बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक प्रारंभ हैं भाई कहानी के प्रथम अध्याय काअध्याय १
चंदनपुर की शाम धीरे-धीरे गहराती जा रही थी। गाँव की गलियाँ अब खाली हो चुकी थीं, सूरज खेतों के पीछे डूब चुका था, और हवा में ठंडक फैल रही थी और घरों से चूल्हों का धुआँ उठता हुआ दिख रहा था। चंदनपुर में दिन की मेहनत के बाद लोग अपने घरों में लौट आते थे अलोकनाथ और लीलावती का घर अभी भी गर्माहट से भरा था उनका कमरा, घर के पीछे की तरफ, छोटा लेकिन आरामदायक था। दीवारों पर पुरानी तस्वीरें लटकी हुई थीं उनकी शादी की, बच्चों के जन्म की और परिवार की खुशियों की। कमरे में एक बड़ा सा पलंग था, जिस पर सूती चादर बिछी हुई थी, और पास में एक छोटी सी मेज पर लालटेन जल रही थी, जो कमरे में हल्की-हल्की रोशनी फैला रही थी। बाहर दूर जंगल से आती हवा की सनसनाहट लेकिन अंदर का माहौल पूरी तरह अलग था, कमरे की हवा में एक मादक खुशबू थी जो लीलावती के शरीर से आ रही थी पलंग के नीचे पुरानी लकड़ी की आलमारी थी जिसमें परिवार की यादें भरी हुई थीं और खिड़की से हल्की हवा आ रही थी, जो पर्दों को हिला रही थी।
अलोकनाथ और लीलावती पलंग पर लेटे हुए थे। उनकी शादी को 25 साल हो चुके थे, लेकिन आज भी उनका प्यार वैसा ही था जैसे पहले दिन का, दोनों का प्यार समय के साथ और गहरा हो गया था शुरुआत के सालों की मासूमियत से शुरू होकर अब एक गहरी समझ और आपसी लगाव में बदल गया था।
अलोकनाथ, 46 साल का तगड़ा किसान, अपनी पत्नी लीलावती को अपनी मजबूत बाहों में कसकर पकड़े हुए था। उसकी छाती नंगी थी, और उसकी धोती नीचे सरक गई थी जिससे उसका मजबूत, तनावपूर्ण लिंग दिख रहा था उसकी बाजूएँ, जो दिनभर खेतों में काम करने से कड़ी हो गई थीं, लीलावती की कमर पर लिपटी हुई थीं। उसका चेहरा, जो दिनभर की थकान से भरा था अब प्यार की गर्माहट से चमक रहा था उसकी आँखें, जो आमतौर पर गाँव की पंचायत में सख्त रहती थीं, अब लीलावती के चेहरे पर टिकी हुई थीं और उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं। उसकी मूंछ और दाढ़ी में हल्की सफेदी थी लेकिन उसकी त्वचा अभी भी जवान थी, और उसके शरीर की गंध पसीने और मिट्टी की मिली हुई लीलावती को हमेशा आकर्षित करती थी। अलोकनाथ का शरीर उसके उम्र से काफी ज्यादा ताकतवर था और उसकी छाती पर हल्के बाल उसे और भी मर्दाना बनाते थे।
लीलावती, 43 साल की, अलोकनाथ की पत्नी, अर्धनग्न अवस्था में थी उसकी साड़ी का पल्लू सरक चुका था और ब्लाउज के बटन खुल गए थे जिससे उसके मोटे मोटे चूचे उजागर हो रहे थे उसकी मोटी गांड पलंग की चादर पर दबी हुई थी और उसकी कमर अलोकनाथ की बाहों में कसी हुई थी उसका सांवला रंग कमरे की हल्की रोशनी में चमक रहा था, और उसके लंबे काले बाल पलंग पर बिखरे हुए थे उसकी आँखें बंद थीं और उसके होंठ अलोकनाथ के होंठों से मिले हुए थे लीलावती का बदन बेहद गदराया हुआ था उसकी भारी छाती जो अलोकनाथ के स्पर्श से उभर रही थी और उसकी जांघें जो अलोकनाथ की जांघों से रगड़ खा रही थीं उसकी त्वचा नर्म थी और उसके शरीर से आने वाली सुगंध कमरे में फैली हुई थी। लीलावती की साँसें तेज़ थीं और उसकी उंगलियाँ अलोकनाथ की पीठ पर फिसल रही थीं जैसे वो हर स्पर्श को महसूस कर रही हो।
दोनों एक-दूसरे को चूम रहे थे, उनकी साँसें मिल रही थीं और कमरे में एक गर्म, अंतरंग माहौल था। अलोकनाथ ने लीलावती के होंठों पर अपने होंठ दबाए, और उसकी गर्दन पर चूमते हुए नीचे की तरफ बढ़ा उसकी उंगलियाँ लीलावती की कमर पर फिसल रही थीं और वो उसके शरीर की हर वक्र को महसूस कर रहा था। लीलावती की सिसकारी निकली, "आज फिर से वो पुराना प्यार महसूस हो रहा है। 25 साल हो गए लेकिन ऐसा लगता है जैसे कल की बात है।" उसकी आवाज़ में एक मिठास थी और उसकी आँखों में प्यार की चमक थी। अलोकनाथ ने मुस्कुराकर कहा, "लीला, तू मेरी जान है। इन 25 सालों में हमने कितनी मुश्किलें देखीं खेतों का सूखा, डेयरी फॉर्म की परेशानियाँ, बच्चों की परवरिश लेकिन हमारा प्यार कभी कम नहीं हुआ। तू मेरी ताकत है" लीलावती ने उसकी छाती पर हाथ फेरा, और उसके निप्पल्स को सहलाया। "उफ्फ आपकी ये मजबूत छाती, ये बाजूएँ मुझे हमेशा सुरक्षित महसूस कराती हैं। याद है, शादी के पहले दिन जब आप मुझे रात में ऐसे ही बाहों में लिए थे?" अलोकनाथ ने हँसते हुए कहा, "हाँ लीला, वो रात याद है तब हम जवान थे, और अब भी हैं। समय ने हमें और करीब ला दिया है।"
दोनों की बातें पुरानी यादों में खो गईं। लीलावती ने अलोकनाथ की गर्दन पर चूम लिया, और उसकी उंगलियाँ उसकी पीठ पर खरोंच मारने लगीं। अलोकनाथ की साँसें तेज़ हो गईं, और वो लीलावती की साड़ी की गांठ खोलने लगा। "लीला, तू कितनी सुंदर है, तेरी ये कमर मुझे पागल कर देती है।" लीलावती ने अपनी आँखें बंद कर लीं, और उसकी सिसकारी कमरे में गूँजने लगी। "आप मुझे चूमो और ज्यादा करीब आओ।" अलोकनाथ ने उसकी साड़ी पूरी तरह उतार दी और उसका नंगा बदन उसके सामने था उसके मोटे मोटे चूचे, मोटी गांड़ सब अलोकनाथ को ललचा रहे थे। वो उसकी छाती पर चूमने लगा और उसके निप्पल्स को मुँह में ले लिया। लीलावती की सिसकारी और तेज़ हो गई, "आह, धीरे से... कितना मजा आ रहा है।" उसकी उंगलियाँ अलोकनाथ के बालों में फँसी हुई थीं, और वो उसके सिर को अपनी छाती पर दबा रही थी। अलोकनाथ की जीभ उसके निप्पल्स पर घूम रही थी, और उसका हाथ उसकी योनि की तरफ बढ़ रहा था। "लीला, तू गीली हो गई है," वो बोला, और उसकी उंगली उसकी योनि में डाल दी। लीलावती की आह निकली, "आह और अंदर डालो"
अलोकनाथ ने अपनी धोती उतार दी, और उसका तनावपूर्ण लिंग बाहर आ गया उसका लिंग मोटा और लंबा था, और वो लीलावती की जांघों पर रगड़ने लगा। लीलावती ने उसे पकड़ लिया, और सहलाने लगी। "आपका कितना सख्त है जल्दी से मुझे ये अंदर चाहिए।" अलोकनाथ ने लीलावती की टांगें फैलाईं, और अपना लिंग उसकी योनि में घुसेड़ दिया। लीलावती की चीख निकली, "आह, जोर से चोदो मेरे राजा" दोनों की साँसें तेज़ हो गईं, और अलोकनाथ ने धक्के लगाने शुरू किए। पलंग की चरमराहट कमरे में गूँज रही थी, और उनकी सिसकारियाँ मिलकर एक संगीत बना रही थीं। लीलावती की आँखें बंद थीं, और वो अलोकनाथ की पीठ पर नाखून गड़ा रही थी, अलोकनाथ की गति बढ़ी, और वो लीलावती की छाती को चूमते हुए बोला, "लीला, तू मेरी जिंदगी है।" कमरे में पसीने की महक फैल गई थी, और दोनों का शरीर एक-दूसरे से चिपका हुआ था। अलोकनाथ की बाजूएँ लीलावती की कमर पर कसी हुई थीं, और उसकी जांघें उसकी जांघों से रगड़ खा रही थीं। लीलावती की सिसकारियाँ और तेज़ हो गईं, "आह, मैं आने वाली हूँ... और जोर से... रुकना मत" अलोकनाथ ने अपनी रफ्तार और बढ़ाई, और दोनों का शरीर काँपने लगा।
चुदाई के बीच में, जब दोनों का उत्साह चरम पर था, अलोकनाथ ने लीलावती के कान में फुसफुसाया। "लीला, सुनो मेरी एक ख्वाहिश है, मैं तुझे दो लंड का सुख देना चाहता हूँ।" लीलावती, जो अभी गर्मी में डूबी थी, ने हँसते हुए कहा, "आप पागल हो गए हो? ये क्या बात कर रहे हो?" अलोकनाथ ने अपनी गति जारी रखते हुए कहा, "नहीं लीला, मैं सच कह रहा हूँ। मैं चाहता हूँ कि किसी और मर्द के साथ तेरी दोहरी चुदाई करूँ। तुझे वो सुख दूँ जो तू कभी नहीं महसूस की।" लीलावती की आँखें बड़ी हो गईं, और वो थोड़ा पीछे हटी लेकिन अलोकनाथ की गति से वो रुक नहीं पाई। "आपको क्या हो गया है? ऐसी बातें क्यों कर रहे हो?" अलोकनाथ ने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया, "लीला, शादी को 25 साल हो गए, हम हमेशा एक ही तरह से जीते आए हैं। अब कुछ नया करना चाहिए, जीवन में थोड़ा रोमांच लाना चाहिए।"
लीलावती ने सिर हिलाया लेकिन उनकी अंतरंगता जारी थी। "लेकिन हम रोलप्ले में तो सब कुछ करते हैं वो कल्पनाएँ उसमें तो मजा आता है लेकिन असलियत में ऐसा जोखिम उठाना ठीक नहीं है।" अलोकनाथ ने पूछा, "जोखिम कैसा?" लीलावती ने सोचते हुए कहा, "इस बात की क्या गारंटी है कि कल को कोई हमें ब्लैकमेल नहीं करेगा? या गाँव में किसी को बता दिया तो? हमारी इज्जत क्या रह जाएगी? और हमारे बच्चे नंदिनी और बलवान अगर उन्हें पता चल गया तो क्या होगा? वो हमें कभी माफ नहीं करेंगे, हमारा घर टूट जाएगा।" अलोकनाथ ने उसकी बात सुनी, और थोड़ा सोचा, लेकिन उसकी गति धीमी नहीं हुई। "लीला, तू ठीक बोल रही है लेकिन अगर सब कुछ गुप्त तरीके से हो, कोई बाहर का मर्द न हो, तो क्या तू तैयार है?" लीलावती ने थोड़ा सोचा और फिर बोली, "गुप्त तरीके से भी मुझे नहीं लगता कि मेरा शरीर एक अंजान मर्द के लिए तैयार हो पाएगा।"
अलोकनाथ ने मुस्कुराकर कहा, "और अगर घर का कोई मर्द हो तो?" लीलावती चौंक गई, "घर का मर्द? मतलब मैं किसी घर के मर्द के साथ ऐसा करूँ? ये क्या कह रहे हो?" अलोकनाथ ने कहा, "घर का मर्द होगा तो न ब्लैकमेल का डर, न बदनामी का, सब कुछ गुप्त रहेगा।" लीलावती ने पूछा, "आप किसकी बात कर रहे हो?" अलोकनाथ ने कहा, "मैं अपने छोटे भाई अजय की बात कर रहा हूँ।" लीलावती बोली, "अजय? लेकिन अगर ममता(अजय की पत्नी) को पता चल गया तो? या पायल(अजय और ममता की बेटी) को? और अजय को तैयार कैसे करोगे आप?"
अलोकनाथ ने हँसते हुए कहा, "लीला, अजय जितना शरीफ दिखता है, उतना ही बड़ा चोदू है वो अपनी साली के साथ खूब मस्ती करता है।" लीलावती बिलकुल हैरान हो गई, "क्या? आपको कैसे पता? सच में?" अलोकनाथ ने कहा, "वो बाद में बताऊँगा लेकिन तू सोच, अगर अजय हो तो?" दोनों फिर से एक-दूसरे में डूब गए, उनकी साँसें तेज़ हुईं और वो चरम तक पहुँच गए फिर थककर एक-दूसरे से लिपटकर सो गए।
मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा