूत पर अपना मुँह लगा दी।
मैंने कहा, अरे अब इतना कुछ तो कर ली।अब तो मुझे आराम से मुतने दे।
वह बोली, जानूँ तु मुत। पर खड़े होकर ही मुतना और मैं जो कर रहीं हूँ वह मुझे करने दे।
फिर मैं भी खड़े होकर ही मुतने लगी और पारुल ने मेरे चूत पर अपने मुँह को दबाये रखा और मेरे मुत को जितना संभव हुआ पी लिया। मैं आश्चर्य से उसको देखने लगी। वह मुस्कुरा कर पानी के झरने को चला दी और हम दोनों साथ में ही नहाने लगी। हम साथ में नहाकर बाहर आयीं और दोनों ने अपनी नाइटी पहन ली। फिर पारुल ने खाना मंगाया और हम खा कर सोने की तैयारी करने लगी। तभी पारुल नें अपनी नाइटी निकाल कर नंगे होकर सोने आयी और मेरी भी नाइटी को निकाल दिया। अब दोनों नंगे ही बिस्तर पर सोने लगी। तब पारुल बोली, जानूँ अब हम सच्ची सखी बन गई हैं। अब हम अकेले में पूरी तरह से खुलकर रहें। अब से अकेले में आपको तुम या तू ही बोलूँगी। यह पूरा कारनामा कैसा लगा तुम्हें।
मैं बोली, अब सच्ची से भी ज्यादा अंतरंग सहेली बन गई है। अब तू मुझे अकेले में कुछ भी बुला सकती है। तेरा कारनामा मुझे शुरू में बहुत ही अजीब लगा पर जैसे जैसे खुमारी छाने लगी मैंने अपने को तेरे जैसा करने के लिये तैयार कर चुकी थी। आज सालों बाद मैं किसी के सामने पूरी नंगी हुई हूँ। जीवन में पहली बार एक लड़की के साथ विचित्र काम किया है।मैंने कभी अपने पति के अंग को नहीं चूमा था।आज तुम्हें पहली बार मुत पीते हुए देख मैं अजीब महसुस कर रही हूँ।तुमसे यही अनुरोध है कि इसे सभी से छिपा कर ही रखना। अगर यह राज किसी को मालूम हुआ तो मैं बर्बाद हो जाउंगी।
पारुल बोली, तू ज्यादा सोच मत। मैं यह किसी को नहीं बताऊँगी। अब से तू मेरी प्रेमिका हैऔर मैं तुम्हें हर प्रकार से खुश रखूंगी। यह कहते हुए उसने मुझे चुमना शुरू किया। मैंने भी उसके चुंबन का जबाव चुंबन से दिया।कुछ समय बाद मैंने उससे कहा, जानूँ मैं तुम्हें चाटना चाहती हूँ।
पारुल ने सिर हिलाकर अपनी सहमति दी। तब मैंने उसके सिर से पाँव तक उसके एक एक अंग को चाटा सिवाय उसके कमर को छोड़ कर। सबसे अंत मे मैं उसके चूत के पास पहुँची और बिना देरी के चाटने लगी।अब मुझे चूत का स्वाद खराब नहीं लगा। लगभग दस मिनट तक चूत चाटने के बाद मैंने उसे घुमकर अपनी गाँड़ को उठाने को कहा। वह घुमी और अपने गाँड़ को उठाया। अब उसकी चूत और गाँड़ दोनों एक सीध में थे। मैंने चूत से गाँड़ तक अपनी जीभ चलाना शुरू किया। अब मुझे कुछ भी खराब नहीं लग रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने उसके गाँड़ में जीभ घुसेड़ने लगी। मेरी इस हरकत से पारुल सिसक उठी। कुछ देर गाँड़ चाटने के बाद मैंने उसके चूत में अपनी उँगली घुसा दी। अब मैं उसकी चूत में उँगली पेल रही थी और साथ ही उसके गाँड़ के छेद को जीभ से चाट भी रही थी। इस
मैंने कहा, अरे अब इतना कुछ तो कर ली।अब तो मुझे आराम से मुतने दे।
वह बोली, जानूँ तु मुत। पर खड़े होकर ही मुतना और मैं जो कर रहीं हूँ वह मुझे करने दे।
फिर मैं भी खड़े होकर ही मुतने लगी और पारुल ने मेरे चूत पर अपने मुँह को दबाये रखा और मेरे मुत को जितना संभव हुआ पी लिया। मैं आश्चर्य से उसको देखने लगी। वह मुस्कुरा कर पानी के झरने को चला दी और हम दोनों साथ में ही नहाने लगी। हम साथ में नहाकर बाहर आयीं और दोनों ने अपनी नाइटी पहन ली। फिर पारुल ने खाना मंगाया और हम खा कर सोने की तैयारी करने लगी। तभी पारुल नें अपनी नाइटी निकाल कर नंगे होकर सोने आयी और मेरी भी नाइटी को निकाल दिया। अब दोनों नंगे ही बिस्तर पर सोने लगी। तब पारुल बोली, जानूँ अब हम सच्ची सखी बन गई हैं। अब हम अकेले में पूरी तरह से खुलकर रहें। अब से अकेले में आपको तुम या तू ही बोलूँगी। यह पूरा कारनामा कैसा लगा तुम्हें।
मैं बोली, अब सच्ची से भी ज्यादा अंतरंग सहेली बन गई है। अब तू मुझे अकेले में कुछ भी बुला सकती है। तेरा कारनामा मुझे शुरू में बहुत ही अजीब लगा पर जैसे जैसे खुमारी छाने लगी मैंने अपने को तेरे जैसा करने के लिये तैयार कर चुकी थी। आज सालों बाद मैं किसी के सामने पूरी नंगी हुई हूँ। जीवन में पहली बार एक लड़की के साथ विचित्र काम किया है।मैंने कभी अपने पति के अंग को नहीं चूमा था।आज तुम्हें पहली बार मुत पीते हुए देख मैं अजीब महसुस कर रही हूँ।तुमसे यही अनुरोध है कि इसे सभी से छिपा कर ही रखना। अगर यह राज किसी को मालूम हुआ तो मैं बर्बाद हो जाउंगी।
पारुल बोली, तू ज्यादा सोच मत। मैं यह किसी को नहीं बताऊँगी। अब से तू मेरी प्रेमिका हैऔर मैं तुम्हें हर प्रकार से खुश रखूंगी। यह कहते हुए उसने मुझे चुमना शुरू किया। मैंने भी उसके चुंबन का जबाव चुंबन से दिया।कुछ समय बाद मैंने उससे कहा, जानूँ मैं तुम्हें चाटना चाहती हूँ।
पारुल ने सिर हिलाकर अपनी सहमति दी। तब मैंने उसके सिर से पाँव तक उसके एक एक अंग को चाटा सिवाय उसके कमर को छोड़ कर। सबसे अंत मे मैं उसके चूत के पास पहुँची और बिना देरी के चाटने लगी।अब मुझे चूत का स्वाद खराब नहीं लगा। लगभग दस मिनट तक चूत चाटने के बाद मैंने उसे घुमकर अपनी गाँड़ को उठाने को कहा। वह घुमी और अपने गाँड़ को उठाया। अब उसकी चूत और गाँड़ दोनों एक सीध में थे। मैंने चूत से गाँड़ तक अपनी जीभ चलाना शुरू किया। अब मुझे कुछ भी खराब नहीं लग रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने उसके गाँड़ में जीभ घुसेड़ने लगी। मेरी इस हरकत से पारुल सिसक उठी। कुछ देर गाँड़ चाटने के बाद मैंने उसके चूत में अपनी उँगली घुसा दी। अब मैं उसकी चूत में उँगली पेल रही थी और साथ ही उसके गाँड़ के छेद को जीभ से चाट भी रही थी। इस