वो बाथरूम से बाहर आई और तौलिया सुखाने के बहाने गैराज में आई और अनजान बनते हुए बोली,”अरे… जीजू, आप अभी तक गाड़ी ही साफ कर रहे हैं?”
उसकी नजरें मेरी हाफ पैंट के ऊपर थी। जहां मेरा लण्ड हाफ पैंट के ऊपर से उफनता हुआ दिख रहा था और एक टैंट सा बना रहा था।
मैंने कहा,”बस गाड़ी साफ हो गई। चलो चलें।”
और गाड़ी साफ करने का कपड़ा अपनी हाफ पैंट के ऊपर से उफनते हुऐ लण्ड के आगे कर लिया। हम दोनों अन्दर आ गये। मैं आते ही टॉयलेट में घुस गया और अपने उफनते हुए लण्ड को मुठ मार कर शांत किया।
उस दिन से मेरा रोजाना का नियम बन गया, बेबो को खिड़की से झाक कर बाथरुम में नहाते देखने का। जब भी बेबो बाथरुम में नहाने जाती मैं गैराज में किसी ना किसी बहाने चला जाता। बेबो को पता होता था कि मैं उसे छुप-छुप कर देख रहा हूँ। मगर अब वो ओर दिखा-दिखा कर देर तक नहाती। चोरी से खिड़की की तरफ देख कर मुझे अपने को देखते हुए देखती। अब वो जिस समय बाथरूम में नहाने घुसती तो जोर से चिल्ला कर कहती,”दीदी, मैं नहाने जा रही हूँ।”
फिर जब मैं बाथरूम की खिड़की के छेद में से झांक कर देखने लगता तो वो बाथरूम में अपने कपड़े उतारने लगती।
अगर मुझे किसी वजह से गैरेज में आने में देर हो जाती तो वो बाथरुम ऐसे ही टाईम पास करती रहती। जब वो गैरेज के गेट खुलने की आवाज सुन लेती तभी वो बाथरुम में अपने कपड़े उतारना शुरु करती। मुझे अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वो अनजान बनते हुए सबसे पहले अपना टॉप उतारती। फिर खिड़की की तरफ मुँह करके अपनी ब्रा उतारती। ब्रा उतरते ही जब उसके स्तन उछल कर बाहर आ जाते तो वो उन स्तनों को धीरे-धीरे से सहलाती और अपने चुचुकों को मसलती।