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Incest मेरी माँ, बहने और उनका परिवार

Who do you suggest Raj should fuck first?

  • Shweta

    Votes: 82 74.5%
  • Soniya

    Votes: 28 25.5%

  • Total voters
    110

tharkiman

Active Member
758
5,499
124
esi majedar story kabhi kabhi aati h
Gajab ka likhte ho
Jitni tareef kee jaye kam h
Superb ........👌👌

Agar aap abi story me Sweta ko pani me keval foreplay or oral tak hee rakhiye shuruwat me , baad me uska first intercourse chachi ke saath milkr ho to maja aayega.
Chachi or sweta ke mje se pahle munmun ko mje dilwao , jisme sweta unke saath ho ( sweta ko yaha bhi oral tak hee hee limited rakhiye jisse ki uske andar puri ichchha jage )
Lekin yahan tubewell pr thukai keval munmun kee hee ho.
Thank you for the appreciations.. Hop you liked the updates.
 
43
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थोड़ी देर बाद बोगी का ऐसी भी चल गया और हम दोनों की गर्मी भी शांत हो गई। फिर आराम से बैठ कर हमने खाना खाया और उसी बर्थ पर अगल बगल लेट गए। ।
मैंने दीदी से पुछा - दी आप इतनी गरम माल हो , खुले विचारो वाली हो कैसे कटती है ससुराल में।
दी - अरे बस मेरे सास ससुर कड़क हैं। उनके सामने ही घूँघट रखना पड़ता ह। जैसे ही अपने मंजिल पर आती हूँ फ्री हो जाती हूँ। तेरे जीजू मुझे बहुत प्यार हैं। सेक्स जबरदस्त तरीके से करते हैं। बस वो एक आध चीजें हैं जो मैं चाहती हूँ उन्हें नहीं पसंद। पर सबको सब कुछ नहीं मिलता न।
मैं - सही कह रही हो। सर्वेश भी मुझे सही आदमी लगे।
दी - अरे उनकी तो पूछो मत। बहुत मानते हैं। वैसे तो मेरी सास भी अच्छी है पर ससुर जी के सामने थोड़ी ज्यादा कड़क हो जाती हैं। और तू बता हम दोनों बहनो के जाने के बाद तो लगता है तूने माँ को शीशे में उतार लिया है। घर में नंगी घुमा रहा है उन्हें ?
मैं सकते में था, दीदी को ये कैसे पता चला। मैंने कहा - क्या बात करती हो दीदी ऐसा कुछ नहीं है।
सरला दी - फ़ालतू बात मत कर वो कुछ दिन पहले माँ ब्लाउज खोले किचन में काम कर रही थी। पक्का तूने ही नंगा किया होगा। साले दूध पीना नहीं छोड़ा तूने। और क्या क्या कर लिया उनके साथ।
मैंने सोचा अब झूठ बोलने से कोई फायदा नहीं। वैसे भी दीदी वहां सब समझ ही जातीं। उनके साथ फ्री होने के लिए राज तो खोलने पड़ेंगे। फिर भी मैंने पुछा - तुम्हे कैसे पता मैं वहां था।
सरला दी - उस दिन वीडियो कॉल पर जब मैंने माँ को खुले मुम्मे में टोका तो पहले वो सकपका गईं। फिर कॉल लेते लेते जब वो कमरे में जा रही थी तो तेरे कपडे वहीँ कमरे में दिखे थे। मुझे पहले से ही शक था क्योंकि तब तक तुम घर आ जाया करते थे। पर माँ भी खिलाडी निकली , सफ़ेद झूठ बोल गईं। तूने गाय बना डाला है न।
मैं - क्या करता दी। उनके दूध का तो मैं बचपन से ही दीवाना हूँ। तुम लोग जब तक थी तब तक तो माँ छुपा कर पिलाती थी पर अब घर में कोई होता तो है नहीं तो कैसा पर्दा। तुम भी तो बता रही थी की तुम्हे माँ का शरीर चाटने में मजा आता था।
दी - मजा तो आता था। माँ एकदम शराब की बोतल हैं।
मैं - एक बात बताओ , सिर्फ पसीना पिया है या और भी कुछ ?
दी - भाई , औरतें एक दुसरे से खुली होती हैं। पसीने का नशा करना भी मैंने उन्ही से सीखा है। कुछ लोगो को मिटटी से नशा होता है , कुछ को पेट्रोल और डीजल की महक से। कुछ बाम से तो कुछ कफ सिरप से। माँ को पसीने से होता है। जब हम छोटे थे तो गर्मी में माँ हमारा पसीना साफ़ करते करते चाट भी लेती थी। थोड़े बड़े हुए माँ की ये हरकत थोड़ी अजीब लगी। एक बार खुद ट्राई किया तो मजा आया। बाद में तो बस नशा घर में ही मिल जाता था।
मैं - सुधा दी भी ऐसी है क्या ?
दी - ना रे। उन्हें ये पसंद नहीं।
मैं - और क्या क्या नशा किया है।
दी - खुल के बोल न की माँ की चूत छाती है क्या ? हाँ चाटी है। तूने जो मुझे हरकत करते देखा था माँ ने ही सिखाया था। माँ हमारी गुरु हैं। हमारा कहीं बाहर चक्कर न हो , इस करके तो उन्हें समय आने पर हम दोनों बहनो को मास्टरबेट करना सीखा दिया। हम कई बार तो एक दुसरे के सामने भी मास्टरबेट कर लिया करते थे।
मैं - तभी तुम्हे मुझे देख आश्चर्य नहीं हुआ।
दी - मुझे पता था की कभी न कभी तू हमें देख ही लेगा। वैसे भी तीन तीन जवान गदराई औरतों के बीच पल रहा था तू।
मैं - क्या सुधा दी भी संग में होती थी ?
दी - सीधी सी बात है। बड़ी थी। माँ की चूत सबसे पहले उन्हें मिली , फिर मुझे।
मैं - मुझे तो नहीं मिली
दी - मिल जाएगी। जब इतना कर लिया तो वो भी मिल जाएगी।
मेरे दिमाग में ना जाने क्या आया मैंने बोल दिया - पर मुझे भी एक चूत मिल चुकी है
दी - पता है चाचीचो। मुझे पता है तूने चाची को पेल दिया।
अब मेरा दिमाग घूम गया। मैंने कहा - तुम्हे कैसे पता?
दी - सारा राज जानेगा ? खैर बता देती हूँ। तेरी शिकायत मुझसे श्वेता ने की थी। उसने बताया की तूने उसके हॉस्टल में क्या हरकत की और तुम उसके पीछे भी पड़े हो। मेरे आने का सुन कर उसने मुझे चेताया था और कहा था की तुम्हारी खबर लू।
मै - साली को तो मैं छोडूंगा नहीं। बहन की लौड़ी मुझे सबक सिखवायेगी। उसकी माँ टी उसकी चूत भी दिलवाना चाहती है पर कमिनी मेरी ही शिकायत कर रही है।
दीदी ने मुझे किस किया और कहा - देख वो अच्छी लड़की है। उसे अभी लंड का स्वाद नहीं मिला। मुझे तो लगता है उसने चूत में ऊँगली भी नहीं करी होगी। जिस दिन उसे चूत में मुसल जाने का मजा मिलेगा सब भूल जाएगी। पर ये याद रख किसी भी लड़की के साथ जबरदस्ती नहीं। जब तक लड़की तैयार न हो , उसे छूना भी मत। और हाँ हर लड़की को पटाने का तरीका अलग अलग होता है। समझना पड़ता है उन्हें। और हो सकता है लड़की तेरे से दोस्ती भी कर ले पर तेरे साथ सेक्स भी कर ले ये जरूरी नहीं। पर एक बार हो गया तो बस मजे ही मजे हैं। समझा ? चाची तो मिल गईं, हम बहने और माँ मिल जाएँगी क्योंकि हम तुमसे प्यार करते हैं। पर कोई और , शायद नहीं। उसके लिए मेहनत करनी पड़ेगी।
मैं - दीदी तुम एकदम गुरु हो।
दीदी - चिंता मत करो। तुमको एकदम ट्रेंड कर दूंगी। आखिर मेरे दुलारे भाई जो हो। एक दिन आएगा की तू जिस चूत को चाहेगा , अपना गुलाम बना लेगा।
मैं एकदम रिलैक्स्ड था। थोड़ी देर की और ज्ञानबाजी के बाद दीदी भी सो गईं।
अगली सुबह दीदी ने एक फुल टाइट ट्रॉउज़र डाला और ऊपर से टी-शर्ट। मैं वापस अपने कपडे में था। घर जाते वक़्त दीदी ने मुझे हिदायत दी की ट्रैन में जो कुछ भी हुआ उसके बारे में माँ को कुछ नहीं बताना है। उन्होंने मुझसे कहा की माँ को पता नहीं चलना चाहिए की उन्हें सब पता है। मौका देख कर वो सब ठीक करेंगी और कोशिश करेंगी की न सिर्फ माँ की बल्कि श्वेता की भी चूत दिला दे। पर कहीं भी जल्दीबाजी नहीं।
मेरे पास गुरु की बात मानने के सिवा कोई ऑप्शन नहीं था।
माँ ने सरला दीदी को देखा तो एकदम खुश हो गईं। थोड़ी देर तक दोनों गले लग कर रोटी रहीं। एकदम रुलाने वाला माहौल था। उसी में सुधा दी का फ़ोन भी आया। वीडियो कॉल पर वो भी रोने लगी। मुझसे बर्दास्त नहीं हुआ तो मैं बाहर घूमने निकल आया।

दीदी के आने के बाद से मेरी दिनचर्या में थोड़ा बदलाव आ गया था। अब मुझे माँ का दूध न के बराबर मिलता था। दीदी बहुत दिनों बाद आई थी तो घर में माँ के साथ ही समय बिताती थी। उन दोनों की बातें ख़त्म ही नहीं होती थी। पर मेरा नयन सुख दोगुना हो गया था। दीदी घर में सिर्फ एक टाइट और छोटी सी निक्कर और कॉटन स्लिप में ही रहती थी। कई बार बिना ब्रा के। एक बार तो माँ ने मेरे सामने दीदी को धीरे से ब्रा के बारे में टोका तो दीदी ने कह दिया - तुम भी तो ऐसे ही रहती हो। बिना ब्रा के फ्री रहना अच्छा लगता है। माँ कुछ नहीं बोल पाई।

एक दिन दीदी अपने कमरे में थीं । माँ कुछ काम कर रही थी। मैंने उनसे चुहलबाजी करने की कोशिश की तो दीदी का हवाला दे दिया। मैंने सोचा फिर चलकर दीदी से ही बात कर लेता हूँ। जब मैं कमरे में घुसा तो वो जीजू के साथ फ़ोन पर बात कर रही थ। उन्होंने मुझे अपने मुँह पर ऊँगली रख कर चुप रहने का इशारा किया। मैं समझ गया की कोई प्राइवेट बात हो रही होगी। दीदी ने मुझे दरवाजा बंद करने का इशारा किया। मैंने धीरे से दरवाजा बोल्ट कर दिया और उनके बगल में आकर बैठ गया। दीदी ने इयरफोन लगा रखा था।
दीदी ने जीजा को कुछ सेकंड वेट करने को कहा और बोली - रुको मैं कमरा बंद कर देती हूँ फिर आराम से बात करेंगे।
दरवाजा तो बंद ही था उन्होंने फ़ोन म्यूट पर किया और कहा - चुप रहेगा तो मजे दूंगी वरना यहाँ से जा, माँ की ले ले।
मैंने कहा - यार माँ तो एकदम सीधी साधी घरेलु महिला बानी हैं। तुम्ही कुछ करो।
फिर दीदी ने एक तार मेरे कान में डाला और कहा बिलकुल चुप होकर सुन। कोई हरकत नहीं, कोई चूं तक नहीं।
मैं ने सर हिला दिया। अब दीदी ने फोन अनम्यूट किया।
उधर से जीजा - अरे कहाँ चली गई थी ?
दीदी - अरे वो माँ को बोलने गई थी की मैं सोने जा रही हूँ डिस्टर्ब न करे।
जीजू - राज कहाँ है ?
दीदी - बाहर दोस्तों के साथ मस्ती कर रहा होगा।
जीजू - तब सही है। सुनो न अब अकेली हो तो एक पप्पी दे दो।
दी - आप बहुत शरारती हो रहे हैं। अभी दो दिन ही तो हुए हैं आये हुए और उस रात भी आपने जमकर मेरी ली थी।
जीजू - अरे तुम्हारी रोज न लूँ तो लगता है दिन पूरा ही नहीं हुआ। देखो अभी भी मेरा पप्पू शिकायत कर रहा है की तुम्हे क्यों जाने दिया
दी - आपका नहीं पप्पू मेरा है।
जीजू - और मुनिया मेरी। सुनो पप्पी दो न
दी ने फोन पर ही एक पप्पी दी और कहा - ये आपके लेफ्ट गाल के लिए।
जीजा ने भी पलट कर पप्पी दी और कहा दुसरे गाल पर।
दी ने फिर वही किया। दो तीन वर्चुअल चुम्मी के बाद जीजा बोले - देखो न तुम्हारा पप्पू भी खड़ा होकर पप्पी मांग रहा है।
दी - ओह्हो मेरा सोनाआ पप्पू। उम्मम्मम आह लो उसे भी दे दिया।
जीजा - आय हाय। मजा आ गया। सुनो मेरे दशहरी आम कैसे हैं
दी - पके हैं , लटक गए हैं पर कोई चूसने वाला ही नहीं है।
जीजा - सुनो वीडियो कॉल करें मैं उन्हें देखना चाहता हूँ।
दीदी - अभी बातो से काम चला लो। कोई भी आ सकता है। रात में वीडियो कॉल पर बात करेंगे। आप भी तो ऑफिस में होंगे।
जीजू - ठीक है , फोटो तो भेजो।
दीदी ने कॉल कट किया। मुझसे बोलै आँखे बंद कर। मैंने कहा - अब भी आँखे बंद करवाओग।
दीदी ने फिर झट से अपना स्लिप ऊपर किया और एक सेल्फी ली और जीजा को भेज कर उन्हें कॉल किया।
दीदी - कैसे लगे
जीजा - अरे मेरे आम तो सुख जायेंगे। बिना चूसे तो रस बर्बाद हो जायेगा। सुनो उन्हें बाहर निकालो।
दीदीने फिर से अपना स्लिप ऊपर कर लिया। कसम से एकदम गदराया माल थी मेरी दीदी। उनके मुम्मे बहुत बड़े नहीं थे पर टाइट और गोल थे। उनके निप्पल एकदम नुकीले हो रखे थे। उसके चारो तरफ भूरा सा गोला था। माँ और चाची जितने रसीले तो नहीं लग रहे थे पर जीजा ने उन पर काम काफी किया था।
दीदी गहरी सांस लेकर बोलीं - निकाल लिया।
जीजा - थोड़ा उन्हें प्यार करो, दबाओ समझो मैं दबा रहा हूँ।
दीदी - आह आह शलभ थोड़ा धीरे दबाओ न। प्यार से। आह आह सससस मजा आ रहा है।
जीजा - सरला क्या चुचे हैं तुम्हारे , सोफ्टी सोफ्टी। मन करता है दबाता रहूँ। जानती हो वो स्ट्रेस रिलीवर हैं। दिन भर थक कर आने के बाद जब उन्हें दबाता हूँ न तो सारा टेंशन चला जाता है।
दीदी - दबाओ न। रोका किसने है , दबाओ मेरे साजन। जितना मन करे दबाओ। आह आह हाँ ऐसे ही।
सच में औरतों के बूब्स दबाकर जो स्ट्रेस रिलीव होता है पूछो मत। मै भी कॉलेज से आकर माँ के मुम्मे दबाता था तो एकदम से साड़ी थकान मिट जाती थी। दीदी को खुद अपने मुम्मे दबाते देख मेरा हाथ खुद बा खुद उन पर पहुँच गया। दीदी ने मुझे रोका नहीं। अब मैं दी के सामने बैठकर उनके मुम्मे दबाबे लगा।
दीदी - आह आह , मजा आ रहा है। और दबाओ। निचोड़ दो मेरी अमिया।
जीजा - अमिया से तो वो रसभरे आम बन चुके हैं मेरी जान। ढंग से निचोड़ो तो दूध निकल आये।
दीदी - सही में जानू। अब तो पपीता हो चुके हैं। दूध पीना है तो बच्चा करना पड़ेगा। माँ कह रही थी हमें बच्चा कर लेना चाहिए। वहाँ अम्माजी भी अब कहने लगी हैं। अब कर ही लेते हैं। मेरे पपीते फिर और बड़े हो जायेंगे और आपको दूध भी मिलेगा।
जीजा - हम्म सोचता हूँ। पर तुम अपने निप्पल निचोड़ो न
मैंने दीदी के निप्पल को उँगलियों के बीच में फंसा लिया और उमेठने लगा।
दीदी - हाँ , शलभ , निचोड़ दो उन्हें । यससससस।
जीजा - क्या निप्पल हैं तुम्हारे। मस्त नुकीले। जीभ से चुभलाते समय मजा आ जाता है।
दीदी मेरी आँखों में देखते हुए बोलीं - तो चूसो न।
मैंने तपाक से झुककर दीदी के मुम्मे मुँह में भर लिया। दीदी - आह आह आराम से। चूस लो मेरी जान।
जीजा - आह आह। स्वाद है तुम्हारी चूचियों में। मैं पी रहा हूँ। पिलाते जाओ
दीदी - आह आह पीलो। ये रस भरी बगिया तुम्हारे हैं। इनमे जो फल लटके हैं खा जाओ। चूस लो। पी लो। निचोड़ लो उनका रस।
दीदी थोड़ी देर बाद - अपना लौड़ा निकालो न शलभ। मुझे वो मुँह में चाहिए।
जीजा - तब से निकाल रखा है मेरी जान। इतने गरम माहौल में वो अंदर कैसे रहता।
दीदी - तो मुठ मार रहे हो।
जीजा - हाँ
दीदी - समझ लो मैं तुम्हारे लॉलीपॉप मेरे मुँह में हैं। क्या मजा आ रहा है उन्हें मुँह में लेकर।
मैं भी अब खड़ा हो गया और अपना लंड निकाल कर उनके मुँह के सामने कर दिया। अब वो मेरा लंड मुँह में लेती तो बात कैसे करती। तो उन्होंने मेरे लौड़े को हाथ में लिया और आगे पीछे करने लगीं।
बोली - क्या मीठा लॉलीपॉप है। साथ में दो मीठी गोली भी फ्री है। उसके गुलाबी गिलाबी टिप पर मै चुम्मा दे रही हूँ। उम्मम्मम्मम्म
दीदी ने मेरे सुपाडे को किस कर लिया।
अब दीदी जीजा को वर्चुअल ब्लो जॉब दे रहीं थी और मुझे रियल। उधर मुठ मारे जा रहे थे।
जीजा - पेल दू तुम्हारी चूत में
दीदी अब एक हाथ अपने पेंट के अंदर ले गईं और ऊँगली करने लगी।
दीदी - वो तो कब का पेल चुके हो। चोदो मुझे जोर से चोदो। आह आह चूत का कबाड़ा कर दो। बहुत सता रही है न मेरी मुनिया। मारो उसे। आह आह पेल दो मुझे राजा। शैलाभ्ह्ह्हह्ह आह
दीदी और जीजा के नशीले संवाद से। दीदी की हरकतों से मेरा आने वाला था। जीजा भी आने वाले थे।
आह आह आह करते एक साथ हम तीनो झाड़ गए। मेरा पूरा वीर्य दीदी के चेहरे पर गिर पड़ा।
दीदी ने फ़ोन काट किया और गुस्से में मुझे कहा - कुत्ते निचे नहीं कर सकता था। मेरा पूरा चेहरा और कपडे गंदे कर दिए।
मैंने मायूसी से कहा - लास्ट टाइम तो तुम पूरा पी गई थी।
दीदी मेरा चेहरा देख हंसने लगीं। और अपने पुरे चेहरे पर लगे वीर्य को साफ़ करने लगी।
तभी बाहर माँ की आवाज आई - सरला क्या हुआ ? सब ठीक है न ? ये राज कहाँ है दिख नहीं रहा।
दीदी गुस्से में - माँ थोड़ी तो प्राइवेसी रहने दिया करो और मुझे राज का क्या पता। गया होगा कहीं। थोड़ी देर में आती हूँ।
कह कर दीदी ने मुझे झट से कपडे पहनने को कहा और बेड के निचे छुपा दिया। चेहरा धोकर पोंछ लिया। मुझसे कहा - मैं माँ को बातों में उलझाती हूँ तू घर से बाहर निकल जा। थोड़ी देर में आना।
फिर दीदी बाहर आ गई। माँ से बोली - कभी तो अकेले रहने दिया करो। मिया को छोड़ कर आई हूँ। बातें कर रही थी।
माँ दीदी की हालत देख समझ गईं बोली - सॉरी यार। पर राज भी नहीं दिख रहा था तो मैं थोड़ा घबरा गई थी।
दीदी ने माँ को बाँहों में लिया और बोली - मेरी माँ , तुम कितनी सेक्सी हो। हमें भी सेक्स करने दिया करो। चलो छत पर ताज़ी हवा खाते हैं।
दोनों छत पर चली गईं और मैं चुप चाप बाहर चला गया।
मस्त अपडेट हैं 👌
 

Premkumar65

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कुछ दूर चलने के बाद श्वेता ने कहा - यार भूख लगी है। कहीं किसी ढाबे पर रोक लो, कुछ खाते हैं।
मैंने क्कुह दूर चलने के बाद एक ढाबा देखा।, वहीँ गाडी रोक ली। हम दोनों वहीँ टेबल पर बैठ गए। हम ने मैगी और चाय मंगाई। हमसे कुछ दूर दुसरे टेबल फॉर दो आवारा टाइप लड़के बैठे थे। वो लगातार श्वेता को घूरे जा रहे थे। हम दोनों ने इसे अवॉयड करना ही उचित समझा। पर कुछ देर में हद हो गई। लड़के भद्दे भद्दे कमेंट मारने लगे।
लड़का १ - क्या मस्त माल पटाया है लौंडे ने।
लड़का २ - हाँ यार देख उसके मुम्मे कितने बड़े हैं। साली का पिछवाड़ा भी एकदम मस्त है। पका रोज देती होगी।
लड़का १ - एकदम चिकनी माल है। हमें भी देगी क्या ?
लड़का २ - दे तो अभी ले लू
ये सब सुन कर मेरा दिमाग खराब हो गया। मैं उनकी पिटाई करने को उठा। पर श्वेता ने रोक लिया।
तभी उनमे से एक बोला - चलती है क्या ? जितने मांगेगी दूंगा।
अब मुझसे बर्दास्त नहीं हुआ। मैं उठा और दोनों की ताबड़तोड़ लात जूतों से पिटाई करने लगा। उन दोनों को इस हमले की आशंका नहीं थी। वो कुर्सी सहित गिर पड़े। तभी ढाबे के कुछ और स्टाफ और मालिक भी आ गया। उन सब ने भी लड़कों की खूब धुलाई की। ढाबे का मालिक बोला - साहब माफ़ कर दें। ये आवारा लड़के ना जाने कहाँ से चले आते हैं। आने जाने वाले राहगीरों को परेशान करतें हैं। इनकी वजह से हमारा धंधा भी खराब होता है। लड़के वहां से पिटाई के बाद रफूचक्कर हो गए। श्वेता डर कर मेरे गले लग गई। ढाबे वाले ने फिर हमें मुफ्त की ही मैगी और चाय पानी दी।
नाश्ता कर हम वहां से गाडी से निकले। जैसे ही गाडी थोड़ी दूर आगे बढ़ी, श्वेता ने मेरी तरफ झुक कर मुझे गालों पर किस कर लिया।
मैंने कहा - ये क्या था ?
श्वेता - इनाम
मैं - बस इतना सा ?
श्वेता ने मेरे दुसरे गाल पर भी किस कर लिया।
मैंने अपने होठ आगे कर लिए और कहा - कोई और होता तो इनाम यहाँ देता।
आज मेरी किस्मत अच्छी थी। श्वेता ने मेरे होठो को पर हल्का सा किस दिया। बस होठ से होठ सटा दिया। मेरे लिए अभी यही काफी था। मेरे अंदर उसके सॉफ्ट कोमल होठों के टच से ही हलचल होने लगी। एक झटका सा लगा था।
उसने कहा - अब खुश ?
मैंने कहा - पूरी तरह से तो नहीं पर अभी ठीक है। एकदम रिचार्ज हो गया हूँ। अब तो मैं रेम्बो से भी लड़ लू
श्वेता मुश्कुराते हुए - मेरे लिए तो तुम्ही रेम्बो हो।
मैंने गाडी में रोमांटिक गाना लगा दिया जिस पर हम दोनों गुनगुना भी रहे थे। लग रहा था जैसे दो प्रेमी जोड़े लॉन्ग ड्राइव पर निकले हों। गाडी चलाते चलाते ही मैंने श्वेता के हाथों पर हाथ रख दिए , जिस पर श्वेता ने कोई ऑब्जेक्शन नहीं किया बल्कि अपना दूसरा हाथ मेरे हाथों पर रख दिया। कुछ देर चलने के बाद मुझे मस्ती सूझी , मैंने गाडी एकदम से धीमी कर ली।
श्वेता - क्या हुआ ?
मैं - वो रिचार्ज ख़त्म हो गया है।
श्वेता ने गाडी के मीटर की तरफ देखा और कहा - अभी पेट्रोल पूरा है।
मैं - अरे वो नहीं , जो तुमने कुछ देर पहले रिचार्ज किया था वो।
श्वेता - तुम बड़े बदमाश हो। अब नहीं मिलेगा रिचार्ज।
मैं - ठीक है , फिर गाडी कुछ देर में बंद भी हो सकती है।
श्वेता असमंजस में थी। फिर कुछ सोच कर उसने मेरे गाल पर किस कर लिया। इस बार थोड़ा वेट किस था।मैंने गाडी किनारे की।
मैंने उसकी तरफ देखा और कहा - ये वाला रिचार्ज जल्दी ख़त्म हो जाता है। दूसरा वाला देर तक रहता है। कह कर मैंने अपने होठ उसकी तरफ कर दिए। उसने इस बार मेरे होठो पर किस किया। पर ये किस पिछले किस से अलग था। देर तक था और श्वेता मेरे होठों को चूस रही थी। अब हम दोनों एक पैशनेट किस करने लग गए थे। श्वेता की धड़कन तेज थी। उसने पहली बार किसी मर्द को किस किया था। मैंने कईओं को किया था पर सब विवाहित थी। एक कमसिन अनछुई लड़की को पहली बार किस कर रहा था। हम दोनों काफी देर तक एक दुसरे से लिपटे रहे। साँसे फूलने के बाद श्वेता ने मुझे छोड़ा और तेज धड़कन से नजरें नीचीं कर लीं।
मैं - उफ्फ्फ , ऐसा रिचार्ज मिले तो मेरी गाडी कभी रुके ही नहीं।
पर इस किस के साथ यही लगता था श्वेता की चूत ने पानी छोड़ दिया था। मेरा लैंड भी पूरा खड़ा था।
उसने कहा - अब कहीं अच्छे से ढाबे पर रोक लेना।
मैं - फिर भूख लग गई ?
श्वेता - अरे नहीं पागल , शुशु जाना है।
उसने फिर पीछे डिग्गी खोलने को कहा। मैंने कहा - क्या हुआ ?
श्वेता - कुछ निकलना है।
मैं - क्या ? फिर मुझे ख्याल आया। मैंने कहा - पीरियड्स आ गए क्या ?
श्वेता - नहीं बुद्धू। अस तू खोल दे।
मैंने डिग्गी खोल दी। श्वेता ने फिर अपने बैग से एक पैंटी निकाली और पर्स में रख लिया।
मैंने देख लिया था। मैंने कहा - गीली हो गई क्या ?
श्वेता ने नजरें झुका ली - इतना रिचार्ज लोगे तो मेरा डिस्चार्ज होगा ही न।
मैं - मेरा भी होने को तैयार है।
श्वेता - फिर निकाल लो।
मैं - तुम कर दो न।
श्वेता - जितना मिला है। उतने से संतोष करो वर्ण वो भी नहीं मिलेगा। अब जल्दी चलो , मुझे जोर की आई है।
मैं फटाफट गाडी आगे बढ़ा लेता हूँ। आगे एक अच्छे ढाबे पर मैंने गाडी रोक दी। हम दोनों बाथरूम की तरफ बढ़ चले। मेरा लंड पानी छोड़ने को तैयार था , पर मैंने उसे शांत कर लिया था। मैं शुशु करके वापस आ गया। कुछ देर बाद श्वेता भी आ गई।
श्वेता ने कहा - अब तगड़ा वाला रिचार्ज दिया है सीधे गाडी घर पर रोकना।
मैं - जो हुकुम मेरे मालिक।
श्वेता हंस पड़ी।
Hmmm good update. Shweta bhi ab ready hai.
 

Premkumar65

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हम शाम तक वैसे ही मस्ती करते घर पहुँच गए। अब आपको अपने गाओं और घर के बारे में थोड़ा बता दू। गाओं में पिताजी और चाचा ने पक्का मकान बनवा लिया था। घर के बाहर एक बरामदा था जो बैठकी का भी काम करता था। उसके बाद भी बाहर काफी जगह थी। एक तरफ गायों को बांधने की जगह थी। वहीँ दो तीन गायें भी बंधी रहती थी। बरामदे में दो तीन तखत बिछे रहते थे। बाहर के मर्द वहीँ आकर बैठते थे। चाचा भी वहीँ सोते थे। वो घर के कम ही आते थे।
घर के अंदर बड़ा सा आंगन था और चरों तरफ बरामदा सा बना था। बरामदे में भी एक तखत रखा था और लकड़ी की कुर्सियां और टेबल। एक कोने में घेर कर बाथरूम बना हुआ था जिसके बाहर ही हैंडपंप लगा हुआ था। दूसरी तरफ किचन था। बाकी दो तीन कमरे नीचे ही बने हुए थे। छत पर सिर्फ एक कमरा था वार्ना ये काफी खुला था और वहां से दूर दूर तक खेत और आस पास के मकान दीखते थे। ऐसे पक्के मकान कम ही थे गाओं में वार्ना अधिकांशतः घर कच्चे थे या पुराने बने हुए पक्के मकान थे।
घर से दूर हमारा खेत था। हमारे सारे खेत एक तरफ आस पास ही थे। पापा ने बहुत पहले वहां भी एक छोटा कमरा बनवा दिया था ताकि जरूरत पड़ने पर वहां भी रुका जा सके। वहां एक कोने में फलों का बगीचा था। वहां खेतों के लिए एक ट्यूबवेल बनवा दिया गया था जिसमे दो होदे थे। उनमे से एक तो छोटा मोटा स्विमिंग पूल जैसा ही था। बचपन में मुझे याद है वहां हम खूब मस्ती किया करते थे। गर्मी की छुट्टियों में वहीँ नहाना और बगीचे से आम तोड़ कर खाना यही काम था। हम शहर से आते थे तो हमारी बदमाशियों पर कोई कुछ कहता भी नहीं था।
मेरे गाओं में कोई ख़ास दोस्त नहीं थे। हम सब भाई बहन ही आपस में बहुत मस्ती कर लिया करते थे।
चूँकि श्वेता का बचपन गाओं में बीता था तो उसकी कुछ सहेलियां वहां थी। पर लगभग सभी की शादी जल्दी हो गई थी।
वैसे तो चाचा और चाची अपना सारा काम खुद ही किया करते थे पर मदद के लिए गाओं के ही एक गरीब किसान की पत्नी और उसकी लड़की घर आ जाया करते थे। वो किसान और उसके लड़के चाचा की खेतों में भी मदद कर दिया करते थे। बदले में चाचा उनको अनाज और पैसे भी दिया करते थे। वो लोग हमारे दादा जी के समय से ही हमसे जुड़े थे और सबको खूब मानते थे।
हम जैसे ही घर पहुंचे चाचा और चची बहुत खुश हुए। मैंने और श्वेता ने उनके पैर छुए। चाचा ने कुछ देर बरामदे में मुझसे बातें की। सबका हाल चाल पुछा। श्वेता भी चाचा को देख इमोशनल थी। वो भी कुछ देर वहीँ बैठी बातें करती रही।
चाची कुछ देर बाद बोली - अभी ये दो तीन दिन हैं। बातें करते रहना। अभी थके मांदे आएं हैं। थोड़ा हाथ मुँह धोकर कुछ खाने पीने दो ।
चाचा - हाँ हाँ। तुम लोग अंदर जाओ। हाथ मुँह धो कर चेंज करो और खाओ पियो।
चाची हमें पकड़ कर अंदर ले गई। श्वेता अंदर जाते ही बाथरूम में घुस गई और मैं कुर्सी पर बैठ गया। चाची भी मेरे बगल में बैठ गई।
उन्होंने धीरे से मुझसे पुछा - क्या जादू किया है लल्ला तुमने श्वेता पर। अभी पिछले हफ्ते तक तो तुझसे बहुत नाराज थी। फ़ोन पर तेरे बारे में पूछने पर गुस्सा हो जाय करती थी। आज बहुत खुश है तुम्हारे साथ।
मैं - सब तुम्हारा आशीर्वाद है चाची।
चाची - कहाँ तक खुश किया है उसे ?
मैं - बस बातों तक ही। बाकी कुछ भी करने में डर ही लगता है। बड़ी गुस्सैल है।
चाची - हाँ। पर सोच समझ कर धीरे धीरे आगे बढ़ेगा तो खुद को सौंप देगी।
मैं चाची का हाथ पकड़ कर बोला- चलो उसकी तो ले लूंगा। पर आप कब सौंप रही हो।
चाची - बड़ा बेसब्र हो रखा है। थोड़ा आराम तो कर लो। थके हुए होंगे।
मैं - आपको देख कर थकान मिट जाती है।
चाची शर्माते हुए - तू भी खूब बातें बनाना सीख गया है। चिंता न कर तेरी थकान मैं मिटा दूंगी।
श्वेता भी बाथरूम से निकल आई। वो अंदर कमरे में चेंज करने चली गई। और मैं बाथरूम में फ्रेश होने।
जब मैं बाहर आया तो श्वेता चाची के पास कुर्सी पर बैठी थी।
जब मैं चेंज करके आया तो चाची ने आवाज दी - अरे रजनी खाने का तो लेकर आ।
श्वेता चौंक पड़ी - अरे रजनी है क्या ?
तभी किचन से एक कमसिन सी लड़की ट्रे में खाने पीने का सामान लेकर आई। उसने टेबल पर सब सामान रखा। उसे देखते ही श्वेता ने उसे गले लगा लिया। लड़की के शरीर पर गाओं के अनाज का असर था। उसने एक लम्बी सी फ्रॉक पहन रखी थी। पूरी जवान हो रखी थी। मैंने चाची की तरफ देखा तो वो बोली - अरे ये दुलारी की बेटी है। इसके बाउजी और भाई देवा हमारे खेतों में काम करते हैं। और ये दोनों माँ बेटी मेरी मदद कर देती हैं।
रजनी भी श्वेता से मिलकर खुश थी। वो वापस कितेचेन में चली गई और कुछ और खाने का कुछ और सामान लाने के लिए।
अबकी श्वेता ने उसे पास में ही बिठा लिया।
उसके मांग में सिन्दूर देख श्वेता ने कहा - क्या रे तेरी भी शादी हो गई क्या ?
रजनी ने शर्माते हुए कहा - हाँ पिछले साल ही बापू ने कर दी। अब जल्द ही गौना भी हो जायेगा।
श्वेता - पर तू तो मुझसे भी छोटी है।
चाची बोल पड़ी - तू बच्ची नहीं है। २४ की होने वाली है। कॉलेज हो जायेगा तेरा। तेरी साड़ी सहेलियों के तो बच्चे भी हो रखे हैं।
रजनी - वो आपकी सहेली मुनमुन दी हैं न उनके तो दो दो हो गए हैं। आजकल आई हुई हैं।
श्वेता - वह। कल मिलूंगी उससे। सही समय पर आई हूँ। सबसे मुलाकात भी हो जाएगी।
फिर हम सब नाश्ता करने लगे। चाची वहीँ नीचे बैठ गई और मेरे पैर दबाने लगीं।
बोली - थक गया होगा मेरा लाल।
मैंने कहा - अरे चाची ये क्या कर रही हो। रहने दो।
चाची - चुप रहो। मेरे अपने होते तो नहीं दबाती क्या ? तेरी अम्मा नहीं दबाती है।
ये सुन श्वेता तपाक से बोल पड़ी - थकी तो मैं भी हूँ।
मैं बोला - गाडी मैं चला कर आया हूँ। महारानी बैठ कर आई है और थक गई हैं।
श्वेता - अच्छा जी, गाडी भी ठीक से चलानी नहीं आती। तभी लड़ाते लड़ाते बचे।
चाची - अरे क्या हुआ था। कहीं चोट तो नहीं आई।
फिर मैंने और श्वेता ने साड़ी कहानी सुनाई। बस किस वाली बात छुपा ली। पर सुनाते सुनाते दोनों मुश्कुरा रहे थे। चाची को कुछ तो समाजः आया पर उन्होंने रजनी के सामने पूछना ठीक नहीं समझा।
खाने और कहानी के बाद चाची ने रजनी से कहा - अपनी माँ को भेज देना रात को , बच्चों की मालिश कर देंगी।
रजनी - ठीक है काकी। अच्छा मैं चलती हूँ। खाने का सब सब कर दिया है। बस गरमा गरम रोटियां सेंकनी होगी आपको।
चाची - ठीक है। तू जा अब।
Dulari aur Rajni bhi sexy maal hain gaon ki.
 

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मैं कमरे में पहुँच कर चाची का इंतजार करने लगा। चाची कुछ देर बाद ट्रे में एक बड़ा गिलास दूध का और एक कटोरी में गरम सरसों का तेल लेकर आई। मैं उनके बेड पर एक लुंगी और बनियान में लेटा हुआ था। चाची ने ट्रे बेड के बगल में रखे टेबल पर रखा और अपनी साडी मेरे सामने उतार दी। वो सिर्फ पेटीकोट और ब्लॉउस में थी।
उन्होंने मुझसे कहा - चल दूध पी ले फिर मालिश कर दू।
मैंने कहा - अपने वाले पिलाओ न।
चाची - वो भी दूंगी , पहले ये तो पी ले।
मैं झट से पूरा गिलास एक ही बार में खाली कर गया। अब चाची मेरे बगल में तेल की कटोरी लेकर बैठ गई। उन्होंने मेरी लुंगी ऊपर कर दी और मेरे पैरों की मालिश करने लगीं। वो सिर्फ ब्लाउज में थी तो जब झुक कर मालिश करती तो उनके मुम्मे एकदम लटक कर बाहर आने को बेताब हो जाते। एक दो बार मैंने उन्हें पकड़ने की कोशिश की तो चाची हैट जाती। एक तरह से वो मुझे रिझा रही थी।
उन्होंने पैरों की मालिश के बाद मुझे बनियान उतारने को कहा।
मैंने कहा - चाची आप वैसे ही मालिश करो न जैसे वहां घर पर किया था।
चाची - कैसे बाबू ?
मैं - बदन से बदन लगा कर।
चाची - धत्त। मेरे बदन में भी तेल लग जायेगा।
मैं - सही तो है। तुम्हारी भी मालिश हो जाएगी।
चाची - मालिश करेगा या फिर तू चोदेगा।
मैं - चोदूगा तो वैसे भी।
चाची - तू बहुत बदमाश हो गया है। ठीक है। बनियान तो उतार।
मैं झट से बनियान उतार कर उल्टा लेट गया। चाची ने अपना ब्लाउज उतार दिया। उन्होंने मेरे पीठ पर खूब सारा तेल उड़ेल दिया और अपने पैर मेरे कमर के दोनों तरफ करके मेरे कमर पर बैठ गई। फिर उन्होंने खुद को झुकाया और अपने मुम्मे मेरे कमर के बस थोड़े ऊपर सटाते हुए उसे मेरे पीठ से रगड़ते हुए मेरे गर्दन के पास तक ले आईं। फिर उन्होंने अपने बदन मेरे बदन से रगड़ते हुए नीचे की तरफ किया। चाची के नरम नरम मुम्मे मेरी पीठ पर रगड़ खाते हुए मेरे मालिश कर रहे थे। मुझे तो लग रहा था जैसे मेरे पीठ पर दो गरम सॉफ्ट बॉल ऊपर नीचे किये जा रहे हों। चाची के निप्पल भी इस रगड़े से तन गए थे। वो मालिश के साथ साथ सिसकारियां भी लेर रही थी।
चाची - आह , बाबू कैसा लग रहा है ? मालिश ठीक है न
मैं - आह चाची बदन दर्द तो ख़त्म हो गया है। अब तो दर्द कहीं और हो रहा है।
चाची - बता न कहा दर्द हो रहा है। वहां भी मालिश कर दूंगी।
मैं - अब तो बस लंड में हो रहा है चाची।
चाची - चल उसकी भी मालिश कर दू।
चाची ने मुझे सीधा कर दिया और फिर से मेरे कमर के ऊपर आ गई। उन्होंने मेरे लंड को अपनी चूत की फैंको के बीच कर लिया और मेरे लंड को बिना चूत के अंदर डाले ही अपनी कमर आगे पीछे करने लगीं। उन्होंने अपने चूत से मेरे लंड की मालिश करनी शुरू कर दी थी।
मैंने उनके लटके हुए मुम्मो को अपने हाथो में ले लिया और उन्हें दबाने लगा।
चाची - आह आह , कैसा लग रहा है लल्ला। दर्द कुछ कम हुआ ?
मैं - हाँ चाची। मजा आ रहा है। दर्द काम हो रहा है। कमाल की मालिश करती हो तुम भी। पहले वहां क्यों नहीं किया ?
चाची - मौका ही नहीं मिला अभी तक बिटवा। अब देखना कितना ख्याल रखूंगी तुम्हारा। आह आह। जरा तुम भी मेरे मुम्मो की मालिश करो जरा दबाओ। वहां से आने के बाद किसी मरद ने हाथ नहीं लगाया है।
मैं - जरूर चाची। तुम्हारे मुम्मे तो स्पंज की तरह हैं। क्या कहते हैं स्पंजी रसगुल्ला। खा लूँ क्या ?
चाची - तेल लगा है अभी। कल खाना। अभी तो बस हाथ से दबा कर रस निकालो। आह आह थोड़ा निगोड़ी चुचकों को भी खींचो न
मैंने उनके निप्पल उमेठने शुरू कर दिए। अब चाची की चूत पानी छोड़ रही थी। मेरा भी प्री कम आ चूका था। हम दोनों अब चुदाई का असली खेल शुरू करने वाले ही थे।
चाची - लल्ला दर्द काम हुआ।
मैं - हाँ। ख़त्म है ,
चाची - पर मेरी चूत तो कराह रही है।
मैं - तो इंजेक्शन ले लो न। मेरा सिरिंज तैयार है।
चाची - लेना ही पड़ेगा।
चाची अबकी उल्टा हो गई। उनकी पीठ मेरी तरफ हो गई। उन्होंने अबकी अपने कमर को थोड़ा ऊपर उठाया और है से मेरे लंड को अंदर ले लिया।
चाची - हाय रे राज। तेरा गधे जैसा लंड अंदर आग लगा देता है।
चाची अब मेरे ऊपर उछलने लगी थी और मैं उनके भारी भरकम गांड को दबा रहा था।
चाची - आह आह। क्या मस्त लौंडा है रे तेरा। कोई भी इसे लेकर पगला जायेगा। बेवक़ूफ़ ही होगा जो इसे देख कर नहीं चुदने से रुक जाये।
मैं - कहाँ चाची। तुम्हारी बिटिया चुदने को तैयार ही नहीं है।
चाची - वो भी चुड़ेग। जल्दी ही चुदेगी। पर कोई संभाल कर लेना उसकी। फट जाएगी वरना।
मैं - आह आह तुम्हारे सामने ही लूंगा। तुम ही संभाल कर लिवाना।
चाची - हाँ। ले लेना उसकी। बहनचोद तो तू है ही। इससससस आह आह।
चाची ने स्पीड बढ़ा ली थी। हम दोनों अपने चरम पर आने वाले थे।
तभी चाची ने बोला - वैसे तेरे लिए दुलारी भी तैयार है।
मैं - दुलारी को तो देखा नहीं पर रजनी मस्त माल है।
चाची - हाँ और कुंवारी भी है। कल ही फाड़ दे उसकी।
मैं - देगी क्या ?
चाची - एक बार दिखा दे ब। कूद कर लेगी।
अब मेरा लंड पानी छोड़ने वाला था।
मैं - चाची स्पीड बढ़ाओ। मेरा माल आने वाला है।
चाची ने कूदने की स्पीड बढ़ा दी। कमरे में हमारी आहों के अलावा पलंग की चीं चा की आवाज भी तेज हो गई। कुछ ही झटको में हम दोनों खलाश हो गए। चाची एकदम से मेरे पैरों की तरफ झुक गई।
तभी कमरे के ब्याह भी हमें एक आह सी सुनाई पड़ी।
मैंने कहा - कौन है ?
चाची उठ कड़ी हो गईं। किसी के भागने की आवाज आई। मैंने चाची से कहा - चाचा ने तो नहीं देख लिया हमें।
चाची - नहीं। उन्हें शख्त हिदायद दे राखी है जब तक तू है अंदर कदम भी नहीं रखेंगे। वैसे भी दरवाजा बंद है।
फिर मैं बाहर वैसे ही नंग धडंग निकल पड़ा। चाची भी बिना कपडे के निकल पड़ी।
मैंने कहा - छत से कोई चोर तो नहीं आया था।
चाची ने कुछ देर सोचा और फिर दरवाजे के पास पड़ी पैंटी देखि। उठा कर मुझे देते हुए कहा - तेरी बहन देख रही थी हमारी चुदाई।
मुझे भी मस्ती सूझी। मैंने उनके हाथ से पैंटी ली और श्वेता के कमरे की तरफ चल पड़ा। जल्दीबाजी में वो अपने कमरे का दरवाजा बंद करना भूल गई थी। कमरे में घुसते ही मैंने लाइट जला दी। मैंने देखा श्वेता जगी हुई थी और उसने अपना सलवार बस ऐसे ही चढ़ा रखा था। बल्कि कुरता भी उसमे फंसा हुआ था। जल्दीबाजी में वो कपडे भी नहीं पहन पाई थी। उसने अपनी आँखे जबरदस्ती भींची हुई थी।
मैं उसके पास गया और उसके गाल को सहला कर बोला - तेरी पैंटी रख लू।
उसने झट से आँखे खोल ली और मेरे हाथ से अपनी पैंटी खींच ली। उसने फिर मुझे नंगा देख आँखे बंद कर लिया।
श्वेता - तुम बड़े बद्तमीज हो। रात में लड़की के कमरे में ऐसे नंगे चले आये।
मैं - तुम बहुत शरीफ हो अपनी माँ की चुदाई देख रही थी।
श्वेता - तुम दोनों शोर ही इतना कर रहे थे। नींद खुल गई।
मैं - अब मजा आएगा तो शोर होगा ही। पर तुम्हारी गीली चाढ़ि देख कर लग रहा है मजा तुम्हे भी खूब आया है।
श्वेता - भागो यहाँ से। सोने दो।
चाची ने कहा - चलो मेरी बेटी को परेशान मत करो।
श्वेता - हाँ हाँ जाओ माँ चोद लो चोदू लाल।
मैं - एक बार फिर से बोलो चला जाऊंगा।
श्वेता - जाओ अपनी माँ चोद लो , चाची चोद लो चोदू।
मैंने झुक कर उसके गाल पर एक पप्पी दी और कहा - जल्दी तुम्हे भी चोदूंगा।
श्वेता - भागो , अभी माँ चोद लो।
मैंने जाते जाते कहा - फिल्म देखनी हो तो सीधे थिएटर के अंदर आना। चोरु छुपे मत देखना। हम देखने के पैसे नहीं लेंगे।
मैं और चाची हँसते हुए वापस उनके कमरे में चले गए।
उस रात चाची ने मुझसे फिर अपनी चूत भी चटवाई और एक राउंड कुतिया बन कर मुझसे चुदवाया। चाची की हवस देख लग रहा था की बहुत दिनों बाद चुद रही थी।
हम दोनों रात कब सोये मुझे पता भी नहीं चला। पर सुबह मेरी नींद बच्चे के रोने की आवाज से खुली।
Chachi to bahut mast hain Apni beti ko hi chudwane ko tayyar hain. Bilkul meri chhoti mausi ki tarah Jinhone mere liye bahut si chuton ka intezaam kiya tha.
 

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दोनों के जाते ही चची और मैं एक दुसरे की तरफ देख हंस पड़े। मैंने फिर चाची को बाँहों में भर लिया और वहीँ रखे तखत की तरफ खींचते हुए कहा - जरा दूध पिलाओ न।
चाची - लगता है मुनमुन गरम कर गई तुझे।
मैं - एकदम गदराई माल है। ऐसे खोल कर दूध दिखाएगी तो कौन नहीं गरम होगा।
चाची ने कहा - उसके बात से लगता है तुझे दे देगी। वैसे भी श्वेता ने जो लास्ट में कहा उससे उसके चूत में खलबली तो मच ही गई होगी।
मैं - हाँ पता नहीं श्वेता भी गुस्से में कैसे ऐसा बोल गई।
चाची हँसते हुए - जाओ वो तुम्हारा खेत में इन्तजार कर रही होगी। वार्ना उसका गुस्सा शांत नहीं होगा। तब तक श्वेता को फ़ोन मेरे फ़ोन पर आ ही गया।
श्वेता - राज , टूबवेल पर नहाना है तो कपडे लेकर आना।
मैं - वह - ट्यूबवेल चल रहा है क्या ?
श्वेता - पापा से कह कर चलवाया है। सुनो माँ से मेरे कपडे भी मांग लेना।
मैंने चाची से श्वेता के कपडे मांगे और अपने कपडे भी लिए। सब झोले में रख कर मैं निकलने लगा।
चाची - दोपहर में मैं वहीँ खाना लेकर आ जाउंगी।
मैं - मजा आएगा। दूध दोगी न तब।
चाची - दूध तो तेरे ही हैं लल्ला। पी लेना।
मैं गाओं की गलियों से होता हुआ अपने खेल की तरफ चल पड़ा। वहां खेतो के बीच में चाचा ने एक मिनी फार्म हाउस टाइप बना रखा था। चारों तरफ ऊँची दिवार थी। उसी में एक तरफ कुछ आम और बाकी फ़ोन के पेड़ थे। एक पेड़ पर झूला लगा रखा था। एक कोने में ट्यूबवेल बना हुआ था। जो की पास के दिवार के नाले से बाहर खेतों की तरफ जाता था। ट्यूबवेल से ही सटे एक कमरा बना हुआ था। जिसमे एक बेड और गद्दा बिछा हुआ था। दुसरे कोने में एक गोदाम सा बना हुआ था जिसमे अनाज रखा जाता रहा होगा।
मैं ये सब देख कर खुश हो गया। गेट से अंदर गया तो देखा श्वेता झूला झूल रही थी। मुनमुन भी वहीँ थी। दोनों से सलवार सूट पहना हुआ था। मुनमुन को देख मेरा लैंड फिर से खड़ा होने लगा। वैसे तो उम्मीद थी की श्वेता वहां अकेली होगी। मैंने सोचा था ट्यूबवेल में उसके साथ मस्ती करूँगा पर यहाँ तो दोनों सहेलियां मजे ले रही थी। मैं पास में बने एक सीमेंटेड बेंच पर बैठ गया। दोनों एकदम बच्चों की तरह मस्ती में थी।
मैंने मुनमुन से पुछा - दोनों बच्चे कहा हैं ?
मुनमुन - माँ के पास छोड़ आई हूँ। अब इतने दिनों बाद दोस्त मिली है कुछ तो बचपन की याद ताजा की जाए।
श्वेता - सच में कितने मजे करते थे न हम।
मुनमुन - तेरे जाने के बाद चाचा ने ये झूला उतार दिया था। तेरे आने की खबर सुन कर परसों ही लगवाया है।
वहां हम तीनो के शिव कोई नहीं था। मैंने पुछा - चाचा कहाँ हैं ?
श्वेता - पापा खेतों की तरफ गए हैं। हम यहाँ आने वाले थे तो बाकियों को आने से मना किया है ।
श्वेता फिर से झूला झूलने लगी। मुनमुन उसे पीछे से पेंग दे रही थी। जब वो धक्के देकर झुकती तो उसके चौड़े चौड़े गांड बाहर की तरफ निकल आते। वैसे ही उसके भारी मुम्मे भी जोरदार तरीके से हिलते। मेरा मन कर रहा था की बस पीछे से जाकर दबोच लून और वहीँ पेल दू। वो बीच बीच बीच में पीछे मुड़ कर मुझे भी देखती। उसे पता था की मैं चुदास हो रखा हूँ। तभी अचानक से श्वेता झूले से फिसल के सामने की और गिर पड़ी। उसके गिरते ही मैं दौड़ कर उसे उठाने गया। मुनमुन भी दौड़ पड़ी। गनीमत थी की चाचा ने मिटटी खुदवा राखी थी उसे ज्यादा चोट नहीं आई पर कमर के बल गिरने से उसे कमर में दर्द हो रहा था। मैंने तुरंत उसे गोदी में उठा लिया और कमरे की तरफ चल पड़ा। मैंने मुनमुन से कहा - जाओ चाची से पूछो आयोडेक्स या कोई और क्रीम है क्या ?
श्वेता - अरे जाने दे , थोड़ी सी लगी है ठीक हो जाउंगी।
मैंने कहा - जाओ तुम लेकर आओ। पर ये मत कहना ये गिरी है वरना परेशान हो जाएँगी।
मुनमुन घर की और चली गई। मैंने श्वेता को वहीँ बिस्तर पर लिटा दिया और उसका कुरता ऊपर करने लगा। मैंने सोचा मालिश कर दू।
श्वेता - आह। ये क्या कर रहे हो। जाने दो। कोई आ जायेगा। अभी मुनमुन आएगी तो क्रीम लगा लुंगी। वैसे भी हल्का दर्द है मिटटी पर गिरी हूँ।
मैं - चुप चाप लेती रहो। थोड़ा मालिश कर दूंगा तो सही हो जायेगा।
श्वेता बेबस थी। उसे मेरे फ़िक्र पर प्यार आने लगा था। उसने कहा - अच्छा दरवाजा तो बंद कर दो कोई आ जायेगा।
मैंने दरवाजा बंद कर दिया और वापस जाकर उसके कुर्ते को कमर से ऊपर करके कमर पर हल्का हल्का सहलाने लगा।
कुछ देर बाद वो सिसकी लेते हुए बोली - रहने दो अब ठीक है।
मई उसके गोरे गोरे कमर पर फिसल चूका था। मैंने कहा - कुरता थोड़ा और ऊपर कर लो। पीठ भी मालिश कर देता हूँ। चोट आई होगी।
श्वेता भी कुछ नहीं की। उसने अपना बदन हलके से उठाया और कहा - कर लो।
मैंने उसके कुर्ते को उठा कर गर्दन तक कर दिया और अब कमर के साथ साथ पुरे पीठ की मालिश करने लगा। श्वेता ने आँखें बंद कर ली थी।
मैंने उसके गोरे गोरे पीठ को अब चूमना भी शुरू कर दिया था। श्वेता सिसकियाँ ले रही थी। मैंने उसके ब्रा का हुक खोल दिया और उसके पुरे पीठ पर चीभ फेरना शुरू कर दिया था।
श्वेता की चूत पानी छोड़ने लगी थी। श्वेता ने दबी आवाज में कहा - रहने दो भाई , अब बस करो।
मैं - करने दे न। अच्छा नहीं लग रहा है क्या ?
श्वेता - दर्द तो चला गया।
मैं - मजा
श्वेता - बहुत आ रहा है। डर लग रहा है कुछ गलत न हो जाये। रहने दो।
मैं - हो जाने दो न।
श्वेता - अभी नहीं।
हम दोनों मस्ती में दुबे हुए थे। श्वेता के मन में झिझक थी पर वो आगे बढ़ना भी चाह रही थी। मैं तो बस किसी तरह से अपने पर काबू पाए हुए था।
तभी दरवाजे पर खटखटाने के साथ मुनमुन की आवाज आई।
श्वेता और मैं दोनों हड़बड़ा उठे। श्वेता ने झट से अपने ब्रा के हुक को लगा कर कुरता सही कर लिया। मैं किसी तरह से अपने पेंट में बने टेंट को ठीक करता हुआ दरवाजा खोलने गया।
दरवाजा खुलते ही मुनमुन अंदर घुसते हुए बोली - भाई से सेवा करवा लिया हो तो बहन से भी करवा लो।
श्वेता कुछ नहीं बोली। मुनमुन के हाथ में तेल के सीसी थी। उसने श्वेता को वापस उल्टा लेटा दिया और उसका कुरता एकदम ऊपर तक करते हुए तेल हाथ में लेते हुए बोली - चाची ने तेल दिया है और कहा है इसे लगाते ही ठीक हो जाओगी। पर मुझे लगता है मालिश इतनी बढ़िया हुई है की दर्द तो रहा नहीं होगा।
श्वेता - हाँ। अब दर्द नहीं है। रहने दे।
मुनमुन - हाँ। ऐसा मालिश करने वाला हो तो दर्द कहीं का ख़त्म होता है और कहीं जाग जाता है। मुझे मिले तो मैं भी करवा लूँ।
श्वेता - तो करवा ले न। भाई कर दो इसकी भी मालिश भगा दो इसका दर्द।
मेरा लंड वैसे ही शांत नहीं हो रहा था इनकी बातें सुन और खड़ा हो गया।
मुनमुन ने मेरे लंड की तरफ देखते हुए कहा - तू की करवा अपने भाई से अपना दर्द दूर। मुझे तो डर लग रहा है। तेरा भाई बड़ा है।
श्वेता - ये भी बड़ा है और इसका वो भी। अंदर तक करेगा। वैसे भी मालिश के बदले ताजे दूध का इनाम भी दे देना। थोड़ी ताकत भी आ जाएगी।
मुनमुन - ना रे। मैं ऐसे ही ठीक हूँ। बाकी दूध का क्या है ? ताजा दूध पीना चाहे तो पी ले।
श्वेता - क्यों भाई क्या कहते हो ?
मैं वैसे ही अपने लंड से परेशान था। दोनों एकदम चुदास होकर मुझे उत्तेजित किये जा रही थी।
मैंने कहा - मालिश भी कर दूंगा। दूध मिले तो खोद के पानी भी निकाल दू।
मुनमुन - पानी तो पहले से ही निकला रहा है भाई। यहाँ तो ट्यूबवेल चालु है।
मैं - एक्स्ट्रा पंप करके और पानी निकल दूंगा।
श्वेता उठाते हुए बोली - तुम दोनों को पानी निकलना हो , खेत जोतना हो या चोदम चुदाई करनी है जो चाहो वो करो। मेरा दर्द तो गया। मैं चली नहाने।
मुनमुन - अरे रुक मुझे घर जाना है। लड़के काफी देर से अकेले होंगे। दूध तो हमेशा तैयार रहता है। तेरे भाई को फिर पीला दूंगी। तुम दोनों ट्यूबवेल में मजे लो।
श्वेता - तेरी मर्जी।
मुनमुन मेरे पास से गुजरते हुए बोली - दुखी मत हो राजा। पी लेना गैलन भरा है मेरे दूध में। अभी अपनी छमक छल्लो से मजे लो।
मैं - इंतजार रहेगा। बहुत प्यास है। ताजा दूध पिए बहुत साल हुए।
मुनमुन - कल यही, इसी वक़्त।
मुनमुन फिर चली गई।
Wah chuton ki barsat ho rahi hai gaon me.
 
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