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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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Chutiyadr

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Main unki iss baat se agree karti hun ki lekhak ko jab tak man aur mahual ek sath nahi milenge vo likh nahi sakta.

Ham pathakon ko ek update padhne me jyada se jyada 5 minute lagte hain, lekin uss update ko likhane me kai baar 5 - 5 din ya usse bhi adhik lag sakte hain.

Ye hamara unke prati aadar bhav aur samman hai ki ham jis karke lekhak se jaldi se jaldi agla ank chahte hain lekin hame uss lekhak ki bhavnaon ko bhi samjhana chahiye.

Koi bhi lekhak nahi chahta ki uske Pathak uske update ke liye anavashyak rup se intezar karen, lekin uski bhi koi majburi ho sakti hai. Hame uski majburi ko samajhte hue meri rai me dabav nahi dalna chahiye.

Mera koi bhi uddeshya nahi hai ki Main aapki kisi bhi bhavnaon ko thes phonchau, isliye please bura mat maniye.

Dhanyawad
kaaas sabhi readers aap jaisa sochate,lekin sabko jaldi se jaldi bahut sara updates chahiye hota hai...
Lekin kamadev bhaiya ki jo bat sabse buri lagti hai wo hai ki pahale to wo bina bole hi commitment karenge ki aaj sham ko update aayega ,uske bad wo sham aane me pura saptah laga denge ...
Are wahi pahale hi bata do ki 4-5 din lag jayega update aane me ... :dazed:
Mujhe lagta hai ki ye jaroor kisi sarkari mankame ke karmchari rahe honge, rajasw vibhag wale shayad kyoki inka kaam ke prati attitude waisa hi hai,sale wo bhi hamesha latka ke rakhte hai aur kabhi koi chij clear nahi batate..
Aur unhe bhi kaam karwane ke liye ya to unke sar me chadna padta hai ya fir ghus dena padta hai :lol1:
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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अध्याय 43

1987 गर्मियों की उमस भरी दोपहरी......

दिल्ली के पास नोएडा का एक गाँव –



निर्मला देवी के तीसरे बेटे गजराज की शादी हो रही है मेहमान ज्यादा तो नहीं बस खास-खास लोग ही आ रहे हैं, उन्होने अपनी बड़ी बहू जयराज की पत्नी वसुंधरा से कहा कि आज उनकी बहन सुमित्रा अपनी बेटी सरला के साथ यहाँ आ रही है ऐसे ही और भी कुछ मेहमान आ सकते हैं.... इसलिए दूसरे बेटे विजयराज के बच्चों को यहीं बुला लिया जाए..... वसुंधरा का भी छोटा बेटा धीरेन्द्र अभी 3-4 साल का था तो विजयराज की बेटी रागिनी घर के काम में भी उसका हाथ बंटा देगी।

वैसे तो ये शादी कोई नयी रिश्तेदारी नहीं थी सारा परिवार गजराज की होने वाली पत्नी मोहिनी को जानता है। विजयराज की पत्नी कामिनी की छोटी बहन है मोहिनी। मोहिनी रागिनी की ही उम्र की है और बचपन में अपनी बहन के पास इस घर में बहुत रही है.... बल्कि एक तरह से उसे वसुंधरा और मोहिनी ने ही पाला था..... कामिनी अपने माँ-बाप की इकलौती संतान थी उसके कोई भाई-बहन नहीं थे, कामिनी की शादी के बाद जब उसके माँ-बाप अकेले रह गए तो उन्होने एक बार फिर से संतान पैदा करने की कोशिश की, कि शायद एक बेटा हो जाए तो उनके बुढ़ापे का सहारा बन जाएगा.... कोशिश कामयाब हुयी 1971 में जब बेटा तो नहीं एक और बेटी हो गयी मोहिनी। उन्होने उसे ही भगवान कि मर्जी मानकर संतोष कर लिया। मोहिनी के जन्म से पहले ही उनकी बड़ी बेटी कामिनी के भी पहली संतान एक बेटी हुयी ...रागिनी, 1970 में। कामिनी के जब दूसरी संतान बेटा पैदा हुआ ....विक्रम, 1976 में। तो वो दोनों छोटी बेटी मोहिनी के साथ उसे देखने के लिए आ रहे थे लेकिन रास्ते में सड़क दुर्घटना में कामिनी की माँ की मृत्यु हो गयी और पिता ने कुछ समय बाद परिजनों के समझने पर दूसरा विवाह कर लिया तो कामिनी ने मोहिनी को अपने पास लाकर अपने बच्चों के साथ ही पालना शुरू कर दिया।

जब 1984 में एक दिन अचानक कामिनी की मृत्यु हो गयी तो कामिनी के पिता भी उसके अंतिम संस्कार में शामिल हुये, जहां से वापस लौटते समय मोहिनी भी जिद करके उनके साथ ही चली गयी। बाद में विजयराज ने कामिनी के पिता के सामने प्रस्ताव रखा की बच्चों के पालन-पोषण के लिए उसे दूसरी शादी करनी ही पड़ेगी.... लेकिन सौतेली माँ बच्चों को कैसे रखेगी पता नहीं... इसलिए वो मोहिनी की शादी उससे कर दें तो वो सगी मौसी भी है और उन बच्चों के साथ बचपन से रही है तो उनकी देखभाल भी बहुत अच्छे ढंग से करेगी।

इस प्रस्ताव पर मोहिनी ने तो केवल अपनी ओर से मना ही किया लेकिन रागिनी ने तो अपनी ननिहाल ही नहीं अपने घर में भी विरोध का झण्डा खड़ा कर दिया। उसने साफ-साफ कह दिया की अब वो विजयराज को दूसरी शादी करने की इजाजत नहीं देगी.... वो अब खुद इतनी समझदार है कि अपने घर, अपने आप और अपने भाई की देखभाल खुद कर सकती है। आखिरकार रागिनी और रागिनी के पक्ष में पूरे परिवार के दवाब से विजयराज को दूसरी शादी का फैसला तलना पड़ा।

बाद में खुद रागिनी के कहने पर ही रागिनी के नाना ने विजयराज से छोटे भाई गजराज से मोहिनी की शादी करने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव पर अब गजराज की माँ निर्मला देवी तैयार नहीं हुईं लेकिन रागिनी ने यहाँ भी न सिर्फ गजराज बल्कि अपने ताऊ जी जयराज को भी तैयार कर लिया। और सबसे ज्यादा आश्चर्य तब हुआ जब रागिनी ने पता नहीं क्या कहकर अपने पिता विजयराज को भी इस शादी के समर्थन में तैयार कर लिया.... हालांकि विजयराज मन से इस शादी को तैयार नहीं था और इस बात को सभी समझ भी रहे थे लेकिन रागिनी का पता नहीं क्या दवाब था जो विजयराज ने खुद आगे बढ़कर अपनी माँ को इस शादी के लिए समझाकर तैयार किया और इस तरह अब जाकर इस शादी का समय आया।

चलो ये सब तो हुआ सो हो गया ...अब आते हैं वापस 1 दिसम्बर 1987 के दिन वहीं नोएडा में....

“जीजी नमस्ते!” सुमित्रा ने घर में घुसते हुये कहा साथ ही सरला ने भी अपनी मौसी को नमस्ते किया। दोनों के अंदर आते ही वसुंधरा भी अपना काम छोडकर उनके पास आयी और पैर छूए वसुंधरा के साथ रसोई में काम कर रही रागिनी ने भी वहीं से उन दोनों को नमस्ते किया तो वो दोनों रसोई में जाकर रागिनी को अपनी बाहों में भर ली। सुमित्रा और सरला के बैग लिए उनके पीछे पीछे आ रहे रवीन्द्र और विक्रम ने अपने साथ चल रहे सर्वेश से बैठने को कहा और खुद अंदर जाकर बैग रख दिये। सर्वेश, रवीन्द्र और विक्रम लगभग हमउम्र ही थे साल-छ्ह महीने का बड़े छोटे का अंतर होगा।

इसी तरह 8-10 दिन में सब इकट्ठा हुये गजराज की शादी भी हो गयी और सब वापस जाने लगे। निर्मला देवी की बहन सुमित्रा तो बेटे सर्वेश को लेकर अपने गाँव वापस जाने लगीं... लेकिन उनकी बेटी सरला को अपनी ननद के पास दिल्ली जाना था इसलिए वो वहीं रुक गईं... सरला ने बताया की उनके देवर देवराज यहीं अपनी बहन के पास दिल्ली में ही रहकर नौकरी करने लगे हैं..... तो वो ही उनको लेने आएंगे।

2-3 दिन बाद देवराज अपनी भाभी सरला को लेने आए तो निर्मला देवी ने कहा की इतने दिनों बाद तो सरला अपनी मौसी के पास आई है.... कुछ दिन और रह लेने दो.... अब तक तो सब शादी की भागदौड़ में लगे थे.... अब एक दूसरे को जानने और समझने की फुर्सत मिली है तो परिवार से घुल-मिल लेगी... वो अगले सप्ताह अपनी छुट्टी वाले दिन आकर सरला को ले जाए.... सरला अपने बच्चों को मध्य प्रदेश में अपने घर ही छोडकर आयी थी। उन्होने उस दिन देवराज को भी वापस दिल्ली नहीं जाने दिया और अपने पास ही रुकने को बोला जो की थोड़ी ना-नुकुर के बाद देवराज भी मान गया।

शाम तक शादी वाला सबकुछ निपटाकर सभी फुर्सत से एकसाथ बैठे तो आपस में बातें शुरू हुईं

“अच्छा सब इकट्ठे हो गए और सरला तो पहले भी हम लोगों के पास आयी है लेकिन देवराज आज पहली बार यहाँ आए हैं ..... इनसे जुड़ी एक खास बात है हमारे घर में जो शायद छोटे-छोटे किसी को भी नहीं पता और बड़ों को भी शायद याद ना हो” निर्मला देवी ने सबके सामने कहा तो सब उलझन में पड़ गए की जो व्यक्ति पहली बार इस घर में आया है उससे जुड़ी क्या बात हो सकती है हमारे घर में। लेकिन सरला को शायद वो बात समझ में आ गयी तो वो मुस्कुराने लगी

“मौसी में भी भूल गयी थी.... लेकिन आपने कहा तो मुझे याद आ गया” कहे हुये सरला मुस्कुराकर कभी अपने देवर देवराज को देखती और कभी अपने मौसेरे भाई देवराज को

“बुआजी नाम तो बहुत सारे लोगों के एक जैसे होते हैं.... इसमें क्या खास बात हो गयी कि इन फूफाजी और छोटे चाचाजी दोनों का नाम देवराज है” रागिनी ने सरला कि नजरों का पीछा करते हुये एक नजर दोनों देवराज पर मारी

“इसमें कुछ खास बात है तभी तो.... क्या तुम लोगों को मालूम है.... देवु का नाम पहले रवि रखा गया था.... रविराज। लेकिन इसका नाम जब बदलकर देवराज कर दिया गया तो बाद में जय दादा के बेटे का नाम रवि रख दिया गया” सरला ने मुसकुराते हुये रागिनी को देखा

“तो चाचा का नाम देवराज क्यों रखा गया.... अब आप ये मत कहना कि फूफाजी के नाम पर रखा गया” रागिनी ने फिर से कहा

रागिनी के बार-बार सवाल पूंछने की वजह से देवराज की निगाहें भी रागिनी पर ही जमी हुई थीं, लेकिन उन निगाहों का अंदाज कुछ बदलता हुआ लग रहा था। बात करती हुई रागिनी ने होठों को हिलते हुये तो देवराज देख रहा था लेकिन रागिनी ने क्या कहा ...वो तो देवराज ने सुना ही नहीं। होठों से दायरा बढ़ाती हुई नज़रों ने फिर पूरी चेहरे को देखा, वो मासूमियत, वो भोलापन ...देवराज को लगा की जैसे वो कहीं खो सा गया। अब उसे वहाँ चल रही बातों में कोई दिलचस्पी नहीं रह गयी...और ना ही किसी बात से कोई मतलब था।

“हाँ! सही समझा तुमने जिस साल मौसी के देवराज हुये उसी साल मेरी शादी हुई थी देवराज के होने पर तो में गौने की वजह से आ नहीं पायी थी लेकिन जब बाद में आयी तो माँ के साथ ननिहाल गयी... तब मौसी-मौसा वहीं रहते थे... इसको देखकर मुझे अपने देवर देवराज की याद आयी... उसी की तरह गोल-मटोल सुंदर सा.... तब मेंने कहा की इसका नाम में रखूंगी.... इस पर मौसा जी ने बताया की इसका नाम रवि रखा गया है.... लेकिन मेंने सबसे साफ-साफ कह दिया कि इसका नाम रवि नहीं देवराज रखा जाएगा.... क्योंकि मुझे ये देवराज जैसा ही लगता है.... में इसे देवराज कहने लगी तो कुछ और लोग भी कहने लगे फिर धीरे-धीरे इसका नाम रवि की बजाय देवराज ही हो गया” सरला ने पूरे विस्तार से देवराज के नामकरण की कहानी सुना दी

इधर सरला की बातों को सुनते हुये रागिनी को अचानक कुछ अजीब सा महसूस हुआ... कुछ बेचैनी सी लगी तो उसने नज़रें घुमाकर देखा.... और उसकी नज़रें अपने चेहरे को घूर कर देखती देवराज कि नजरों से जा मिलीं...रागिनी से नजरें मिलते ही देवराज ने झेंपकर अपनी नजरें हटा लीं।

फिर इसी तरह बातें चलती रहीं सबके बीच..... और चार आँखें कभी सीधी तो कभी तिरछी सबसे छुपकर एक दूसरे से मिलती रहीं... दूसरे दिन सुबह ही देवराज वापस दिल्ली लौट गया बेमन से....क्योंकि मन तो उसका रागिनी के पास ही रह गया था। ऐसे ही समय बीता अगले हफ्ते देवराज फिर आया अपनी भाभी सरला को दिल्ली ले जाने के लिए... घर में बैठा सबसे बात करते हुये उसकी नज़रें ढूंढ रही थीं रागिनी को.... जो उसे कहीं दिख नहीं रही थी, आखिरकार देवराज के सब्र का बांध टूट ही गया और उसने सरला से पूंछना सही समझा।

“भाभी विजयराज भैया यहाँ नहीं रहते?”

“विजयराज भैया का तो ऐसा ही है.... जब तक भाभी थीं तब तक तो वो परिवार के साथ ही रहीं... लेकिन भाभी के बाद तो भैया का पता ही नहीं होता कहाँ रहते हैं, क्या करते हैं। कितनी बार मौसी और जयराज भैया ने कहा है कि बच्चों को लेकर ऐसे भटकना सही नहीं है... जवान लड़की को पता नहीं कहाँ कैसे माहौल में रखते हैं... इससे तो यहाँ छोड़ देते तो बच्चे सुरक्षित भी रहते और कुछ पढ़ लिख भी जाते। अब रागिनी को ही ले लो भाभी खत्म हुई थीं तब 8वीं में पढ़ती थी..। अब तक हाईस्कूल कर लिया होता लेकिन कहीं किसी स्कूल में भर्ती ही नहीं कराया... विक्रम जरूर इस साल 5वीं कि परीक्षा दे रहा है यहीं के जूनियर हाईस्कूल से... इन सबने कह दिया है यहीं रहकर परीक्षा भी दे देगा... यहाँ इंटर कॉलेज होता तो रागिनी भी यहीं रहकर परीक्षा दे देती” सरला ने जवाब दिया

रागिनी का पता चलने और उससे मिलने की आस में देवराज ने अपनी भाभी का इतना विस्तार से दिया गया जवाब बहुत ध्यान से सुना लेकिन आखिर में परिणाम कुछ भी नहीं निकला।

.......................................

वक़्त गुजरता गया.... न सरला भाभी अपनी मौसी यहाँ आयीं और ना ही देवराज को नोएडा निर्मला देवी के घर जाने का मौका मिला। देवराज को उसके जीजाजी ने चाँदनी चौक में एक साड़ियों की दुकान पर सेल्समैन की नौकरी लगवा दी थी जिसे देव अपनी मेहनत और काबिलियत से तो कर ही रहा था। साथ ही दुकान मालिक पर अपनी ईमानदारी की छाप भी बनाता आ रहा था

देव के मन में हर समय रागिनी का ही ख्याल आता रहता... की म्कइसे उससे मुलाकात हो, लेकिन निर्मला देवी के घर जाने की उसकी हिम्मत नहीं हुई, क्योंकि उसे लगता कि दूर की रिश्तेदारी है उसकी भाभी की मौसी। कहीं उन लोगों को उसका आना जाना अजीब ना लगे... एक बार उसने सोचा कि आज वो उनके घर जाएगा .... दिल्ली से नोएडा पहुंचा लेकिन उनके घर के सामने से वापस लौट आया...उसकी हिम्मत ही नहीं हुई............................ बस इसी तरह वक़्त गुजरता गया और देवराज भी अपने काम, परिवार, अपनी ज़िंदगी में व्यस्त हो गया।

मई 1990 देव के गाँव में

“भाभी आज कैसे अपने मायके की याद आ गयी.... आपको तो काम से फुर्सत ही नहीं मिलती?”

“मायके नहीं, मौसी के यहाँ जाना है उनके छोटे बेटे देवराज की शादी है तुम्हें तो याद होगा वहाँ नोएडा मेंने बताया था.... उसका नाम तुम्हारे ही नाम पर रखा था मेंने ही” सरला ने कहा

“फिर तो नोएडा जाओगी आप?” देवराज ने कहा

“जाओगी? में कहाँ जाऊँगी.... तुम लेकर चलोगे मुझे” सरला ने देवराज को घूरते हुये कहा तो सुनते ही देवराज को ऐसा लगा की जैसे उसके दिल की धड़कन ही रुक गयी हो। मन में खुशी का ज्वार उठने लगा। देवराज के मन में रागिनी से मिलकर कैसे बात शुरू करनी है, क्या कहना है... कैसे अपने मन की बात बतानी है... सारी योजनाएँ बनने लगीं। लेकिन फिर उसे पिछली बार का ध्यान आया की अगर रागिनी मिली ही नहीं तो? फिर मन में सोचने लगा कि उसके सगे चाचा की शादी है.... वो वहाँ जरूर मिलेगी।

“क्या सोचने लगे। अगर तुम्हारा मन नहीं है तो माना कर दो... तुम्हारे भैया को तो फुर्सत ही नहीं मिलती घर से निकालने की। में भी अकेली इतनी दूर जा नहीं सकती। फिर रहने ही देती हूँ... उनके यहाँ इतनी शादियों में शामिल हो चुकी हूँ सोचती थी ये आखिरी शादी है मौसी के बच्चों में से.... लेकिन तुम्हारा ही ले जाने का मन नहीं तो रहने दो” सरला ने अपनी आदत के अनुसार अपने मन की सब भड़ास निकाल दी

“नहीं भाभी वो में कुछ और सोच रहा था” देवराज ने चौंकते हुये कहा और मन में सोचने लगा कि यहाँ तो कहानी शुरू होने से पहले ही खत्म हुई जा रही है

“हाँ! हाँ! में सब समझती हूँ... अब तुम बड़े हो गए हो.... बड़े क्या जवान हो गए हो.... अब इस बुढिया भाभी को साथ लेकर चलने में बेइज्जती लगती होगी.... ये तो में ही थी जो नयी-नयी शादी हुई थी तब भी तुम्हें लिए फिरती थी... मुझे भी शर्म आनी चाहिए थी उस उम्र में इतने बड़े बच्चे कि माँ बनी घूमती थी” सरला ने फिर अपना दुखड़ा रोया तो देवराज की समझ में नहीं आया कि उसे किस तरह से समझाये, देवराज ने जल्दी से आगे बढ़कर अपना हाथ सरला के मुंह पर रखा कि कहीं वो फिर से कुछ ना बोलने लगे।

“भाभी में ये कह रहा था कि आप तैयार रहो.... भैया नहीं जा पाते तो क्या हुआ अब में बड़ा हो गया हूँ... आपको अकेला नहीं छोडूंगा में साथ हूँ आपके। हर जगह हर काम में आपका साथ दूँगा, अब आप तैयार हो जाओ और मेरे साथ चलो” देवराज ने सरला को समझाते हुये कहा

“हाँ भई! जाओ अब तो तुम्हारा साथ देने को ‘हर काम’ में जवान देवर है ही.... तो मुझे भी ‘सब काम’ से फुर्सत हो जाएगी..... जाओ चली जाओ साथ” कमरे के दरवाजे से आवाज आयी तो देवराज और सरला की नजर वहाँ खड़े सरला के पति रमेश पर पड़ी।

“नहीं भैया... वो भाभी कह रहीं थीं.......” देवराज ने बोलना चाहा तो रमेश ने उसकी बात बीच में काटते हुये कहा

“नहीं! अब तुम्हें और सरला को कुछ कहने की जरूरत नहीं.... में सब सुन चुका हूँ” रमेश ने दुखी से स्वर में कहा और पलटकर बाहर जाने को मुड़ा

तभी सरला ने देवराज का हाथ जो अब भी सरला के मुंह पर रखा था झटके से हटकर आगे बढ़ी और रमेश का हाथ पकड़कर वापस खींच लिया। देखा तो रमेश के चेहरे पे मुस्कुराहट थी। लेकिन देवराज और सरला के चेहरों पर दर और घबराहट देखते ही वो ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा

“उसे तो कुछ बोलने नहीं दिया.... पता नहीं क्या सुनकर अनाप-शनाप बोल रहे हो और अब हँसे जा रहे हो.... क्या कह रहे थे.... जवान देवर मिल गया?” सरला ने अपनी घबराहट पर गुस्से को हावी करते हुये कहा

“अरे में कुछ नहीं कह रहा था... में यही कहने आया था कि तुम देवराज के साथ नोएडा चली जाना और हर बार अकेली ही जाती हो... इस बार हमारे परिवार कि ओर से देवराज ही उनकी शादी में भी शामिल हो जाएगा” रमेश ने हंसी रोकते हुये मुस्कुराकर कहा

“नहीं पहले मुझे मेरी बात का जवाब दो” अब सरला ने पूरे गुस्से में कहा तो रमेश ने देवराज को कमरे से बाहर जाने का इशारा किया

“देवराज दरवाजा बाहर से बंद करके संकल लगा देना..... हाँ तो में ये कह रहा था...” देवराज के बाहर निकालकर दरवाजा बंद करते ही रमेश ने सरला को अपनी बाहों में भरा और उठाकर बिस्तर पर पटक दिया..............

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kamdev99008

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Fantastic Update
kamdev99008 bhai bahoot khoob. agale update ke liye pl itana wait mat karwana
“काम ही काम .............. बस काम ही तो करता हूँ में इसीलिए तो मेंने अपना नाम कामदेव रखा है..... लेकिन मेंने जो पूंछा उसका तो कोई जवाब नहीं दिया तुमने.... श्री कहाँ है”वीरेंद्र ने सोफ़े पर और भी पसरते हुये कहा...... yaha ravindra tha ya virendra ? do log the ya
sushila ravindra ki pehli patni hai ( not sure ) aur usne garima se bhi shadi ki hai ? ...phir garima sushila ko behen kyo bol rahi thi ? kya wo behen hai ya patni ??
ragini aur dev ki kahani bhi mast thi ...sab do do shadiya karte hai aur yaha dev ne 20 saal intejar kiya ? ...aur shree ka maa baap kaun hai ? bin maa ki bachchi hai to unke paas kaise aayi ?
kamdev99008 bhai ye trishna to mrigtrishna banta ja raha hai. aap sayad weekly up date dete hai. atah ab mai Aapse 1-2 mahine baad hi milunga tab tak 2, 4 update aa chuka hoga.
Kamdev bhai.... Waiting.
aapko ungali karke likhwane wale firefox bhaiya to ban chal rahe hai :verysad:
are, are Darwaza kahe bandh kar di.... hume bhi kuch dekhne do akhir kya baatein ho rahi hai.... kahin aisa nahi ki bhitar mazra kuch aur hi hai :hinthint2:... ahhh sisak jawani ki :lol: :lol:
Bichari kaajal bhi aaj dukhi hogi.. uski toh lutiya dub gayi re :verysad:
Khair kahani kaafi dilchasp hoti ja rahin hain....
Brilliant update kammo ji.... Great going :applause: :applause:
Woh khud hi apni ban karvaya hai... fikar nat jaldi hi aa jayenge...
kya pata bhai aa jayenge kuch din me
kamdev99008 Bhai aap commitment se bhag rahe hai. aisi kya gustakhi aapke chahane walo se ho gayi.....................
waiting

Ragini didi to badi tez nikli. ye to bina time gawaye seedha apna future set karne baith gayi, inme to apne pita aur bhai wale saare goon hai.

sahi hai ji shubh kaam mein deri kaisi.
kyon ji aapko kaunse infrastructure ki jaroorat aan padi, aapne bhi kya chinese companies se FDI le rakha hai.

aur waiting for 100% update kyon ki sham ho chuki hai.
Waiting..... Waiting...... Waiting....

Abb kal se 3 ki jagah 4 aur parso se 5...badhta hi jayega.?
arre amita ji aap na jyaada kamdev99008 ji ki baato se agree mat kiya karo, ek to waise he update nahi mil paate upar se aise comments padh kar inka josh aur badh jaata hai, abhi lage pade honge kisi kahani par, bas likhne ki kehdo to abhi apne bahano ki list khol denge.

inhone yaha Xforum par aisi nesti faila rakhi hai ki bechare Chutiyadr ne bhi aaj update nahi diya.

aaj 80% bataya hai, ab 100% hone mein 1 hafta lag jaana hai. lelo baba ji ka thullu. :banghead:
abhi thodi der mein comment aane wala hai lekhak ji ki taraf se ki bijli bhaag gayi aur jo update likha tha wo sab kharab ho gaya kyonki laptop ki battery kharab hai.

aur bhai aap chahe 3 ki jagah 10 baar likh lo, jo inke kaan par jara si bhi joo reng jaaye.
I don't like this type of comments...... please.
Aap ko sirf yahi kanhungi ki ho sakta aap theek ho lekin dusre ko bhi galat kehna mere hisaab se theek nahi hai, baki aapki iccha
Aisa kehna uchit nahi hai kyonki Kaamdev ji ki lekhni se jo nikalata hai vah bahut hi Uttam darje ka hota hai, isliye meri rai hai ki lekhak par bina baat dabav na dala jaye

Dhanyavaad
Main unki iss baat se agree karti hun ki lekhak ko jab tak man aur mahual ek sath nahi milenge vo likh nahi sakta.

Ham pathakon ko ek update padhne me jyada se jyada 5 minute lagte hain, lekin uss update ko likhane me kai baar 5 - 5 din ya usse bhi adhik lag sakte hain.

Ye hamara unke prati aadar bhav aur samman hai ki ham jis karke lekhak se jaldi se jaldi agla ank chahte hain lekin hame uss lekhak ki bhavnaon ko bhi samjhana chahiye.

Koi bhi lekhak nahi chahta ki uske Pathak uske update ke liye anavashyak rup se intezar karen, lekin uski bhi koi majburi ho sakti hai. Hame uski majburi ko samajhte hue meri rai me dabav nahi dalna chahiye.

Mera koi bhi uddeshya nahi hai ki Main aapki kisi bhi bhavnaon ko thes phonchau, isliye please bura mat maniye.

Dhanyawad
aapki baat ka bura nahi maana amita ji, aur main bhi yaha naya nahi hu, sirf ID nayi hai, baaki kamdev99008 bhiya ki nas-nas se wakif hu, waise inhone hamari pichli saari comment lagatar padhi hogi, magar like aur reply baad mein karenge, kahi yaha dekh kar fir se inse update ki farmaish na kar di jaaye.

waise aapne jo bhi tark pesh kiye wo sabhi lekhako ke upar bilkul sahi baith te hai, magar na he to ye lekhak hai (ye mere nahi inke khud ke shabd hai) aur dusra nahi ye maanav hai, sirf dikhne aur bolne mein he aadmi jaise prateet hote hai, magar ye %&^%&^* hai, ab iss se jyaada inke liye kuch kaha nahi jaa sakta.

keh to bahut kuch sakta hu, magar aaj pehla he din hai aur aaj he main warning nahi lena chahta, aur aapse bhi meri yahi guzarish hai, ki aur comments karne ke liye profile use kar sakte hai, kyonki yaha inse story ka update to milega nahi baaki naa milne ke kitne kaaran ho sakte hai, wo sab padhne ko mil jaayenge.

aur aapki pichli comment ka jawaab bhi isi mein de du, wo yeh ki inpar koi bhi jivit, janma, pashu, pakshi devta, peeshach, ya koi bhi hatyaar se inka baal bhi baanka nahi kiya jaa sakta hai, agar khud Narsimha bhagwaan saakshat padhaar jaaye to shayad ve bhi inke saamne apne hathiyaar ger denge. kehne ka matlab inpar dabaav nahi banaya ja sakta. aur iske bhugt bhogi hamare firefox420 aur Chutiyadr ji hai.

inki moksh ke chakkar mein pata nahi kitne maanushay parlok seedhar chuke hai, ek site bhi band ho chuki hai, aur iss site ke jeevan kaal mein bhi inki moksh bijli bhaagne aur laptop ki battery ki badolat poori nahi ho paayegi, baaki main aur aap to yahi hai, aap apne Rishta pura kariye, aur uske baad jo aur 2-4 kahaniya aur likhengi wo bhi poori karlijiyega, magar yaha mOksh nahi praapt hoga.

Dhanyawaad. :D
Waiting

agar hasna ho gaya ho to aage likh kar post kar do
Mai to kamdev99008 bhai se dukhi hu. Update ka commitment kar ke na karne ke liye kaval. Nischit unka prerogative hai update kare ya naa. Mai to unka prasansak hu aur logo ko gussa aur dukhu kis se hota hai jis si prem karta hai. kamdev99008 bhai ki lekhani mai dam hai isi liye baar baar kah raha hu. Ek samay aayega jab lagega kahane ka koi fayada nahi hai to kahna chhor dunga.
kaaas sabhi readers aap jaisa sochate,lekin sabko jaldi se jaldi bahut sara updates chahiye hota hai...
Lekin kamadev bhaiya ki jo bat sabse buri lagti hai wo hai ki pahale to wo bina bole hi commitment karenge ki aaj sham ko update aayega ,uske bad wo sham aane me pura saptah laga denge ...
Are wahi pahale hi bata do ki 4-5 din lag jayega update aane me ... :dazed:
Mujhe lagta hai ki ye jaroor kisi sarkari mankame ke karmchari rahe honge, rajasw vibhag wale shayad kyoki inka kaam ke prati attitude waisa hi hai,sale wo bhi hamesha latka ke rakhte hai aur kabhi koi chij clear nahi batate..
Aur unhe bhi kaam karwane ke liye ya to unke sar me chadna padta hai ya fir ghus dena padta hai :lol1:
मित्रो! अध्याय 43 आप सभी के सामने प्रस्तुत है...........
देरी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ........
................................

आप सब को परेशान करना या इंतज़ार कराना में पसंद नहीं करता लेकिन कुछ परिस्थितियाँ मजबूर कर देती हैं,

बड़ी मुश्किल से कुछ राहत मिली थी की हमारी फॉरम के चीर-फाड़ विशेषज्ञ / शल्य चिकित्सक /surgeon @firefox भाई बैन हो गए हैं ........ कुछ दिन शांति रहेगी...... लेकिन अब जलती लोमड़ी नए अवतार में आग लगाने आ चुकी है..... मुझे लगता है की overtime करके भी अपडेट लिखने को प्राथमिकता देनी पड़ेगी

आनंद लें और प्रतिकृया दें
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Main unki iss baat se agree karti hun ki lekhak ko jab tak man aur mahual ek sath nahi milenge vo likh nahi sakta.

Ham pathakon ko ek update padhne me jyada se jyada 5 minute lagte hain, lekin uss update ko likhane me kai baar 5 - 5 din ya usse bhi adhik lag sakte hain.

Ye hamara unke prati aadar bhav aur samman hai ki ham jis karke lekhak se jaldi se jaldi agla ank chahte hain lekin hame uss lekhak ki bhavnaon ko bhi samjhana chahiye.

Koi bhi lekhak nahi chahta ki uske Pathak uske update ke liye anavashyak rup se intezar karen, lekin uski bhi koi majburi ho sakti hai. Hame uski majburi ko samajhte hue meri rai me dabav nahi dalna chahiye.

Mera koi bhi uddeshya nahi hai ki Main aapki kisi bhi bhavnaon ko thes phonchau, isliye please bura mat maniye.

Dhanyawad
kammo ji ne laptop gopi bahu ko ragad kar dhone nahi diya shayad.. isliye yeh problems create ho rahe hai .. :dazed:
 

Ankitshrivastava

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मित्रो! अध्याय 43 आप सभी के सामने प्रस्तुत है...........
देरी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ........
................................

आप सब को परेशान करना या इंतज़ार कराना में पसंद नहीं करता लेकिन कुछ परिस्थितियाँ मजबूर कर देती हैं,

बड़ी मुश्किल से कुछ राहत मिली थी की हमारी फॉरम के चीर-फाड़ विशेषज्ञ / शल्य चिकित्सक /surgeon @firefox भाई बैन हो गए हैं ........ कुछ दिन शांति रहेगी...... लेकिन अब जलती लोमड़ी नए अवतार में आग लगाने आ चुकी है..... मुझे लगता है की overtime करके भी अपडेट लिखने को प्राथमिकता देनी पड़ेगी

आनंद लें और प्रतिकृया दें

Kya baat hai...50 ke kareeb pahuch rahe hai...well played....:applause::applause:

Aur ye cheer-faad karne wala koun aa gaya sir.....aur kis tarah ki cheer-faad karte hai janaab....?

chaliye aap 50 puri kare...main inning khatm kar ke milta hu....:shakehands:

Akhir trishna se tusti tak ka safar jo janna hai....?

Till then....Keep Rocking Bhai.......
 

amita

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मित्रो! अध्याय 43 आप सभी के सामने प्रस्तुत है...........
देरी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ........
................................

आप सब को परेशान करना या इंतज़ार कराना में पसंद नहीं करता लेकिन कुछ परिस्थितियाँ मजबूर कर देती हैं,

बड़ी मुश्किल से कुछ राहत मिली थी की हमारी फॉरम के चीर-फाड़ विशेषज्ञ / शल्य चिकित्सक /surgeon @firefox भाई बैन हो गए हैं ........ कुछ दिन शांति रहेगी...... लेकिन अब जलती लोमड़ी नए अवतार में आग लगाने आ चुकी है..... मुझे लगता है की overtime करके भी अपडेट लिखने को प्राथमिकता देनी पड़ेगी

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Bhavanatamak update
 

Naina

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तो चाचा का नाम देवराज क्यों रखा गया.... अब आप ये मत कहना कि फूफाजी के नाम पर रखा गया” रागिनी ने फिर से कहा
ek ke ek baad itne log jud gaye hai ki aisi chhoti moti galtiya hoti rahti hai...mahaz naam hi toh hai.. Kya fark padta hai :dazed:
रागिनी के बार-बार सवाल पूंछने की वजह से देवराज की निगाहें भी रागिनी पर ही जमी हुई थीं, लेकिन उन निगाहों का अंदाज कुछ बदलता हुआ लग रहा था। बात करती हुई रागिनी ने होठों को हिलते हुये तो देवराज देख रहा था लेकिन रागिनी ने क्या कहा ...वो तो देवराज ने सुना ही नहीं। होठों से दायरा बढ़ाती हुई नज़रों ने फिर पूरी चेहरे को देखा, वो मासूमियत, वो भोलापन ...देवराज को लगा की जैसे वो कहीं खो सा गया। अब उसे वहाँ चल रही बातों में कोई दिलचस्पी नहीं रह गयी...और ना ही किसी बात से कोई मतलब था।
hmm.... toh tharakpan phir se jaag utha.. par itne log ke bich.. ladka kaafi himmatwala hai.. btw tharakpan mein kahe ki sharam :D
.
..हाँ! सही समझा तुमने जिस साल मौसी के देवराज हुये उसी साल मेरी शादी हुई थी देवराज के होने पर तो में गौने की वजह से आ नहीं पायी थी लेकिन जब बाद में आयी तो माँ के साथ ननिहाल गयी... तब मौसी-मौसा वहीं रहते थे... इसको देखकर मुझे अपने देवर देवराज की याद आयी... उसी की तरह गोल-मटोल सुंदर सा.... तब मेंने कहा की इसका नाम में रखूंगी.... इस पर मौसा जी ने बताया की इसका नाम रवि रखा गया है.... लेकिन मेंने सबसे साफ-साफ कह दिया कि इसका नाम रवि नहीं देवराज रखा जाएगा.... क्योंकि मुझे ये देवराज जैसा ही लगता है.... में इसे देवराज कहने लगी तो कुछ और लोग भी कहने लगे फिर धीरे-धीरे इसका नाम रवि की बजाय देवराज ही हो गया” सरला ने पूरे विस्तार से देवराज के नामकरण की कहानी सुना
uiiiiii :shocked2: ek hi saans mein bol di puri kahani :shocked2:
जाओगी? में कहाँ जाऊँगी.... तुम लेकर चलोगे मुझे” सरला ने देवराज को घूरते हुये कहा तो सुनते ही देवराज को ऐसा लगा की जैसे उसके दिल की धड़कन ही रुक गयी हो। मन में खुशी का ज्वार उठने लगा। देवराज के मन में रागिनी से मिलकर कैसे बात शुरू करनी है, क्या कहना है... कैसे अपने मन की बात बतानी है... सारी योजनाएँ बनने लगीं। लेकिन फिर उसे पिछली बार का ध्यान आया की अगर रागिनी मिली ही नहीं तो? फिर मन में सोचने लगा कि उसके सगे चाचा की शादी है.... वो वहाँ जरूर मिलेगी।
mann mein laddu futa... ladka baada utawla huye jaa raha hai :D
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:
 
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मित्रो! अध्याय 43 आप सभी के सामने प्रस्तुत है...........
देरी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ........
................................

आप सब को परेशान करना या इंतज़ार कराना में पसंद नहीं करता लेकिन कुछ परिस्थितियाँ मजबूर कर देती हैं,

बड़ी मुश्किल से कुछ राहत मिली थी की हमारी फॉरम के चीर-फाड़ विशेषज्ञ / शल्य चिकित्सक /surgeon @firefox भाई बैन हो गए हैं ........ कुछ दिन शांति रहेगी...... लेकिन अब जलती लोमड़ी नए अवतार में आग लगाने आ चुकी है..... मुझे लगता है की overtime करके भी अपडेट लिखने को प्राथमिकता देनी पड़ेगी

आनंद लें और प्रतिकृया दें

matlab amita ji, Chutiyadr, eternity, mahadev31, Naina aur SANJU ( V. R. ) ji itne logo ne aapse naye update / addayatan likhwane ki guzarish kari uski koi keemat nahi balki firefox420 ke jaane se khushi aur mere aane se pareshani yaad hai, bechare baaki saare readers itne dino se aapki dar par maatha fod rahe the uski jara si bhi kadrr nahi, shareef aur Gareeb ki to koi sunta he nahi.

chalo Ragini didi ki love life ka base to pata chal gaya, but inki padhai bhi adhuri chhoot gayi thi school ki ye abhi pata chala, shayad isi liye college mein ye Vikram and gang ke saath padhti thi.

Vikram bhiya aur Ravinder bhiya ek he age ke hai, to kya ye dono ek saath ek he college mein nahi padhe.

Raagini didi ne apne tharki pitaji se apni dost/behen aur rishte se mausi Mohini devi ko bacha liya, magar aisa kya kaha tha, shayad ye pata na lag paaye kabhi bhi, kya Nazma aur Nilofer bhabi se iss waqt VijayRaj ji ki mulakaat ho gayi thi kya, shayad yaha apne pita ki harkato ko dekhte hue Ragini didi ne Mohini ji ki shaadi apne pita se nahi hone di.

yaha Sarla ji ke Ghar par to Dev ji ka scene ban-ne he wala tha jo Rakesh ji sahi time par naa pahuchte, Sarla ji to bhaavo mein beh kar aur Dev ji ka para Raagini didi ka soch-soch kar high tha to aaj pakka kaand ho he jaata. (i mean in past)

maza aa gaya padh kar, bas jyaada lamba mat keechna Rana ji.
 

Naina

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matlab amita ji, Chutiyadr, eternity, mahadev31, Naina aur SANJU ( V. R. ) ji itne logo ne aapse naye update / addayatan likhwane ki guzarish kari uski koi keemat nahi balki firefox420 ke jaane se khushi aur mere aane se pareshani yaad hai, bechare baaki saare readers itne dino se aapki dar par maatha fod rahe the uski jara si bhi kadrr nahi, shareef aur Gareeb ki to koi sunta he nahi.

chalo Ragini didi ki love life ka base to pata chal gaya, but inki padhai bhi adhuri chhoot gayi thi school ki ye abhi pata chala, shayad isi liye college mein ye Vikram and gang ke saath padhti thi.

Vikram bhiya aur Ravinder bhiya ek he age ke hai, to kya ye dono ek saath ek he college mein nahi padhe.

Raagini didi ne apne tharki pitaji se apni dost/behen aur rishte se mausi Mohini devi ko bacha liya, magar aisa kya kaha tha, shayad ye pata na lag paaye kabhi bhi, kya Nazma aur Nilofer bhabi se iss waqt VijayRaj ji ki mulakaat ho gayi thi kya, shayad yaha apne pita ki harkato ko dekhte hue Ragini didi ne Mohini ji ki shaadi apne pita se nahi hone di.

yaha Sarla ji ke Ghar par to Dev ji ka scene ban-ne he wala tha jo Rakesh ji sahi time par naa pahuchte, Sarla ji to bhaavo mein beh kar aur Dev ji ka para Raagini didi ka soch-soch kar high tha to aaj pakka kaand ho he jaata. (i mean in past)

maza aa gaya padh kar, bas jyaada lamba mat keechna Rana ji.
aainn :hmm: lal khopdi lomdi ff..
Btw ff I'd kahe ban kar liya :sigh:
 
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