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Adultery मेरी पतिव्रता पत्नी और दुकानवाला

Arjun007

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प्रिय दोस्तों मुझे बनारसी पानवाला की यह कहानी बहुत अच्छी लगी। इस अद्भुत कथानक का श्रेय मूल लेखक को जाता है लेकिन उनके पास कहानी को अपडेट करने के लिए ज्यादा समय नहीं था लेकिन मैं इस कहानी को अपने अंदाज में शानदार तरीके से बढ़ा रहा हुँ। मैं उसके कहानी को फिर से शुरू कर रहा हुँ।
हालांकि मैं इस कहानी को बहुत आगे तक ले जाने का वादा नहीं कर सकता। लेकिन फिर भी मैं अपना खुद का संस्करण शुरू करना चाहता हूं। जहां से यह कहानी समाप्त किया था यानि नेहा के छेदी लाल द्वारा चुदाई के बाद और फिर नेहा को अपने गाँव चलने के लिये कहता है। गाँव जाने के बाद नेहा के साथ क्या-क्या होता है आगे इस कहानी में आप पढ़ेगे।
अब मैं कुछ एपिसोड पोस्ट कर रहा हूं और अगर आप लोगों को यह पसंद आया तो मैं आगे भी जारी रखने की कोशिश करूंगा।
 
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Arjun007

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भाग -----1

निशित जहाँ इस उधेड़बुन में था कि उसने नेहा को छेदी से चुदवा कर ठीक किया या नहीं। वही नेहा को भी चुदाई का खुमार उतर जाने के बाद खुद को दोषी महसूस कर रही थी। वो सोच रही थी कि कैसे वो पिछले कुछ दिनों में इतने गंदे-बदबुदार लोगों के साथ हमबिस्तर हो चुकी थी। जिनको हाथ लगाने के नाम से ही उसकी जैसी हाई क्लास मॉडर्न औरत को उल्टी आ जाए। इतना हैंडसम पति के होते हुए भी कैसे वो इतने गंदे लोगों की तरफ आकर्शित हुई.......? कैसे उसे बदबुदार बीड़ी पीने वाले होठों से होठ मिला कर चुम्बन लेने में आनंद आने के लगा? कैसा वो बार-बार इन लोगों के हाथों कि कठपुतली बनती जा रही है? नेहा की कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

निशित ने कितने प्लान बनाए कैमरा भी फिट किया पर जब नेहा चुदी तो वो देख नहीं पाया। सावी ने भी संक्षिप्त में ही उसे बताया। क्योंकि जब ये कुछ हुआ था तब सावी ने भी नहीं देखा था। पर सिर्फ ये आप कल्पना करना से ही की नेहा का गोरा बेदाग जिस्म छेदी लाल के बड़े मोटे शरीर के नीचे उछल-उछल कर चुदवा रही है। इस कल्पना मात्र से ही निशित के लंड में हलचल होने लगी है। वो नेहा से प्यार करता था पर सेक्स के प्रति उसकी उदासीनता उसे पसंद नहीं थी। वो उसे हॉट और सेक्सी बनाना चाहता था और वो जनता था की कैसे उसने ही नेहा को सेक्स के दलदल में ढकेला था? इसलिये जो भी ये हुआ उसके लिए वो ना नेहा को कसूरवार मान रहा था ना उससे नेहा से कोई गिला था। उसे बस एक ही चिंता थी कि कहीं नेहा को ये पता न चल जाए कि इस सबके लिए वो ही जिम्मेदार था। उसका बस एक ही राजदार था और वो थी सावी...। उसे सावी से बात करनी पड़ेगी ये सोचते-सोचते निशित को नींद आ गई। नेहा भी ये सोचते हुए सो गई की, अब वो छेदी लाल से कभी नहीं मिलेगी।
छेदी लाल विवाहित महिलाओ के साथ संबंध बनाने के मामले में पुराना खिलाड़ी था, वो जनता था की नेहा है वक्त किस दौर से गुजर रही होगी? ऐसी चुदाई के फौरन बाद अपने को अपराध बोध मानना स्वाभाविक था और उसे यही सोच कर नेहा को कुछ दिन परेशान न करने का फैसला कर लिया था। आखिर इतने हसीन माल को चोदने का उसका ख्वाब तो पूरा हो गया था पर उसे पूरी तरह से अपने लंड पर नचाने के लिए उसे अब सब्र की जरूरत थी जो की उसमे काफी था।

सुबह जब सावी ने दरवाजा खटखटाया तो नेहा ने ही खोला। सावी उसे देख कर चहक कर मुस्कराई पर नेहा ने ठंडा सा प्रतिक्रिया दिया। सावी समझ गई की नेहा मैडम का मूड खराब है। उसे ज्यादा दखल देना सही नहीं समझा और वो अपने काम में लग गई। नेहा का सर दर्द हो रहा था इसलिय वो भी अपने बेडरूम में जा कर लेट गई। सावी जब किचन में बरतन साफ कर रही थी। तब निशित ने आ कर उसकी गांड़ पर जोर से चुँगटी काटी जिससे वो एक बार उछल पड़ी पर फिर निशित को देखकर शांत हो गई। निशित ने पीछे से उसे अपनी बाहों में भर लिया और अपने खड़े लण्ड को उसकी गांण की दरार में चुभाते हुए अपने हाथों से उसके दोनों चुची को ज़ोर से निचोड़ दिया
सावी- "क्या बात है साहब आज सुबह-सुबह ही तैयार हो गए हो क्या बात है?"
निशित- “अरे बात तो वही है जो तुने कल बतायी थी। विश्वास नहीं हो रहा की जो तुने कहा था वो सच था।”

सावी- "क्यों नहीं लग रहा?, क्या नेहा मैडम का मूड नहीं दिख रहा है?"
निशित- "हां पर ये तो उल्टा ही हो गया मैं हाॅट और सेक्सी बनाना चाहता था और वो तो एकदम ठंडी लग रही है आज।"
सावी मुस्कराई और अपना एक हाथ पीछे ले जा कर उसके लंड को सहलाते हुए बोली

सावी- “अरे साहब कुछ तो समझो.. नेहा मैडम कोई रण्डी नहीं है जो इतनी बड़ी बात से खुश होगी। अरे वो तो आपको बहुत प्यार करती है। अगर आपने और मैंने खुद से उनको छेदी की ओर ना ढकेला होता तो वो कभी भी उसके हाथ न लगती।”

निशित- "हां पर मैं गलत निकला जो ये सोचता था की नेहा ऐसा कभी नहीं कर सकती।"
सावी ने हस्ते हुई उसके लंड को ज़ोर से दबाया और बोली

सावी- "अरे साहब उसको अगर ऐसे ही भुखा रखोगे तो मौका मिलने पर ये कुछ भी कर गुजरेगी।"

निशित- "जो भी हो मुझे हाॅट और सेक्सी नेहा चाहिए। इस तरह से स्थिर और गंभीर नहीं।"

सावी- "आप चिंता मत करो साहब आज का दिन जाने दो। मैं मैडम को फिर से मूड में लेकर आऊंगी।"

निशित को ऑफिस जाना था इसलिये ज्यादा देर सावी के साथ नहीं खेल सका। सावी भी काम करके नेहा को आवाज लगा कर चल दी। नेहा सारे दिन अनमने भाव से काम करती रही। समय पास करती रही। रह-रह कर उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था। शाम होते-होते वो थोड़ा बेहतर महसूस करने लगी और तब उसे अहसास हुआ की आज छेदी लाल ने फोन नहीं किया। वो तो सोच रही थी आज छेदी लाल उससे मिलने से रोक नहीं पाएगा और जब वो घर आएगा तो वो उसे साफ-साफ मना कर देगी। पर घर आना तो दुर उसने उसे फोन तक नहीं किया। खैर मुझे क्या ये सोच कर नेहा फिर से अपने काम में लग गई। शाम को निशित ने खाने के बाद उसे पान खाने के लिए चलने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया और बेडरूम में जा कर लेट गई। निशित पान खाने चला गया। निशित को देख कर न-जाने क्यों आज छेदी लाल का दिल धड़क गया। यूं तो वो कई बार नेहा के साथ निशित के पीठ पीछे मस्ती कर चुका था पर अब जबकी वो उसकी बीवी को चोद चुका था। उसे लगा की अगर ये बात निशित को पता लगी तो वो न-जाने क्या करेगा?
छेदी- "आइये निशित बाबू आज अकेले?"

फिर भी अपने स्वर में बिना कोई परिवर्तन लाए अपने ही अंदाज में छेदी बोला

निशित- "अरे हां आज नेहा की तबियत कुछ ठीक नहीं थी।"

छेदी- "अरे बाबू क्या हुआ खैरियत तो है ना?"
निशित ने गहरायी से उसकी आंखों में देखा पर साला एकदम शातिर था उसे बिलकुल भी जाहीर ना होने दिया।

निशित- "अरे कुछ खास नहीं बस ऐसे ही।"
कहकर उसने छेदी से पान खाया। और बोला

निशित- "कल शनिवार है और भारत और वेस्टइंडीज का वनडे मैच भी है आ जाओ पार्टी करते हैं।" निशित ने पासा फेंका। छेदी खुश तो हुआ पर वो जनता था ये अभी उसके सब्र का इम्तेहान है, वो बोला

छेदी- “अरे नहीं साहब वो कुछ दिन पहले मेरी मां की तबियत खराब हो गई थी। कल उनको डॉक्टर के पास लेकर जाना है। चेकअप के लिए इसलिय गाँव जाऊँगा कल तो।
हां अगले मैच में अगर आपका मुड हुआ तो याद करना।”

निशित- "अच्छा ठीक है, अभी चलता हूं।"
निशित मायुस होकर घर लौट आया।
वो बेडरूम में नेहा की बगल में आकर लेट गया तो देखा की नेहा जग रही है। उसकी आंखें सूजी हुई लग रही थी। साफ लग रहा था की वो बहुत रोई थी। उसने देखकर भी अनदेखा किया वो नहीं चाहता था की नेहा इमोशनल होकर कुछ भी उसके सामने कबूल करे, वो बोला
निशित- "नेहा ये साला छेदी भी बहुत भाव खाने लगा है।"
छेदी का नाम सुन कर नेहा ने तुरंत उसकी ओर देखी फिर धीरे से बोली
नेहा- "क्यों क्या हुआ?"

निशित- "अरे साले को बोला की कल मैच है घर एक जाओ पार्टी करते हैं पर बोला मुझे गाँव जाना है।"

नेहा-“अरे तो इसमें क्या है? जाना होगा उसे गाँव। उसकी माँ की तबियत खराब थी ना।"
नेहा बोल कर अचानक से चुप हो गई।
निशित- "अच्छा तुम्हे मालुम है?"
निशित ने उसकी आँखों में झाँका
नेहा- "हां वो कुछ दिन पहले जब में सावी के घर गई थी तब उसने बताया था।"
निशित- "हम्म वैसा बोल रहा था अगले मैच में आ जाएगा.. ठीक है देखते हैं..वैसे साले का पान लाजवाब है। सॉरी तुम्हारे लिए नहीं लाया आज।"
नेहा- "कोई बात नहीं मेरा मूड नहीं है।"

निशित- "क्या हुआ है तुम्हें सुबह से देख रहा हूं .... किसी से कोई बात हुई क्या?"

नेहा- "नहीं बस ऐसे ही सुबह से सर में दर्द हो रहा है।"
निशित- "टैबलेट दू।"

नेहा- "नहीं शायद सो कर ठिक हो जाएगा।"

निशित- "ठीक है तो शुभ-रात्रि।"
ने
हा- "शुभ-रात्रि"
अगले दिन सावी निशित के जाने के बाद ही आई। नेहा को देख कर आज भी सावी जोर से मुस्कराई और बदले में नेहा ने भी उसका मस्कुरा कर अभिवादन स्वीकर किया। उसको काम बता कर नेहा नहाने चली गई और सावी अपने काम में व्यस्त हो गई। नेहा नहा कर पीले कलर के खूबसूरत गाउन में बहार आई। स्लीवलेस गाउन उस पर खूब खिल रहा था और वो बला की खूबसूरत लग रही थी।

सावी- "वाह मेमसाब आज तो आप बहुत खूबसूरत लग रही हो।"

नेहा- "चुप कर हर वक्त मसका लगाती रहती है।"
सावी- "नहीं मेमसाब वकाई में कसम ले लो।"
नेहा- "चल ठीक है। सुन.... उस दिन जो हुआ वो...।"

सावी ने आगे बढ़के उसके होठों पर उगली रख दी।

सावी- "मेमसाब ये सिर्फ आपके और मेरे बीच रहेगा आप चिंता न करें।"

नेहा उसके चेहरे को देखती रही फिर मुस्करा दी। सावी ने फिर कुछ देर काम करके अपने और नेहा के लिए चाय बनाई और वो साथ में बैठक रूम में बैठकर चाय पीन लगी।

सावी- "मेमसाब छेदी लाल की मां की तबियत फिर खराब हो गई है इसलिय वो आज गाँव जा रहा है।"

नेहा- "हां मुझे मालूम है निशित ने बताया था।"

सावी- "वो मैं कह रही थी की दो दिन आपके यहाँ रुचि आएगी तो चलेगा?"

नेहा- “क्यों तू कहा जा रही है?………. ओह तो तू भी छेदी लाल के गाँव जाएगी?”

नेहा को पता नहीं क्यों इस बात से हल्की सी जलन सी हुई।

सावी- "वो मेमसाब छेदी लाल मान ही नहीं रहा। कह रहा था कि आखिरी बार बोल रहा हूं। अगली बार नेहा मेमसाब को लेकर जाऊंगा।"

नेहा- "मैं क्यों जाने लगी उसके गाँव?"
नेहा तुनक कर बोली।

सावी-"अरे मेमसाब मस्त गाँव है उसका। शांति और सुकुन है, एक नदी बहती जिसमे खुब नहाओ नंगे होकर कोई देखने वाला भी नहीं.. ही ही ही।"

सावी के चेहरे पर कुछ सोचकर लाली आ गई।

नेहा- "हम्म तो ये बात है। माँ के इलाज के लिए जाता है की नंगा नहाने।”
इस बार सावी और छेदी लाल को नंगे नहाने का सीन की कल्पना करते हुये उसे थोड़ी ज्यादा जलन हुई, पर उसने सावी को ज़हीर नहीं होने दिया।

सावी- "अरे मेमसाब मां को ठीक देखने के बाद ही उसका मूड बन जाता है।"

नेहा- "ठीक है भेज देना रुचि को समय से।"

सावी- "धन्यवाद मेमसाब।"
नेहा अब नॉर्मल होने लगी थी। उसे लग रहा था कि अब उसे छेदी लाल से मिलने की कोई जरूरत नहीं थी पर वो कहां जानती थी कि जो स्वाद उसकी चुत को इन निचले होठों को लंड का लग गया है। अब वो उसे चेन से जीने नहीं देंगा, और इस चुत की भूख के आगे कैसे बार-बार बेबस हो जाएगी?

रुचि- "नेहा मैडम वो अकरम(छोटु) मिलने के लिए बोल रहा था।" रुचि अपना काम निपटाने के बाद डरते-डरते नेहा से बोली।

नेहा- "क्यों उसे और कोई जगह नहीं मिलती क्या?"

रुचि- "नहीं मैडम.. और आज छेदी लाल भी गाँव गया है और मां भी घर पर नहीं है। ऐसा मौका हम दोनों कभी-कभी ही मिलता है।"
उसकी मासुमियत भरी बात सुन कर नेहा को हँसी आ गई।

नेहा- "अच्छा आग तो तुझमें भी कम नहीं लगी है.. पर मुझे तेरा ये अकरम(छोटु) बिलकुल पसंद नहीं है।"

रुचि- “पता नहीं मैडम वैसा वो बहुत अच्छा है और मैडम वो तो आपको बहुत पसंद करता है। कहता है ऐसे मक्खन जैसे जिस्म वाली को तो हीरोइन होने चाहिए।”

नेहा- "अच्छा ज्यादा मसका न लगा।"

रुचि- “नहीं मैडम सच कह रही हूं आपकी बहुत तारिफ करता है और कहता है कि आपके पति बहुत भाग्यशाली है जो आप जैसी सेक्सी----- मतलाब खूबसूरत औरत उन्हे मिली है।"

नेहा- "चल-चल लेकिन देख समय से निकल जाना निशित के आने से पहले।"

नेहा ने रुचि का मन देखते हुए न चाहते हुए भी इजाजत दे दी।
थोड़ी ही देर बाद बेल बजी तो रूचि ने ही उठकर दरवाजा खोला। छोटू उर्फ अकरम अन्दर आया और बड़े ही सम्मान से उसे नेहा का अभिवादन किया।

छोटु- "क्या मेमसाब आजकल आप पान खाने नहीं आ रही?"

नेहा- "वो मेरा मूड नहीं है।"

छोटु- "मैडम आज आईयेगा ना क्योंकि उस्ताद गाँव गया है और आज मुझे मौका मिलेगा आपको पान खिलाने का।"

नेहा- "मेरा कोई मूड नहीं है फिर भी देखेंगे।" नेहा जनती थी की छोटू को जितनी बाते पता है उतनी तो सावी और छेदी लाल को भी नहीं पता इसलिये वो उससे ज्यादा बहस करके उसे गुस्सा नहीं दिलाना चाहती थी।

नेहा- "ठीक है मैं बेडरूम में जा रही हुँ। रुचि कुछ जरूरत हो तो बता देना।"

छोटू को भी लगा की नेहा थोड़ी सीरियस है इसलिय उसने भी कुछ मजाक करना ठिक नहीं समझा और नेहा अपने बेडरूम में आ गयी। दरवाजा उसने थोड़ा सा बन्द किया और वो आराम करने लगी।
रुचि- "अरे क्या कर रहा है इतनी जल्दी किसलिए?"

छोटु- “अरे उस दिन भी खड़े लंड पर धोखा हो गया था। आज जम के चोदुँगा तुझे।”

कहते हुये उसने रुचि को बाहों में भर लिया और उसके होठो को बेतहाशा चूमने लगा। रुचि के हाथ भी उसके सर के पीछे आ गए और वो भी उसके चुंबन उसका साथ देने लगी। दोनों की जिभ एक-दुसरे से कुस्ती लड़ने लगी। और दोनों किस करते-करते सोफे के पास आ गये। छोटु ने जल्दी से रुचि का टॉप उतार कर सोफे के पीछे फेंक दिया, और ब्रा का हुक भी खोल दिया। रूचि भी उतनी ही उतावली थी उसने भी झट से छोटू की पैंट के हुक और ज़िप खोल कर पैंट को नीचे की ओर सरका दिया। ये सब करते हुये भी उन दोनों ने एक-दुसरे को चुमना चालु रखा। छोटू ने अपनी पैंट को भी लात मार के दुर फेंक दिया और रुचि की स्कर्ट की जिप खोल दी। जिप खुलते ही उसकी स्कर्ट जमीन पर सरक गई, और दो कदम आगे बढ़कर रुचि ने स्कर्ट को आजाद कर दिया। अब रुचि सिर्फ एक पैंटी में थी, और छोटू अभी भी टी-शर्ट और अंडरवियर में था। दोनों का चुम्बन रुका तो दोनों की साँसे भारी हो रही थी। रुचि ने आगे बढ़कर छोटू की टी-शर्ट को उतारा और छोटू ने खुद को अपने अंडरवियर से आज़ाद कर दिया। उसका लंड तम्बु की तरह तन गया था। उसने फिर से रुचि से लिपट कर उसके होठों को चुसने लगा। और फिर उसकी शरीर को चुमते हुये नीचे की ओर बढ़ने लगा। रुचि के जवान और टाइट चुची को एक-एक कर दबाया। उसके दोनों निप्पल तन कर खड़े थे। उनको बारी-बारी से मुह में लेकर चुसा। जिससे की रुचि के मुह से सिसकारी निकल गयी। छोटु घुटनो के बल बैठ गया, और रुचि की नाभि को जीभ से कुरेदने लगा। फिर उसने उसकी चुत की महक को पैंटी के उपर से सूंघा और पीछे हाथ ले जा कर पैंटी के उपर से ही उसकी गाड़ को जोर से दबाया तो रूची की कराह निकल गई। उसने हल्के से छोटू के सर पर थप्पड़ मारा।

रुचि- "धीर नहीं कर सकता क्या?"
छोटु- "अरे गांड़ चीज ही ऐसी है, ना इसे धीरे दबाया जाता है और ना धीरे मारा जाता है।"

कहते हैं छोटू ने रुचि की पैंटी भी उतर दी‌ जिससे उसके कोमल हल्के बालों वाली प्यारी सी चुत सामने आ गई। छोटू ने उसकी चुत को चुमा। और बोला

छोटु- “यार बहुत दिन हो गए तेरी चुत मारे अब रहा नहीं जाता।"

कहकर उसने रुचि को गोद में उठाकर सोफे पर लिटा दिया। दोनों बेतहाशा एक-दुसरे को चुमने लगे। दोनों की सिसकियाँ और आवाज नेहा को अन्दर बेडरूम तक सुनाई दे रही थी। काफ़ी देर तक बर्दाश्त करने के बाद नेहा में भी उत्सुकता जागी। दोनों की काम-क्रीड़ा देखने की। तो वो चुप-चाप दरवाजे के पीछे आ कर देखने लगी। छोटू की पीठ उसकी तरफ थी और रुचि अगर पूरी गर्दन घुमाती तो उसे देख शक्ति थी। मतलब उसके लिए वो नजारा देखना बेहद आसान था। छोटू उस वक्त रुचि की टाइट चूचियों को ज़ोरों से मसल रहा था। और रह-रह कर उसके निपल्स को भी मसल रहा था। जिससे उसकी सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी। तुरंत ही नेहा के रोंगटे खड़े हो गए और जो अपराधबोध की भावना अब तक उसके अंदर थोड़ी बहुत बची हुई थी, वो भी बिना डर के गायब हो गई। दो जवान नंगे जिस्म उसके ही बैठक वाले कमरे में मस्ती कर रहे थे। ये देख उसकी चुत फड़कने लगी। इस बीच छोटू नीचे से रुचि की दोनों टंगों के बीच आ गया था और उसकी चुत को बड़ी ही तन्मयता से जिभ से चाटने लगा।
“आआह कमीने ज़ोर से आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् और और या और और और या नहीं.

रूचि इतनी ज़ोर से चिल्लाई की छोटू चौंक गया, और मुड़कर बेडरूम के दरवाजे की ओर देखने लगा, पर नेहा ने तब तक अपने आप को छुपा लिया था।
छोटु- "पागल तेरी मेमसाब आ जाएगी और फिर हमारा खेल बिगाड़ देंगी।"
रुचि- "आह आज वो नहीं आएगी। आज उन्हे पता है ना कि हम क्या कर रहे हैं?"

कहते हैं उसने अपनी दोनों टांगे उठाकर उसकी गर्दन के इर्द-गिर्द लपेट दी, और उसके सर को अपनी चुत पर जोर से दबा दिया।
नेहा- "कैसी उतावली हो रही है ये रूचि भी?"

नेहा मन ही मन बुदबुदाई पर खुद उसका एक हाथ बार-बार उसकी चुत को कपड़ो के उपर से ही दबा रहा था। अब दोनों ही पूरी तरह एक्साइट हो चुके थे। छोटू ने रुचि को ठीक से सोफ़े पर लिटाया, और फिर अपनी पैंट ढुढ़ने लगा। पैंट से पर्स निकला और बोला

छोटु- "इसकी माँ को चोदु, कंडोम तो घर ही रह गया।"
रुचि- "घर में क्या तेरी मां के लिए रखा है...? जा फिर मैं नहीं करने देती?"
छोटू उसके पास आ गया और उसे चुमता हुआ बोला
छोटु- "अरे बेबी खड़े लंड पर धोखा मत दे, मैं तेरे अंदर पानी नहीं छोडुँगा वादा।"

रुचि- "नहीं अगर तुने गड़बड़ कर दी तो मुझे बापु जान से मार देगा।"

छोटु -"अरे कोई गड़बड़ नहीं होगी मैं सारा माल बहार ही निकालूंगा। चल जल्दी कर नहीं तो मेमसाब बाहर आ जाएगी।"

कहते हैं उसे अपने लंड को उसकी चुत की दरार पर टिकाया और लंड की टिप से चुत की दरार पर उपर से नीचे फिराने लगा।

रुचि- “आह कमीने अब देर क्यों कर रहा है? डाल दे ना जल्दी कहते हुये रुचि ने अपनी दोनो टांगे उठा कर उसकी कमर के पीछे जकड़ लिया पर इससे पहले की छोटू शॉट मारता दरवाजे की घंटा बज गई। उन दोनों के साथ-साथ नेहा भी चौंक गई और अपने आप को दरवाजे के पीछे चुप लिया।

छोटु- "अब कौन माँ चुदाने आ गया भोसड़ी का।"
बोलते हुए छोटू उठा और नंगा ही दरवाजे की तरफ बढ़ा। दरवाजा पर लगे एक-तरफा मिरर से उसे बाहर झाँका और तुरंत भागता हुआ रूचि के पास आया।”

छोटु- "इसकी मां को चोदु अब तेरा बाप यहाँ क्या गाण मराने आया है।"
रुचि- "क्या बाबा...? हे तुम बाबा के बारे में कुछ गलत मत बोलना।"

छोटु- “अरे बेबी पर आया क्यों है तुम्हारा बाबा? मैडम का इससे क्या लफड़ा है?''

नेहा का दिल धड़क उठा, पर
रुचि बोली- "अरे कुछ भी मत बोल होगा कोई काम पर अब हम क्या करें?"
तब तक घंटी तीन बार और बाज गई, और तभी नेहा दरवाजे के बहार आ गई। छोटू सोफे के पास नंगा खड़ा था और अब उसका लंड थोड़ा लटक गया था। रुचि नंगी हड़बड़ाकर सोफ़े से उठी और अपने को ढकने करने के लिए कुछ ढूंढ़ने लगी पर उसके आस पास कुछ भी नहीं था।

नेहा- "ये कपड़े कितना बिखरा रखे हो ये सब उठाओ और जल्दी से मेरे बेडरूम में जाओ जल्दी?"
कहते हैं नेहा दरवाजे की ओर बढ़ गई। छोटू और रुचि भी जैसे नींद से जागे और अपने कपड़े समेट कर बेडरूम के अंदर भाग गए।
नेहा ने दरवाजा खोला तो जग्या खड़ा था। हल्की सी मुस्कान के साथ बोला-
जग्या- "मेमसाब नमस्कार.....वो सावी कहीं काम से गई है इसलिये सोचा ..."

नेहा- "क्या सोचा तुमने... समझ क्या रखा है मुझे... जब मुह उठाया चले आए?"

नेहा ने इस तरह से बोला की अंदर छोटू और रुचि ना सुन पाए हैं।
जग्या- "अरे मेमसाब नाराज ना हो वो मैंने सोचा की इस गरीब को कुछ पल आपके साथ बिताने का मौका .."

नेहा- "सुनो जग्या अब यहां कभी मत आना... और इस वक्त तुम्हारी बेटी रुचि अन्दर काम कर रही है कहो तो बुलाओ यहाँ।"

रुचि का नाम सुनते ही जग्या का चेहरा पीला पड़ गया।

जग्या- "क्या अरे नहीं मेमसाब उसे न बताना की मैं यहां आया था नहीं तो दस सवाल करेगी।
नेहा- "तो चलो दफा हो जाओ और आगे से आने की जरूरत नहीं है।"
छोटू और रुचि अन्दर से सुनने की कोशिश कर रहे थे। पर उन्हे कुछ सुनाई नहीं दिया तो वो दोनों फिर से एक-दुसरे को चुमने लगे।
 
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Arjun007

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आज शाम तक आगे की कहानी को पोस्ट करुगाँ।
 

Arjun007

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भाग 2

खाना खाने के बाद निशित ने पान खाने के लिए नेहा को जाने के लिए कहा तो नेहा तैयार हो गई। निशित को भी अच्छा लगा की नेहा नॉर्मल हो रही है। दोनों को दुकान पर देख कर छोटु बहुत खुश हुआ और बोला-
"साहेब आईये आज मेरे हाथ का पान खा कर देखो कैसे बनाता हुँ?"
"हां भाई छोटू तू भी दिखा कितना सीखा है अपने उस्ताद से।"
निशित बोला.. हालांकि आज निशित को छेदी लाल के ना होने से कोई उत्तेजना नहीं थी। क्योंकि उसे अब तक ये नहीं पता था कि छोटू भी एक नंबर का हरामी है और नेहा का कई बार बाहर से मजा ले चुका है। उसने पान बना का निशित के मुह में दिया तो थोड़ा-सा तरल निशित के होठों पर फैल गया। जिसे पोछने के लिए निशित अपना रुमाल निकलने में लग गया। फ़िर छोटू ने पान नेहा की तरफ़ पान बढ़ाया तो नेहा ने गहरी नज़रों से उसे देखा। दोनों की नज़रें मिली और दोनों ही एक दूसरे की आँखों में देखते रहे। निशित का ध्यान अपने मुह को साफ करने में था। वैसा भी आज उसे छोटू में कोई दिलचस्पी नहीं था।‌ नेहा ने बड़े ही सेक्सी अंदाज में मुह खोला और छोटू ने पान उसके मुह में घुसा कर अपने अंगूठे को उसके निचले होठ पर सेक्सी अंदाज में फिरा दिया। नेहा ने मुह बंद करते हुए धड़कते दिल से निशित की ओर देखा पर उसका ध्यान इन पर नहीं था। नेहा को पता नहीं आज छोटू पर छेदी लाल वाली स्टाइल में पान खिलाने के बाद भी गुस्सा नहीं आया। बल्की उसकी चुत में एक प्यारा सा एहसास होने लगा। एक आग सी फिर से सुलगने लगी थी, पर वो जानती थी। आज उसको बुझाने वाला कोई नहीं है। इसलिये उसने मन को शांत कर लिया।
उधार जग्या भी आज नेहा के घर से खाली हाथ लौट कर मायुस हो गया था। उसे रह-रह कर ये भी लग रहा था कि कहीं नेहा ने उससे पीछा छुड़ाने के लिए तो नहीं बोला था, कि रुचि अन्दर है। पर फिर भी उसकी हिम्मत नहीं हुई की वो बात रुचि से कन्फर्म करे।

निशित बेचैन था और चाहता था की नेहा छेदी लाल से बात करे तक उन दोनों के बीच दूरी न बने। यही सोच कर घर पर जब दोनो बेडरूम पर लेटे हुए तो निशित ने छेदीलाल को फोन कर दिया। छेदीलाल अपने गाँव में ही अपने घर से अलग अपने एक दोस्त के घर जहाँ वो सावी को रखता और चोदता था। वहाँ नंगा लेटा हुआ था और बगल में सावी भी पूरी तरह से नंगी उसकी ओर पीठ किये लेटी थी। वे लोग एक जबरजस्त चुदाई का दौर खतम कर चुके थे, और छेदी का मूड था की एक बार नेहा के नाम से भी सावी को चोद कर ही सोयेगा। निशित का फोन देख कर छेदी मुस्कराया और सावी की गांण पर थप्पड़ मरता हुआ बोला-

"देख मेरी राड़ के पति का फोन आया है।"
सावी चौंक कर बोली।
"जग्या का।"
"अबे साली तू तो राड़ नं 2 है, ये राड़ नंबर 1 के पति का है यानी निशित बाबू का।”
सावी मुस्कराई और छेदी की ओर करवट कर के एक टाँग घुटने तक मोड़ कर छेदी की टाँग पर रख दी और उसके लंड से खेलते हुए बोली उठाओ ना नहीं तो कट जाएगा।
"नमस्कार"
"नमस्ते छेदी भाई क्या हाल है...? तुम्हारी मां की तबियत कैसी है अब?"
उधर नेहा ने जब देखा की निशित छेदी से बात कर रहा है तो उसे ओर देख कर बुरा सा मुह बनाया। निशित उसकी ओर देखकर अनदेखा किया और सुनने लगा।
"मां अब ठीक है उनका चेकअप कराना था करवा लिया है। अब गाँव में ही है। ठीक रही तो परसो आ जाऊँगा।"
“हां यार आ जाओ तुम्हारे पान की आदत तो है ही। मैच देखने में भी कोई पार्टनर ना हो तो मजा नहीं आता।”
"हां वो तो है पर भाभी जी को बना लिया किजिये ना मैच में पार्टनर।"
"अरे यार वो मैच तो देख लेटी है पर ड्रिंक में पार्टनर नहीं बनती।"
"अरे आप थोड़ा ज़ोर देंगे तो उसमे भी देंगे।"
"नेहा भी पूछ रही है तुम्हारी मां की तबियत के बारे में।"
निशित बोला से नेहा ने उसकी चुटकी काट ली।
"अच्छा कहां है भाभीजी जरा बात करायेंगे।"
"हां हां क्यों नहीं। लो नेहा से बात करो।”
निशित ने नेहा को फोन दिया और उसे वॉशरूम का इशारा करके अन्दर और चला गया।
छेदी- "हैल्लो बुलबुल कैसी हो मेरी जान?"
कह कर उसे सावी को ज़ोर से अपने शरीर के साथ भींच लिया। सावी ने भी देखा के उसके हाथ में मुरझाये पड़े हुए लंड में अचानक ही जान आने लगी है।
नेहा- "ठीक हूं कैसी है तुम्हारी मां की तबियत?"
छेदी- "ठीक है बुलबुल अब तो तुम्हारी बहुत याद आ रही है।"
नेहा- "क्यों सावी को लेकर तो गए हो वहां।"
छेदी- “हां है तो सावी साथ में और एक राउंड चोद भी चुका हुँ। पर अब तेरी याद आ रही है। अगला राउंड तेरे नाम लेकर ही चुदाई करुगाँ।”
नेहा उसकी बातें सुनकर शर्म और गुस्से दोनों से लाल हो गई। उसने बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखा तो निशित अंदर ही था।
नेहा- "क्या सावी वही है अभी?"
छेदी- "हां मेरी जान हम दो नंगे सोये पड़े हैं और वो मेरे लंड से खेल रही है।"
नेहा- "हमेशा ऐसी गंदी बातें करते हो तुम।"
छेदी- "अरे गंदी नहीं खुली बात है जो हो रहा है वही बताया है न बिलकुल सच और कहते हैं न सच नंगा ही होता है।"
नेहा- "बातें बनाना में नंबर एक हो।"
छेदी- "चोदने में भी नंबर एक हूं मेरी जान। जी कर रहा है कब आऊँ और तेरी मक्खन जैसी चुत का स्वाद चाखू।”
नेहा- "वहीं रहो सावी के साथ यहां आने की जरूरत नहीं.. यहां कुछ नहीं मिलने वाला। चलो रखती हूं निशित आने वाला है।"

छेदी- "अरे निशित बाबू जब आए तब तक तो बात करो मेरी जान देखो तुमसे बात करने से ही मेरा लंड सलामी दे रहा है।"
नेहा का चेहरा फिर से गुलाबी होने लगा।
नेहा- "तुम्हे बड़ा मजा आता है न ऐसी गंदी बाते करने में।"
छेदी- "क्यों तुझे नहीं आता? मुझे तो बहुत बहुत आता है। अपनी चुत को हाथ लगा कर देख थोड़ी भी गिली है तो समझो उसे भी बहुत मजा आता है ऐसी बाते सुनकर।”

नेहा- "मुझे नहीं देखना मैं तुम्हारी तरह गंदी नहीं हूं।"

छेदी- "अरे जनता हूं जानेमन एकदम साफ सुथरी परी के जैसी है मेरी बुलबुल। तभी तो सिर्फ बात करने देखने से ही लंड खड़ा हो जाता हैं।"
नेहा- "बस करो अब।"
छेदी- "हां लो पहले सावी से बात कर लो।"
सावी- "हैल्लो"
नेहा- "क्यों भाई तुझसे रहा नहीं जाता एक दिन भी।"
नेहा तुनक कर बोली तो सावी हँस पड़ी है
सावी- “अरे मेमसाब ये मानता नहीं है ना। कह रहा था अगली बार आपको भी लेकर आएगा।”
नेहा- "मैंने कहाँ न वहाँ जाती है मेरी जूती।"

सावी- “जूती की तो इसको भी जरूरत नहीं है मेमसाब है। ये तो किसी और चीज का ही दीवाना है।"
सावी छेदी के लंड को मसलते हुए बोली।
नेहा- "पति को तो बता कर जाया कर वो आया था यहां पूछने।"
सावी- "अच्छा उसे बताया तो था..फिर क्यो….जाने दो मेमसाब। एक बात कहुँ ये अगला राउंड मेरे को नेहा मेमसाब बना के ही करने वाला है।”

नेहा सुनकर शर्मा गई और बोली
नेहा- "चुप कर बेशरम चल मैं फोन रखती हूं।" कह कर नेहा ने कॉल काट दी। निशित ने जब देखा की फोन कट गई है तो बहार आ गया और बोला
निशित- "यार पेट पता नहीं कैसे खराब हो गया है... बात हो गई।"

"हां" नेहा ने सिर्फ इतना ही कहा। नेहा टीवी देखने लगी और निशित मोबाइल पर हेडफोन लगा कर गाने सुननें लगा। टीवी देखते देखते नेहा सो गई और निशित लंड बहार निकल कर मुठ मारने लगा। क्योंकि वो वक्त गाना नहीं सुन रहा था। नेहा ने जो छेदी और सावी से बात की रिकॉर्डिंग सुन रहा था। उनकी बातें सुनने भर से ही वो इतना उत्साहित हो गया की मुठ्ठ मारने लगा।
निशित को एहसास हो गया था की नेहा को जो गलती महसुस हो रही थी। उससे अब उबर चुकी है और छेदी को जब भी मौका मिलेगा वो घर पर इसी बेडरूम में इस्तेमाल करने का प्लान करेगा। इसलिय उसे फिर से अपने कैमरा और सॉफ्टवेयर अपडेट कर लिया और तय कर लिया कि सोमवार को जब वो ऑफिस जाएगा तो सारा सिस्टम ऑन कर देगा। कुछ कैमरा और तार आदि की जरूरत थी जो वो बाजार से लाने वाला था। उसे ये बात भी दिलचस्प लगी कि छेदी नेहा को अपने गाँव ले जाने की सोच रहा है। ये वो कैसा करेगा क्या प्लान बनायेगा....?या उसमें उसमें उसे भी कुछ पहले करनी पड़ेगी वो सोचने लगा। पर गाँव की सारी एक्टिविटी को वो तो नहीं देख पाएगा ना। ये सोच कर उसने है इस प्लान में आगे बढ़ना ठीक नहीं समझा। अजीब बात थी कि निशित नेहा को अपने लिए हाॅट और सेक्सी बनाना चाहता था और जबकि वो वैसी हाॅट और सेक्सी बन चुकी है। तब भी वो उसके बगल में सोई हुई है और वो उसके चुदने के सपने देख रहा था।

अगले दिन संडे था निशित और नेहा दोनों ही देर से सो कर उठे। सावी होती तो जल्दी काम पर आ जाती पर रूचि थोड़ा देर से आती है। दोनों ने नहा-धोकर नास्ता खत्म ही किया था कि बेल बज गई। नेहा ने दरवाजा खोला तो रूचि अन्दर आई। निशित कभी-कभी रुचि को देख कर सोच रहा था की मां बेटी दोनो ही माल है। अभी तक निशित को रूचि और छोटू के बारे में कुछ भी नहीं पता था। निशित को अपने स्पाई कैमरा इंस्टालेशन के लिए कुछ और कैमरा और वायर्स और जॉइंट्स की जरूरत थी जिसके लिए इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट जाना था, पर उसे लग रहा था कि रविवार के दिन भी वो अगर अकेले बाहर जाने के लिए कहेगा तो नेहा को बुरा लग सकता है। फिर भी उसके पास आज का ही समय था कल या परसो से तो शायद छेदी आ कर धमाल शुरू कर दे। उसने डरते-डरते नेहा से कहां
निशित- "बेबी मुझे कुछ समान लेने इलेक्ट्रानिक्स मार्केट जाना है। दो-तीन घंटे लग जाएंगे।"
नेहा ने गर्दन घुमाई तो देखा की रुचि उसे थम्स अप का इशारा कर रही है। उसका उतावलापन देख कर नेहा की हँसी छुट गई। वो बोलिए
नेहा-"अच्छा ठीक है पर मुझे कुछ मैचिंग दुपट्टा और लैगी मंगानी थी आपको कुछ नहीं करना बस शॉप पर मैच दिखा देना वो लोग अपने आप पैक कर देंगे।"
नेहा की कपड़ो की दुकान इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट से उल्टी तरफ थी। जहां जाने में निशित को और फालतू 2 घंटे लगने थे। नेहा ने इसलिय कहा था ताकि रुचि अपने मजे आराम से कर सके, और वो भी मौका मिलने पर उनके मजे को छुप-छुप कर देख सके‌। और कोई टाइम होता तो निशित कपड़े की दुकान पर जाने के लिए साफ मन कर देता पर आज वो ये नहीं कर सका और बोला

निशित- "ओके दे दो पर तुम आज अकेली बोर हो जाओगी।"

नेहा- "कोई नहीं अभी तो रूचि है ना फिर मैं थोड़ा आराम कर लुंगी, फिर भी आप रिटर्न पर मुझे कॉल कर लेना अगर आते वक्त कुछ लाना होगा तो मैं बता दूंगा।"

नेहा को खुद पर विश्वास नहीं हो रहा था कि कितनी चालाकी से वो रुचि के लिए सेटअप कर रही है। सिर्फ रुचि के लिए नहीं पर छोटू के लिए भी जिससे की कुछ दिन पहले तक वो बेहद नफरत करती थी। निशित के जाते ही रुचि ने छोटू को फोन कर दिया साथ में ये भी बोल दिया कि आज मैडम से कंडोम मत मांगना। छोटू ने सुना तो बेचैन हो गया जल्दी-जल्दी ग्राहकों को निपटाकार दुकान बंद करके वो दौड़ा-दौड़ा नेहा के घर पहुँच गया। जैसे ही डोरबेल बजी नेहा बोल

नेहा- "ले आ गया तेरा आशिक।"
रुचि बेशर्मी से हँसी और दरवाजा खोलने दौड़ी उसने आज भी स्कर्ट और टॉप पहनना था। अंदर घुसते ही छोटू ने उसको बाहों में भर लिया और दोनों गहरी चुंबन करने लगे।

"अहम अहम।"
नेहा ने गला खासा तो दो अलग हुए और मस्कुराते हुए आकर नेहा के सामने वाले सोफ़े पर बैठे गए।

नेहा- “बहुत उतावाले हो रहे हो तुम दोनों। आज तो बिलकुल मौका नहीं था पर निशित चला गया इसलिए।”

रुचि- "थैंक यू मेमसाब आप सचमुच बहुत अच्छी है।"

छोटु- "हां भाभीजी मैं आपके लिए पान बना कर लाया हूं"

नेहा- "पान, ये भी कोई समय है पान खाने का।"

छोटु- "अरे मैडम पान खाने का और उसका कोई समय नहीं होता हे हे हे हे।"

नेहा- "चुप कर अपने उस्ताद की तरह बकवास बहुत करता है तू।"

छोटु- "अरे मैडम उस्ताद का चेला हूं। उस्ताद की तरह आइटम भी तो अच्छी पटाई है मैंने।"
सुन कर नेहा का चेहरा एक बार पीला पड़ गया और वो घबड़ा कर रुचि की तरफ देखने लगी पर रुचि बोली-

रुचि- "मैंने कितनी बार कहा की मेरी मां के बारे में कुछ बात न किया कर।"
नेहा ने राहत की सांस ली और गुस्से से छोटू की तरफ देखा पर उसने मुस्करा कर आंख मार दी।

छोटु- "बहुत गरमी हो रही है रुचि कुछ ठंडा बना दे। मैं तब तक भाभीजी को अपना स्पेशल पान खिलाता हूं।"
रुचि-"हां ठीक है।"

कह कर रुचि इठलाते हुए हुए किचन की तरफ चल दी।
छोटु- "लिजिये मैडम।"

कहता हुआ छोटू पान का पैकेट खोलता हुआ नेहा के बगल में आकार बैठा गया। नेहा चाहती तो उसको वहां बैठने से मना कर शक्ति थी पर उसे भी इस लुक्का छिप्पी में मजा आने लगा था वो देखना चाहती थी कि ये छोटू बदमाश क्या हरकते करता है? इसलिय जब छोटू ने हमें अपना एक हाथ उसके कंधे पर रखा तो उसने बस उसकी ओर देखकर आंखें तरेरी पर कहा कुछ नहीं।

छोटु- "लिजिये मैडम मुह खोलिए जरा।"

जैसे ही उसने हाथ बढ़ाया नेहा ने मुह खोल दिया। छोटू ने बड़े ही प्यार से अपने उल्टे हाथ से नेहा को बाहों में लेकर अपने ओर सरकाया तो सीधे हाथ से उसके मुह में पान ढकेल दिया और जैसा ही नेहा ने मुह बंद किया वो कथ्थे और गुलकंद से सने सनी अपनी अंगुली को नेहा के दोनों ओठों पर बड़े ही सेक्सी अंदाज में मलने लगा। नेहा का मुह भरा हुआ था वो कुछ बोल नहीं शक्ति थी। कुछ बोलना भी नहीं था वो बस गहरी आंखों से छोटू को उसके उस्ताद की तरह मस्ती करते हुए देख रही थी। दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे। और छोटु अपने अंगुली से उसके ओठों को लाल करता जा रहा था। कुछ देर ऐसे ही करने के बाद उसने अपनी अंगुली को अपने मुह में लिया और चाट कर चूस कर साफ करने लगा। नेहा अभी भी उसके बाये बाहँ में थी। और जब नेहा ने समझा कि अब छोटू उठने वाला है तो छोटू ने उसे अपनी ओर खिंचा और उसके लाल रसीले होठों पर अपने होठ रख दिया और सारा कथ्था और गुलकंद जो अभी नेहा के ओठों पर लगाया था उसको धीरे-धीरे चुस लिया। नेहा ने थोड़ा विरोध करने के लिए इधर-उधर मुह हिलाया पर छोटू ने उसके होठों को बिलकुल सील कर दिया था। थोड़ा जोर लगाया तो नेहा का मुह थोडा खुल गया और छोटू ने उसके मुह में घुसाये पान में से थोड़ा पान चबा लिया। उसे इस बात बिलकुल खौफ नहीं था कि उसकी गर्ल फ्रेंड रुचि किसी भी वक्त अन्दर आ शक्ति है। अपनी दिली इच्छा पूरी कर लेने के बाद वो उठने ही वाला थी की नेहा को खांसी आ गई।

"क्या हुआ?"
रुचि की आवाज सुनकर दोनों ने चौंक कर उसकी ओर देखा जो की ट्रे में जूस लेकर खाड़ी थी। छोटू का उल्टा हाथ अभी भी नेहा के कांधे पर था। रुचि को देख कर नेहा थोड़ा और खाँसने लगी और छोटू अपना हाथ उसकी पीठ पर ले गया और बोला-

छोटु- "हां रुचि अच्छा हुआ तुम आ गई भाभीजी की पीठ थोड़ा सहला दे उनको पान खाकर एकदम से खांसी उठा गई है।"

रुचि- “तू ना पागल है ये भी कोई समय है पान खाने का और फिर पता नहीं कैसे ठुस दिया होगा, चल हट में देखती हूं।"

छोटू चुप-चाप आकर नेहा के सामने वाले सोफ़े पर बैठा गया। रुचि आकर नेहा की पीठ सहलाने लगी। नेहा अब सामान्य थी उसने छोटू की तरफ देखा तो वो आंख मारकर मस्कुरा दिया। पर उसका दिल बाग-बाग हो गया। जब उसने हल्की सी मुस्कराहट नेहा के चेहरे पर भी देखी।

रुचि- "ये तेरा मुह कैसे लाल हो गया है तूने भी पान खाया है क्या।"

रुचि ने पुछा तो नेहा घबड़ा गई पर छोटू बड़े आराम से बोला

छोटु- "अरे भाभीजी से इतना बड़ा पान नहीं खाया जा रहा था तो उससे एक टुकड़ा तोड़ कर मैंने खा लिया।"

"कमीना है कमीना" मन ही मन नेहा ने सोचा।

छोटु- “भाभीजी कैसा लगा अपना पान खिलाने का स्टाइल? अभी तो और स्टाइल आते हैं मेरे को। आपको हर बार अलग स्टाइल से पान खिलाऊँगा मैं।”

कहते हैं रुचि की नजर बचा कर उसे अपने खड़े होते हैं लंड को पैंट के ऊपर से ही मसल दिया। नेहा उठ गई

नेहा- "तुम लोग जूस पीयो मैं थोड़ा काम करके आती हूं।"

नेहा के बेडरूम में जाते ही रुचि छोटू के पास आ कर बैठ गई और पुछने लगी।

रुचि- "क्यों रे कुछ कामयाबी मिली क्या याद को खुश करने में।"

छोटु- “अरे हाँ छोटू को क्या कम समझती है आखिर तुझको भी तो पटाया है ना। वैसा कुछ खास फायदा नहीं हुआ बस उन्होने मेरा हाथ कांधे से नहीं हटाया। मेरे लिए इतना ही काफ़ी था।”

छोटू ने चुंबन वाली बात उसे नही बतायी। उसने रुचि को ये विश्वास दिलाया था कि अगर मेमसाब उसको पसंद करने लगेगी तो वो लोग आराम से घर में मस्ती कर सकेगें, इसलिये वो मेमसाब को खुश करने के लिए उनकी तारीफ करेगा, पान खिलायेगा और भी जो हो सकेगा वो करेगा। नेहा जब वापस आई को उसने देखा की रुचि और छोटू एक दुसरे को चुंबन में लगे हुये है।

नेहा- "अरे जरा भी सब्र नहीं है तुम बेशरमों को।"
दोनों अलग होकर हसँने लगे।

छोटु- "भाभीजी कोई आएगा तो' कल की तरह?"
छोटू बोला..
नेहा- "हां मैं समझ रही हूं तुम आज भी बेडरूम में जाना चाहते हो।"

छोटु- "मेमसाब आप कितनी अच्छी है।"

नेहा- "ज्यादा मास्क नहीं। प्रॉब्लम ये है की मुझे बार-बार बेडरूम में आना-जाना पड़ता है। उपर से हमारा लैंडलाइन फोन भी अंदर है।”

छोटु- "भाभीजी आप ही का घर है आप कभी भी आए जाये कोई समस्या नहीं है।"

छोटू मस्कुराते हुए बोला तो नेहा भी मस्कुराई हुये बोली मुझे तुम लोगों को परेशान करने का कोई शौक नहीं है।
छोटु- "हां पर काम पड़े भी बेशक आए …...। वैसे भी आप ने हम दोनों को नंगा तो देख ही लिया। इसलिय कोई समस्या नहीं है हम दरवाजा खुला ही रखेंगे।"
छोटू फ़िर मुस्कुराया।

नेहा-"चलो जाओ अब दोनों इससे पहले की निशित वापस आए।"

नेहा ने रुचि को ढक्का देते हुए कहा तो दोनों हसँते हुए बेडरूम में चले गए।
और थोड़ी देर बाद सिर्फ बेडरूम ही नहीं पुरे घर में रुचि की सेक्सी आवाज गूंजने लगी।

"आह्ह्ह आह्ह्ह आह्ह्ह चोद कुत्ते जोर से चोद आह्ह्ह आह्ह्ह आह्ह्ह आह्ह्ह और जोर कमीने आह्ह्ह आह्ह्ह फाड़ दे मेरी चुत को आह्ह्ह आह्ह्ह।"

नेहा कैपरी और टॉप पहने लिविंग रूम के सोफे पर बैठी हुई थी। कब उसका हाथ रुचि की सेक्स भरी आवाज सुन कर उसकी कैपरी से होता हुआ उसकी पैंटी के अंदर उसकी चुत को कुरेदने लगा उसे पता ही नहीं चला।

डोर बेल बजी तो नेहा हड़बड़ा कर उठी, उसे पैंटी से हाथ निकाला तो उसकी चारों अंगुलियाँ गिली थी। अपने आप ही उसका हाथ उसकी नाक की तरफ चला गया। अपनी ही चुत की गंध लेने के लिए। पर तभी अचानक दरवाजे की घंटी फिर बाजी। नेहा ने घबड़ाकर एक बार बेडरूम की ओर देखा तो उसका दरवाजा आधा बंद था और अब रुचि की कराहने की आवाज नहीं आ रही थी। वो धीरे-धीरे दरवाजे पर गई और खोला तो देखा जग्या खड़ा है। साफ लगा रहा था की उसने बहुत ही ज्यादा शराब पी राखी है।

जग्या- "मैडम जी हेलो! प्लीज मैं मैडम जी मैं अन्दर आ जाऊं।"
नशे में लड़खड़ाते हुए जग्या बोला

नेहा- "नहीं जग्या मैंने माना किया था न इधर आने के लिए जाओ यहां से।"
जग्या- "मैडम जी आज रहा नहीं जा रहा कृपया एक बार तेरी पाव रोटी सी मक्खन सी चुत मार लूं फिर चला जाउंगा।"

कमाल की बात थी चुत मारने की बात ऐसे कर रहा था जैसे एक बार आपके चरण स्पर्श कर लूं फिर चला जाउंगा।

नेहा- "बकवास बंद करो जग्या, रुचि अन्दर है चुप चाप चले जाओ।"

जग्या- "मेमसाब आपने कल भी मुझको चुतिया बनाया आज नहीं बनुगाँ। कहां है रुचि बुलाओ मैं आज उससे मिलकर जाऊंगा।"

कहते हैं जग्या अन्दर घुस गया और घर में इधर-उधर देखने लगा और आवाज देने लगा

“कहां है रुचि....रुचि....रुचि....कहां है रुचि।"
कहते हैं वो किचन में देखने लगा फिर बेडरूम की तरफ बड़ा तो नेहा ने उसका हाथ पकड़ कर लिविंग रूम में सोफे पर बैठा दिया। नेहा का दिल धड़क रहा था कि अब क्या करे?

नेहा- "तुम रुको मैं तुम्हारे लिए पानी लाती हूं।"
कहते हैं नेहा किचन की ओर गई पर जग्या को सब्र नहीं हुआ उसने आनन-फानन में सारे कपड़े उतरे दिए और नेहा को किचन में पीछे से जाकर दबोच लिया। नेहा अचानक हुए इस हमले से घबड़ा गई।

नेहा- "ये ये क्या कर रहे हैं? जग्या तुम्हारी बेटी घर में है।"

जग्या- "चुप कर बहन की लोड़ी। बहुत देर से बेवकूफ बना रही है। आज में तुझे चोदे बिना नहीं जाउंगा।"

कहते हुये जग्या ने उसका टॉप इतनी जोर से खीचाँ की वो फट कर उसके हाथ में आ गया। नेहा घबड़ा कर अपने ब्रा में से बाहर आ रहे हैं। चुची छिपाने की कोशिश करने लगी।

नेहा-"ये तुम क्या कर रहे हो जग्या पागल न बनो।"
नेहा को विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका उसके ही घर में बलत्कार होने जा रहा है। जग्या पुरा उसके उपर आ गया और उसको बाहों में भींच कर उसको चुंबन करने की कोशिश करने लगा।

"देखो जग्या तुम्हारी बेटी रूचि दुसरे कमरे में है। अगर नहीं माने तो मैं चिल्लाऊँगी।"

पर जग्या ने झटके से अपना हाथ उसकी कैपरी से होते हुए उसकी नंगी चुत तक पहुँचा दिया और बोला-

जग्या- "अब झूठ बोल कर कोई फायदा नहीं, देख तेरी चुत कैसी गिली हो रही है? अब नखरे मत कर और दिन की तरह उछल-उछल कर चुदवा मजे ले और मेरे लंड को इस तकलीफ से आराम दे।"

नेहा- "रुचि रुचि रुचि......."
नेहा ने जोर से चिल्लाने की कोशिश की पर आवाज जैसे उसके गले में अटक गई। उसकी आंखों में आंसू आ गई। जबकि उसकी चुत भी जग्या के लगातार प्रहार से गिली होने लगी की अचानक

"नेहा मेमसाब।"
जोर से चिल्लाने की आवाज आई तो दोनों ने हड़बड़ा का पीछे देखा तो रूचि खड़ी हुई थी। पूरी नंगी और गुस्से में लाल। वो कुछ कहते इससे पहले रुचि फिर चीखी-
"नेहा मेमसाब.....
नेहा मेमसाब......नेहा मेमसाब।”
नेहा ने आंखें खोली तो रूचि उसको कंधा पकड़ कर जगा रही थी। नेहा वहीँ सोफ़े पर बैठी हुई थी उसने देखा की अभी जो हुआ वो सपना था। पर अचानक वो शर्मा गई। जब उसने देखा की उसका एक हाथ उसकी पैंटी के अंदर उसकी चुत को सहला रहा है। उसने जल्दी से हाथ बाहर निकाला और रुचि की ओर चोर नजरों से देखा। रुचि ने छोटू की टी-शर्ट पहनी हुई थी। जो की किसी तरह उसकी चुत को धक पा रही थी। पहला राउंड करने के बाद वो जूस केले के लिए आई थी और नेहा से पूछने आई थी वो भी जूस पिएगी क्या?

"आप तो पसीना-पसीना हो रही है कोई बुरा ख़्वाब देखा क्या?"

नेहा ने हां में सर हिलाया। जब रुचि ने जूस के लिए पूछे तो उसे हां में सर हिला दिया।
 
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