Nice and beautiful
"मैं अभी कहानी लेखन में बहुत ही नई कलम हु। मैंने इसके पहले कभी कोई कहानी या कविता नही लिखी.. ये मेरी प्रथम कहानी होगी इस मंच पर.. इससे पहले की मैं थ्रेड स्टार्ट करू कुछ बाते है जो मैं अपने पाठक-गण को बताना चाहता हु.."
- मैं , ये कहानी किसी तरह का अवार्ड या प्रशंशा पाने के लिए नही लिख रहा अतः कहानी के अपडेट, साइज और समय मेरे कम्फर्ट के हिसाब से होगा।
- मेरे निजी जीवन और परिवार के कार्य भार के चलते मैं कहानी सिर्फ सप्ताह के अंत मे और 2 या 3 घंटे ही लिखता हूं तो हो सकता है कि अप्डेट्स आपको देर में मिले।
- ये कहानी मुख्यतः INCEST Relationship (पारिवारिक संभोग जैसे भाई-बहन, पिता-पुत्री, माँ-बेटे, माँ-बेटी) पर बेस्ड होगी इसलिए अगर आपको ऐसी कहानी नही पसंद है तो ये स्टोरी नही पढ़े क्योकि ये कहानी इन्ही सब के इर्द गिर्द घूमेगी।
- इस कहानी में किशोर (Teen Age) और जवान उम्र के कई किरदार हो सकते है, अगर young erotica नही पसंद तो ये कहानी ना पढ़े ।
- इस कहानी के सभी पात्र 18 साल से ऊपर के है नियम के हिसाब से मैं 18 से कम उम्र नही लिख सकता. तो इस बात का ध्यान रखे और मुझसे किसी किरदार विशेष की असली उम्र बताने का आग्रह ना करे।
- "इस कहानी में इन्सेस्ट + अडल्ट्री है | मतलब परिवार के अंदर भी सम्भोग हो सकता है और परिवार के बाहर भी जानने या ना जानने वाले लोगो के साथ भी सेक्स हो सकता है | सिर्फ परिवार के अंदर ही सेक्स चाहने वालो के लिए कहानी थोड़ा निराशाजनक हो सकती है |"
- सबसे महत्वपूर्ण आपका सुझाव और आपकी आलोचना है , जिससे कि मैं अपनी कहानी को सही दिशा मैं ले जा रहा हूं कि नहीं यह मुझे पता चलता रहेगा, कहानी अगर अच्छी लगे तो, आपके प्यार, वोट्स, रेप्स, आलोचना और सुझाव का इंतजार रहेगा ।
Nice and beautifulलास्ट अपडेट में आपने पढ़ा के मैं शाम को पार्क गया था घुमने और वहा के माहोल को देख कर मई गर्म हो गया था फिर थोड़ी देर बाद मुझे एकक कपल मिला जिन्हें देख कर मुझे लगा के वो चुदाई कर रहे है और जब मई पास जाने लगा तो वो भाग गये और उसी वक़्त मुझे उस लड़की को देख कर ऐसा लगा की वो अंजलि है |
Note: नाना-नानी का जीकर अभी इसलिए नहीं हो रहा है क्युकी वो लोग तीर्थ पर गये हुए है और छोटे मामा काम के सिलसिले में दुसरे सिटी गये हुए है
अब आगे ........
मई यही सोचता घर आया की क्या वो लड़की वाकई अंजलि ही थी या फिर मेरा भ्रम था वो. जब मैं घर पंहुचा तो देखा मामी और मम्मी मिलकर रात के खाने का इंतजाम कर रहे थे , मामा अभी तक दुकान से आये नहीं थे, रवि भी अपने दोस्तों के साथ बाहर था, पर इन सब से दूर मेरी आँखे तो बस अंजलि को खोज रही थी पर वो अभी तक घर नहीं आई थी. मैं रसोई में जाकर मामी से अंजलि का पूछता हूँ तो मामी एक बार के लिए तो मामी मुझे गौर से देखती है फिर बोलती है
मामी
मामी- पता नहीं बेटा, शाम को तो अपनी सहेली के पास जा रही हु बोल कर निकली है घर से. तुझे कुछ काम था क्या??
मैं-(थोडा हडबडा कर) न-न-नहीं मामी , म-म-मैं थो यूँ ही पुच रहा था .
मामी- ठीक है तू जा कर टीवी देख फिर, खाना बन जायेगा तो फिर आवाज लगा दूंगी मैं.
मैं ठीक है बोल कर वहा से बाहर हाल में आ कर टीवी देखने लगा पर अभी भी मेरे दिमाग में पार्क वाला सीन ही चल रहा था की कैसे उस लड़की की गरम कामुक आवाजे आ रही थी झाड़ियों से, कितना मजा ले रहा था वो लड़का उस लड़की के, फिर अचानक से उस लड़की में अंजलि का चेहरा सोच कर मई और ज्यादा गर्म हो गया की क्या वो लड़का मेरी बहन अंजलि को चोद रहा था और सोचते-सोचते मेरा तम्बू मेरे लोअर में खड़ा हो गया और मैंने सोचा के अब तो बाथरूम में जा कर हिलाना होगा | ये सोच कर मैं जैसे ही बाथरूम की जाने को उठा उसी वक़्त मेन गेट से अंजलि अन्दर आई . उसे देख कर मुझे अजीब सा लगा उसके हुलिए से वो काफी थकी-थकी सी लग रही थी पर अलग खुसी भी थी चेहरे पर| वो अन्दर आई और हॉल में मुझे देख कर बोली
अंजलि- हाय भैया!! क्या देख रहे हो टीवी पर
मैं- (अचानक से उसके ऐसा पूछने पर मैं अपने ख्यालो से बाहर आय) कुछ नहीं अंजलि अब कोई था नहीं बात करने को तो यूँ ही टीवी चालू कर लिया
अंजलि- अरे भैया... मतलब आप बोर हो गये यहाँ
मैं- नहीं वो तो बस तुम भी चली गयी थी तो कोई था नहीं बात करने को
अंजलि- ठीक है भैया अब मैं आ गयी हूँ न अब आपको बोर नहीं लगेगा मैं बस फ्रेश हो कर आई
ये बोल कर अंजलि अपने रूम की ओर चली जाती है पर पीछे मैं और ज्यादा खो जाता हु अपने ख्यालो में. अभी अंजलि की चेहरे की खुसी और थकावट मेरे दिमाग में बार-बार यही ख्याल ला रहे थे की इसकी ऐसी हालत कैसे ?? क्या वाकई में वो लड़की अंजलि ही थी ?? और थी तो क्या वो उस लड़के से चुद रही थी ??
ये सब सोचते मेरा दिमाग फटा जा रहा था क्या सच है और क्या झूट. और आखिर में मैंने सोचा की इस बात की सच्चाई तो मैं पता कर के रहूँगा पर कैसे ये नहीं पता था अभी मुझे.
थोड़ी देर में ही अंजलि अपने रूम से अपने कपडे चेंज करके आ गयी. उसने एक टाइट टॉप और एक हॉट पेंट पहना हुआ था जिसमे वो कमल की लग रही थी|
उसको देख कर तो एकक बार के लिए मैं खो सा गया फिर उसके आवाज देने पर मैं होश में आया.
अंजलि- कहाँ खो गये भैया ?? क्या सोच रहे हो इतना मुझे भी बताओ
मैं- म-म-म-मैं कहाँ कुछ सोच रहा हूँ !! तू कुछ भी मत बोल हा-हा-हा
अंजलि- अच्छा !!! मैं कुछ भी बोल रही हु ?? या फिर आप मुझे बताना नहीं छह रहे .
मैं- नहीं कुछ भी नहीं सोच रहा था मैं.
अंजलि- जरुर अपनी गर्लफ्रेंड को याद कर रहे होगे आप हा-हा-हा
मैं अंजलि से काफी फ्रैंक था पर आज तक हमारे बीच गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड वाली बात नहीं हुई थी . पर उसके ऐसा पूछने पर लगा की शायद वो मजाक कर रही हो |
मैं- नहीं यार!! कहाँ मेरी गर्लफ्रेंड होगी. मैं किसी को पसंद आ जाऊ इसका सवाल ही नहीं.
अंजलि- क्या भैया!! आप इतने अच्छे तो दीखते हो. कोई भी पसंद कर लेगी आपको. लगता है आप बताना नहीं चाहते मेरे को
मैं- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, अगर कोई होती तो जरुर तुझे बताता.
मैं-तू अपना बता? तेरा किसी से कोई चक्कर तो नहीं (मैं पार्क वाली बात वो सोच कर ये बात पुछा)
मेरी बात को सुन कर अंजलि थोडा सोची जो मुझे समझ में आ गया, फिर बोली
अंजलि- नहीं भैया आपकी तरह ही मैं भी सिंगल हूँ
मुझे लग गया की ये सीधे तो यह नहीं बताने वाली की उसका कोई बॉयफ्रेंड है या नहीं. मुझे ही इसके ऊपर नजर रखनी होगी. ये सोच कर मैं बोला
मैं- अरे सच बता?? तेरे जैसी सुन्दर लड़की के तो 3-4 बॉयफ्रेंड होते है और तू बोल रही है की एक भी नहीं है
अंजलि- अरे कहा भैया , आप भी झूठी तारीफ करने लगे .
हम दोनों ऐसे ही बाते कर ही रहे थे की मामी की आवाज आई
मामी- खाना तैयार है .दोनों आ के खा लो गर्म-गर्म
अंजलि- हा माँ भैया और मैं आते है खाने
ये बोलकर हम डाइनिंग टेबल पर बैठ गये खाना खाने के लिए, मामी और माँ दोनों मिल कर हमे खाना देने लगी. हमारे खाते वक़्त ही मामा भी घर आ गये और अपने रूम की ओर चले गये फ्रेश होने और थोड़ी देर बाद रवि भी घर आ गया.
अंजलि और मेरे खाना ख़तम होने को आया था की मामा और रवि भी खाने के लिए आ गये फिर बाकि सब ने मिलकर खाना खाया . खाना खाते वक़्त ज्यादा बातें तो नहीं हुई किसी की .
खाना खाने के बाद मैं छत पर टहलने चला गया . मैं टहल रहा था साथ में सोच भी रहा था अंजलि के बारे में. थोड़ी देर बाद रवि भी ऊपर आ गया टहलने
रवि- क्या बढ़िया मोसम है न भैया आज का
मैं- हा रवि आज मोसम सुहाना है. और बता कैसा चल रहा है तेरा ??
रवि- कुछ खास नहीं भैया , बस दोस्तों के से घूमना फिरना ही है
मैं- कोई लड़की नहीं पटाई क्या अब तक
मैं और रवि भी खुले विचारों के थे तो आपस में खुल कर बात करते थे जब भी मोका मिलता हमें
रवि- एक थी भैया, अब तो ब्रेकअप हो गया है
मैं- तब तो मजे भी लिए होंगे तूने उसके?
मेरी बात सुन के रवि थोडा सा सरमा गया फिर बोला
रवि- आपको तो पता ही होगा भैया की आज कल हर कोई मजा के लिए ही गर्लफ्रेंड बनता है
मैं- हा वो तो है . पर तूने क्या क्या किया उसके साथ
रवि- (खुलकर बोलते हुए) सब कुछ किया था उसके साथ तो मैंने
मैं- अच्छा मतलब चुदाई भी करी है तूने उसकी.
रवि- हा भैया. वो थी ही इतनी गर्म की खुद ही बोलती थी चुदाई का
मैं- अच्छा!!! तो करता कहा था तू उसके साथ ?
रवि- घर में भी छोड़ा है उसको , और बाहर भी
मैं- घर का तो ठीक है पर बाहर कहा ??
रवि- अरे वो अपने घर के पास वाला जो पार्क है न वही
मैं- (थोडा उत्सुक होकर) क्या बात कर रहा है, पार्क में चुदाई ??
रवि- हा वो पार्क के अन्दर साइड वाला हिस्सा है न उधर
ये सुनते ही मुझे आज का सीन याद आ गया और मुझे लगा के शायद वो कपल वाकई में चुदाई ही कर रहे होगे
मैं- उधर क्या सब चुदाई ही करते है क्या ??
रवि- नहीं भैया कुछ लोग चूमा चांटी करके काम चलाते है और कुछ चुदाई कर के
मैं- ठीक है !! तो अभी तेरा काम कैसे होता है
रवि-(मेरी बात को समझते हुए) अभी तो कोसिस जारी है की कोई पट जाये
मैं- बढ़िया है| लगा रह पट जाएगी कोई न कोई हा-हा-हा
कुछ दे ऐसी ही हमारी बात चलती रही फिर रवि निचे चला गया अपने रूम . मई अभी भी ऊपर ताल रहा था और घर के बाकि सदस्य भी खाना खा कर अपने अपने रूम में चले गये थे( ऐसा मुझे लग रहा था) टहलते टहलते काफी टाइम हो गया था मुझे, काफी रात हो गयी और समय का पता ही नहीं चला मुझे और फिर मई अपने रूम की चल पडा सोने के लिए
(घर के बारे में थोडा बता दू आप लोगों को, घर दो फ्लोर का था जिसमे निचे चार रूम्स थे. एक नाना-नानी का दो मामा लोगो का और एक गेस्ट रूम जिसमे अभी मेरी माँ रुकी थी. फर्स्ट फ्लोर में भी चार रूम थे एक में रवि एकक में अंजलि और एक में मैं रुका था. एक रूम अभी खली था. दुसरे फ्लोर में मात्र एक ही रूम था वो भी स्टोर रूम था)
मेरा रूम सबसे लास्ट में था. पहले रवि का रूम था उसके बाद खाली रूम फिर अंजलि का रूम फिर मेरा रूम.
अभी मैं अपने रूम की ओर जा रहा था के मुझे लगा अंजलि के रूम से कुछ आवाज आ रही है और जैसे ही मैंने अपने कान लगाने हो हुए आवाज आनी बंद हो गयी. मुझे लगा शायद मेरा वहम था . उसके बाद मैं अपने रूम में आ कर लेट गया और दिन भर की बाते सोचते हुए कब नींद पड़ी पता ही नहीं चला.
क्या सच में अंजलि के रूम से आवाजें आ रही थी ?? या वो मेरा भ्रम था ?? क्या है उन् आवाजों का सच जानने के लिए अगले भाग का इंतजार करे ......