• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest मेरी माँ, बहने और उनका परिवार

Who do you suggest Raj should fuck first?

  • Shweta

    Votes: 89 75.4%
  • Soniya

    Votes: 29 24.6%

  • Total voters
    118
  • Poll closed .

Ek number

Well-Known Member
8,164
17,540
173
मैं कमरे में पहुँच कर चाची का इंतजार करने लगा। चाची कुछ देर बाद ट्रे में एक बड़ा गिलास दूध का और एक कटोरी में गरम सरसों का तेल लेकर आई। मैं उनके बेड पर एक लुंगी और बनियान में लेटा हुआ था। चाची ने ट्रे बेड के बगल में रखे टेबल पर रखा और अपनी साडी मेरे सामने उतार दी। वो सिर्फ पेटीकोट और ब्लॉउस में थी।
उन्होंने मुझसे कहा - चल दूध पी ले फिर मालिश कर दू।
मैंने कहा - अपने वाले पिलाओ न।
चाची - वो भी दूंगी , पहले ये तो पी ले।
मैं झट से पूरा गिलास एक ही बार में खाली कर गया। अब चाची मेरे बगल में तेल की कटोरी लेकर बैठ गई। उन्होंने मेरी लुंगी ऊपर कर दी और मेरे पैरों की मालिश करने लगीं। वो सिर्फ ब्लाउज में थी तो जब झुक कर मालिश करती तो उनके मुम्मे एकदम लटक कर बाहर आने को बेताब हो जाते। एक दो बार मैंने उन्हें पकड़ने की कोशिश की तो चाची हैट जाती। एक तरह से वो मुझे रिझा रही थी।
उन्होंने पैरों की मालिश के बाद मुझे बनियान उतारने को कहा।
मैंने कहा - चाची आप वैसे ही मालिश करो न जैसे वहां घर पर किया था।
चाची - कैसे बाबू ?
मैं - बदन से बदन लगा कर।
चाची - धत्त। मेरे बदन में भी तेल लग जायेगा।
मैं - सही तो है। तुम्हारी भी मालिश हो जाएगी।
चाची - मालिश करेगा या फिर तू चोदेगा।
मैं - चोदूगा तो वैसे भी।
चाची - तू बहुत बदमाश हो गया है। ठीक है। बनियान तो उतार।
मैं झट से बनियान उतार कर उल्टा लेट गया। चाची ने अपना ब्लाउज उतार दिया। उन्होंने मेरे पीठ पर खूब सारा तेल उड़ेल दिया और अपने पैर मेरे कमर के दोनों तरफ करके मेरे कमर पर बैठ गई। फिर उन्होंने खुद को झुकाया और अपने मुम्मे मेरे कमर के बस थोड़े ऊपर सटाते हुए उसे मेरे पीठ से रगड़ते हुए मेरे गर्दन के पास तक ले आईं। फिर उन्होंने अपने बदन मेरे बदन से रगड़ते हुए नीचे की तरफ किया। चाची के नरम नरम मुम्मे मेरी पीठ पर रगड़ खाते हुए मेरे मालिश कर रहे थे। मुझे तो लग रहा था जैसे मेरे पीठ पर दो गरम सॉफ्ट बॉल ऊपर नीचे किये जा रहे हों। चाची के निप्पल भी इस रगड़े से तन गए थे। वो मालिश के साथ साथ सिसकारियां भी लेर रही थी।
चाची - आह , बाबू कैसा लग रहा है ? मालिश ठीक है न
मैं - आह चाची बदन दर्द तो ख़त्म हो गया है। अब तो दर्द कहीं और हो रहा है।
चाची - बता न कहा दर्द हो रहा है। वहां भी मालिश कर दूंगी।
मैं - अब तो बस लंड में हो रहा है चाची।
चाची - चल उसकी भी मालिश कर दू।
चाची ने मुझे सीधा कर दिया और फिर से मेरे कमर के ऊपर आ गई। उन्होंने मेरे लंड को अपनी चूत की फैंको के बीच कर लिया और मेरे लंड को बिना चूत के अंदर डाले ही अपनी कमर आगे पीछे करने लगीं। उन्होंने अपने चूत से मेरे लंड की मालिश करनी शुरू कर दी थी।
मैंने उनके लटके हुए मुम्मो को अपने हाथो में ले लिया और उन्हें दबाने लगा।
चाची - आह आह , कैसा लग रहा है लल्ला। दर्द कुछ कम हुआ ?
मैं - हाँ चाची। मजा आ रहा है। दर्द काम हो रहा है। कमाल की मालिश करती हो तुम भी। पहले वहां क्यों नहीं किया ?
चाची - मौका ही नहीं मिला अभी तक बिटवा। अब देखना कितना ख्याल रखूंगी तुम्हारा। आह आह। जरा तुम भी मेरे मुम्मो की मालिश करो जरा दबाओ। वहां से आने के बाद किसी मरद ने हाथ नहीं लगाया है।
मैं - जरूर चाची। तुम्हारे मुम्मे तो स्पंज की तरह हैं। क्या कहते हैं स्पंजी रसगुल्ला। खा लूँ क्या ?
चाची - तेल लगा है अभी। कल खाना। अभी तो बस हाथ से दबा कर रस निकालो। आह आह थोड़ा निगोड़ी चुचकों को भी खींचो न
मैंने उनके निप्पल उमेठने शुरू कर दिए। अब चाची की चूत पानी छोड़ रही थी। मेरा भी प्री कम आ चूका था। हम दोनों अब चुदाई का असली खेल शुरू करने वाले ही थे।
चाची - लल्ला दर्द काम हुआ।
मैं - हाँ। ख़त्म है ,
चाची - पर मेरी चूत तो कराह रही है।
मैं - तो इंजेक्शन ले लो न। मेरा सिरिंज तैयार है।
चाची - लेना ही पड़ेगा।
चाची अबकी उल्टा हो गई। उनकी पीठ मेरी तरफ हो गई। उन्होंने अबकी अपने कमर को थोड़ा ऊपर उठाया और है से मेरे लंड को अंदर ले लिया।
चाची - हाय रे राज। तेरा गधे जैसा लंड अंदर आग लगा देता है।
चाची अब मेरे ऊपर उछलने लगी थी और मैं उनके भारी भरकम गांड को दबा रहा था।
चाची - आह आह। क्या मस्त लौंडा है रे तेरा। कोई भी इसे लेकर पगला जायेगा। बेवक़ूफ़ ही होगा जो इसे देख कर नहीं चुदने से रुक जाये।
मैं - कहाँ चाची। तुम्हारी बिटिया चुदने को तैयार ही नहीं है।
चाची - वो भी चुड़ेग। जल्दी ही चुदेगी। पर कोई संभाल कर लेना उसकी। फट जाएगी वरना।
मैं - आह आह तुम्हारे सामने ही लूंगा। तुम ही संभाल कर लिवाना।
चाची - हाँ। ले लेना उसकी। बहनचोद तो तू है ही। इससससस आह आह।
चाची ने स्पीड बढ़ा ली थी। हम दोनों अपने चरम पर आने वाले थे।
तभी चाची ने बोला - वैसे तेरे लिए दुलारी भी तैयार है।
मैं - दुलारी को तो देखा नहीं पर रजनी मस्त माल है।
चाची - हाँ और कुंवारी भी है। कल ही फाड़ दे उसकी।
मैं - देगी क्या ?
चाची - एक बार दिखा दे ब। कूद कर लेगी।
अब मेरा लंड पानी छोड़ने वाला था।
मैं - चाची स्पीड बढ़ाओ। मेरा माल आने वाला है।
चाची ने कूदने की स्पीड बढ़ा दी। कमरे में हमारी आहों के अलावा पलंग की चीं चा की आवाज भी तेज हो गई। कुछ ही झटको में हम दोनों खलाश हो गए। चाची एकदम से मेरे पैरों की तरफ झुक गई।
तभी कमरे के ब्याह भी हमें एक आह सी सुनाई पड़ी।
मैंने कहा - कौन है ?
चाची उठ कड़ी हो गईं। किसी के भागने की आवाज आई। मैंने चाची से कहा - चाचा ने तो नहीं देख लिया हमें।
चाची - नहीं। उन्हें शख्त हिदायद दे राखी है जब तक तू है अंदर कदम भी नहीं रखेंगे। वैसे भी दरवाजा बंद है।
फिर मैं बाहर वैसे ही नंग धडंग निकल पड़ा। चाची भी बिना कपडे के निकल पड़ी।
मैंने कहा - छत से कोई चोर तो नहीं आया था।
चाची ने कुछ देर सोचा और फिर दरवाजे के पास पड़ी पैंटी देखि। उठा कर मुझे देते हुए कहा - तेरी बहन देख रही थी हमारी चुदाई।
मुझे भी मस्ती सूझी। मैंने उनके हाथ से पैंटी ली और श्वेता के कमरे की तरफ चल पड़ा। जल्दीबाजी में वो अपने कमरे का दरवाजा बंद करना भूल गई थी। कमरे में घुसते ही मैंने लाइट जला दी। मैंने देखा श्वेता जगी हुई थी और उसने अपना सलवार बस ऐसे ही चढ़ा रखा था। बल्कि कुरता भी उसमे फंसा हुआ था। जल्दीबाजी में वो कपडे भी नहीं पहन पाई थी। उसने अपनी आँखे जबरदस्ती भींची हुई थी।
मैं उसके पास गया और उसके गाल को सहला कर बोला - तेरी पैंटी रख लू।
उसने झट से आँखे खोल ली और मेरे हाथ से अपनी पैंटी खींच ली। उसने फिर मुझे नंगा देख आँखे बंद कर लिया।
श्वेता - तुम बड़े बद्तमीज हो। रात में लड़की के कमरे में ऐसे नंगे चले आये।
मैं - तुम बहुत शरीफ हो अपनी माँ की चुदाई देख रही थी।
श्वेता - तुम दोनों शोर ही इतना कर रहे थे। नींद खुल गई।
मैं - अब मजा आएगा तो शोर होगा ही। पर तुम्हारी गीली चाढ़ि देख कर लग रहा है मजा तुम्हे भी खूब आया है।
श्वेता - भागो यहाँ से। सोने दो।
चाची ने कहा - चलो मेरी बेटी को परेशान मत करो।
श्वेता - हाँ हाँ जाओ माँ चोद लो चोदू लाल।
मैं - एक बार फिर से बोलो चला जाऊंगा।
श्वेता - जाओ अपनी माँ चोद लो , चाची चोद लो चोदू।
मैंने झुक कर उसके गाल पर एक पप्पी दी और कहा - जल्दी तुम्हे भी चोदूंगा।
श्वेता - भागो , अभी माँ चोद लो।
मैंने जाते जाते कहा - फिल्म देखनी हो तो सीधे थिएटर के अंदर आना। चोरु छुपे मत देखना। हम देखने के पैसे नहीं लेंगे।
मैं और चाची हँसते हुए वापस उनके कमरे में चले गए।
उस रात चाची ने मुझसे फिर अपनी चूत भी चटवाई और एक राउंड कुतिया बन कर मुझसे चुदवाया। चाची की हवस देख लग रहा था की बहुत दिनों बाद चुद रही थी।
हम दोनों रात कब सोये मुझे पता भी नहीं चला। पर सुबह मेरी नींद बच्चे के रोने की आवाज से खुली।
Shandaar update
 

tharkiman

Active Member
776
5,840
124
हम दोनों रात कब सोये मुझे पता भी नहीं चला। पर सुबह मेरी नींद बच्चे के रोने की आवाज से खुली।
जब मैं कमरे से बाहर निकला तो देखा श्वेता के साथ पर एक गदराई सी सांवली लड़की बैठी है। निचे एक लड़का आंगन में चाची के साथ खेल रहा था और एक छोटा सा बच्चा श्वेता के गोद में रो रहा था जिसे वो चुप करा रही थी ।
श्वेता - अरे बाप रे ये तो चुप ही नहीं हो रहा।
लड़की - अरे तुझे पहली बार देखा है , थोड़ा समय दे। फिर तो तेरी गोद से उतरेगा ही नहीं।
श्वेता - तू कैसे दो दो संभाल ले रही है।
लड़की - तू भी कर ले संभाल लेगी।
श्वेता - धत्त्त।
मुझे देख चाची ने कहा - जग गए लल्ला।
लड़की - शहर वाले हैं नींद देर से खुलती है।
मुझे उसका मुंहफट अंदाज देख कर गुस्सा आया। पर चुप ही रहा।
श्वेता ने मेरा परिचय कराया - ये मुनमुन है मेरी बचपन की सहेली। और ये मेरे भाई हैं।
मुनमुन - जानती हूँ , ताऊजी का लड़का है न। बचपन में देखा था। बिलकुल वैसे ही है।
मैं मन ही मन सोचा - अब बड़ा हो गया हूँ। मेरा देख कर बचपन का भूत उतर जायेगा ।
मैं हेलो बोलकर बाथरूम में घुस गया।
लौट कर आया तो सामने का नजारा देख होश उड़ गए। श्वेता के गोद में जो बच्चा था वो मुनमुन के गोद में पहंच गया था। मुनमुन बिना शर्म के अपना कुरता ऊपर करके उसे दूध पीला रही थी। उसके मुम्मे बाहर निकले हुए थे जिसे वो बच्चा चूस चूस कर पी रहा था। वो बच्चा अपने दुसरे हाथ से कुर्ते के ऊपर से ही उसके दुसरे मुम्मे के निप्पल को उमेठ रहा था। मुझे देख कर भी मुनमुन ने अपने मुम्मे ढकने की कोशिश नहीं की। मैं जाकर वहीँ पास खाली पड़े कुर्सी पर बैठ गया। श्वेता ने मुनमुन को इशारा किया की वो दुप्पटे से अपने दूध ढक ले। पर मुनमुन ने इशारे का जवाब तेज शब्दों से दिया - अरे अपने घर में यहाँ कौन पर्दा करता है। मैं तो बाउजी और भाई के सामने भी ऐसे ही रहती हूँ। चाची शहर में जाकर श्वेता बदल गई है।
श्वेता ने अपना सर पीट लिया। पर चाची ने कहा - हाँ गाँव के हाल ये भूल गई है।
पर मेरी मौज हो गई थी। मैं उसके बड़े बड़े मुम्मे चोरी छुपे नजरो से देख ले रहा था। चूँकि श्वेता ने उसे टोक दिया था तो मुनमुन की नजरें मेरी तरफ थी। उसे समझ आ गया की मैं क्या कर रहा हूँ। शायद उसे भी मजा आ रहा था।
उसने चाची से कहा - चाची राज भाई को दूध दे दो। उसे भी भूख लगी है।
चाची - अरे मैं तो तेरे बच्चे के चक्कर में भूल ही गई थी।
वो उठ कर चली गई। मुनमुन का बच्चा अब मेरे साथ खेलने लगा था। श्वेता भी मुझे देख रही थी की मेरी नजर मुनमुन के दूध पर टिकी है। दोनों सहेलियां आपस में इशारे में बातें भी कर रही थी।
तभी चाची सच में मेरे लिए दूध और नाश्ता लेकर आई।
मुनमुन बोली - चाची ताजा दूध है न।
चाची - तू भी कैसी बात करती है। अभी सुबह ही तेरे चाचा ने निकाला है।
मुनमुन ये सुन हँसते हुए बोली - चाचा अब भी तुम्हारा ताजा दूध निकलते हैं क्या ?
मुझे भी हंसी आ गई। चाची ने भी मजाक का जवाब मजाक दे देते हुए कहा - ताजा तो तुझ जैसों का निकलता है। हम कहाँ अब गाभिन होंगे।
मुनमुन बोली - चाची , गाभिन तो तुम अब भी हो जाओ । मौका दो गाओं के जवान लौंडे अभी कर दें।
चाची - बहुत ताजे दूध की चिंता है तो अपना ताजा दूध दे दे।
मुनमुन - दे तो देती पर ये अभी एक चूस के छोड़ेगा तो दूसरा चढ़ जायेगा।
चची - बड़े को बाहर का नहीं देती ?
मुनमुन - देती हूँ पर अब भी साले को बिना माँ की चूसे नींद नहीं आती। सालों का बाप भी बिना पिए नहीं सोता है और वही हाल इन दोनों का है।
श्वेता - तुम दोनों का मजाक हो गया तो और कुछ बात करें।
मुनमुन - चाची इसकी भी अब शादी करा दो।
श्वेता - चुप करो। राज बहुत सालों बाद आये हो चलो खेत घूम कर आये।
मुनमुन - हाँ हाँ दिखा दो। अपना खेत दिखा दो। हो सके तो हल भी चलवा लेना उसी से।
श्वेता - तू बड़ी बेशरम हो गई है। तू ही हल चलवा ले अपने खेत में। वैसे भी उसका हल बड़ा है। गहरे तक खोद देगा।
श्वेता गुस्से में कुछ ज्यादा ही बोल गई थी। हम तीनो उसका चेहरा देखने लगे। उसे जैसे ही अपनी गलती का एहसास हुआ वो भाग कर निकल पड़ी और जाते जाते बोल गई - भाई आ जाना खेतों पर।
मुनमुन - अरे रुक तो मैं भी चलती हूँ।
वो भी निकल पड़ी।
दोनों के जाते ही चची और मैं एक दुसरे की तरफ देख हंस पड़े।
 

tharkiman

Active Member
776
5,840
124
दोनों के जाते ही चची और मैं एक दुसरे की तरफ देख हंस पड़े। मैंने फिर चाची को बाँहों में भर लिया और वहीँ रखे तखत की तरफ खींचते हुए कहा - जरा दूध पिलाओ न।
चाची - लगता है मुनमुन गरम कर गई तुझे।
मैं - एकदम गदराई माल है। ऐसे खोल कर दूध दिखाएगी तो कौन नहीं गरम होगा।
चाची ने कहा - उसके बात से लगता है तुझे दे देगी। वैसे भी श्वेता ने जो लास्ट में कहा उससे उसके चूत में खलबली तो मच ही गई होगी।
मैं - हाँ पता नहीं श्वेता भी गुस्से में कैसे ऐसा बोल गई।
चाची हँसते हुए - जाओ वो तुम्हारा खेत में इन्तजार कर रही होगी। वार्ना उसका गुस्सा शांत नहीं होगा। तब तक श्वेता को फ़ोन मेरे फ़ोन पर आ ही गया।
श्वेता - राज , टूबवेल पर नहाना है तो कपडे लेकर आना।
मैं - वह - ट्यूबवेल चल रहा है क्या ?
श्वेता - पापा से कह कर चलवाया है। सुनो माँ से मेरे कपडे भी मांग लेना।
मैंने चाची से श्वेता के कपडे मांगे और अपने कपडे भी लिए। सब झोले में रख कर मैं निकलने लगा।
चाची - दोपहर में मैं वहीँ खाना लेकर आ जाउंगी।
मैं - मजा आएगा। दूध दोगी न तब।
चाची - दूध तो तेरे ही हैं लल्ला। पी लेना।
मैं गाओं की गलियों से होता हुआ अपने खेल की तरफ चल पड़ा। वहां खेतो के बीच में चाचा ने एक मिनी फार्म हाउस टाइप बना रखा था। चारों तरफ ऊँची दिवार थी। उसी में एक तरफ कुछ आम और बाकी फ़ोन के पेड़ थे। एक पेड़ पर झूला लगा रखा था। एक कोने में ट्यूबवेल बना हुआ था। जो की पास के दिवार के नाले से बाहर खेतों की तरफ जाता था। ट्यूबवेल से ही सटे एक कमरा बना हुआ था। जिसमे एक बेड और गद्दा बिछा हुआ था। दुसरे कोने में एक गोदाम सा बना हुआ था जिसमे अनाज रखा जाता रहा होगा।
मैं ये सब देख कर खुश हो गया। गेट से अंदर गया तो देखा श्वेता झूला झूल रही थी। मुनमुन भी वहीँ थी। दोनों से सलवार सूट पहना हुआ था। मुनमुन को देख मेरा लैंड फिर से खड़ा होने लगा। वैसे तो उम्मीद थी की श्वेता वहां अकेली होगी। मैंने सोचा था ट्यूबवेल में उसके साथ मस्ती करूँगा पर यहाँ तो दोनों सहेलियां मजे ले रही थी। मैं पास में बने एक सीमेंटेड बेंच पर बैठ गया। दोनों एकदम बच्चों की तरह मस्ती में थी।
मैंने मुनमुन से पुछा - दोनों बच्चे कहा हैं ?
मुनमुन - माँ के पास छोड़ आई हूँ। अब इतने दिनों बाद दोस्त मिली है कुछ तो बचपन की याद ताजा की जाए।
श्वेता - सच में कितने मजे करते थे न हम।
मुनमुन - तेरे जाने के बाद चाचा ने ये झूला उतार दिया था। तेरे आने की खबर सुन कर परसों ही लगवाया है।
वहां हम तीनो के शिव कोई नहीं था। मैंने पुछा - चाचा कहाँ हैं ?
श्वेता - पापा खेतों की तरफ गए हैं। हम यहाँ आने वाले थे तो बाकियों को आने से मना किया है ।
श्वेता फिर से झूला झूलने लगी। मुनमुन उसे पीछे से पेंग दे रही थी। जब वो धक्के देकर झुकती तो उसके चौड़े चौड़े गांड बाहर की तरफ निकल आते। वैसे ही उसके भारी मुम्मे भी जोरदार तरीके से हिलते। मेरा मन कर रहा था की बस पीछे से जाकर दबोच लून और वहीँ पेल दू। वो बीच बीच बीच में पीछे मुड़ कर मुझे भी देखती। उसे पता था की मैं चुदास हो रखा हूँ। तभी अचानक से श्वेता झूले से फिसल के सामने की और गिर पड़ी। उसके गिरते ही मैं दौड़ कर उसे उठाने गया। मुनमुन भी दौड़ पड़ी। गनीमत थी की चाचा ने मिटटी खुदवा राखी थी उसे ज्यादा चोट नहीं आई पर कमर के बल गिरने से उसे कमर में दर्द हो रहा था। मैंने तुरंत उसे गोदी में उठा लिया और कमरे की तरफ चल पड़ा। मैंने मुनमुन से कहा - जाओ चाची से पूछो आयोडेक्स या कोई और क्रीम है क्या ?
श्वेता - अरे जाने दे , थोड़ी सी लगी है ठीक हो जाउंगी।
मैंने कहा - जाओ तुम लेकर आओ। पर ये मत कहना ये गिरी है वरना परेशान हो जाएँगी।
मुनमुन घर की और चली गई। मैंने श्वेता को वहीँ बिस्तर पर लिटा दिया और उसका कुरता ऊपर करने लगा। मैंने सोचा मालिश कर दू।
श्वेता - आह। ये क्या कर रहे हो। जाने दो। कोई आ जायेगा। अभी मुनमुन आएगी तो क्रीम लगा लुंगी। वैसे भी हल्का दर्द है मिटटी पर गिरी हूँ।
मैं - चुप चाप लेती रहो। थोड़ा मालिश कर दूंगा तो सही हो जायेगा।
श्वेता बेबस थी। उसे मेरे फ़िक्र पर प्यार आने लगा था। उसने कहा - अच्छा दरवाजा तो बंद कर दो कोई आ जायेगा।
मैंने दरवाजा बंद कर दिया और वापस जाकर उसके कुर्ते को कमर से ऊपर करके कमर पर हल्का हल्का सहलाने लगा।
कुछ देर बाद वो सिसकी लेते हुए बोली - रहने दो अब ठीक है।
मई उसके गोरे गोरे कमर पर फिसल चूका था। मैंने कहा - कुरता थोड़ा और ऊपर कर लो। पीठ भी मालिश कर देता हूँ। चोट आई होगी।
श्वेता भी कुछ नहीं की। उसने अपना बदन हलके से उठाया और कहा - कर लो।
मैंने उसके कुर्ते को उठा कर गर्दन तक कर दिया और अब कमर के साथ साथ पुरे पीठ की मालिश करने लगा। श्वेता ने आँखें बंद कर ली थी।
मैंने उसके गोरे गोरे पीठ को अब चूमना भी शुरू कर दिया था। श्वेता सिसकियाँ ले रही थी। मैंने उसके ब्रा का हुक खोल दिया और उसके पुरे पीठ पर चीभ फेरना शुरू कर दिया था।
श्वेता की चूत पानी छोड़ने लगी थी। श्वेता ने दबी आवाज में कहा - रहने दो भाई , अब बस करो।
मैं - करने दे न। अच्छा नहीं लग रहा है क्या ?
श्वेता - दर्द तो चला गया।
मैं - मजा
श्वेता - बहुत आ रहा है। डर लग रहा है कुछ गलत न हो जाये। रहने दो।
मैं - हो जाने दो न।
श्वेता - अभी नहीं।
हम दोनों मस्ती में दुबे हुए थे। श्वेता के मन में झिझक थी पर वो आगे बढ़ना भी चाह रही थी। मैं तो बस किसी तरह से अपने पर काबू पाए हुए था।
तभी दरवाजे पर खटखटाने के साथ मुनमुन की आवाज आई।
श्वेता और मैं दोनों हड़बड़ा उठे। श्वेता ने झट से अपने ब्रा के हुक को लगा कर कुरता सही कर लिया। मैं किसी तरह से अपने पेंट में बने टेंट को ठीक करता हुआ दरवाजा खोलने गया।
दरवाजा खुलते ही मुनमुन अंदर घुसते हुए बोली - भाई से सेवा करवा लिया हो तो बहन से भी करवा लो।
श्वेता कुछ नहीं बोली। मुनमुन के हाथ में तेल के सीसी थी। उसने श्वेता को वापस उल्टा लेटा दिया और उसका कुरता एकदम ऊपर तक करते हुए तेल हाथ में लेते हुए बोली - चाची ने तेल दिया है और कहा है इसे लगाते ही ठीक हो जाओगी। पर मुझे लगता है मालिश इतनी बढ़िया हुई है की दर्द तो रहा नहीं होगा।
श्वेता - हाँ। अब दर्द नहीं है। रहने दे।
मुनमुन - हाँ। ऐसा मालिश करने वाला हो तो दर्द कहीं का ख़त्म होता है और कहीं जाग जाता है। मुझे मिले तो मैं भी करवा लूँ।
श्वेता - तो करवा ले न। भाई कर दो इसकी भी मालिश भगा दो इसका दर्द।
मेरा लंड वैसे ही शांत नहीं हो रहा था इनकी बातें सुन और खड़ा हो गया।
मुनमुन ने मेरे लंड की तरफ देखते हुए कहा - तू की करवा अपने भाई से अपना दर्द दूर। मुझे तो डर लग रहा है। तेरा भाई बड़ा है।
श्वेता - ये भी बड़ा है और इसका वो भी। अंदर तक करेगा। वैसे भी मालिश के बदले ताजे दूध का इनाम भी दे देना। थोड़ी ताकत भी आ जाएगी।
मुनमुन - ना रे। मैं ऐसे ही ठीक हूँ। बाकी दूध का क्या है ? ताजा दूध पीना चाहे तो पी ले।
श्वेता - क्यों भाई क्या कहते हो ?
मैं वैसे ही अपने लंड से परेशान था। दोनों एकदम चुदास होकर मुझे उत्तेजित किये जा रही थी।
मैंने कहा - मालिश भी कर दूंगा। दूध मिले तो खोद के पानी भी निकाल दू।
मुनमुन - पानी तो पहले से ही निकला रहा है भाई। यहाँ तो ट्यूबवेल चालु है।
मैं - एक्स्ट्रा पंप करके और पानी निकल दूंगा।
श्वेता उठाते हुए बोली - तुम दोनों को पानी निकलना हो , खेत जोतना हो या चोदम चुदाई करनी है जो चाहो वो करो। मेरा दर्द तो गया। मैं चली नहाने।
मुनमुन - अरे रुक मुझे घर जाना है। लड़के काफी देर से अकेले होंगे। दूध तो हमेशा तैयार रहता है। तेरे भाई को फिर पीला दूंगी। तुम दोनों ट्यूबवेल में मजे लो।
श्वेता - तेरी मर्जी।
मुनमुन मेरे पास से गुजरते हुए बोली - दुखी मत हो राजा। पी लेना गैलन भरा है मेरे दूध में। अभी अपनी छमक छल्लो से मजे लो।
मैं - इंतजार रहेगा। बहुत प्यास है। ताजा दूध पिए बहुत साल हुए।
मुनमुन - कल यही, इसी वक़्त।
मुनमुन फिर चली गई।
 
Top