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Incest मेरी कहानी मेरी जुबानी

Wrongone

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Bhai update likha tha but delete ho gya....Likhne me tin din lag gye the thora thora hi sahi.......But ab dekhta hu kab ready ho payega
 

Incestlala

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अगले दिन मैं और पारुल सेमिनार वाले शहर ट्रेन से निकले। हमें पहुचने में आठ बज गए थे। स्टेशन से सीधे होटल जाकर जल्दी से तैयार होकर हल्का नाश्ता किया और सेमिनार में चले गए। हम दोनों को सेमिनार समाप्त करते करते शाम के छह बज गए। फिर होटल आकर थोड़ा आराम किया। तब पारुल फ्रेश होने चली गई। तब तक मैनें अपने घर अरुणा और अक्षय से मोबाइल पर बात की। फिर पारुल के बाथरुम से निकलते ही मैं भी नहाने गई। नहाकर जब मैं बाहर आयी तो मैं केवल ब्रा पैंटी में थी और अपने पेटीकोट को अपने चूची तक चढ़ाए हुए थी। मैनें नाइटी पहनने के लिए अपने पेटीकोट को कमर पर बाँधा और अपने बैग से नाइटी निकालने लगी। तभी पारुल मेरे पीछे आयी और बोली ' दीदी आपके शरीर को देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि आप मेरे उम्र के दो बच्चों की माँ हैं। आपने अपने शरीर को बहुत ही अच्छा बना रखा है। अगर आप बुरा न माने तो कमरे में केवल हम और आप हैं तो युँ ही रहें जब कोई बाहरी आए तो नाइटी पहन लिजिएगा'। मैंने उसे कहा 'झुठ बोल रही है तू अब मैं बुढ़ी हो चुकी हूँ'। फिर मैंने सोचा गर्मी भी अधिक है तो ब्रा पैंटी में रहने मे कोई दिक्कत थोड़ी ही है और फिर पेटीकोट तो पहने ही हूँ तो मैं ऐसे ही रहूँ । मैंने नाइटी निकालकर खुँटी पर टाँगकर बेड पर पारुल के बगल मे बैठ गयी। मैं बिस्तर पर किनारे थी और पारुल बीच में थी। तब पारुल मेरे नजदीक आकर मेरे ब्रा के बारे में बात करने लगी। बात करते करते वह मेरे करीब आ गयी और मेरे गर्दन को चूम ली। मेरे शरीर में एक झुरझुरी सी उठी क्योंकि छह साल पहले मेरे पति के मौत के बाद किसी ने मुझे ऐसे छुआ नहीं था।
मैंने कहा ' यह क्या कर रही है। मुझे गुदगुदी हो रही है'।
तब पारुल बोली 'दीदी आपकी त्वचा इतनी मुलायम है कि अपने आपको रोक नहीं पा रहीं हूँ'। यह कहकर वह मेरे बाँह को सहलाने लगी और मेरे गर्दन के आसपास मुझे चूमते जा रही थी। काफी देरतक सहलाने और चूमने के बाद वह कुछ समय के लिये रुकी, तो मैं बोली 'अब तेरा मन भर गया हो तो खाना मंगा लें। दिनभर के काम से मैं बुरी तरह थकी हुई हूँ'। पारुल बोली 'मंगा लेंगे खाना इतनी भी क्या जल्दी है'। यह कहकर वह मेरे आगे आई और फिर मेरे गर्दन को चूमने लगी और पीठ सहलाने लगी। मुझे काफी अजीब लग रहा था। शुरुआत में मैने उसे रोकने की कोशिश की पर पता नहीं क्यों मुझे भी शायद अच्छा लग रहा था, इसीलिए उसे पूर्णतया नहीं रोक पायी। अचानक ही उसने मेरे होंठों को चूमना शुरु कर दिया। मैं तो थोड़ी देर स्तब्ध रह गयी। मैं उसे रोकना चाहती थी परंतु इतने दिनों बाद हुए शारिरीक स्पर्श को पाकर इतनी विह्वल हो चूकी थी कि मैं उसे रोक ना पायी। धीरे धीरे मैं भी उसका साथ देने लगी। अब उसके हाथों ने मेरे पीठ को सहलाते हुए मेरे ब्रा के हुक को खोल दिया। वह अभी भी मेरे ओंठों को चूम रही थी।
Nice starting
 
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