Btw aapke sawalon ka jawab dene ke liye main badhya nahi hun...
lekin yun ki aap confusion mein hai revo ko padh ke, chaliye ye confusion bhi dur kar deti hu... writer sahab aaj had se zyada dukhi ho gaye the reviews ko read karke ... isliye ek positive review deke unko khush karne ke koshish ki hai... unki nazar mein jo kirdaar sahi hai.. ushi baat pe haan mein haan milake ek sakaratmak sameeksha dene koshish ki hai.... isse atirikt aur kuch nahi...
लेखक क्यों दुखी है, मुझे पता नही, लेकिन इतना कहूंगा, मै बहुत कम कहानी पर ही रिव्यू देता हूँ,
और ये कहानी बहुत ही बेहतरीन है।
किसी कहानी मे कुछ पात्र के साथ कुछ हुआ, इसके लिए कोई गलत कॉमेंट किया तो इसके लिए लेखक को दुखी होने की जरूरत नही है,
असल जिंदगी मे भी ऐसा ही होता है कि सबकी अपनी अपनी जिंदगी मे बहुत कुछ अच्छा या बुरा चलता रहता है,
लेकिन हमे पता नही होता है इसलिए हमे फर्क नही पड़ता है,
कोई कितना जानता है कि उसकी बहन सहेली से मिलने या ट्यूशन बोलकर कहाँ जाती है या वहाँ क्या करती या करवाती है,
बहन, पत्नी, माँ या सास की सहेली कैसे बहला फुसला कर गलत रास्ते पर ले जा रही है या पानी या खाने मे कुछ मिला कर उनके साथ गलत करवा दे रही है।
क्या सभी अपनी माँ, बहन, पत्नी आदि की छोटी छोटी कुछ अप्रत्याशित बात पर जासूसी ही करने लग जाते है या भरोशा करते है कि अगर उनको कुछ गलत लग रहा है या उनके साथ कुछ गलत होगा तो वे खुद ही बता देंगे।
तो यहाँ रोहित का पात्र पूरी तरह से वास्ताविकता से जुड़ा पात्र है।