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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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37,299
219
अध्याय 35

पिछले अपडेट की घटनाओं को लेकर हमारे परम मित्र और इस फॉरम के चीर फाड़ विशेषज्ञ फ़ायरफ़ॉक्स भाई ने कुछ प्रश्न किए.... हालांकि इनके बारे में सांकेतिक रूप से अपडेट में दिया हुआ है लेकिन में यहाँ विस्तार पूर्वक सामने रखना चाहता हूँ... जिससे अन्य पाठकों को भी कोई भ्रम ना रहे

kamdev bhiya last update mein ek baat samjh mein nahi aayi .. ki

(1)jab Nilofer ne specially bola tha ki police ko le kar mat jaana .. nahi to problem ho jaayegi uski maa ke liye aur baaki logo ke liye .. to phir kyon Vikram waha police ko le kar gaya tha .. wo chupke se bhi to jaa kar pehle un logo se baat kar ke neha ko waha se nikaal kar .. police walo ke bajaaye seedha uske parents ko sop deta ...



(2)aur doosri baat .. Vikram nilofer ko kota bhejne ki baat kar raha hai aur uski maa ko apne saath le jaane mein dikkat bata raha hai .. ki waha par log uske baare mein poochenge .. to ye baat to nilofer ke liye bhi to laagu hoti hai .. same conditon uspar bhi to apply hogi .. kya log Vikram se nilofer ke baare mein nahi savaal - jawaab karenge ki ye kaun hai aur yaha kyon rehne aayi hai ...



(3)aur jab ek rehne ke liye jaa sakti hai .. to dono kyon nahi .. aur sabse badi acchambhe wali baat to Nilofer ki lagi .. ki uski maa ke poochne par turant he wo Vikram ke saath jaa kar khadi ho gayi .. jaise ki ye sab pehle se he planned tha .. bas nilofer ki maa ki fake permission chahiye thi ...



(4)waise dekha jaaye to .. itni bewakoof to nilo ki maa bhi nahi hai .. aakhir wo ek trained jasoos hai .. aur itne saalo se ek dushman desh mein akele he khud ke desh ke muljimo se bahut he chalaaki se bachke rehti aayi hai .. aur itne saalo tak apni beti par kabhi aanch nahi aane di .. jaroor yaha kuch locha to hai ...



khair agle update ka intezaar rahega ...

इन चारों सवाल के जवाब..... विस्तार से....आपको यहाँ दे रहा हूँ

.........................................................

कॉलेज पार्किंग में नीलोफर और विक्रम की बातचीत होने के बाद विक्रम वहाँ से नाज़िया के घर को निकाल गया। नीलोफर से किए गए वादे के मुताबिक ही विक्रम ने नेहा के बारे में पुलिस को कोई सूचना नहीं दी और नाज़िया के घर पहुँच गया। घर के दरवाजे पर जाकर जब विक्रम ने घंटी बजाई तो कुछ देर तक अंदर से कोई आवाज नहीं आयी... विक्रम ने दोबारा घंटी बजाई तभी उसे दरवाजे की ओर बढ़ते कदमों की आहट सुनाई दी।

“कौन?” अंदर से नाज़िया की आवाज आयी

“आंटी, में विक्रम... दरवाजा खोलिए मुझे आप लोगों से जरूरी बात करनी है” विक्रम ने कहा तो कुछ देर के लिए नाज़िया का कोई जवाब नहीं आया

“आंटी मुझे पता है आप, पापा, मुन्नी आंटी, विमला बुआ सब यहीं पर हो... और जिसे साथ लिए हो... मुझे उसी बारे में बात करनी है... अगर आपने मुझसे बात नहीं की तो आप सब बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ जाएंगे” अंदर से कोई जवाब ना आते देख विक्रम ने दोबारा कहा

“2 मिनट रुको, में अभी दरवाजा खोलती हूँ...” विक्रम की धमकी सुनकर अंदर से नाज़िया की आवाज आयी

“सिर्फ 2 मिनट ...और कोई चालाकी नहीं” विक्रम ने कहा

“हाँ 2 मिनट .... सिर्फ..... और चालाकी नहीं... विजय जी को बुलाने जा रही हूँ... यहीं रुकना” कहते हुये नाज़िया के अंदर की ओर जाने की आवाज आयी। थोड़ी देर बाद ही अंदर से कुछ लोगों के बोलने की आवाज आने लगी और दरवाजा खुला

“तुम यहाँ क्यों आए हो और यहाँ का पता तुम्हें किसने दिया” दरवाजे के बीचोंबीच खड़े विजयराज ने कहा तो विक्रम ने कोई जवाब दिये बिना विजयराज को बलपूर्वक एक ओर हटाते हुये अंदर प्रवेश किया और विजयराज को भी अंदर की ओर खींचकर दरवाजा बंद कर लिया

“बुआ जी! इन्हें समझाओ.... ऐसे ही तेवर दिखाये तो अगली बार इस घर या किसी और घर में नहीं जेल में ही मुलाक़ात होगी मुझसे” विक्रम ने विजयराज को छोड़ा और विमला के पास आते हुये कहा

“भैया आप चुपचाप बैठ जाओ और मुझे बात करने दो... नाज़िया तुम भी बैठो.... आजा बेटा यहाँ बैठ मेरे पास और बता.... क्या बात है” विमला ने विक्रम को अपने पास सोफ़े पर बैठने का इशारा करते हुये कहा

विक्रम विमला के पास बैठ गया और उसने नेहा और उस लड़के को बुलाने को कहा। उन दोनों के साथ मुन्नी भी आकार सोफ़े पर बैठ गयी तो विक्रम ने उन सबसे कहा कि नेहा का मामला अब बहुत बड़ा बन गया है... इसलिए नेहा को किसी बाहरी जगह से अपने घर कॉल करके अपने माँ-बाप को बुलाना होगा और उन्हें बता दे कि वो नशे की लत की वजह से इस लड़के के साथ चली गयी थी...इन लोगों के सेक्स रैकेट या इनके किसी के नाम नहीं लेगी... तो नेहा और उस लड़के ने कहा कि वो नाज़िया के अलावा बाकी के सिर्फ नाम ही जानते हैं... और इनमें से किसी का नाम नहीं लेंगे। अब विक्रम ने उस लड़के से भी कहा कि उसके ऊपर ड्रग्स का मामला तो दर्ज है ही साथ ही नेहा के अपहरण का मामला भी है... लेकिन चूंकि नेहा बालिग है और अपनी मर्जी से उसके साथ गयी थी इसलिए अपहरण का मामला तो आसानी से खारिज करवाया जा सकता है... साथ ही ड्रग्स के मामले में भी विक्रम बड़ा से बड़ा वकील खड़ा करके उसे ड्रूग बेचने कि बजाय ड्रूग के शिकार के रूप में साबित करके नशा मुक्ति केंद्र भिजवा देगा... जहां से वो कुछ समय बाद सही होने पर रिहा कर दिया जाएगा। अगर किसी तरह से नेहा का मेडिकल होने पर नेहा को पुरुष संसर्ग कि पुष्टि के आधार पर बलात्कार का मामला बनाने कि कोशिश कि गयी तो वो नेहा के बालिग होने और सहमति से सहवास करने के आधार पर खारिज कर दिया जाएगा। इस प्रस्ताव पर वो लड़का तुरंत सहमत हो गया। और कोई इससे बेहतर विकल्प भी नहीं था उसके पास।

इसके बाद विक्रम ने बाकी सब को तुरंत यहाँ से किसी दूसरी जगह चले जाने को कहा, बल्कि सभी को अपने-अपने घर जाने को कहा। नाज़िया को मुन्नी के साथ जाने को कह दिया और नेहा व उस लड़के को साथ लेकर विक्रम अपनी कार से कश्मीरी गेट के लिए निकल गया वहाँ बस अड्डे के सामने एक पीसीओ बूथ से नेहा ने अपने घर फोन किया और इंतज़ार करने लगी उनके आने का.... उस लड़के को भी मेंने वहीं रहने को कहा.... जिससे की पुलिस उसे बरामद कर सके। पुलिस और नेहा के परिवार को ऐसा लगना चाहिए कि नेहा उस लड़के के साथ बस अड्डे से बस पकड़कर कहीं भाग जानेवाली थी लेकिन फिर नेहा का इरादा बदल गया और उसने मौका देखकर अपने घरवालों को फोन कर दिया अब इतने लोगों के सामने वो लड़का कोई जबर्दस्ती तो कर नहीं सकता था नेहा के साथ इसलिए वो इसे मनाने कि कोशिश में लगा हुआ था।

लगभग आधे घंटे बाद हुआ भी यही... नेहा के घरवाले पुलिस को साथ लेकर आए और उन दोनों को गाड़ी में बिठाकर ले गए...लेकिन तब तक पुलिस की नज़र में उस लड़के के द्वारा ड्रग लेने वाली एक और लड़की आ चुकी थी जिससे उस लड़के और नाज़िया के सेक्स रैकेट के लिंक का पता लग चुका था तो... नेहा को उसके माँ-बाप के हवाले कर पोलिकेवालों ने उस लड़के को सीधा हवालात में ले जाकर नाज़िया के देह व्यापार के बारे में पूंछताछ शुरू कर दी... लड़का पुलिस के टॉर्चर के आगे ज्यादा देर टिक नहीं सका और उसने नाज़िया के घर का पता .... उन्हें बता दिया।

पुलिस नाज़िया के मकान पर पहुंची और जब वहाँ की तलाशी ली तो उसे ना सिर्फ नाज़िया के बारे में बल्कि नीलोफर के बारे में भी पता चला कि नाज़िया की एक बेटी भी है... कागजात कि तलाशी में उन्हें नीलोफर का एक जन्म प्रमाण पत्र मिला जिसमें पटियाला का पता दिया हुआ था। जब पुलिस ने जांच पड़ताल के लिए पटियाला पुलिस से संपर्क किया तो नाज़िया कि सारी कहानी ही पुलिस के सामने आ गयी। दुश्मन देश कि नागरिक होने का पता चलते ही पुलिस बहुत तेजी से हरकत में आयी और इन माँ बेटी कि तलाश करने लगी। सिर्फ कुछ घंटों में ही... नाज़िया और नीलोफर विदेश घुसपेथिया बन गईं।

इधर विक्रम नेहा के जाते ही बस अड्डे से कॉलेज निकला और नीलोफर से मिला।

“नीलोफर वहाँ का सब कुछ निपटा दिया... लेकिन अब तुम्हारी माँ के साथ तुम्हारा रहना खतरनाक हो सकता है... क्योंकि इन लोगों का सेक्स रैकेट या ड्रग के मामले को लेकर यदि कोई भी बवाल हुआ तो पापा, विमला बुआ और मुन्नी आंटी को इनके लिए काम करनेवाला कोई नहीं जानता, सिर्फ नाज़िया आंटी को ही वो लोग जानते हैं और वो ही बॉस समझी जाती हैं। तो में उनके लिए इतना ही कर सकता हूँ की उनको रिहा करवाने और उनकी सुरक्षा के लिए व्यवस्था कर दूँ। लेकिन इन झमेलों में फँसने से नहीं रोक पाऊँगा, इसलिए मे तुम्हें उनके साथ रखकर कोई रिस्क नहीं ले सकता।“

“फिर क्या करोगे तुम, मेरे बारे में क्या सोचा हुआ है। याद रखना तुमने मेरी ही नहीं मेरी माँ की भी हिफाज़त का वादा किया था” नीलोफर ने कहा

“तुम्हें तो में हर हाल में बचा ही लूँगा, लेकिन तुम्हारी माँ ने पहले ही इतने बीज बो रखे हैं मेरे बाप के साथ मिलकर कि उनको किसी तरह से इस झमेले में फँसने पर निकाल तो सकता हूँ...लेकिन फँसने से नहीं बचा सकता, यहाँ तक कि अपने बाप को भी फँसने से नहीं बचा पाऊँगा...अगर उनका कोई मामला खुला तो” विक्रम ने साफ-साफ कहा

“लेकिन मेरे लिए क्या करोगे?” नीलोफर ने पूंछा

“तुम्हें नाज़िया आंटी से अलग करके अपने साथ रखूँगा और तुमने मुझसे कहा था ना कि तुम मुझसे प्यार करती हो, तो आज सुन लो... में भी तुमसे प्यार करता हूँ, आज से नहीं... जब तुम्हें पहली बार बचपन में अपने घर देखा था... लेकिन मेंने कभी तुमसे मिलने या कहने कि कोशिश इसलिए नहीं की.... क्योंकि हम दोनों के बीच एक दीवार थी... और उसके रहते हम एक दूसरे के साथ ज़िंदगी नहीं बिता सकते थे.... तुम्हारा मुसलमान और मेरा हिन्दू होना........ नाज़िया आंटी चाहे मान भी जातीं लेकिन मेरे घर में कोई नहीं मानता.... और फिर शायद कोई और भी इस मुद्दे को जरिया बनाकर बवाल खड़ा कर देता..... अब तुम अगर चाहो तो हम शादी कर सकते हैं....” विक्रम ने कहा

“यहाँ में अपनी और अपनी माँ की सलामती के लिए सोच रही हूँ और तुम शादी के लिए बोल रहे हो। हाँ! में आज भी तुमसे प्यार करती हूँ, शादी भी करना चाहती हूँ.... लेकिन पहले इस आफत से तो बाहर निकलें” नीलोफर ने झल्लाते हुये विक्रम की बात का जवाब दिया

“इस शादी से तुम्हारी हिफाज़त तो हो ही जाएगी... और तुम्हारी माँ की हिफाज़त के लिए कुछ तो इंतजाम वो लोग कर ही रहे होंगे बाकी में देख लूँगा” विक्रम ने मुसकुराते हुये कहा, नीलोफर की झल्लाहट देखकर उसे हंसी आ गयी

“शादी से हिफाज़त, जरा में भी तो सुनूँ, क्या सोचा है तुमने” नीलोफर ने मज़ाक उड़ाने वाले लहजे में कहा

“देखो सबसे पहली जरूरत तुम्हारी पहचान छुपाने की है उसके लिए तुम्हारा नाम नीलोफर से बदलकर नीलम कर दिया जाएगा... नीलम सिंह, इससे मेरे घरवाले भी तुमसे शादी करने की अनुमति दे देंगे... दूसरे तुम्हें नयी जगह छुपाने की जरूरत नहीं होगी... तुम मेरे साथ मेरी पत्नी के रूप में कहीं भी खुलेआम रह सकती हो... नीलम सिंह पत्नी विक्रमादित्य सिंह ......... कोई सोच भी नहीं सकेगा कि तुम नीलोफर जहां पुत्री नाज़िया हुसैन हो” विक्रम ने कहा तो नीलोफर भी सोच में पड़ गयी... कुछ देर सोचने के बाद वो बोली

“लेकिन अगर माँ या विजय अंकल तैयार नहीं हुये इस शादी के लिए... में और तुम दोनों ही जानते हैं कि हमारे माँ-बाप के बीच कैसे ताल्लुकात हैं... मुझे नहीं लगता कि वो हमारी शादी होने देंगे” नीलोफर ने कहा

“तो उन्हें बताने कि जरूरत क्या है... हम उन्हें सिर्फ ये बताएँगे कि तुम्हारी हिफाजत के लिए में तुम्हें अपने साथ कोटा ले जा रहा हूँ... और तुम वहीं रहोगी जब तक सब मामला शांत नहीं हो जाता” विक्रम बोला

“विजय अंकल को तो कोटा का पता मालूम है...और परिवार में से भी कोई उनको खबर कर सकता है कि में और तुम शादी कर रहे हैं... नाम बेशक बादल लोगे... लेकिन विजय अंकल बहुत तेज हैं... वो समझ जाएंगे कि नीलम सिंह में ही हूँ...और ये राज तुम्हारे और घरवालों को अगर विजय अंकल ने बता दिया तो ना तो हमारी शादी होगी और ना ही वो लोग मुझे वहाँ रहने देंगे” नीलोफर ने अपनी शंका सामने रखी।

“अरे कुछ नहीं होगा... पहली बात तो कोटा वाले घर का पापा को पता नहीं मालूम, दूसरे वहाँ हम सारे परिवार को इकट्ठा नहीं कर रहे... अकेले भईया ही हमारी शादी करा देंगे और उनके फैसले को घर में कोई बदल नहीं सकता” विक्रम ने नीलोफर को आश्वासन दिया

“ऐसा कैसे हो सकता है कि तुम्हारे घर का तुम्हारे ही पापा को पता ना हो और तुम्हारे कोई बड़े भाई भी हैं? मेंने तो आजतक सुना भी नहीं” नीलोफर ने शंकित भाव से कहा तो विक्रम मुस्कुरा दिया

“वास्तव में तुम्हारे जैसी बाल की खाल निकालने वाली लड़की से शादी करना भी बैठे बिठाये आफत मोल लेना ही है..... कोटा वाला घर मेरे छोटे चाचा का था... भईया ने वो उनको दिये पैसों के बदले लेकर मुझे दे रखा है.... और भईया मेरे ताऊजी के बेटे हैं.... मेरे पापा के बड़े भाई के बेटे..... राणा रविन्द्र प्रताप सिंह” विक्रम ने मुसकुराते हुये कहा

“ठीक है... चलो फिर पहले मुन्नी आंटी के यहाँ चलते हैं” नीलोफर ने कहा

“वहाँ तो जाना ही पड़ेगा... तुम्हारी मम्मी भी वहीं पर मिलेंगी... मेंने उन्हें मुन्नी आंटी के साथ ही उनके घर जाने के लिए बोला था” विक्रम बोला

और वो दोनों मुन्नी के घर की ओर चल दिये।

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TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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haan ab aapki baato mein Kameena pan nazar aane laga hai .. aap maano ya naa maano .. aur ye dono kitne bade mahatama hai .. wo to sabko pata hai .. waise to naam he kaafi hai .. dono ka .. ye samjhne ke liye ... he he .. apna khyaal rakhna Masoom bhai ... :tease3:
Omg meri baato me kaminapan nazar aane laga, ye kab hua aur kaise ho sakta hai,,,,, :hmm:

:nana: main har haal me sharif aur masoom hu..koi maane ya na maane,,,, :yo:
 

Chutiyadr

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अध्याय 35

पिछले अपडेट की घटनाओं को लेकर हमारे परम मित्र और इस फॉरम के चीर फाड़ विशेषज्ञ फ़ायरफ़ॉक्स भाई ने कुछ प्रश्न किए.... हालांकि इनके बारे में सांकेतिक रूप से अपडेट में दिया हुआ है लेकिन में यहाँ विस्तार पूर्वक सामने रखना चाहता हूँ... जिससे अन्य पाठकों को भी कोई भ्रम ना रहे



इन चारों सवाल के जवाब..... विस्तार से....आपको यहाँ दे रहा हूँ

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कॉलेज पार्किंग में नीलोफर और विक्रम की बातचीत होने के बाद विक्रम वहाँ से नाज़िया के घर को निकाल गया। नीलोफर से किए गए वादे के मुताबिक ही विक्रम ने नेहा के बारे में पुलिस को कोई सूचना नहीं दी और नाज़िया के घर पहुँच गया। घर के दरवाजे पर जाकर जब विक्रम ने घंटी बजाई तो कुछ देर तक अंदर से कोई आवाज नहीं आयी... विक्रम ने दोबारा घंटी बजाई तभी उसे दरवाजे की ओर बढ़ते कदमों की आहट सुनाई दी।

“कौन?” अंदर से नाज़िया की आवाज आयी

“आंटी, में विक्रम... दरवाजा खोलिए मुझे आप लोगों से जरूरी बात करनी है” विक्रम ने कहा तो कुछ देर के लिए नाज़िया का कोई जवाब नहीं आया

“आंटी मुझे पता है आप, पापा, मुन्नी आंटी, विमला बुआ सब यहीं पर हो... और जिसे साथ लिए हो... मुझे उसी बारे में बात करनी है... अगर आपने मुझसे बात नहीं की तो आप सब बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ जाएंगे” अंदर से कोई जवाब ना आते देख विक्रम ने दोबारा कहा

“2 मिनट रुको, में अभी दरवाजा खोलती हूँ...” विक्रम की धमकी सुनकर अंदर से नाज़िया की आवाज आयी

“सिर्फ 2 मिनट ...और कोई चालाकी नहीं” विक्रम ने कहा

“हाँ 2 मिनट .... सिर्फ..... और चालाकी नहीं... विजय जी को बुलाने जा रही हूँ... यहीं रुकना” कहते हुये नाज़िया के अंदर की ओर जाने की आवाज आयी। थोड़ी देर बाद ही अंदर से कुछ लोगों के बोलने की आवाज आने लगी और दरवाजा खुला

“तुम यहाँ क्यों आए हो और यहाँ का पता तुम्हें किसने दिया” दरवाजे के बीचोंबीच खड़े विजयराज ने कहा तो विक्रम ने कोई जवाब दिये बिना विजयराज को बलपूर्वक एक ओर हटाते हुये अंदर प्रवेश किया और विजयराज को भी अंदर की ओर खींचकर दरवाजा बंद कर लिया

“बुआ जी! इन्हें समझाओ.... ऐसे ही तेवर दिखाये तो अगली बार इस घर या किसी और घर में नहीं जेल में ही मुलाक़ात होगी मुझसे” विक्रम ने विजयराज को छोड़ा और विमला के पास आते हुये कहा

“भैया आप चुपचाप बैठ जाओ और मुझे बात करने दो... नाज़िया तुम भी बैठो.... आजा बेटा यहाँ बैठ मेरे पास और बता.... क्या बात है” विमला ने विक्रम को अपने पास सोफ़े पर बैठने का इशारा करते हुये कहा

विक्रम विमला के पास बैठ गया और उसने नेहा और उस लड़के को बुलाने को कहा। उन दोनों के साथ मुन्नी भी आकार सोफ़े पर बैठ गयी तो विक्रम ने उन सबसे कहा कि नेहा का मामला अब बहुत बड़ा बन गया है... इसलिए नेहा को किसी बाहरी जगह से अपने घर कॉल करके अपने माँ-बाप को बुलाना होगा और उन्हें बता दे कि वो नशे की लत की वजह से इस लड़के के साथ चली गयी थी...इन लोगों के सेक्स रैकेट या इनके किसी के नाम नहीं लेगी... तो नेहा और उस लड़के ने कहा कि वो नाज़िया के अलावा बाकी के सिर्फ नाम ही जानते हैं... और इनमें से किसी का नाम नहीं लेंगे। अब विक्रम ने उस लड़के से भी कहा कि उसके ऊपर ड्रग्स का मामला तो दर्ज है ही साथ ही नेहा के अपहरण का मामला भी है... लेकिन चूंकि नेहा बालिग है और अपनी मर्जी से उसके साथ गयी थी इसलिए अपहरण का मामला तो आसानी से खारिज करवाया जा सकता है... साथ ही ड्रग्स के मामले में भी विक्रम बड़ा से बड़ा वकील खड़ा करके उसे ड्रूग बेचने कि बजाय ड्रूग के शिकार के रूप में साबित करके नशा मुक्ति केंद्र भिजवा देगा... जहां से वो कुछ समय बाद सही होने पर रिहा कर दिया जाएगा। अगर किसी तरह से नेहा का मेडिकल होने पर नेहा को पुरुष संसर्ग कि पुष्टि के आधार पर बलात्कार का मामला बनाने कि कोशिश कि गयी तो वो नेहा के बालिग होने और सहमति से सहवास करने के आधार पर खारिज कर दिया जाएगा। इस प्रस्ताव पर वो लड़का तुरंत सहमत हो गया। और कोई इससे बेहतर विकल्प भी नहीं था उसके पास।

इसके बाद विक्रम ने बाकी सब को तुरंत यहाँ से किसी दूसरी जगह चले जाने को कहा, बल्कि सभी को अपने-अपने घर जाने को कहा। नाज़िया को मुन्नी के साथ जाने को कह दिया और नेहा व उस लड़के को साथ लेकर विक्रम अपनी कार से कश्मीरी गेट के लिए निकल गया वहाँ बस अड्डे के सामने एक पीसीओ बूथ से नेहा ने अपने घर फोन किया और इंतज़ार करने लगी उनके आने का.... उस लड़के को भी मेंने वहीं रहने को कहा.... जिससे की पुलिस उसे बरामद कर सके। पुलिस और नेहा के परिवार को ऐसा लगना चाहिए कि नेहा उस लड़के के साथ बस अड्डे से बस पकड़कर कहीं भाग जानेवाली थी लेकिन फिर नेहा का इरादा बदल गया और उसने मौका देखकर अपने घरवालों को फोन कर दिया अब इतने लोगों के सामने वो लड़का कोई जबर्दस्ती तो कर नहीं सकता था नेहा के साथ इसलिए वो इसे मनाने कि कोशिश में लगा हुआ था।

लगभग आधे घंटे बाद हुआ भी यही... नेहा के घरवाले पुलिस को साथ लेकर आए और उन दोनों को गाड़ी में बिठाकर ले गए...लेकिन तब तक पुलिस की नज़र में उस लड़के के द्वारा ड्रग लेने वाली एक और लड़की आ चुकी थी जिससे उस लड़के और नाज़िया के सेक्स रैकेट के लिंक का पता लग चुका था तो... नेहा को उसके माँ-बाप के हवाले कर पोलिकेवालों ने उस लड़के को सीधा हवालात में ले जाकर नाज़िया के देह व्यापार के बारे में पूंछताछ शुरू कर दी... लड़का पुलिस के टॉर्चर के आगे ज्यादा देर टिक नहीं सका और उसने नाज़िया के घर का पता .... उन्हें बता दिया।

पुलिस नाज़िया के मकान पर पहुंची और जब वहाँ की तलाशी ली तो उसे ना सिर्फ नाज़िया के बारे में बल्कि नीलोफर के बारे में भी पता चला कि नाज़िया की एक बेटी भी है... कागजात कि तलाशी में उन्हें नीलोफर का एक जन्म प्रमाण पत्र मिला जिसमें पटियाला का पता दिया हुआ था। जब पुलिस ने जांच पड़ताल के लिए पटियाला पुलिस से संपर्क किया तो नाज़िया कि सारी कहानी ही पुलिस के सामने आ गयी। दुश्मन देश कि नागरिक होने का पता चलते ही पुलिस बहुत तेजी से हरकत में आयी और इन माँ बेटी कि तलाश करने लगी। सिर्फ कुछ घंटों में ही... नाज़िया और नीलोफर विदेश घुसपेथिया बन गईं।

इधर विक्रम नेहा के जाते ही बस अड्डे से कॉलेज निकला और नीलोफर से मिला।

“नीलोफर वहाँ का सब कुछ निपटा दिया... लेकिन अब तुम्हारी माँ के साथ तुम्हारा रहना खतरनाक हो सकता है... क्योंकि इन लोगों का सेक्स रैकेट या ड्रग के मामले को लेकर यदि कोई भी बवाल हुआ तो पापा, विमला बुआ और मुन्नी आंटी को इनके लिए काम करनेवाला कोई नहीं जानता, सिर्फ नाज़िया आंटी को ही वो लोग जानते हैं और वो ही बॉस समझी जाती हैं। तो में उनके लिए इतना ही कर सकता हूँ की उनको रिहा करवाने और उनकी सुरक्षा के लिए व्यवस्था कर दूँ। लेकिन इन झमेलों में फँसने से नहीं रोक पाऊँगा, इसलिए मे तुम्हें उनके साथ रखकर कोई रिस्क नहीं ले सकता।“

“फिर क्या करोगे तुम, मेरे बारे में क्या सोचा हुआ है। याद रखना तुमने मेरी ही नहीं मेरी माँ की भी हिफाज़त का वादा किया था” नीलोफर ने कहा

“तुम्हें तो में हर हाल में बचा ही लूँगा, लेकिन तुम्हारी माँ ने पहले ही इतने बीज बो रखे हैं मेरे बाप के साथ मिलकर कि उनको किसी तरह से इस झमेले में फँसने पर निकाल तो सकता हूँ...लेकिन फँसने से नहीं बचा सकता, यहाँ तक कि अपने बाप को भी फँसने से नहीं बचा पाऊँगा...अगर उनका कोई मामला खुला तो” विक्रम ने साफ-साफ कहा

“लेकिन मेरे लिए क्या करोगे?” नीलोफर ने पूंछा

“तुम्हें नाज़िया आंटी से अलग करके अपने साथ रखूँगा और तुमने मुझसे कहा था ना कि तुम मुझसे प्यार करती हो, तो आज सुन लो... में भी तुमसे प्यार करता हूँ, आज से नहीं... जब तुम्हें पहली बार बचपन में अपने घर देखा था... लेकिन मेंने कभी तुमसे मिलने या कहने कि कोशिश इसलिए नहीं की.... क्योंकि हम दोनों के बीच एक दीवार थी... और उसके रहते हम एक दूसरे के साथ ज़िंदगी नहीं बिता सकते थे.... तुम्हारा मुसलमान और मेरा हिन्दू होना........ नाज़िया आंटी चाहे मान भी जातीं लेकिन मेरे घर में कोई नहीं मानता.... और फिर शायद कोई और भी इस मुद्दे को जरिया बनाकर बवाल खड़ा कर देता..... अब तुम अगर चाहो तो हम शादी कर सकते हैं....” विक्रम ने कहा

“यहाँ में अपनी और अपनी माँ की सलामती के लिए सोच रही हूँ और तुम शादी के लिए बोल रहे हो। हाँ! में आज भी तुमसे प्यार करती हूँ, शादी भी करना चाहती हूँ.... लेकिन पहले इस आफत से तो बाहर निकलें” नीलोफर ने झल्लाते हुये विक्रम की बात का जवाब दिया

“इस शादी से तुम्हारी हिफाज़त तो हो ही जाएगी... और तुम्हारी माँ की हिफाज़त के लिए कुछ तो इंतजाम वो लोग कर ही रहे होंगे बाकी में देख लूँगा” विक्रम ने मुसकुराते हुये कहा, नीलोफर की झल्लाहट देखकर उसे हंसी आ गयी

“शादी से हिफाज़त, जरा में भी तो सुनूँ, क्या सोचा है तुमने” नीलोफर ने मज़ाक उड़ाने वाले लहजे में कहा

“देखो सबसे पहली जरूरत तुम्हारी पहचान छुपाने की है उसके लिए तुम्हारा नाम नीलोफर से बदलकर नीलम कर दिया जाएगा... नीलम सिंह, इससे मेरे घरवाले भी तुमसे शादी करने की अनुमति दे देंगे... दूसरे तुम्हें नयी जगह छुपाने की जरूरत नहीं होगी... तुम मेरे साथ मेरी पत्नी के रूप में कहीं भी खुलेआम रह सकती हो... नीलम सिंह पत्नी विक्रमादित्य सिंह ......... कोई सोच भी नहीं सकेगा कि तुम नीलोफर जहां पुत्री नाज़िया हुसैन हो” विक्रम ने कहा तो नीलोफर भी सोच में पड़ गयी... कुछ देर सोचने के बाद वो बोली

“लेकिन अगर माँ या विजय अंकल तैयार नहीं हुये इस शादी के लिए... में और तुम दोनों ही जानते हैं कि हमारे माँ-बाप के बीच कैसे ताल्लुकात हैं... मुझे नहीं लगता कि वो हमारी शादी होने देंगे” नीलोफर ने कहा

“तो उन्हें बताने कि जरूरत क्या है... हम उन्हें सिर्फ ये बताएँगे कि तुम्हारी हिफाजत के लिए में तुम्हें अपने साथ कोटा ले जा रहा हूँ... और तुम वहीं रहोगी जब तक सब मामला शांत नहीं हो जाता” विक्रम बोला

“विजय अंकल को तो कोटा का पता मालूम है...और परिवार में से भी कोई उनको खबर कर सकता है कि में और तुम शादी कर रहे हैं... नाम बेशक बादल लोगे... लेकिन विजय अंकल बहुत तेज हैं... वो समझ जाएंगे कि नीलम सिंह में ही हूँ...और ये राज तुम्हारे और घरवालों को अगर विजय अंकल ने बता दिया तो ना तो हमारी शादी होगी और ना ही वो लोग मुझे वहाँ रहने देंगे” नीलोफर ने अपनी शंका सामने रखी।

“अरे कुछ नहीं होगा... पहली बात तो कोटा वाले घर का पापा को पता नहीं मालूम, दूसरे वहाँ हम सारे परिवार को इकट्ठा नहीं कर रहे... अकेले भईया ही हमारी शादी करा देंगे और उनके फैसले को घर में कोई बदल नहीं सकता” विक्रम ने नीलोफर को आश्वासन दिया

“ऐसा कैसे हो सकता है कि तुम्हारे घर का तुम्हारे ही पापा को पता ना हो और तुम्हारे कोई बड़े भाई भी हैं? मेंने तो आजतक सुना भी नहीं” नीलोफर ने शंकित भाव से कहा तो विक्रम मुस्कुरा दिया

“वास्तव में तुम्हारे जैसी बाल की खाल निकालने वाली लड़की से शादी करना भी बैठे बिठाये आफत मोल लेना ही है..... कोटा वाला घर मेरे छोटे चाचा का था... भईया ने वो उनको दिये पैसों के बदले लेकर मुझे दे रखा है.... और भईया मेरे ताऊजी के बेटे हैं.... मेरे पापा के बड़े भाई के बेटे..... राणा रविन्द्र प्रताप सिंह” विक्रम ने मुसकुराते हुये कहा

“ठीक है... चलो फिर पहले मुन्नी आंटी के यहाँ चलते हैं” नीलोफर ने कहा

“वहाँ तो जाना ही पड़ेगा... तुम्हारी मम्मी भी वहीं पर मिलेंगी... मेंने उन्हें मुन्नी आंटी के साथ ही उनके घर जाने के लिए बोला था” विक्रम बोला

और वो दोनों मुन्नी के घर की ओर चल दिये।

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chalo akhir dono set to gaye :)
 

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अध्याय 35

पिछले अपडेट की घटनाओं को लेकर हमारे परम मित्र और इस फॉरम के चीर फाड़ विशेषज्ञ फ़ायरफ़ॉक्स भाई ने कुछ प्रश्न किए.... हालांकि इनके बारे में सांकेतिक रूप से अपडेट में दिया हुआ है लेकिन में यहाँ विस्तार पूर्वक सामने रखना चाहता हूँ... जिससे अन्य पाठकों को भी कोई भ्रम ना रहे



इन चारों सवाल के जवाब..... विस्तार से....आपको यहाँ दे रहा हूँ

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कॉलेज पार्किंग में नीलोफर और विक्रम की बातचीत होने के बाद विक्रम वहाँ से नाज़िया के घर को निकाल गया। नीलोफर से किए गए वादे के मुताबिक ही विक्रम ने नेहा के बारे में पुलिस को कोई सूचना नहीं दी और नाज़िया के घर पहुँच गया। घर के दरवाजे पर जाकर जब विक्रम ने घंटी बजाई तो कुछ देर तक अंदर से कोई आवाज नहीं आयी... विक्रम ने दोबारा घंटी बजाई तभी उसे दरवाजे की ओर बढ़ते कदमों की आहट सुनाई दी।

“कौन?” अंदर से नाज़िया की आवाज आयी

“आंटी, में विक्रम... दरवाजा खोलिए मुझे आप लोगों से जरूरी बात करनी है” विक्रम ने कहा तो कुछ देर के लिए नाज़िया का कोई जवाब नहीं आया

“आंटी मुझे पता है आप, पापा, मुन्नी आंटी, विमला बुआ सब यहीं पर हो... और जिसे साथ लिए हो... मुझे उसी बारे में बात करनी है... अगर आपने मुझसे बात नहीं की तो आप सब बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ जाएंगे” अंदर से कोई जवाब ना आते देख विक्रम ने दोबारा कहा

“2 मिनट रुको, में अभी दरवाजा खोलती हूँ...” विक्रम की धमकी सुनकर अंदर से नाज़िया की आवाज आयी

“सिर्फ 2 मिनट ...और कोई चालाकी नहीं” विक्रम ने कहा

“हाँ 2 मिनट .... सिर्फ..... और चालाकी नहीं... विजय जी को बुलाने जा रही हूँ... यहीं रुकना” कहते हुये नाज़िया के अंदर की ओर जाने की आवाज आयी। थोड़ी देर बाद ही अंदर से कुछ लोगों के बोलने की आवाज आने लगी और दरवाजा खुला

“तुम यहाँ क्यों आए हो और यहाँ का पता तुम्हें किसने दिया” दरवाजे के बीचोंबीच खड़े विजयराज ने कहा तो विक्रम ने कोई जवाब दिये बिना विजयराज को बलपूर्वक एक ओर हटाते हुये अंदर प्रवेश किया और विजयराज को भी अंदर की ओर खींचकर दरवाजा बंद कर लिया

“बुआ जी! इन्हें समझाओ.... ऐसे ही तेवर दिखाये तो अगली बार इस घर या किसी और घर में नहीं जेल में ही मुलाक़ात होगी मुझसे” विक्रम ने विजयराज को छोड़ा और विमला के पास आते हुये कहा

“भैया आप चुपचाप बैठ जाओ और मुझे बात करने दो... नाज़िया तुम भी बैठो.... आजा बेटा यहाँ बैठ मेरे पास और बता.... क्या बात है” विमला ने विक्रम को अपने पास सोफ़े पर बैठने का इशारा करते हुये कहा

विक्रम विमला के पास बैठ गया और उसने नेहा और उस लड़के को बुलाने को कहा। उन दोनों के साथ मुन्नी भी आकार सोफ़े पर बैठ गयी तो विक्रम ने उन सबसे कहा कि नेहा का मामला अब बहुत बड़ा बन गया है... इसलिए नेहा को किसी बाहरी जगह से अपने घर कॉल करके अपने माँ-बाप को बुलाना होगा और उन्हें बता दे कि वो नशे की लत की वजह से इस लड़के के साथ चली गयी थी...इन लोगों के सेक्स रैकेट या इनके किसी के नाम नहीं लेगी... तो नेहा और उस लड़के ने कहा कि वो नाज़िया के अलावा बाकी के सिर्फ नाम ही जानते हैं... और इनमें से किसी का नाम नहीं लेंगे। अब विक्रम ने उस लड़के से भी कहा कि उसके ऊपर ड्रग्स का मामला तो दर्ज है ही साथ ही नेहा के अपहरण का मामला भी है... लेकिन चूंकि नेहा बालिग है और अपनी मर्जी से उसके साथ गयी थी इसलिए अपहरण का मामला तो आसानी से खारिज करवाया जा सकता है... साथ ही ड्रग्स के मामले में भी विक्रम बड़ा से बड़ा वकील खड़ा करके उसे ड्रूग बेचने कि बजाय ड्रूग के शिकार के रूप में साबित करके नशा मुक्ति केंद्र भिजवा देगा... जहां से वो कुछ समय बाद सही होने पर रिहा कर दिया जाएगा। अगर किसी तरह से नेहा का मेडिकल होने पर नेहा को पुरुष संसर्ग कि पुष्टि के आधार पर बलात्कार का मामला बनाने कि कोशिश कि गयी तो वो नेहा के बालिग होने और सहमति से सहवास करने के आधार पर खारिज कर दिया जाएगा। इस प्रस्ताव पर वो लड़का तुरंत सहमत हो गया। और कोई इससे बेहतर विकल्प भी नहीं था उसके पास।

इसके बाद विक्रम ने बाकी सब को तुरंत यहाँ से किसी दूसरी जगह चले जाने को कहा, बल्कि सभी को अपने-अपने घर जाने को कहा। नाज़िया को मुन्नी के साथ जाने को कह दिया और नेहा व उस लड़के को साथ लेकर विक्रम अपनी कार से कश्मीरी गेट के लिए निकल गया वहाँ बस अड्डे के सामने एक पीसीओ बूथ से नेहा ने अपने घर फोन किया और इंतज़ार करने लगी उनके आने का.... उस लड़के को भी मेंने वहीं रहने को कहा.... जिससे की पुलिस उसे बरामद कर सके। पुलिस और नेहा के परिवार को ऐसा लगना चाहिए कि नेहा उस लड़के के साथ बस अड्डे से बस पकड़कर कहीं भाग जानेवाली थी लेकिन फिर नेहा का इरादा बदल गया और उसने मौका देखकर अपने घरवालों को फोन कर दिया अब इतने लोगों के सामने वो लड़का कोई जबर्दस्ती तो कर नहीं सकता था नेहा के साथ इसलिए वो इसे मनाने कि कोशिश में लगा हुआ था।

लगभग आधे घंटे बाद हुआ भी यही... नेहा के घरवाले पुलिस को साथ लेकर आए और उन दोनों को गाड़ी में बिठाकर ले गए...लेकिन तब तक पुलिस की नज़र में उस लड़के के द्वारा ड्रग लेने वाली एक और लड़की आ चुकी थी जिससे उस लड़के और नाज़िया के सेक्स रैकेट के लिंक का पता लग चुका था तो... नेहा को उसके माँ-बाप के हवाले कर पोलिकेवालों ने उस लड़के को सीधा हवालात में ले जाकर नाज़िया के देह व्यापार के बारे में पूंछताछ शुरू कर दी... लड़का पुलिस के टॉर्चर के आगे ज्यादा देर टिक नहीं सका और उसने नाज़िया के घर का पता .... उन्हें बता दिया।

पुलिस नाज़िया के मकान पर पहुंची और जब वहाँ की तलाशी ली तो उसे ना सिर्फ नाज़िया के बारे में बल्कि नीलोफर के बारे में भी पता चला कि नाज़िया की एक बेटी भी है... कागजात कि तलाशी में उन्हें नीलोफर का एक जन्म प्रमाण पत्र मिला जिसमें पटियाला का पता दिया हुआ था। जब पुलिस ने जांच पड़ताल के लिए पटियाला पुलिस से संपर्क किया तो नाज़िया कि सारी कहानी ही पुलिस के सामने आ गयी। दुश्मन देश कि नागरिक होने का पता चलते ही पुलिस बहुत तेजी से हरकत में आयी और इन माँ बेटी कि तलाश करने लगी। सिर्फ कुछ घंटों में ही... नाज़िया और नीलोफर विदेश घुसपेथिया बन गईं।

इधर विक्रम नेहा के जाते ही बस अड्डे से कॉलेज निकला और नीलोफर से मिला।

“नीलोफर वहाँ का सब कुछ निपटा दिया... लेकिन अब तुम्हारी माँ के साथ तुम्हारा रहना खतरनाक हो सकता है... क्योंकि इन लोगों का सेक्स रैकेट या ड्रग के मामले को लेकर यदि कोई भी बवाल हुआ तो पापा, विमला बुआ और मुन्नी आंटी को इनके लिए काम करनेवाला कोई नहीं जानता, सिर्फ नाज़िया आंटी को ही वो लोग जानते हैं और वो ही बॉस समझी जाती हैं। तो में उनके लिए इतना ही कर सकता हूँ की उनको रिहा करवाने और उनकी सुरक्षा के लिए व्यवस्था कर दूँ। लेकिन इन झमेलों में फँसने से नहीं रोक पाऊँगा, इसलिए मे तुम्हें उनके साथ रखकर कोई रिस्क नहीं ले सकता।“

“फिर क्या करोगे तुम, मेरे बारे में क्या सोचा हुआ है। याद रखना तुमने मेरी ही नहीं मेरी माँ की भी हिफाज़त का वादा किया था” नीलोफर ने कहा

“तुम्हें तो में हर हाल में बचा ही लूँगा, लेकिन तुम्हारी माँ ने पहले ही इतने बीज बो रखे हैं मेरे बाप के साथ मिलकर कि उनको किसी तरह से इस झमेले में फँसने पर निकाल तो सकता हूँ...लेकिन फँसने से नहीं बचा सकता, यहाँ तक कि अपने बाप को भी फँसने से नहीं बचा पाऊँगा...अगर उनका कोई मामला खुला तो” विक्रम ने साफ-साफ कहा

“लेकिन मेरे लिए क्या करोगे?” नीलोफर ने पूंछा

“तुम्हें नाज़िया आंटी से अलग करके अपने साथ रखूँगा और तुमने मुझसे कहा था ना कि तुम मुझसे प्यार करती हो, तो आज सुन लो... में भी तुमसे प्यार करता हूँ, आज से नहीं... जब तुम्हें पहली बार बचपन में अपने घर देखा था... लेकिन मेंने कभी तुमसे मिलने या कहने कि कोशिश इसलिए नहीं की.... क्योंकि हम दोनों के बीच एक दीवार थी... और उसके रहते हम एक दूसरे के साथ ज़िंदगी नहीं बिता सकते थे.... तुम्हारा मुसलमान और मेरा हिन्दू होना........ नाज़िया आंटी चाहे मान भी जातीं लेकिन मेरे घर में कोई नहीं मानता.... और फिर शायद कोई और भी इस मुद्दे को जरिया बनाकर बवाल खड़ा कर देता..... अब तुम अगर चाहो तो हम शादी कर सकते हैं....” विक्रम ने कहा

“यहाँ में अपनी और अपनी माँ की सलामती के लिए सोच रही हूँ और तुम शादी के लिए बोल रहे हो। हाँ! में आज भी तुमसे प्यार करती हूँ, शादी भी करना चाहती हूँ.... लेकिन पहले इस आफत से तो बाहर निकलें” नीलोफर ने झल्लाते हुये विक्रम की बात का जवाब दिया

“इस शादी से तुम्हारी हिफाज़त तो हो ही जाएगी... और तुम्हारी माँ की हिफाज़त के लिए कुछ तो इंतजाम वो लोग कर ही रहे होंगे बाकी में देख लूँगा” विक्रम ने मुसकुराते हुये कहा, नीलोफर की झल्लाहट देखकर उसे हंसी आ गयी

“शादी से हिफाज़त, जरा में भी तो सुनूँ, क्या सोचा है तुमने” नीलोफर ने मज़ाक उड़ाने वाले लहजे में कहा

“देखो सबसे पहली जरूरत तुम्हारी पहचान छुपाने की है उसके लिए तुम्हारा नाम नीलोफर से बदलकर नीलम कर दिया जाएगा... नीलम सिंह, इससे मेरे घरवाले भी तुमसे शादी करने की अनुमति दे देंगे... दूसरे तुम्हें नयी जगह छुपाने की जरूरत नहीं होगी... तुम मेरे साथ मेरी पत्नी के रूप में कहीं भी खुलेआम रह सकती हो... नीलम सिंह पत्नी विक्रमादित्य सिंह ......... कोई सोच भी नहीं सकेगा कि तुम नीलोफर जहां पुत्री नाज़िया हुसैन हो” विक्रम ने कहा तो नीलोफर भी सोच में पड़ गयी... कुछ देर सोचने के बाद वो बोली

“लेकिन अगर माँ या विजय अंकल तैयार नहीं हुये इस शादी के लिए... में और तुम दोनों ही जानते हैं कि हमारे माँ-बाप के बीच कैसे ताल्लुकात हैं... मुझे नहीं लगता कि वो हमारी शादी होने देंगे” नीलोफर ने कहा

“तो उन्हें बताने कि जरूरत क्या है... हम उन्हें सिर्फ ये बताएँगे कि तुम्हारी हिफाजत के लिए में तुम्हें अपने साथ कोटा ले जा रहा हूँ... और तुम वहीं रहोगी जब तक सब मामला शांत नहीं हो जाता” विक्रम बोला

“विजय अंकल को तो कोटा का पता मालूम है...और परिवार में से भी कोई उनको खबर कर सकता है कि में और तुम शादी कर रहे हैं... नाम बेशक बादल लोगे... लेकिन विजय अंकल बहुत तेज हैं... वो समझ जाएंगे कि नीलम सिंह में ही हूँ...और ये राज तुम्हारे और घरवालों को अगर विजय अंकल ने बता दिया तो ना तो हमारी शादी होगी और ना ही वो लोग मुझे वहाँ रहने देंगे” नीलोफर ने अपनी शंका सामने रखी।

“अरे कुछ नहीं होगा... पहली बात तो कोटा वाले घर का पापा को पता नहीं मालूम, दूसरे वहाँ हम सारे परिवार को इकट्ठा नहीं कर रहे... अकेले भईया ही हमारी शादी करा देंगे और उनके फैसले को घर में कोई बदल नहीं सकता” विक्रम ने नीलोफर को आश्वासन दिया

“ऐसा कैसे हो सकता है कि तुम्हारे घर का तुम्हारे ही पापा को पता ना हो और तुम्हारे कोई बड़े भाई भी हैं? मेंने तो आजतक सुना भी नहीं” नीलोफर ने शंकित भाव से कहा तो विक्रम मुस्कुरा दिया

“वास्तव में तुम्हारे जैसी बाल की खाल निकालने वाली लड़की से शादी करना भी बैठे बिठाये आफत मोल लेना ही है..... कोटा वाला घर मेरे छोटे चाचा का था... भईया ने वो उनको दिये पैसों के बदले लेकर मुझे दे रखा है.... और भईया मेरे ताऊजी के बेटे हैं.... मेरे पापा के बड़े भाई के बेटे..... राणा रविन्द्र प्रताप सिंह” विक्रम ने मुसकुराते हुये कहा

“ठीक है... चलो फिर पहले मुन्नी आंटी के यहाँ चलते हैं” नीलोफर ने कहा

“वहाँ तो जाना ही पड़ेगा... तुम्हारी मम्मी भी वहीं पर मिलेंगी... मेंने उन्हें मुन्नी आंटी के साथ ही उनके घर जाने के लिए बोला था” विक्रम बोला

और वो दोनों मुन्नी के घर की ओर चल दिये।

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Bahut khoob kamdev bhai. Waise aise hi vistaar se batane ki zarurat thi. Agar yahi sab vistaar se pahle bata dete aap to is tarah aapko yaha par batane ki zarurat hi nahi padti. Dusre hamare firefox420 bhai ko bhi aapse itne sawaal karne ka kast nahi uthana padta. Khair aapki maya aap hi jane. Aage ka bafi shiddat se intzaar rahega,,,,, :jump:
 

kamdev99008

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Bahut khoob kamdev bhai. Waise aise hi vistaar se batane ki zarurat thi. Agar yahi sab vistaar se pahle bata dete aap to is tarah aapko yaha par batane ki zarurat hi nahi padti. Dusre hamare firefox420 bhai ko bhi aapse itne sawaal karne ka kast nahi uthana padta. Khair aapki maya aap hi jane. Aage ka bafi shiddat se intzaar rahega,,,,, :jump:
shubham bhai ............ mein sabkuchh vistaar se hi bata raha hoon is kahani mein ..............isiliye
abhi tak mukhya katha nahin.... buildup hi chal raha hai............
yahan tak ki katha ka mukhya paatr yani Rana Ji yani mein :D bhi samne nahin aya
lagbhag 50 update sirf buildup ke hi hain...............uske bad kahani shuru hogi

lekin hamare firefox bhai ko sabr hi nahi, intzar hi nahin karte ki jo chhoot gaya........ wo kahin aur se samne aa sakta hai............. ye update meine pahle hi taiyar karna shuru kar diya tha.... par inka comment padhkar mujhe bhi laga ki chalo inhone review me kuchh loopholes to pakde hain.............isiliye inko hi samarpit kar diya...review quote karke :hehe:


bahut badhiya explain kiya par wo teeno vikram nilam aur beta kahi fase huye thay waha se bhagke sidha chandigadh kaise pahuche( wo update jab vikram ka naam muslim type tha waha dono ke bich ki baatchit)
ye 20 saal pahle ki kahani chal rahi hai flashback mein........... beech mein Rana Shamsher ke nam se jo vartalap neelofar ke sath dikhaya hai... wo pakistan mein tha
bhai kisi bhi coment ka bura mat maanana , jaanne ki ichcha hoti hai aisi kahani padhkar ,suspense se bharpur , aage ke update me pata chal jaye shayad ,
bhai kitne bhi sawal kar sakte hain aap............ismein bura manne ki kya baat hai
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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shubham bhai ............ mein sabkuchh vistaar se hi bata raha hoon is kahani mein ..............isiliye
abhi tak mukhya katha nahin.... buildup hi chal raha hai............
yahan tak ki katha ka mukhya paatr yani Rana Ji yani mein :D bhi samne nahin aya
lagbhag 50 update sirf buildup ke hi hain...............uske bad kahani shuru hogi

lekin hamare firefox bhai ko sabr hi nahi, intzar hi nahin karte ki jo chhoot gaya........ wo kahin aur se samne aa sakta hai............. ye update meine pahle hi taiyar karna shuru kar diya tha.... par inka comment padhkar mujhe bhi laga ki chalo inhone review me kuchh loopholes to pakde hain.............isiliye inko hi samarpit kar diya...review quote karke :hehe:


ye 20 saal pahle ki kahani chal rahi hai flashback mein........... beech mein Rana Shamsher ke nam se jo vartalap neelofar ke sath dikhaya hai... wo pakistan mein tha


bhai kitne bhi sawal kar sakte hain aap............ismein bura manne ki kya baat hai
firefox420 bhai ko tasalli dena aapke liye zaruri hai..warna unke sawaal aur unke tewar besure ho jate hain,,,,, :lol1:
 

Naina

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ab yeh kya naya chyappa hai.....
Khud hi fanshaya jhanjhat mein ab bol raha shaadi kar liyo toh all is well... Tharki kahin ka :doh:
Ab ek aur naya rishtedar rana rabindra patrap singh....
Khair let's see what happens next
Brilliant update.... Great going :applause: :applause:
 
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