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TS story ek hi thread mein continue kariye agar wo ek hi story hai to.
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थैंक्सबहुत शानदार लिख रहे हो आप, ऐसे ही लिखिए, गरिमा रखते हुये अश्लील लिखना बहुत बड़ी कला है, घटिया शब्दों में तो हर कोई लिख लेता है लेकिन शालीन तरीके से कामुक अश्लील और उत्तेजक लिखना हर किसी ऐरे गैरे के बस का नहीं है, आप बहुत गजब लिखते हो, ऐसे ही continue कीजिये,
Awesome update
( चैप्टर- २ )
अब आगे.......
अगले दिन में रोज की तरह ऑफिस था शाम के पांच बज चुके थे पर अभी अमोल स्कूल से नहीं लौटा था, इस बात से मेरी पत्नी बहुत परेशान हो गई वो बार बार दरवाजे की ओर अपनी नजरें गड़ाए हुए थी। तभी उसने मेरे को फोन लगाया !
" ऐजी सुनते हो, अमोल अभी तक घर नहीं लौटा है मुझे बहुत डर लग रहा है।
"डरो नहीं , अपने दोस्तों के साथ होगा थोड़ी देर में आ जाएगा।
"नहीं ,, आप जल्दी से आईए!
"अच्छा ठीक है में उसके स्कूल जाता हूं तुम परेशान मत होवो। फिर मेने फोन काट दिया और ऑफिस से सीधे अमोल के स्कूल चल दिया । वहां पहुंचकर देखा तो अमोल वहां नहीं था , वॉचमैन से पूछा तो उसने कहा कि अमोल तो एक घंटे पहले जा चुका था। अब में भी परेशान हो गया क्योंकि मेरे घर से स्कूल आधे घंटे की दूरी पर था तो अभी तक अमोल कहा रह गया। मेने बाइक स्टार्ट की ओर घर की ओर निकल आया , कुछ दूर बाद मुझे अमोल दिखाई दिया ।
"अमोल क्या हुआ !
"वो मामाजी , आज स्कूल में प्रोग्राम था और फिर कोई रिक्शा नहीं मिला तो पैदल ही आ रहा हूं ।
"अरे , तेरी बुआ बहुत परेशान हो गई खेर बैठ , ओर फिर हम घर पहुंच गए।
सुधा: अमोल तू कहा था मेरी तो जान निकल गई थी।
अमोल: बुआ वो स्कूल में प्रोग्राम था और आते समय रिक्शा नहीं मिला तो पैदल आ रहा था पर आप इतना क्यों परेशान होती हो।
सुधा: परेशान नहीं होना क्या? अगर कोई बात हो जाती तो में क्या जवाब देती तेरे मां पापा को ।
अमोल: बुआ आप भी ना, कुछ नहीं होगा मुझे ।
सुधा: हां, चल बाते बनाना बंद कर ओर जा कपड़े चेंज करले।
अमोल: जी बुआ!
सुधा: ऐजी सुनो,, में क्या कहती की एक स्कूटी ले लो ना !
में : क्यों?
सुधा: वो अमोल फिर सही समय पर आ जाएगा और वैसे भी में कितने सालों से कह रही आपको की मुझे एक स्कूटी दिला दो ।
में : तुम क्या करोगे स्कूटी का ,तुम्हे तो चलानी आती भी नहीं!
सुधा: तो क्या हुआ अमोल को तो आती है ना, में उसे सिख लूंगी। मेरा भी कुछ शाम कट जाएगा इसी बहाने ,वरना सुबह से शाम तक में घर पर बोर हो जाती हूं।
में : ये तो सही कहा तुमने, ठीक है में कल स्कूटी देखकर आता हूं।
सुधा : हां , चलो आप भी कपड़े चेंज कर लो में तब तक चाय बना देती हूं।
में: ठीक है।
सुधा : आ गया अमोल, आ मेरे पास बैठ ओर बता आज क्या प्रोग्राम था तुम्हारा !
अमोल: वो बुआ, आज स्कूल में जन्माष्टमी का प्रोग्राम था।
सुधा: अच्छा, तो केसा था !
अमोल: बहुत अच्छा ।
सुधा: तेरा क्या रोल था,
अमोल: मेरा वासुदेव का रोल था, आपको पता है बुआ जो कंस बना था वो हमारे हिन्दी के टीचर थे।
सुधा: अच्छा! तब तो बहुत अच्छा प्रोग्राम हुआ होगा ,क्या नाम था उनका!
अमोल: उनका, दीपक सर।
सुधा : अच्छा में उन्हें जानती हूं!
अमोल: वो कैसे बुआ?
सुधा: अरे अमोल, वो हमारे मोहल्ले की रामलीला में में हर साल हनुमान का रोल करते हैं, बहुत अच्छे कलाकार हैं,बस तब से ही जान पहचान है।
अमोल: अच्छा बुआ में आपसे एक बात कहूं?
सुधा: हां कहो!
अमोल: वो बुआ , मुझे एक मोबाइल दिला दो मामाजी से कहकर!
सुधा: क्यों? तुझे मोबाइल की क्या आवश्यकता पड़ने लगी, अभी बेटा सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान रखो।
अमोल: मुझे पता है बुआ और में इस बार अपनी क्लास में फस्ट आऊंगा, पर मोबाइल इस लिए की जैसा आप ओर मामाजी आज मेरे देर से लौटने पर परेशान हो गए, पर बुआ अगर मेरे पास मोबाइल होगा तो आप पता कर सकते हो कि में कहा हूं, आपको भी आगे से कोई परेशानी नहीं होगी इसलिए कह रहा हूं।
सुधा: आइडिया तो अच्छा है पर फिर तू मोबाइल में गेम खेलने लग जाएगा जिससे तेरी पढ़ाई में दिक्कत आएगी।
अमोल: नहीं बुआ में आपकी कसम खाता हूं में कोई गेम नहीं खेलूंगा।
सुधा : अच्छा ठीक है में तेरे मामाजी से कहकर तुझे कल ही नया मोबाइल दिला दूंगी!
अमोल: ओह, मेरी प्यारी बुआ!
ऐसा कहते हुए अमोल अपनी बुआ (मेरी पत्नी) पर आलिंगन कर लेता है और मेरी पत्नी उसके सर पर ममता से हाथ फेरती और माथे पर एक प्यारी सी किस्सी कर देती है। में अपने रूम से यह सब देख रहा था। थोड़ी देर बाद मेरी पत्नी उठकर मेरे पास आई ।
सुधा: ऐजी सुनो अमोल के लिए एक मोबाइल ले लीजिए।
में : क्यों? ( मेने उन दोनों की सारी बातें सुन ली थी पर में जानबूझकर अनजान बना )
सुधा: क्यों ,क्या देखा ना आज आपने, में कितनी परेशान हो गई थी। अगर उसके पास मोबाइल होगा तो हम उससे बात करके पूछ सकते हैं कभी कुछ सामान मांगना होगा तो वो सब भी।
में: हां ये बात तो सही कही तुमने, ठीक है, में कल ले आऊंगा मोबाइल। अच्छा तुमने अमोल को बताया कि हम उसके लिए स्कूटी ले रहे हैं।
सुधा: नहीं !
में : क्यों?
सुधा: इसलिए कि हम उसे सरप्राइज़ देंगे।
में : ओह, ये बहुत अच्छा प्लान है तुम्हारा वाकई में अमोल अचंभित हो जाएगा उसे विश्वास भी नहीं होगा कि हम उसकी यह ख्वाइश पूरी करने वाले हैं।
सुधा: बिल्कुल, चौंक जाएगा वो।
में: वही तो चल अब इस बात को यही खत्म करते हैं और चलो जल्दी से तुम खाना लगाओ बहुत भूख लगी है।
सुधा: ठीक है बस पांच मिनट, तबतक आप अमोल के साथ गप्पे लगाओ में गर्म गर्म रोटी बना लेती हूं फिर खाते हैं साथ में ।
यह कहते हुए मेरी पत्नी किचन में चली गई। ओर में अमोल के साथ बाते करने लगा। अरे अमोल तुम्हारे स्कूल पढ़ाई सही तो होती है ना!
अमोल: हां मामाजी पढ़ाई तो अच्छी होती है।
में: अच्छा ये बताओ कि सबसे अच्छा कौन सा सब्जेक्ट का टीचर पड़ता है ।
अमोल: मामाजी दो टीचर हैं, मैथ्स ओर बायोलॉजी के।
में: अच्छा ,यह तो अच्छी बात है।
तभी मेरी पत्नी ने आवाज दी....
सुधा: अमोल, चलो खाना खाने आवो मामाजी को भी कह दो।
अमोल: जी बुआ!
में ओर अमोल फिर खाना खाने आ गए। मेरी पत्नी ने आलू गोभी की सब्जी बनाई थी और मीठे में खीर! फिर बाते करते हुए हमने खाना खाया और अपने अपने कमरों में सोने चले गए।
अगले दिन सुबह ऑफिस जाते हुए सबसे पहले एटीम से पैसे निकाले और अमोल के लिए एक अच्छा सा 5G स्मार्ट मोबाइल खरीदा। दिन में ऑफिस से छुट्टी ली फिर अपनी बाइक ऑफिस में ही खड़ी की, रिक्शा लेकर स्कूटी खरीदने होंडा के शोरुम पहुंच गया। वहां पहुंचकर सारी कागज़ी फॉर्मेलिटी की ओर स्कूटी लेकर घर की ओर निकल आया , रास्ते से पत्नी को फोन कर दिया था कि पूजा थाली, धूप अगरबत्ती की तैयारी कर लेना में पंद्रह मिनट में पहुंच रहा हूं."पत्नी ने भी "हां, कहा ओर फिर फोन रख दिया।
जैसे में स्कूटी लेकर घर पहुंचा तो सामने मेरी पत्नी और अमोल खड़े थे। मेरी पत्नी ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी मुझे यह देखकर ऐसा लगा कि जैसे साक्षात् कोई देवी देवलोक से हमें बधाई,आशीर्वाद देने आ स्वयं पहुंची हो। तभी ...मेरे कानो में किसी की आवाज सुनाई दी. में अपने सपने से बाहर निकला और देखा तो अमोल कुछ कह रहा है.....
अमोल: मामाजी नई स्कूटी.!
में : हां, कैसी लगी।
अमोल: बहुत अच्छी है मामाजी।
सुधा: अब बाते बाद में करना पहले मुझे पूजा करने दो,।
में : हां , बिल्कुल।
फिर मेरी पत्नी ने सारे विधि विधान से स्कूटी की पूजा आरती करी। में, अमोल की ओर देखकर बोला, कैसे लगी ।
अमोल : मामाजी बहुत अच्छी, मुझको क्यों नहीं बताया आपने और ना बुआ ने बताया!
में : तेरी बुआ ने है बताने को मना किया था,
अमोल: क्यूं?
में : अरे तुझे सरप्राइज़ जो देना था, फिर में ओर मेरी पत्नी हस दिए।
अमोल: ओह, ये बात थी ।
ऐसा कहते ही अमोल मेरे गले लग गया
सुधा : हां, अरे दलबदलु अपने मामाजी के ही गले लगेगा या अपनी बुआ के भी लगेगा।
अमोल: नहीं बुआ जी, ऐसा नहीं है।
फिर अमोल कहते हुए अपनी बुआ( मेरी पत्नी) के गले लग गया।
सुधा: अमोल, तेरे लिए एक ओर सरप्राइज़ है!
अमोल: वो क्या बुआ!
सुधा : "मोबाइल ।
ऐसा कहते ही मेरी पत्नी ने मेरे को इशारे से फोन देने को कहा ओर मेने उसके हाथ में फोन रख दिया। ले अमोल तेरा गिफ्ट, अमोल ने अपनी बुआ के हाथ से फोन लिया और खुशी से एक दो बार उछल दिया।
अमोल: धन्यवाद मामाजी ।
सुधा: ये क्या बस मामाजी को ही धन्यवाद कहेगा बुआ को नहीं!
अमोल: नहीं बुआ ऐसा नहीं आपको भी धन्यवाद,! ओर इतना कहकर अमोल ने मेरे ओर मेरी पत्नी के पैर छूं लिए।
सुधा: खुश रहो हमेशा ऐसे ही अमोल,
में : सदा खुश रहो, भगवान तुम्हें अपना आशीष दे।
सुधा: चलो अब क्या सारी बातें यही बाहर करेंगे चलो अंदर!
में : हां चलो!
फिर हम अंदर आ गए, मेने पत्नी से कहा कि में कुछ मीठा लाना तो भूल गया.. ‘कोई बात नहीं अमोल ले आयेगा. मेरी पत्नी ने अमोल को पांचसो रुपए दिए।
अमोल: क्या लाना है! बुआजी मामाजी!
में : तुझे क्या पसंद है अमोल? वो ही ले आ!
अमोल: मुझे तो मामाजी गुलाब जामुन पसंद हैं!
में : तो ठीक है वहीं ले आ एक kg ओर एक प्लेट मोमोज भी।
सुधा: मोमोज रहने देते हैं जी , घर में ही कुछ बना लेंगे!
में: क्या बनाओगी !
सुधा: एक काम करते हैं छोले भटूरे बनाते हैं और कुछ मीठा भी!
अमोल: हां बुआ जी ये सही रहेगा !
में: अच्छा तो अमोल गुलाब जामुन एक पाव ही लाना क्योंकि मुझे तो मिठाई पसंद नही, तेरी बुआ भी बस एक दो पिस वाली है
अमोल: ठीक है मामाजी।
में: एक काम करना जो पैसे बचेंगे उससे एक kg मैदा और एक kg गुड़ ले आना।
अमोल: जी मामाजी।
सुधा: हां ये ठीक है, अब खड़ा क्यों है अमोल जल्दी जा!
अमोल: बुआ, मामाजी क्या में?
सुधा : में क्या?
में : में में क्या कर रहा, कोई बात है तो बता घबरा क्यों रहा ?
अमोल: नहीं मामाजी में घबरा नहीं रहा बस में सोच रहा था कि क्या स्कूटी लेकर....
में : ओह,, तो इसमें इतना सोचने वाली क्या बात है, जा ले जा स्कूटी!
अमोल: धन्यवाद मामाजी,
में : पर हेलमेट पहनकर जाना!
सुधा: बिल्कुल
अमोल: बस यही पर तो जा रहा हूं मामाजी, बुआ जी!
सुधा: तुझे जो बोला वो कर अमोल! हेलमेट बहुत जरूरी है तू रोज अखबार में पढ़ता नहीं ।
में : देख अमोल, यह अपनी सुरक्षा के लिए है!
अमोल: ठीक है मामाजी बुआ जी!
इतना कहते ही अमोल ने डाइनिंग टेबल से चाबी हेलमेट लिया और चल दिया। "अरे भाग्यवान सुनो, क्या एक कप गर्मागर्म चाय मिल सकती है! " हां,जी. आप हाथ मुंह धो के कपड़े चेंज कर के आवो इतने में चाय बनाती हूं तबतक अमोल भी आ जायेगा फिर साथ में पियेंगे।
ठीक है, में फिर कपड़े चेंज करने चला गया और पत्नी ने चाय बनानी शुरु कर दी। हाथ मुंह धोकर में बाथरूम से निकला ही की तभी अमोल भी आ गया। पत्नी किचन से बाहर आई तो अमोल ने सारा सामान उसके हाथ में थमा दिया।
सुधा: चलो चाय तैयार हैं, बैठो डाइनिंग में में मोमोज भी लाती हूं ।
हमने चाय पी, मोमोज खाएं। इसी बीच अमोल बोला मामाजी कल में स्कूटी को मंदिर लेकर चले जाऊं। " हां चले जाना ओर साथ में अपनी बुआ को भी ले जाना। " ठीक है मामाजी ! "आप नहीं आयेंगे क्या? " अरे मुझे सुबह जल्दी जाना है। " ठीक है'! " बुआ सुबह सुबह जल्दी चले जाएंगे '! " अमोल सही कह रहा है सुधा, जितनी जल्दी जाओगे तो तुम्हे बीड़ नहीं मिलेगी! " ठीक है फिर सात बजे चले जाएंगे घर से अमोल हम.! " जी बुआ '! " अच्छा तुम बाते करो में थोड़ा टीवी देखता हूं और फिर में टीवी देखने चले गया। अमोल भी पढ़ाई करने गया और पत्नी खाना बनाने। सुबह जल्दी जाना था तो पत्नी ने झट पट खाना तैयार किया और फिर हमने भी खाया ।
अमोल: बुआ जल्दी चलो सवा सात बज गए है वरना लाइन में लगना पड़ेगा ।
सुधा: अरे बस हो गया, तू स्कूटी स्टार्ट कर में आई ।
में : ये लो पैसे, पंडित जी के 251रुपए, प्रसाद के 101रुपए ओर ये....
सुधा: बस बस मुझे पता है किसको कितना देना है देर हो रही है।
में: ठीक है आराम से जाओ कोई जल्दी बाजी मत करना अमोल स्कूटी धीरे चलना !
अमोल : जी मामाजी आप बेफ्रिक रहें में धीरे धीरे चलाऊंगा, बाय मामाजी जी ।
में : बाय,
सुधा: चल अमोल ।
अमोल: जी बुआ।
ओर फिर दोनों चल दिए । मेने भी थोड़ा योगा किया और फिर अपने लिए नाश्ता बनाया। गर्म पानी किया था पत्नी ने तो फिर में नहाने चला गया। कुछ देर बाद नहा कर आया तो घंडी में टाइम देखा साढ़े आठ से ऊपर हो गया था। मेने फटाफट नाश्ता किया । सारे कमरों पर ताला लगाया ओर चाभी जहां पत्नी रखती थी हमेशा वहीं रख कर ऑफिस को निकल गया। मेने सबसे पहले पहुंचकर पत्नी को फोन लगाया तो उसने बताया कि अभी घर पहुंचे हैं बस ताला ही खोल रही हूं। " अच्छा ठीक है शाम को मिलते हैं बाय. पत्नी ने भी बाय कहा ओर फोन काट दिया. में भी अपने काम में व्यस्त हो गया ।
अब आगे चलकर क्या होगा यह आपको अगले चैप्टर में मालूम होगा तब आप ज्यादा से ज्यादा कमेंट लाइक करें धन्यवाद !!
Nice update
( चैप्टर –३ )
शाम को में घर पहुंचा तो मेने सुबह वाली बात छेड़ दी. अरे अमोल तुम सही टाइम पर मंदिर पहुंच गए थे ना? . जी मामाजी, जब में ,बुआ पहुंचे तो पंडत जी उसी समय मंदिर का ताला खोल रहे थे तो बस हमने फटाफट से स्कूटी की पूजा करवाई और वापस लौट आए. अरे वाह ये तो बहुत अच्छा हुआ अमोल. ऐजी छोड़ो अब इन बातों को में क्या कहती कि आज अमोल को कही बाहर खाना खिलाएं,केसा रहेगा.’ . हम्मम, ये सही आइडिया है चलो फिर आज बाहर ही खाना खाते हैं पर सुधा कौन से रेस्टोरेंट में?’ . बस वही जहां हम अक्सर जाया करते हैं ’ पंडित जी भोजनालय. अच्छा ठीक है, अमोल चलो तुम तैयार हो जाओ और सुधा तुम भी पर तुम जल्दी तैयार होना समझी. आप भी ना में कहा टाइम लगाती हूं तैयार होने में. मेरी पत्नी ने मुंह बनाते हुए कहा.’ गलती हो गई पत्नी साहेबा, अब मुंह न बनाओ ओर जल्दी से तैयार होकर आ जावो. हां. हां. पंद्रह मिनट में आती हूं.ऐसा कहते हुए मेरी पत्नी अंदर रूम में चली गई।
’अमोल जाओ तुम भी क्या खड़े हो.. जी मामाजी . ओर फिर अमोल भी अंदर अपने रूम में दौड़ता हुआ गया. मेने भी हाथ मुंह धोए कपड़े पहने और रेडी हो गया, बाहर बैठ कर जूते पहनते हुए मेने पत्नी को आवाज लगाई. महारानी साहेबा और कितना टाइम लगेगा...बस दो मिनट. पत्नी ने भी मेरे सवाल का जवाब देते हुए कहा. ‘देखो मामाजी में केसा लग रहा हूं. अमोल मेरे से बोला. ‘अरे वाह .. तुम तो एक दम हीरो लग रहे हो अमोल. चल जल्दी से जूते पहन ले तेरी बुआ बस आती होगी. ‘ जी मामाजी, ओर फिर अमोल पास ही रखे स्टूल को अपनी ओर खिसकाते हुए उसमें बैठा ओर जूते पहनने लगा. तभी दरवाजा खोलने की आवाज आई. ऐसी कैसे लग रही हूं में. मेरी पत्नी ने थोड़ा इठलाते हुए बोला. ‘ बहुत सुंदर . बस सुंदर या सबसे सुंदर. मेरी पत्नी नखरे करते हुए बोली. ‘अरे सबसे सुंदर अब खुश हो चलो देर हो रही है. ‘ आप भी ना जब देखो देर हो रही हैं बस यही नखरे रहते हैं आपके. तभी अमोल जूते बांधते हुए बोला अरे बुआ मामाजी को बोलने दो वो आपको चिड़ा रहे है आप बहुत बहुत सुंदर लग रही हो. अमोल हंसते हुए बोला. ‘ अच्छा अमोल सच में बहुत सुंदर लग रही हूं . हां बुआ.अच्छा बुआ एक फोटो हो जाए आपकी ओर मामाजी की. ‘ हां,बिल्कुल ये भी कोई पूछने वाली बात है ओर ऐसा कहकर मेरी पत्नी ने मुझे अपनी ओर खींचा, लो अमोल खींचो फ़ोटो. अमोल ने भी अपनी जेब से फोन निकाला और दो चार अलग अलग पोज में हमारी फोटो खींची.
में हो गया तुम्हारा फोटोशूट...अब चले नहीं तो वहां सिर्फ बर्तन धोने को मिलेंगे . मेने हंसते हुए कहा. हां चलो ,ओर फिर में ओर मेरी पत्नी बाइक में गए और अमोल स्कूटी में. पंद्रह मिनट बाद हम पहुंच गए।
अंदर बैठते ही मेने वेटर को आवाज़ लगाई. वेटर.... वेटर जी साहब बताएं क्या लेंगे आप लोग . उसके हाथ में एक पेन और कागज था . मेने पत्नी और अमोल से पूछा और फिर उन्होंने बताया वो वेटर को बताया कि ये सब कुछ ले आएं. वेटर ने भी सब कुछ उस कागज में नोट किया और जी साहब बोलकर चला गया. में अमोल कल स्कूल से आते समय एक हेलमेट ओर ले आना . ‘क्यों मामाजी... वो मेरे कहने का मतलब है कि हेलमेट है तो फिर दूसरा..... ‘ अरे वो इसलिए की कल से तुम अपनी बुआ को स्कूटी चलाना सिखाओगे तो दो हेलमेट होना जरूरी है. ‘ हां ये तो आपने सही कहा मामाजी. ‘मुझे नहीं सीखनी . क्यों नहीं सीखनी . ‘बस मेरी इच्छा नहीं है ओर वैसे भी अमोल तो है ही तो काहे की चिंता. मेरी पत्नी ने पानी पीते हुए कहा. ‘ अमोल अपनी जगह है और तुम अपनी जगह ओर वैसे भी स्कूटी सीखने में क्या दिक्कत है काम ही आयेगी कभी अमोल यहां नहीं रहा तो तुम तो फिर काम कर लोगी ना. ‘ हां बुआ मामाजी सही तो कह रहे सीखने में कोई बुराई नहीं. ‘ अरे वो तो ठीक है पर अभी क्या जरूरत है मेरा मतलब अभी सर्दी का मौसम है और ऐसे में सुबह सुबह सीखना ना बाबा ना जब गर्मी का मौसम होगा तब सीखूंगी. ‘किसने कहा कि सुबह सीखो दोपहर में सीखना जब अमोल स्कूल से आ जाएगा. ‘ अच्छा ठीक है, ये वेटर कहा गया बहुत जोरो की भूख लगी है. मेरी पत्नी अपने पेट पर हाथ फ़िराते हुए बोली. ‘ बस आता होगा इतने में वेटर खाना लेकर आ गए. ये लिखिए साहब आपका गर्मागर्म खाना. ऐसा कहते हुए वेटर सारा खाना टेबल में रखा. ‘ चलो अब शुरू करो और फिर हमने बाते करते हुए खाना खाया . अच्छा तुम दोनो चलो में बिल देकर आता हूं. ऐसा कहते हुए में बिलिंग काउंटर की ओर चल दिया ओर फिर पेमेंट करके गाड़ी के पास आया.
अच्छा सुनो तुम दोनो एक साथ स्कूटी घर चलो में थोड़ा सा अपने एक दोस्त से मिलकर आता हूं. ‘ अच्छा ठीक है पर ज्यादा देर मत करना. मेरी पत्नी ने कहा . हां जी ठीक है, ऐसा कहते हुए में बाइक स्टार्ट की ओर चले गया. असल में मुझे दोस्त के घर इसलिए जाना पड़ा क्योंकि वो कल छुट्टी पर था तो उसके पास ऑफिस के कुछ जरूरी फाइल थी. मेने दोस्त के घर पहुंच कर बेल बजाई तो उसकी पत्नी ने दरवाजा खोला. नमस्ते भाभी जी वो सागर से फाइल लेनी थी तो इसलिए ..वैसे सागर घर पर है. ‘ जी भाईसाहब वो घर पर ही हैं आप बाहर क्यों खड़े हैं आइए अंदर आइए... ऐसा कहकर भाभी जी अंदर चली गई और उनके पीछे पीछे में भी. देखो सागर राजवीर भाई साहब आए हैं कुछ फाइल लेने को. अरे यार कैसे है तू , हम दोनो ने हाथ मिलाए और फिर मुझे सागर में बैठने को कहा. अरे शालू सुनो भाई साहब के लिए एक कप गर्मागर्म चाय बनाओ जल्दी से. ऐसा कहकर वो मेरे से बात करने लगा . ओर सुना यार तू रात में क्यों आया कल सुबह जाते हुए ले लेता फाइल? अरे यार वो आज तेरी भाभी ने बाहर खाने की इच्छा जताई तो बस यही सामने पंडित भोजनालय में लेकर आया था तो सोचा अभी फाइल लेता चलूं. ‘ अच्छा ये तो सही किया तुमने ओर सुना भाभी जी कैसी है ओर अमोल! ‘ बस सब अच्छे हैं यार ओर तू सुना . यहां भी सब ठीक है. इतने में सागर की पत्नी शालू चाय लेकर आई. ये लीजिए भाई साहब गर्मागर्म चाय. ‘ धन्यवाद भाभी जी . ऐसा कहकर मेने जल्दी से चाय पी ओर फिर उन दोनों को बाय बोलके घर की ओर निकल दिया.
घर पहुंचा तो अमोल अपने कमरे में सो चुका था और पत्नी किचन में दूध गर्म कर रही थी.
में, अरे तुम सोई नहीं अभी तक.
सुधा, ऐसे कैसे सो जाती. तुमने आने में देर कर दी.
में, वो सागर ने चाय पीने की जिद कर दी तो फिर एक कप चाय पीकर आया तो इसलिए देर हो गई. वैसे अमोल कब सोया?
सुधा, हो गया आधे घंटे भर.
में, अच्छा ठीक है तो चलो फिर जल्दी से तुम भी काम खत्म करो और आ जाओ फिर. ऐसा बोलते हुए में अपने रूम में चल दिया.
सुधा, वैसे अब ठंडा होने लगा है ’में क्या सोचती हूं रजाई निकाल लेते हैं. मेरी पत्नी अलमारी से अपनी मैक्सी निकालती हुई ऐसा बोली.
में, हां सही कह रही तुम ठंडा तो हो गया, तुम कल रजाई निकाल लेना. में भी लोवर पहनते हुए बोला.
सुधा, सुनो जी’ में क्या कहती कि अभी नहीं गर्मियों में सीखूंगी स्कूटी. मेरी पत्नी ने मेरे होंठों पर किस करते हुए कहा.
में, नहीं गर्मियों में नहीं’ कल से ही सीखोगे तुम ओर वैसे भी दिन के समय क्या दिक्कत है.
सुधा, वो दिन में भीड़ भाड़ रहती है ना इसलिए. कही किसी पर लग गई या किसी ने हमे ही अपनी गाड़ी से ठोक दिया तो...
में, अरे ऐसा कुछ नहीं है बस अपनी साइड चलना है और वैसे भी कौन सा तुम अकेली चलाओगी.. अमोल रहेगा ना.
सुधा, अरे वो तो अमोल रहेगा पर इतनी भीड़ भाड़ में रिस्क तो है ना.
में, क्या तुम भी गलत सोचती रहती हो. अच्छा एक काम करना जो आगे एक खाली ग्राउंड है उसमें सिख लेना वहां कोई दिक्कत भी नहीं है.
सुधा, पर उसमें तो बच्चे खेलते हैं तो फिर ....
में, फिर क्या‘ बच्चे तो एक साइड खेलेंगे ना तो तुम दूसरी साइड स्कूटी सिख लेना. अब बहाने ना बनाओ बस कल से स्कूटी सीखने जाना है तो बस जाना है. ऐसा कहकर मेने उसे लाइट बंद करने को बोल दिया.
सुधा, जैसे तुम्हारी मर्जी पर बाद में मत बोलना की किसी को ठोक दिया या खुद कैसे गिर गई. लाइट बंद करते हुए मेरी पत्नी बोली.
में, ऐसा कुछ नहीं होगा तुम तो पहले ही उलटा सोच देती हो. मेने बात को बदलते हुए उससे कहा. चले फिर कार्यक्रम शुरू करें.
सुधा, क्या कार्यक्रम, आपको मेने बताया नहीं मेरा महीना शुरू हो चुका है. अब सात आठ दिन कुछ नहीं.
में, अरे यार में तो भूल ही गया था. साला जब भी मूड बना रहता है तभी ये महीना शुरू हो जाता है. मेने हंसते हुए बोला.
सुधा, अब ज्यादा हंसो मत ओर सो जाइए. ऐसा कहते मेरी पत्नी ने मेरे को चुम्मी दी.
फिर मेने भी दो चार चुम्मी उसे करी ओर फिर मेने उसे ओर उसने मुझे गुड नाइट बोला और हम सो गए.
सुबह जल्दी उठा नहाया धोया और फिर पत्नी से चाय मांगी. उधर अमोल भी तैयार हो चुका था स्कूल के लिए. अमोल... मेने उसे आवाज दी. ‘जी मामाजी बोलते हुए वो तेज कदमों से चलते हुए मेरे पास आया. ‘ अमोल स्कूल से आने के बाद तुम बुआ को लेकर स्कूटी सिखाने उसी ग्राउंड में ले जाना जहां तुम शाम को क्रिकेट खेलने जाते हो. में चाय पीते हुए उसे कहा. ‘ जी मामाजी,पर वहां तो बच्चे खेलते रहते हैं तो फिर.... ‘ तो फिर क्या तुम किनारे किनारे सीखना फिर ओर हां ज्यादा तेज मत चलाना स्कूटी. ध्यान से समझे. ‘ समझ गया मामाजी आप चिंता ना करें. ये बोलते हुए अमोल ने अपना स्कूल बैग उठाया मुझे प्रणाम किया और चल दिया.
मेने भी चाय पीकर खत्म करी ओर तैयार होने चला गया. पत्नी ने नाश्ता दिया और बोली आज लंच नहीं रख रही हूं तो बाहर ही खा लीजिएगा. क्यों बाहर खा लूं? ‘ सब्जी थोड़ा जल गई इसलिए. अच्छा ठीक है,मेने भी फटाफट से नाश्ता किया और ऑफिस को निकल गया.
दिन में अमोल आया लंच किया और फिर अपनी बुआ को लेकर स्कूटी सिखाने जहां मेने कहा था वहीं चले गया. शाम को मेने आकर पूछा तो अमोल बोला. मामाजी बुआ बहुत डर रही थी मेने कितना समझाया पर उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी. ‘ये क्या बात हुई सुधा, अमोल साथ में था तो तेरे तो क्यों डर रही थी. मेने कहा. ’वो वहां बहुत भीड़ थी बच्चों की इसलिए. मेरी पत्नी बोली. भीड़ से क्या डरना तुम्हे कौन सा बीच में चलना था उनके किनारे किनारे चलना था तुम भी ना एक नंबर की बुद्ध हो. उसे चूंटी काटते हुए बोला. ‘ मामाजी आपको पता है मेने बुआ को कहा कि में पीछे बैठा हूं पर फिर भी डर रही थी. ‘ ये क्या बात हुई सुधा. ‘ ऐसा है मामा के चमचे तू ज्यादा बकवास ना कर. मेरी पत्नी अमोल के कान मरोड़ ते हुए बोली. ‘ अरे इस बेचारे को क्यों डांट रही हो,वो सही तो कह रहा. मेने कहा. ‘ अच्छा ठीक हे में कल से नहीं डरूंगी बस अब इस टॉपिक को खत्म करो में खाना बनाने जा रही हूं. इतना कहकर मेरी पत्नी किचन में चली गई. ‘ अमोल तेरी बुआ ने ज्यादा जोर से तो नहीं मरोड़ा तेरा कान.’ ‘नहीं मामाजी, वो तो बुआ ने आपके सामने नाटक किया था असल में मेरा कान बुआ ने मरोड़ा ही नहीं वो तो बस ऐसे ही पकड़ के रखी थी. अमोल हंसते हुए बोला. ‘ तुम बुआ भतीजा भी बड़े नाटक बाज हो खेर मेरे को तुम दोनो के बीच में नहीं पीसना ऐसा कहकर में भी हंसते हुए उठा और कमरे में चल दिया.
अब रोज अमोल स्कूल से आने के बाद मेरी पत्नी (बुआ) को स्कूटी सिखाने जाता ओर ऐसे करते हुए एक महीना होने को आया पर मेरी पत्नी ने कुछ भी नहीं सीखा, पता नहीं उसके अंदर से डर क्यों बाहर निकल नहीं पा रहा था. एक दिन अमोल आया और मुझे कहा मामाजी मेरे बस की बात नहीं बुआ को स्कूटी सिखाना. जब मेने पूछा क्यों तो बोला कि बुआ तो बहुत डरती है, जैसे उन्हें रेस देने को कहता या ब्रेक लगाने को कहता वो इन दोनों कामों को गलत करती, रेस इतनी तेज देती कि हम गिरते गिरते बचते हैं और ब्रेक भी ऐसे लगाती की में उछल कर कही बार नीचे गिर जाता हूं और कल तो बुआ भी गिर गई थी इसलिए मामाजी रहने देते हैं बुआ की बसकी बात नहीं है. मुझे बुआ से बहुत उम्मीदें थी क्योंकि में उन्हें अपना सब कुछ मानता हूं बुआ,मां, दोस्त सबकुछ पर में हार गया मामाजी. ऐसा कहते अमोल की आंखों से पानी बहने लगा मेने उसे कहा कोई बात नहीं अमोल तेरे बुआ जरूर स्कूटी सिख जाएंगी तुम रो वो मत. मेने भी इरादा कर लिया कि रहने देते है कही अमोल या उसे चोट लग गई तो .... अच्छा अमोल कल से स्कूटी सिखाने मत जाना बुआ को में उसे बता दूंगा ’ ठीक है. ’ जी मामाजी, ऐसा बोलकर अमोल अपने दोस्तों संग चल दिया. तभी मेरी पत्नी आई और बोली क्या हुआ.
में, क्या हुआ, अभी अमोल बताते हुए गया कि तुम कैसे स्कूटी सिख रही हो इसलिए कल से बंद. तुम्हे पता है अमोल कितना दुखी था, अरे अपने लिए ना सही तो अमोल के लिए तो सीख लो. तुम्हे पता है ना वो तुमपे कितना विश्वास करता है और तुम्ही तो कहती हो कि में अमोल को बेटे जैसा मानती हूं तो क्या अपने बेटे की यह ख्वाइश पूरी नहीं करोगी.
सुधा, अरे कैसे बंद ओर ये अमोल तो बस .. बच्चा हे मेरा पर बड़ा शैतान हो गया है जो मां को परेशान करता रहता है.. अच्छा में कल से पक्का अच्छे से सीखूंगी प्लीज़...बस लास्ट बार अगर कल से कोई शिकायत आई तो में नहीं सीखूंगी पक्का.
में, चल ठीक है. पर जैसा जैसा अमोल कहता जाता हे बस वैसे ही करोगी तो कोई दिक्कत नहीं होगी तुम्हें.
सुधा, ठीक है कल में पक्का ध्यान से अमोल की बाते सुनूंगी और मानूंगी भी ओर कल ही स्कूटी सिख लूंगी और शाम को जब आयेंगे तो में खुद चलाकर लाऊंगी घर तक ये मेरा आपसे वादा है.
में, शाबाश मुझे तुम पर पूरा विश्वास है मेने पत्नी को हौसला अफजाई करी. ओर उसके गाल पर एक प्यार सी पप्पी कर दी.
अगले दिन रोज की तरह में ऑफिस गया ,अमोल अपना स्कूल ओर पत्नी घर के कामों में. स्कूल से आने के बाद फिर दोनों स्कूटी लेकर रोज की तरह चले गए और में ऑफिस में यही सोच रहा था कि क्या मेरी पत्नी आज स्कूटी सिख लेगी. खेर मुझे अपनी पत्नी पर पुर्ण विश्वास था कि अगर उसने इतने विश्वाश से बोला है तो पक्का आज जब शाम को घर पहुंचूंगा तो वो यही कहेगी देखो मेने स्कूटी सिख ली... तभी बॉस का फोन आया और में उनके साथ बात करने में लग गया.’जी सर.. कहें..!
दोनों स्कूटी में जा रहे थे पर अमोल अपनी बुआ से रोज की तरह आज बात नहीं कर रहा था ओर ऐसे ही दोनों चलते रहे पर मेरी पत्नी उसके ना बार करने से परेशान हो गई ओर स्कूटी उसे रोकने को कहा . अमोल ने स्कूटी रोक दी पर अभी भी बोल नहीं रहा था. मेरी पत्नी ने वहीं घास पर बैठे बैठे अमोल का सर अपनी गोद में रख लिया. उसकी आंखों से बह रहा आशीर्वाद अब अमोल के माथे पर बरस रहा था.
मुझे लगता है जो मेने उससे बातें करी थी अमोल को लेकर वो बातें मेरी पत्नी ने ज्यादा ही मन में ले ली. खेर जो भी हो अच्छा है क्योंकि ऐसे भावनात्मक प्रेम रूप से वो जल्दी स्कूटी सिख जाएगी क्योंकि वो अमोल को दुःखी नहीं देख सकती थी ये मुझे मालूम था. अब आगे....
मेरी पत्नी ने अमोल का सिर सहलाते हुए कहा ‘ मुझे नहीं मालूम था कि तुम मेरे स्कूटी ना सीखने से इतने परेशान हो गए पर अब नहीं अमोल में आज जरूर सीखूंगी बस थोड़ा डर लग रहा है. ’ बुआ आप डरो मत में हूं ना. कुछ देर दोनों ऐसे ही खड़े खड़े बातें करते रहे.
‘जल्दी चलो बुआ, मैं कब से बाहर खड़ा इंतज़ार कर रहा हूं’ चाभी से अपना माथा खुजलाते हुए अमोल ने हंसते हुए कहा.
‘अमोल मेरी बात मान ले, मुझसे ये नहीं होगा. मुझे डर लगता है.’ मेरी पत्नी ने अंदर से ही लगभग मिन्नतें करने के अंदाज में कहा.
‘क्या यार बुआ, अभी तो तुमने कहा कि में तैयार हूं और कह रही की डर लग रहा अरे बुआ तुमने सुना नहीं क्या 'डर के आगे जीत है.' अब ज्यादा ड्रामे ना करो और स्कूटी पर आ जाओ.’ अमोल ने मेरी पत्नी को समझाने की कोशिश की.
‘ऐसी जीत का क्या करना अमोल जो हड्डियां तुड़वा दे. माफ़ कर मुझे तू.’
‘ठीक है तो फिर में भी आपके साथ यहां नहीं रहूंगा में गांव चले जाऊंगा.’ अमोल ने अपना आखरी दांव खेला क्योंकि उसे पता था कि उसकी बुआ ऐसा कभी नहीं चाहेगी कि वो गांव में रहकर अपनी जिंदगी ओर पढ़ाई बर्बाद करे.
‘पागल है क्या तू जो गांव जाने की बात भी की तो? मैं भैया भाभी को क्या जवाब दूंगी. चल बाबा तुझे जहां चलना है.’ और ये अमोल का दांव चल गया.
‘ये हुई न बात. चलो अब जल्दी बैठो.’
‘अमोल प्लीज़ रहने दे ना. बुढ़ापे में हड्डियां टूटेंगी अच्छा थोड़े न लगेगा.’
‘बुढ़ापा? किसका बुढ़ापा, कैसा बुढ़ापा. आप अभी भी एक दम जवान हो.क्या २३साल में बुढ़ापा आ जाता है. अमोल ने मेरी पत्नी की लटों को पीछे करते हुए कहा.
‘चुप बेशर्म.’ मेरी पत्नी ने शरमा कर हलके से अमोल के गाल पर थप्पड़ मारा और स्कूटी पर बैठ गई. कुछ दूर चलने के बाद स्कूटी एक ग्राउंड में रुकी जहां अमोल उसे रोक कर नीचे उतर गया.
‘चलो अब आगे आओ.’
‘देख ले अमोल अभी भी सोच ले. छुट्टियां लेनी पड़ जाएंगी तुझे.
‘ठीक है तो मैं अभी चला जाता हूं फिर गांव हमेशा के लिए...'
‘ये बहुत ग़लत है. तू ब्लैकमेल करता है. चल तू जीता मैं हारी.’ मेरी पत्नी मुंह सा बना कर आगे की सीट पर आ गई.
‘ये हुई न बात. अब सुनो बुआ. स्कूटी बुआ आपको हर हाल में सीखनी है और डरते हुए ये कभी सीख नहीं पाओगी. इसीलिए अच्छा होगा कि डर निकाल दो. और मैं तुम्हारे पीछे बैठा हूं, तो बताओ भला कैसे तुम्हें गिरने दूंगा.’ अमोल की बातें असर कर गईं.
मेरी पत्नी ने हिम्मत बांध कर कहा ‘हम्म्म्म, चल अब इसे सीख ही लेना है.’
‘बहुत सही, चलो अब क्लच दबाव और स्टार्ट करो...क्लच को धीरे धीरे छोड़ो और साथ में हलके हलके रेस दो.' मेरी पत्नी ने बिलकुल वैसे ही किया जैसा अमोल बता रहा था. बस बैलेंस में थोड़ी बहुत दिक्कत मेरी पत्नी को हो रही थी पर उसे भी अमोल ने सही कर दिया उसने अपनी बुआ की कमर को अपने हाथो से थाम लिया था.
ये खेल एक डेढ़ घंटे चला. मेरी पत्नी ने कई बार टालने की कोशिश भी की लेकिन अमोल अपनी ज़िद्द पर अड़ा रहा. कई बार गिरते गिरते बचने और इसी तरह बार बार बताते रहने के बाद..
‘बहुत अच्छे हां, ऐसे ही बुआ. देखो मैंने हाथ हटा लिए हैं अब आप ही चला रही हो.’
‘अब सुनो आप अकेले चलाओ मैं साथ साथ हूं रेस ज्यादा मत देना, ब्रेक और क्लच में फर्क याद रखना.’ मेरी पत्नी ने कुछ आनाकानी की लेकिन अमोल माना ही नहीं. इस बीच मेरी पत्नी ने कई बार रेस ज्यादा भी दे दी. गिरते गिरते भी बची लेकिन अंत में उसने पूरे ग्राउंड का चक्कर लगा ही लिया.
‘येईएएएएएएए, बुआ तुम सीख गई.’ अमोल बहुत प्रश्न हुआ.
‘हाहाहाहाहा, हां अमोल डर के आगे जीत है.’ मेरी पत्नी बहुत खुश थी. जितना वो खुश हो रही थी उतना अमोल के चेहरे की मुस्कान और आंखों में पानी बढ़ता जा रहा था. उसकी एक महीने की मेहनत रंग जो लाई थी.
‘अरे पागल क्या हुआ? रो क्यों रहा है?’ मेरी पत्नी ने अपने दुपट्टे से अमोल का माथा और आंख पोंछते हुए पूछा.
'कुछ नहीं बुआ बस यूं ही खुशी के आंसू हैं.' अमोल ने अपनी बुआ को बहलाने की कोशिश की जैसे कभी मेरी पत्नी किया करती थी. ये समय का चक्र ही तो था. ये सब पहले हो चुका था दोनों के साथ मगर उस समय उसकी बुआ सिखाती थी आज अमोल अपनी बुआ को सिखा रहा था.
असल मायने आज मेरी पत्नी के स्कूटी सीखने के साथ साथ वो बच्चा जीता था जिसने कसम खाई थी कि वो एक दिन अपनी बुआ के चेहरे पर पूरी मुस्कान लाएगा. मेरी पत्नी जैसे जैसे ग्राऊंड पर स्कूटी से चक्कर काट रही थी वैसे वैसे अमोल की आंखों के सामने वो सब कुछ घूम रहा था.
'तू बड़ा हो गया है. जो खुशी के आंसू कभी मेरी आंखों में आ जाया करते थे अब तेरी आंखों में आते हैं.' मेरी पत्नी ने अमोल का सर सहलाते हुए कहा.
‘अच्छा अब बहुत हो गया इमोशनल ड्रामा. चलो अब घर चलें.’
'हां चलते हैं लेकिन स्कूटी मैं चलाऊंगी!’
‘लेकिन कहीं गिर गई तो?’
‘तू मेरे पीछे बैठा होगा न, भला कैसे गिरने देगा मुझे.' मेरी पत्नी ने अमोल का माथा चूमते हुए कहा.
‘अच्छा तो ये भी लगा लो.’ अमोल ने स्कूटी की डिग्गी में से एक स्टाइलिश चश्मा निकाल कर अपनी बुआ को पहना दिया.
‘अरे ये क्या है अब. सब हसेंगे.’
‘हंसने दो बुआ, लोग तो हमेशा ही हसेंगे इनका काम ही हंसना है.’ मेरी पत्नी के चेहरे की मुस्कराहट और गहरी हो गई. उसने भी स्कूटी की सेल्फ मारी और हवा मुस्कुराते हुए उसके चेहरे को चूमने लगी. ऐसी ही साए साए लहरों को काटती हवा को स्कूटी सीधे घर पर आकर रुकी जहां में उनका इंतज़ार कर रहा था उनके आने का ओर सच कहूं तो उससे ज्यादा ये की जो मेरी पत्नी ने मेरे से वादा किया था वो उसने पूरा किया या नहीं. तभी स्कूटी का हॉर्न बजा में दौड़ते हुए गेट खोला और देखा कि मेरी पत्नी स्कूटी चला आ रही थी अमोल पीछे बैठा था. स्कूटी अंदर रुकती ओर मेरी पत्नी बोली देखा में स्कूटी सिख गई. यह कहते हुए उसके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान उमड़ पड़ी थी. ’हां तुमने अपना वादा पूरा कर दिया मुझे तुम पर गर्व है ऐसा कहते मेने उसकी पीठ थपथपाई और साथ में अमोल को भी शुक्रिया किया क्योंकि उसके बगैर यह संभव नहीं था.
कहानी कैसे लग रही आप मुझे फोलो लाइक कमेंट करके बता सकते हैं बाकी कहानी आती रहेगी धन्यवाद।।