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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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    42

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
8,586
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219
Padh is liye nahi raha bhaya ki baad me fir se update ka wait karna padega aur aap ek update ek mahine me dege. Is liye socha hai ki jab story complete ho jayegi tab padhuga.... :D
Ab apni bari par aisi batein....
Hamein bhi.. Sab kuchh. Jayaz hai... Complete hone ke bad pdhni chahiye thi
Bekar me intzar karte the update ka
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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inke aage to Nar-narayan bhi haath jod dete hai .. fir meri to bisaat he kya .. par aap inme hawa bharne mein lagi raho .. dono ek jaise he ho ../..
Par abhi tak update likh rahe hai :D
 

Dark Soul

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अध्याय 9

“रामलाल जी! किसी भी तरह मुझे ये रेकॉर्ड में से डिटेल्स निकालकर दिखा दो कि इस तारीख को हॉस्पिटल में कौन कौन मरीज आए हुये थे या भर्ती थे” रागिनी ने लोकनायक जयप्रकाश हॉस्पिटल के क्लर्क से कहा....

वो लोग रात मे दिल्ली पहुँचकर एक होटल में रुके थे क्योंकि अभी तक उनके आधार कार्ड में उनकी देवराज सिंह की पत्नी और पुत्र-पुत्री के रूप मे पहचान दर्ज थी इसलिए होटल मे एक साथ रुकने में कोई परेशानी नहीं हुई...... सुबह उठकर रागिनी ने सभी को बैठाकर आगे कैसे शुरुआत करनी है बात की तो पूनम ने कहा कि वो और प्रबल विदेश मंत्रालय जाएंगे और उस जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर जानकारी लेंगे। रागिनी और अनुराधा रागिनी के लिफाफे से मिले पर्चे पर लिखे हॉस्पिटल से जानकारी लेंगी और रागिनी कि गुमशुदगी कि उस रिपोर्ट के बारे में थाने से पता करेंगी.....

“देखो मेडम जी ये तारीख 1979 कि है करीब 40 साल पहले की... इसके लिए मुझे रेकॉर्ड रूम में ढूँढना होगा, आप अपना कांटैक्ट नं मुझे दे दें.... वैसे तो हम रेकॉर्ड सिर्फ कोर्ट के आदेश पर ही दिखाते हैं लेकिन अगर आप कुछ हमारा भी ख्याल करेंगी तो .... में कोशिश कर सकता हूँ... लेकिन 1-2 दिन का समय आपको देना होगा” रामलाल ने धीमी आवाज मे कहा और अपने हाथ को मसलकर इशारा किया...... उसका इशारा समझकर रागिनी ने 2000 का 1 नोट पर्स से निकालकर अपनी मुट्ठी से उसकी मुट्ठी मे रख दिया

“ठीक है मेडम जी में आपको कल तक बताता हूँ आप अपना फोन .........” उसकी बात को बीच में ही काटते हुये रागिनी ने कहा “ये मेरा नं है... उस डेट की सारी डीटेल मुझे फोटो खींचकर व्हाट्सअप कर देना....... फोटो क्लियर हो जो पढ़ने मे आ सकें... और कोई बात हो तो मुझे इसी नं पर कॉल कर देना” ये कहकर रागिनी अनुराधा के साथ बाहर निकाल गयी तभी उसके मोबाइल पर पूनम का फोन आया।

“रागिनी! यहाँ से तो कुछ पता नहीं चल रहा क्योंकि राणा शमशेर अली और नीलोफर की कोई डिटेल हमारे पास नहीं है..... यहा पासपोर्ट नं से ही सर्च होगा....” फोन उठाते ही पूनम ने बताया तो रागिनी ने कहा

“ठीक है तुम दोनों किशन गंज आ जाओ में वहीं मिलूँगी वहाँ से कैब छोडकर हम सब एक साथ ही सब जगह चलेंगे”

और बाहर पार्किंग में आकर रागिनी ने अपनी गाड़ी निकाली और अनुराधा को साथ लेकर किशनगंज की ओर चल दी,
किशनगंज पहुँचकर रागिनी ने किशनगंज मार्केट में मेन रोड़ पर ही गाड़ी लगा दी और एक फल की ठेली वाले से कश्मीरी बाग का रास्ता पूंछा तो उसने बताया की अगले कट से जो सड़क अंदर मूड रही है उस पर आगे जाकर जो चौक पड़ेगा वही कश्मीरी बाग है। रागिनी ने अपना शीश ऊपर किया और आँखें बंद करके सीट से पीठ टिकाकार बैठ गयी। 10-15 मिनट बाद उसके फोन की घंटी बजी तो उसने आँखें खोलकर फोन उठाकर देखा, पूनम का फोन था।

“पूनम! तुम किशनगंज मार्केट आ जाओ मेन रोड पर ही गाड़ी खड़ी है” कहकर रागिनी ने फोन काट दिया और फिर से आँखें बंद करके बैठी रही...अनुराधा ने एक नज़र रागिनी की ओर देखा और सड़क पर नजरें गड़ा दीं। थोड़ी देर बाद ही उनकी गाड़ी के पीछे आकार एक कैब रुकी और उसमें से पूनम के साथ प्रबल बाहर निकला दोनों के पास आने पर अनुराधा ने कहा तो रागिनी ने दरवाजा अनलॉक कर दिया, दोनों के बैठते ही रागिनी ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।

“हम लोग यहाँ क्यों आए हैं? किसी से मिलना है क्या?” पूनम ने पूंछा

“उस पुलिस रिपोर्ट में यहीं का एड्रैस दिया हुआ थ। देखते हैं कौन मिलता है, कोई तो जानता-पहचानता होगा” रागिनी ने जवाब दिया

जवाब में पूनम ने कुछ नहीं कहा लेकिन रागिनी की बात सुनकर अनुराधा के दिल की धड़कनें बढ़ गईं, आखिर उसके लिफाफे में ये रिपोर्ट थी तो जाहिर है की ये उसका और रागिनी का घर होगा। गाड़ी चौक में पहुँचने पर रागिनी ने एक घर में बनी दुकान के सामने रोकते हुये अपना शीशा नीचे करके दुकान पर बैठे 28-30 साल के लड़के से वो पता पूंछा, पता सुनते ही लड़के ने बड़े ध्यान से रागिनी की ओर देखा और उसे पता बताने लगा... उसे ऐसे घूरते देखकर रागिनी को थोड़ा अजीब सा लगा लेकिन उसने रास्ता समझकर गाड़ी आगे बढ़ा दी। गाड़ी के निकाल जाने के बाद भी वो लड़का उस गाड़ी को देखता रहा जब तक वो एक गली में मुड़ नहीं गयी। उस मकान के सामने आकार रागिनी ने गाड़ी रोकी तो वहाँ मेन गेट खुला हुआ था सामने ही ऊपर जाती सीढ़ियों के नीचे एक बाइक खड़ी हुई थी। ऊपर की दोनों मंजिलों पर बाहर की तरफ कुछ कपड़े भी सूख रहे थे लेकिन ग्राउंड फ्लोर पर ताला लगा हुआ था और ऐसा लग रहा था।

रागिनी ने गाड़ी रोकी और दरवाजा खोलकर बाहर को निकली उसको देखकर पूनम, अनुराधा और प्रबल भी बाहर निकल आए... रागिनी ने आगे बढ़कर ऊपर की दोनों मंजिलों की घंटी बजाई और गाड़ी की तरफ आकार खड़ी हो गयी उन तीनों के पास। तभी ऊपर की मंजिलों से एक लगभग 40 वर्ष की औरत और एक 20-22 साल की लड़की ने झांक कर देखा तो रागिनी ने उन्हें नीचे आने का इशारा किया। थोड़ी देर में ही वो लड़की सीढ़ियों से उतरकर बाहर आयी और गाते के पास खड़ी होकर बोली “किससे मिलना है आपको?”

“मुझे विमला जी से मिलना है” रागिनी ने जवाब में कहा

“जी यहाँ तो कोई विमला नाम की नहीं रहतीं ... आप किस पते पर आयीं हैं?” लड़की ने पूंछा तो रागिनी ने उसे पता बताया, पता सुनकर लड़की बोली “पता तो सही है लेकिन यहाँ कोई विमला नहीं रहती ...”

“यहाँ करीब 20 साल पहले विमला जी रहती थी तब में उनसे मिलने आती थी... आप कब से यहाँ रह रही हैं? रागिनी ने पूंछा

“जी हमें करीब 5-6 साल हो गए यहाँ रहते... “

“ये आपका ही मकान है?”

“जी नहीं हम किराए पर रहते हैं, ये मकान विक्रमादित्य सिंह का है जो राजस्थान में रहते हैं”

लड़की की बात सुनते ही सब चौंकर एक दूसरे को और उस लड़की को देखने लगे... फिर रागिनी ने कहा “में उन्ही विक्रमादित्य सिंह की माँ हूँ और ये उनके भाई बहन हैं”

“लेकिन आपकी उम्र...”

“में उनकी चाची हूँ... मेरे पति ने ऊन्हें गोद लिया हुआ था... इसलिए में उनकी माँ ही हू...” रागिनी ने जैसे ही कहा तो उस लड़की ने तुरंत उन्हें ऊपर अपने घर चलने को कहा। रागिनी ने पूनम की ओर देखा तो उसने भी चलने का इशारा किया अनुराधा भी साथ चल दी लेकिन परबल वहीं खड़ा रहा तो अनुराधा ने हाथ बढ़ाकर प्रबल का हाथ पकड़ा और उन दोनों के पीछे चल दी। ऊपर के फ्लोर पर गाते से अंदर घुसते ही हॉल था जिसमे वही औरत सोफ़े पर बैठी हुयी थी... लड़की के पीछे इन सबको आते दीखकर वो औरत खड़ी हुयी और इन सबको सोफ़े पर बैठने को कहा और लड़की की ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा, रागिनी ने उस औरत को भी बैठने को कहा तो लड़की रसोई की तरफ जाते हुई बोली की ये राजस्थान से विक्रम जी की चाची हैं। वो लड़की रसोई से उनके लिए पनि लेकर आयी और चाय बनाने चली गई।

“बहन जी! आपको आज पहली बार देखा है, विक्रम जी तो जब कभी आते रहते हैं, उनकी एक और चाची जी भी यहाँ आती रहती हैं उनके साथ वो आपसे बड़ी हैं शायद.... मोहिनी जी” उस औरत ने रागिनी से कहा तो सुनकर सभी चौंक गए

“जी हाँ! ,,,, वैसे विक्रम यहाँ आपके पास रुकते थे?” रागिनी ने पूंछा

“नहीं! ग्राउंड फ्लोर उन्होने अपने लिए रखा हुआ था तो जब वो आते थे तो पहले ही फोन कर देते थे जिससे उसकी साफ सफाई करवा दी जाए” उस औरत ने कहा

“तो इसकी चाबी आपके पास होगी?” रागिनी ने पूंछा

“नहीं! इसकी एक चाबी उनके पास रहती है और एक चाबी यहाँ बराबर के मकान वालों के पास रहती है... शुरू से ही”

“अच्छा इस मकान में पहले विमला जी रहती थीं उनके बारे में आपको कुछ जानकारी है” रागिनी ने पूंछा

“नहीं! लेकिन हमारे बराबर वाले जिनके यहाँ चाबी रहती है नीचे वाले हिस्से की वो जानती होंगी...शायद”

“आप उनसे चाबी मँगवा दीजिये हम लोग यहीं रुकेंगे” रागिनी ने कहा तो उसने अपनी बेटी को भेज दिया पड़ोस से चाबी लेने के लिए… उनकी बेटी चाय देकर चाबी लेने चली गई और वो सब चाय पीने लगे

“शांति कौन आया है... अनु बता रही थी कि विक्रम की छोटी चाची आयी है राजस्थान से” एक 50-55 कि उम्र कि बेहद खूबसूरत औरत ने उस लड़की अनु के साथ अंदर घुसते हुये पूंछा तो शांति ने उन्हें सोफ़े पर अपने पास बैठने का इशारा किया.... सोफ़े पर बैठते ही उस औरत कि नज़र रागिनी पर पड़ी जो दरवाजे की ओर पीठ किए सामने वाले सोफ़े पर पूनम और अनुराधा के साथ बैठी थी, प्रबल सिंगल सीटर पर बैठा हुआ था साइड में। रागिनी को देखते ही उसकी आँखों मे पहचाने से भाव उभरे और उसने रागिनी से कहा

“तुम रागिनी हो ना? ममता की ननद”

“जी!!!!! ... जी हाँ! में रागिनी ही हूँ... आपसे मुझे अकेले में कुछ बात करनी है क्या आप नीचे चलकर बात करेंगी...” रागिनी ने अपनी उत्सुकता और आश्चर्य को छिपते हुये उससे कहा

“बिलकुल! क्यों नहीं.... चलो नीचे ही बैठकर बात करते हैं”

“रेशमा दीदी आप इनको जानती हो... पहले से” शांति ने कहा

“हाँ! बहुत अच्छी तरह...... बाद मे बताऊँगी तुम्हें” रेशमा ने सोफ़े से खड़े होते हुये कहा तो रागिनी और वो तीनों भी खड़े हुये और पड़ोस वाली औरत रेशमा के साथ नीचे कि ओर चल दिये। नीचे पहुँचकर रेशमा ने अपने हाथ में पकड़ी हुई चाबियों में से एक चाबी निकालकर ग्राउंड फ्लोर का दरवाजा खोला और अंदर हॉल में आकार खड़ी हुई और पीछे मुड़कर उन सबको भी अंदर आने को कहा और सोफ़े के कवर हटाने लगी....परब ने आगे बढ़कर उनके साथ सभी सोफ़ों के कवर हटाये और बाहर का दरवाजा बंद कर दिया.... सभी सोफ़ों पर बैठ गए तो रेशमा ने कहा

“आज करीब बीस साल बाद तुम्हें देखकर मुझे पता नहीं कितनी खुशी हो रही है। रागिनी! तुम आज भी वैसी ही लगती हो.... वैसे विक्रम ने तो कभी बताया नहीं कि तुम उसकी चाची हो...मुझे तो इतना ही बताया था कि उसने ममता से मकान खरीद लिया है”

“में आपको सबकुछ बताऊँगी लेकिन पहले मुझे ये बताओ ये ममता कौन है...और वो कहाँ गई, विमला कहाँ है........ इस घर में कौन-कौन रहता था उनके नाम और मुझसे रिश्ता...... आंटी! मेरी याददास्त चली गई थी.... विक्रम से मुझे यहाँ का पता और विमला का नाम मालूम हुआ इसलिए आयी थी विमला को तलाशने” रागिनी ने कहा

“विक्रम को तो सब पता था.... तो उसने तुम्हें क्यों नहीं बताया और विक्रम खुद क्यो नहीं आया साथ मे” रेशमा ने पूंछा “और तुम मुझे आंटी नहीं भाभी कहा करती थीं.... रेशु भाभी....”

“विक्रम कि मृत्यु हो गई है 15 दिन पहले उसकी लाश लवारीश हालत में श्रीगंगानगर मे पाकिस्तान बार्डर के पास मिली थी .....”

“ओहह! बहुत दुख हुआ .... उसके बारे में जानकार....विक्रम भी नहीं रहा और तुम्हारी भी याददास्त चली गई.... तो तुम्हें कुछ पता भी कैसे चलता?” रेशमा ने अफसोस भरे लहजे में कहा और उठते हुये बोली “में घर पर खाने के लिए बोलकर आती हूँ.... फिर बैठकर तुम्हें सबकुछ बताऊँगी.... मेंने तो सोचा था कि शायद विक्रम कि कोई रिश्तेदार हैं... इसलिए ऐसे ही घर पर बिना बताए ही चली आयी थी कि चाबी देकर वापस लौट जाऊँगी”

“नहीं आंटी... सॉरी भाभी जी! आप परेशान न हो .... हम खाना खाकर आए हैं .... कल रात दिल्ली आ गए थे” रागिनी ने रेशमा को रोकते हुये कहा

“तो अभी मोहिनी जी के यहाँ से आ रही होगी?”

“नहीं हम होटल मे रुके थे.... और आप उन्हें बताना भी मत हमारे बारे में”

“मेरी उनसे कोई बात नहीं होती बस यहाँ आती रहती हैं इसलिए विक्रम ने बताया था कि उनकी चाची हैं इसलिए जानती हूँ” रेशमा ने कहा “तुम्हें खाना तो खाना ही होगा... अभी ही नहीं रात को भी और कल भी... जब तक दिल्ली में हो......... और तुम होटल मे क्यों रुकी? तुम्हारा अपना घर है ये तो... अब यहीं रुकना होगा और खाना हमारे साथ ही खाना होगा”

“नहीं भाभी जी! हम लोग होटल मे ही रुकेंगे.... यहाँ रुकने पर हो सकता है मोहिनी जी को पता चल जाए या वो यहाँ आ जाएँ” रागिनी ने प्रतिवाद करते हुये कहा

“वो यहाँ कभी अकेली नहीं आयीं और न ही उन्हें कोई जानता है.... अगर कोई आया भी तो ... ये घर आज भी तुम्हारा ही है... विक्रम ने बताया जरूर था कि उन्होने ये घर ममता से खरीद लिया है... लेकिन न तो ये घर ममता के नाम पर था जो वो बेच सके.... और ना ही आज तक मेंने ऐसा कोई कागज देखा ..... आज भी इस घर का हाउस टैक्स विमला आंटी .... तुम्हारी माँ ...के नाम पर ही आता है... बिजली बिल भी उन्हीं के नाम से है....” रेशमा ने कहा “तुम में से कोई जाकर होटल से अपना समान ले आओ तब तक में घर होकर आती हूँ.... फिर बैठकर बात करेंगे”

ये कहकर रेशमा चली गई। रागिनी और पूनम ने एक दूसरे की ओर देखा तो पूनम ने कहा कि वो और प्रबल होटल से समान लेकर आते हैं... वो पहाड़गंज के होटल में रुके हुये थे जो पास मे ही था....



इतना तक तो एक ही बैठक में पढ़ लिया.

बहुत इंटरेस्टिंग स्टोरी है. :superb:

अपडेट थोड़े स्लो हैं शुरुआत में..

आशा है की आगे के अपडेट्स भी दिलचस्प होंगे. :)
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Dark Soul

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अध्याय 14

“शमशेर ! मुझे मेरा बच्चा चाहिए.... कब तक उससे अलग रहूँगी... मेंने तो उसे देखा ही नहीं..... अगर कुछ दिन मेरे साथ रह लेता तो क्या बिगड़ जाता कम से कम एक बार उसे अपने सीने से लगाकर प्यार तो कर लेती...” शमशेर के सीने में मुंह छुपाए रोती हुयी नीलोफर ने कहा

“नीलो! तुमने ही तो कहा था हमें अपने बच्चे को इस सबसे बाहर रखना है... अगर वो एक दिन भी तुम्हारे पास रह जाता तो उसे वहाँ से हमारे साथ ही यहाँ भेज दिया जाता.... में तो तुम्हें और समीर को ही अब तक नहीं निकाल पा रहा हूँ...यहाँ तुम्हारे साथ बने रहने के लिए ही कितना बड़ा रिस्क लेना पड़ता है मुझे... लेकिन अब में हमेशा के लिए ही तुम्हारे पास आ गया” शमशेर ने नीलोफर के बालों में हाथ फिरते हुये कहा

“लेकिन प्रबल किसके पास रहेगा वहाँ... रागिनी को अभी तो अपने बारे में ही पता नहीं तो प्रबल को पाल रही है... लेकिन कल को उसे कुछ याद आ गया तो.... अनुराधा को भी अगर ये पता चल गया की वो उसका भाई नहीं है तो... पता नहीं प्रबल का क्या होगा” नीलोफर ने फिर कहा “में तो उसके लिए कुछ कर भी नहीं सकती, अपने जानने वाले किसी से प्रबल का जिक्र भी कर दिया तो मेरा तो इस जाल से निकालना मुश्किल हो ही जाएगा... साथ ही तुम्हारी, समीर और प्रबल की जान को भी खतरा हो जाएगा”

“अब एक बात बताऊँ? तुम नाराज मत होना... और ना घबराना... अभी तक सबकुछ ठीक चल रहा है और उम्मीद है कि सब ठीक ही चलेगा” शमशेर ने नीलोफर का सिर अपने सीने से उठाकर उसकी आँखों में देखते हुये कहा

“क्या? अब ऐसा क्या हो गया जो में घबरा जाऊँगी... नाराज तो इस ज़िंदगी में तुमसे हो ही नहीं सकती” नीलोफर ने चिंता भरे स्वर में कहा

“रागिनी, प्रबल और अनुराधा को सच्चाई पता चल चुकी है..... पूरी नहीं लेकिन इतना तो पता चल ही गया है कि उनकी असली पहचान क्या है? उनका घर-परिवार कहाँ और कौन हैं?”शमशेर ने धीरे से कहा

“फिर? अब? अब क्या होगा हमारे प्रबल का... रागिनी और अनुराधा कहीं उसे छोड़ न दें... या वो ही यहाँ आने कि कोशिश करे तो?” नीलोफर ने घबराते हुये कहा

“नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ! रागिनी, अनुराधा और प्रबल को साथ लेकर अपने घर दिल्ली रहने आ गईं हैं.... और उनके बीच कुछ नहीं बदला.... हालांकि वहाँ रहने से रागिनी को बहुत कुछ पता चलेगा समय के साथ, लेकिन सिर्फ अपने बारे में... हमारे बारे में उसे शायद ही पता चले.... और प्रबल के बारे में पता चलने के बाद भी पहले तो यहाँ तक पहुँचना ही उनका मुश्किल है.... अगर सरकारी जांच भी आयी तो कागजी तौर पर हमारा जो बेटा वहाँ पैदा हुआ था.... वो यहाँ हमारे साथ है.... समीर.... प्रबल को पैदा होते ही में इसीलिए लेकर चला गया था... जिससे वहाँ के रेकॉर्ड में जुड़वां बेटे नहीं बल्कि एक ही बेटा पैदा होने का दर्ज हो... इससे हमें 2 फायदे हुये एक तो प्रबल इंटेलिजेंस एजेंसियों के दायरे से बाहर निकल गया और दूसरे अब अगर प्रबल या रागिनी उस जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर कोई जानकारी लेने की कोशिश करेंगे तो रेकॉर्ड में हम अपने उस बेटे के साथ यहाँ सिंध में आ चुके हैं.... जिसका जन्म प्रमाण पत्र है.... लेकिन उन्हें ये जरूर महसूस हो जाएगा की प्रबल से हमारा कोई रिश्ता जरूर है.......अब समय आ गया है की हम अपना अगला कदम उठाएँ..." शमशेर ने उसे आश्वस्त करते हुये कहा

.................................

रागिनी वगैरह अपने घर मे पहुंचे तो रागिनी ने प्रबल को घर में जरूरी सामान व्यवस्थित करने को कहा और अनुराधा को अपने साथ रसोई में साथ ले गयी। रसोई की साफ सफाई कर खाना बनाने की तयारी कर अनुराधा को ऋतु से बात करने को कहा तो उन्होने बताया की 20-25 मिनट में वो लोग पहुँच रहे हैं। फिर रागिनी ने सभी को अपने-अपने कमरे में जाकर तयार होने को कहा। लगभग आधे घंटे के बाद बाहर गाड़ी रुकने की आवाज आयी तो प्रबल ने बाहर निकालकर देखा... गाड़ी में से बलराज सिंह और मोहिनी देवी उतरे तो प्रबल ने उनके पैर छूए और उन्हें साथ लेकर घर की ओर बढ़ा.... रागिनी और अनुराधा भी निकलकर दरवाजे पर आ गईं थीं... मोहिनी ने आगे बढ़कर रागिनी को गले लगा लिया तभी ऋतु ने भी पीछे से आकर अनुराधा को गले लगा लिया…. प्रबल एकटक उन सबकी ओर देखने लगा तो अनुराधा ने हाथ बढ़ाकर प्रबल को भी अपने साथ लगा लिया... और सब अंदर आकार ड्राविंग रूम में बैठ गये.... अनुराधा रसोई में जाकर चाय तयार करने लगी... प्रबल भी अनुराधा के पास रसोई में ही जाकर उसकी सहायता करने लगा

“रागिनी बेटा तुम्हें तो कुछ याद नहीं...मुझे भी तुम्हारे परिवार के बारे में कोई खास जानकारी नहीं... लेकिन 20 साल पहले जब तुम्हारा अपहरण हो गया था तब मेंने तुम्हारी फोटो देखि थी अखबार और पोस्टर्स मे... इसीलिए अभी जब तुम गाँव पहुंची तब तुम मुझे कुछ पहचानी-पहचानी सी लगी.... बाद मे जब वसीयत में विक्रम ने बताया की तुम्हारा हमारे परिवार की नहीं तो मेंने इतना गौर नहीं किया.... लेकिन जब तुम इस घर में आयी तो मुझे पूरी तरह से याद आ गया की तुम कौन हो....” मोहिनी देवी ने अपनी बात शुरू करने के लिए भूमिका बँधनी शुरू की ही थी कि अनुराधा और प्रबल चाय-नाश्ता लेकर आ गए... रागिनी ने उन्हें सबको चाय नाश्ता देकर वहीं साथ में बैठने को कहा

“अब बताएं आप? क्या रिश्ता है आपसे हमारा? और अगर रिश्ता है तो फिर हम एक दूसरे को जानते क्यों नहीं?” रागिनी ने चाय का घूंट भरते हुये कहा

“”रागिनी! तुम्हारी माँ विमला मेरी बड़ी बहन थी, यानि में तुम्हारा मामा हूँ... विमला दीदी ने अपनी मर्जी से घर छोडकर लव मैरेज की थी इसलिए परिवार ने उन्हें न तो तलाश करने कि कोशिश कि और न ही बाद में पता चलने पर भी कोई संबंध रखा.... यही विमला दीदी ने भी किया...लेकिन जब तुम्हारा अपहरण हुआ था तब में तुम्हारे घर गया था... 2-3 बार... इसलिए में तुम्हारे घर के सभी मेम्बर्स को जानता हूँ... लेकिन मुझे ये नहीं समझ आया कि विक्रम तुम्हें सिर्फ कॉलेज से जानता था या हमारे रिश्ते को भी जानता था.... खैर छोड़ो इन सब बातों को.... अभी हम इसलिए यहाँ आए हैं कि अब तक जो हुआ या होता रहा... उस सब को भूलकर हम एक साथ एक परिवार कि तरह रहें.... विक्रम के बाद हमारे घर में सिर्फ हम दोनों पति-पत्नी और ऋतु हैं... इधर तुम्हारे घर में भी तुम्हारे और अनुराधा के अलावा किसी के बारे में कोई जानकारी नहीं.... तो हम पांचों ही एक साथ एक परिवार कि तरह रहें...”

“देखिये मामाजी!... अब मामाजी ही हुये ना आप मेरे.... यहाँ सिर्फ में और अनुराधा ही नहीं हैं... हमारे साथ प्रबल भी है... जो हमेशा से मेरे परिवार का हिस्सा है... जन्म से....” रागिनी ने कहा

“लेकिन बेटा! विक्रांत ने तो ये बताया था कि इसका हमारे परिवार से कोई संबंध नहीं है... फिर भी अगर तुम्हें सही लगता है तो हम भी तयार है...प्रबल को भी साथ रखने के लिए” बलराज सिंह ने कहा इस पर मोहिनी ने कहा कि विक्रम को कुछ तो पता होगा इसीलिए उसने अपना अंतिम संस्कार प्रबल के हाथों कराया.... ये परिवार से ही जुड़ा हुआ है तो बलराज सिंह ने भी सहमति दे दी

“अब दूसरी बात पर आते हैं” रागिनी ने कहा “हमारे परिवार के साथ तो अपराध कि कहानी जुड़ी और कोई जेल गया, किसी का अपहरण हुआ, कोई फरार हो गया, कुछ गायब भी हुये और शायद कुछ के कत्ल भी हो गए हों....लेकिन आपका तो भरा पूरा परिवार था.... उसमें से बाकी लोग कहाँ गए... आप 3 और एक विक्रम 4 लोग ही कैसे रह गए?”

“हम 3 भाई थे और एक बहन थी” बलराज सिंह ने बोल्न शुरू किया तो रागिनी, अनुराधा और प्रबल सभी चोंक गए लेकिन रागिनी ने इशारे से अनुराधा और प्रबल को शांत रहने का इशारा किया और बलराज सिंह कि बात सुनने लगी “मेरे बड़े भाई गजराज सिंह थे जो एक वैज्ञानिक थे ICSR में उनकी पत्नी कामिनी भाभी, मोहिनी कि सगी बड़ी बहन थी उनके इकलौता बेटा विक्रम था, जब विक्रम लगभग 10 साल का था तब गजराज भैया का हिमाचल में कार खाई में गिरने से निधन हो गया... भाभी भी भैया के अंतिम संस्कार के बाद गंगा स्नान को हरिद्वार गईं और वहाँ से लापता हो गईं... बाद में विक्रम को मुझसे छोटा भाई देवराज अपने साथ कोटा हवेली ले गया... देवराज ने शादी नहीं कि थी... कोटा में वो हवेली हमारे नानाजी कि थी... उनके कोई बेटा नहीं था... हमारी माँ उनकी इकलौती बेटी थी इसलिए उन्होने देवराज को अपने साथ रखा था और अपनी सारी जमीन-जायदाद देवराज के नाम कर दी थी... विक्रम हमेशा देवराज के ही साथ रहा... लेकिन पढ़ाई के लिए दिल्ली में रहा तब भी उसने हमारे घर रहना स्वीकार नहीं किया और अलग DU नॉर्थ कैम्पस के पास ही यहीं किशनगंज में मकान लेकर रहता था....”

“तो फिर जयराज सिंह और जयराज सिंह कौन थे?” रागिनी ने जैसे ही कहा बलराज सिंह के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं

“तुम्हें किसने बताया इनके बारे में” बलराज सिंह के चेहरे पर कठोरता के भाव आ गए

“अब में बताती हूँ आपको.... आप 3 नहीं 5 भाई थे और आपकी 1 नहीं 2 बहनें थीं.... अब मुझे कहाँ से पता चला इस बात को छोड़िए” रागिनी ने भी कठोरता से शब्दों को चबाते हुये कहा तो ऋतु ने चोंक कर बलराज सिंह और मोहिनी देवी की ओर देखा

“पापा! ये क्या कह रही हैं रागिनी दीदी?” ऋतु ने बलराज सिंह से पूंछा

“बेटा ये सही कह रही हैं” बलराज सिंह के कुछ बोलने से पहले ही मोहिनी देवी ने कहा “और ये भी सच सुन लो रागिनी... तुम विमला कि बेटी नहीं हो... बल्कि जयराज सिंह और वसुंधरा की बेटी हो”

“मुझे मालूम है चाचीजी! मेरा जन्म लोक नायक जयप्रकाश हॉस्पिटल में हुआ था जो इरविन हॉस्पिटल के नाम से जाना जाता था 14 अगस्त 1979 को... ये रहा हॉस्पिटल के रेकॉर्ड में दर्ज जयराज सिंह और वसुंधरा देवी के बेटी का जन्म होने का विवरण.... इसमें दिल्ली का नहीं गाँव का पता दर्ज है” कहते हुये रागिनी ने अपने मोबाइल में व्हाट्सएप्प पर आए हुये मैसेज में से एक पन्ने को बड़ा करके दिखाया तो ऋतु ने मोबाइल अपने हाथ में लेते हुये उसमें देखा

“चलिये छोड़िए इन सब बातों को.... आपने अब तक जो भी बताया है.... उसमें मुझे सच से ज्यादा झूठ दिख रहा है... इसलिए अब में सबकुछ खुद पता करूंगी.... मुझे तो लगता है कि कहीं न कहीं इस परिवार के खत्म हो जाने में आपका भी हाथ है.... मुझे तो क्या.... आपने शायद अपनी बेटी को भी कभी कुछ नहीं बताया होगा” कहते हुये रागिनी ने ऋतु के हाथ से मोबाइल लिया और उठकर खड़ी हो गयी... “अब आप जा सकते हैं.... में और ये दोनों बच्चे यहीं रहेंगे.... क्योंकि में आपके परिवार की हूँ... तब भी आपने मुझे कभी नहीं अपनाया....बल्कि अपनी ओर से तो खत्म ही हो जाने दिया.... ये दोनों बच्चे तो आपके परिवार के भी नहीं हैं.... कल को इनके साथ न जाने क्या हो..... मुझे और इन बच्चों को विक्रम ने सहारा दिया था.... अब में इन बच्चों को लेकर अपना-घर परिवार बसाऊँगी.... मुझे आपकी कोई जरूरत नहीं है”

अब बलराज सिंह और मोहिनी देवी के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं नहीं बचा था तो वो भी उठ खड़े हुये और चुपचाप बाहर कि ओर चल दिये। उनको जाता देखकर ऋतु भी उनके पीछे पीछे बाहर निकल गयी। थोड़ी देर बाद उनकी गाड़ी स्टार्ट होकर जाने कि आवाज आयी तो अनुराधा और प्रबल आकर रागिनी के कंधों पर सिर रखकर बैठ गए..... और तीनों कि आँखों से आँसू बहने लगे


यहाँ तक का अपडेट पढ़ तो लिया पर दिमाग घूम गया... bc..:frown: :noo:

A कौन है ये B को नहीं पता पर उसे पता होना चाहिए था.. लेकिन पता है C को. D और E, A से नफरत करते हैं. B, C की जो लगती है वो संबंध दरअसल F के साथ होना चाहिए था !
और न जाने क्या क्या?!

याररररर.... कहानी है या भूल भुलैया?! 🤦‍♂️


पर एक बात बहुत सही है.... वो ये कि कहानी मस्त है. मेरे को पसंद आई. :superb:
 
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