U.and.me
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Good UJpdate!भाग 2
वीर एक गांव में पला बड़ा लड़का था.. देखने में खास नही.. लेकिन खेतो मे दिन रात काम करने से उसकी बॉडी किसी बॉडी बिल्डर से कम न थी.. गुस्सा बहोत जल्दी आजता था और किसी से भी लड़ाई कर लेना उसके लिए आम बात हुआ करती.. अब तो अपने मां बाप की भी नही सुनता था.. लेकिन मेरी मां के लिए उसे बहोट आदर था.. अब इस की कई वजह हो सकती है.. पहली तो मां की खूबसूरती मां का प्यार या क्यू की हम बहोत कम ही आते थे गांव...
मां भाभी की रोने की आवाज सुन बहोत बैचेन हो गई थी पहली ही रात में बहु इसे क्यों रो रही मां इस लिए भी ज्यादा दर रही थी क्यू की वीर के विशाल जिस्म के आगे बिचारी दुबली पतली कंचन.. ऐसा था जिसे शेर के सामने मेमना हो... और एक तो कंचन मां के रिश्ते में आती थी.. मां ने बिना सोचे ही दरवाजा खटखटाया... बेटा कंचन क्या हुआ में यही हू...वीर बहु रो क्यों रही है...
वीर के उपर उसकी हवस चढ़ी हुए थी सामने अर्ध नंगी कंचन के गोरे और मुलायम बदन को देख वीर उसकी बड़ी मां को आवाज के सुन के भी अनसुना कराते हुए.. कंचन के हाथ उसके छोटे छोटे स्तनों से हटा देता हे...और कंचन के उपर से थोड़ा ऊपर होकर कंचन की चौकी को कामत तक ले आता है... बिचारी कंचन इतना डर गई थी की मुंह से उसकी बड़ी सास यानी मां को आवाज भी लगाना केसे भूल गई थी... वीर का काला मोटा विशाल लन्ड देख तो दो बच्चो की मां के भी पर डर के मारे कांपने लगे...
वीर रोती हुई उसकी पत्नि को देख भी रुकता नही और एक बार में कंचन की कच्छी निकल के कच्छी की स्मेल लेता हे और फिर कंचन की और किसी जानवर केसे देखता हे...और एक दम से लोड़ा कंचन की कुंवारी योनि के प्रवेश द्वार पे रख एक जोर का थक्का लगा देता है..बिना किसी अतिरिक्त प्यार के या गरम किए वीर के इसे प्रहार से कंचन की योनि मे भारी दर्द होते ही कंचन अपनी पूरी शक्ति लगा में चिल्ला उठी और वीर को भी अपने नंगे जिस्म से थोड़ा दूर करने में संभल हुए.. कंचन दर्द भरी आवाज सुन मां अपनी पूरी शक्ति लगा के वीर को गुस्से में बोलती है... दरवाजा खोल क्या किया तूने.. मुझ से बुरा कि नही होगा अगर मेरी बच्ची के साथ कुछ बुरा किया.. अब तक बाकी घर वाले भी आ गई थे सब ने अब वीर को दरवाजा खोलने को कहा...
जैसे ही दरवाजा खुला वीर गुस्से में आग बबूला हो के लुंगी में बाहर आया.. उसका लिंग साफ साफ दिख रहा था पूरी लुंगी उठी हुए जो थी..मां ने पहली बार इतना बड़ा उभार अपनी आखों से देख रही थी...मां तुरत अंदर गई और में भी पीछे जाने ही वाला था की पापा ने मुझे रोक लिया... बिचारी भाभी अभी तक नंगी ही थी..मां को उसके पूरे बदन पे लाल लाल निशान दिखे जो भईया के इतने जोर से पकड़ने से हुए होगे और भाभी के पतले नाजुक हॉट से खून निकल रहा था...और गले स्तन पे दात के निशान रह गई थे...योनि पर नजर मां की पड़ी तो इतना तो समझ गई कि अभी तक कंचन एक दम कवारी है..वीर का लिंग बस इतना ही भेद पाया था योनि को की कंचन की जान निकल जाय लेकिन योनि पटल की दीवार अभी तक टूटी नहीं थी...
मां की आखों से आसू निकल गई..और खुद को कोसने लगी की क्यो उन्होंने उसकी छोटी बहन की फुल सी बच्ची को ऐसे हैवान के साथ शादी के बंधन में बांध दिया... अंजाने में ही लेकिन मां से भारी भूल हुए थी... पड़ी लिखी हुई कंचन यहां कैसे शादी के लिए मान गई सिर्फ मां के भरोसे पे... मां ने कंचन को कस के अपने सीने में भर लिया... कुछ नही हुआ मेरी बच्ची में आ गई हु...मां ने जैसे तैसे भाभी को शांत किया और सब को बाहर आके बोल दिया की...में बहु के साथ ही सो रही हु आप सब भी सो जायेगा...
कंचन भाभी मां से किसी बच्चे के जैसे लिपट के सो जाती है..में बाहर अभी तक यही सोच रहा था की हुआ क्या था.. लेकिन पाता नहीं क्यो मुझे भाभी चिंता हो रही थी..कही न कही मुझे वीर भईया से जलन हो रही थी की उनकी शादी मेरी ही मासी की बेटी से हो रही थी जिसे में मन ही मन पसंद किया करता था लेकिन कभी हम इस बात नही करते थे... करते भी केसे छोटी बहन जो थी रिश्ते में लेकिन आज उसकी रोने की आवाज ने मुझे बैचेन कर दिया था...
सब के जाने के बाद मेने दरवाजे के पास गया और मां को धीरे से आवाज दी..मां सो तो पायेगी नही तो मेरी आवाज सुन बाहर आई..
में – मां कंचन..कंचन भाभी कैसी है उसे क्या हुआ हे..
मां – कुछ भी तोह नही बेटा वो नया घर हे तो डर गई होगी नींद में आप सो जाओ...
में – मां क्या में उसे एक बार देख एकता हु मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है जिसे उस के साथ कुछ बुरा हुआ हो...
मां – बोला ना सो जा... सुबह मिल लेना वो हमारे साथ आ रही हैं कुछ दिन...
में खुस हो गया की वो हमारे साथ हमारे सहर वाले घर आयेगी...
यहां आप समझ गई होंगे की कंचन और में दोनो बहोत नादान और भोले है.. हमे अभी तक ज्ञान नही ही कंचन को तो कुछ भी नही था लेकिन मुझे कुछ कुछ पता चल जाता था...
आगे अगले भाग में...
Hmm ye acha kiya kanchan ko apne sath le aye magar is bichari ko ye harami veer badnam karna chahta hai dekhte hai age kya hota hai hero ke dil mai bhi ab kanchan ke liye feeling arahi haiभाग 3
सुबह होती है सब धीरे धीरे अपने अपने काम में लग जाते है..घर का माहोल बहोत शांत था.. लेकिन कल रात वाली बात। आग की तरह गांव में भेल गई थी... मासी को भी पता चल गया था.. मासी मां को बोल देती है की वो लोग आ रहे ही कंचन को लेने..लेकिन मां बोलती ही की ऐसा मत करो इसे करने तो और भी लोग बाते करने.. तुम कंचन की फिकर मत करो में उसे मेरे साथ ले जा रही हू.. हो मेरी भी बेटी है... में सब ठीक कर दूंगी...
वही दूसरी और कल रात हुए घटना से आग बबूला हुआ वीर उसके दोस्त के घर सोया था..अब वो भी उठ के बाते करने लगे थे कल की....
दोस्त – यार ये ठीक नहीं किया सुधा चाची ने..तेरा सुहागरात को इस कमरे में घुस जाना..और तेरा तो हक था....
वीर – मां कसम कोई और होते तो वही...(वो आगे नहीं बोलता... लेकिन उसका गुस्सा देख ही समझ आ रहा था..)
दोस्त – यार तेरी बड़ी मां की मीठी मीठी बाते....केसे कोई उनके आगे बोले... लेकिन जो काम पहली रात को नही हुआ आज रात को ही खतम कर दे..तेरी बात से तो यही लगता है कि भाभी अभी तक कुंवारी हे..आज नही तो कल भी बिना रोए धोए चुदेगी नही ठीक से..एक बात तेरा लेगी तभी तो... वैसे तेरा इतना तो कितना बड़ा ही की वो इतना डर गई...
वीर – 8 इंच लम्बा है बस...
दोस्त – क्या इतना बड़ा साले तब तोह भाभी हफ्ते तक उठ नहीं पायेगी..कहा तू सांड जैसा और कहा वो कुंवारी लड़की...
वीर – एक बार तो दर्द होता ही है ना.. क्या में उसका पति नही...उसका फर्क हे...आज दिखा दुगा में की एक मर्द क्या कर सकता हे...
दोस्त – वैसी तू सही बोल रहा है औरत को पहली रात में ही अपने काबू में कर लेना चाहिए हमे.. देखना भाभी की आवाजे सुन आज रात तेरी बड़ी ना भी उंगली करेगी अपनी सुखी छूत में... अह्ह्ह्ह सुधा चाची...
वीर –अह्ह्ह्ह भाई कास हम देख भी पाते.. बड़ी मां की सुखी छूत को...पता नही कितने सालों से सुखी होगी...
पता नही बड़े पापा केसे नही करते इतने साल से... में होता तो बड़ी का को रोज खुश करता...
दोस्त – यार ये सपना तो सारा गांव देख रहा है लेकिन तेरी बड़ी मां इतने सालो से प्यासी है लेकिन किसी के बिस्तर में नहीं सोई... तड़पा और रही है मीठी मीठी बातों और अपना सुनहरा जिस्म दिखा दिखा के कल तो सब का यही ये हाल था की तेरी बड़ी मां को उठा के खेत में ही पेल दे...
वीर और उसका दोस्त बाते करते हुए खेत में आते ही और वहां जाके मां को नदी पे नहाता दिखने की कोशिश करते है लेकिन मां हर रोज नही आती थी...उसके बाद वीर वापस घर की और आ जाता है...जहा मां हम शहर जाने के लिए निकल रहे थे.. कंचन को भी हमारे साथ जाते देख...वीर बहोत गुस्सा हो गया...
वीर – चाची में आप को कुछ बोल नहीं रहा तो आप इसे करोगे.. कंचन को अभी तक मेने ठीक से देखा भी नहीं.. है ऐसा ही करना था तो शादी क्यों कराई अपने पास ही रख लेते....
मां – चुप हो जा कुछ दिन में भेज दूंगी जब तू कंचन से माफी मांग लेगा और कुछ इंसानियत पे आएगा...
वीर – (गुस्से के ) पहली रात में ये सब तोह होता ही है.. क्या गुना कर दिया मेने...आप के साथ भी....(आगे बोलने से रुक जाता है)
मां बहोत गुस्सा हो गई और वीर को थप्पड़ मार दी.. वीर सब के समाने अपनी इसी बेजज्जी से गुस्सा होके...
वीर – चाची अगली बार हाथ उठाया तो यही पटक के छो....
वीर आगे बोलता उस से पहले ही चाचा ने वीर को चार पांच थप्पड़ लगा दिए...
वीर गुस्से में आग बबूला हुआ बोला...लेकिन वीर बहोत शांति से एक भयानक हसी के साथ बोला...
वीर – ले जाओ अपनी भांजी को... जो होना था कल ही हो गया..याद रहे अब ये कुंवारी लड़की नहीं...और मैने तो रात बिता ली...अब ने इसे आजाद करता हु.. आप ही संभाल लेना इसे..अब देखते है कोन शादी करेगा इस से...देख लेना कंचन दो दिन बाद तेरी मासी खुद तुजे मेरे बिस्तर पे रख के जाएगी...(बहोत सेतानी मुस्कान के साथ..)
यहां वीर की ऐसी बात सुन के उसे और मार पड़ती है...
वीर वे सब सिर्फ गांव वालो को सुना रहा था ताकि कंचन की कोई इज्जत न रहे...और ये बात आग तरह फेल जाई और कंचन की दूसरी शादी न हो पाई...आई वो उसकी ही पत्नी बनी रहे...
कंचन वीर की बातो से डर जाती है और कार में बैठ के मुझे कस के पकड़ के रोने लगती है...हम निकल जाते है.. कंचन अभी तक मेरी बाहों में थी...में थोड़ा सा जिजक रहा रहा था मम्मी पापा के आगे उसे वैसे ही प्यार देने में...लेकिन में थोड़ी देर एम अपनी सारी शर्म दूर कर कंचन की कमर पे हाथ रख उसे प्यार से सहला कर उसके बालो को भी धीरे धीरे से सहला देता हू...
कंचन मेरी बाहों के ही सो गई..और मां फिर उसे अपनी गोद में सर रखा के सोने ही दिया...में उसकी और नही देख पा रहा था...मुझे बहोत अजीब लग रहा था...लेकिन में इंदर ही अन्दर पता नही बहोत खुश था कंचन के इतने करीब होने से...में खड़की से बाहर देखने लगा... गर्मियों की सुबह की ठंडी ठंडी वहा मेरे अंदर न जाने कैसी मदहोशी ला रही थी... मै बाहर देखता फिर जरा सा कंचन को देख लेता... गुलाबी ड्रेस में किसी परी से कम नही लग रही थी...में सोच में डूब गया की कंचन से खूसबूरत लड़की के साथ ऐसा क्या हो गया एक रात मैं... क्यू भइया इसे बोल रहे थे...साथ ही में मां को देख रहा की वो इतना परेशान पहले कभी नही दिखी....
मम्मी पापा कुछ बाते कर रहे थे लेकिन मेरा सारा ध्यान मेरी प्यारी बहना कंचन पे बार बार जा रहा था...में उसे फिर से मेरी बाहों मे लेने को मरे जा रहा था लेकिन क्यू... क्यूं...मुझे आज मेरी छोटी बहन (मासी की लड़की) पे इतना प्यार आ रहा था....
देखते ही अगले भाग में....
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गयाभाग 3
सुबह होती है सब धीरे धीरे अपने अपने काम में लग जाते है..घर का माहोल बहोत शांत था.. लेकिन कल रात वाली बात। आग की तरह गांव में भेल गई थी... मासी को भी पता चल गया था.. मासी मां को बोल देती है की वो लोग आ रहे ही कंचन को लेने..लेकिन मां बोलती ही की ऐसा मत करो इसे करने तो और भी लोग बाते करने.. तुम कंचन की फिकर मत करो में उसे मेरे साथ ले जा रही हू.. हो मेरी भी बेटी है... में सब ठीक कर दूंगी...
वही दूसरी और कल रात हुए घटना से आग बबूला हुआ वीर उसके दोस्त के घर सोया था..अब वो भी उठ के बाते करने लगे थे कल की....
दोस्त – यार ये ठीक नहीं किया सुधा चाची ने..तेरा सुहागरात को इस कमरे में घुस जाना..और तेरा तो हक था....
वीर – मां कसम कोई और होते तो वही...(वो आगे नहीं बोलता... लेकिन उसका गुस्सा देख ही समझ आ रहा था..)
दोस्त – यार तेरी बड़ी मां की मीठी मीठी बाते....केसे कोई उनके आगे बोले... लेकिन जो काम पहली रात को नही हुआ आज रात को ही खतम कर दे..तेरी बात से तो यही लगता है कि भाभी अभी तक कुंवारी हे..आज नही तो कल भी बिना रोए धोए चुदेगी नही ठीक से..एक बात तेरा लेगी तभी तो... वैसे तेरा इतना तो कितना बड़ा ही की वो इतना डर गई...
वीर – 8 इंच लम्बा है बस...
दोस्त – क्या इतना बड़ा साले तब तोह भाभी हफ्ते तक उठ नहीं पायेगी..कहा तू सांड जैसा और कहा वो कुंवारी लड़की...
वीर – एक बार तो दर्द होता ही है ना.. क्या में उसका पति नही...उसका फर्क हे...आज दिखा दुगा में की एक मर्द क्या कर सकता हे...
दोस्त – वैसी तू सही बोल रहा है औरत को पहली रात में ही अपने काबू में कर लेना चाहिए हमे.. देखना भाभी की आवाजे सुन आज रात तेरी बड़ी ना भी उंगली करेगी अपनी सुखी छूत में... अह्ह्ह्ह सुधा चाची...
वीर –अह्ह्ह्ह भाई कास हम देख भी पाते.. बड़ी मां की सुखी छूत को...पता नही कितने सालों से सुखी होगी...
पता नही बड़े पापा केसे नही करते इतने साल से... में होता तो बड़ी का को रोज खुश करता...
दोस्त – यार ये सपना तो सारा गांव देख रहा है लेकिन तेरी बड़ी मां इतने सालो से प्यासी है लेकिन किसी के बिस्तर में नहीं सोई... तड़पा और रही है मीठी मीठी बातों और अपना सुनहरा जिस्म दिखा दिखा के कल तो सब का यही ये हाल था की तेरी बड़ी मां को उठा के खेत में ही पेल दे...
वीर और उसका दोस्त बाते करते हुए खेत में आते ही और वहां जाके मां को नदी पे नहाता दिखने की कोशिश करते है लेकिन मां हर रोज नही आती थी...उसके बाद वीर वापस घर की और आ जाता है...जहा मां हम शहर जाने के लिए निकल रहे थे.. कंचन को भी हमारे साथ जाते देख...वीर बहोत गुस्सा हो गया...
वीर – चाची में आप को कुछ बोल नहीं रहा तो आप इसे करोगे.. कंचन को अभी तक मेने ठीक से देखा भी नहीं.. है ऐसा ही करना था तो शादी क्यों कराई अपने पास ही रख लेते....
मां – चुप हो जा कुछ दिन में भेज दूंगी जब तू कंचन से माफी मांग लेगा और कुछ इंसानियत पे आएगा...
वीर – (गुस्से के ) पहली रात में ये सब तोह होता ही है.. क्या गुना कर दिया मेने...आप के साथ भी....(आगे बोलने से रुक जाता है)
मां बहोत गुस्सा हो गई और वीर को थप्पड़ मार दी.. वीर सब के समाने अपनी इसी बेजज्जी से गुस्सा होके...
वीर – चाची अगली बार हाथ उठाया तो यही पटक के छो....
वीर आगे बोलता उस से पहले ही चाचा ने वीर को चार पांच थप्पड़ लगा दिए...
वीर गुस्से में आग बबूला हुआ बोला...लेकिन वीर बहोत शांति से एक भयानक हसी के साथ बोला...
वीर – ले जाओ अपनी भांजी को... जो होना था कल ही हो गया..याद रहे अब ये कुंवारी लड़की नहीं...और मैने तो रात बिता ली...अब ने इसे आजाद करता हु.. आप ही संभाल लेना इसे..अब देखते है कोन शादी करेगा इस से...देख लेना कंचन दो दिन बाद तेरी मासी खुद तुजे मेरे बिस्तर पे रख के जाएगी...(बहोत सेतानी मुस्कान के साथ..)
यहां वीर की ऐसी बात सुन के उसे और मार पड़ती है...
वीर वे सब सिर्फ गांव वालो को सुना रहा था ताकि कंचन की कोई इज्जत न रहे...और ये बात आग तरह फेल जाई और कंचन की दूसरी शादी न हो पाई...आई वो उसकी ही पत्नी बनी रहे...
कंचन वीर की बातो से डर जाती है और कार में बैठ के मुझे कस के पकड़ के रोने लगती है...हम निकल जाते है.. कंचन अभी तक मेरी बाहों में थी...में थोड़ा सा जिजक रहा रहा था मम्मी पापा के आगे उसे वैसे ही प्यार देने में...लेकिन में थोड़ी देर एम अपनी सारी शर्म दूर कर कंचन की कमर पे हाथ रख उसे प्यार से सहला कर उसके बालो को भी धीरे धीरे से सहला देता हू...
कंचन मेरी बाहों के ही सो गई..और मां फिर उसे अपनी गोद में सर रखा के सोने ही दिया...में उसकी और नही देख पा रहा था...मुझे बहोत अजीब लग रहा था...लेकिन में इंदर ही अन्दर पता नही बहोत खुश था कंचन के इतने करीब होने से...में खड़की से बाहर देखने लगा... गर्मियों की सुबह की ठंडी ठंडी वहा मेरे अंदर न जाने कैसी मदहोशी ला रही थी... मै बाहर देखता फिर जरा सा कंचन को देख लेता... गुलाबी ड्रेस में किसी परी से कम नही लग रही थी...में सोच में डूब गया की कंचन से खूसबूरत लड़की के साथ ऐसा क्या हो गया एक रात मैं... क्यू भइया इसे बोल रहे थे...साथ ही में मां को देख रहा की वो इतना परेशान पहले कभी नही दिखी....
मम्मी पापा कुछ बाते कर रहे थे लेकिन मेरा सारा ध्यान मेरी प्यारी बहना कंचन पे बार बार जा रहा था...में उसे फिर से मेरी बाहों मे लेने को मरे जा रहा था लेकिन क्यू... क्यूं...मुझे आज मेरी छोटी बहन (मासी की लड़की) पे इतना प्यार आ रहा था....
देखते ही अगले भाग में....