अध्याय ३
“तो फिर क्या तूने लाल बाबा को सब कुछ बता दिया?” सासू माँ आलता देवी ने मुझसे पूछा|
“मुझे आगे बढ़कर कुछ बोलने की जरूरत नहीं पड़ी, सासु मैया वह खुद ही समझ गया| जब लाडला ने मेरा आंचल हटा दिया था तब वह गुसलखाने की गीली जमीन पर गिरकर पूरी तरह से भीग गया था... लाडला को कमरे में ले जाकर उसे बनियान और लुंगी पहनाने के बाद मैंने उसे समझाया कि अब मुझे जाकर उसके अब्बू को खाना परोसा है इसलिए मुझे अपना सीना ढकना पड़ेगा और मैंने अपनी साड़ी के के लिए आंचल से ही अपना सीना ढक लिया|
लेकिन मेरा आंचल गिला था और साड़ी का कपड़ा भी काफी पतला था इसलिए मेरे मम्मे (स्तन), उसकी चूचियां और उनकी आसपास की गहरे रंग की गोलाइयाँ पल्लू के नीचे से साफ नजर आ रही थी|
मैं जब लाडला के कमरे से बाहर निकली तो लाल बाबा ने मुझे एक झलक देखते ही समझ लिया कि गुसलखाने में कुछ हुआ होगा|
उन्होंने मेरी छाती की तरफ देखते हुए पूछा, “अरी क्या हुआ, मैली?”
मैं किसी तरह से अपनी छाती के पास अपने हाथ बांघे अपनी शर्मो हया को बरकरार रखते हुए सर झुका कर उनसे कहा, “जी मालिक, आज आपके साहबजादे मेरा नंगा सीना देखने की जिद कर रहे थे... और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती उन्होंने जबरदस्ती मेरे बदन से मेरा आंचल हटा दिया और वह गुसलखाने की गीली जमीन पर गिर कर भीग गया...”
लाल बाबा ने जोर देकर मुझसे पूछा, “तो क्या तूने मेरे बेटे को अपने मम्मे (स्तन) दिखा दिए?”
मैंने सर झुका कर डरते डरते जवाब दिया, “ जी मालिक, जैसा मैंने आपसे कहा- आपके साहबजादे ने ही जबरदस्ती से मेरा आँचल हटा दिया था और मेरे बाल भी खुल गए थे... ना तो उन्होंने मुझे अपने बालों को बांधने दिया और ना ही मुझे अपना सीना ढकने दिया...”
“क्या और कुछ कहा मेरे साहबजादे ने तुझसे?” लाल बाबा ने मुझसे सवाल किया|
इतना कहकर मैं थोड़ी देर के लिए चुप हो गई... लेकिन सासू माँ आलता देवी इतनी देर तक चुपचाप मेरी बातें सुन रही थी, उन्होंने भी मुझसे पूछा, “फिर तूने लाल बाबा से क्या कहा?”
मेरे लाल बाबा से कहा, “जी मालिक. आपके साहबजादे ने हम दोनों को एक साथ कमरे में देख लिया था... जब मैं नंगी होकर आपके बिस्तर में लेट कर अपनी दोनों टांगों को फैला रखी थी वह भी उसने देख लिया... उसके बाद आपने भी अपने कपड़े उतार दिए और फिर उसके बाद आप मुझसे लिपटकर मेरे करीब आ गए और फिर आप मुझे चोदने लगे... यह सब उसने देख लिया”
यह सुनकर लाल बाबा थोड़ा सोच में पड़ गए और ना जाने क्यों मुझे लग रहा था कि वह मन ही मन खुश हो रहे हैं| उन्होंने मुझसे सवाल किया, “ क्या हमारे साहबज़ादे जान चुके हैं कि हैं कि चुदाई क्या होती है?”
अब मुझे थोड़ा थोड़ा डर लगने लगा था| मैं सोच रही थी कि लाल बाबा गुस्से में आकर मुझे डांटने फटकार ने ना लग जाए लेकिन मैंने देखा कि आप कुछ छुपाने से कोई फायदा नहीं है इसलिए मैंने सब कुछ सच सच उगल दिया, “जी मालिक, जैसा कि मैंने आपसे कहा आपके साहबजादे ने हम दोनों को ही बिल्कुल नंगी हालत में देख लिया था... वह कह रहे थे कि उसे मालूम है कि औरतों की मम्मे गोल गोल बड़े-बड़े से होते हैं लेकिन वह पूछ रहा था कि आदमियों के नुन्नू (यौनांग) और औरतों के नुन्नू (यौनांग) ऐसे अलग क्यों होते हैं? और वह यह भी पूछ रहा था कि है आप उस तरह से मेरे ऊपर लेट कर अपनी कमर को वैसे ऊपर-नीचे...ऊपर- नीचे क्यों कर रहे थे? और आपके साहबजादे चाहते हैं कि मैं उन्हें सब कुछ खुल कर समझाऊं”
लाल बाबा अपनी दाढ़ी को खुजलाते हुए जमीन पर नजरें गड़ाए उस देर तक कमरे में चहल कदमी से करते रहे, और उसके बाद जब उन्होंने मेरी तरफ देखा; तो मैं बहुत डर गई लेकिन उन्होंने मुस्कुरा कर मुझसे कहा, “ हमारे साहबजादे कई लड़कियों वाला बर्ताव हम दूर करना चाहते हैं... तू एक काम कर मैली, तू मेरे साहबजादे को सब कुछ समझा दे... और जब तो मेरे कमरे से बाहर निकलेगी और मैं लोगों की बरकत में लग जाऊंगा... तब तू उसके कमरे में चली जाना और उसको प्यार करना तो दुलारना और उसे सब कुछ समझा देना... उसे इस बात का इल्म हो जाना चाहिए एक आदमी और औरत के बीच में ऐसे रिश्ता कायम होता है... एक आदमी एक औरत को कैसे भोगता है... आज से मैं तुझे पूरी इजाजत और खुली छूट देता हूं... आज के बाद तू मेरा साहबज़ादा भी तेरे साथ वह सब कुछ कर सकता है जो मैं तेरे साथ करता हूं... और यह सब काम तुझे आज ही से शुरू करना है मैं चाहता हूं कि तो घर जाने से पहले मेरे साहबजादे से भी चुद कर जा...”
सासू माँ आलता देवी ने उससे पूछा, “यह सब कुछ सुन कर तूने उनसे क्या कहा?”
“अब मेरे पास बोलने को रही क्या गया था, सासु मैया? आपने जैसा इंतजाम किया था उसके मुताबिक मैं तो लाल बाबा की एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ... इसलिए मैंने सिर्फ सर झुका कर अपने सीने के पास हाथ बांधे सर झुका कर मैंने उनसे कहा- जी मालिक जैसा आप कहें... लेकिन आपके साथ ज्यादा को कमरे में ले जाने से पहले मैं सीधे गुसलखाने में जाऊंगी और अपनी साड़ी उठाकर के अपनी चुत के आसपास और अंदर नारियल का तेल लगा लूंगी... इसके बाद मैंने लाल बाबा से बेझिझक होकर बोली- दरअसल उनके साहबजादे लाडला के लिए एक औरत के साथ करीबी का यह पहला तजुर्बा होगा और हालांकि उसका खतना किया हुआ है लेकिन मैं नहीं चाहती थी कि उसे किसी तरह की कोई तकलीफ हो...
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जहां तक मुझे पता था चुपके चुपके दूसरों की बातें सुनना ज्यादातर लड़कियों की आदत होती है और वैसे भी उस वक्त है मेरे दिमाग में काफी सारी बातें घूम रही थी| इसलिए शायद मुझे पता नहीं चला कि चुपके चुपके लाडला हमारी सारी बातें सुन रहा है|
कुछ भी हो वैसे लाडला तो एक लड़का है लेकिन लड़कियों की तरह चुपके चुपके दूसरों की बातें सुनने की आदत है उसमें भी है|
जब मैं दोनों पर बेटों को खाना परोस रही थी तब मैंने गौर किया कि लाडला का मिजाज है बहुत ही खुशनुमा हो रखा है| वह बार-बार हल्का हल्का मुस्कुरा रहा था... शायद उसे इस बात का अंदाजा हो गया था कि आज उसके साथ कुछ बहुत ही जबरदस्त होने वाला है... और वह मुझे बार-बार अजीब सी नजरों से देख रहा था... इसी बात को लेकर बड़ा खुश हो रहा था कि आज पहली बार शायद उसे मुझे पूरी तरह से नंगी देखने का मौका मिल जाएगा... उसकी यह तमन्ना सुबह-सुबह ही थोड़ी बहुत पूरी हो गई थी, क्योंकि उसने मेरे नंगे दुद्दूयों (स्तनों) देख लिया था... और अब वह यह जान गया था... कि मैं उससे सब कुछ समझाने वाली हूं... कि आदमियों के नुन्नू (यौनांग) और औरतों के नुन्नू (यौनांग) ऐसे अलग क्यों होते हैं? और मैं उसे यह भी बताने वाली हूं कि उसके अब्बू उस तरह से मेरे ऊपर लेट कर अपनी कमर को वैसे ऊपर-नीचे...ऊपर- नीचे क्यों कर रहे थे?
तब तक मैं हमारे घर में अमीषा सोऊंगा आलता देवी के साथ आराम से पलंग पर बैठ कर थोड़ा सस्ता रही थी और क्योंकि सारा दिन इतनी मेहनत करने के बाद में घर आई थी इसलिए सासू माँ आलता देवी ने मेरे बालों का जुड़ा खोला और फिर मेरे बालों को मेरी पीठ पर फैला कर एक बड़े दांत वाली कंघी से मेरे बालों में कंघी करने लगी|
“बाप रे बाप! मैली, बातें सुनकर मुझे तो बड़ा मजा आ रहा है... तू तो एक कुंवारे लड़के को एक नया तजुर्बा करवाने वाली थी... और उसे सब कुछ समझा मुझे आकर सिखाने वाली थी... उसके बाद क्या हुआ?”
मैंने दोबारा बोलना शुरू किया-
हर रोज की तरह दोपहर के खाने के बाद लाल बाबा बाहर वाले कमरे में चले गए जहां बरकत के लिए उन को मानने वाले कुछ लोग पहले से ही आ पूछे थे... और मैं जानती हूं कि वह फिलहाल दो-तीन घंटे के पहले आने वाली नहीं है... इसलिए मैं सीधे लाडला के कमरे में गई सबसे पहले तो मैंने बिस्तर ठीक किया और उसके बाद सर रखने के लिए दो तकिए यह बिल्कुल पास पास रख दिए| उसके बाद मैंने कमरे की सारी खिड़कियां बंद कर दी... और फिर जब मैं गुसलखाने की तरफ गई... तो मैंने देखा कि वहां लाडला उकड़ूँ होकर बैठ कर पेशाब कर रहा है| उसने मिलूंगी कमर तक उठा रखी थी और वह बाप बेटा तो वैसे भी चड्डी नहीं पहनते और लाल बाबा के मुताबिक मुझे भी सिर्फ साड़ी के अलावा और कुछ पहनने की इजाजत नहीं है...
लाडला के मठमैले रंग के कूल्हे और बालों से भरी जांघें साफ नजर आ रही थी... यूं तो मुझे लाडला को हर रोज नंगा देखने का मौका मिल जाता है पर आज न जाने क्यों आज मुझे ऐसा लग रहा था कि उसका लिंग थोड़ा बड़ा और तना तना सा लग रहा है...
“हा हा हा हा हा” यह सुनकर सासू माँ आलता देवी हंस पड़ी, “आखिरकार उसका भी खड़ा होने लग गया था... अच्छा फिर क्या हुआ?”
मेरी सांसों में आलता देवी जब भी मेरे बालों में कंघी करती है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है... उनके हाथ में मानो जादू है... इसलिए मैं बिल्कुल आराम से बैठकर फिर से अपना किस्सा सुनाना शुरू कर दिया-
मुझे गुसलखाने के बाहर खड़ा देखकर लाडला की बांछें खिल गई|
मैंने उससे कहा, “जानेमन लाडला, मूतने के बाद थोड़ा पानी डाल दिया कर... नहीं तो बहुत ही घटिया बदबू आती रहती है”
लाडला के दिमाग में तो पहले से ही लड्डू फूट रहे थे उसे लग रहा था कि आज कुछ धमाकेदार होने वाला है लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या होने वाला है... इसलिए मेरे एक बार कहने पर ही उसने गुसलखाने में पानी डाल दिया|
फिर मैंने उससे कहा, “अब जानेमन, अपना नन्नू और अंडों को (अंडकोष) अच्छी तरह से साबुन लगा के धो ले... और अपनी झांटों को भी धोना मत भूलना”
लेकिन लाडला में इस बार मेरी बात नहीं मानी वह सीधे खड़ा होकर अपने लोगों की उठाकर अपने दो टांगों के बीच के हिस्से को मुझे दिखाते हुए उसने कहा, “मैली दिद्दी (दीदी)... तुम ही आकर मेरे नन्नू और अंडों को (अंडकोष) धुला दो ना? रोज तो तुम मुझे नहीं लाती हो... मेरे पूरे बदन पर साबुन लगाती हो... अभी भी ऐसा ही करो ना... मुझे तुम्हारे नरम नरम हाथों की छुअन बड़ी अच्छी लगती है”
मैंने मुस्कुराकर एक गहरी सांस छोड़ी और फिर उसके सामने बैठकर उसके लिंग, अंडकोष और झांटों साबुन लगाकर अच्छी तरह से धो दिया|
फिर मैंने उससे कहा, “अब सुन जानेमन लाडला, तू कमरे में जाकर बैठ, मैं बस अभी आती ही हूं”
“ऐसा क्यों, मैली दिद्दी (दीदी)? मैं अकेले अकेले कमरे में क्यों जाऊं? तुम मुझे लेकर चलो ना... और वैसे भी आज तो मैं तुम्हें अब्बू की तरह बिल्कुल नंगी करके तुमको प्यार करने वाला हूं...”
मैंने जानबूझकर मजाक मजाक में उसको बोली, “तू यह सब क्या बोल रहा है जानेमन लाडला; अगर तेरे अब्बू को यह सब पता चल गया वह मुझे डांटेंगे “
“हा हा हा हा हा” लाडला जोर से हंस उठा, “ बिल्कुल नहीं री, मैली दिद्दी (दीदी) मैंने चुपके चुपके तुम दोनों की सारी बातें सुन ली थी... और मैं जानता हूं कि अब्बू ने तुम्हें इस बात की इजाजत दे दी है कि तुम मुझे सब कुछ अच्छी तरह समझा दो और बता दो...”
मैंने जैसा सोचा था बिल्कुल वैसा ही हुआ.. लाडला दे हमारी सारी बातें चुपके चुपके सोने दी थी|
मैंने हंसकर उससे कहा “ठीक है जानेमन लाडला... फिलहाल तो कमरे में जाओ उसके बाद तू मुझे बिल्कुल नंगी करके मुझसे प्यार करना”
“क्यों? तुम मुझे अपने साथ लेकर चलो ना?”
“रुक थोड़ी देर, फिलहाल मुझे भी पेशाब करना है... और उसके बाद मुझे अपनी जनानी नन्नू (यौनांग) साबुन लगाकर अच्छी तरह धोना है उसके बाद मैं तेरे कमरे में आती हूं”
लेकिन लाडला नहीं माना उल्टे उसने मेरे से कहा, “ नहीं नहीं नहीं, मैं तुमको छोड़कर नहीं जाऊंगा| वैसे भी मैंने तो यह देख ही दिया है कि आदमियों का नुन्नू (यौनांग) और औरतों का नून्नू (यौनांग) कैसे अलग तरीके का होता है... लेकिन आज तक मैंने किसी औरत को मूतते हुए नहीं देखा... आज तुम मेरे सामने मूत के दिखाओ ना... मैं भी तो देखूं कि लड़कियां कैसे मूतती हैं”
क्रमशः