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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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firefox420

Well-Known Member
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I agree with it.

However before deciding anything I have an advice for Kaamdev ji

1. Sit with the child and read his/her mind, what he/she wants to do.
2. Get admission in the course which suits the child according to the score in class X
3. One should be clear what one wants to do in future would decide the course.
4. In the last course should be chosen taking other factors into consideration such as finance, availability of the course and other social and domestic reasons.

Hope you like it and if you feel I have unnecessary given you advice, please forget all this and go ahead as you decided.

Thanks

aapki sabhi baate bahut acchi hai .. aur practical bhi hai .. but bharat mein baccho ko jyaada chhoot de ko to baap ko baap nahi kehte .. aur ye 11-12 mein specific stream choose karna .. sab bakwaas he hai .. mere hisaab se 11-12 mein to PCM he honi chahiye .. baad mein jo mann aaye Graduation uss stream mein kar lo .. hamesha saare option khule rehte hai .. aur agar baccha capable hai to PCM ke saath biology as a optional subject le lo .. agar clear bhi na ho ya fir numbers kam aaye to unse result par farak nahi padta ...

magar ye sab baate yaha karni bekaar he hai .. kyonki jinn baccho ke pita kamdev99008 ji aka Rana ji ho .. to unn baccho ko jyaada samjahana bekaar he hai .. kyonki light unke liye bhi bhaagti hai .. aur laptop ki battery bhi unke liye kharab he rahegi .. :D

waise abhi peeche ke kuch comments padhe .. usme Mr. Pandit bhai ne kahani na likhne walo ka jikrr kiya .. magar unke saath apna naam nahi joda .. kamaal hai story ko beech mein latkaane walo ki list mein apna naam daalna bhool gaye ... :hehe:
 

firefox420

Well-Known Member
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jarur amita ji....... apke sandesh aur salah ki prateeksha hai mujhe

WAIT a minute .. aapko salah ki jaroorat hai .. kya maine sahi padha ...

aap kabse salah maan-ne lag gaye .. agar aapki ye comment Chutiyadr Dr saab ne padh li to .. has-has kar lot-pot ho jaayenge ... :lotpot:
 

kamdev99008

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सभी मित्रों से अनुरोध है कि अब इस कहानी के अलावा मुझसे अन्य सब मुद्दों पर वार्तालाप के लिए launge में मेरे द्वारा इसी नाम की थ्रेड का उपयोग करें....................
क्योंकि आगे चलकर मोड्स को आपत्ति हो सकती है...............

लिंक :-
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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अध्याय 41

सुबह सुशीला ने सबको नींद से जगाया और वैदेही ने सबको चाय आदि दिया और भानु ने सबको घर के पीछे बग़ीचे में चलने को कहा। बगीचा कुछ इस तरह है कि घर के पीछे पहुँचकर एक सम्पूर्ण प्रकृतिक वातावरण की झलक मिलती है। घर के पीछे की तरफ बहुत बड़ा आँगन है 50’ चौड़ा 150’ लंबा, उसके बाद लगभग 50’ चौड़ी और 300’ लंबी एक खाई है करीब 6’ गहरी जिसे तलब की तरह एकसार बनाया गया है और उसमें कमल की खेती की हुई है.... क्योंकि कमाल पक्के या साफसुथरे तलब में नहीं कच्चे और कीचड़ भरे तालाब में ही होता है। उसके बाद 200’ चौड़ा और 300’ लंबा एक केले का बाग है जो घर से लगभग 3’ गहराई पर है और तालाब या खाई से 3’ ऊंचाई पर, उसके बाद फिर 3’ ऊंचाई पर एक बाग हैं 150’ चौड़ा और 300’ लंबा जिसके 3 हिस्से किए हुये हैं 50’ चौड़ा 300’ लंबाई के, पहले अनार का बाग, फिर इतना ही नींबू और किन्नू/संतरा/मौसम्बी का बाग और फिर उसके बाद अमरूद इन्हीं पेड़ों के बीच खाली जगह में पपीता और पेड़ों के नीचे सब्जियों की खेती। घर से अमरूद के बाग तक सीधा रास्ता बना हुआ है जो लगभग एक गट्ठा चौड़ाई (लगभग 8’) में है। इस पूरे बाग के लिए पानी घर से ही पाइपलाइन द्वारा पहुंचाया गया है। बाग के चारों ओर प्रत्येक 3’ पर ककरोंदा (काँटेदार, फलवाला पेड़ )की बाड़ लगाई गयी है जो जानवरों और इन्सानों को अंदर नहीं घुसने देती। इस पूरे बाग के किनारे लगभग 3’ ऊंची मिट्टी की बाड़ है जिसके बाहर 6’ गहरी खाई है... मिट्टी की बाड़ पर आम, जामुन, इमली, कटहल आदि बड़े फलदार पेड़ लगाए हूए हैं।

इस बग़ीचे में पहुँचकर बच्चे ही नहीं बड़े भी भोंचकके रह गए, हालांकि अनुराधा कल रणविजय के साथ यहाँ आयी थी लेकिन तब न तो उसका ध्यान इन सब पर था और न ही वो पूरे बाग में घूमी....अब वो वैदेही, अनुभूति और ऋतु के साथ चारों ओर घूम-घूम कर देख रही थी। जिन पेड़ों पर फल लगे हुये थे उन पर से फल तोड़कर खाने लगीं। प्रबल और समर भी भानु के साथ बाग को देखने लगे। मोहिनी, रागिनी, नीलिमा और शांति भी सुशीला के साथ वहाँ सारे में घूमने लगीं। विक्रम बाग के बीचों बीच रास्ते के किनारे खड़ा होकर चारों ओर देखता हुआ कुछ सोचने लगा और उसकी आँखों से आँसू निकल आए, उसने सभी को आवाज देकर अपने पास बुलाया, सभी वहीं बांस की झाड़ियों के किनारे बनी लकड़ी की बेंचों पर बैठ गए।

“भैया! हमें तो आजतक पता ही नहीं था की गाँव में हमारा इतना सुंदर बगीचा है...... बिलकुल ही अलग तरह का.......... पेड़ ही पेड़, फल ही फल... आपने पहले क्यों नहीं बताया... में यहाँ गर्मियों में तो जरूर ही आती” ऋतु ने खुश होते हुये रणविजय से कहा तो रणविजय ने एक नज़र सुशीला की ओर डाली

“ये बगीचा हमारा नहीं है... ये रवीद्र भैया, भाभी और इन दोनों बच्चों ने बनाया है... ये 12000 वर्ग मीटर में जो बाग है इसमें किसी समय पर हमारा 8वां हिस्सा होता था यानि 1500 मीटर उसमें भी 500 मीटर ऊपर वाले बाग में जिसमें नींबू के पेड़ हैं और 1000 मीटर नीचे केले और कमल वाले तालाब में... जो की पानी भरे रहने के कारण किसी प्रयोग में नहीं था... नींबू वाले में भी जंगली काँटेदार झाड़ियाँ होती थीं जिसके कारण इसका भी कोई इस्तेमाल नहीं था... ये सब यहाँ आकार भैया, भाभी और इनके छोटे-छोटे बच्चों ने दिन रात मेहनत करके न सिर्फ अपने हिस्से को बाग बनाया बल्कि अन्य हिस्सेदारों की भी बेकार पड़ी जमीन को लिया और उसको भी तैयार करके इसे पूरा बाग बना दिया” रणविजय ने खोये-खोये से अंदाज भावुक होते हुये कहा

“हमारे करने का था उतना हमने किया...इसका ये मतलब नहीं कि ये सिर्फ हमारा है...तुम सबका है ये.... पूरे परिवार का” सुशीला ने रणविजय से कहा

“भाभी दिलासा मत दो .... पूरे परिवार में किसने यहाँ पैसा खर्च किया, किसने जमीन दी, किसने मेहनत की, किसने समय दिया और किसने सोचा-समझा......... किसी ने नहीं....बल्कि सबने अपने-अपने हिस्से की जमीन के भी पैसे ले लिए भैया से.... यहाँ जो कुछ है या जो कुछ किया, जो कुछ लगाया सिर्फ आप सब ने... भाभी आपको पता है... आपकी शादी से पहले जब हम नोएडा में रहते थे तब एक साल में और भैया यहाँ गाँव में रहे थे.... भैया ही मुझे अपने साथ लाये थे.......और हम यहीं इसी बगिया में जो हमारा हिस्सा था जिसमें नीबु के पेड़ हैं वहाँ सब्जिय करते थे अपने खाने के लिए... कुछ पेड़-पौधे भी लगाए थे.... सारा दिन यहीं रहते थे सुबह से शाम तक...भैया का ये सपना था एक ऐसा बगीचा तैयार करके गाँव की बजाय यहीं रहने का.............. आज भैया का सपना साकार हो गया तो.......आज वो स्वयं पता नहीं कहाँ है....... यहाँ रह भी नहीं सके... पता नहीं क्यों.... वजह शायद बहुत बड़ी होगी... वरना वो यहाँ से हरगिज नहीं जाते” कहते हुये रणविजय की आँखें भर आयीं

“वजह तो समझ जाओगे अगर गहराई से सोचोगे” कहते हुये सुशीला की भी आँखें भर आयीं

“अच्छा भैया ये बताओ आप आज क्या खुशखबरी सुनाने वाले थे...” ऋतु ने माहौल को हल्का करते हुये रणविजय से पूंछा

“तुम्हें किसने बताया कि में कोई खुशखबरी सुनाने वाला हूँ आज?” रणविजय ने उल्टा सवाल दाग दिया

“नीलिमा भाभी ने बताया था.......कहीं ऐसा तो नहीं कि भाभी ही खुशखबरी सुना रही हों” ऋतु ने भी मजा लेते हुये कहा तो रणविजय और नीलिमा से भी ज्यादा समर और प्रबल शर्मा गए

“आज हम यहाँ से 100 किलोमीटर दूर एक गाँव में जाएंगे....जहां मेरे पिताजी की मौसी रहती हैं.........खुशखबरी उनके यहाँ पहुँचकर दूंगा” कहते हुये विक्रम (रणविजय) ने रागिनी की ओर देखा, रागिनी भी रणविजय द्वारा ऐसे देखे जाने से कुछ विचलित सी होकर उसे अजीब नज़रों से घूरने लगी।

उन दोनों को ऐसे एक दूसरे को घूरते देखकर पहले तो अनुराधा को गुस्सा आया लेकिन फिर पता नहीं क्या सोचकर मुस्कुरा दी...... और रणविजय का हाथ पकड़कर रागिनी रागिनी का हाथ उसके हाथ पर रख दिया......

“तुम दोनों भाई बहन मेरी समझ से बाहर हो.............. सीखो कुछ हम भाई-बहन से” अनुराधा ने कहते हुये प्रबल को अपने पास खींच लिया

“अच्छा तो अब तू सिखाएगी हमें.... पता है कितनी सी थी जब तुझे हम भाई बहन ने ही सिखाया था.. छोटा भाई कौन होता है” रणविजय ने रागिनी का हाथ पकड़े-पकड़े ही अनुराधा और प्रबल को बाँहों के बीच में ले लिया

“चलो अब भाई बहन का प्यार पूरा हो गया हो तो इन माँ-भाभी की भी सुन लो” ऋतु ने भी उन चारों को चिपकते देखकर मोहिनी, शांति, सुशीला और नीलिमा को अपनी बाँहों में भरते हुये कहा

“हाँ भाभी! क्या कह रहीं थीं आप?” रणविजय ने संजीदगी से सुशीला से पूंछा

“अब हम लोगों को चलना चाहिए, बड़े भैया को उनके गाँव से साथ ले चलेंगे और सर्वेश चाचा जी को भी बोल देते हैं उन लोगों को बुलवा लें। शाम को लौटकर आ पाना मुश्किल ही लग रहा है.... क्योंकि मंजरी दीदी के पास भी एक दिन तो रुकना ही पड़ेगा, विनायक ने खास तौर पर कहा है.......” सुशीला ने कहा

“ये बड़े भैया कौन हैं” रागिनी ने पूंछा

“दीदी अब आपको सबसे मिलकर पता चलता जाएगा, सब अपने परिवार के ही हैं... बाकी सब तो अपने में ही मस्त रहे.... आपके भाई हमें यहाँ ले आए तो हम इन सबके संपर्क में आ गए और भूले-बिछुड़े सब रिश्ते-नाते चलने लगे” सुशीला ने कहा

........................

गाँव में गाडियाँ अंदर घुसीं और शुरुआत में ही एक बड़ी सी खाली जगह में जाकर रुक गईं। वहाँ चारों ओर 10-12 मकान बने हुये थे और सभी मकानों के दरवाजे उसी मैदान में खुलते थे और चारों ओर से गलियाँ भी वहाँ आकार मिलती थीं। गाडियाँ रुकते ही सबसे पहले रणविजय, सुशीला और भानु उतरे तभी सामने एक घेर (जानवरों और चारे को रखने के लिए बनाया गया स्थान) में से एक लड़का और लड़की इन लोगों के पास पहुंचे... वैदेही भी गाड़ी से उतरकर दौड़ती हुई उस लड़की के पास पहुंची।

लड़के ने आकर रणविजय और सुशीला के पैर छूए, भानु ने उस लड़के के। तब तक बाकी सब भी गाड़ियों से बाहर निकलकर रणविजय और सुशीला के पास खड़े हो गए तो लड़के ने सभी बड़ों के पैर छूए। भानु ने प्रबल और समर को इशारा किया तो उन्होने भी उस लड़के के पैर छूए

“विनायक?” रणविजय ने सुशीला की ओर देखते हुये कहा

“नहीं विक्रांत है ये... विनायक से छोटा” सुशीला ने कहा, तब तक एक और लड़का सामने की एक गली से बाहर निकलकर आया और आते ही सबके पैर छूने लगा तो सुशीला ने बाते “ये विनायक है”

फिर वो लड़का उन सभी को साथ आने का बोलकर, भानु का हाथ पकड़कर उसी गली में वापस चल दिया। सब घर के सामने पहुंचे तो दरवाजे पर ही मंजरी खड़ी थी, रणविजय और सुशीला ने उनके पैर छूए तो उनको देखकर बाकी छोटों ने भी उनका अनुसरण किया। फिर सुशीला ने मोहिनी, शांति, रागिनी, ऋतु, अनुभूति और अनुराधा से भी उनका परिचय कराया... साथ ही साथ वो सब धीरे-धीरे अंदर भी पहुँच गए। अंदर घर के आँगन में बलराज सिंह और वीरेंद्र दो चारपाइयों पर बैठे खाना खा रहे थे. तभी रसोई से एक वृद्ध महिला उनके लिए खाना लेकर बाहर निकली, उन्हें देखते ही सुशीला उनके पास पहुंची और पैर छूए।

“चाचीजी ये बड़ी माँ हैं?” सुशीला ने मोहिनी देवी से कहा तो वो पैर छूने को आगे बढ़ीं लेकिन उन्होने मोहिनी के कंधे पकड़कर अपने सीने से लगा लिया

“तुम तो मेरी छोटी बहन हो, तुम्हें मेंने गोद में खिलाया है बहुत दिन.... मेरी देवरानी तो कामिनी थी, तुम हमेशा मेरी बहन थी और बहन ही रहोगी.... चलो सब आराम से बैठ जाओ और खाना खाओ... फिर तुम सबके बारे में मुझे भी जानना है और मेरे बारे में तुम सब को बताऊँगी” कहते हुये उन्होने सबको बरामदे में पड़ी चारपाइयों और तख्त पर बैठने को कहा

“ताईजी! अभी खाना भी खाएँगे लेकिन ज्यादा नहीं थोड़ी सी तो पहचान सबसे करा ही दूँ आपकी” कहते हुये रणविजय ने भी उनके पर छूए और उनका हाथ पकड़कर अपने साथ ले जाकर तख्त पर बैठा लिया

बाकी सबने भी उनके पैर छूए और वहीं बरामदे में बैठ गए तब तक बलराज और वीरेंद्र भी खाना खाकर उनके पास ही आकर बैठ गए।

“आप सभी को थोड़ा सा अंदाजा तो हो ही गया होगा कि हम कहाँ और किसके पास आए हैं.... लेकिन में आप सबको एक दूसरे के बारे में बताना इसलिए जरूरी समझता हूँ कि फिर से परिवार के लोगों में इतने भ्रम ना पैदा हो जाएँ...कि कोई किसी को जान समझ ही ना सके” रणविजय ने कहना शुरू किया

“अब मुद्दे की बात करो... में समझ गयी हूँ कि हम यहाँ बड़ी ताईजी के पास आए हैं.... जयराज ताऊजी की पहली पत्नी....” रागिनी जो इतनी देर से चुप थी रणविजय को बात खींचते देखकर बोल पड़ी

“अरे रे रे ....बेटा गुस्सा क्यों हो रही हो.... ये बात को घूमा-घूमा के कहने का तो खानदानी गुण है....विजयराज कि भी यही आदत थी,,,,,चलो मेरे बारे में तो तुमने सबको बता दिया........लेकिन मुझे भी तो सबके बारे में बताओ...... सबसे पहले तुम ही अपने बारे में बता दो” बेला देवी ने मुसकुराते हुये रागिनी का हाथ पकड़कर कहा और उसे अपने बराबर में बैठा लिया

“ठीक है ताईजी आप सब आपस में बात करो मैं भैया के साथ घेर पर जा रहा हूँ......... और भाभी! खाना तैयार रखो.... इन सबको खिला दो... फिर आकर में और भैया खाएँगे” रणविजय ने मंजरी से कहा

......................................

उसी समय वहाँ से कुछ किलोमीटर दूर एक गाँव में ...............

“देव अब भी सोच लो, कभी बाद में सबकुछ मेरे ऊपर डाल दो कि मेरी वजह से ये सब हुआ....सब मेरी गलती साबित करो” सरला ने देव से कहा

“भाभी में कुछ सोच समझकर ही आया हूँ.... जो भी होगा, आपसे कभी कुछ नहीं कहूँगा... में उससे प्यार करता हूँ, उसके लिए 20 साल इंतज़ार किया है...अब बड़ी मुश्किल से हमारे मिलने कि उम्मीदें बांध रही हैं...तो आप ऐसे कह रही हो” देव ने सरला से कहा

“देखा 20 साल बहुत लंबा समय होता है.......पता नहीं उसे किन-किन हालातों से गुजरना पड़ा हो...... क्या-क्या ना सहा हो उसने, और क्या पता अब वो तुमसे शादी भी ना करना चाहे” सरला ने फिर से कहा तो देव बिफर पड़ा

“भाभी! प्यार सिर्फ मेंने नहीं उसने भी किया था, वक़्त और हालात ने चाहे उसे कितना भी बादल दिया हो..........लेकिन ऐसा नहीं हो सकता...कि वो मुझसे शादी करने से इन्कार कर दे.... और ...एक बात......मुझे हर हाल में उससे शादी करनी है.... चाहे उसकी कोई भी हालत हो, कोई भी शर्त हो” देव बोला

“ठीक है तो में फोन करके बोल देती हूँ कि हम 1 घंटे में पहुँच रहे हैं” सरला ने कहा और फोन मिला दिया

....................................
are yaar pura update bagicha, sabji ya, Kela, nimbu, papita, etc etc mein hi nikal diya aapne :doh: koi na hara bhara nazara lena chahiye kabhi kabhi.. good for health.. :D
तुम तो मेरी छोटी बहन हो, तुम्हें मेंने गोद में खिलाया है बहुत दिन....
exactly kitne dino tak .. proper time period bataiye :waiting1:
ताईजी! अभी खाना भी खाएँगे लेकिन ज्यादा नहीं थोड़ी सी तो पहचान सबसे करा ही दूँ आपकी”
Kam Kyun.... dieting chal rahi hai kya.. jawab chahiye :dwarf:
अब मुद्दे की बात करो... में समझ गयी हूँ कि हम यहाँ बड़ी ताईजी के पास आए हैं.... जयराज ताऊजी की पहली पत्नी....” रागिनी
ahhhhh raginee jiiiiiiiiiiiiiii itni gusse mein.. BP high ho na jaye kahin bechari lady ghajani jiiiiiiiiiiiiiii ki :love:
भाभी! प्यार सिर्फ मेंने नहीं उसने भी किया था, वक़्त और हालात ने चाहे उसे कितना भी बादल दिया हो..........लेकिन ऐसा नहीं हो सकता...कि वो मुझसे शादी करने से इन्कार कर दे.... और ...एक बात......मुझे हर हाल में उससे शादी करनी है.... चाहे उसकी कोई भी हालत हो, कोई भी शर्त हो” देव बोला
Chutiyadr sahab dekh lijiye is kahte asli hero... Dev the great ... :D
lagta hai ye mare ja raha hai shaadi karne ke liye :lollypop: jawani ki aag.. bujhaye na bujhte.. upor se barish ka mahina.. shaadi kare bina muskil hai jina is dev ke liye :lollypop:
Khair bahot hi dilchasp update tha..

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill kamdev ji :applause: :applause:
 
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Naina

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भाभी! प्यार सिर्फ मेंने नहीं उसने भी किया था, वक़्त और हालात ने चाहे उसे कितना भी बादल दिया हो..........लेकिन ऐसा नहीं हो सकता...कि वो मुझसे शादी करने से इन्कार कर दे.... और ...एक बात......मुझे हर हाल में उससे शादी करनी है.... चाहे उसकी कोई भी हालत हो, कोई भी शर्त हो” देव बोला
waise kammo ji is dev ke liye koi kaajal nahin hai kya is story mein ?
 

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TheBlackBlood bhai kaha ho yaar .. lagta hai ye masoom baccha rooth gaya ...

aur kamdev99008 bhiya aap kab meherbaani karenge .. lagta hai .. aapse to kehna he bekaar hai .. jab aapko koi baat maan-ni he nahi hai .. na to koi baat clear cut karte .. ki update aane mein 2 din lagenge ya 10 din lagenge .. bas jab bhi pucho .. ki aaj raat ko post karunga .. agar post nahi karsakte to bata to do .. magar har baar bahaana baana dete ho ...

ab jab aapke mann mein aaye .. aap karte rehna .. abse main nahi kahunga ...
 

kamdev99008

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TheBlackBlood bhai kaha ho yaar .. lagta hai ye masoom baccha rooth gaya ...

aur kamdev99008 bhiya aap kab meherbaani karenge .. lagta hai .. aapse to kehna he bekaar hai .. jab aapko koi baat maan-ni he nahi hai .. na to koi baat clear cut karte .. ki update aane mein 2 din lagenge ya 10 din lagenge .. bas jab bhi pucho .. ki aaj raat ko post karunga .. agar post nahi karsakte to bata to do .. magar har baar bahaana baana dete ho ...

ab jab aapke mann mein aaye .. aap karte rehna .. abse main nahi kahunga ...
bhai abhi laptop on kiya hai.........update type karne ke liye..................... koshish jari hai
 
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