मेरी रूपाली दीदी खींसे निपोरते हुए मेरे जीजू से कहा : "चलो जी …निकलो बाहर …”
दीदी ने जल्दी से साईड में पड़ी हुई शर्ट को उठाया और उससे अपनी छाती ढक ली ..ब्रा और शर्ट को प्रोपर तरीके से पहनने का समय नहीं था ..
मेरे जीजू ने गाडी का शीशा नीचे किया और इन्स्पेक्टर से बोला : "क्या बात है सर …हम पति-पत्नी है .बस जाते-२ रुक गए थे ..”
इन्स्पेक्टर की आवाज में अचानक कठोरता आ गयी : "साले …चुतिया समझे है के मन्ने …निकल बाहर …”
मेरे जीजू ने बहस करनी उचित नहीं समझी और बाहर आ गया ..जीप में से निकल कर एक हवालदार भी वहां पहुँच गया ..
इन्स्पेक्टर : "और अपनी छमिया को भी बोल बाहर निकले ..
मेरे जीजू : "सर .. "सर …मैंने कहा न वो मेरी पत्नी है …”
इन्स्पेक्टर : ”पत्नी है तो घर में बैठ कर चूस न इसके मुम्मे …साले जंगल में मंगल क्यों कर रहा है ..सब समझता हु मैं तुम शहर वालों को ..दुसरे की बीबी के साथ मस्ती करने का अच्छा धंधा चल रहा है आजकल ..गाडी में बिठाकर शहर से बाहर ले आओ ..और ऐसे जंगल में आकर चोदो ..और शाम तक वापिस ..कोई देखेगा भी नहीं, कोई खर्चा भी नहीं ..और मस्ती की मस्ती …”
जीजू कुछ बोलने ही वाला था की रूपाली दीदी बाहर निकल आई, वो गुस्से में थी : "इन्स्पेक्टर साब, मैं इनकी पत्नी हु ..आप कैसी बातें कर रहे हैं ..हमारी अभी कुछ महीने पहले ही शादी हुई है ..हम लोग तो बस आगे इनके गाँव जा रहे थे ..”
वो गुस्से में बाहर तो निकल आई थी पर शर्ट पहनना भूल गयी थी ..वो उसने अभी तक अपने हाथों से पकड़ कर अपने आगे लगायी हुई थी .
इन्स्पेक्टर बड़े गौर से उसके चारों तरफ घूमता हुआ बोला : "अच्छा …चलो मान लेता हु ..की तुम इसकी पत्नी हो ..कोई सुबूत है तुम्हारे पास …”
ये सुनकर दोनों एक दुसरे को देखने लगे …अब इस बात का क्या सबूत दिखाए उसे .. रूपाली दीदी के पास एक वोटर कार्ड तो था पर उसमे उसका सरनेम शादी से पहले वाला था ..जिसे देखकर इन्स्पेक्टर कभी भरोसा नहीं करता …
आखिर मेरे जीजा ने कहा : "आप चाहते क्या है …जल्दी बताइए ..हमें आगे भी जाना है ..” ये सुनते ही इन्स्पेक्टर के चेहरे पर हंसी आ गयी : "देखा …मैं न कहता था की तू इसका पति है ही नहीं …चल अब तूने मान ही लिया है तो निकाल एक लाख रूपए …”
मेरे जीजा और मेरी रूपाली दीदी हेरानी से एक दुसरे का चेहरा देखने लगे …
मेरे जीजा : "एक लाख …इतने पैसे …वो किसलिए ..”
इन्स्पेक्टर : "अब वो भी मैं ही बताऊँ के …तुम्हारे घर वालों को तुम दोनों के बारे में पता ना चले ..इसलिए ..चलो निकालो …”
उसने सख्त आवाज में कहा ..
मेरे जीजा ने मन ही मन सोचा ‘पता नहीं ये मुसीबत कहाँ से आ गयी है ..’
मेरे जीजा: "पर सर …इतने पैसे मेरे पास नहीं है …”
इन्स्पेक्टर : "बीस लाख की गाडी लेकर और करोड़ रूपए का पटाखा लेकर घूम रहा है और एक लाख नहीं है तेरी जेब में …”
उसने हवालदार की तरफ देखा और बोला : "चल रे घनशाम …तलाशी ले गाडी की ..और इनके सामान की ..अभी पता चल जाएगा की कितना सच बोल रा है ये ..”
ये सब बोलते हुए उसकी नजरें अभी तक मेरी रूपाली दीदी की नंगी पीठ को ही घूर रही थी ..
इन्स्पेक्टर की बात सुनते ही मेरे जीजा की सिट्टी पिट्टी गम हो गयी ..क्योंकि डिक्की में पांच लाख रूपए केश पड़े थे ..
मेरे जीजा : "ये …ये आप नहीं कर सकते ..मैंने कहा न …हमारे पास इतने पैसे नहीं है ..ये ..ये आप इतना रखिये ..”
उसने अपनी पर्स में रखे हुए लगभग तीन हजार रूपए निकाल कर उसके हाथ में रख दिए ..
पर इन्स्पेक्टर तो जैसे जिद्द पर अटक गया था .."देखो भाई …हम लोगों को तुम जैसे बहुत से लोग मिलते हैं ..अब इतने से तो हमारा कुछ न हौन वाला ..पर अगर ….”
उसने बात अधूरी छोड़ दी ..
मेरे जीजा: "अगर क्या ???”
इन्स्पेक्टर :"अगर मेडम हमारी भी कुछ सेवा कर दे तो …इतने से ही काम चला लेंगे ..वर्ना गाड़ी को ले चालो थाणे में , पूरी तलाशी होगी ….जांच पड़ताल होगी ..तब देखेंगे ..”
मेरे जीजा तो समझ गया की वो क्या कहना चाहता है .. मेरी रूपाली दीदी नहीं समझी …और एक मिनट के बाद जब उसकी ट्यूबलाइट जली तो उसका चेहरा गुस्से से लाल हो उठा ..
”अपनी औकात में रहो इन्स्पेक्टर …तुमने मुझे समझ क्या रखा है ..मैं इनकी पत्नी हु ..कोई धंधे वाली नहीं ..”
इन्स्पेक्टर : "भाई बड़ी मिर्ची लग गयी तुझे तो छोरी …तेरे यार को तो कुछ हुआ नहीं और तू ऐसे ही मचल रही है …”
और सच में .. मेरे जीजा को उसकी बात सुनकर जैसे कुछ हुआ ही नहीं था ..वो चुपचाप सा खड़ा था ..
मेरी रूपाली दीदी ये देखकर और भी गुस्से में आ गयी : "तुम कुछ बोलते क्यों नहीं …ये मेरे बारे में क्या सोच रहा है …क्या करवाना चाहता है …कुछ बोलते क्यों नहीं तुम …”
इन्स्पेक्टर उन दोनों को लड़ता हुआ देखकर साईड में जाकर खड़ा हो गया और मेरी दीदी की नंगी पीठ और उसकी कसी हुई गांड को देखकर आहें भरने लगा ..उसका हवलदार भी अपनी तोंद के नीचे खड़े हुए लंड को अपने हाथों से मसलने लगा ..
मेरे जीजा ने धीरे से कहा : "देखो .. रूपाली ये लोग ऐसे नहीं मानेंगे ..तुम भी जानती हो की गाडी में पांच लाख रूपए पड़े हैं ..इन लोगों की नजर पड़ गयी तो सब जायेंगे …”
वो धीरे-२ बोल रहा था ताकि उनकी बातें वो दोनों ना सुन सके ..
मेरी रूपाली दीदी : "इसका क्या मतलब है …तुम्हे पैसे ज्यादा प्यारे हैं या अपनी पत्नी ..और वैसे भी ये एक लाख मांग रहा है ..उसमे से एक लाख निकाल कर इसके मुंह मारो और निकल चलो यहाँ से ..”
पर शायद मेरा जीजा सब कुछ सोच चुका था ..उसके जुवारी दिमाग ने सब केलकुलेशन कर ली थी ..एक लाख की क्या वेल्यु थी उसके लिए वो अच्छी तरह जानता था ..और वैसे भी, अगर मेरा जीजा उन रुपयों में से एक लाख निकालता तो बाकी के पैसे कोन सा वो इन्स्पेक्टर इतनी आसानी से छोड़ देता ..ये सब जीजा ने एक मिनट के अन्दर ही अन्दर सोच लिया था ..
उसका सपाट सा चेहरा देखकर मेरी रूपाली दीदी को समझते हुए देर ना लगी की वो पत्थर के आगे बीन बजा रही है ..
"यानी …यानी तुम चाहते हो की मैं इन कुत्तों के साथ ….छि …मुझे सोच कर भी घिन्न आ रही है …”
वो गुस्से में कुछ ज्यादा जोर से बोल गयी थी ये बात जिसे इन्स्पेक्टर ने सुन लिया था ..
इन्स्पेक्टर : "अरे नहीं मेडम जी ..हमें कुछ ज्यादा नहीं करना है ..पुरे झंझट वाला काम नहीं करना हमें तो ..तुम जैसी के साथ करने के बाद कोई बीमारी लग गयी तो क्या होगा हमारा ..हा हा ..आप तो बस हमारा कल्याण अपने हाथों से ही कर दो बस ..ही ही ..” इतनी बेइज्जती आज तक मेरी रूपाली दीदी की कभी नहीं हुई थी ..एक तो उसका पति फट्टू निकला था और दुसरे ये पुलिस वाले उसे एक रंडी समझ रहे थे ..उसकी आँखों से आंसू बहने लगे ..और उसने गुस्से में आकर अपनी शर्ट नीचे फेंक दी और अपनी बाहें ऊपर करके चिल्लाई : "आओ फिर ..जो करना है कर लो …यु बास्टर्डस ….” इन्स्पेक्टर और हवलदार की आँखे फटी की फटी रह गयी …उनके सामने दो सफ़ेद बॉल्स लहरा रही थी ..और उनपर लगे एक सूजे हुए निप्पल को देखकर वो इन्स्पेक्टर तो जैसे पागल ही हो गया ..
इन्स्पेक्टर : "अरे देख रे घनशाम ….मेडम के दाने को तो देख …पहले कभी देखा है ऐसा पीस …”
उसने ना में सर हिला दिया ..
व्मेरी दीदी ने भी गुस्से में आकर अपनी नंगी छातियाँ उन दोनों के सामने उजागर तो कर दी थी पर उसे डर भी लग रहा था की वो पता नहीं कैसा व्यवहार करेंगे उसके साथ ..पर साथ ही थोडा सकूं भी मिला था की वो उसकी चूत नहीं मारेंगे ..
और जीजा ने तो अपने पैसे बचाने के लिए अपनी नव विवाहित पत्नी का जुआ खेल लिया था ..पैसे के बदले उसने अपनी पत्नी को उन दोनों दरिंदो के आगे परोस दिया था ..वो सोच रहा था की ज्यादा से ज्यादा वो क्या करेंगे ..कम से कम मेरे एक लाख रूपए तो बच गए न ..
इसी बीच दोनों अपनी जीभ निकाल कर कुत्ते की तरह मेरी रूपाली दीदी के सामने पहुँच गए .. और वो इन्स्पेक्टर जिसका नाम राहुल था बड़ी ललचाई हुई निगाहों से मेरी रूपाली दीदी के उभारों को देख कर अपनी जीभ को होंठों पर फेर रहा था ..और जैसे ही वो उसके सामने पहुंचा उसने बिना एक पल की देर किये अपने गीले होंठों को उसके मुम्मे पर दे मारा ..
मेरा जीजा ने जिस निप्पल को काटकर सुजा दिया था राहुल ने उसी को अपने मुंह में दबोच कर जोर से चूसा था ..वो फिर से दर्द से कराह उठी ..पर साथ ही उसकी गर्म जीभ के एहसास से उसे सकून भी पहुंचा जैसे वो अपनी गर्म जीभ से उसके सूजे हुए निप्पल की सिंकाई कर रहा हो ..
”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …….ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ …..उम्म्म्म्म्म्म्म ……”
और ना चाहते हुए भी उसे गोरे हाथ उठकर इन्स्पेक्टर राहुल के सर के पीछे पहुँच गए और उसने उन्हें जोर से अपनी छाती पर दबा लिया ..
और ये सब वो कर रही थी अपने पति के सामने ..जो बड़ी अजीब नजरों से अपनी पत्नी को किसी और मर्द के साथ देखकर अपना लंड मसल रहा था ..