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nice updateपापा और चाची की चुदाई के दरमियान मेरे पूरे शरीर में कोई हलचल नहीं हुआ बिना पलकें झपकाए मैंने यह पूरा खेल देखा लिया था
मैं सोच भी नहीं सकता था घर में मेरी मां की तलवे चाटने वाला मेरा बाप जो मेरी मां से बहुत प्यार करता है जिसके सामने एक पत्नी व्रता पति बनने का नाटक करता है
जहां मेरे मन में विचारों का तूफान उठा हुआ था वही कमरे में उठा तूफान शांत हो चुका था
दोनों खाट पर आराम से लेटे हुए थे चाची की चूत अभी भी गीली थी उन्होंने पापा के माल से भीगा हुआ मुंह के अलावा शरीर का कोई भी हिस्सा साफ नहीं किया था
वहीं पापा का लंड मुरझा के छोटा हो गया था उसे देख कर कोई कह भी नहीं सकता था कि उसने अभी एक 40 वर्षीय महिला के गुप्तअंग में तोड़फोड़ मचाया होगा
उसके बाद मैं वहां से निकल जाता हूं और वहां से थोड़ी दूर जाकर छिप जाता हूं
कुछ देर बाद चाची और पापा घर के बाहर निकलते हैं
चाची निकलते ही पौधों में खाद देने लगती है जब पापा सब्जियों की टोकरी में जा कर देखते हैं तो वहां पर अपना खाना देख कर चौक जाते हैं
तब मैं भी उनके पास चला जाता हूं मुझे देखकर चाची बोलती है
चाची - अरे बेटा रवि तुम यहां
मैं - हां चाची में पापा को खाना देने आया था लेकिन आप दोनों यहां नहीं थे इसीलिए आप दोनों को ढूंढने के लिए दूसरे खेत में चला गया था
चाची मुझे कुछ देर भय की नजरों से देखती है और फिर पापा की और देखने लगती है
पापा - हम खाद निकालने गए थे बेटा
मैं - पापा वो खाना
पापा - हां मुझे मिल गया मैं खालूंगा वैसे तेरी मां नहीं आई आज और इतना जल्दी खाना भेज दिया
मैं - खाना बन गया तो भेज दिया
चाची - मतलब आज दीदी नहीं आएगी मैं जब तक उनसे गप्पे ना मार लूं तब तक मेरा मन नहीं लगता किसी काम में
मैं (मन में) - मेरी मां से गप्पे मार के या मेरे बाप से चूत मरवाके
तभी मुझे पापा आवाज देकर अपने पास बुलाते हैं और
पापा - तो कब जा रहा है तू घूमने
मैं मन में (बेटे से सीधा तू) - आज शाम 4:00 बजे वाली ट्रेन से
पापा - चौकते हुए इतनी जल्दी तुझे टिकट कहां से मिल गया
मैं - ऑनलाइन
पापा - कुछ सोचते हुए ठीक है तुम दोनों जाने की तैयारी करो मैं 3:00 बजे तक घर आ जाऊंगा
Kucj dino ki azadi mili khul kar khelne ki.पापा और चाची की चुदाई के दरमियान मेरे पूरे शरीर में कोई हलचल नहीं हुआ बिना पलकें झपकाए मैंने यह पूरा खेल देखा लिया था
मैं सोच भी नहीं सकता था घर में मेरी मां की तलवे चाटने वाला मेरा बाप जो मेरी मां से बहुत प्यार करता है जिसके सामने एक पत्नी व्रता पति बनने का नाटक करता है
जहां मेरे मन में विचारों का तूफान उठा हुआ था वही कमरे में उठा तूफान शांत हो चुका था
दोनों खाट पर आराम से लेटे हुए थे चाची की चूत अभी भी गीली थी उन्होंने पापा के माल से भीगा हुआ मुंह के अलावा शरीर का कोई भी हिस्सा साफ नहीं किया था
वहीं पापा का लंड मुरझा के छोटा हो गया था उसे देख कर कोई कह भी नहीं सकता था कि उसने अभी एक 40 वर्षीय महिला के गुप्तअंग में तोड़फोड़ मचाया होगा
उसके बाद मैं वहां से निकल जाता हूं और वहां से थोड़ी दूर जाकर छिप जाता हूं
कुछ देर बाद चाची और पापा घर के बाहर निकलते हैं
चाची निकलते ही पौधों में खाद देने लगती है जब पापा सब्जियों की टोकरी में जा कर देखते हैं तो वहां पर अपना खाना देख कर चौक जाते हैं
तब मैं भी उनके पास चला जाता हूं मुझे देखकर चाची बोलती है
चाची - अरे बेटा रवि तुम यहां
मैं - हां चाची में पापा को खाना देने आया था लेकिन आप दोनों यहां नहीं थे इसीलिए आप दोनों को ढूंढने के लिए दूसरे खेत में चला गया था
चाची मुझे कुछ देर भय की नजरों से देखती है और फिर पापा की और देखने लगती है
पापा - हम खाद निकालने गए थे बेटा
मैं - पापा वो खाना
पापा - हां मुझे मिल गया मैं खालूंगा वैसे तेरी मां नहीं आई आज और इतना जल्दी खाना भेज दिया
मैं - खाना बन गया तो भेज दिया
चाची - मतलब आज दीदी नहीं आएगी मैं जब तक उनसे गप्पे ना मार लूं तब तक मेरा मन नहीं लगता किसी काम में
मैं (मन में) - मेरी मां से गप्पे मार के या मेरे बाप से चूत मरवाके
तभी मुझे पापा आवाज देकर अपने पास बुलाते हैं और
पापा - तो कब जा रहा है तू घूमने
मैं मन में (बेटे से सीधा तू) - आज शाम 4:00 बजे वाली ट्रेन से
पापा - चौकते हुए इतनी जल्दी तुझे टिकट कहां से मिल गया
मैं - ऑनलाइन
पापा - कुछ सोचते हुए ठीक है तुम दोनों जाने की तैयारी करो मैं 3:00 बजे तक घर आ जाऊंगा
nice update..!!उसके बाद में घर की तरफ चल देता हूं पूरे रास्ते में सिर्फ पापा और चाची के बारे में सोच रहा था जिसके कारण अब मुझे मुठ मारना पड़ेगा
मेरे मन में बार-बार एक ही विचार आ रहा था कि पापा मम्मी के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं
शायद ही ऐसी कोई रात गया होगा जब मैंने पापा मम्मी की चुदाई का आवाज ना सुना हो
यहां तक कि मैंने कई बार पापा मम्मी की चुदाई देख कर मुठ भी मारा है
रेखा चाची सुंदर तो थी लेकिन मेरी मां के सामने कुछ नहीं
रेखा चाची एक विधवा औरत है और उसका बेटा शहर में पड़ता है शायद बेटे की पढ़ाई के लिए ही चाची चुद रही हो
मैं मां का बहुत बड़ा दीवाना हूं लेकिन वह कभी मेरे प्यार को नहीं अपनाएंगी उसका पति उसे रोज चोदता है ना उसे चूत की प्यास है ना प्यार की
यह सब सोचते हुए मैं घर पहुंच जाता हूं घर का दरवाजा अंदर से लगा हुआ था मैं गेट पर हाथ मारता हूं तो मां की आवाज आती है कौन है मैं अपने बारे में बताता हूं
कुछ देर के बाद दरवाजा खुलता है जैसे ही मेरा नजर मम्मी पर पड़ता वैसे ही मैं मूर्ति बन जाती है
मम्मी ने एक लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी सिर्फ साड़ी ना ही ब्लाउज ना ही पेटिकोट वह पुरी तरह भीगी हुई थी मम्मी ने उस साड़ी के आंचल से ही अपनी चुचियों को ढक कर रखा था
तभी मेरी नजर मम्मी की छाती पर ठहरे एक पानी की बूंद पर पड़ती है जो सफर के लिए पूरी तरह तैयार था वह बूंद वहां से फिसलता है और रास्ते में आ रहे सारे छोटी बड़ी पानी की बूंदों को अपने अंदर समा लेती है मम्मी की मस्त मुलायम चिकनी पेट से होते हुए उसकी नाभि में जाग गिरता है
यह सारा वाकया 20 सेकंड में हुआ था जिसके बाद मम्मी का आवाज आता है दरवाजा लगा देना कहकर वे जाने लगती है
पेटीकोट ना पहनने के कारण गांड आजाद था और पतली सी साड़ी उसे काबू में रखने से नाकामयाब
जिसके कारण मम्मी की गांड का दोनों नितंब आपस में टकरा रहा था
अब तक मैं यह सब चुपचाप खड़ा हो कर देख रहा था
मां के कमरे में जाते ही मुझे होस आता है
दरवाजा अंदर से लगाते ही मैं अपने कमरे में चला जाता हूं और मां को याद करके मुठ मारने लगते हैं
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मेरे दिमाग से पापा और चाची निकल सा गया था और मेरी मां ने मेरे मन पर काबू कर लिया था
मैं मुठ मार के बैठा ही था कि मम्मी ने मुझे बुलाया और पूछा हम कब जा रहे हैं तो मैंने उन्हें सब बता दिया और अपने कमरे में आकर सो गई