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Mast update hai bhaiफिर घर की बड़ी औरतें लता और कविता कहते है की आज भी दोनों वसु और दिव्या अलग सोयेंगे. और कल दीपू और दिव्या और परसों दीपू और वसु... ऐसा कहते हुए हस देते है क्यूंकि वहां पे सब को इसका मतलब पता था......
अब आगे....
13th Update: पहली सुहागरात (Mega Update)
अब दोनों शादियां हो गयी थी लेकिन फिर भी दीपू (और वसु और दिव्या) को अलग सोना पड़ा लेकिन उन्हें पता था की सबर का फल मीठा होता है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई. खैर वो दिन आ ही गया याने… दीपू और दिव्या का सुहागरात. दिन में घर में बहुत हलचल थी.. सब लोग रात की तैयारी कर रहे थे और बीच बीच में घर के लोग दीपू और दिव्या की टांग भी खींच देते थे की क्या करना है कैसे करना है इत्यादि.
रात को खाना खाने के बाद नाना नानी सो जाते है. क्यूंकि उनकी तबियत ठीक नहीं थी और उन्हें जल्दी सोने की आदत भी थी. एक कमरे में मीना और कविता दिव्या को अच्छे से सजा रही थी.
.दिव्या एक सेक्सी सी लाल साडी पहनी हुई थी और उसी रंग का टाइट ब्लाउज जिसमें उसकी आधे से ज़्यादा चूचियों बाहर को निकली हुई थी. मीना उसको ऐसे देख के कहती है की तुम बहुत सेक्सी लग रही हो और आज तो दीपू की हालत ख़राब होने वाली है. दिव्या ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और झूठे गुस्से से मीना को चुप रहने को कहती है. दिव्या अपने आप को आईने में देख कर शर्मा जाती है और मीना को बुला कर धीरे से उसके कान में कहती है की उसकी चोली तो बहुत छोटी है और उसने ब्रा भी नहीं पहनी हुई है और उसके ब्लाउज में से ही उसके एकदम तने हुए निप्पल्स भी दिख रहे थे.
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मीना: धीरे से दिव्या के कान में.. तो क्या हुआ? वैसे भी जब आप दीपू के साथ रहोगे तो ये (और ऐसा कहते हुए वो दिव्या के दोनों मस्त चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से पकड़ते हुए) खुलना ही है ना तो ब्रा की क्या ज़रुरत है और उसे आँख मार देती है.वैसे आपने पैंटी पहनी है ना या फिर सिर्फ पेटीकोट?
दिव्या भी ये बात सुन कर एकदम शर्मा जाती है और कुछ नहीं कहती.
दोनों फिर मिल कर दिव्या को अच्छे से सजा देते है और उसे कमरे में बिठा देते है.
वहीँ दुसरे कमरे में लता और राखी भी दीपू को सजने में मदत करते है. अपने आप को शेव करके बालों को अच्छे से सजाना और फिर उसे भी कमरे में भेज देते है.
जब दीपू कमरे के पास पहुँचता है तो दरवाजे पर दोनों मिल जाते है तो रानी उसको धीरे से कहती है की भाभी का ख़याल रखना और ज़्यादा दर्द मत देना उसको और प्यार से उसके गाल को खींचते हुए दोनों दीपू को कमरे में भेजते है तो फिर दीपू भी अंदर जा कर दरवाजा बंद कर देता है. जब दीपू कमरे में जाता है तो देखता है की कमरा एकदम अच्छे से सजा हुआ है और बिस्तर के बीच में दिव्या अपनी घूंघट ओढ़े हुए बैठी है.
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दीपू भी अंदर का नज़ारा देख कर एकदम खुश हो जाता है और वो भी दिव्या के बगल में बैठ जाता है. दीपू को देख कर दिव्या उठती है और बगल में रखे दूध का ग्लास लेकर दीपू को कहती है की उसे पी ले. दीपू जब दिव्या को देखता है और देखता है की उसकी आधे से ज़्यादा चूचियां ब्लाउज से बाहर निकली है तो शरारत से कहता है की मुझे तो ये दूध पीना है और उसकी चूचियों की तरफ इशारा करता है. दिव्या भी समझ जाती है और शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती. फिर दोनों ग्लास का दूध पी लेते है और दीपू दिव्या को बगल में बिठा के कहता है
दीपू: तुम खुश तो हो ना?
दिव्या भी दीपू को देखते हुए: मैं बता नहीं सकती मैं कितना खुश हूँ और इसमें दीदी का भी बहुत बड़ा हाथ है. दीपू: सही कहा.. अगर माँ नहीं होती तो ये सब नहीं होता.
दिव्या: हाँ.
दीपू: तो मुझे अपनी मंज़ूरी का इनाम तो दे दो. दिव्या को समझ नहीं आता तो आँखों से दीपू को पूछती है. दीपू अपनी जुबां से अपने होंठ गीले करता है तो दिव्या समझ जाती है लेकिन शर्म के मारे कुछ नहीं करती.
दीपू दिव्या से कहता है: तुम्हे पता हैं ना जब हम घर में थे और मेरे जन्मदिन में मैंने क्या कहा था? दिव्या उस दिन को याद करते हुए हाँ कहती है तो दीपू कहता है जब हम कमरे में होंगे तो एकदम खुल के रहना. कोई गन्दी बातें नहीं लेकिन अपनी झिझक बंद करना. मैं यही चाहता हूँ और जितना तुम खुल कर रहोगी तो तुम्हे और मुझे भी उतना ही मजा आएगा.. दिव्या भी उसको देख कर हाँ में सर हिला देती है तो दीपू कहता है की वह इनाम खुद ले लेगा और दिव्या को पकड़ कर अपने होंठ दिव्या के होंठ पे रख देता है और उसे चूमता है.
ये पहला किस धीरे से शुरू होता है जहाँ दोनों एक दुसरे के होंठों को छूते है लेकिन जल्दी ही ये किस एकदम प्रगढ़ और गीला हो जाती है और दीपू दिव्या के होंठों पे टूट पड़ता है और उसका रास पीने लगता है.
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दिव्या भी पूरा उसका साथ देती है और वो भी दीपू के होंठ पे टूट पड़ती है. इस प्रगढ़ चुम्बन में दोनों की जुबां एक दुसरे से मिलती है एक दुसरे का लार आदान प्रदान करते है. दोनों एक दुसरे को छोड़ने को तैयार नहीं थे और ये किश लगभग ५- ६ मिनट तक चलता है. दोनों फिर जब अलग होते है तो दोनों की आँखों में प्यार और लालसा दीखता है और वहीँ दिव्या के होंठ के लाल लिपस्टिक भी गायब हो जाती है. दीपू अपनी जुबां को अपने होंठ पे फेरते हुए तुम तो बहुत मीठी हो और एकदम गीली भी. दिव्या भी इस बात पे शर्मा जाती है.
दीपू मस्ती में कहता है की कमरे में बहुत गर्मी है (जब की कमरे में AC चल रहा था). दिव्या दीपू की तरफ देखती है तो दीपू दिव्या को अपने गले से लगा कर कहता है तुम्हे गर्मी नहीं लग रही है क्या? दिव्या ना में कहती है तो दीपू उसे आँख मार के कहता है की उसे तो लग रही है और इसीलिए अपने कपडे उतार देने चाहिए. दिव्या को जब ये बात समझ आती तो एकदम शर्मा जाती है और कहती है की उसे अब समझ में आया.
तो फिर दीपू पहले उसे गहने उतार देता है और जो गहने वो उसके बदन से अलग करता है तो वहां उसको चूमता है. गाला, नाक, माथा, गाल.. सब जगह से गहने निकालते वक़्त वहां वाहन किस करता है. दिव्या भी अब इस रंग में रंगने लगती है और वो भी उत्तेजित होने लगती है और उसका नतीजा ये होता है की उसकी चूत रस बहाना शुरू कर देती है लेकिन कुछ नहीं कहती.
दीपू उसके पूरा गहने को निकल कर जब वह ब्लाउज देखता है तो उसके मुँह में पानी आ जाता है क्यूंकि उसकी चूचियां उसे उकसा रही थी. उसको देख कर दीपू उसे धीरे से दबाते हुए कहता है की इसमें तो बहुत रस भरा है. आज पूरा रस पी जाऊँगा.
दिव्या: हाँ मेरे पति देव अब ये सब तुम्हारा ही है और जितना रस पीना है पी लेना. मैं तुम्हे मना नहीं करूंगी. लेकिन ये सब करने से पहले में एक बात पूछना चाहती हूँ. बोलो वो काम पूरा करोगे क्या?
दीपू: क्यों नहीं जान.. पूछ के तो देखो. अगर मेरे बस में हुआ तो ज़रूर पूरा करूंगा.
दिव्या थोड़ा शर्माते हुए दीपू को गले लगा कर उसके कान में कहती है: मुझे ना.. मुझे ना.. और रुक जाती है. दीपू: बोलो तो सही..
द्विया: मुझे एक छोटा दीपू चाहिए तुमसे..बोलो दोगे क्या?
दीपू ये बात सुन कर हस देता है और कहता है: तुम्हे छोटा दीपू चाहिए तो मुझे छोटी दिव्या चाहिए.
दिव्या ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है तो दीपू उसके मजे लेते हुए कहता है की वो तो सोच रहा था की एक क्रिकेट टीम ही बना देते है.. ६ दीपू और ६ दिव्या और उसको आँख मार देता है. दिव्या ये बात सुनकर आप तो एकदम गंदे बात कर रहे हो.
दीपू: इसमें गन्दा क्या है? तुम्हे एक दीपू चाहिए तो मुझे बहुत सारे चाहिए.
फिर दीपू उसको देखते हुए उसकी चूची ज़ोर से दबा देता है तो दिव्या के मुँह से आह...आह... आवाज़ निकलती है और कहती है की थोड़ा धीरे दबाओ ना.. कहीं भाग नहीं जा रहे है.
दीपू: इसको देख कर रहा नहीं जाता और फिर से दबाते हुए उसका ब्लाउज भी नकाल देता है और दिव्या ऊपर से पूरी नंगी हो जाती है.
दीपू: उसकी चूची को पीते हुए इसमें तो बहुत रस है. पीने में मजा आ रहा है. दिव्या फिर अपना हाथ दीपू के सर पे रख कर उसको अपनी चूचियों पे दबा देती है और कहती है की पूरा पी जाओ. दीपू भी पहले एक चूची और फिर दुसरे चूची को दबा कर दोनों निप्पल्स को काटते हुए मजा लेता है और साथ में दिव्या को भी मजा देता है.
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दीपू: उसकी चूची को मुँह में लेते वक़्त तुम्हारे निप्पल्स तो एकदम तने हुए ठोस हो चुके है.
दिव्या: क्यों नहीं होंगे. तुम तो इन्हे चूस चूस कर काट काट कर मुझे भी तो जन्नत की सैर करा रहे हो.. तो एकदम तन जाएंगे ना और दिव्या ऐसा कहते हुए हस देती है.
दीपू: उसकी चूची को चूसते हुए: वैसे इसमें से दूध पीने में बड़ा मजा आएगा. इसमें दूध कब आने वाला है? (दीपू को ये बात पता था फिर भी शरारत से दिव्या को पूछता है).
दिव्या दीपू को देखते हुए तुम्हे पता नहीं है क्या?
दीपू: बताओ ना..
दिव्या: इसमें दूध तब आएगा जब छोटा दीपू आएगा.
दीपू: फिर तुम मुझे अपना दूध पिलाओगी ना?
दिव्या: नहीं मैं तो अपने छोटे दीपू को ही दूध पिलाऊंगी. तुम्हे क्यों?
दीपू जान बूझ कर बुरा मुँह बनाता है तो दिव्या हस देती है और कहती है जब छोटे दीपू को पिलाऊंगी तो बड़ा दीपू कैसे पीछे रह सकता है? तुम भी जी भर के पी लेना मेरा दूध और उसके मुँह को अपने चूची से हटाते हुए झुक कर उसके होंठों को चूमते हुए…ठीक है ना?
दीपू: अब ठीक है.
दिव्या: फिर से उसका सर पकड़ कर अपने चूची पे रख देती है और दीपू फिर से उसकी चूचियों को चूसने लग जाता है.
इसी बीच दिव्या भी उत्तेजित होते हुए उसे पता भी नहीं चलता और झड़ जाती है और अपना पूरा पानी निकाल देती है जिससे उसकी पैंटी पूरी गीली हो जाती है और उसके चेहरे पे एकदम शान्ति चा जाती है.
दीपू दिव्या को देख कर.. कितना रस है इनमें.. दिव्या शर्मा जाती है और उसके कान में कहती है.. एक और जगह भी बहुत रस है.
दीपू समझ जाता है लेकिन दिव्या को थोड़ा खुल कर बोलने का इशारा करता है तो दिव्या भी अपनी शर्म छोड़ कर उसके कान में कहती है.. मेरी चूत में भी बहुत रस है. ये बात सुनकर दीपू कहता है: ये सही हुआ ना.. ऐसे ही खुल कर बात करोगी तो तुम्हे भी बहुत मजा आएगा. दिव्या भी उत्तेजित होकर हाँ में सर हिला देती है.
दीपू उसकी चूचियों को पीते हुए अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी साडी और पेटीकोट भी निकल देता है और इसमें दिव्या भी अपनी गांड उठा के उसकी मदत करती है साडी और पेटीकोट निकालने में. दिव्या अब सिर्फ एक छोटे पैंटी में रह जाती है जो सिर्फ उसके चूत के होंठों को ढाका हुआ था और बाकी पूरी चूत उसकी छोटी पैंटी में दिख रही थी जो की पूरा गीला हो गया था. दीपू फिर उसकी चूचियों को छोड़ कर नीचे की तरफ सरकता है और उसकी गहरी नाभि को भी चूमता और चाटता है. दिव्या आंहे भर्ती हुई दीपू का सर अपनी नाभि पे घुसा देती है और दीपू भी बड़े मजे से उसकी नाभि पर टूट पड़ता है. दिव्या की तो जैसे जन्नत की सैर हो रही थी.
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दीपू फिर नीचे जाते हुए उसकी गुदाज़ जाँघों को चूमते हुए पैंटी को देखता है जो पूरी गीली दिखती है. दीपू से भी रहा नहीं जाता और वो गीली पैंटी के ऊपर ही उसकी चूत को चूम लेता है. दिव्या आह... आह... करते हुए अपने हाथ से चादर को थाम लेती है. दीपू फिर उसकी पैंटी भी निकल देता है तो देखता है की उसकी चूत एकदम रस से भरी हुई एकदम चिकनी दिखती है. इस पोजीशन में दीपू दिव्या को देखता है तो पता है की उसकी जाँघे फैली हुई है और उसकी उठी हुई चूचियां गहरी नाभि और साफ़ चिकनी चूत एकदम साफ़ दिख रही है
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दीपू: दिव्या को देखते हुए तुम्हारी चूत तो एकदम मस्त है.. एकदम खाने लायक.
दिव्या: तो खा जाओ ना.. मना कौन कर रहा है.. और फिर दीपू उसकी चूत को चूसने लग जाता है.. ऊपर से नीचे तक अच्छे से चाटता है और इसी बीच वो अपनी २ उंगलियां उसकी चूत में दाल देता है. उसकी उंगलियां बड़ी मुश्किल से उसकी चूत में जाती है क्यूंकि दिव्या को कुंवारी थी.
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५ minute तक दीपू अच्छे से उसकी चूत को चाटता है और इसी बीच दिव्या भी उत्तेजित होते हुए झाड़ जाती है और अपना पूरा पानी निकाल देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है.
दीपू फिर उसके ऊपर आकर उसको एक गहरा चुम्बन देता है जिसे दिव्या भी पूरे जोश के साथ उसका साथ देती है. दोनों की जीभ एक दुसरे से टकराती है और फिर दीपू कहता है: कैसा लगा तुम्हे?
दिव्या: मतलब?
दीपू: मैं पूछ रहा था कैसा लगा तुम्हे तुम्हारा रस?
दिव्या ये जान के एकदम शर्मा जाती है और कहती है की अच्छा था और थोड़ा खट्टा भी.
दीपू: सही कहा.. और अब से इसकी आदत डाल लो. तुम्हे और भी रस चकने को मिलेगा.
दिव्या: मतलब?
दीपू: हस देता है (क्यूंकि उसके मन में पता था की आगे क्या होने वाला है) और कहता है.. अगर तुम्हे छोटा दीपू चाहिए तो पहले अपने इस नन्हे दीपू को प्यार करो और ऐसा कहते हुए दीपू भी अपने कपडे निकल देता है और वो भी नंगा हो जाता है.
दिव्या दीपू के बड़े लंड को देख कर एकदम चक्र जाती है जो अभी तक पूरा तना नहीं हुआ था लेकिन खड़ा ज़रूर था क्यूंकि अब तक दीपू उसके मजे ले रहा था.
दिव्या: मैंने अब तक कभी नहीं किया है ये.
दीपू: उसके कान में. ..मैंने भी अब तक चूत चूसा नहीं था.. लेकिन मैंने तुम्हारी चूत चूसी है ना और तुम्हे भी बहुत मजह आया. तो इसलिए अब अपने इस छोटे महाराज को भी चूस कर खड़ा कर दो..
दिव्या: उसको देख कर ठीक है कहती और उसका लंड अपने मुँह में लेने की कोशिश करती है. लंड थोड़ा बड़ा था तो ठीक से ले नहीं पाती तो दीपू उसके सर को पकड़ कर एक झटका देता है तो उसका आधा लंड दिव्या के मुँह में चला जाता है. ऐसा करने से दिव्या अपनी आँखें बड़ी करती हुए उसे देखती है तो दीपू हस कर फिर से एक और झटका मारता है तो उसका पूरा लंड दिव्या के मुँह में चला जाता है. और दीपू खुद ही १- २ बार अपने लंड को उसके मुँह से आगे पीछे करता है और रुक जाता है.
दिव्या को फिर समझ आता है और वो भी उसे तरह उसके लंड को पूरा मुँह में लेने की कोशिश करती है और आखिर में उसका पूरा लंड मुँह में लेकर अच्छे से चूसना शुरू कर देती है. दीपू उसको देखते हुए.. ये सही है और अच्छे से चूसो. अब दिव्या को भी मजा आने लगा था और वो भी बड़ी शिद्दत से दीपू का लंड चूसने लग जाती है. वो उसके लंड को कुछ अपने थूक से और कुछ अपनी जुबां से पूरा गीला कर देती है और अब उसका लंड पूरा तन जाता है और काफी लम्बा भी हो जाता है.
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दिव्या अपने मुँह उसके लंड से निकल कर उसको देखती है तो उसे थोड़ा डर लगता है की ये इतना बड़ा हो गया है. वो दीपू की तरफ देख कर ये तो पूरा बड़ा हो गया है और मेरी चूत को फाड़ देगा. वो दीपू के लंड को चूसते हुए अपने एक हाथ से अपनी चूत को भी मसलते रहती है.
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दीपू: वैसे तुम बड़े अच्छे से लंड चूस रही थी. एकदम मजा आ गया. मैं तो जैसे जन्नत में ही पहुँच गया था.
अब दिव्या भी उत्सुक हो जाती है और कहती है.. अब मुझसे रहा नहीं जाता. कुछ करो ना. दीपू को भी लगता है की अब समय आ गया है तो वो दिव्या को बिस्तर पे सुला देता है और उसके पैरों के बीच आ जाता है.
दिव्या: अब और देर ना करो. अब डाल दो और मुझे औरत बना दो. दीपू भी हस्ते हुए.. क्या डालूँ और कहाँ डालूँ. दिव्या भी समझ जाती है और कहती है की अपना लम्बा लंड मेरी चूत में डाल दो और मुझे औरत बना दो. अच्छा सुनो..
दीपू: हाँ.
दिव्या: सुनो पूरा एक बार में ही डाल देना.
दीपू: लेकिन तुम्हे दर्द होगा. दिव्या: जानती हूँ. ये दर्द तो एक दिन होना ही था तो पूरा एक साथ डाल कर एक बार ही दर्द होगा.
दीपू: सही कहा.. पहले थोड़ा दर्द होगा लेकिन बाद में पूरा मजा भी आएगा.
दीपू भी तैयार हो जाता है और अपने लंड को उसकी चूत पे रगड़ते है और फिर उसको देखते हुए लंड को चूत पे रखते हुए पूरे ज़ोर से झटका मारता है और उसका ८ इंच का मोटा लंड एक बार में पूरा अंदर चले जाता है.
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दिव्या ये झटका सेहन नहीं कर पाती और पूरे ज़ोर से आह... आह... मर गयी रे मैं तो… कहते हुए चिल्लाती है. उसकी ज़ोर की आवाज़ पूरे घर में सुनाई देती है.
दिव्या की ज़ोर के आवाज़ सुन कर सब के मन की बात:
वसु: ये तो गयी आज..
कविता: इतनी बड़ी आवाज़.. बाप रे..इतनी आवाज़ तो मैंने भी अपनी सुहागरात में भी नहीं निकाली थी.
मीना: लगता है दीदी तो गयी. दीपू का इतना बड़ा है क्या? अगर है तो काश इसके मामा का भी इतना बड़ा होता.
लता: दीपू का इतना बड़ा है क्या? अगर है तो ऐसे लंड से चुदने में मज़ा आएगा.
राखी: इतना तो मैं भी कभी नहीं चीखी.
निशा: इतना दर्द होता है क्या? पता नहीं मेरा कैसा होगा दिनेश के साथ..
रानी: काश.. मेरा पती भी ऐसा कुछ करता मेरे साथ तो मैं फिर माँ बन जाती
इस झटके से दिव्या की आँखों में आंसूं आ जाते है. दीपू को भी उसका अहसास था तो झुक कर उसके आंसूं पोछते हुए प्यार से उसके होंठों को चूमते हुए कहता है.. अब हो गया है. जो दर्द होना था वो हो गया है. बस थोड़ी देर सबर कर लो.
दिव्या भी अपने रुआंसी चेहरे से हाँ में सर हिला देती है और कहती है की वो कुछ ना करे और ऐसे ही रहे. दीपू को भी सही लगता है और उसके होंठों को चूमते हुए ऐसे ही अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसाए रहता है.
५ मिनट बाद दिव्या को थोड़ी राहत मिलती है तो दीपू को देख कर हलके से इशारा करती है तो दीपू भी समझ जाता है और फिर अपने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगता है. दिव्या को थोड़ी जलन हो रही थी लेकिन कुछ देर बाद वो नार्मल हो जाती है और दीपू को फिर से इशारा करती है तो फिर दीपू भी जान लेता है और फिर मस्त तरीके से अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए मस्त चुदाई करने लग जाता है.
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अब दिव्या को भी मजा आने लगता है और वो भी पूरा साथ देती है दीपू का. ५ minute तक दीपू ऐसे ही मस्त चोदता रहता है. दिव्या भी मस्त हो जाती है और उसे पता भी नहीं चलता और वो भी मस्ती में फिर से एक और बाद झड़ जाती है. जब उसके चेहरे पे शान्ति आ जाती है तो दीपू से कहती है की अब तक उसका हुआ नहीं है क्या?
दीपू: अरे जान ये तो शुरुवात है. फिर दीपू उसको उठाता है और वह खुद बिस्तर पे लेट जाता है और दिव्या को अपने ऊपर ले लेता है. दिव्या अब उसके लंड को अपनी चूत में लेकर उछलते रहती है और दीपू अपने हाथ से उसकी चूची दबाते रहता है.
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उसे भी इस पोजीशन में बहुत मजा आता है और अगले १० मं तक ऐसे ही चुदती है और फिर से एक और बार झड़ जाती है. वो दीपू को देखते हुए.. सुनो ना.. मुझे अब फिर से दर्द हो रहा है ऐसे. तो दीपू उसे ऊपर से उठा के कहता है की घोड़ी बन जाओ.
दिव्या को समझ नहीं आता तो उससे पूछती है तो दीपू उसे समझाता है और वो घोड़ी बन जाती है और दीपू फिर से अपना लंड पीछे से उसकी चूत में डाल कर पेलने लगता है. इस पोजीशन में उसको दिव्या की गांड बहुत अच्छी लगती है तो उसे छोड़ते हुए झुक कर उसकी चूची को दबाते हुए उसके कान में कहता है.. जानू तुम्हारी गांड तो क़यामत लग रही है. कब डौगी?
दिव्या: जानू तुमने तो मुझे कुछ देर पहले आगे की मेरी सील तोड़ी है और वो मैं सेहन नहीं कर पायी. गांड में डालोगे तो कल मैं ठीक से चल नहीं पाऊँगी और वैसे भी इस घर में ठीक नहीं है. जब हम अपने घर जाएंगे तो मैं इसके बारे में सोचूंगी.
दीपू को भी बात सही लगती है और फिर से दिव्या को पेलने लगता है और १० मं की दमदार चुदाई के बाद कहता है की उसका भी होने वाला है तो दिव्या कहती है की वो उसकी चूत में ही झड़ जाए. कल में दवाई ले लूंगी. उसकी चिंता मत करो. आज की रात मुझे पूरा एहसास लेना है. दीपू भी हाँ कर देता है और फिर २- ३ तेज़ झटके मारते हुए दिव्या की चूत में ही झड़ जाता है काफी पानी (वीर्य) उसकी चूत में डालता है. कुछ वीर्य उसकी चूत से भी बाहर आ जाता है.
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दिव्या इतना दीपू का रस देख कर.. बाप रे.. इतना गाढ़ा और ज़्यादा रस. अगर कल मैं दवाई नहीं ली तो फिर जल्दी ही छोटा दीपू आ जाएगा. इस बात पे दीपू भी हस देता है और कहता है की कल दवाई ले ले.
दोनों की चुदाई ऑलमोस्ट एक घंटे तक चलती है और दीपू भी एकदम थक जाता है और वो पलट कर बिस्तर पे आ जाता है और दिव्या को अपनी बाहों में ले लेता है.
दीपू: मजा आया क्या?
दिव्या: बता नहीं सकती कितना मजा आया. पता नहीं में कितनी बार झड़ी हूँ. वैसे एक बात पूछूं?
दीपू: हाँ पूछो. दिव्या: तुमने मुझे इतने पोजीशन में चोदा है. इन पोसिशन्स के बारे में तुम्हे कैसे पता है?
दीपू दिव्या की तरफ देख कर उसको आँख मारते हुए ब्लू फिल्म्स का देखने का नतीजा है.
दिव्या उसकी बात सुनकर अपना मुँह खोले उसे देखती है और प्यार से उसकी छाती पे हल्का सा मुक्का मारती है और कहती है तुम तो बड़े चालु निकले और हस देती है. फिर दोनों ऐसे ही बातें करते है और फिर दीपू दिव्या से कहता है की बाथरूम में जाकर साफ़ करके आते है. दिव्या भी हाँ कहती है और उठ कर चलने की कोशिश करती है तो गिर जाती है. दीपू उसको देख कर हस देता है और फिर दिव्या को अपनी गोद में उठा कर दोनों बाथरूम चले जाते है.
बाथरूम में दोनों एक दुसरे को अच्छे से साफ़ करते है जहाँ दीपू दिव्या की चूची को अच्छे से धोता है और फिर से २ minute तक उसकी चूची चूसता है. दिव्या भी आंहें भरने लगती है लेकिन कहती है की वो आज बहुत थकी हुई है तो दीपू भी मान जाता है उसकी चूत को भी अच्छे से साफ़ करते हुए मस्ती में २ उंगलियां उसकी चूत में डाल कर २ minute तक पेलता है और इन्ही २ मं में दिव्या की चूत फिर से गीली हो जाती है.
लेकिन दीपू को फिर याद आता है और अपनी उंगलियां निकल कर दिव्या के सामने ही अपनी उंगलियां चाट लेता है.
दिव्या ये देख कर एकदम शर्मा जाती है और ऐसे ही दिव्या भी दीपू का लंड अच्छे से साफ़ करती है और दीपू का लंड भी तन जाता है लेकिन कुछ नहीं करता. दोनों फिर कमरे में आकर एक दुसरे की बाहों में समाते है.
दीपू मस्ती में कहता है एक और राउंड हो जाए?
दिव्या: ना बाबा… मैं तुम्हारे इस डंडे को झेल नहीं पाऊँगी. दीपू हस देता है और कहता है आज तो ठीक है लेकिन जब हम घर जाएंगे तो मैं कुछ नहीं सुनने वाला हूँ और फिर तुम्हे भी इसकी आदत डाल लेनी पड़ेगी. दोनों एक दुसरे की बाहों में रहते है और ना जाने कब दोनों को नींद आ जाती है और दोनों चैन की नींद में खो जाते है....
Note: Hope to get more and max comments & Likes on this mega post. Had to think a lot for this update. Thanks.

Finally Dipu aur Divya ki shugraath ho gayi , aur iss raat mai. Dono na bahut kuch ek dusre ka liye feel Kiya aur ek dusre ki baato ka saman Kara , finally Divya chud gayi aur iss chudai mai usko param shukh mila.
Ab aage dekhta Hain ki dono maa beta ka beech sugharaath kaisi hogi