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Thriller मोड़... जिंदगी के ( completed )

Abhishek Kumar98

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#11 Who is she??....

सुबह अमर की आंख रमाकांत जी के बिस्तर पर खुलती है, वो चारो तरफ देखता है और उसकी नजर अनामिका पर पड़ती है जो शायद उसके जागने का इंतजार करते करते पास पड़े सोफे पर सो जाती है, अमर को प्यास लगी होती है तो वो पास पड़े जग से ग्लास में पानी डालने की कोशिश करता है और ग्लास इसके हाथ से फिसल जाता है। ग्लास गिरने की आवाज सुन कर अनामिका उठ जाती है और जल्दी से ग्लास उठा कर पानी भर कर अमर की ओर बढ़ा देती है। अमर की नजरें अनामिका से मिलती है जिसमे चिंता और गुस्सा दोनो दिखता है उसे।

अनामिका: आप कहां जाने की कोशिश कर रहे थे?

अमर थोड़ा झिझकते हुए: वो दरअसल मैं आप सब से दूर जाना चाहता था तक मेरे कारण आप लोग की जान मुसीबत में न पड़े। वैसे भी आप लोग को मेरे कारण इतनी तकलीफ हो रही है, बिना जान पहचान के आप लोगो ने इतनी मदद की है मेरी।

अनामिका थोड़ा उलहाना भरे लहेजे से: "अच्छा जी जान पहचान नहीं है?" और बड़ी अदा से अपनी एक भौं उचका दी, और कमरे से बाहर चली गई।

उसका यूं भौं उचकाना अमर के दिल पर एक छाप छोड़ गया...

थोड़ी देर के बाद रमाकांत जी और अनामिका कमरे में आए।

रमाकांत जी: कहां जा रहे थे अमर, वो भी इस हालत में?

इससे पहले अमर कुछ बोलता, अनामिका बीच में शिकायत से बोली: "दादाजी ये हम सब को छोड़ कर जा रहे थे, क्योंकि इनके हिसाब से हम सब को इनसे तकलीफ हो रही है, और ये हमारे लगते भी कौन हैं आखिर??"

"ये हमारे लगते भी कौन हैं" पर ज्यादा जोर दिया था अनामिका ने, जिसे सुन कर रमाकांत जी हल्के से मुस्कुराए।

रमाकांत जी: क्या ये सही बात है अमर?

अमर: जी दादाजी, ऐसा कुछ नही है, पर मैं कब तक आप लोग पर बोझ बना रहूंगा?

रमाकांत जी थोड़ी नाराजगी से: ऐसे क्यों बोलते हो तुम? कोई बोझ नहीं हो तुम हम पर, तुम मेरे लिए अमर के जैसे ही हो। बस नाम ही नही दिया तुमको उसका। और जब तक सही नही हो जाते तब तक कहीं जाने की सोचना भी नही।चलो बाहर नाश्ता कर लो।

अमर: माफी चाहता हूं दादाजी, मैं आप लोग को और परेशान नहीं करना चाहता था, लेकिन मेरे जाने से आप लोग को बुरा लगेगा ये नही जानता था। आगे आ ऐसा कभी नही होगा।

ये सुन कर रमाकांत जी और अनामिका दोनो के चेहरे पर खुशी आ जाती है। एक ओर जहां अनामिका के चेहरे पर थोड़ी शर्म की लाली भी होती है, रमाकांत जी के आंखो में एक निश्चिंतित्ता।

नाश्ते के टेबल पर चारो लोग बैठे थे।

अमर: दादाजी मैं यह कैसे आया?

रमाकांत जी: चंदन ले कर आया तुमको, उसके घर के बाहर तुम।बेहोश हुए थे।

अमर: ओह, अच्छा हुआ की दोस्त के घर के बाहर ही गिरा। वरना कौन मेरा दुश्मन है कुछ पता ही नही।

रमाकांत जी ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए संतावना दी और कहा, "धीरे धीरे सब ठीक होगा अमर, चिंता मत करो। और अब तो खुश हो, तुम्हारा एक परिवार भी है।

तभी पीछे से आवाज आती है, "और मेरे जैसा दोस्त!"

सभी पीछे मुड़ कर देखते हैं तो डॉक्टर चंदन खड़ा होता है।

रामकांत जी: अरे चंदन बेटा, आओ आओ नाश्ता तो करोगे नही तुम?

चंदन: क्यों अंकल? आपको पता है की जब भी मुझे यहां आना होता है तो मैं एक दिन पहले ही खाना छोड़ देता हूं, ताकि अच्छे से खा सकूं। और खा कर भी आऊंगा तब भी अनु के हाथ का खाना तो छोड़ नही सकता ना?

ये बोलते हुए चंदन आ कर अमर के साथ वाली कुर्सी पर बैठ जाता है, और अनामिका उसे प्लेट में नाश्ता लगा कर देते हुए, "ले भूक्खड़"

चंदन: ओहो आज तो चंडी देवी का मूड बहुत सही है? क्या बात है दादाजी??

रमाकांत जी: मुझे क्या पता चंदन, ये मौसम से है या किसी के आने से?

चंदन: आज तो सब बदल गए लगता है, क्यों पवन?

पवन बस मुस्कुरा देता है।

चंदन: अच्छा ये अमर का जादू है। समझ गया भाई, तू तो जादूगर निकला।

सब हंस पड़ते है ये सुन कर।

थोड़ी देर ऐसे ही हंसी मजाक चलता रहता है, फिर चंदन अपने हॉस्पिटल निकल जाता है, और अमर अनामिका के साथ बाहर गार्डन में आ जाता है, रमाकांत जी और पवन होटल की तरफ चले जाते हैं।

अनामिका गार्डन में पौधों की देख भाल कर रही होती है और अमर उसको देखता रहता है, अनामिका पास आ कर उसको पौधों की तरफ ले जाने लगती है, मगर अमर घबरा जाता है। अनामिका उससे कारण पूछती है तो अमर कल वाली घटना बता देता है, जिसे सुन कर अनामिका जोर से हस्ते हुए कहती है, " वो बेचारा तो आपके कारण डांट खा गया था।

अमर: मतलब?

अनामिका: आप कल मुझे कितना इग्नोर क्यों कर रहे थे?

अमर: मैं... बस उसी कारण से जिससे मैं कल रात को घर छोड़ कर जाने वाला था।
अनामिका: तो अब क्या फैसला लिया आपने?

अमर: यहां से जाने के कोई वजह ही नही रही अब।

अनामिका थोड़ा शरमाते हुए: और रुकने की....

अमर बिना कुछ बोले अनामिका का हाथ थाम लेता है।

शाम के समय दोनो गार्डन में घूम रहे होते हैं की तभी बाहर रोड से एक गाड़ी निकलती है, जिसमे अमर को एक लड़की दिखती है और वो लड़की......
Monika hai ye ladki shayad
 

manu@84

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#21 the Marriages......

तभी एक स्पॉट लाइट अनामिका और चंदन पर पड़ने लगी, और एक रोमांटिक गाना "दो दिल मिल रहें हैं, मगर चुपके चुपके" बजने लगा। चंदन के मुख पर एक मुस्कान आ जाती है, और अनामिका की नजरें नीची हो जाती हैं। और दोनो एक दूसरे के नजदीक आते हैं, और दोनो स्पॉटलाइट एक हो जाती है।

तभी एक लड़की की आवाज गूंजती है, "हेलो जानू।"

लड़का: हेलो मेरी जानेमन, कैसी है तू? मैं तो तेरे लिए तड़प रहा हूं।

इसी के साथ एक और स्पॉटलाइट सोनाली पर पड़ती है, और प्रोजेक्टर ऑन हो जाता है जिसमे चंदन और सोनाली की अंतरंग तस्वीरें होती हैं।

लड़की: अरे जानू अनामिका से पीछा छुड़ाने की कोई तरकीब निकाली क्या?

लड़का: एक बात पता चली है, बुढ़ाऊ उसको और आनंद को अपने पोता पोती ही मानता है, और अपनी प्रॉपर्टी का एक हिस्सा अनामिका के नाम है, और तो और अभी एक 5 करोड़ का इंश्योरेंस भी करवाया गया है उसका। तो अब तो शादी करनी ही पड़ेगी। इंश्योरेंस और प्रॉपर्टी मिला कर इतना ही जायेगा जो हम जिंदगी भर नही कमा सकते।

लड़की: पर करोगे क्या शादी के बाद?

लड़का: करना क्या है, वो घाटी वाला मोड़ है, सब वही करेगा, जो इतने लोग का कल्याण कर चुका है, हम दोनो का भी कर देगा।

लड़की: मतलब?

लड़का: अरे बस एक एक्सीडेंट ही तो दिखाना पड़ेगा बस.....

और पृथ्वी की आवाज आती है, "तो दोस्तों ये है इस चंदन और उसकी सो कॉल्ड बहन की असलियत...

और हॉल में लाइट जल जाती है। और पृथ्वी स्टेज पर आते हुए अनामिका का हाथ पकड़ कर उसे नीचे उतार देता है, जो रमाकांत जी के पास चली जाती है।

आनंद: ये क्या है पृथ्वी?

पृथ्वी: वही जो आप देख रहे हैं भैया।

चंदन, चिल्लाते हुए: ये सब झूठ है भाईसाब, ये आदमी हम भाई बहन को बदनाम करना चाहता है, मैने आपको कहा था ना। ये सब बनाया हुआ है।

सोनाली, गुस्से से: ये क्या है चंदन? क्या इसीलिए तुमने मुझे बुलाया है इतनी दूर?

आनंद: पृथ्वी चलो अब नीचे आओ, हम सब अब तुम्हारी किसी चाल में नही आने वाले।

पृथ्वी: दादाजी, प्लीज भैया के जरा शांत रहने को बोलिए।

रमाकांत जी आनंद को इशारा करते हैं, और वो चुप हो जाता है।

पृथ्वी: हां तो सोनाली जी क्या कह रहीं थी आप? आप दोनो को बदनाम करने बुलाया है? आप जैसों को क्या बदनाम करना सोनाली जी, या सोनागाछी की शन्नो बाई, क्या कह कर पुकारा जाय आपको?

ये सुनते ही सोनाली अपना चहरा नीचे कर लेती है।

पृथ्वी: और डॉक्टर चंदन मित्रा, आपने कहां से अपनी मेडिकल डिग्री ली थी, वो भी मात्र 3 साल पढ़ कर?

चंदन: झूठ है ये सब!

पृथ्वी: अच्छा एक और सुनो फिर।

और इसके बाद सोनाली और चंदन का एक दिन पहले की बातचीत चलने जिसमे वो सोनाली को 2 साल इंतजार करने की बात कहता है। जिसे सुन कर आनंद गुस्से से चंदन का गिरेबान पकड़ लेता है, तभी पृथ्वी बीच के आते हुए दोनो को अलग करता है और आनंद से कहता है, "भैया जाने दीजिए, इसका हिसाब पुलिस कर लेगी। इंस्पेक्टर साहब..."

तभी हाल में पुलिस इंस्पेक्टर आ कर चंदन को अरेस्ट कर लेता है, और पृथ्वी कहता है, "ये अपने मेडिकल कॉलेज में कई तरह के गैरकानूनी काम करता था, और अपने कई प्रोफेसर को सोनाली के साथ मिल कर फसा कर ब्लैकमेल करता था। इसीलिए बंगाल पुलिस इसको ढूंढ रही थी।"

पुलिस दोनो को ले कर चल जाती है।

आनंद आंखो में आंसू भर कर: पता नही मेरी इस बहन अनामिका की क्या किस्मत है, बेचारी आज फिर दुल्हन की तरह सज कर अकेली रह गई।

रमाकांत जी: आनंद, अनामिका आज चंदन के लिए नही, बल्कि पृथ्वी के लिए दुल्हन के लिबास में है।

आनंद आश्चर्य से रमाकांत जी और अनामिका को देखता है।

रमाकांत जी: हां आनंद, इनकी सच्चाई हम दोनो को पहले से ही पता थी, बल्कि पृथ्वी ने तो उस दिन तुम्हे भी बताना चाहा था, पर तुमने उसकी एक नही सुनी। हालांकि उसमे गलती तुम्हारी भी नही ही थी, हालत ही कुछ ऐसे हो गए थे। और एक बात, सिर्फ पृथ्वी ही नही, अनामिका भी पृथ्वी को ही चाहती है, वो भी पहले दिन से जब दोनो की शादी के कारण दोनो मिले थे। बस पृथ्वी को ही यहां आ कर पता चला की उसको भी अनामिका ही पसंद है। लेकिन दोनो तुम्हारी मंजूरी के बिना एक कदम भी नही बढ़ाएंगे।

आनंद: तो ये सब आप लोगो ने प्लान किया था?

पृथ्वी: बस मैंने किया था भैया, इन सब ने बस साथ दिया। और एक बात कहूं तो कुछ साथ आपने भी से दिया।

आनंद: कैसे?

पृथ्वी कोमल की ओर देखते हुए: कोमल को भेज कर, वो न उस दिन पार्टी में जाता, ना हम उसका घर बग कर पाते, और न ही उसकी और सोनाली की फोटो मिल पाती हमको। बस ऑडियो प्रूफ पर तो कुछ साबित नही होता ना।

तभी किशन जी आ कर आनंद का हाथ पकड़ कर कहते हैं, "आनंद बेटा, तुमने बहुत कुछ खोया है इस सब में, खास कर मेरे इस लड़के की गलती के कारण। इसीलिए अगर जो तुम्हारी मर्जी
होगी बस वही होगा।

अनामिका: हां भैया बिना आपकी इजाजत के हम किसी से भी शादी नही कर सकते।

आनंद: अनु तुम्हे पता है ना इसने क्या किया है आपने साथ?

अनामिका: सब पता है भैया, पर पृथ्वी अपनी उस हरकत के लिए शर्मिंदा भी है और कई बार माफी भी मांग चुका है।

आनंद: फिर भी मैं मंजूर नहीं करूंगा।

रमाकांत जी: बेटा, जो हो गया उसको बदला नही जा सकता, लेकिन जरा ये तो सोचो कि ये दोनो एक दूसरे को प्यार करते हैं। और तुमसे बेहतर कौन जान सकता है कि अपने प्यार से दूर होना कैसा होता है, प्लीज, समझने की कोशिश करो एक बार।

आनंद: नही, मुझे मंजूर नही

और ये बोल कर आनंद बाहर चला जाता है।

किशन जी: रमाकांत भाईसाब, जाने दीजिए, इसी बच्चे का सुख सबसे बड़ा है, और जब तक ये नही समझेगा तब तक इस बात को जाने ही दीजिए।

और वो पृथ्वी, आकाश और निधि के साथ अपने कमरों में चले जाते हैं। अनामिका भी बुझे मन से वहां से निकल जाती है।

सुबह के 6 बजे, असमान में बस हल्का सा उजाला ही हुआ था, मोड़ के उसी पत्थर पर पृथ्वी और अनामिका उदास मन से बैठा कुछ सोच रहे होते है।

पृथ्वी: अनु....

अनामिका,उसकी आंखों में देखते हुए हुए: क्यों उदास बैठे हो?

पृथ्वी: क्या करूं फिर? भैया तो नही ही मानने वाले हैं।

तभी पीछे आ आवाज आती है: किसने कहा नही मानूंगा मैं?

दोनो चौंकते हुए पीछे मुड़ते हैं जहां आनंद के साथ सभी लोग खड़े थे।

आनंद: अरे भाई किसने कहा की मैं नही मानूंगा? सच कहूं तो मैं इसलिए नाराज था कि मेरी इस गुड़िया ने मुझे ये बात नही बताई, इसकी खुशी से ज्यादा मुझे कुछ नही चाहिए। वैसे सब खेल रहे तो मैंने भी थोड़ा खेल लिया। मुझे पता था की तुम दोनो यहां पर जरूर आओगे, तभी मैं सबको ले आया यहां। और सच कहूं तो इस मोड़ से अच्छी कोई जगह हो ही नहीं सकती तुम दोनो की जिंदगी को नया मोड़ देने के लिए।

निधि आगे बढ़ कर अनामिका का हाथ पकड़ कर आनंद के पास ले जाती है, और, "आनंद अब आप अपनी बहन को कुछ दिन सम्हाल कर रखिए, शादी की सबसे पहले मूहर्त में हम सब उसको मेरे देवर के लिए लेने आयेंगे।

रमाकांत जी: बिलकुल निधि बेटे, हम भी आपका स्वागत करने को तैयार हैं। किशन भाईसाब, अब पृथ्वी को दूल्हे की तरह ले कर जल्दी से आइए आप सब।

किशन जी: बिलकुल भाईसाब, अब हम इजाजत दीजिए।

तभी अनामिका की नजर आनंद पर जाती है जो एक साइड में खड़ी लड़की को देख रहा होता है, अनामिका आगे बढ़ कर उस लड़की को सबके सामने ला कर खड़ी कर देती है।

अनामिका: भैया, अब आप भी शादी कर लीजिए, भाभी तो ढूंढ ही ली है आपने।

वो लड़की: ये अभी भी अपनी जिंदगी में आगे नहीं बढ़ पाय हैं। मैं बस इनकी दोस्त भर ही हूं।

किशन जी: आनंद बेटे, जो लड़की airf आप की खातिर अपनी इज्जत भी दांव पर लगा रही हो, उससे अच्छा जीवन साथी आपको नही मिल सकता।

रमाकांत जी: बिलकुल बेटे, और अब पूर्वी वापस तो नही ही आने वाली, कम से कम आप अपनी जी जिंदगी तो जीना सीखिए, और कोमल से अच्छी और कोई नही मिलने वाली आपको, मुझे कोमल भी पूर्वी जैसी ही लगती है।

आनंद भी कोमल को देख कर मुस्कुरा देता है। अनामिका दोनो का हाथ एक दूसरे को पकड़ा देती है।

किशन जी: भाईसाब, कोमल मेरी पोती जैसी ही है, ये मेरे बेटे के दोस्त मैडम खुराना की बेटी है, उनकी मृत्यु इसके बचपन में ही हो गई थी, इसीलिए मैं चाहता हूं कि इसकी डोली मेरे घर से उठे, आपको कोई आपत्ती न हो तो।

रमाकांत जी: वो भला मुझे क्यों होगी।

किशन जी: तो कोमल बेटा आप हमारे साथ चलिए, सबकी शादी एक साथ ही करवा देते हैं हम लोग।

ये सुन कर सब लोग सहमति देते हैं और किशन जी अपने परिवार के साथ अपने शहर को निकल गए। एक महीने बाद सबकी शादी का मूहर्त निकला और शादी की तयारियां दोनो तरफ जोर शोर से होने लगीं।

शादी वाले दिन एक ही मैरिज हॉल में 2 बारात एक सात पहुंचती हैं, एक में पृथ्वी गुलाबी और हल्के स्लेटी रंग की शेरवानी में किसी राजकुमार की तरह लग रहा था, वहीं गुलाबी लहंगे में अनामिका किसी राजकुमारी की तरह सजी हुई उसकी प्रतीक्षा कर रही थी। दूसरी ओर कोमल सुर्ख लाल लहंगे में अपने चेहरे की लालिमा के साथ अमर की प्रतीक्षा में अधीर हो रही थी जो गहरे मरून शेरवानी में किसी राजा की तरह लग रहा था। दोनो जोड़ों की शादी खूब धूम धाम से हुई और सब कार्यक्रम हंसी खुशी अच्छे से समाप्त हुए।

कुछ साल बाद.....

"गोपाल, जल्दी से गायत्री को ले कर आ जाओ, पूर्वी राखी बांधने के लिए तैयार है।" ये आवाज अनामिका की थी जो आनंद को राखी बांध कर उठी थी, और उनकी जगह कोमल पृथ्वी और आकाश को राखी बांध रही थी।

तभी एक लड़की की आवाज आती है, "मम्मा, देखो ये पूर्वी ने भाई को पहले ही राखी बांध दी।"

अनामिका: तो क्या हो गया गायत्री, वो कभी कभी ही तो अपने भाई से मिलती है, आप दोनो तो हमेशा से साथ रहते है, चलिए अब आप गोपाल को राखी बांधिए।

दोनो बच्चे, गोपाल और गायत्री जो की जुड़वा थे, वो राखी बंधवाने बैठ जाते हैं, और पूर्वी, कोमल और आनंद की बेटी, उसको मिठाई खिलाती है।


किशन जी और रमाकांत जी साथ बैठे हुए चाय पीते हुए सबको हंसते खेलते देख खुश हो रहे थे.....
Nice 👌👌

सब लिख रहे है, kahani end हो गयी.....
मुझे तो लगता है...ये जिंदगी का मोड़ है....??? रिकी ब्रो.... ✍️✍️
 

Abhishek Kumar98

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#13 The device......

अमर ने उस तार से मोनिका का गला घोटना चालू कर दिया, वो कोई 1 मिनट छटपटा कर शांत पड़ गई, तभी पेड़ की ओट से रघु निकल कर आया, और मोनिका के शरीर को अमर से छुड़ा कर खुद के हाथो में ले लिया। मोनिका लाश के मानिंद उसकी बाहों में झूल रही थी।

रघु ने आस पास देखा तो उसे एक बहुत बड़ी खाली बोरी दिखी, रघु ने अमर को इशारा करके उसे उठवाया और मोनिका की लाश को उसके अंदर डाल कर बोरी का मुंह बंद कर दिया।

रघु: ये क्या किया तूने??

अमर: मुझे खुद कुछ नही पता कि ये सब कैसे हुआ? मैं तो बस उसे डराना चाहता था।

रघु: अरे यार! चलो कोई बात नही, ये बात बस तेरे और मेरे बीच में रहेगी, मैं इसको ठिकाने लगा देता हूं, तू चिंता न कर। और अच्छा ही हुआ, क्योंकि एक यही थी जिससे तुझे खतरा था।

अमर: मगर तू यहां क्या कर रहा है?

रघु: मैं तो वापस जा रहा था, लेकिन कल इसको मैने इसी टाउन में आते देखा तो पीछा करने लगा इसका, क्योंकि मुझे तेरी चिंता थी।

अमर: अब क्या करूं मैं?

रघु: बोला तो भूल जा इसको अब, वैसे भी ये पहाड़ी इलाका है, ठिकाने लगाने में कोई रिस्क नहीं है। वैसे एक बात बोलूं?

अमर: क्या?

रघु: ये आज तक का सबसे खराब हत्या है तेरी, एकदम नौसिखिए की तरह, not the Kumar's style.

अमर: भाई मैं वो सब भूल चुका हूं, ये कैसे किया मुझे वो भी नही पता।

रघु: चल मैं निकलता हूं अब, ये तेरी अच्छी जिंदगी में एकमात्र कांटा बची थी, तूने निकल फेका इसे, अब आराम से रह, सिंडिकेट वालों को तो मैं सम्हाल ही लूंगा।

ये बोल कर रघु उस बोरी को उठा कर दीवाल तक ले जाता है, और उछला कर दीवार के उस तरफ फेक देता है, फिर खुद कूद कर चला जाता है।

अमर भी अपने कमरे में वापस आ जाता है, और किसी तरह नींद के आगोश में चला जाता है।

अगली सुबह उसकी नींद जल्दी ही खुल जाती है, तो वो बाहर आ कर देखता है कि रमाकांत जी बाहर मॉर्निंग वॉक पर निकलने वाले होते हैं, अमर उनसे अनामिका के बारे में पूछता है।

रमाकांत जी: बेटा वो उस दिन के बाद कुछ ज्यादा ही सोती है, शायद दवाइयों के कारण, मैं भी ज्यादा जोर नही देता।

अमर: मैं उसको उठाऊं क्या?

रमाकांत जी: जरूर, ये भी कोई पूछने की बात है?

अमर अनामिका के कमरे में जाता है तो अनामिका और पवन दोनो सो रहे होते हैं, अमर पहले पवन को उठता है और उसे कहता है कि अनामिका को उठा दे।

पवन: भैया मुझे जोर की सुसु आई है, दीदी को आप ही उठाइए।

ये बोल कर पवन बाथरूम में भाग जाता है, और अमर कुछ असमंजस में अनामिका को कंधे से हल्के से हिला कर जगाने की कोशिश करता है, और उसका नाम धीरे से बुलाता है। अनामिका नींद में उसकी ओर करवट लेते हुए उसका हाथ पकड़ लेती है और, "अरे अमर, कितना परेशान करते हो तुम, ना रात को जल्दी सोने देते हो और सुबह जल्दी उठा कर जोगिंग करवाने लगते हो।"

अमर असमंजस में थोड़ा जोर से कहता है, "अनामिका प्लीज उठ जाओ।"

थोड़ी तेज आवाज सुन कर अनामिका आंखे खोल कर देखती है, और अमर को सामने पा कर थोड़ा झेप जाते है, और शर्मसे नजरे नीची करते हुए उसका हाथ छोड़ देती है, और जल्दी से बाथरूम की ओर जाती है, तभी पवन भी बाहर आ जाता है। अमर और पवन बाहर लिविंग रूम में आ कर उसका इंतजार करने लगते हैं। कुछ देर बाद तीनों वॉक के लिए निकल जाते हैं, अनामिका कहती है कि वो अपने पति की मौत के बाद पहली बार वॉक पर आई है, और अमर का हाथ पकड़ लेती है।

ऐसे ही हसीं खुशी दोपहर बीत जाती है। दोपहर में होटल का मैनेजर आनंद आ जाता है, आनंद एक ऊंचे कद का स्मार्ट सा युवक था जो लगभग अमर की ही उम्र का था। उसके आने से सब लोग निश्चनित हो जाते है होटल के कामों से। अनामिका अमर को कार में बैठा कर वहीं उस मोड़ के पास ले जाती है।

अनामिका: यहीं पर तुम्हारी कार का एक्सीडेंट हुआ था।

अमर: वैसे एक बात पूछूं?

अनामिका: हां जरूर।

अमर: आप उस शाम यहां क्या कर रही थीं?

अनामिका कुछ उदास होते हुए: में अक्सर शाम यहीं बिताती हूं, उस दिन सबका एक्सीडेंट भी यहीं पर हुआ था ना।

अमर: उसका हाथ पकड़ कर कहता है: अनु एक वादा करो मुझे।

अनामिका: क्या?

अमर: अब से कभी तुम अपनी बुरी यादों को याद नही करेगी।

अनामिका: अच्छा, और बदले में मुझे क्या मिलेगा?

अमर: जिंदगी भर की खुशी देने की कोशिश करूंगा।

और अनामिका को गले से लगा लेता है।

अनामिका उसे एक छोटे से टीले पर ले कर जाती है, और दोनो वहां बैठ जाते हैं।

अनामिका: "जानते हैं आप, अमर और मैं शादी होने के पहले कई बार इसी जगह पर मिलते थे। और इसी टीले पर बैठ कर हमने कई कसमें और वादे किए थे एक दूसरे से। लेकिन..."

अमर: मैं आ गया हूं ना। अब कोई चिंता नहीं करो अनु।

इसी तरह की बातें करते करते शाम।घिर आई और दोनो वापस विला में आ जाते हैं।

रात को जब अमर सोने आता है तो उसे पास वाला टेलीफोन पर फिर से ध्यान जाता है, तो वो सोचता है कि क्यों न इसी से अनामिका से बात की जाय। वो जैसे ही फोन उठता है तो उसमे कोई डायल टोन नही होता, तो वो उसके तार को पकड़ कर देखने लगता है, वो तार कटा हुआ था, और देख कर लग रहा था की किसी ने जान बूझ कर काटा हो, मगर इन 4-5 दिनो में तो कोई आया भी नही, फिर कैसे, और उस दिन तो उसने इस पर दादाजी और चंदन की बात सुनी थी।


अमर फोन के नीचे वाली ड्रॉवर खोलता है तो उसके हाथ में एक पेचकस आता है, और उसके हाथ खुद ब खुद इस फोन को खोलने लगते हैं, जैसे वो इन चीजों को पहले भी कर चुका है। फोन के अंदर उसे एक काले रंग की डिब्बी जैसी कोई डिवाइस दिखती है.....
Chalo apne Hero ki setting ho hi gayi but mujhe lagta hai ki Monika aur Raghu mile huye hai shayad aur Monika abhi Mari nahi hai
 

Abhishek Kumar98

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#14 The real identity...

वो डिवाइस कोई ट्रांसमीटर या रिकॉर्डर जैसा नही था, बल्कि उसमे कुछ ऐसा सिस्टम था की रिसीवर उठाने पर एक्टिव होता और उसमे जो भी रिकॉर्ड होता वो सिर्फ एक बार बजता, दुबारा से वो कभी बिना रीसेट किए हुए नही बजता।

अमर आश्चर्यचकित हो कर कभी उस डिवाइस को और कभी फोन के कटे हुए तार को देख रहा था। फिर वो फोन और डिवाइस हाथ में लेकर बाहर आता है, और उसको स्टडी की लाइट जलती दिखती है, और वो उसकी तरफ चला जाता है।

अमर जैसे ही स्टडी का दरवाजा खोलता है उसे वहां रमाकांत जी, और आनंद बैठे हुए मिलते हैं। रमाकांत जी अमर को देख कर उसको अंदर बुलाते हैं, पर जैसे ही उनकी नजर उसके हाथ में रखे फोन और डिवाइस पर जाती है, वो मुस्कुरा देते हैं।

रमाकांत जी: आनंद, आखिर इसको ये मिल ही गया। फिर भी एक इंजीनियर और एक्स आर्मीमैन होने के बावजूद बहुत समय ले लिया इसने, है ना?

आनंद भी पलट कर अमर को देखता है।

अमर लगभग चीखते हुए: क्यों??

रमाकांत जी: आओ पहले आराम से बैठो, आनंद बेटा अनामिका को बुला लाओ, अब सच बताने का समय आ गया है।

आनंद उठ कर बाहर चला जात है, और अमर रमाकांत जी के सामने एक सिंगल सीटर सोफे पर बैठ जाता है। उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही होती है उस समय। थोड़ी देर बाद अनामिका और आनंद आ कर उसके सामने पड़े सोफे पर बैठ जाते हैं।

अमर: क्या हो रहा है यहां? ये सब है क्या आखिर?

अनामिका: है क्या? बस वही जो तुम दूसरों की जिंदगी के साथ कर रहे थे, खेल।

अमर: मतलब?

अनामिका: मतलब कि ये सब एक खेल था तुम्हारे साथ। तुम पृथ्वी राजदान, जो दूसरों की जिंदगी से खेलता है, अब हम उसकी जिंदगी से खेल लिए।

अमर को अपना नाम, पृथ्वी राजदान सुनते ही झटका सा लगता है और वो सर पकड़ कर बेहोश हो जाता है। ..
Lo bhai ye toh Puri family hi villain nikali
 

Abhishek Kumar98

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#17 The Con Man....


प्रेजेंट टाइम.....

पृथ्वी की आंख हॉस्पिटल के बेड पर खुलती है, सामने अनामिका बैठी होती है, उसको देखते ही पृथ्वी ग्लानि से भर उठता है और अनामिका से हाथ जोड़ कर क्षमा मांगने लगता है।

अनामिका: पृथ्वी, ये काम तुमको शादी तय होते ही कर लेना चाहिए था, अगर जो कर लेते तो आज इस तरह तुम अपराधी बने न बैठे होते।

तभी आनंद कमरे में आता है और कहता है, "गलती जब समझ में आ जाए प्रायश्चित कर लेना चाहिए, उससे जो गया है वो तो वापिस नही आयेगा पर कम से कम कुछ लोगों के दुख कम तो होते। और अपना आचरण ऐसा रखना चाहिए की ऐसी नौबत ही न आए की किसी के सामने आई हाथ जोड़ कर क्षमा मांगनी पड़े।

पृथ्वी सोचते हुए: एक बात बताइए, एक्सीडेंट में तो मैं मौत के मुंह में था, मुझ मर जाने देना था न आप लोग को, मुझ बचाया क्यों?

आनंद कुछ बोलता उसके पहले ही अनामिका बोली: मर जाने देते तो तुमको ये सब सबक कैसे मिलता?

आनंद: एक्सीडेंट जब हुआ तब मैं और अनु वहीं थे, हम अक्सर वहां पर जाते हैं, पूर्वी और मां पापा का एवीडेंट वहीं हुआ था। हम दोनो तुम्हे बचाने गए वहां, हमको देखने से पहले ही तुम बेहोश हो चुके थे। मुझे जैसे ही पता चला की तुम ही पृथ्वी राजदान हो, मैं तुमको बचाने सीना करने लगा, मगर अनामिका ने तुमको बचाने के लिए मनाया मुझे। पहले तो हम कुछ करना ही नही चाहते थे, मगर जैसे ही पता चला कि तुम्हारी यादाश्त चली गई है, हम सब ने ये ड्रामा रचा। तुमको हम कोई शारीरिक नुकसान नही पहुंचाना चाहते थे, बस ये अहसास दिलवाना था की जब किसी पर गुजरती है तो कैसा लगता है। जब कोई किसी अपने को को सेट है तो क्या महसूस हॉट है। और ऐसा ना इसीलिए हुआ की तुम एक बुजदिल इंसान हो, जो अपने स्वार्थ के कारण किसी की जिंदगी से खेलने से भी नही चुकता।

पृथ्वी: सही बात है भैया लेकिन मैं कभी भी दिल से नही चाहता था अनामिका की जिंदगी बरबाद करना, मुझे तो बस वो मोनिका भड़का रही थी।

आनंद: क्यों तुम्हारी खुद की कोई अकल नही है क्या, जब मोनिका की बात गलत लगी तुमको तो कैसे मान ली उसकी बात, और अगर जो वो गलत लगी तो प्रतिकार क्यों नही किया? हां किया ना, जब सब बातें हाथ से निकल चुकी थी तुम्हारे। अरे जी दौलत के चक्कर में तुम दोनो ने मेरे पूरे परिवार के जिंदगी खत्म कर दी आज उसी दौलत के बिना हो न?

पृथ्वी: आप सही कह रहे हैं भैया, मेरी बुजदिली के कारण तीन जाने चली गई हैं, अगर जो मेरा मुंह समय पर खुल जाता तो ये सब कुछ नही होता।

आनंद: 2 ही जाने गई हैं पृथ्वी, मोनिका जिंदा है। पर वो अब शायद ही तुमसे मिलना चाहेगी।

पृथ्वी: आश्चर्य से, पर उसे तो मैंने मार दिया था न, और वैसे वो रघु कौन था?

आनंद: मुझे ठीक से देखो पृथ्वी, मैं ही रघु हूं। और तुम्हारे वार से वो मरी नहीं बस बेहोश ही हुई थी। उसके होश में आने पर मैंने उसे सब सच्चाई बता दी, पर उसने कहा की वो तुमसे मिलने नही आई थी, बल्कि मुंबई में जिस कंपनी में काम करती है, उन्हें ही यहां के उसी होटल का ऑडिट मिला था जिसमे तुम ज्वाइन करने वाले थे, इसीलिए वो आई थी, और जब आई थी तो बस तुम्हारी खोज खबर लेना चाहती थी। बस हमारे होटल में आते ही उसने तुमको और अनामिका को साथ देख लिया, तो उसे लगा कि तुम दोनो वापस से साथ हो गए हो, और उसके दादाजी का मतलब रमाकांत जी नही बल्कि किशन जी, यानी की तुम्हारे दादाजी थे।

पृथ्वी: मगर वो मुझे ढूंढने क्यों नही आई, एक्सीडेंट के समय तो। मैं उससे ही बात कर रहा था।

आनंद: तुम बात उससे कर रहे थे, लेकिन उसी समय वो अपनी उस कंपनी के सीईओ के लड़के के साथ अफेयर में आ चुकी थी, अपनी आदत से वो बाज नहीं आ सकती, इसीलिए वो अब तुमसे मिलना भी नही चाहती।

यहां से कहानी पृथ्वी के दृष्टिकोण से चलेगी।

ये सुन कर मुझे कोई खास अहसास नही हुआ, मोनिका के प्रति मेरे दिल में जो भी था, शायद उस मोड़ के बाद खतम ही हो चुका था, लेकिन उसका ऐसे मुंह फेर लेने से कुछ तो दुख हुआ मुझे,

जिसके भरोसे मैने अपनी पूरी जिंदगी खराब कर ली वो अब मुझसे कोई वास्ता नहीं रखना चाहती थी। ये कैसा मोड़ आया जिंदगी में मेरे, एक समय मैं इस देश क्या इस जहां का सबसे खुशनसीब आदमी था, जिसके पास बेशुमार दौलत थी, भरा पूरा परिवार था, सब का प्यार था मेरे नसीब में, लेकिन मेरी पल की बुजदिली ने सब छीन लिया। आज के समय मेरे पास कुछ भी नही था। ना घर, ना परिवार ना पैसे न नौकरी...

इन्ही विचारों के झंझावात में मैं खो सा गया था, तभी कमरे में रमाकांत जी आए।

पृथ्वी बेटा, ले लो अपने डॉक्युमेंट्स जो पर्स में थे, और तुम्हारा फोन। और हां फिलहाल डॉक्टर ने तुमको डिस्चार्ज कर दिया है, तो अब तुम कहां जाना चाहते हो, हम इंतजाम कर देते हैं।

मैने कतर दृष्टि से उनकी ओर देखा, मेरी आंखों में देखते ही उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "आनंद, फिलहाल इनको अपने होटल में ही एक कमरा दो।"

आनंद: पर दादाजी?

रमाकांत जी: बोला ना मैने।

आनंद: जी बेहतर दादाजी।

आनंद और अनामिका बाहर चले गए, रामकनत जी मेरे पास आ कर बैठे, और मेरे सर पर हाथ फेरते हुए,"फिलहाल तुम मेरे साथ चलो, कुछ बात भी करनी है, और तुमसे कुछ काम भी है।"

फिर हम दोनो भी विला आ गए, मेरे रुकने का इंतजाम आनंद ने उसी रूम में करवाया था जिसमे मैं पहली बार रुका था। बाकी दिन ऐसे ही बीता, सुबह हों पर मैं जैसे ही बालकनी में आए तो वहां मुझे अनामिका और पवन खेलते हुए दिखे, पता नही क्यों अनामिका को देख दिल में एक हलचल सी हुई।

नाश्ते के लिए दादाजी ने मुझे फिर से अपनी स्टडी में बुलाया।

रमाकांत जी: आओ पृथ्वी हैव सम।

मैं बैठते हुए: जी दादाजी, बताइए क्या बात करनी थी आपको।

रमाकांत जी: बेटा मैं तुम्हारी दुविधा समझता हूं, तुम यही सोच रहे हो ना कि अब आगे कैसे क्या करना है?

"जी दादाजी, समझ नही आ रहा कहां से शुरू करें अब, ऐसे मोड़ पर आ चुका हूं की सब तरफ अंधेरा ही दिख रहा है।"

रमाकांत जी: इस अंधेरे से तुम्हे बस तुम्हारा परिवार ही निकल सकता है पृथ्वी। अपना फोन उठाओ और अपने दादाजी से बात करके पहले तो क्षमा मांगो, और पूरी बात बताओ। मैं हूं साथ तुम्हारे।

उन्होंने मेरे हाथ पर हाथ रख कर मुझे आश्वाशन दिया। मैने भी कुछ साहस बटोरते हुए मैंने दादाजी को फोन लगाया।

"हेलो दादाजी।"

.....

"दादाजी मैं आपका पृथ्वी, दादाजी, में बहुत पछता रहा हूं आज दादाजी, आपका कहना ना मान कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है दादाजी, मैं बहुत शर्मिंदा हूं अपनी उस हरकत पर दादाजी। ही सके तो मुझे माफ कर दीजिए। मैं आप सब का गुनहगार हूं।"

ये कहते ही मैं फफक कर रो पड़ा।

"बेटा, रो नही, मुझे सब पता है, रमाकांत जी ने मुझे सब बता दिया है, बेटा अगर जो आप अपनी हरकत को गलत मानते हैं तो हम सब आपको माफ कर देंगे, लेकिन पहली माफी आपको अनामिका और आनंद से मांगनी है।"

"मैने सबसे पहले उनसे ही माफी मांगी है दादाजी, और उन्होंने मुझे माफ कर दिया है दादाजी। बहुत बड़ा दिल है दोनो भाई बहन का।"

"फिर तो हम सब भी आपको माफ करते हैं बेटा, आप घर आइए जितनी जल्दी हो सके। और जरा रमाकांत जी से बात करवाओ।"

"जी दादाजी" मैने फोन रमाकांत जी की ओर बढ़ा दिया। दोनो में कुछ बात हुई उसके बाद रमाकांत जी ने मेरा फोन मुझे वापस किया।

रमाकांत जी: लो बेटा अपना फोन। और कल आप घर को निकल जाना, मैं होटल की कोई गाड़ी से दूंगा आपको।

"जी धन्यवाद दादाजी, आप लोग का मुझ पर बहुत आभार है, पता नही मैं कैसे चुकाऊंगा उसको।"

"बेटा आप सही राह पर चलो, बाकी किसी बात की चिंता न करो।"

"जी दादाजी, एक बात पूछूं?"
"बिलकुल"

"क्या अनामिका मुझसे शादी कर सकती है?"

"आप लेट हो बेटा, हमने उसकी शादी चंदन से पहले ही तय कर दी है। बड़ा प्यारा लड़का है वो, बहुत प्यार करता है वो अनामिका को। दोनो साथ मे खुश हैं।"

ये सुन कर दिल मे एक ठेस सी लगी, मगर ऊपर से मैं उनकी बात सुन कर मुस्कुरा दिया।

"अच्छा लगा सुन कर, चंदन वाकई में एक अच्छा लड़का है।"

फिर कुछ इधर उधर की बातें हुई और मैं कुछ देर बाद बहन निकल गया। थोड़ी देर बाद मेरे कदम हॉस्पिटल की ओर चल दिए, और वहां मैं चंदन के रूम की को चल पड़ा।


तभी मुझे दूर से उसके कमरे से एक नर्स बाहर निकलती दिखी, जो अपने कपड़े सही कर रही थी, मुझे कुछ अजीब सा लगा, फिर भी मैं उसके रूम के बाहर पहुंचा, और वहां वो किसी से फोन पर बात कर रहा था.......
Shayad Chandan jaisa dikhta hai waisa hai nahi
 

Abhishek Kumar98

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#17 The Con Man....


प्रेजेंट टाइम.....

पृथ्वी की आंख हॉस्पिटल के बेड पर खुलती है, सामने अनामिका बैठी होती है, उसको देखते ही पृथ्वी ग्लानि से भर उठता है और अनामिका से हाथ जोड़ कर क्षमा मांगने लगता है।

अनामिका: पृथ्वी, ये काम तुमको शादी तय होते ही कर लेना चाहिए था, अगर जो कर लेते तो आज इस तरह तुम अपराधी बने न बैठे होते।

तभी आनंद कमरे में आता है और कहता है, "गलती जब समझ में आ जाए प्रायश्चित कर लेना चाहिए, उससे जो गया है वो तो वापिस नही आयेगा पर कम से कम कुछ लोगों के दुख कम तो होते। और अपना आचरण ऐसा रखना चाहिए की ऐसी नौबत ही न आए की किसी के सामने आई हाथ जोड़ कर क्षमा मांगनी पड़े।

पृथ्वी सोचते हुए: एक बात बताइए, एक्सीडेंट में तो मैं मौत के मुंह में था, मुझ मर जाने देना था न आप लोग को, मुझ बचाया क्यों?

आनंद कुछ बोलता उसके पहले ही अनामिका बोली: मर जाने देते तो तुमको ये सब सबक कैसे मिलता?

आनंद: एक्सीडेंट जब हुआ तब मैं और अनु वहीं थे, हम अक्सर वहां पर जाते हैं, पूर्वी और मां पापा का एवीडेंट वहीं हुआ था। हम दोनो तुम्हे बचाने गए वहां, हमको देखने से पहले ही तुम बेहोश हो चुके थे। मुझे जैसे ही पता चला की तुम ही पृथ्वी राजदान हो, मैं तुमको बचाने सीना करने लगा, मगर अनामिका ने तुमको बचाने के लिए मनाया मुझे। पहले तो हम कुछ करना ही नही चाहते थे, मगर जैसे ही पता चला कि तुम्हारी यादाश्त चली गई है, हम सब ने ये ड्रामा रचा। तुमको हम कोई शारीरिक नुकसान नही पहुंचाना चाहते थे, बस ये अहसास दिलवाना था की जब किसी पर गुजरती है तो कैसा लगता है। जब कोई किसी अपने को को सेट है तो क्या महसूस हॉट है। और ऐसा ना इसीलिए हुआ की तुम एक बुजदिल इंसान हो, जो अपने स्वार्थ के कारण किसी की जिंदगी से खेलने से भी नही चुकता।

पृथ्वी: सही बात है भैया लेकिन मैं कभी भी दिल से नही चाहता था अनामिका की जिंदगी बरबाद करना, मुझे तो बस वो मोनिका भड़का रही थी।

आनंद: क्यों तुम्हारी खुद की कोई अकल नही है क्या, जब मोनिका की बात गलत लगी तुमको तो कैसे मान ली उसकी बात, और अगर जो वो गलत लगी तो प्रतिकार क्यों नही किया? हां किया ना, जब सब बातें हाथ से निकल चुकी थी तुम्हारे। अरे जी दौलत के चक्कर में तुम दोनो ने मेरे पूरे परिवार के जिंदगी खत्म कर दी आज उसी दौलत के बिना हो न?

पृथ्वी: आप सही कह रहे हैं भैया, मेरी बुजदिली के कारण तीन जाने चली गई हैं, अगर जो मेरा मुंह समय पर खुल जाता तो ये सब कुछ नही होता।

आनंद: 2 ही जाने गई हैं पृथ्वी, मोनिका जिंदा है। पर वो अब शायद ही तुमसे मिलना चाहेगी।

पृथ्वी: आश्चर्य से, पर उसे तो मैंने मार दिया था न, और वैसे वो रघु कौन था?

आनंद: मुझे ठीक से देखो पृथ्वी, मैं ही रघु हूं। और तुम्हारे वार से वो मरी नहीं बस बेहोश ही हुई थी। उसके होश में आने पर मैंने उसे सब सच्चाई बता दी, पर उसने कहा की वो तुमसे मिलने नही आई थी, बल्कि मुंबई में जिस कंपनी में काम करती है, उन्हें ही यहां के उसी होटल का ऑडिट मिला था जिसमे तुम ज्वाइन करने वाले थे, इसीलिए वो आई थी, और जब आई थी तो बस तुम्हारी खोज खबर लेना चाहती थी। बस हमारे होटल में आते ही उसने तुमको और अनामिका को साथ देख लिया, तो उसे लगा कि तुम दोनो वापस से साथ हो गए हो, और उसके दादाजी का मतलब रमाकांत जी नही बल्कि किशन जी, यानी की तुम्हारे दादाजी थे।

पृथ्वी: मगर वो मुझे ढूंढने क्यों नही आई, एक्सीडेंट के समय तो। मैं उससे ही बात कर रहा था।

आनंद: तुम बात उससे कर रहे थे, लेकिन उसी समय वो अपनी उस कंपनी के सीईओ के लड़के के साथ अफेयर में आ चुकी थी, अपनी आदत से वो बाज नहीं आ सकती, इसीलिए वो अब तुमसे मिलना भी नही चाहती।

यहां से कहानी पृथ्वी के दृष्टिकोण से चलेगी।

ये सुन कर मुझे कोई खास अहसास नही हुआ, मोनिका के प्रति मेरे दिल में जो भी था, शायद उस मोड़ के बाद खतम ही हो चुका था, लेकिन उसका ऐसे मुंह फेर लेने से कुछ तो दुख हुआ मुझे,

जिसके भरोसे मैने अपनी पूरी जिंदगी खराब कर ली वो अब मुझसे कोई वास्ता नहीं रखना चाहती थी। ये कैसा मोड़ आया जिंदगी में मेरे, एक समय मैं इस देश क्या इस जहां का सबसे खुशनसीब आदमी था, जिसके पास बेशुमार दौलत थी, भरा पूरा परिवार था, सब का प्यार था मेरे नसीब में, लेकिन मेरी पल की बुजदिली ने सब छीन लिया। आज के समय मेरे पास कुछ भी नही था। ना घर, ना परिवार ना पैसे न नौकरी...

इन्ही विचारों के झंझावात में मैं खो सा गया था, तभी कमरे में रमाकांत जी आए।

पृथ्वी बेटा, ले लो अपने डॉक्युमेंट्स जो पर्स में थे, और तुम्हारा फोन। और हां फिलहाल डॉक्टर ने तुमको डिस्चार्ज कर दिया है, तो अब तुम कहां जाना चाहते हो, हम इंतजाम कर देते हैं।

मैने कतर दृष्टि से उनकी ओर देखा, मेरी आंखों में देखते ही उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "आनंद, फिलहाल इनको अपने होटल में ही एक कमरा दो।"

आनंद: पर दादाजी?

रमाकांत जी: बोला ना मैने।

आनंद: जी बेहतर दादाजी।

आनंद और अनामिका बाहर चले गए, रामकनत जी मेरे पास आ कर बैठे, और मेरे सर पर हाथ फेरते हुए,"फिलहाल तुम मेरे साथ चलो, कुछ बात भी करनी है, और तुमसे कुछ काम भी है।"

फिर हम दोनो भी विला आ गए, मेरे रुकने का इंतजाम आनंद ने उसी रूम में करवाया था जिसमे मैं पहली बार रुका था। बाकी दिन ऐसे ही बीता, सुबह हों पर मैं जैसे ही बालकनी में आए तो वहां मुझे अनामिका और पवन खेलते हुए दिखे, पता नही क्यों अनामिका को देख दिल में एक हलचल सी हुई।

नाश्ते के लिए दादाजी ने मुझे फिर से अपनी स्टडी में बुलाया।

रमाकांत जी: आओ पृथ्वी हैव सम।

मैं बैठते हुए: जी दादाजी, बताइए क्या बात करनी थी आपको।

रमाकांत जी: बेटा मैं तुम्हारी दुविधा समझता हूं, तुम यही सोच रहे हो ना कि अब आगे कैसे क्या करना है?

"जी दादाजी, समझ नही आ रहा कहां से शुरू करें अब, ऐसे मोड़ पर आ चुका हूं की सब तरफ अंधेरा ही दिख रहा है।"

रमाकांत जी: इस अंधेरे से तुम्हे बस तुम्हारा परिवार ही निकल सकता है पृथ्वी। अपना फोन उठाओ और अपने दादाजी से बात करके पहले तो क्षमा मांगो, और पूरी बात बताओ। मैं हूं साथ तुम्हारे।

उन्होंने मेरे हाथ पर हाथ रख कर मुझे आश्वाशन दिया। मैने भी कुछ साहस बटोरते हुए मैंने दादाजी को फोन लगाया।

"हेलो दादाजी।"

.....

"दादाजी मैं आपका पृथ्वी, दादाजी, में बहुत पछता रहा हूं आज दादाजी, आपका कहना ना मान कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है दादाजी, मैं बहुत शर्मिंदा हूं अपनी उस हरकत पर दादाजी। ही सके तो मुझे माफ कर दीजिए। मैं आप सब का गुनहगार हूं।"

ये कहते ही मैं फफक कर रो पड़ा।

"बेटा, रो नही, मुझे सब पता है, रमाकांत जी ने मुझे सब बता दिया है, बेटा अगर जो आप अपनी हरकत को गलत मानते हैं तो हम सब आपको माफ कर देंगे, लेकिन पहली माफी आपको अनामिका और आनंद से मांगनी है।"

"मैने सबसे पहले उनसे ही माफी मांगी है दादाजी, और उन्होंने मुझे माफ कर दिया है दादाजी। बहुत बड़ा दिल है दोनो भाई बहन का।"

"फिर तो हम सब भी आपको माफ करते हैं बेटा, आप घर आइए जितनी जल्दी हो सके। और जरा रमाकांत जी से बात करवाओ।"

"जी दादाजी" मैने फोन रमाकांत जी की ओर बढ़ा दिया। दोनो में कुछ बात हुई उसके बाद रमाकांत जी ने मेरा फोन मुझे वापस किया।

रमाकांत जी: लो बेटा अपना फोन। और कल आप घर को निकल जाना, मैं होटल की कोई गाड़ी से दूंगा आपको।

"जी धन्यवाद दादाजी, आप लोग का मुझ पर बहुत आभार है, पता नही मैं कैसे चुकाऊंगा उसको।"

"बेटा आप सही राह पर चलो, बाकी किसी बात की चिंता न करो।"

"जी दादाजी, एक बात पूछूं?"
"बिलकुल"

"क्या अनामिका मुझसे शादी कर सकती है?"

"आप लेट हो बेटा, हमने उसकी शादी चंदन से पहले ही तय कर दी है। बड़ा प्यारा लड़का है वो, बहुत प्यार करता है वो अनामिका को। दोनो साथ मे खुश हैं।"

ये सुन कर दिल मे एक ठेस सी लगी, मगर ऊपर से मैं उनकी बात सुन कर मुस्कुरा दिया।

"अच्छा लगा सुन कर, चंदन वाकई में एक अच्छा लड़का है।"

फिर कुछ इधर उधर की बातें हुई और मैं कुछ देर बाद बहन निकल गया। थोड़ी देर बाद मेरे कदम हॉस्पिटल की ओर चल दिए, और वहां मैं चंदन के रूम की को चल पड़ा।


तभी मुझे दूर से उसके कमरे से एक नर्स बाहर निकलती दिखी, जो अपने कपड़े सही कर रही थी, मुझे कुछ अजीब सा लगा, फिर भी मैं उसके रूम के बाहर पहुंचा, और वहां वो किसी से फोन पर बात कर रहा था.......
Dadaji hi Pane hero ki help kar sakte hai
 
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Abhishek Kumar98

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#21 the Marriages......

तभी एक स्पॉट लाइट अनामिका और चंदन पर पड़ने लगी, और एक रोमांटिक गाना "दो दिल मिल रहें हैं, मगर चुपके चुपके" बजने लगा। चंदन के मुख पर एक मुस्कान आ जाती है, और अनामिका की नजरें नीची हो जाती हैं। और दोनो एक दूसरे के नजदीक आते हैं, और दोनो स्पॉटलाइट एक हो जाती है।

तभी एक लड़की की आवाज गूंजती है, "हेलो जानू।"

लड़का: हेलो मेरी जानेमन, कैसी है तू? मैं तो तेरे लिए तड़प रहा हूं।

इसी के साथ एक और स्पॉटलाइट सोनाली पर पड़ती है, और प्रोजेक्टर ऑन हो जाता है जिसमे चंदन और सोनाली की अंतरंग तस्वीरें होती हैं।

लड़की: अरे जानू अनामिका से पीछा छुड़ाने की कोई तरकीब निकाली क्या?

लड़का: एक बात पता चली है, बुढ़ाऊ उसको और आनंद को अपने पोता पोती ही मानता है, और अपनी प्रॉपर्टी का एक हिस्सा अनामिका के नाम है, और तो और अभी एक 5 करोड़ का इंश्योरेंस भी करवाया गया है उसका। तो अब तो शादी करनी ही पड़ेगी। इंश्योरेंस और प्रॉपर्टी मिला कर इतना ही जायेगा जो हम जिंदगी भर नही कमा सकते।

लड़की: पर करोगे क्या शादी के बाद?

लड़का: करना क्या है, वो घाटी वाला मोड़ है, सब वही करेगा, जो इतने लोग का कल्याण कर चुका है, हम दोनो का भी कर देगा।

लड़की: मतलब?

लड़का: अरे बस एक एक्सीडेंट ही तो दिखाना पड़ेगा बस.....

और पृथ्वी की आवाज आती है, "तो दोस्तों ये है इस चंदन और उसकी सो कॉल्ड बहन की असलियत...

और हॉल में लाइट जल जाती है। और पृथ्वी स्टेज पर आते हुए अनामिका का हाथ पकड़ कर उसे नीचे उतार देता है, जो रमाकांत जी के पास चली जाती है।

आनंद: ये क्या है पृथ्वी?

पृथ्वी: वही जो आप देख रहे हैं भैया।

चंदन, चिल्लाते हुए: ये सब झूठ है भाईसाब, ये आदमी हम भाई बहन को बदनाम करना चाहता है, मैने आपको कहा था ना। ये सब बनाया हुआ है।

सोनाली, गुस्से से: ये क्या है चंदन? क्या इसीलिए तुमने मुझे बुलाया है इतनी दूर?

आनंद: पृथ्वी चलो अब नीचे आओ, हम सब अब तुम्हारी किसी चाल में नही आने वाले।

पृथ्वी: दादाजी, प्लीज भैया के जरा शांत रहने को बोलिए।

रमाकांत जी आनंद को इशारा करते हैं, और वो चुप हो जाता है।

पृथ्वी: हां तो सोनाली जी क्या कह रहीं थी आप? आप दोनो को बदनाम करने बुलाया है? आप जैसों को क्या बदनाम करना सोनाली जी, या सोनागाछी की शन्नो बाई, क्या कह कर पुकारा जाय आपको?

ये सुनते ही सोनाली अपना चहरा नीचे कर लेती है।

पृथ्वी: और डॉक्टर चंदन मित्रा, आपने कहां से अपनी मेडिकल डिग्री ली थी, वो भी मात्र 3 साल पढ़ कर?

चंदन: झूठ है ये सब!

पृथ्वी: अच्छा एक और सुनो फिर।

और इसके बाद सोनाली और चंदन का एक दिन पहले की बातचीत चलने जिसमे वो सोनाली को 2 साल इंतजार करने की बात कहता है। जिसे सुन कर आनंद गुस्से से चंदन का गिरेबान पकड़ लेता है, तभी पृथ्वी बीच के आते हुए दोनो को अलग करता है और आनंद से कहता है, "भैया जाने दीजिए, इसका हिसाब पुलिस कर लेगी। इंस्पेक्टर साहब..."

तभी हाल में पुलिस इंस्पेक्टर आ कर चंदन को अरेस्ट कर लेता है, और पृथ्वी कहता है, "ये अपने मेडिकल कॉलेज में कई तरह के गैरकानूनी काम करता था, और अपने कई प्रोफेसर को सोनाली के साथ मिल कर फसा कर ब्लैकमेल करता था। इसीलिए बंगाल पुलिस इसको ढूंढ रही थी।"

पुलिस दोनो को ले कर चल जाती है।

आनंद आंखो में आंसू भर कर: पता नही मेरी इस बहन अनामिका की क्या किस्मत है, बेचारी आज फिर दुल्हन की तरह सज कर अकेली रह गई।

रमाकांत जी: आनंद, अनामिका आज चंदन के लिए नही, बल्कि पृथ्वी के लिए दुल्हन के लिबास में है।

आनंद आश्चर्य से रमाकांत जी और अनामिका को देखता है।

रमाकांत जी: हां आनंद, इनकी सच्चाई हम दोनो को पहले से ही पता थी, बल्कि पृथ्वी ने तो उस दिन तुम्हे भी बताना चाहा था, पर तुमने उसकी एक नही सुनी। हालांकि उसमे गलती तुम्हारी भी नही ही थी, हालत ही कुछ ऐसे हो गए थे। और एक बात, सिर्फ पृथ्वी ही नही, अनामिका भी पृथ्वी को ही चाहती है, वो भी पहले दिन से जब दोनो की शादी के कारण दोनो मिले थे। बस पृथ्वी को ही यहां आ कर पता चला की उसको भी अनामिका ही पसंद है। लेकिन दोनो तुम्हारी मंजूरी के बिना एक कदम भी नही बढ़ाएंगे।

आनंद: तो ये सब आप लोगो ने प्लान किया था?

पृथ्वी: बस मैंने किया था भैया, इन सब ने बस साथ दिया। और एक बात कहूं तो कुछ साथ आपने भी से दिया।

आनंद: कैसे?

पृथ्वी कोमल की ओर देखते हुए: कोमल को भेज कर, वो न उस दिन पार्टी में जाता, ना हम उसका घर बग कर पाते, और न ही उसकी और सोनाली की फोटो मिल पाती हमको। बस ऑडियो प्रूफ पर तो कुछ साबित नही होता ना।

तभी किशन जी आ कर आनंद का हाथ पकड़ कर कहते हैं, "आनंद बेटा, तुमने बहुत कुछ खोया है इस सब में, खास कर मेरे इस लड़के की गलती के कारण। इसीलिए अगर जो तुम्हारी मर्जी
होगी बस वही होगा।

अनामिका: हां भैया बिना आपकी इजाजत के हम किसी से भी शादी नही कर सकते।

आनंद: अनु तुम्हे पता है ना इसने क्या किया है आपने साथ?

अनामिका: सब पता है भैया, पर पृथ्वी अपनी उस हरकत के लिए शर्मिंदा भी है और कई बार माफी भी मांग चुका है।

आनंद: फिर भी मैं मंजूर नहीं करूंगा।

रमाकांत जी: बेटा, जो हो गया उसको बदला नही जा सकता, लेकिन जरा ये तो सोचो कि ये दोनो एक दूसरे को प्यार करते हैं। और तुमसे बेहतर कौन जान सकता है कि अपने प्यार से दूर होना कैसा होता है, प्लीज, समझने की कोशिश करो एक बार।

आनंद: नही, मुझे मंजूर नही

और ये बोल कर आनंद बाहर चला जाता है।

किशन जी: रमाकांत भाईसाब, जाने दीजिए, इसी बच्चे का सुख सबसे बड़ा है, और जब तक ये नही समझेगा तब तक इस बात को जाने ही दीजिए।

और वो पृथ्वी, आकाश और निधि के साथ अपने कमरों में चले जाते हैं। अनामिका भी बुझे मन से वहां से निकल जाती है।

सुबह के 6 बजे, असमान में बस हल्का सा उजाला ही हुआ था, मोड़ के उसी पत्थर पर पृथ्वी और अनामिका उदास मन से बैठा कुछ सोच रहे होते है।

पृथ्वी: अनु....

अनामिका,उसकी आंखों में देखते हुए हुए: क्यों उदास बैठे हो?

पृथ्वी: क्या करूं फिर? भैया तो नही ही मानने वाले हैं।

तभी पीछे आ आवाज आती है: किसने कहा नही मानूंगा मैं?

दोनो चौंकते हुए पीछे मुड़ते हैं जहां आनंद के साथ सभी लोग खड़े थे।

आनंद: अरे भाई किसने कहा की मैं नही मानूंगा? सच कहूं तो मैं इसलिए नाराज था कि मेरी इस गुड़िया ने मुझे ये बात नही बताई, इसकी खुशी से ज्यादा मुझे कुछ नही चाहिए। वैसे सब खेल रहे तो मैंने भी थोड़ा खेल लिया। मुझे पता था की तुम दोनो यहां पर जरूर आओगे, तभी मैं सबको ले आया यहां। और सच कहूं तो इस मोड़ से अच्छी कोई जगह हो ही नहीं सकती तुम दोनो की जिंदगी को नया मोड़ देने के लिए।

निधि आगे बढ़ कर अनामिका का हाथ पकड़ कर आनंद के पास ले जाती है, और, "आनंद अब आप अपनी बहन को कुछ दिन सम्हाल कर रखिए, शादी की सबसे पहले मूहर्त में हम सब उसको मेरे देवर के लिए लेने आयेंगे।

रमाकांत जी: बिलकुल निधि बेटे, हम भी आपका स्वागत करने को तैयार हैं। किशन भाईसाब, अब पृथ्वी को दूल्हे की तरह ले कर जल्दी से आइए आप सब।

किशन जी: बिलकुल भाईसाब, अब हम इजाजत दीजिए।

तभी अनामिका की नजर आनंद पर जाती है जो एक साइड में खड़ी लड़की को देख रहा होता है, अनामिका आगे बढ़ कर उस लड़की को सबके सामने ला कर खड़ी कर देती है।

अनामिका: भैया, अब आप भी शादी कर लीजिए, भाभी तो ढूंढ ही ली है आपने।

वो लड़की: ये अभी भी अपनी जिंदगी में आगे नहीं बढ़ पाय हैं। मैं बस इनकी दोस्त भर ही हूं।

किशन जी: आनंद बेटे, जो लड़की airf आप की खातिर अपनी इज्जत भी दांव पर लगा रही हो, उससे अच्छा जीवन साथी आपको नही मिल सकता।

रमाकांत जी: बिलकुल बेटे, और अब पूर्वी वापस तो नही ही आने वाली, कम से कम आप अपनी जी जिंदगी तो जीना सीखिए, और कोमल से अच्छी और कोई नही मिलने वाली आपको, मुझे कोमल भी पूर्वी जैसी ही लगती है।

आनंद भी कोमल को देख कर मुस्कुरा देता है। अनामिका दोनो का हाथ एक दूसरे को पकड़ा देती है।

किशन जी: भाईसाब, कोमल मेरी पोती जैसी ही है, ये मेरे बेटे के दोस्त मैडम खुराना की बेटी है, उनकी मृत्यु इसके बचपन में ही हो गई थी, इसीलिए मैं चाहता हूं कि इसकी डोली मेरे घर से उठे, आपको कोई आपत्ती न हो तो।

रमाकांत जी: वो भला मुझे क्यों होगी।

किशन जी: तो कोमल बेटा आप हमारे साथ चलिए, सबकी शादी एक साथ ही करवा देते हैं हम लोग।

ये सुन कर सब लोग सहमति देते हैं और किशन जी अपने परिवार के साथ अपने शहर को निकल गए। एक महीने बाद सबकी शादी का मूहर्त निकला और शादी की तयारियां दोनो तरफ जोर शोर से होने लगीं।

शादी वाले दिन एक ही मैरिज हॉल में 2 बारात एक सात पहुंचती हैं, एक में पृथ्वी गुलाबी और हल्के स्लेटी रंग की शेरवानी में किसी राजकुमार की तरह लग रहा था, वहीं गुलाबी लहंगे में अनामिका किसी राजकुमारी की तरह सजी हुई उसकी प्रतीक्षा कर रही थी। दूसरी ओर कोमल सुर्ख लाल लहंगे में अपने चेहरे की लालिमा के साथ अमर की प्रतीक्षा में अधीर हो रही थी जो गहरे मरून शेरवानी में किसी राजा की तरह लग रहा था। दोनो जोड़ों की शादी खूब धूम धाम से हुई और सब कार्यक्रम हंसी खुशी अच्छे से समाप्त हुए।

कुछ साल बाद.....

"गोपाल, जल्दी से गायत्री को ले कर आ जाओ, पूर्वी राखी बांधने के लिए तैयार है।" ये आवाज अनामिका की थी जो आनंद को राखी बांध कर उठी थी, और उनकी जगह कोमल पृथ्वी और आकाश को राखी बांध रही थी।

तभी एक लड़की की आवाज आती है, "मम्मा, देखो ये पूर्वी ने भाई को पहले ही राखी बांध दी।"

अनामिका: तो क्या हो गया गायत्री, वो कभी कभी ही तो अपने भाई से मिलती है, आप दोनो तो हमेशा से साथ रहते है, चलिए अब आप गोपाल को राखी बांधिए।

दोनो बच्चे, गोपाल और गायत्री जो की जुड़वा थे, वो राखी बंधवाने बैठ जाते हैं, और पूर्वी, कोमल और आनंद की बेटी, उसको मिठाई खिलाती है।


किशन जी और रमाकांत जी साथ बैठे हुए चाय पीते हुए सबको हंसते खेलते देख खुश हो रहे थे.....
Nice end Bhai
 

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#21 the Marriages......

तभी एक स्पॉट लाइट अनामिका और चंदन पर पड़ने लगी, और एक रोमांटिक गाना "दो दिल मिल रहें हैं, मगर चुपके चुपके" बजने लगा। चंदन के मुख पर एक मुस्कान आ जाती है, और अनामिका की नजरें नीची हो जाती हैं। और दोनो एक दूसरे के नजदीक आते हैं, और दोनो स्पॉटलाइट एक हो जाती है।

तभी एक लड़की की आवाज गूंजती है, "हेलो जानू।"

लड़का: हेलो मेरी जानेमन, कैसी है तू? मैं तो तेरे लिए तड़प रहा हूं।

इसी के साथ एक और स्पॉटलाइट सोनाली पर पड़ती है, और प्रोजेक्टर ऑन हो जाता है जिसमे चंदन और सोनाली की अंतरंग तस्वीरें होती हैं।

लड़की: अरे जानू अनामिका से पीछा छुड़ाने की कोई तरकीब निकाली क्या?

लड़का: एक बात पता चली है, बुढ़ाऊ उसको और आनंद को अपने पोता पोती ही मानता है, और अपनी प्रॉपर्टी का एक हिस्सा अनामिका के नाम है, और तो और अभी एक 5 करोड़ का इंश्योरेंस भी करवाया गया है उसका। तो अब तो शादी करनी ही पड़ेगी। इंश्योरेंस और प्रॉपर्टी मिला कर इतना ही जायेगा जो हम जिंदगी भर नही कमा सकते।

लड़की: पर करोगे क्या शादी के बाद?

लड़का: करना क्या है, वो घाटी वाला मोड़ है, सब वही करेगा, जो इतने लोग का कल्याण कर चुका है, हम दोनो का भी कर देगा।

लड़की: मतलब?

लड़का: अरे बस एक एक्सीडेंट ही तो दिखाना पड़ेगा बस.....

और पृथ्वी की आवाज आती है, "तो दोस्तों ये है इस चंदन और उसकी सो कॉल्ड बहन की असलियत...

और हॉल में लाइट जल जाती है। और पृथ्वी स्टेज पर आते हुए अनामिका का हाथ पकड़ कर उसे नीचे उतार देता है, जो रमाकांत जी के पास चली जाती है।

आनंद: ये क्या है पृथ्वी?

पृथ्वी: वही जो आप देख रहे हैं भैया।

चंदन, चिल्लाते हुए: ये सब झूठ है भाईसाब, ये आदमी हम भाई बहन को बदनाम करना चाहता है, मैने आपको कहा था ना। ये सब बनाया हुआ है।

सोनाली, गुस्से से: ये क्या है चंदन? क्या इसीलिए तुमने मुझे बुलाया है इतनी दूर?

आनंद: पृथ्वी चलो अब नीचे आओ, हम सब अब तुम्हारी किसी चाल में नही आने वाले।

पृथ्वी: दादाजी, प्लीज भैया के जरा शांत रहने को बोलिए।

रमाकांत जी आनंद को इशारा करते हैं, और वो चुप हो जाता है।

पृथ्वी: हां तो सोनाली जी क्या कह रहीं थी आप? आप दोनो को बदनाम करने बुलाया है? आप जैसों को क्या बदनाम करना सोनाली जी, या सोनागाछी की शन्नो बाई, क्या कह कर पुकारा जाय आपको?

ये सुनते ही सोनाली अपना चहरा नीचे कर लेती है।

पृथ्वी: और डॉक्टर चंदन मित्रा, आपने कहां से अपनी मेडिकल डिग्री ली थी, वो भी मात्र 3 साल पढ़ कर?

चंदन: झूठ है ये सब!

पृथ्वी: अच्छा एक और सुनो फिर।

और इसके बाद सोनाली और चंदन का एक दिन पहले की बातचीत चलने जिसमे वो सोनाली को 2 साल इंतजार करने की बात कहता है। जिसे सुन कर आनंद गुस्से से चंदन का गिरेबान पकड़ लेता है, तभी पृथ्वी बीच के आते हुए दोनो को अलग करता है और आनंद से कहता है, "भैया जाने दीजिए, इसका हिसाब पुलिस कर लेगी। इंस्पेक्टर साहब..."

तभी हाल में पुलिस इंस्पेक्टर आ कर चंदन को अरेस्ट कर लेता है, और पृथ्वी कहता है, "ये अपने मेडिकल कॉलेज में कई तरह के गैरकानूनी काम करता था, और अपने कई प्रोफेसर को सोनाली के साथ मिल कर फसा कर ब्लैकमेल करता था। इसीलिए बंगाल पुलिस इसको ढूंढ रही थी।"

पुलिस दोनो को ले कर चल जाती है।

आनंद आंखो में आंसू भर कर: पता नही मेरी इस बहन अनामिका की क्या किस्मत है, बेचारी आज फिर दुल्हन की तरह सज कर अकेली रह गई।

रमाकांत जी: आनंद, अनामिका आज चंदन के लिए नही, बल्कि पृथ्वी के लिए दुल्हन के लिबास में है।

आनंद आश्चर्य से रमाकांत जी और अनामिका को देखता है।

रमाकांत जी: हां आनंद, इनकी सच्चाई हम दोनो को पहले से ही पता थी, बल्कि पृथ्वी ने तो उस दिन तुम्हे भी बताना चाहा था, पर तुमने उसकी एक नही सुनी। हालांकि उसमे गलती तुम्हारी भी नही ही थी, हालत ही कुछ ऐसे हो गए थे। और एक बात, सिर्फ पृथ्वी ही नही, अनामिका भी पृथ्वी को ही चाहती है, वो भी पहले दिन से जब दोनो की शादी के कारण दोनो मिले थे। बस पृथ्वी को ही यहां आ कर पता चला की उसको भी अनामिका ही पसंद है। लेकिन दोनो तुम्हारी मंजूरी के बिना एक कदम भी नही बढ़ाएंगे।

आनंद: तो ये सब आप लोगो ने प्लान किया था?

पृथ्वी: बस मैंने किया था भैया, इन सब ने बस साथ दिया। और एक बात कहूं तो कुछ साथ आपने भी से दिया।

आनंद: कैसे?

पृथ्वी कोमल की ओर देखते हुए: कोमल को भेज कर, वो न उस दिन पार्टी में जाता, ना हम उसका घर बग कर पाते, और न ही उसकी और सोनाली की फोटो मिल पाती हमको। बस ऑडियो प्रूफ पर तो कुछ साबित नही होता ना।

तभी किशन जी आ कर आनंद का हाथ पकड़ कर कहते हैं, "आनंद बेटा, तुमने बहुत कुछ खोया है इस सब में, खास कर मेरे इस लड़के की गलती के कारण। इसीलिए अगर जो तुम्हारी मर्जी
होगी बस वही होगा।

अनामिका: हां भैया बिना आपकी इजाजत के हम किसी से भी शादी नही कर सकते।

आनंद: अनु तुम्हे पता है ना इसने क्या किया है आपने साथ?

अनामिका: सब पता है भैया, पर पृथ्वी अपनी उस हरकत के लिए शर्मिंदा भी है और कई बार माफी भी मांग चुका है।

आनंद: फिर भी मैं मंजूर नहीं करूंगा।

रमाकांत जी: बेटा, जो हो गया उसको बदला नही जा सकता, लेकिन जरा ये तो सोचो कि ये दोनो एक दूसरे को प्यार करते हैं। और तुमसे बेहतर कौन जान सकता है कि अपने प्यार से दूर होना कैसा होता है, प्लीज, समझने की कोशिश करो एक बार।

आनंद: नही, मुझे मंजूर नही

और ये बोल कर आनंद बाहर चला जाता है।

किशन जी: रमाकांत भाईसाब, जाने दीजिए, इसी बच्चे का सुख सबसे बड़ा है, और जब तक ये नही समझेगा तब तक इस बात को जाने ही दीजिए।

और वो पृथ्वी, आकाश और निधि के साथ अपने कमरों में चले जाते हैं। अनामिका भी बुझे मन से वहां से निकल जाती है।

सुबह के 6 बजे, असमान में बस हल्का सा उजाला ही हुआ था, मोड़ के उसी पत्थर पर पृथ्वी और अनामिका उदास मन से बैठा कुछ सोच रहे होते है।

पृथ्वी: अनु....

अनामिका,उसकी आंखों में देखते हुए हुए: क्यों उदास बैठे हो?

पृथ्वी: क्या करूं फिर? भैया तो नही ही मानने वाले हैं।

तभी पीछे आ आवाज आती है: किसने कहा नही मानूंगा मैं?

दोनो चौंकते हुए पीछे मुड़ते हैं जहां आनंद के साथ सभी लोग खड़े थे।

आनंद: अरे भाई किसने कहा की मैं नही मानूंगा? सच कहूं तो मैं इसलिए नाराज था कि मेरी इस गुड़िया ने मुझे ये बात नही बताई, इसकी खुशी से ज्यादा मुझे कुछ नही चाहिए। वैसे सब खेल रहे तो मैंने भी थोड़ा खेल लिया। मुझे पता था की तुम दोनो यहां पर जरूर आओगे, तभी मैं सबको ले आया यहां। और सच कहूं तो इस मोड़ से अच्छी कोई जगह हो ही नहीं सकती तुम दोनो की जिंदगी को नया मोड़ देने के लिए।

निधि आगे बढ़ कर अनामिका का हाथ पकड़ कर आनंद के पास ले जाती है, और, "आनंद अब आप अपनी बहन को कुछ दिन सम्हाल कर रखिए, शादी की सबसे पहले मूहर्त में हम सब उसको मेरे देवर के लिए लेने आयेंगे।

रमाकांत जी: बिलकुल निधि बेटे, हम भी आपका स्वागत करने को तैयार हैं। किशन भाईसाब, अब पृथ्वी को दूल्हे की तरह ले कर जल्दी से आइए आप सब।

किशन जी: बिलकुल भाईसाब, अब हम इजाजत दीजिए।

तभी अनामिका की नजर आनंद पर जाती है जो एक साइड में खड़ी लड़की को देख रहा होता है, अनामिका आगे बढ़ कर उस लड़की को सबके सामने ला कर खड़ी कर देती है।

अनामिका: भैया, अब आप भी शादी कर लीजिए, भाभी तो ढूंढ ही ली है आपने।

वो लड़की: ये अभी भी अपनी जिंदगी में आगे नहीं बढ़ पाय हैं। मैं बस इनकी दोस्त भर ही हूं।

किशन जी: आनंद बेटे, जो लड़की airf आप की खातिर अपनी इज्जत भी दांव पर लगा रही हो, उससे अच्छा जीवन साथी आपको नही मिल सकता।

रमाकांत जी: बिलकुल बेटे, और अब पूर्वी वापस तो नही ही आने वाली, कम से कम आप अपनी जी जिंदगी तो जीना सीखिए, और कोमल से अच्छी और कोई नही मिलने वाली आपको, मुझे कोमल भी पूर्वी जैसी ही लगती है।

आनंद भी कोमल को देख कर मुस्कुरा देता है। अनामिका दोनो का हाथ एक दूसरे को पकड़ा देती है।

किशन जी: भाईसाब, कोमल मेरी पोती जैसी ही है, ये मेरे बेटे के दोस्त मैडम खुराना की बेटी है, उनकी मृत्यु इसके बचपन में ही हो गई थी, इसीलिए मैं चाहता हूं कि इसकी डोली मेरे घर से उठे, आपको कोई आपत्ती न हो तो।

रमाकांत जी: वो भला मुझे क्यों होगी।

किशन जी: तो कोमल बेटा आप हमारे साथ चलिए, सबकी शादी एक साथ ही करवा देते हैं हम लोग।

ये सुन कर सब लोग सहमति देते हैं और किशन जी अपने परिवार के साथ अपने शहर को निकल गए। एक महीने बाद सबकी शादी का मूहर्त निकला और शादी की तयारियां दोनो तरफ जोर शोर से होने लगीं।

शादी वाले दिन एक ही मैरिज हॉल में 2 बारात एक सात पहुंचती हैं, एक में पृथ्वी गुलाबी और हल्के स्लेटी रंग की शेरवानी में किसी राजकुमार की तरह लग रहा था, वहीं गुलाबी लहंगे में अनामिका किसी राजकुमारी की तरह सजी हुई उसकी प्रतीक्षा कर रही थी। दूसरी ओर कोमल सुर्ख लाल लहंगे में अपने चेहरे की लालिमा के साथ अमर की प्रतीक्षा में अधीर हो रही थी जो गहरे मरून शेरवानी में किसी राजा की तरह लग रहा था। दोनो जोड़ों की शादी खूब धूम धाम से हुई और सब कार्यक्रम हंसी खुशी अच्छे से समाप्त हुए।

कुछ साल बाद.....

"गोपाल, जल्दी से गायत्री को ले कर आ जाओ, पूर्वी राखी बांधने के लिए तैयार है।" ये आवाज अनामिका की थी जो आनंद को राखी बांध कर उठी थी, और उनकी जगह कोमल पृथ्वी और आकाश को राखी बांध रही थी।

तभी एक लड़की की आवाज आती है, "मम्मा, देखो ये पूर्वी ने भाई को पहले ही राखी बांध दी।"

अनामिका: तो क्या हो गया गायत्री, वो कभी कभी ही तो अपने भाई से मिलती है, आप दोनो तो हमेशा से साथ रहते है, चलिए अब आप गोपाल को राखी बांधिए।

दोनो बच्चे, गोपाल और गायत्री जो की जुड़वा थे, वो राखी बंधवाने बैठ जाते हैं, और पूर्वी, कोमल और आनंद की बेटी, उसको मिठाई खिलाती है।


किशन जी और रमाकांत जी साथ बैठे हुए चाय पीते हुए सबको हंसते खेलते देख खुश हो रहे थे.....
very nice update
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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To story ka the end hogya ya abhi age ar bhi kuch h?
नही भाई आगे अब कुछ नही जब तक बच्चे बड़े ना हो जाएं
 
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