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Adultery मैली

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naag.champa

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मैली
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अनुक्रमाणिका
अध्याय १ // अध्याय २ // अध्याय ३ // अध्याय ४ // अध्याय ५ // अध्याय ६

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naag.champa

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अध्याय १

“मैली, अरी ओ मैली” घर में कदम रखते हैं रखते हैं मेरी सासू माँ आलता देवी ने मुझे आवाज लगाई|

वैसे तो मेरा नाम चमेली है लेकिन बचपन में मैं अपना नाम ठीक से नहीं बोल पाती थी, इसलिए मेरे मुंह से सिर्फ मेली ही निकलता था| उसी वजह से तब से लोग मुझे शायद प्यार से “मैली” कह कर ही पुकारने लगे|

“यह तो रही मैं, सासु मैया, लो मैं आ गई”

“अरी ओ मैली, आज तूने फिर से इतनी देर काहे लगा दी? देखकर का कितना काम पड़ा हुआ है, सुबह से लेकर अब तक मैं सिर्फ भात (चावल) ही बना पाई हूं... बाकी की रसोई कौन देखेगा?”

“अब मैं क्या बताऊं सासू मैया| आज भी लाल बाबा के घर मांस पकाना पड़ा... उसके बाद उनका घर द्वार ठीक करके उसके बेटे को नहला धुला लाकर उसके बालों में कंघी- चोटी करके बिस्तर लगा कर आते आते देर हो गई अब मैं क्या करूं?”

“ठीक है, ठीक है वह सब मैं समझ सकती हूं| लेकिन थोड़ी बहुत कोशिश करके अगर तू थोड़ा जल्दी घर आ जाती तो अच्छा होता”

Bimola-Masi.jpg

(आलता देवी)

मैं मन ही मन सोचने लगी, मैं जल्दबाजी करूं तो कैसे करूं? लाल बाबा और उसका बेटा- लाडला दोनों ही मर्द है और मैं ठहरी एक अकेली जवान औरत... घर के सारे काम चूल्हा चौका वगैरा-वगैरा करने के बाद पारी पारी से मुझे उनके बिस्तरों में बदन पसारना पड़ता है तो क्या देर नहीं होगी?

सच कहूं तो मैं कभी कबार सोचने लगती हूं, मेरी जिंदगी का यह पड़ाव न जाने कहां से शुरू हुआ और न जाने कहां जाकर खत्म होगा | मुझे याद है कि मेरे माँ बाप ने बहुत ही कम उम्र में मेरी शादी करवा दी थी| इसकी सबसे बड़ी वजह थी हमारे अड़ौसी- पड़ोसी; जितने मुंह उतनी बातें लेकिन सब का यही कहना था कि उम्र के हिसाब से मेरे शरीर का विकास और सुंदरता में निखार कुछ ज्यादा ही तेजी से हो रहा था... मेरे लंबे लंबे घुंघराले काले बाल, बड़े-बड़े सुडौल स्तन और मांसल कूल्हों पर मर्दों का तो दूर औरतों की भी नजर पड़ती थी और उन सब के हिसाब से वक्त से पहले ही मैं जवान लगने लगी थी|

शायद इसीलिए मेरे माँ बाप ने जल्द ही मेरी शादी करवा दी है| मेरी शादी बहुत कम उम्र में तो हो गई, लेकिन उस हिसाब से ज्यादा दिनों तक मुझे अपने पति का साथ नहीं मिला|

मेरे पति शहर में एक जूट मिल में काम किया करते थे| वहां न जाने किस बात को लेकर झंझट शुरू हुआ, बात तोड़फोड़ और मारपीट तक आ पहुंची... उसके बाद थाना पुलिस - कोर्ट कचहरी का झमेला कुछ महीनों तक चलता रहा... और बदकिस्मती से मेरे पति को दस साल से ज्यादा की सजा हो गई|

शादी के बाद लड़की का घर आंगन उसका ससुराल ही होता है इसलिए मुझे मजबूरी में ही सही अपनी विधवा सासु माँ के गांव के घर में ही पनाह लेनी पड़ी|

इस गांव का नाम था “खाली गांव”|

पर इस गांव में खासियत थी, यहां कई सारे पुराने मंदिर, मस्जिद और मकबरे थे जिसकी वजह से यहां सैलानियों और भक्तों का आना जाना लगा रहता था|

और अगर देखा जाए तो मेरे पति है तो जेल में थे इसलिए उनके लिए तो खाने-पीने और रहने की कोई परेशानी नहीं थी लेकिन गांव के इस घर में मेरी और मेरी सासू माँ के लिए आमदनी का जरिया सिर्फ उनकी फल और फूलों की दुकान ही थी|

लेकिन दुकान से जो आमदनी होती थी घटती बढ़ती रहती थी और धंधे में तो कभी कबार नफा नुकसान होता ही रहता है... इसलिए घर में ज्यादातर तंगी ही बनी रहती थी|

गांव के बाजार में जहां हमारी दुकान थी उससे कुछ ही दूर है एक कब्रिस्तान था| उसके उसके पास में ही लाल बाबा का घर था|

लाल बाबा जादू टोना, जंतर मंतर, टोना टोटका ताबीज करके लोगों की बरकत किया करते थे और उनका आना-जाना हमारी दुकान में लगा ही रहता था|


Lalbaba2.jpg

(लाल बाबा)

सासू माँ के साथ-साथ मैं भी उनकी दुकान में बैठा करती थी, इसलिए लाल बाबा ने मुझे तो देख ही लिया था| मेरी आने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने मेरी सासू माँ से कहा कि उनका घर संभालने, चूल्हा चौका, झाड़ू पोछा वगैरा-वगैरा करने और उनके बेटे की देखभाल करने के लिए उन्हें एक औरत की जरूरत है जिसके बदले वह महीने के महीने अच्छी तनख्वाह देने के लिए भी राजी थे|

यह हमारे लिए बहुत अच्छा था मौका था इसलिए हम लोग एकदम राजी हो गए|

लाल बाबा के घर सिर्फ वह और उनका इक्कीस - बाईस साल का बेटा रहता था... उनके बेटे का नाम था लाडला|

इसका कारण भी मुझे बहुत जल्दी ही समझ में आ गया| वैसे तो वह लड़का- लाडला; इक्कीस - बाईस साल का था लेकिन उम्र के हिसाब से उसकी बढ़ोतरी नहीं हुई थी और वह दिखने में एकदम दुबला पतला और छोटे कद का था|

बचपन में ही उसकी माँ- यानी कि लाल बाबा की बीवी- गुजर गई थी और तब से उसकी आदत ही कुछ अजीब सी हो गई थी| उसने बचपन से अपने बाल नहीं कटवाए थे, फिलहाल उसके बाद उसके कमर तक लंबे हो गए थे और उसके अंदर एक अजीब सा बचपना और उसकी आदतें और बर्ताव बिल्कुल लड़कियों जैसी थी|


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(लाडला)

“अच्छा अब वहां खड़ी खड़ी क्या सोचे जा रही है, मैली?” सासू मा आलता देवी की आवाज सुनकर मेरे ख्यालों में खोई हुई थी उससे बाहर आई और फिर मैंने उनको सब कुछ खुलकर कर बता दिया, “ अब मैं क्या बोलूं सासु मैया; उनके घर में उनकी करीबी एक मैं ही तो हूं अकेली औरत और उसके ऊपर वह लोग जात और धर्म में परे मलेछ (दूसरे धर्म के) हैं... और उसके बाद लाल बाबा के कहने पर जब आपने भी इजाजत दे दी तब से तो मैं नंगी होकर के उनके बिस्तर पर अपना बदन पसार के टांगे फैलाने लगी... वह तो अपनी है मनमर्जी के हिसाब से मेरी जवानी से अपने हवस की प्यास को बुझाते रहते हैं और आपको तो पता है कि उनकी देखा देखी उनका बेटा लाडला भी यह सब सीख है और आजकल वह भी मुझे अपने बिस्तर पर लेटा करके मेरे बदन पर चढ़ जाता है... अब आप ही बताइए मेरे पास तो एक ही फुद्दी (योनि) है... और वहां उनके दो- दो खंभे (लिंग) इसलिए देर हो गई... और आपको तो पता ही होगा- वह लोग दोनों के दोनों मलेछ (गैर मजहबी) है, इसलिए वह दोनों के दोनों काफी देर तक ठुकाई (मैथुन) करने के काबिल है”

मेरी यह बातें सुनकर सासू माँ आलता देवी भी यादों में खो गई, उन्होंने मुझसे अपनी निगाहें हटाकर बाहर के खालीपन को देखते हुए भूलने लगी, “मुझे आज भी वह दिन अच्छी तरह याद है, पौ फटते ही तू नहा धोकर पेड़ के नीचे बैठकर लाल जवा फूलों की मला गूंथ रही थी... तेरा बदन अध गीला था तेरे लंबे लंबे काले घुंघराले बाल तभी भी गीले थे और तूने सिर्फ एक साड़ी पहन रखी थी वह भी भीगी हुई थी... साड़ी पहनने के बावजूद तेरा बदन ढके रहने के मुकाबले ज्यादा खुला खुला सा लग रहा था और क्योंकि साड़ी तेरे को तन से बिल्कुल चिपकी हुई थी तेरे बदन हर घुमाओ और उभार साफ झलक रहा था… ऐसी अध नंगी हालत में तू बहुत खूबसूरत लग रही थी और यह संयोग की बात है के लाल बाबा उसी वक्त हमारे घर आ गए| उन्हें उस दिन ताजे फूल और फलों की जरूरत नहीं|

हालांकि वो मुझसे सौदा कर रहे थे लेकिन मैं तभी यह भांप गई थी कि उनकी नजरें तुझ पर ही गढ़ी हुई हैं| क्योंकि वह तुझे बार-बार देखकर अपने दो टांगों के बीच के हिस्से को सहला रहे थे... और फिर उन्होंने कहा कि घर के कामकाज करने के लिए उन्हें एक औरत की जरूरत है जो कि उनकी बेटे की भी देखभाल कर सके| मैं एक बार में ही राजी हो गई|

जिस दिन से तुझे उनके घर काम शुरू करना था, उससे पहले दो तीन बार लाल बाबा हमारे घर आए थे| मैं जानती थी कि वह सौदा करने नहीं सिर्फ तुझे देखने के लिए आते थे और मैं जानती थी कि उनकी नजर तुझ पर पड़ चुकी है और यह गौर करने वाली बात है कि बचपन से ही उन लोगों के अंगों के सिरों की चमड़ी का टांका छिला हुआ रहता है... इसलिए उनके बदन में शायद हवस की गर्मी कुछ ज्यादा ही पैदा होती है...

इसलिए वह जब भी हमारे घर आते मैंने तुझे हिदायत दे रखी थी कि जब भी तो उनके सामने जाएगी इस बात का ध्यान रखना कि तेरे बाल बिल्कुल खुली होनी चाहिए हाथ में चूड़ियां नहीं होनी चाहिए और मांग में सिंदूर भी नहीं यहां तक की मैंने तुझे ब्लाउज पहनने के लिए भी मना कर रखा था... क्योंकि मैं जानती थी कि ऐसी वेशभूषा में तू बिल्कुल एक कुंवारी कच्ची कली जैसी लगेगी और इसके साथ ही है उनको और ज्यादा लुभाएगी...

और वैसे भी सोचने वाली बात यह है कि तू अगर किसी पराए मर्द के घर जाकर उसके बिस्तर पर अपना बदन पसारे की तो परिवार में दो-चार पैसों की आमदनी ज्यादा होगी और वैसे भी है तो अभी जवान है सुंदर है अकेले-अकेले इस तरह से पड़े रहना तेरे लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है... तू जैसे जवान और कब से लड़की अगर थोड़ा बहुत लेचारी कर भी लोगी तो क्या फर्क पड़ता है?”

लेचारी- हमारे गांव में ज्यादा से ज्यादा परिवार में शादीशुदा मर्द काम के सिलसिले में बाहर ही रहते हैं, इसकी बदौलत अच्छे-अच्छे घरों की लड़कियां, बहुएं या फिर औरतें अक्सर दूसरे मर्दो के साथ संबंध बना लेती हैं... भले ही यह व्यभिचार हो लेकिन इस प्रथा को चुपके चुपके हमारे समाज में स्वीकृति भी दी गई है...

और मेरे पति तो वैसे भी जेल में है|

फिर सासू माँ आलता देवी ने मुझसे पूछा, “अच्छा एक बात बता मैली, लाल बाबा का बेटा लाडला कब से तेरे बदन पर चढ़ने लगा? मुझे शक तो बहुत पहले से ही हो गया था मैं काफी दिनों से सोच रही थी कि मैं तुझ से पूछूंगी उसके बारे में लेकिन मुझे मौका ही नहीं मिला आज जरा खुल कर बताइए कि मुझे?”

क्रमशः
 
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naag.champa

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अध्याय २

अब मैं क्या छुपायुं आपसे सासु मैया? आप तो सब कुछ जानती हो| जिस दिन लाल बाबा ने मुझे पहली बार देखा था तो मुझे भी इस बात का एहसास हो गया था कि उनकी नजर मुझ पर पड़ चुकी है और उस दिन वो जब हमारे घर सुबह-सुबह आए थे, मेरे बदन पर उनकी पढ़ती नजरों को शायद मैं महसूस कर रही थी... इसलिए मैंने जल्दी-जल्दी जब अपनी साड़ी को ठीक करने के बाद अपने बालों को समेटकर जुड़े में बात नहीं गई; तो आपने कहा- 'मैली... मैली... मैली... अपने बालों को खुला ही छोड़ दे गीले बालों को बांधना नहीं चाहिए' हालांकि मैं समझ गई थी कि आप चाहती हैं कि लाल बाबा मुझे इस अध- नंगी हालत में और खुले बालों में देखें...”


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“ हाँ, हाँ, हाँ; मुझे सब कुछ अच्छी तरह याद है मैंने तो जानबूझकर ही तुझे अपने बालों को खुला रखने के लिए कहा था और उसके बाद मैंने तुझे हिदायत दी थी कि जब भी लाल बाबा हमारे घर आएंगे तू अपने हाथों की चूड़ियां उतार देना बालों को खोल देना मांग की सिंदूर मिटा देना ताकि तू बिल्कुल एक कुंवारी कच्ची कली जैसी दिखने में लगे और उनको और ज्यादा लुभाने के लिए उनके सामने मैंने तुझे ब्लाउज भी पहन ने के लिए मना कर रखा था”

“जी हाँ सासु मैया, उसके बाद जब मैं उनके घर काम पर लग गई तो मुझे पता चल गया बाप बेटा दोनों की नजर मुझ पर पड़ चुकी है और सच कहूं तो मेरा उनकी नजर में आना लाज़मी था- क्योंकि जब मैं घर से निकलती हूँ , तब तुम्हें पेटिकोट, ब्लाउज, जांगिया और साड़ी पहनकर अपने बालों को अच्छी तरह से कंघी करके जुड़े में बाँध कर जाती हूँ, क्योंकि रास्ते में आते जाते वक्त मुझे शर्मो हया का लिहाज करना पड़ता है, और सोचने वाली बात यह है क्या घर में रास्ते में आते जाते वक्त ब्लाउज और पेटीकोट ना पहनूं तो अंदर का सब कुछ वैसे भी हल्का-हल्का दिखने लगेगा खासकर मेरे हर कदम और हर हरकत से मेरे बड़े बड़े मम्मे (स्तन) काफी थिरकतें हैं|

लेकिन उनके ठिकाने पर पहुंचते ही, मैं उनके गुसल खाने में जाकर के अपने सारे कपड़े उतार देती हूं और आपकी दी हुई वह काले रंग की पतली सी साड़ी अपने वतन पर लपेट लेती हूं|

उनके घर मेरे दिन की शुरुआत कुछ इस तरह से होती है- सबसे पहले तो मैं उनका गुसलखाना धो डालती हूं... क्योंकि वहां से हमेशा पेशाब की बदबू आती रहती है| उसके बाद उनकी कमरों में झाड़ू लगाना, रसोई के लिए अनाज काटना उसके बाद खाना बनाना... और फिर कुएं में से पानी भर के लाना, वगैरा-वगैरा...

यह सब करते करते ही लाल बाबा के बेटे लाडला के नहाने का वक्त हो जाता है| और जैसा कि आप जानती हैं उसके कमर तक लंबे लंबे बाल है, इसलिए मैं पहले उसके बालों के तेल लगाती हूं फिर उसे गुसल खाने में ले जाकर उसके बदन पर साबुन लगा लगाकर नहलाती हूँ... और उसके बाद एक गमछे से उसका बदन पोंछ कर, उसके बालों को सुखाकर कंघी कर के चोटी बना देती हूँ... उसे उसकी लूंगी और बनियान पहना देती हूं|



तब तक उन दोनों के लिए खाना लगाने का वक्त हो जाता है, मैं उन दोनों को खाना खिला के लाल बाबा के बेटे लाडला को उसके कमरे में छोड़ आती हूं...

और फिर मौका देख कर लाल बाबा मुझे अपने कमरे में ले जाते हैं| उनके कमरे में जाकर मैं बिल्कुल नंगी होकर उनके बिस्तर पर लेट जाती हूं और अपनी दोनों टांगे फैला देती हूं... लाल बाबा भी अपने कपड़े उतार कर मेरे ऊपर लेट जाते हैं और फिर मेरे बदन को प्यार से सहलाते- सहलाते अपना खंबा (लिंग) मेरी फुद्दी (योनि) में डाल कर मजे में ठुकाई (मैथुन) करने में मस्त हो जाते हैं... जब तक कि उनका माल (वीर्य ) नहीं गिर जाता मेरे अंदर... दोपहर का भक्त ऐसे ही निकल जाता है...

और उसके बाद लाल बाबा के भक्तों के आने का वक्त हो जाता है... इसलिए मैं सिर्फ उनके बेटे लाडला की कमरे में चली जाती हूं और उसके साथ थोड़ा वक्त बिताती हूं और वैसे भी लाल बाबा ने मुझसे कह रखा है कि उसके बेटे के अंदर की लड़कियों वाली आदतों को दूर करने में उन्हें शायद मेरे मदद की जरूरत पड़ेगी... पर यकीन मानो सासु मैया, लाल बाबा के बेटे लाडला के साथ बैठकर बातें करना उसके साथ वक्त बिताना... मुझे तो ऐसा लगता है कि मैं किसी लड़की के साथ ही बैठी हुई हूं...

और मुझे आपसे और बात भी कहनी थी| इतने में लाल बाबा के कुछ भक्तों ने मुझे देख लिया था, और उन्होंने पूछा कि मैं कौन हूं? तो लाल बाबा ने उन्हें सब कुछ सच सच ही बता दिया-

उन्होने कहा कि मैं एक हिंदू लड़की हूं, जैसा कि हर कोई कहता है कि वक़्त से पहले ही मेरे बदन में जवानी चढ़ गई है और मेरे पति जेल में हैं इस लिए वह मुझे अपनी रखैल बना कर पाल रहें हैं चूंकि मैं उनकी रखैल हूँ वैसे तो मुझे उसके घर में कोई कपड़े पहनने का अधिकार नहीं है; लेकिन उन्होंने मेरी कम उम्र का लिहाज़ करके उन्होंने मुझे अपने बाल बांधने और मेरे बदन को एक साड़ी से ढकने की इज़ाज़त दे राखी है ... मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है क्योंकि अब यह ही मेरी ज़िन्दगी का सच है कि मैंने इसे स्वीकार कर लिया है।”

“यह सब बातें तो तुम मेरे को बता चुकी है और मैंने तुझे लाल बाबा के घर तो भी जब इसीलिए था ताकि वह तुझे जी भर के भोग सके... लेकिन यह तो बता कि उनका बेटा लाडला, कब से तेरे बदन पर चढ़ने लगा?”

सासु मैया, आपने जिस दिन से मुझे लाल बाबा के घर काम पर लगाया था उसके पंद्रह दिन बाद से ही यह सब शुरू हो गया... मुझे अच्छी तरह याद है आम दिनों की तरह उस दिन भी मैं घर के सारे काम निपटा कर रोज की तरह सबसे पहले लाल बाबा के बेटे लाडला के कमरे में जाकर मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसके बाद उसके बालों में बनी दोनों चोटियों को खोला और अपने दोनों हाथों में तेल मल कर उसके बालों में लगाने लगी|

लाल बाबा का बेटा लाडला बिल्कुल लड़कियों की तरह के सामने आईना लेकर बैठा हुआ था|

और मेरा क्या है हर रोज की तरह उस दिन भी थोड़ी ही देर पहले मैं लाल बाबा के बिस्तर पर लेटी हुई थी और उस दिन मुझे भी बड़ा मजा आया था पर मैंने यह गौर किया कि उस दिन लाल बाबा का बेटा लाडला मुझे आईने में देख देख कर थोड़ा थोड़ा मुस्कुरा रहा है|

आखिरकार मुझसे रहा नहीं गया, मैंने पूछ ही लिया, “क्या बात है जानेमन आज तो तेरा मिजाज बहुत खुश लग रहा है; क्या मैं जान सकती हूं की बात क्या है?”



लाल बाबा के बेटे लाडला को अगर मैं जानेमन कहकर बुलाती हूं तो उसे अच्छा लगता है और उस दिन मेरा सवाल सुनकर उसकी तो मानो बातें खिल गई| उसने मुझसे कहा, “जानती हो मैली दिद्दी (दीदी) आज ना, हमने तुमको देखा...”

“अच्छा? तू तो रोज ही मुझे देखता है, पर इसमें आज इतना खुश होने की क्या बात है?”

“हाँ, वह बात तो सही है- पर आज बात कुछ और ही है आज हमने तुमको देखा... वह भी उस वक्त जब तुम बिल्कुल नंगी थी... तब से हमारे पेट के निचले हिस्से में न जाने क्यों एक अजीब सी गुदगुदी जैसी हो रही है”

उसकी आवाज सुनकर मेरा दिल एक बार जोर से धड़क उठा| मैंने आपको थोड़ा संभाल के उससे पूछा, “अच्छा? लेकिन जानेमन; तूने मुझे नंगी हालत में किस वक्त देखा?”

“अरे उसी वक्त; जब तुम रसोई का काम खत्म करने के बाद अब्बू के कमरे में चली गई... अब्बू तो वहां पहले से ही मौजूद थे और उन्होंने कमरे की साड़ी खिड़कियां भी बंद कर रखी थी लेकिन आज एक खिड़की जरा सी खुली हुई थी उसी में से मैंने देखा कि तुम कमरे के अंदर आई और उसके बाद तुम धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतारने लग गई... बाप रे बाप तुम्हारे दुद्दू (स्तन) असलियत में कितने बड़े बड़े हैं”

“अच्छा, ऐसी बात है क्या?”

“अरे हाँ री, मैली दिद्दी (दीदी)... उसके बाद लाडला देखा कि अब्बू ने भी अपनी लुंगी और बनियान उतार दी और वह भी बिल्कुल नंगे हो गए... अब्बू का नुन्नू (लिंग) कितना लंबा मोटा और बड़ा है लेकिन हमने तुम्हारे दो टांगों के बीच में ना तो कोई खंभा देखा और ना ही अंडे (अंडकोष) देख कर तो ऐसा लग रहा था कि तुम्हारा नन्नू एकदम चपटा और तुम्हारे दो टांगों के बीच के हिस्से से बिल्कुल चिपका हुआ है और उसके बीच में एक बड़ी सी दरार है...

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उसके बाद मैंने देखा कि तुमने अपने बालों को खोल दिया और फिर बिस्तर पर लेट कर अपनी दोनों टांगों को फैला दिए और उसके बाद अब्बू तुम्हारे ऊपर लेट गए और तुम्हें खूब प्यार से सहलाने लगे... और उसके थोड़ी देर बाद तुम बड़े अजीब तरह से गहरी गहरी सांसें लेने लगी... फिर मैंने देखा कि अब्बू ने बड़े अजीब तरीके से अपनी कमर ऊपर उठाई और उसके बाद धीरे धीरे मानो तो मैं दबा कर तुम्हारे ऊपर फिर से लेट गए... उस वक्त तुम्हारा चेहरा देख कर मुझे ऐसा लगा था कि शायद तुम्हें किसी तरह का दर्द हुआ होगा तुमने अपना सर तकिया में मनो एकदम गाढ़ने की कोशिश की और अपने चेहरे को ऊपर उठाके की लेकिन मैंने देखा कि अब्बू ने मानो जबरदस्ती तुमको बिस्तर पर ही दबाकर लिटा रखा और उसके बाद वह फिर से तुम्हें प्यार करने लग गए... और उसके बाद वह अपनी कमर को ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे... करने लगे और तुम भी बड़े अजीब तरीके से सांस ले रही थी... न जाने कैसे-कैसे आहें भर रही थी... हम यह सब कुछ देर तक देखते रहे और उसके बाद हमने गौर किया कि अब्बू अब जल्दी-जल्दी अपनी कमर को ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे करने लगे थे... तुमने तो अब्बू को एकदम कसकर जकड़ रखा था... उसके बाद मुझे ऐसा लगा कि अब्बू थक गए हैं और वह कुछ देर तक ऐसे ही तुम्हारे ऊपर लेटे रहे... और फिर तुम से अलग होकर वह तुम्हारे बगल में लेट गए...

लेकिन थोड़ी देर बाद ही मैंने देखा कि अब्बू तुम्हारे ऊपर फिर से चढ़ गए और तुमने दोबारा अपनी टांगों को फैला दिया अब्बू ने अपनी कमर तुम्हारे कमर से दोबारा लगाई और फिर से वह तुम्हारे ऊपर लेट कर तुम्हें प्यार करने लग गए और दोबारा अपनी कमर को ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे... करने लगे... और तुम दोनों फिर से एक दूसरे को बहुत प्यार कर रहे थे...”

मैं एकदम भौंचक्की हो कर उसकी बातें सुन रही थी कि इतने में उसने कहा, “अच्छा एक बात बताओ मैली दिद्दी (दीदी) तुम जैसे मेरे अब्बू को प्यार करती हो ठीक वैसे ही हमें क्यों नहीं प्यार करती? तुम तो इतने दिनों से हमारे घर आ रही हो तुम एक बार भी हमारे सामने नंगी नहीं हुई बल्कि हर रोज तुम हमें नंगा करके नहलाती हो... यहां तक कि आज तक तुमने मुझे अपना दुद्दू (स्तन) भी पीने नहीं दिया... आज अपना यह आंचल हटा दो ना... मुझे तुम्हारे दुद्दूयों (स्तनों) को देखना है”

इतनी देर तक मेरी सासू माँ आलता देवी बड़े गौर से मेरी बातें सुन रही थी फिर उन्होंने पूछा, “अच्छा? फिर क्या हुआ?”

लाल बाबा के बेटे लाडला की यह सब बातें सुनकर मेरे तो हाथ पैर ही ठंडे पड़ गए थे| शुरू शुरू में जब मैं लाल बाबा के बिस्तर पर अपना बदन पसारने लगी थी तभी मैंने उनसे बार पूछा था कि आप मुझे इस तरह से हर रोज कमरे में ले जाकर के मेरे साथ मौज मस्ती करते हैं लेकिन अगर आपके साहबजादे ने यह सब देख लिया तो क्या होगा?

लाल बाबा उस बात को टालने की कोशिश कर रहे थे लेकिन फिर भी उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मेरा बेटा लाडला यह सब देख लेता है तो हो सकता है उसके दिमाग में जो लड़कियों वाली आदतें भरी हुई है वह शायद धीरे-धीरे दूर हो जाएँगी वह तो लगभग 21- 22 साल का हो गया है लेकिन उम्र के हिसाब से उसकी सेहत नहीं बनी दिखने में वह सिर्फ तेरा 13- 14 साल का लड़का लगता है... इसके बाद जैसे ऊपर वाले की मर्जी”

“अच्छा, उसके बाद क्या हुआ?” सासु मैया आलता देवी की उत्सुकता काफी बढ़ गई थी|

लाल बाबा के बेटे लाडला की बातें सुनकर और उसकी कोतुहल की आवाज में मेरे हाथ पैर ठंडे हो ही चुके थे और चेहरा भी एकदम गर्मी से लाल हो उठा था| लेकिन रोजमर्रा की तरह मैंने दीवार पर लगे खूंटे से सूती से बना बड़ा वाला गमछा अपने कंधे पर लटकाया और चुपचाप बाबा के बेटे लाडला का हाथ पकड़कर उसे गुसलखाने में ली गई|



गुसलखाने में पहले से ही मैंने बाल्टीयों में में पानी भर कर रखा था| उनमें से एक बाल्टी मैंने अपने पास खींची और फिर मक्के में पानी भरकर लाल बाबा के बेटे लाडला के बदन पर डालने लगी|

रोज की तरह लाल बाबा का बेटा लाडला अपने गीले बदन को रगड़ने लगा लेकिन मैंने गौर किया कि वह बार-बार थोड़ा थोड़ा मुस्कुरा कर मुझे ताड़ रहा है और मानो बड़ी अजीब सी निगाहों से वह मुझे सर से पांव तक नाप रहा है|

इससे पहले भी मैंने उससे बिल्कुल नंगा करके हर रोज नहीं लाया है लेकिन उस दिन पता नहीं क्यों वह मुझे जिस तरह से देख रहा था उससे मुझे थोड़ी परेशानी सी होने लगी थी|

मैंने अपना ध्यान बढ़ाने के लिए रोज की तरह मैं उसके बदन पर साबुन मलने लग गई लेकिन उस दिन जब मैं उसके दो टांगों के बीच के हिस्से में साबुन लगा रही थी तब मेरे अंदर भी न जाने एक अजीब सी है गर्मी आने लगी और मैंने गौर किया कि धीरे धीरे उसका एकदम शिथिल सपना हुआ लिंग शायद नाप में पहले के मुकाबले थोड़ा बड़ा दिख रहा है... और फिर धीरे-धीरे उसका वह अंग खड़ा होने लगा|

यह देखकर मैं भी थोड़ा बहक गई और अनजाने में ही मैंने उससे पूछ लिया, “अरे जानेमन, यह तुझे क्या हो रहा है?”

लेकिन लाल बाबा के बेटे लाडला को मानो किसी बात की कोई सुध ही नहीं थी उल्टा उसने मुझ से कहा, “मैली दिद्दी (दीदी), तुम अपनी साड़ी का आंचल हटा दो ना... हम तुम्हारी दुद्दूयों (स्तनों) को देखना चाहतें हैं...”

मैं थोड़ा सा शर्मा गई और फिर मैंने पूछा, “क्यों रे जानेमन, तू मेरी दुद्दूयों (स्तनों) को देखकर क्या करेगा?”

उसने उससे कहा, “तुम तो इतने दिनों से हमारे घर आती-जाती रहती हो लेकिन आज तक एक बार भी तुमने अपनी जानेमन के सामने नंगी नहीं हुई... लेकिन अब्बू के कमरे में जाकर तुम बिल्कुल नंगी हो जाती हो और आज ना जाने क्यों तुम्हें नंगी देखने का मेरा बड़ा मन कर रहा है”

उसकी यह सब बातें सुनकर मैं बिल्कुल घबरा सी गई थी और अनजाने में ही मेरे मुंह से निकल गया, “हट पगले ऐसी उल्टी-सीधी बातें नहीं किया करते”

'पगला' शब्द सुनकर ही अचानक मानो लाल बाबा की बेटे को थोड़ा गुस्सा सा आ गया, “मैं पागल नहीं हूं मैली दिद्दी (दीदी) अम्मी के गुजर जाने के बाद से ही हमें बस यूं ही लड़कियों की तरह सज कर रहने में अच्छा लगता है और तुम भी तो यह कहती हो कि हमारा बर्ताव बिल्कुल लड़कियों जैसा ही है यह सुनकर हमें बहुत अच्छा लगता है... और आज जब मैं तुम से बोल रहें हैं कि अपना आंचल हटाकर जरा मुझे अपने दुद्दूयों (स्तनों) को देखने दो तो इसमें तुम्हें परेशानी क्या है?”

उसको गुस्से में देख कर मैं थोड़ा घबरा गई और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती उसने अचानक ही जबरदस्ती मेरी साड़ी का पल्लू खींच कर हटा दिया| बस फिर क्या था एक ही पल में मेरे बदन का ऊपर का हिस्सा और एक ही झटके में जनाना खजाना एक बढ़ती उम्र के लड़के के सामने बिल्कुल खुले नंगे हो गए|

उसकी इस हरकत से मैं एकदम चौंक उठी और मेरे बालों का जुड़ा भी खुल गया... मैं सब कुछ छोड़ कर हड़बड़ी में अपना आंचल ठीक करने जा रही थी लेकिन लाल बाबा के बेटे लाडला ने मुझे मना किया| उसने कहा, “रहने दो... रहने दो... रहने दो... मैली दिद्दी (दीदी) तुम अपने दुद्दूयों (स्तनों) ऐसे ही खुला रहने दो... आज मुझे इन्हें देखना है”

मैं उससे और नाराज नहीं करना चाहती थी इसलिए गुसलखाने की गीली जमीन पर गिरे हुए अपने भीगे आंचल को मैंने उठाया कर अपनी कमर में लपेट लिया और फिर मुस्कुरा कर मैंने उससे कहा, “ठीक है जानेमन आज अगर तूने यह ठान ही ली है कि तुझे मेरे दुद्दूयों (स्तनों) को देखना ही है, तो ठीक है- यह ले देख लेकिन फिलहाल अब जल्दी से अच्छी तरह से मुझे तुझको नहला लेने दे”

यह कहकर मैं फिर से बाल्टी में भरे हुए पानी मैं मगर डूबो कर लाल बाबा के बेटे लाडला को नहलाने लगी|

मुझे इस तरह बदन की हालत में देखकर उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई थी लेकिन मैंने उसको नजरअंदाज किया और फिर गमछे से उसके बदन को पोंछ कर उसकी गर्दन के पास उसके गीले बालों का एक जुड़ा बनाकर उसके सर सर में बालों को रखते हुए एक छोटा गमछा बांध दिया और उसके बाकी हिस्से को उसके जुड़े के ऊपर लपेट दिया | फिर मैंने बड़ा वाला गमछा लेकर उसके बदन पर लपेट दिया कुछ इस तरह से कि जैसे उसकी छाती से लेकर उसकी जांघ तक गमछे से ढका रहे... बिल्कुल वैसे ही जैसे अगर वह लड़की होती तो शायद अपने बदन पर ऐसे ही यह गमछा लपेटति...

“अच्छा जानेमन, अब तो तूने मेरे दुद्दूयों (स्तनों) को देख ही लिया है... क्या अब मैं अपने सीने पर अपना आंचल चढ़ा लूँ? नहीं तो अगर तेरे अब्बू ने मुझे इस हालत में तेरे साथ देख लिया तो शायद वह नाराज हो जाएंगे”

किस्मत की बात है कि लाल बाबा का बेटा लाडला मान गया|

उसके बाद हमेशा की तरह मैं उसको उसके कमरे में देखी गई और उसके बालों को सुखाकर कंघी करने के बाद मैंने उसके बालों में हर रोज की तरह दो चोटियां गूंथने गई तो उसने मुझे रोका और कहा,

“नहीं, मैली दिद्दी (दीदी) आज मेरे बालों में चोटियां मत बनाओ, आज हम भी तुम्हारी तरह अपने बालों को जुड़े में बाँध कर रखेंगे और जब अब्बू यह पास लोग बाग आने लगेंगे; तुम ना- मेरे कमरे की भी सारे खिड़की दरवाजे बंद कर देना और बिल्कुल नंगी हो जाना हम भी उन की तरह तुम्हारे ऊपर लेट कर तुम्हें चूमेंगे, चाटेंगे... प्यार करेंगे और फिर अब्बू की तरह तुम्हारे ऊपर लेट कर मैं भी अपनी कमर ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे... करके हिलाएंगे”

उसके बाद वह फिर कुछ सोचने लग गया और फिर उसने मुझसे पूछा, “ अच्छा, मैली दिद्दी (दीदी) एक बात बताओ यह तो मुझे पता है और मैंने देखा भी है की लड़कियों के दुद्दू (स्तन) ऐसे गोल गोल बड़े-बड़े से होते हैं लेकिन लड़कियों के दो टांगों के बीच का हिस्साका हिस्सा और लड़कों के दो टांगों के बीच का हिस्सा ऐसा अलग क्यों होता है? और अब्बू जब तुम्हारे ऊपर लेट कर तुम्हें प्यार करते हैं तो अपनी कमर को वह ऐसे ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे क्यों हिलाते हैं? क्या तुम हमें यह सब समझाओगी?”

क्रमशः
 
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Vachanpremi

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Nagchampaji you have not completed your earlier story Rashmi ka Romanch on
a pretex that you were facing writer'block. you have however started new siory on same
theme Lechari. This story doesnt have the grip of Rashmi. i also observe that while
writing sex story you are shy of writing लंड, चुत, चोदना. anyway I request you complete
your old story Rasmi with open language
 

Lutgaya

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Congratulations for new story.
You are a magician of the words.
 
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