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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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पहला प्यार - विवाह - Update #4


सुबह जब उठा, तो देखा कि कोई छः बजा हुआ था। बाहर अभी भी धुँधलका था, लेकिन उतनी ठण्ड नहीं लग रही थी। चाची और दोनों भाभियाँ उठ गई थीं और आज के दिन की तैयारी में लग गई थीं। जल्दी तो थी, लेकिन जल्दी होती भी क्यों न? आज तो यहाँ मेरे हल्दी और उबटन की रस्में होनी थीं। उसके लिए कई सारे लोग घर आते। आज से लेकर हमारे विवाह तक, रोज़ ही पकवान खाने को मिलने वाले थे, और हमारी खूब आवभगत होने वाली थी। मैं उठा, अपने कपड़े पहने, और जब तक ब्रश कर के तैयार हुआ, तो पाया कि छोटी भाभी नहा धो कर तैयार हो चुकी थीं!

“अरे भैया,” छोटी भाभी ने कहा, “आप उठ गए!”

“जी भाभी! लेकिन आप तो नहा भी लीं, और वो भी इतनी ठंडक में!”

“आज तो कम ठंडक है! और हम बहुएँ बिना नहाए रसोई में नहीं जा सकती हैं न, इसलिए!” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “आप बैठिए, हम जल्दी से आपके नाश्ते के लिए कुछ बना देती हैं!”

“भाभी आप परेशान न होईए! अपने समय से बनाइए - आराम से। वैसे भी अभी भूख नहीं लगी है। अभी तो उठा हूँ! इतने सवेरे सवेरे क्या भूख!” मैंने कहा।

“पक्की बात? हमको कोई परेशानी नहीं है!”

“नहीं भाभी, साथ में बैठिए न! मैं कुछ देर रुक सकता हूँ!”

तभी उनके बेटे के रोने की आवाज़ आने लगी, और वो अपने कमरे में जाने लगीं,

“आप यहाँ अकेले बैठे बैठे क्या करेंगे भैया! अंदर ही आ जाइए। आपके भैया तो सवेरे ही खेत पर चले गए हैं। और घर पर तो अभी हम ही हैं, और बच्चे हैं! और दीदी आ जाएँगी आधे घंटे में!”

मैं भी उनके पीछे ही, कमरे में जाने लगा।

“चाची जी कहाँ हैं?”

“अम्मा जी नहा रही हैं! फिर उसके बाद उनकी पूजा पाठ शुरू होगी। आज उनके ही डायरेक्शन में पूरी रसोई बनेगी!” वो हँसते हुए बोलीं, और फिर, “अच्छा, एक बात बताइए, कल रात आपका पेट भरा या नहीं?”

“क्या भाभी!”

“क्या भाभी क्या? इसमें शर्माना कैसा? आपके भैया भी तो पीते हैं अम्मा जी का दूध! और हम भी!” उन्होंने अपने बेटे को गोद में उठाया और दुलारते हुए कहा।

“क्या भाभी, सच में?”

“और क्या? हमको ये बात कहने में कोई शर्म नहीं है। माँ हैं वो हमारी।” उन्होंने बड़े गर्व से कहा।

तो मतलब सास बहू का स्नेह एक तरफ़ा नहीं था। सही भी है - अगर चाची जी अपनी बहू को स्तनपान करा रही थीं, तो इसका सीधा मतलब ये है कि दोनों में ममता वाला प्रेम तो होगा ही!

फिर अपने बच्चे को मेरी तरफ बढ़ाते हुए वो बोलीं,

“भैया, आप इसको एक मिनट पकड़ लीजिए?”

मैंने बच्चे को अपनी गोद में ले लिया और उसको चुप कराने के लिए इधर उधर झुलाने लगा।

“ऐसे नहीं मानेगा वो!” वो हँसने लगीं, “इसको भूख लगी है।” अपनी कार्डिगन के बटन खोलते हुए वो बोलीं, “सभी बच्चे भूखे ही उठते हैं, चाहे जितना भी दूध पिला कर सुलाओ इनको!”

उन्होंने शलवार कुर्ता पहना हुआ था - गाँव में बहुएँ ज्यादातर साड़ी ब्लाउज़ ही पहनती थीं! लेकिन जैसा कि चाची ने बताया था, कि छोटी बहू चंचल है - गंभीर नहीं, इसलिए वो इस तरह के नियम अक्सर तोड़ती रहती थीं। उन्होंने मेरे सामने ही अपने कुर्ते के निचले सिरे को ऊपर की तरफ़ सरकाया।

“भाभी, मैं बाहर जाता हूँ! आप बच्चे को दूध पिला दीजिए!” मैंने थोड़ा सकुचाते हुए कहा।

“कहीं जाने की ज़रुरत नहीं है,” उन्होंने कहा और अपने कुर्ते को ऊपर सरकाना जारी रखा! तब तक उनका सीना अनावृत हो गया था, और मेरी दृष्टि उनके स्तनों पर पड़ी, भाभी के स्तन छोटे तो थे, लेकिन बहुत छोटे नहीं। खैर, चाची जी के मुकाबले तो बहुत छोटे थे।

“हम भाभी हैं आपकी! भाभी अपने देवर की माँ भी होती है और सखी सहेली भी।” उन्होंने कहना जारी रखा।

“वो तो ठीक है, लेकिन ऐसे तो आपको ठण्डक लग जाएगी!”

“बड़ी चिंता है अपनी भाभी की?” उन्होंने हँसते हुए कहा, “अच्छा, वो शॉल ओढ़ा दीजिए हमको!”

मैंने बगल रखे शॉल से भाभी के शरीर को ठीक से ढँक दिया, जिससे उनको ठण्ड न लगे। ऐसा करते समय मैंने ध्यान रखा कि उनके उघड़े हुए किसी भी अंग को मैं न छूऊँ! वो मेरी सज्जनता पर मुस्कुराईं,

“आप तो पूरे जेंटलमैन हैं, भैया! हमने आपको इतना चांस दिया, फिर भी आपने हमको छुआ तक नहीं?”

“भाभी तो अपने देवर की माँ होती है, न भाभी?”

“और सहेली भी, भैया!” उन्होंने हँसते हुए कहा, “सहेली भी! आज के समारोह में मैं भी रहूँगी। भाभियाँ ही तो लगाती हैं हल्दी उबटन अपने देवर को!”

मैंने कुछ कहा नहीं। वो बच्चे को दूध पिलाने लगीं, और मुझसे इधर उधर की बातें करने लगीं। मैंने उत्सुकतावश उनसे पूछ लिया,

“भाभी, बड़ी भाभी तो आपसे बहुत छोटी होंगी न? तो फिर आप उनको दीदी क्यों कहती हैं?”

“अरे वो जेठानी हैं हमारी। उम्र में कम हुई तो क्या? जब रिश्ते बनाते हैं, तो निभाने भी तो चाहिए! है न?”

कितनी गूढ़, लेकिन समझदारी वाली बात कही थी भाभी ने! एक सुशिक्षित नारी से ऐसी ही समझदारी की उम्मीद रहती है।

“और फिर आपके भैया भी तो मुझसे छोटे हैं। लेकिन वो पति हैं हमारे। हमारे सब कुछ!” वो मुस्कुराते, सकुचाते बोलीं।

“आप बहुत अच्छी हैं भाभी!”

“अच्छा जी, भाभी को मस्का लगाया जा रहा है?”

“नहीं भाभी, मैं सीरियस हूँ!”

वो मुस्कुराईं, “हम औरतों के तो संस्कार ही यही सब होते हैं! अपने पति के लिए अपना पूर्ण समर्पण कर देते हैं! एक नया संसार ऐसे ही तो बसता है!” उन्होंने कहा, “और देखिए न, आपकी पत्नी, वहाँ, ब्राज़ील से यहाँ चली आईं, अपना सब कुछ पीछे छोड़ कर! अब यहाँ, आपके साथ, उनका - आप दोनों का - एक नया संसार बनेगा न!”

बात कितनी सरल सी थी, लेकिन कितनी सच्ची! ऐसे ही बात चीत में बच्चे का पेट भर गया, और वो सो गया। कुछ ही देर में बड़ी भाभी और चाची जी भी वापस आ गईं।

**

हल्दी की सब रस्में महिलाएँ ही करने वाली थीं। ऐसा नहीं है कि पुरुष वहाँ नहीं आ सकते, लेकिन इतनी स्त्रियों के बीच कोई पुरुष आना नहीं चाहता था। मैं भी नहीं! इतनी महिलाओं के बीच में मैं अकेला - थोड़ा अजीबा सा था! शुरू में सब कुछ शालीनता से शुरू हुआ - न जाने क्या संकेतात्मक रस्में हुईं। फिर मेरे शरीर पर सरसों का तेल लगाना शुरू हुआ। जैसा कि आज कल फ़ोटो शूट्स में हल्दी की रस्में दिखाते हैं, वैसा उस समय नहीं होता था। आज कल तो दूल्हा सारे कपड़े पहन कर बैठता है, कि फ़ोटो अच्छी निकलें! वहाँ गाँव में, खास कर उन दिनों, फ़ोटो की किसी को परवाह नहीं होती थी। लेकिन रस्मों को तबियत से निभाया जाता था। जब आँगन में धूप आने लगी, तो मुझे केवल चड्ढी में ही पीढ़े पर बैठाया गया। माँ, चाची और दोनों भाभियों ने मिल कर मेरे पूरे शरीर पर तेल लगाया। फिर माँ और चाची जी वहाँ से चली गईं। भाभियों के बीच, सास का क्या काम? उनके बाद गाँव की हर महिला, जो रिश्ते में मेरी भाभी लगती थीं (मतलब गाँव की कम से कम एक चौथाई महिलाएँ) ने मुझे तेल लगाया। बहनें (ख़ास कर, छोटी बहनें) और माताएँ यह काम नहीं करतीं!

तेल इतना शुद्ध था कि उसकी भभक से आँखों में आँसू आने लगे। उन सबकी छुवन से मेरा लिंग अभी से ही एक प्रभावशाली आकार में स्तंभित होने लगा था! कपड़े तो नहीं उतरे, लेकिन मेरे लिंग का स्तम्भन किसी से छुप भी नहीं सका। छोटा अंग होता, तो न जाने कैसा व्यवहार होता मेरे साथ - लेकिन एक पुष्ट अंग होने के कारण उनका सारा हंसी मज़ाक आदर और ईर्ष्या वाला हो गया। हंसी मज़ाक करते हुए, सोहर (शादी ब्याह के दौरान गया जाने वाला मंगल गीत) गाते हुए, सभी भाभियों ने मेरे पूरे शरीर पर तेल लगाया, और फिर हल्दी का उबटन!

आँगन में एक कोने पर सुलगते कण्डे पर घी में डूबी हुई चंदन की छीलन सुलग रही थी, और उसकी सुगंध पूरे वातावरण में फ़ैली हुई थी। छोटे से आँगन में इतने सारे लोग थे कि वहाँ गर्मी सी होने लगी थी। जब सारी रस्में ख़तम हुईं, तो ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे साथ हल्दी की होली खेली गई हो! मैंने देखा कि सुनील को भी वहाँ ले आया गया था। कुछ ही देर में उस बेचारे की भी हालत मेरे ही जैसी हो गई। हल्दी उबटन के बाद हम दोनों को नहलाया गया, और तब कहीं जा कर हम उस जंजाल से छूटे! स्नान के लगभग तुरंत बाद ही घर खाली हो गया, और केवल ‘काम करने वाली’ महिलाएँ ही वहाँ रह गईं - मतलब, चाची जी, और दोनों भाभियाँ।

अच्छी बात यह है कि हमारी आवभगत में कोई कमी नहीं रही। स्वादिष्ट भोजन खाने को मिला, सो अलग।

**

उसके बाद, बस यूँ ही कई छोटी मोटी रस्में और पूजाएँ करने के लिए मुझे बुलाया जाता रहा। मैंने इस पूरे समय में, विवशतापूर्वक ही सही, लेकिन, खुद को अन्य महिलाओं से दूर रखा - या तो मैं अपने कमरे में रहा, या फिर गाँव के लोगों के उदार आतिथेय का आनंद लेता रहा। हाँ, छोटी भाभी सदैव मेरे साथ लगी रहतीं, और मेरे आराम का ध्यान रखतीं। माँ तो जैसे गायब ही हो गईं थीं। लेकिन मेरी नई माँ - मेरी चाची जी ने मेरे सुख सुविधा में कोई कमी नहीं आने दी। सच में, मैं उनका प्रेम पा कर कृतार्थ हुआ! डैड भी काम में और लोक-रीत में काफ़ी व्यस्त थे, इसलिए मुझे खुद ही अपनी देखभाल करनी थी।

मेरे दो दोस्त विवाह में आने वाले थे, लेकिन वो भी शादी से ठीक पहली वाली शाम आते। इसलिए पूरे समय लगभग अकेला ही रहा। एक सुनील ही था, जो मेरे साथ में था। जाहिर सी बात है, मेरा सहबाला बनने के लिए वो ही सबसे उचित था। सहबाला एक छोटा बालक होता है, जो विवाह के समय दूल्हे के साथ चलता है। कहते हैं कि सहबाला दूल्हे को लोगों की बुरी नजरों से बचाता है, और साथ ही साथ उसका प्रमुख सहयोगी भी होता है। क्या सहयोग करता है, वो नहीं मालूम! सहबाला को विवाह के दौरान काफ़ी सारे उपहार मिलते हैं, तो मुझे लगा कि सुनील ही उन सभी उपहारों को पाने लायक है। सुनील के लिए मैंने भी अपने ही जैसा कपड़ा सिलवाया था शादी के दौरान पहनने को। आखिर दूल्हा और सहबाला एक जैसे ही तो लगने चाहिए न! वैसे बीच बीच में माँ और काजल आ कर मेरा हाल देख जाते और खाना पीना पूछ जाते।

उत्तर भारत में सर्दी का मौसम बहुत ही शानदार होता है। मौसम तो बढ़िया होता ही है, लेकिन इस मौसम में खाना भी स्वास्थ्य को लगता है। यही कारण है कि उत्तर भारत में इतने सारे लोग कहते हैं कि ‘भई सर्दियां तो सेहत बनाने का समय है’। इतनी सारी अद्भुत सब्जियां - हरी मटर, गोभी, पात गोभी, बैंगन, नए आलू, गंजी, गाजर, सरसों - और ऐसे ही अनेक सब्ज़ियां - इन महीनों के दौरान आती हैं। मैंने भी अपने गाँव की सरल लेकिन जीवंत अनुभव का भरपूर आनंद लिया… आलू का भरता, बैंगन का भरता, चूनी की रोटी, सरसों का साग, निमोना, कचौरी, जलेबी, बूंदी के लड्डू, आदि जो भी मुझे दिए गए थे, सब का भरपूर आनंद लिया। सवेरे दौड़ने जाता, और वापस आते समय कोई न कोई साथ बैठा लेता कुछ न कुछ खिलाने! जब मैं गाँव के संकरे रास्तों पर चलता था तो लोग मिलते, मेरा अभिवादन करते, और मुझसे बातचीत करते। मुझे वहां अच्छा लगने लगा, और मैंने सोचा कि मैं और गैबी शादी के बाद, कम से कम कुछ दिनों के लिए यहीं रह सकते हैं। लेकिन इस बात पर विचारविमर्श करने के लिए गैबी से मिलना होना चाहिए था - जो मैं नहीं कर पाया।

आखिरकार हमारी शादी का दिन आ ही गया। वह एक सर्द सुबह थी। मंदिर हमारे घर से करीब आधा किलोमीटर दूर था। मैं अपने क़सीदे की कढ़ाई वाले कुर्ते में अच्छा दिखना चाहता था, इसलिए ठंड से खुद को बचाने के लिए मैंने उसके नीचे थर्मल कपड़े पहने हुए थे। बाहर ठण्डक तो थी, लेकिन मैं आराम से था। घर से मंदिर पैदल ही जाना था - एक तरीके से अच्छा था क्योंकि थोड़ी सी गर्मी हो जाती शरीर में। साथ ही साथ, रास्ते में थोड़ी बहुत रस्में भी निभाई जा रही थीं। मैं मौसम को लेकर कुल मिलाकर सहज था, लेकिन फिर भी, मुझे थोड़ी ठंड तो लग रही थी। गैबी मुझसे पहले से ही मंदिर में मौजूद थी, क्योंकि उसको मुझसे पहले कुछ पूजाएं करनी थीं। मुझे भी उतनी ही पूजाएं करनी थीं, लेकिन उसके बाद। मुझे तो लगता है कि शायद पूरा गाँव ही उस समय मंदिर पर उपस्थित था। सभी को ‘गोरी’ दुल्हन जो देखनी थी!

मेरे कुछ करीबी दोस्त इस शादी में शामिल होने आ गए थे, और वे मेरे साथ मंदिर गए। सभी गैबी से परिचित थे, और इस अनोखे परिवेश में शादी देखना चाहते थे। उनके लिए एक excursion (भ्रमण) जैसा हो गया यह सब, इसलिए वो हमसे अधिक आनंद उठा पा रहे थे। जीवन की ऐसी महत्वपूर्ण घटनाएँ बड़ी खुशी का अवसर बन जाती हैं, जब आपके पास उनको शेयर करने के लिए, आपसे प्यार करने वाले लोग होते हैं! मैं तो बड़ा आनंद ले रहा था। मेरे आने पर पुजारी जी ने आरती, और कुछ पूजा की और फिर अंत में मुझे गैबी के बगल में बैठने को कहा। और तब, दो दिनों के बाद, पहली बार देखा, मैंने गैबी को देखा!
 

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पहला प्यार - विवाह - Update #5


गैबी के गोरे शरीर को मेंहदी की कलाकारी से अच्छी तरह सजाया गया था - उसकी दोनों बाहें, पूरी गहरे, लाल-भूरे रंग में मेंहदी की सुन्दर डिज़ाइन से ढकी हुई थी। उसकी सफ़ेद त्वचा पर मेंहदी का लाल-नारंगी रंग चीख चीख कर दिख रहा था! मुझे यकीन है कि उनके पैरों, पाँवों और टखनों पर भी इसी तरह की मेंहदी से सजावट की गई थी। गैबी की कलाईयों में गहरे लाल (लगभग मैरून) और सुनहरे रंग की चूड़ियाँ सुशोभित हो रही थीं और साथ ही साथ चूड़ियों के दोनों छोरों पर सोने के दो - दो कंगन! उसके गले में भारतीय स्टाइल का सोने का हार, और एक पतली सी चेन में सोने का छोटा सा क्रॉस; कानों में सोने के झुमके, और उसकी अनामिका उंगली में मेरी पहनाई हुई, सगाई वाली की अंगूठी थी। उसके गहरे लाल बालों का जूड़ा बना हुआ था, जिसमे मोगरा फूलों का गजरा बाँधा गया था। बाल सामने, बीच में से विभाजित थे, जिसमे सोने की छोटी सी बेंदी सजाई गई थी। कुछ देर में उसमें सिन्दूर रचने वाला था। उसके माथे पर गहरे लाल सुनहरे रंग की बिंदी लगी हुई थी। उसकी आँखों में काजल लगा हुआ था, जिससे उसकी आँखें और सुन्दर लग रही थीं। जल्दी ही मैं उसको गले में मंगलसूत्र भी पहनाने वाला था। उसकी कमर में एक पतली सी सोने की चेन बंधी हुई थी; यह चेन गैबी अपने साथ ब्राजील से लाई थी। वो चेन उसकी कमर पर थोड़ा ऊपर - उसकी नाभि से बस कोई एक सेंटीमीटर नीचे सुशोभित हो रही थी। उसने वही रस्टी लाल रंग का साड़ी-ब्लाउज सेट पहना हुआ था, जो हमने विवाह के समय के लिए खरीदा था। उसकी ब्लाउज बिलकुल चुस्त थी - उसने गैबी के स्तनों को हल्का सा दबाते हुए एक बेहद सेक्सी सा क्लीवेज (वक्ष-विदरण) बना दिया था। साड़ी उसके पेट के नीचे बंधी हुई थी, जिसने कारण पेट पर गहरी नाभि बड़ी सेक्सी लग रही थी। गैबी भले ही दुबली-पतली लड़की थी, लेकिन उसका शरीर एक रेतघड़ी के जैसे घुमाव-दार था, और शादी के जोड़े और शादी की सजावट ने उसकी सुंदरता को कई गुना बढ़ा दिया था।

ठंडक तो थी ही, लिहाज़ा उसने खुद को पश्मीना शॉल से ओढ़ रखा था - यह पश्मीना शाल एक गांव के एक बुजुर्ग ने उपहार स्वरुप दिया था। यह एक ग्रामवासी द्वारा दिया जाने वाला एक महंगा उपहार था, और यह इस बात को दिखाता है कि गाँव के लोग हमें कितना प्यार करते हैं! कुल मिलाकर, गैबी बड़ी विलासमय, और शानदार लग रही थी... जैसे वो कहीं की रानी हो! ठीक है - मेरे दिल की रानी तो वो है ही, लेकिन उसकी सजावट वैसी ही थी कि जैसे वो किसी राज्य या रियासत की रानी हो! उसकी तुलना में मेरी वेश-भूषा तो बिलकुल फ़ीकी थी। मैंने अपना कसीदा गढ़ा हुआ, कच्चे रेशम का कुर्ता पहना हुआ था, उसके ऊपर एक लाल रंग का दुपट्टा, और क्रीम रंग का चूड़ीदार पायजामा के साथ। मेरे सर पर डैड ने मलमल की पगड़ी बाँध दी थी - वो कोई बड़ी बात नहीं थी, लेकिन पूरी पोशाक में बढ़िया गेटअप बन रहा था। लेकिन फिर भी गैबी की शोभा के सामने सब फ़ीका! लेकिन फिर, यह दिन भी तो गैबी का ही था! हर कोई दुल्हन को ही देखने में दिलचस्पी ले रहा था, और गाँव का हर व्यक्ति बस गैबी की ही झलक पाने के लिए इकट्ठा हुआ था!

मंदिर के अंदर, बाहर की अपेक्षा काफी आरामदायक था - प्रांगण के बीच में एक हवन-कुंड था, जिसकी अग्नि से बड़ा आराम मिल रहा था। मैं विस्तार से नहीं जानता कि हमने कौन-सी पूजा-अर्चना की और कौन-से मंत्र गाए। यह भारतीय शादियों के बारे में एक बड़ी दिलचस्प बात है - दूल्हा और दुल्हन को बिल्कुल भी पता नहीं होता कि वे क्या कर रहे हैं! लेकिन सभी मन्त्रों, सभी रस्मों का सार बस इतना ही है कि दूल्हा और दुल्हन भगवान के सामने प्रतिज्ञा करते हैं कि वे एक-दूसरे का सम्मान करेंगे, एक-दूसरे से प्यार करेंगे, और वे जीवन भर, हर समय, एक-दूसरे का समर्थन करेंगे। पति शपथ लेता है कि वह पत्नी और परिवार की रक्षा करेगा और उनका भरण-पोषण करेगा। पत्नी शपथ लेती है कि वह अपने पति की बात मानेगी और हमेशा उसके प्रति वफादार रहेगी। वह घर भर के लिए अच्छी पोषणकर्ता होने का भी वादा करती है। अब अगर देखें, तो एक अच्छे, स्वस्थ परिवार को चलाने के लिए ऐसी भी प्रतिज्ञा होनी चाहिए! शादी की एक प्रक्रिया के दौरान, मैंने गैबी की मांग में नारंगी रंग का सिंदूर लगाया, उसके गले में मंगलसूत्र बांधा, और उसके पैर की उंगलियों में बिछिया पहनाई... और फिर कुछ और मंत्रों के बाद, हमारी शादी हो गई! हमने आखिरकार सभी भावनात्मक उतार-चढ़ावों को पार कर लिया था और अब हम एक थे। इस जीवन में, और आने वाले सभी जीवन के लिए!

कोमो वूस से सेंते, म्यु बेम (तुमको कैसा लग रहा है, मेरी जान)?” मैंने पुर्तगाली भाषा में पूछा।

“... अपैक्सोनार (हिंदी में अनुवाद करना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन इंग्लिश में ‘much loved’ इसके अर्थ के काफ़ी करीब है) ... इंटीरो (‘I am whole/complete’)!” गैबी मुस्कुराते हुए बोली, “इयु इस्तू ताओ फेलिज़् (मैं बहुत अधिक खुश हूँ!)” उसने मेरे हाथ को कोमलता से छुआ। यह एक भावुक कर देने वाला क्षण था। मैं केवल उस स्पर्श से ही गैबी की भावनाओं को महसूस कर सकता था। उसकी आँखों में आँसू की चमक झिलमिलाने लगी। ख़ुशी के आँसुओं को देख कर घबराना नहीं चाहिए।

मैं मुस्कराया।

कोमो से सेंते ओ सेउ कोरासाओ (तुम्हारा दिल कैसा महसूस कर रहा है)?”

मुइतो फ़ेलिज़् (बहुत खुश)! डेलीताडो (प्रसन्न)!”

कोमो से सेंते ओ सेउ इस्तोमगो (तुम्हारे पेट में कैसा लग रहा है)?”

कॉम फ़ोमी (बहुत भूखी)” वो अब मेरी रटी रटाई पुर्तगाली भाषा ज्ञान पर मुस्कुरा रही थी।

हाँ, सुबह की शादी के लिए हमें उपवास रखना था। न जाने दूल्हा और दुल्हन को किस बात की सज़ा दी जाती है। मुझे यह सब समझ में नहीं आता। लेकिन मुझे उम्मीद थी कि हमें जल्दी ही कुछ खाने को दिया जाएगा।

ई, सुआ बुसेता (और, तुम्हारी चूत)” मैंने उसको थोड़ा चिढ़ाया।

बुसेता शब्द का ठीक ठीक अनुवाद ‘चूत’ ही हो सकता है - योनि नहीं। मैं जान बूझ कर ऐसे शब्दों का प्रयोग कर रहा था जो गैबी का, हमारे मिलन का पूर्वानुमान और बढ़ा दे। जिससे वो थोड़ा और तड़पे! मेरा प्रयास सफ़ल रहा।

मोल्हादा... एस्तो मोल्हादा (गीली ... गीली हूँ)”, उसकी आवाज कांप उठी।

मैं मुस्कुराया और उसके कान में बोला,

“बस जानेमन! कुछ देर और सम्हल जाओ! ऐसा न हो कि तुम्हारी साड़ी पर किसी तरह का गीला धब्बा दिखाई देने लगे! है न?”

मैं उसको मना तो रहा था, लेकिन खुद भी गैबी की बात पर उत्तेजित हो रहा था।

गैबी धीमे से हँसी। फिर उसने पूछा,

कोमो एस्टा ए सुआ मोको (तुम्हारा लिटिल मैन कैसा है)?” वो मेरे लिंग के बारे में बात कर रही थी।

प्रोंटो पैरा कोईतो कॉम ओ सेउ गारोटा (तुम्हारी छोटी लड़की से मिलने के लिए तत्पर है)!”

मैंने अपनी सीमित पुर्तगाली शब्दावली में जैसा हो सकता था, अपने मन की इच्छा कह दी। मेरी आवाज कर्कश हो गई।

“मुझे पता है, हनी!” गैबी ने गंभीरता से, लेकिन मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे पता है! लेकिन, अब मैं बस तुम्हारी हूँ। मैं पहले भी तुम्हारी ही थी, लेकिन अब बात ही कुछ अलग है! मैंने आज के लिए कितना इंतजार किया है, और कैसे किया है, यह मुझे ही मालूम है। ओह! मैंने इतने लंबे समय तक कैसे इंतजार किया!! लेकिन मुझे खुशी है कि मैंने इंतजार किया! और जानू, हमारी शादी बहुत ही खूबसूरत थी… थैंक यू! कितने खूबसूरत लोग हैं यहाँ! सबमे इतना प्यार है! सब कुछ परफेक्ट! सब कुछ वैसा ही जैसा मैं चाहती थी! लेकिन अब मैं तुम्हारी हूँ। अब तुम जब चाहोगे, जैसे चाहोगे, तुम मुझे प्यार करो! मेरे पास जो कुछ भी है, वो तुम्हारा है… मैं तुम्हारी हूँ!”

**

विवाह की रस्में खत्म होने के बाद, हमने वहां उपस्थित सभी बुजुर्गों के पैर छुए और उनके आशीर्वाद लिए! सभी बुज़ुर्गों की बात करें, तो लगभग पूरा गाँव ही हमारा बुज़ुर्ग था! हा हा हा! इसका कारण यह है कि मैं उम्र में काफ़ी छोटा था, इस कारण गाँव में मेरे समकक्ष सभी लोग मुझसे बड़े थे। खैर, सभी का आशीर्वाद लेने के बाद, हम अपने सभी मित्रों के साथ अपने घर को वापस चले - हाथ में हाथ डाले; पति और पत्नी के रूप में हमारी पहले क़दम! हमारे पीछे हमारे साथ चलने वालों का पूरा हुजूम था! मैं सच में खुश था! धरती पर मेरा हर कदम कुछ इस एहसास के साथ पड़ रहा था कि मेरी लाग (दुपट्टे) से एक बेहद खूबसूरत लड़की की साड़ी का किनारा बंधा हुआ है, और वो बेहद खूबसूरत लड़की मेरी पत्नी है!

जब हम अपने घर के दरवाज़े पर पहुँचे तो लगभग पन्द्रह सुहागिन औरतों ने, जिनमें मेरी माँ, चाची जी, गाँव की अन्य चाचियाँ, भाभियाँ, बुआएँ, दादियाँ शामिल थीं, तब तक गल सिकाई की रस्म पूरी करी, और फिर हमको तब तक घर के अंदर नहीं जाने दिया, जब तक उनमें से सभी ने अपना मुँह माँगा नेग नहीं हासिल कर लिया! बहुत नहीं - सभी सौ पचास में ही संतुष्ट थीं! ठंडक के मौसम में पान के पत्ते को आग पर सेंककर गालों को छुआ देने की लम्बी प्रक्रिया से गैबी और मुझको बड़ा आनंद भी आ रहा था, और आराम भी मिल रहा था। शादी की प्रक्रिया थका देने वाली तो थी, लेकिन हमारे चेहरों पर उस प्रकार की थकान नहीं दिख रही थी। इतनी तपस्या के बाद एक दूसरे के संग आजीवन बंधन में बंधने का सुख हमारे चेहरे पर थकान लाने ही नहीं दे रहा था।

घर भी बड़ा सुन्दर सजाया गया था - पूरा आंगन रंग-बिरंगी बंधनवारों और गेंदे के फूलों से सजा था। हमको आँगन में कुर्सियों पर बैठाया गया और फिर शुरू हुआ मस्ती मसखरी भरी रस्मों का सिलसिला! शादी के बाद ब्याहता स्त्री को पति की बाईं तरफ़ बैठाया जाता है। घर पर कई लोग हमें बधाई देने आए थे, और हम उन सभी से विनम्रतापूर्वक और कृतज्ञतापूर्वक मिले। वहाँ उपस्थित सभी बड़ों ने हमको मन भर कर आशीर्वाद दिए! गैबी को हिन्दी समझ आ जाती थी, लेकिन गाँवों की बोलियाँ इतनी बदल जाती हैं कि समझ पाना मेरे लिए भी मुश्किल हो जाता है, गैबी के लिए तो और भी मुश्किल को रहा था! इस बीच, हमारे लिए एक बड़ी सी थाल में बड़ा स्वादिष्ट भोजन सजाया गया - साथ में खाने के लिए। साफ़ सुथरी भूमि का स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक भोजन! हम दोनों ही भूखे थे, लेकिन ज्यादा खा नहीं सके। मुझे लगता है कि इस भोजन में कैलोरी की मात्रा अधिक थी, इसलिए कम भोजन में भी पेट भर जा रहा था। अगले कुछ दिन इस छोटे से गाँव में लगभग उत्सव की तरह होने वाले थे! हर दिन कुछ ऐसा ही इंतज़ाम होने वाला था। आज शाम को पूरे गाँव का भोज होने वाला था। और अगले कई दिनों तक कुछ न कुछ होता रहने वाला था। जब हमने भोजन कर लिया, तो काजल हमारे हाथ थाम कर, हमको ‘हमारे’ कमरे में ले गई।

हमको मालूम नहीं था, लेकिन हमारे पीछे काजल हमारी ‘सुहागरात’ के लिए ऊपर वाला कमरा तैयार करने और सजाने में व्यस्त थी। पूरे कमरे और बिस्तर को मीठी महक वाले गेंदा, जंगली गुलाब, चमेली, रजनीगंधा और पारिजात (हरसिंगार) के फूलों से बड़ी खूबसूरती से सजाया गया था। कमरे में एक तरफ़, एक मिट्टी के प्याले में सुलगते हुए कण्डे पर घी और चन्दन की लकड़ी की छीलन सुलग रही थी - इन सबका असर यह हुआ कि पूरा कमरा मीठी मीठी, मादक महक से भर गया था! बिस्तर पर साफ़, नई, ताज़ी चादर बिछी हुई थी, और उस पर एक नया कंबल था। कमरे में एक तपता (अलाव) भी रखा हुआ था, जिसके कारण कमरा आरामदायक तापमान पर था। एक तरफ़ एक तश्तरी में मिठाईयाँ सजा कर रखी हुई थीं - जब भी भूख लगे, खा लो! हमारे सुख का पूरा इंतजाम कर दिया था काजल ने! काजल जैसी स्त्री किसी के जीवन में बड़े सौभाग्य से आती है। कुछ तो अच्छा किया ही होगा मैंने कि वो मेरे साथ थी। मैं उसका पर्याप्त धन्यवाद कभी नहीं कर सकता था! अगर वो न हो, तो न जाने क्या हो! उसके बिना मैं हमेशा खोया हुआ महसूस करूंगा - इतना तो मुझे मालूम है। मैंने मन ही मन सोचा कि मैंने अच्छा किया कि सुनील को सहबाला बनाया - काजल को ज़रूर बहुत अच्छा लगा होगा। गाँव के लोग ऊँच नीच बहुत मानते हैं। हम सभी अवश्य ही यह सब बातें नहीं मानते, लेकिन काजल यह सब समझती थी। इसलिए सुनील का सहबाला बनना बड़ी बात थी।

उसने मुस्कुराते हुए हम दोनों को कमरे के अंदर लाया, हमको हमारी शादी की अनेकानेक शुभकामनाएँ दीं, और फिर गैबी को बिस्तर पर बैठा कर उसने उसका माथा चूम लिया। फिर मुस्कुराते हुए उसने कमरे से बाहर जाते समय अपने पीछे दरवाजा बंद कर लिया। अब कोई हमें परेशान नहीं करेगा। तो, अंततः, हमें अपना निजी, अंतरंग समय मिल ही गया... गैबी और मेरी - हमारी पहली रात... बस, एक ही बात थी कि यह रात नहीं थी। देखा जाए तो दोपहर का समय था, शायद दोपहर लगभग एक बजे के बाद का। लेकिन किसे पड़ी है? रात हो या दिन? वैसे भी रात में, बिजली आपूर्ति की दयनीय स्थिति को देखते हुए, सब कुछ दिन में करना ठीक होगा। घुप अँधेरे में मैं गैबी की सुंदरता का रस-पान कैसे कर पाऊँगा? और, मैं हमारे पहले ‘कोइटो’ (संभोग) के लिए उसे पूरी तरह से नग्न देखना चाहता था।
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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पहला प्यार - विवाह - Update #6


मैं बिस्तर पर गैबी के पास बैठ गया। मुझे गैबी को चूमने का बड़ा मन हो रहा था - उसको देखे हुए तीन दिन हो गए थे, और अब मुझे गैबी का संसर्ग चाहिए था। मैंने गैबी को जितना संभव था, उतना गहराई से चूमना शुरू कर दिया। यह चुम्बन मेरे मन में उसके लिए चाहत, प्रेम और आसक्ति की अभिव्यक्ति थी। गैबी ने मेरे चुम्बन का अनुपालन किया, और उतनी ही गहराई से मेरे चुम्बन का उत्तर दिया। उसको चूमते हुए, मैंने उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ़ सरका दिया, ताकि मैं उसके योनि क्षेत्र तक पहुँच सकूँ। वहाँ छूने पर उँगलियों को उसकी रेशमी पैंटी का मखमली, चिकना एहसास हुआ। रेशम में नमी सोखने की क्षमता नहीं होती, इसलिए गैबी का योनि-रस उसकी पैंटी से रिस रहा था। उसकी योनि की दरार पर हाथ पड़ने पर मेरी उंगली पूरी तरह से गीली हो गई। मैंने धीरे से उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी योनि को गूंथ लिया, और अपनी उंगली को उसकी योनि की सिकुड़न के ऊपर और नीचे चलाते हुए, उसकी योनि के खिलाफ दबा दिया! और मुझे तुरंत उसके रसीले गीलेपन का एहसास हुआ - जितना रस बाहर की तरफ आ रहा था, उससे अधिक तो पैंटी के अंदर था! गैबी को वाकई बहुत तकलीफ हो रही होगी, लेकिन न जाने कैसे वो इतनी देर तक ऐसा गीलापन बर्दाश्त करती रही! और यह सब होते हुए, मैंने गैबी को चूमना जारी रखा। मैंने उसके चेहरे को देखने के लिए थोड़ी देर के लिए हमारा चुंबन तोडा - गैबी पूरी तरह से उत्तेजित थी; मैं उसकी तेज़ चलती सांसों को सुन सकता था, और उसकी दिल की धड़कनों को भी! मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी के अंदर सरका दिया - उसकी योनि के ऊपर वाली पट्टी की तरफ से - और उसकी गर्म, गीली, और चिकनी योनि को छुआ। रास्ता साफ़ था - मैंने उसके योनि के होंठों के बीच अपनी तर्जनी सरका दी। मैंने सोचा था कि शायद गैबी भी कुछ करना शुरू करेगी, लेकिन वो तो भारतीय दुल्हनों की तरह व्यवहार कर रही थी! भारतीय दुल्हन अक्सर अपने पति का अनुसरण करती हैं - वो जो कहते हैं, वो वही करती हैं।

अगर गैबी को मुझसे पहल करने की उम्मीद थी, तो मुझे भी इससे कोई दिक्कत नहीं थी। आज तो हमको एक होना ही है! मैंने अपनी तर्जनी को उसकी योनिमुख के चीरे पर ऊपर नीचे चलाया - उसके होंठ मेरी उंगली की घुसपैठ से खुलते चले गए। जवाब में, गैबी ने अपने पैरों को थोड़ा खोल दिया, जिससे मुझे बेहतर पहुंच मिल सके। उसकी भगशेफ उत्तेजनावश सूज गई थी, और थोड़ी ही देर में मेरी सारी उंगलियाँ, उसके काम रस से पूरी तरह भीग चुकी थीं! गैबी ने इतने दिनों तक सताया था मुझे - इसका थोड़ा बदला लेने का तो बनता था। इसलिए मैंने उंगली को जानबूझ कर उसकी योनि में नहीं घुसेड़ा - बस बाहर से ही उसके होंठों और भगशेफ़ को छेड़ता रहा। गैबी कोई दो साल से बिना किसी सम्भोग के रही थी - उसके पहले उसको निरंतर सम्भोग का सुख मिलता रहा था। जाहिर सी बात है, हमारे मिलन के पूर्वानुमान से वो पहले से ही कामोत्तेजना के शिखर पर बैठी हुई थी। मैंने बस कोई तीन चार मिनट ही उसकी योनि को छेड़ा होगा कि एक विवाहित महिला के रूप में, गैबी ने अपना पहला चरम-सुख प्राप्त किया! यह एक बहुत बड़ी बात थी! एक तरीके की निष्पत्ति! मैंने गैबी को उस उत्तेजना का आनंद लेने दिया - मैंने गैबी को पकड़ लिया और अपनी उंगलियों से उसकी योनि के होंठों, और भगशेफ को छेड़ता रहा - और वो अपने चरम पर पहुँच कर थिरकती रही। जब उसे अंतत: होश आया, उसके शरीर पर पसीने की एक पतली सी परत दिखाई दे रही थी। अद्भुत! कामुक!

फिर उसने देखा, कि मैं उसको देख रहा हूँ - उसने शरमाते हुए अपनी साड़ी का सिरा नीचे खींच लिया, और अपना सर नीचे कर लिया। नई नवेली दुल्हन, और उसकी शर्म! कोई भी स्पष्ट रूप से देख सकता था कि वो कितनी उत्तेजित थी ... उसके होंठ कांप रहे थे, उसके नथुने फड़फड़ा रहे थे, उसकी आँखें बंद थीं, उसका चेहरा उसके हालिया रति-निष्पत्ति के उत्साह से लाल हो गया था। मैं अपनी नई नवेली दुल्हन के इस रूप को अपने मन में सदा के लिए बसा लेना चाहता था। न जाने क्यों वो मुझसे अपनी नज़रें नहीं मिला पा रही थी - और कनखियों से मुझे देख रही थी।

‘हे प्रभु! ये तो सचमुच बड़ी शर्मीली है!’

“हनी,” मैंने पूछा, “क्या तुम मुझे नहीं दिखाओगी, कि मिसेज़ सिंह कैसी दिखती हैं?”

गैबी मेरे कथन पर शरमा कर मुस्कुराने लगी, “मिसेज़ सिंह तो मिस्टर सिंह की ही है।”

उसने कहा तो, लेकिन कुछ किया नहीं। मुझे पता था कि आज तो मुझे ही पहल करनी होगी - तो मैंने बड़ी सौम्यता से उसकी साड़ी के पल्लू को उसके सर और कंधे से हटा दिया, और उसको नीचे बिस्तर पर गिरने दिया। मेरे अविवाहित पाठकों को यकीन नहीं होगा कि अपनी नई दुल्हन की साड़ी का ‘वस्त्र हरण’ करना कितना अंतरंग और कामुक होता है! उसका ब्लाउज हल्का सा कसा हुआ था, जिसके कारण उसके स्तन आपस में थोड़ा सा दब गए थे, और दोनों स्तनों के बीच बड़ी सुंदर सी दरार (क्लीवेज) बन गई थी। गैबी की साँसें तेज़ी से चल रही थी, जिससे उसके वक्ष भी ऊपर नीचे हिल रहे थे! उस रूप में गैबी बड़ी स्वादिष्ट लग रही थी।

“मिसेज़ सिंह बहुत सुंदर हैं - मेरे दिल की रानी हैं!”

साड़ियाँ बड़ी ही रोचक तरीके से पहनी जाती हैं - एक तो साड़ियाँ महिलाओं के शरीर को पूरी तरह से ढकते नहीं हैं, और उनके शरीर को ललचाने लुभावने तरीके से प्रदर्शित करती रहती हैं; दूसरा यह कि उनसे छुटकारा पाना थोड़ा जटिल होता है। उनको फेंटा डाल कर, पेटीकोट में खोंस कर पहनते हैं, और उनमे सेफ्टी-पिन लगी होती है। इन सबसे क्या होता है कि यदि सामने वाले को ज्ञान न हो, तो साड़ी उतारना एक प्रोजेक्ट बन जाता है। जाहिर सी बात है, कि रेशमी साड़ी के नीचे, गैबी ने भी पेटीकोट पहना हुआ था, जिसने उसकी साड़ी को उसकी कमर के चारों ओर अच्छी तरह से पकड़ रखा था। तो, उसको उतारने के लिए मैं गैबी के सामने घुटनों के बल बैठ गया, और धीरे धीरे से, सावधानीपूर्वक साड़ी को उसके पेटीकोट के घेरे से निकाल दिया। इस धीमी क्रिया का गैबी पर एक अलग ही प्रभाव पड़ रहा था - उसकी साँसें तेज हो गईं, और उसके ब्लाउज में कसे हुए स्तनों की लयबद्ध उत्थान और गिरावट, उनको और भी अधिक आकर्षक बना रही थी। मैं इस दृश्य को हमेशा के लिए कैमरे में क़ैद कर लेना चाहता था - मैंने जल्दी से बिस्तर से उठा, और जल्दी से अपने बैग में से अपना कोडक डिजिटल कैमरा निकाल कर वापस आ गया। इसको अभी हाल ही में मेरे एक मित्र ने अमरीका से खरीद कर मुझे भेजा था।

“हनी, तुम क्या कर रहे हो?” गैबी ने हैरानी से पूछा।

आई ऍम ट्राइंग टू मेक दिस मोमेंट अनफॉर्गेटेबल!”

उसने मेरे हाथ में कैमरा देखा और समझ गई।

“... एंड मी... अनकम्फर्टेबल...!” उसने जोड़ा।

मैंने गैबी की बात पर कोई टिप्पणी नहीं की। वो इसलिए क्योंकि वो मुस्कुरा भी रही थी। उसको शायद डिजिटल कैमरा के बारे में न मालूम हो - वो उस समय ज्यादातर लोगों के पास नहीं होते थे। फिल्म कैमरा में रील को धुलवाना और डेवलप करवाना पड़ता था। मतलब, यदि कोई अंतरंग तस्वीर हो, तो अन्य कोई भी देख सकता था - जैसा मैंने अपनी तस्वीर खिंचवाते समय किया था। मैंने गैबी को बताया कि यह तस्वीरें केवल हमारे लिए हैं। तो वो थोड़ा सा सहज हो गई, लेकिन फिर भी शर्म कहीं गई नहीं। मैंने उन पलों में पहले अपनी शर्मीली गैबी की कुछ तस्वीरें क्लिक करीं, और फिर उसके ब्लाउज के कुछ बटनों को खोल दिया, और उसे उसकी ब्रा दिखाने के लिए सामने से अलग कर दिया। ऐसा लग रहा था कि गैबी की ब्रा रेशम की ही नाजुक, हल्के सफेद रंग के कपड़े से बनी है! मतलब पैंटी का ही मैचिंग सेट है। उस पर फूलों के जटिल पैटर्न बने हुए थे।

‘उसने यह कब खरीदा?’

मैंने फिर कुछ और तस्वीरें क्लिक कीं, और उससे कहा,

“गैबी, तुम्हारे स्तन बड़े सुन्दर हैं।”

वह फिर शर्म से लाल होने लगी, तो मैंने कहा, “अरे तुम खुद देख लो - ये - यहाँ - खुद देख लो।”

मैंने कैमरे में उसकी तस्वीरें दिखाईं, “देखो? कितनी सुंदर!”

“अगर तुमको पसंद हैं, तो ज़रूर होंगे सुन्दर ....”

“ओह! मैं तो उनको बहुत पसंद करता हूँ! आई लव देम!”

गैबी फिर मुस्कुराई।

“हनी, तुम इन तस्वीरों को किसे दिखाओगे? तुम तो जब चाहो, मुझे नंगी देख सकते हो!” वो प्यार से बोली।

“वो तो है ही... और मैं वैसा करूंगा भी! लेकिन, ऐसा हो सकता है कि कभी-कभी, जब तुम मेरे पास नहीं होगी, तो मैं इन तस्वीरों को देख कर अपना मन बेहला लूँगा... और जब हमारे बच्चे होंगे, तो मैं उनको ये तस्वीरें दिखाऊँगा कि उनकी माँ कितनी सुंदर सी है…” गैबी मुस्कुराने लगी, तो मैंने बदमाशी में आगे जोड़ा, “या यह भी पॉसिबल है कि कभी किसी दोस्त को…”

‘दोस्त’ का शब्द आते ही गैबी ने मुस्कुराते हुए ही मेरे हाथ पर एक चपत लगाई। उसको भी मालूम था कि यह सब मज़ाक ही हो रहा है।

“आई लव यू…” मैंने बड़ी संजीदगी और बड़े शिष्टाचार से कहा, और कैमरे को एक तरफ रख दिया, और फिर ब्लाउज के अंदर से, लेकिन ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को छूना, सहलाना, और उनका मर्दन शुरू कर दिया। मैंने उसके चूचकों को सहलाया, और उनको छेड़ा!

गैबी की उत्तेजना की आग को भड़काने के लिए इतना काफी था। लगभग तुरंत ही गैबी के चूचक कामोत्तेजना से खड़े हो गए।

मिसेज़ सिंह, यू आर गेटिंग एक्साइटेड, आरेण्ट यू?” मैंने उसे चिढ़ाया, “मैं शर्त के साथ कह सकता हूँ, कि मैं अगर ऐसे ही करता रहा, तो मैं फिर से तुम्हारा पानी छुड़ा सकता हूँ!”

मैं जान बूझ कर गैबी से गंदी बात कर रहा था। इतने दिनों तक मुझे सताने की सज़ा उसको बराबर मिल रही थी। गैबी ने मेरी बात का कोई जवाब तो नहीं दिया, लेकिन उस मीठी वेदना में उसने अपना निचला होंठ काट लिया। मुझे पता था कि मेरी उंगली के हर झटके के साथ, उसके चूचकों से कामुक तरंगें निकल कर उसके पूरे शरीर में फ़ैल रही हैं, और उसके कारण वो और भी अधिक उत्तेजित हो रही है। गैबी की उत्तेजना के लक्षण कोई भी साफ़ साफ़ देख सकता था, और बता सकता था कि वो फिर से उतनी ही उत्तेजित हो गई है, जितना वो थोड़ी ही देर पहले अपने चरमोत्कर्ष को प्राप्त करने से पहले थी। तेज साँसें चलने के कारण उसके पेट और छातियाँ धौंकनी के जैसे चल रहे थे। भीषण रक्त प्रवाह के कारण उसके चूचक केवल लम्बे और कड़क ही नहीं, बल्कि थोड़े मोटे भी हो गए थे। उसकी साँस फूल गई थी। उसके नथुने फिर से फड़फड़ा रहे थे।

“तुम्हारी कोइसिन्हा (चूत) मेरे कैराल्हो (लण्ड) के लिए तड़प रही है, है ना?” मैंने पुर्तगाली में गंदी बात करना जारी रखा, “बोलो?” मैं गैबी को उकसा रहा था, जिससे वो अपनी शर्म थोड़ी छोड़ दे, “तुम चाहती हो न, कि मैं तुमको चोदूँ! है ना? लेकिन मैं नहीं करूँगा! मैं तुम्हारे चूचकों के साथ तब तक खेलता रहूँगा, जब तक तुम्हारा पानी फिर से नहीं निकल जाता!”

“ह.. ह.. ह.. हनी”, गैबी काँपते, हकलाते किसी तरह से बोल पाई, “प.. प.. प.. प्ल.. प्लीज! ऐसे म.. मत छेड़ो मुझे! प.. प्लीज अनड्रेस ... मी.. ए.. एंड मे.. मेक मी योर्स…” गैबी ने निरीहता से विनती करी। उसकी आवाज़ ऐसी निकल रही थी जैसे वो अभी अभी एक किलोमीटर की दौड़ लगा कर आई हो!

बेचारी! कितनी सुन्दर! कितनी उत्तेजित! और कितनी असुरक्षित! सुन्दर लड़की का मुखड़ा कामोत्तेजना में और भी सुन्दर हो जाता है। मुझे उस पर दया आ गई। वो बेचारी भी तो इसी समय के लिए खुद को इतने वर्षों से तड़पा रही थी। खुद को मेरे लिए ही सुरक्षित रखे थी। तो आज, जब हम दोनों विवाहित हो गए हैं, आज वो अपना सब कुछ मुझको देने के लिए तत्पर थी। ऐसे में उसको और अधिक सताना उचित नहीं था। मैंने उसका मुख चूम लिया,

“अच्छा! तो ठीक है! मेरी रानी की इच्छा पूरी होगी।”

मैंने कहा, और मैंने उसके ब्लाउज के बचे हुए बटन भी खोल दिए और ब्लाउज को पूरी तरह से उसके शरीर से हटा दिया। ब्लाउज को हटाते ही, मुझे एक तीखी महक आई - तीक्ष्ण गंध नहीं... यह एक अलग तरीके की महक थी, एक सेक्सी तरीके की... थोड़ी हर्बल। मैं अब उसकी ब्रा की बनावट देख सकता था। गैबी की ब्रा लेस से बनी हुई थी, इस कारण से अर्ध-पारदर्शी थी। ब्रा का स्टाइल डेमी-कप था - मतलब रेगुलर ब्रा के मुकाबले, उसका केवल आधा कप ही था, इसलिए अधिक स्तन दिखाई दे रहे थे। साथ ही साथ, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे ब्रा ने उसके स्तनों को थोड़ा सा उठा दिया था। जो भी था, बड़ा अच्छा लग रहा था। ब्रा में रणनीतिक स्थानों पर (मेरा मतलब चूचकों से है) छोटे-छोटे पुष्प के डिजाइन बने हुए थे। एक चीज जिस पर मैंने गौर किया, वह थी उसकी ब्रा के नीचे की सजावट - गैबी के स्तनों पर! गैबी के स्तनों को मेंहदी से सजाया गया था!! ओह, अब समझा - वह मेंहदी की सुगंध थी! मैं अब उसके कपड़े उतारने और उसके स्तनों पर हुई मेंहदी की सजावट देखने के लिए बेचैन हो उठा। लेकिन उससे पहले मैंने गैबी की कुछ और तस्वीरें क्लिक कीं। वो वैसे ही खड़ी थी, शर्म से कांप रही थी और समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे।

“नाऊ, मिसेज़ सिंह, अपने कपड़े उतारो!” मैंने आज्ञा वाले स्वर में कहा, “स्ट्रिप डाउन टू ... नथिंग! नाइस एंड स्लो!”

मेरा लिंग का स्तम्भन खुद ही मेरे पजामे पर दबाव डाल रहा था, और बाहर से वो दिख भी रहा था। लेकिन वो सब बाद में! गैबी थोड़ा झिझकी, लेकिन फिर उसने अपने पेटीकोट की गांठ को खोल दिया, और वो ज़मीन पर गिरने लगा। धीरे से! यह बहुत की मोहक और कामोत्तेजक था। मैंने और फ़ोटो क्लिक किया।

“ओह सेक्सी!” मैंने तस्वीरें खींचते हुए कहा।

थोड़ी ही पलों में गैबी केवल वो सफेद लैसी ब्रा और पैंटी वाले सेट में मेरे सामने खड़ी थी। उसकी पैंटी पूरी तरह से भीग गई थी, और पारदर्शी हो गई थी। उसको पहनने न पहनने में अब कोई अंतर नहीं था। इसलिए,

“इसको भी…” मैंने उसके अंडरगारमेंट्स की तरफ इशारा किया।

गैबी ने शर्म से मेरी आँखों में देखा और फिर धीमी गति में, अपनी ब्रा को खोलने के लिए अपने हाथों को अपनी पीठ के पीछे ले गई। ब्रा खुल गई तो उसने उसको धीरे से उतार कर अपने शरीर से अलग कर दिया - मैंने और तस्वीरें खींची। इसके बाद, वो अंत में अपनी पैंटी को धीरे धीरे नीचे खिसकाती रही, जैसे कि वो खुद को मेरे सामने प्रदर्शित कर रही हो। मैं फोटो क्लिक करता रहा। हमारे पहले संभोग की यादगार कई तस्वीरें!

सबसे पहले मैंने देखा कि गैबी के दोनों स्तनों पर और उसके योनि क्षेत्र के पास मेंहदी के सुंदर पैटर्न बने हुए थे। सजावट कुछ इस तरह से की गई थी कि उसकी पैंटी केवल सजावट को ही ढँक पा रही थी - बस। हर जगह जटिल पैटर्न - हाँलाकि मेंहदी ने एक तरह से गैबी की सुन्दर सी योनि की प्राकृतिक सौन्दर्य को थोड़ा ढँक दिया था, लेकिन एक बात तो है कि उस सजावट से गैबी की योनि थोड़ी दिलचस्प बन गई थी... शायद, थोड़ी सुंदर भी! मेंहदी का पैटर्न उसके योनि के होंठों के बगल आ कर समाप्त हो गया था। गैबी इस तरह से नग्न, केवल मेंहदी से सजी हुई, और सुहाग के गहनों को पहने, बड़ी अनमोल लग रही थी। गैबी का शरीर काफ़ी दृढ़ था - संयमित खान पान, और व्यायाम से शरीर पर वसा की अनुचित मात्रा बिलकुल भी नहीं थी। उसका जघन क्षेत्र पूरी तरह से बाल रहित था। संभव है कि उसकी वैक्सिंग की गई थी। बिलकुल साफ़, चिकनी योनि, जिसको मेंहदी के जटिल पैटर्न के साथ बड़ी खूबसूरती से सजाया गया था! कितनी सुन्दर! कितनी मोहक! कितनी सेक्सी! मैंने और तस्वीरें क्लिक करीं... कुछ उसकी योनि और स्तनों का क्लोजअप वाली।
 
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पहला प्यार - विवाह - Update #7


उसके स्तन - हे भगवान! गैबी के स्तन 34B आकार के, बड़े प्यारे से स्तनों की जोड़ी! उसके चूचक अपने प्राकृतिक रंग से सुशोभित हो रहे थे। दोनों चूचक स्तंभित थे, और थोड़े मोटे लग रहे थे। उसके चूचक हाँलाकि आकार में छोटे थे, लेकिन उत्तेजनावश कड़े हो रखे थे और अपनी अधिकतम लंबाई को प्राप्त थे। चूचकों के बगल लगभग डेढ़ इंच का, चूचकों के ही रंग का एरोला था। मतलब, ऐसे स्तनों को कोई कैसे न पिए? उसके चूचक इतने सख्त हो गए थे कि मैं उनको अपने होंठों, और दाँतों के बीच लेने को मरा जा रहा था। गैबी के प्रत्येक स्तन पर फूल का एक बड़ा ही मोहक पैटर्न बना हुआ था - चूचक और एरोला को फूल के मध्य भाग (कोर) के रूप में ले लिया गया था और एरोला के गिर्द फूल की पंखुड़ियाँ निकल रही थीं। अच्छा किया कि उसके चूचक और एरोला के प्राकृतिक रंग को छेड़ा नहीं गया। नहीं तो उन फूलों की शोभा कम हो जाती!

गौर करने वाली बात यह है कि मेंहदी का रंग ठीक से सेट होने के लिए, मेहंदी को लगभग 12 से 16 घंटे के लिए शरीर छोड़ देना चाहिए, ताकि रंग जम जाए। सूख तो करीब एक घंटे में जाती है! लेकिन उसका रंग चढ़ने में उतना समय लग जाता है। इसका मतलब है कि, गैबी, और जिसका भी ये आईडिया हो (बहुत संभव है की माँ का ही आईडिया हो), ने बड़ी मेहनत करी है! वाह! और वो भी इस ठंड के मौसम में! अद्भुत! गैबी कुछ देर तक तो वैसे ही खड़ी रही, लेकिन जब उसने सोचा कि मैंने मन भर कर उसको देख लिया है, तो वो वापस बिस्तर पर बैठ गई। इसके बाद, उसने अब तक का सबसे कामुक काम किया - उसने एक हाथ से अपने एक स्तन को पकड़ते हुए ऊपर उठाया, जैसे कि मुझे दे रही हो, और बोली,

कम माय लव! इसको पियो - स्चुपार मेउस पेइतोस (मेरे स्तनों को पियो)।”

पिछले दिनों काजल और मेरे बीच में जो कुछ हुआ था, वो सब बातें मेरे दिमाग में तुरंत कौंध गईं। मैंने नग्न गैबी की कुछ और तस्वीरें क्लिक कीं और फिर उसके पास बैठ गया। उसने धीरे से मेरा सर अपनी ओर लिया, और मैंने उसका एक चूचक अपने मुँह में पकड़ लिया। जब मैं चूस रहा था तो उसने अपने स्तन को धीरे से निचोड़ना शुरू कर दिया, ताकि मुझे और अधिक दूध पिलाया जा सके। लेकिन गैबी को दूध तो आता ही नहीं - तो क्या यह सहज मातृ वृत्ति है, जो सभी स्त्रियों में होती है? कह पाना मुश्किल है। फिलहाल तो मैं उसके चूचक चूसने का आनंद उठा रहा था - उनका आकार मेरे मुँह में आ कर बढ़ गया, और मैं उनकी दृढ़ता महसूस कर सकता था। मैंने उसके पूरे चूचक को अपने मुंह में ले लिया, और अपने होंठों को उसके एरोला की नरम त्वचा पर महसूस किया। मेरे ऊपर एक पागलपन सवार हो गया - मैं उसके चूचकों को चबा रहा था, उनको कुतर रहा था, और उन्हें जोर से काट रहा था। गैबी मेरी हर हरकत को बर्दाश्त कर रही थी। मैं यह सब नाटक करता, और फिर से उसके पूरे चूचक को मुंह में ले कर चूसता। और फिर से वही सारा चक्कर शुरू कर देता। न जाने क्यों दिल में यह इच्छा उठती कि काश उनमे दूध आ जाए! गैबी मेरी हरकतों से आहत हो कर, और कमावेश से वशीभूत हो कर आहें भरने, और कराहने लगी! साथ ही साथ वो अन्यमनस्क हो कर मेरे चूसने के लय में ही अपने स्तनों को निचोड़ने लगी।

गैबी के स्तनों को पीना, काजल के स्तनों को पीने के बहुत समान भी था, लेकिन उससे बहुत भिन्न भी। उसका एक स्तन पीने से जब मेरा मन भर गया, तब मैंने अपना सर उसकी छाती पर से उठा लिया; उसका चूचक मेरी लार से सन कर चमक रहे थे, और बहुत सख्त हो गए थे। फिर मैंने दूसरा स्तन पीना शुरू कर दिया। उसका दूसरा चूचक उत्तेजनापूर्वक बाहर निकला हुआ था, मानो जैसे पुझसे खुद को चूसे जाने का आग्रह कर रहा था! तो फिर मैंने उसको भी चूसना, चबाना, काटना, और फिर चूसना शुरू कर दिया। जैसा उसने पहले स्तन को किया था, मेरे चूसने के साथ गैबी फिर से ताल में अपने इस स्तन को भी निचोड़ने लगी।

“ओह हनी, बहुत अच्छा लग रहा है!” उसने कोमलता से कहा।

उसने अपना खाली हाथ मेरे सर पर रखा, और अपनी उँगलियों को धीरे से मेरे बालों में घुमाया! मुझको सहलाते सहलाते, धीरे-धीरे उसका हाथ पजामे के ऊपर मेरे लिंग तक पहुँच गया। मेरे अंडरगारमेंट के बावजूद, मेरा लिंग बाहर तक उभर कर दिख रहा था।

“ओह गॉड!” उसने कहा, “माय सिनामन इस सो बिग!” और धीरे से उसे सहलाना शुरू किया!

पहले तो उसका हाथ मेरे लिंग को कपड़े के ऊपर से सहला रहा था, पर फिर उसका हाथ मेरे पजामे के अंदर, सीधा उस पर आ गया और मेरे लिंग की लंबाई पर ऊपर और नीचे सरकने लगा। युवावस्था किसी मनुष्य के जीवन का एक अद्भुत समय है। आप बहुत कम समय में यौन क्रीड़ा के लिए स्तंभित हो सकते हैं। गैबी के हाथ का स्पर्श पा कर मैं आकाश में तैरने लगा - उसकी उंगलियों का स्पर्श गर्म और कोमल था! उसके चूचक मुझे आनंद देने के लिए तत्पर थे, उसकी छाती कोमल और आरामदेह थी, और वो मुझसे फुसफुसा कर बातें कर रही थी,

“तुम्हारा लण्ड तो बहुत सख्त हो गया है। बेचारा! इसे कुछ मदद की ज़रूरत है... है ना? इतना बड़ा लण्ड! इतना मर्दाना! इतने बड़े बड़े टेस्टिकुलोस (अंडकोष)!”

गैबी नटखट हो रही थी, तो मैंने भी उसी के अंदाज़ में जवाब दिया, “हाँ, मेरा लण्ड बड़ा है ... मेरे अंडकोष बड़े हैं, क्योंकि तुम एक बड़ी और नटखट लड़की हो। तुम्हारे हनी-पॉट (योनि) को भरने के लिए इनको ढेर सारे रस का उत्पादन करना होता है! मेरा लण्ड तुम्हारी चूत को खूब फैलाएगा, खूब चोदेगा, और फिर उसको अपने जूस से भर देगा... पूरा भर देगा! अब मुझे अपना दूध पीने दो!”

मैं उसके चूचक फिर से पीने लगा, उधर उसने मेरे लिंग पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी, और शिश्नग्रच्छद को ऊपर और नीचे सरकाने लगी।

“क्या मेरे डार्लिंग को चोदने का मन है?” गैबी ने बड़ी शरारत से कहा। न जाने कैसे उसने शर्म को छोड़ कर मेरे खेल में शामिल होने का निर्णय ले लिया।

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया; उसका चूचक मेरे मुँह में ही था, इसलिए सर हिलाने के साथ साथ उसका स्तन भी ऊपर - नीचे हुआ।

“क्या तुम मुझे चोदोगे?” उसने खेल को आगे बढ़ाया।

मैंने फिर ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“आह! मेरी जान, मेरी बिकानो (योनि) को जलन हो रही है, क्योंकि तुम्हारा सारा ध्यान मेरे पेइतो (स्तन) पर है!”

उस समय मेरी उत्तेजना की स्थिति यह थी, कि मैं अपने लिंग को किसी भी योनि में डाल कर उसको भोग लूँ! इस समय मेरा लण्ड एक अच्छी, गर्म, नम, और तंग योनि में डुबकी लगाने के लिए बेताब हुआ जा रहा था। मैं इस समय प्रेम-प्रसंग (लव मेकिंग) के मूड में नहीं था; मैं इस समय शुद्ध चुदाई के मूड में था! बड़े लम्बे समय से एक दबी हुई वासना मेरे मन में उबल रही थी, इसलिए मैं उसका दबाव निकालना चाहता था। मैं बिस्तर से उठा, और अपनी बाहों का उपयोग करके गैबी को बिस्तर पर लिटा दिया। इसके बाद, मैंने बेहद जल्दबाज़ी में अपने कपड़े फ़ेंके, और खुद को गैबी की जाँघों के बीच साधा!

“ओह, भगवान,” गैबी ने बड़ी कामुकता से कहा।

सम्भोग के पूर्वानुमान में उसका सर करवट में हो गया, उसकी आँखें कस कर बंद हो गईं, और उसका चेहरा लाल हो गया। गैबी सोच रही होगी कि मेरा लिंग उसके अंदर जाते समय उसको कैसा महसूस होगा। मैं, पति पत्नी के रूप में एक होने के लिए जैसे ही उसके ऊपर झुका, उसने अपनी उंगलियों से अपनी योनि के होंठ फैला दिए, और मेरे लिंग को अपने दूसरे हाथ से पकड़ कर उसे अपनी योनि की ओर निर्देशित किया। उसकी योनि पिछले कुछ दिनों से हमारे संसर्ग की प्रत्याशा, अभी अभी हुए उसके चरमोत्कर्ष, और उसके स्तनों के चूसे जाने की उत्तेजनाओं से, भीग रही थी। तो, मैंने ज़ोर लगाया, और उसकी योनि के फाटक के दोनों पटों को धकेलते हुए भीतर तक घुस गया - जब तक उसके योनि के होंठ मेरे लिंग के आधार को चूमने नहीं लगे। शायद अतिउत्साह और उत्तेजना के कारण, उस धक्के में बल की मात्रा बहुत अधिक थी, और क्योंकि उसकी योनि इतनी अधिक चिकनी थी, पहले ही धक्के में मैं अपनी पत्नी के भीतर प्रवेश कर गया।

“आआह्ह्ह्ह! हे भगवान,” गैबी इस अचानक हुए हमले से चौंक गई। उसका चेहरा दर्द से विकृत हो गया, और पूरा शरीर दर्द से ऐंठ गया। उसने अपनी आँखें खोलीं और मेरी तरफ निरीहता से देखा,

“आह्ह! हनी, तुम सच में बहुत बड़े हो! मैं इसके लिए छोटी हूँ! थोड़ा सावधानी से!”

मुझे खुशी थी कि लड़की अनुभवी थी; अन्यथा, मेरी अनुभवहीनता और मेरी अधीरता ने उसे बहुत नुकसान पहुँचा दिया होता। या संभव है कि नुकसान पहुँचा दिया हो, और मुझे मालूम नहीं पड़ा। मुझे सम्भोग सही तरीके से करना होगा। मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया और गैबी को धीरे-धीरे से भोगने लगा। उसका चेहरा अभी भी दर्द से विकृत था, लेकिन उसकी मुझे आनंद देने की इच्छा इतनी बलवती थी, कि उसने अपना हाथ नीचे बढ़ाया, और मेरे अंडकोष को छुआ।

“हनी, तुम्हारे टेस्टेस (अंडकोष) भी बड़े हैं।” उसने कहा, फिर उसने अपनी आँखें फिर से बंद कर लीं और अपनी पीठ को थोड़ा मोड़ कर मुझे और स्थान दिया - अब वो संभोग की बनती हुई लय को महसूस कर रही थी। लेकिन उसकी आँखों के कोनों से मुझे आँसू गिरते दिखे! लेकिन क्या करूँ! मेरा लिंग बड़ा है, तो है! अब इसको काट कर, या छील कर छोटा तो नहीं किया जा सकता है न! दर्द तो महसूस करना ही पड़ेगा बेचारी को।

“ओह, भगवान,” उसने अस्पष्ट सा विलाप किया, “इतना लंबा समय हो गया है! ओह! बहुत अच्छा लग रहा है! बहुत अच्छा ... करते रहो... मेरे दर्द की परवाह न करो!”

मैंने सम्भोग लय में थोड़ा मसाला डालने के लिए गैबी के स्तनों को पकड़कर, और उन्हें दबा कर अपनी ओर उभारा, और सम्भोग करते हुए उसके चूचकों को बारी बारी चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर उसके स्तनों का आनंद लेने के बाद, मैं उस पर लगभग लेट गया और एक अच्छी, ठोस ‘चुदाई’ शुरू कर दी। जैसा मुझे उम्मीद थी, हर धक्के के साथ, गैबी का क्रंदन और विलाप निकलने लगा। उसको आनंद तो आ रहा था, लेकिन लिंग के आकार के कारन उसको असहज महसूस हो रहा था।

मुझको उत्साहित करने के लिए वो कराहते हुए, और रुक रुक कर बोली, “ओह डियर! माय लव! तुम बहुत अच्छे हो। मुझे बहुत खुशी है कि मैंने तुम्हारा इंतजार किया ... बहुत खुशी है कि मैंने इसके लिए इंतजार किया…”

अपने लिंग पर उसकी योनि की मज़बूत पकड़ मैं महसूस कर रहा था। काजल के साथ वैसा एहसास नहीं था - गैबी वाकई बहुत ही सँकरी थी। अपनी समझ से मैं तेज़ धक्के लगा रहा था, लेकिन योनि के सँकरेपन के कारण गति थोड़ी धीमी ही निकल रही थी। उसने मेरा साथ देने के लिए, मेरे ही लय में अपने कूल्हों से हल्का सा धक्का लगाया, और अपनी योनि को मेरे लिंग पर सरकने दिया। साथ ही वो मुझे प्रोत्साहन देने के लिए मेरी मर्दानगी की बढ़ाई करने लगी। लेकिन जब उससे बहुत अधिक हरक़त नहीं हो सकी, तो उसने अपनी टांगों को मेरी कमर के चारों ओर लपेट लिया, और मुझे दिल खोल कर सम्भोग करने दिया। इस प्रकार का उत्तेजन महसूस कर के, मुझे भी अपना चरमसुख आते हुए दिखने लगा। मैंने गैबी को आगाह किया मैं कुछ ही देर में स्खलित जाऊँगा। लेकिन, गैबी निश्चित रूप से बहुत अधिक उत्तेजित थी, और वो इस कार्य को रोकना नहीं चाहती थी, जिस कार्य में उसको ऐसा दर्दनाक आनंद आ रहा था!

उसने हाँफते हुए कहा, “अभी नहीं हनी, अभी नहीं। थोड़ा ब्रेक ले लो, और मुझे पोजीशन बदलने दो।”

तो मैंने उसको जो वो चाहती थी, वो करने दिया। उसने अपना दाहिना पैर ऊपर उठाया, और मुझसे अलग हो कर पेट के बल हो गई। इस पूरे समायोजन (एडजस्टमेन्ट) में एक बात यह दिलचस्प थी कि मेरा लिंग, गैबी की योनि से बाहर नहीं मिक्ला। मैं रुक गया, जब तक गैबी ठीक से एडजस्ट नहीं हो गई। अब तक मेरी साँसें थोड़ी शांत हो गईं। बढ़िया बात यह है कि मेरे लिंग ने मुझे निकट आते स्खलन का संकेत भेजना बंद कर दिया। मतलब हमारा पहला संभोग कुछ और देर चल सकता है। मैंने गैबी के कूल्हों को पकड़ लिया, और एक नए जोश के साथ धक्के लगाना शुरू कर दिया।

गैबी ने मेरी तरफ देखने की कोशिश करते हुए दर्द-भरी कामोत्तेजना से फुसफुसाया, “धीरे-धीरे, हनी... धीरे-धीरे!”

मैं अपनी गति पर थोड़ा विराम लगाया। गैबी ने अपना सर नीचे कर के मेरी तरफ़ हल्का सा धक्का लगाया। उसने एक मीठी आह भरी, और धीरे से कहा, “हनी, खूब आराम से करो! ये हमारा पहला मिलन है - मुझे यह देर तक चाहिए - इसलिए अपना समय लो सब करने में।”

एक सबक भी सीखने को मिला : एक अनुभवी महिला, जिसने लंबे समय तक सेक्स न किया हो, वो काफी अतृप्त हो सकती है! लेकिन ये एक अच्छी बात थी। सच में, पहला सम्भोग तो हमेशा ही यादगार होता है। इसलिए ये देर तक चलना चाहिए। मैंने धीरे-धीरे अपने लिंग को उसकी योनि से बाहर निकाला, और फिर धीरे-धीरे इसे अंदर की ओर धकेला। उसी लय में वो अपने कूल्हों को भी हिला रही थी - इसलिए योनि भेदन की गति अब अच्छी हो गई। हाँ, वाकई ये इंतजाम बहुत बेहतर था! मैं अब अपने दोनों हाथों से उसके स्तन और भगशेफ से खेल सकता था।

उसने कराहते हुए कहा, “ओह डार्लिंग! ए बिट ऑफ़ डायरेक्शन एंड यू परफ़ॉर्म ग्रेट!”

वास्तव में!

गैबी ने अब अपने कूल्हों की गति थोड़ा तेज कर दिया, और मैंने ठीक इसके विपरीत, अपनी गति धीमी कर दी। उसने इस बात को महसूस किया, मुस्कुराते हुए कहा, “अरे, तुम वाकई बड़ी तेजी से सीख गए!”

मैं हँसा, और अपनी उंगली ने उसके भगशेफ को छेड़ते हुए बोला, “हाँ, सिखाने वाली भी तो सेक्स की देवी है!”

कुछ और धक्कों के बाद, हाँफते हुए गैबी ने कहा, “हनी, अब बस, अब मैं थक गई! अब मैं ढलने के लिए बिलकुल तैयार हूँ!”

मैंने उसे चिढ़ाते हुए पूछा, “पक्का?”

वह मेरे लिंग पर अपना धक्का लगाते हुए, लगभग चिल्लाते हुए बोली, “येस!”

और फिर, उसके मुंह से रति-निष्पत्ति की चीख निकल गई; उसने अपने चेहरे को तकिए में घुसा दिया, जिससे उसकी चीख पुकार तक न जाए!

मुझे लगा कि उसकी योनि की दीवार मेरे लिंग की लम्बाई पर और भी अधिक कस गई है। अपने चरमसुख पर पहुँच कर गैबी की योनि एक अलग ही ताल पर नृत्य कर रही थी। मैं कराह उठा! उधर मेरी खुद की कामोत्तेजना ज़ोर पकड़ रही थी। मैं गैबी के साथ अपने सम्भोग के दौरान अपने आत्मविश्वास और जोश से हैरान था। वाकई, मज़ा आ गया! सच में, इतने दिनों तक इंतज़ार करने का फ़ल बड़ा ही सुखदायक रहा! मैं अपने आसन्न स्खलन के बारे में गैबी को सावधान करना चाहता था! लेकिन मैं कुछ कहता कि मेरा स्खलन शुरू हो गया - पहला वाला गोला, जैसे एक विस्फोट के रूप में मेरे लिंग से बाहर निकला, और गैबी के गर्भ में भीतर तक समां गया। अब मेरी बोली नहीं, बस सुख-कारी आहें ही निकलने वाली थीं। बोली फिर से एक धक्का लगाया, और दूसरी गोली चला दी। गैबी कराह उठी, और कांपने लगी! मानो उसे मेरे वीर्य का भार प्राप्त करने की बड़ी खुशी हुई हो! ऐसे ही कुछ और धक्कों के बाद, मेरा अंश पूरी तरह से गैबी के अंदर जमा हो गया।

जब मैंने अपना लिंग बाहर निकाला, तो यह देख कर दंग रह गया कि मेरे लिंग ने उस हालत में भी, गैबी के पेट पर एक दो और वीर्य की छोटी छोटी बूँदें गिराई! बहुत बढ़िया! जब मैं अंततः रुका, तो मैंने देखा कि मेरा वीर्य उसकी योनि से बाहर रिस रहा है...! हमारा पहला संसर्ग एक मैराथन था! अच्छा खासा समय बीत गया। थकावट और भावनाओं के रोलर-कोस्टर से उबर कर, मैं अपनी प्यारी पत्नी के ऊपर ही ढेर हो गया। हम दोनों ने अपनी साँसों को स्थिर करने में कुछ समय लिया। गैबी ने फिर अपनी योनि को छूने के लिए हाथ बढ़ाया - शायद वो पीड़ा के लक्षण महसूस कर रही थी, लेकिन हमारे सम्मिलित रसायनों ने उसकी उंगलियों को गीला कर दिया।

“हनी, क्या तुम... क्या तुम मेरे अंदर आए?” उसने पूछा।

“हाँ माय लव!”

“हे भगवान!” उसने कोमलता से कहा, “यह खतरनाक हो सकता है!”

उसके कहते ही हमारे बीच एक अजीब सी, संक्षिप्त सी खामोशी हो गई। मैं थोड़ा बुरा सा महसूस करने ही वाला था कि गैबी ने संतुष्ट हो कर कहा,

“ओह! मैं तो अब एक मैरिड वुमन हूं! और ये मेरे हस्बैंड का सीमन है! इसको तो मैं हमेशा अपने ही अंदर लेना चाहूँगी! किसी भी अन्य चीज से अधिक!”

गैबी ने यह बात बड़े आराम से कही थी। मुझे लगता है, कि क्योंकि अब हम शादीशुदा थे, तो अपने अंदर, मेरे बीज को स्वीकार करते हुए, उसे स्वाभाविक लगा होगा। उसने इस बात की पुष्टि की,

“हनी, उस बात को भूल जाओ जो मैंने पहले कही थी... मैं तुम्हारी पत्नी हूं, और मैं हमेशा, और बड़ी खुशी से अपने अंदर तुम्हारा सीमन लूंगी!”

उसने अपनी जीभ से अपनी उंगली को चाटा और कहा, “क्या तुमको मालूम है, कि तुम्हारा बड़ा बढ़िया है?”

मैंने उसका हाथ उसकी योनि पर जाते देखा; उसने अपनी उंगलियों पर मेरे रिसते हुए वीर्य को पोंछा, और फिर से उसको चाट लिया!

“बहुत बढ़िया!” उसने दोहराया।

***
 
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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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अपडेट की प्रतीक्षा में
लीजिए - 10 हज़ार शब्दों का अपडेट!
ऊपर दिया है :)
 

avsji

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Supreme
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Waiting bro. Chachi to khush ho gai. Aur bhee hogi kya. Intezar rahega.
अपडेट हाज़िर हैं - ऊपर :)
 
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Lib am

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पहला प्यार - विवाह - Update #7


उसके स्तन - हे भगवान! गैबी के स्तन 34B आकार के, बड़े प्यारे से स्तनों की जोड़ी! उसके चूचक अपने प्राकृतिक रंग से सुशोभित हो रहे थे। दोनों चूचक स्तंभित थे, और थोड़े मोटे लग रहे थे। उसके चूचक हाँलाकि आकार में छोटे थे, लेकिन उत्तेजनावश कड़े हो रखे थे और अपनी अधिकतम लंबाई को प्राप्त थे। चूचकों के बगल लगभग डेढ़ इंच का, चूचकों के ही रंग का एरोला था। मतलब, ऐसे स्तनों को कोई कैसे न पिए? उसके चूचक इतने सख्त हो गए थे कि मैं उनको अपने होंठों, और दाँतों के बीच लेने को मरा जा रहा था। गैबी के प्रत्येक स्तन पर फूल का एक बड़ा ही मोहक पैटर्न बना हुआ था - चूचक और एरोला को फूल के मध्य भाग (कोर) के रूप में ले लिया गया था और एरोला के गिर्द फूल की पंखुड़ियाँ निकल रही थीं। अच्छा किया कि उसके चूचक और एरोला के प्राकृतिक रंग को छेड़ा नहीं गया। नहीं तो उन फूलों की शोभा कम हो जाती!

गौर करने वाली बात यह है कि मेंहदी का रंग ठीक से सेट होने के लिए, मेहंदी को लगभग 12 से 16 घंटे के लिए शरीर छोड़ देना चाहिए, ताकि रंग जम जाए। सूख तो करीब एक घंटे में जाती है! लेकिन उसका रंग चढ़ने में उतना समय लग जाता है। इसका मतलब है कि, गैबी, और जिसका भी ये आईडिया हो (बहुत संभव है की माँ का ही आईडिया हो), ने बड़ी मेहनत करी है! वाह! और वो भी इस ठंड के मौसम में! अद्भुत! गैबी कुछ देर तक तो वैसे ही खड़ी रही, लेकिन जब उसने सोचा कि मैंने मन भर कर उसको देख लिया है, तो वो वापस बिस्तर पर बैठ गई। इसके बाद, उसने अब तक का सबसे कामुक काम किया - उसने एक हाथ से अपने एक स्तन को पकड़ते हुए ऊपर उठाया, जैसे कि मुझे दे रही हो, और बोली,

कम माय लव! इसको पियो - स्चुपार मेउस पेइतोस (मेरे स्तनों को पियो)।”

पिछले दिनों काजल और मेरे बीच में जो कुछ हुआ था, वो सब बातें मेरे दिमाग में तुरंत कौंध गईं। मैंने नग्न गैबी की कुछ और तस्वीरें क्लिक कीं और फिर उसके पास बैठ गया। उसने धीरे से मेरा सर अपनी ओर लिया, और मैंने उसका एक चूचक अपने मुँह में पकड़ लिया। जब मैं चूस रहा था तो उसने अपने स्तन को धीरे से निचोड़ना शुरू कर दिया, ताकि मुझे और अधिक दूध पिलाया जा सके। लेकिन गैबी को दूध तो आता ही नहीं - तो क्या यह सहज मातृ वृत्ति है, जो सभी स्त्रियों में होती है? कह पाना मुश्किल है। फिलहाल तो मैं उसके चूचक चूसने का आनंद उठा रहा था - उनका आकार मेरे मुँह में आ कर बढ़ गया, और मैं उनकी दृढ़ता महसूस कर सकता था। मैंने उसके पूरे चूचक को अपने मुंह में ले लिया, और अपने होंठों को उसके एरोला की नरम त्वचा पर महसूस किया। मेरे ऊपर एक पागलपन सवार हो गया - मैं उसके चूचकों को चबा रहा था, उनको कुतर रहा था, और उन्हें जोर से काट रहा था। गैबी मेरी हर हरकत को बर्दाश्त कर रही थी। मैं यह सब नाटक करता, और फिर से उसके पूरे चूचक को मुंह में ले कर चूसता। और फिर से वही सारा चक्कर शुरू कर देता। न जाने क्यों दिल में यह इच्छा उठती कि काश उनमे दूध आ जाए! गैबी मेरी हरकतों से आहत हो कर, और कमावेश से वशीभूत हो कर आहें भरने, और कराहने लगी! साथ ही साथ वो अन्यमनस्क हो कर मेरे चूसने के लय में ही अपने स्तनों को निचोड़ने लगी।

गैबी के स्तनों को पीना, काजल के स्तनों को पीने के बहुत समान भी था, लेकिन उससे बहुत भिन्न भी। उसका एक स्तन पीने से जब मेरा मन भर गया, तब मैंने अपना सर उसकी छाती पर से उठा लिया; उसका चूचक मेरी लार से सन कर चमक रहे थे, और बहुत सख्त हो गए थे। फिर मैंने दूसरा स्तन पीना शुरू कर दिया। उसका दूसरा चूचक उत्तेजनापूर्वक बाहर निकला हुआ था, मानो जैसे पुझसे खुद को चूसे जाने का आग्रह कर रहा था! तो फिर मैंने उसको भी चूसना, चबाना, काटना, और फिर चूसना शुरू कर दिया। जैसा उसने पहले स्तन को किया था, मेरे चूसने के साथ गैबी फिर से ताल में अपने इस स्तन को भी निचोड़ने लगी।

“ओह हनी, बहुत अच्छा लग रहा है!” उसने कोमलता से कहा।

उसने अपना खाली हाथ मेरे सर पर रखा, और अपनी उँगलियों को धीरे से मेरे बालों में घुमाया! मुझको सहलाते सहलाते, धीरे-धीरे उसका हाथ पजामे के ऊपर मेरे लिंग तक पहुँच गया। मेरे अंडरगारमेंट के बावजूद, मेरा लिंग बाहर तक उभर कर दिख रहा था।

“ओह गॉड!” उसने कहा, “माय सिनामन इस सो बिग!” और धीरे से उसे सहलाना शुरू किया!

पहले तो उसका हाथ मेरे लिंग को कपड़े के ऊपर से सहला रहा था, पर फिर उसका हाथ मेरे पजामे के अंदर, सीधा उस पर आ गया और मेरे लिंग की लंबाई पर ऊपर और नीचे सरकने लगा। युवावस्था किसी मनुष्य के जीवन का एक अद्भुत समय है। आप बहुत कम समय में यौन क्रीड़ा के लिए स्तंभित हो सकते हैं। गैबी के हाथ का स्पर्श पा कर मैं आकाश में तैरने लगा - उसकी उंगलियों का स्पर्श गर्म और कोमल था! उसके चूचक मुझे आनंद देने के लिए तत्पर थे, उसकी छाती कोमल और आरामदेह थी, और वो मुझसे फुसफुसा कर बातें कर रही थी,

“तुम्हारा लण्ड तो बहुत सख्त हो गया है। बेचारा! इसे कुछ मदद की ज़रूरत है... है ना? इतना बड़ा लण्ड! इतना मर्दाना! इतने बड़े बड़े टेस्टिकुलोस (अंडकोष)!”

गैबी नटखट हो रही थी, तो मैंने भी उसी के अंदाज़ में जवाब दिया, “हाँ, मेरा लण्ड बड़ा है ... मेरे अंडकोष बड़े हैं, क्योंकि तुम एक बड़ी और नटखट लड़की हो। तुम्हारे हनी-पॉट (योनि) को भरने के लिए इनको ढेर सारे रस का उत्पादन करना होता है! मेरा लण्ड तुम्हारी चूत को खूब फैलाएगा, खूब चोदेगा, और फिर उसको अपने जूस से भर देगा... पूरा भर देगा! अब मुझे अपना दूध पीने दो!”

मैं उसके चूचक फिर से पीने लगा, उधर उसने मेरे लिंग पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी, और शिश्नग्रच्छद को ऊपर और नीचे सरकाने लगी।

“क्या मेरे डार्लिंग को चोदने का मन है?” गैबी ने बड़ी शरारत से कहा। न जाने कैसे उसने शर्म को छोड़ कर मेरे खेल में शामिल होने का निर्णय ले लिया।

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया; उसका चूचक मेरे मुँह में ही था, इसलिए सर हिलाने के साथ साथ उसका स्तन भी ऊपर - नीचे हुआ।

“क्या तुम मुझे चोदोगे?” उसने खेल को आगे बढ़ाया।

मैंने फिर ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“आह! मेरी जान, मेरी बिकानो (योनि) को जलन हो रही है, क्योंकि तुम्हारा सारा ध्यान मेरे पेइतो (स्तन) पर है!”

उस समय मेरी उत्तेजना की स्थिति यह थी, कि मैं अपने लिंग को किसी भी योनि में डाल कर उसको भोग लूँ! इस समय मेरा लण्ड एक अच्छी, गर्म, नम, और तंग योनि में डुबकी लगाने के लिए बेताब हुआ जा रहा था। मैं इस समय प्रेम-प्रसंग (लव मेकिंग) के मूड में नहीं था; मैं इस समय शुद्ध चुदाई के मूड में था! बड़े लम्बे समय से एक दबी हुई वासना मेरे मन में उबल रही थी, इसलिए मैं उसका दबाव निकालना चाहता था। मैं बिस्तर से उठा, और अपनी बाहों का उपयोग करके गैबी को बिस्तर पर लिटा दिया। इसके बाद, मैंने बेहद जल्दबाज़ी में अपने कपड़े फ़ेंके, और खुद को गैबी की जाँघों के बीच साधा!

“ओह, भगवान,” गैबी ने बड़ी कामुकता से कहा।

सम्भोग के पूर्वानुमान में उसका सर करवट में हो गया, उसकी आँखें कस कर बंद हो गईं, और उसका चेहरा लाल हो गया। गैबी सोच रही होगी कि मेरा लिंग उसके अंदर जाते समय उसको कैसा महसूस होगा। मैं, पति पत्नी के रूप में एक होने के लिए जैसे ही उसके ऊपर झुका, उसने अपनी उंगलियों से अपनी योनि के होंठ फैला दिए, और मेरे लिंग को अपने दूसरे हाथ से पकड़ कर उसे अपनी योनि की ओर निर्देशित किया। उसकी योनि पिछले कुछ दिनों से हमारे संसर्ग की प्रत्याशा, अभी अभी हुए उसके चरमोत्कर्ष, और उसके स्तनों के चूसे जाने की उत्तेजनाओं से, भीग रही थी। तो, मैंने ज़ोर लगाया, और उसकी योनि के फाटक के दोनों पटों को धकेलते हुए भीतर तक घुस गया - जब तक उसके योनि के होंठ मेरे लिंग के आधार को चूमने नहीं लगे। शायद अतिउत्साह और उत्तेजना के कारण, उस धक्के में बल की मात्रा बहुत अधिक थी, और क्योंकि उसकी योनि इतनी अधिक चिकनी थी, पहले ही धक्के में मैं अपनी पत्नी के भीतर प्रवेश कर गया।

“आआह्ह्ह्ह! हे भगवान,” गैबी इस अचानक हुए हमले से चौंक गई। उसका चेहरा दर्द से विकृत हो गया, और पूरा शरीर दर्द से ऐंठ गया। उसने अपनी आँखें खोलीं और मेरी तरफ निरीहता से देखा,

“आह्ह! हनी, तुम सच में बहुत बड़े हो! मैं इसके लिए छोटी हूँ! थोड़ा सावधानी से!”

मुझे खुशी थी कि लड़की अनुभवी थी; अन्यथा, मेरी अनुभवहीनता और मेरी अधीरता ने उसे बहुत नुकसान पहुँचा दिया होता। या संभव है कि नुकसान पहुँचा दिया हो, और मुझे मालूम नहीं पड़ा। मुझे सम्भोग सही तरीके से करना होगा। मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया और गैबी को धीरे-धीरे से भोगने लगा। उसका चेहरा अभी भी दर्द से विकृत था, लेकिन उसकी मुझे आनंद देने की इच्छा इतनी बलवती थी, कि उसने अपना हाथ नीचे बढ़ाया, और मेरे अंडकोष को छुआ।

“हनी, तुम्हारे टेस्टेस (अंडकोष) भी बड़े हैं।” उसने कहा, फिर उसने अपनी आँखें फिर से बंद कर लीं और अपनी पीठ को थोड़ा मोड़ कर मुझे और स्थान दिया - अब वो संभोग की बनती हुई लय को महसूस कर रही थी। लेकिन उसकी आँखों के कोनों से मुझे आँसू गिरते दिखे! लेकिन क्या करूँ! मेरा लिंग बड़ा है, तो है! अब इसको काट कर, या छील कर छोटा तो नहीं किया जा सकता है न! दर्द तो महसूस करना ही पड़ेगा बेचारी को।

“ओह, भगवान,” उसने अस्पष्ट सा विलाप किया, “इतना लंबा समय हो गया है! ओह! बहुत अच्छा लग रहा है! बहुत अच्छा ... करते रहो... मेरे दर्द की परवाह न करो!”

मैंने सम्भोग लय में थोड़ा मसाला डालने के लिए गैबी के स्तनों को पकड़कर, और उन्हें दबा कर अपनी ओर उभारा, और सम्भोग करते हुए उसके चूचकों को बारी बारी चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर उसके स्तनों का आनंद लेने के बाद, मैं उस पर लगभग लेट गया और एक अच्छी, ठोस ‘चुदाई’ शुरू कर दी। जैसा मुझे उम्मीद थी, हर धक्के के साथ, गैबी का क्रंदन और विलाप निकलने लगा। उसको आनंद तो आ रहा था, लेकिन लिंग के आकार के कारन उसको असहज महसूस हो रहा था।

मुझको उत्साहित करने के लिए वो कराहते हुए, और रुक रुक कर बोली, “ओह डियर! माय लव! तुम बहुत अच्छे हो। मुझे बहुत खुशी है कि मैंने तुम्हारा इंतजार किया ... बहुत खुशी है कि मैंने इसके लिए इंतजार किया…”

अपने लिंग पर उसकी योनि की मज़बूत पकड़ मैं महसूस कर रहा था। काजल के साथ वैसा एहसास नहीं था - गैबी वाकई बहुत ही सँकरी थी। अपनी समझ से मैं तेज़ धक्के लगा रहा था, लेकिन योनि के सँकरेपन के कारण गति थोड़ी धीमी ही निकल रही थी। उसने मेरा साथ देने के लिए, मेरे ही लय में अपने कूल्हों से हल्का सा धक्का लगाया, और अपनी योनि को मेरे लिंग पर सरकने दिया। साथ ही वो मुझे प्रोत्साहन देने के लिए मेरी मर्दानगी की बढ़ाई करने लगी। लेकिन जब उससे बहुत अधिक हरक़त नहीं हो सकी, तो उसने अपनी टांगों को मेरी कमर के चारों ओर लपेट लिया, और मुझे दिल खोल कर सम्भोग करने दिया। इस प्रकार का उत्तेजन महसूस कर के, मुझे भी अपना चरमसुख आते हुए दिखने लगा। मैंने गैबी को आगाह किया मैं कुछ ही देर में स्खलित जाऊँगा। लेकिन, गैबी निश्चित रूप से बहुत अधिक उत्तेजित थी, और वो इस कार्य को रोकना नहीं चाहती थी, जिस कार्य में उसको ऐसा दर्दनाक आनंद आ रहा था!

उसने हाँफते हुए कहा, “अभी नहीं हनी, अभी नहीं। थोड़ा ब्रेक ले लो, और मुझे पोजीशन बदलने दो।”

तो मैंने उसको जो वो चाहती थी, वो करने दिया। उसने अपना दाहिना पैर ऊपर उठाया, और मुझसे अलग हो कर पेट के बल हो गई। इस पूरे समायोजन (एडजस्टमेन्ट) में एक बात यह दिलचस्प थी कि मेरा लिंग, गैबी की योनि से बाहर नहीं मिक्ला। मैं रुक गया, जब तक गैबी ठीक से एडजस्ट नहीं हो गई। अब तक मेरी साँसें थोड़ी शांत हो गईं। बढ़िया बात यह है कि मेरे लिंग ने मुझे निकट आते स्खलन का संकेत भेजना बंद कर दिया। मतलब हमारा पहला संभोग कुछ और देर चल सकता है। मैंने गैबी के कूल्हों को पकड़ लिया, और एक नए जोश के साथ धक्के लगाना शुरू कर दिया।

गैबी ने मेरी तरफ देखने की कोशिश करते हुए दर्द-भरी कामोत्तेजना से फुसफुसाया, “धीरे-धीरे, हनी... धीरे-धीरे!”

मैं अपनी गति पर थोड़ा विराम लगाया। गैबी ने अपना सर नीचे कर के मेरी तरफ़ हल्का सा धक्का लगाया। उसने एक मीठी आह भरी, और धीरे से कहा, “हनी, खूब आराम से करो! ये हमारा पहला मिलन है - मुझे यह देर तक चाहिए - इसलिए अपना समय लो सब करने में।”

एक सबक भी सीखने को मिला : एक अनुभवी महिला, जिसने लंबे समय तक सेक्स न किया हो, वो काफी अतृप्त हो सकती है! लेकिन ये एक अच्छी बात थी। सच में, पहला सम्भोग तो हमेशा ही यादगार होता है। इसलिए ये देर तक चलना चाहिए। मैंने धीरे-धीरे अपने लिंग को उसकी योनि से बाहर निकाला, और फिर धीरे-धीरे इसे अंदर की ओर धकेला। उसी लय में वो अपने कूल्हों को भी हिला रही थी - इसलिए योनि भेदन की गति अब अच्छी हो गई। हाँ, वाकई ये इंतजाम बहुत बेहतर था! मैं अब अपने दोनों हाथों से उसके स्तन और भगशेफ से खेल सकता था।

उसने कराहते हुए कहा, “ओह डार्लिंग! ए बिट ऑफ़ डायरेक्शन एंड यू परफ़ॉर्म ग्रेट!”

वास्तव में!

गैबी ने अब अपने कूल्हों की गति थोड़ा तेज कर दिया, और मैंने ठीक इसके विपरीत, अपनी गति धीमी कर दी। उसने इस बात को महसूस किया, मुस्कुराते हुए कहा, “अरे, तुम वाकई बड़ी तेजी से सीख गए!”

मैं हँसा, और अपनी उंगली ने उसके भगशेफ को छेड़ते हुए बोला, “हाँ, सिखाने वाली भी तो सेक्स की देवी है!”

कुछ और धक्कों के बाद, हाँफते हुए गैबी ने कहा, “हनी, अब बस, अब मैं थक गई! अब मैं ढलने के लिए बिलकुल तैयार हूँ!”

मैंने उसे चिढ़ाते हुए पूछा, “पक्का?”

वह मेरे लिंग पर अपना धक्का लगाते हुए, लगभग चिल्लाते हुए बोली, “येस!”

और फिर, उसके मुंह से रति-निष्पत्ति की चीख निकल गई; उसने अपने चेहरे को तकिए में घुसा दिया, जिससे उसकी चीख पुकार तक न जाए!

मुझे लगा कि उसकी योनि की दीवार मेरे लिंग की लम्बाई पर और भी अधिक कस गई है। अपने चरमसुख पर पहुँच कर गैबी की योनि एक अलग ही ताल पर नृत्य कर रही थी। मैं कराह उठा! उधर मेरी खुद की कामोत्तेजना ज़ोर पकड़ रही थी। मैं गैबी के साथ अपने सम्भोग के दौरान अपने आत्मविश्वास और जोश से हैरान था। वाकई, मज़ा आ गया! सच में, इतने दिनों तक इंतज़ार करने का फ़ल बड़ा ही सुखदायक रहा! मैं अपने आसन्न स्खलन के बारे में गैबी को सावधान करना चाहता था! लेकिन मैं कुछ कहता कि मेरा स्खलन शुरू हो गया - पहला वाला गोला, जैसे एक विस्फोट के रूप में मेरे लिंग से बाहर निकला, और गैबी के गर्भ में भीतर तक समां गया। अब मेरी बोली नहीं, बस सुख-कारी आहें ही निकलने वाली थीं। बोली फिर से एक धक्का लगाया, और दूसरी गोली चला दी। गैबी कराह उठी, और कांपने लगी! मानो उसे मेरे वीर्य का भार प्राप्त करने की बड़ी खुशी हुई हो! ऐसे ही कुछ और धक्कों के बाद, मेरा अंश पूरी तरह से गैबी के अंदर जमा हो गया।

जब मैंने अपना लिंग बाहर निकाला, तो यह देख कर दंग रह गया कि मेरे लिंग ने उस हालत में भी, गैबी के पेट पर एक दो और वीर्य की छोटी छोटी बूँदें गिराई! बहुत बढ़िया! जब मैं अंततः रुका, तो मैंने देखा कि मेरा वीर्य उसकी योनि से बाहर रिस रहा है...! हमारा पहला संसर्ग एक मैराथन था! अच्छा खासा समय बीत गया। थकावट और भावनाओं के रोलर-कोस्टर से उबर कर, मैं अपनी प्यारी पत्नी के ऊपर ही ढेर हो गया। हम दोनों ने अपनी साँसों को स्थिर करने में कुछ समय लिया। गैबी ने फिर अपनी योनि को छूने के लिए हाथ बढ़ाया - शायद वो पीड़ा के लक्षण महसूस कर रही थी, लेकिन हमारे सम्मिलित रसायनों ने उसकी उंगलियों को गीला कर दिया।

“हनी, क्या तुम... क्या तुम मेरे अंदर आए?” उसने पूछा।

“हाँ माय लव!”

“हे भगवान!” उसने कोमलता से कहा, “यह खतरनाक हो सकता है!”

उसके कहते ही हमारे बीच एक अजीब सी, संक्षिप्त सी खामोशी हो गई। मैं थोड़ा बुरा सा महसूस करने ही वाला था कि गैबी ने संतुष्ट हो कर कहा,

“ओह! मैं तो अब एक मैरिड वुमन हूं! और ये मेरे हस्बैंड का सीमन है! इसको तो मैं हमेशा अपने ही अंदर लेना चाहूँगी! किसी भी अन्य चीज से अधिक!”

गैबी ने यह बात बड़े आराम से कही थी। मुझे लगता है, कि क्योंकि अब हम शादीशुदा थे, तो अपने अंदर, मेरे बीज को स्वीकार करते हुए, उसे स्वाभाविक लगा होगा। उसने इस बात की पुष्टि की,

“हनी, उस बात को भूल जाओ जो मैंने पहले कही थी... मैं तुम्हारी पत्नी हूं, और मैं हमेशा, और बड़ी खुशी से अपने अंदर तुम्हारा सीमन लूंगी!”

उसने अपनी जीभ से अपनी उंगली को चाटा और कहा, “क्या तुमको मालूम है, कि तुम्हारा बड़ा बढ़िया है?”

मैंने उसका हाथ उसकी योनि पर जाते देखा; उसने अपनी उंगलियों पर मेरे रिसते हुए वीर्य को पोंछा, और फिर से उसको चाट लिया!

“बहुत बढ़िया!” उसने दोहराया।

***
बहुत ही जबरदस्त और विस्तृत वर्णन किया है शादी और प्रथम मिलन का । बहुत ही कामुक और मजेदार।
 
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पहला प्यार - विवाह - Update #7


उसके स्तन - हे भगवान! गैबी के स्तन 34B आकार के, बड़े प्यारे से स्तनों की जोड़ी! उसके चूचक अपने प्राकृतिक रंग से सुशोभित हो रहे थे। दोनों चूचक स्तंभित थे, और थोड़े मोटे लग रहे थे। उसके चूचक हाँलाकि आकार में छोटे थे, लेकिन उत्तेजनावश कड़े हो रखे थे और अपनी अधिकतम लंबाई को प्राप्त थे। चूचकों के बगल लगभग डेढ़ इंच का, चूचकों के ही रंग का एरोला था। मतलब, ऐसे स्तनों को कोई कैसे न पिए? उसके चूचक इतने सख्त हो गए थे कि मैं उनको अपने होंठों, और दाँतों के बीच लेने को मरा जा रहा था। गैबी के प्रत्येक स्तन पर फूल का एक बड़ा ही मोहक पैटर्न बना हुआ था - चूचक और एरोला को फूल के मध्य भाग (कोर) के रूप में ले लिया गया था और एरोला के गिर्द फूल की पंखुड़ियाँ निकल रही थीं। अच्छा किया कि उसके चूचक और एरोला के प्राकृतिक रंग को छेड़ा नहीं गया। नहीं तो उन फूलों की शोभा कम हो जाती!

गौर करने वाली बात यह है कि मेंहदी का रंग ठीक से सेट होने के लिए, मेहंदी को लगभग 12 से 16 घंटे के लिए शरीर छोड़ देना चाहिए, ताकि रंग जम जाए। सूख तो करीब एक घंटे में जाती है! लेकिन उसका रंग चढ़ने में उतना समय लग जाता है। इसका मतलब है कि, गैबी, और जिसका भी ये आईडिया हो (बहुत संभव है की माँ का ही आईडिया हो), ने बड़ी मेहनत करी है! वाह! और वो भी इस ठंड के मौसम में! अद्भुत! गैबी कुछ देर तक तो वैसे ही खड़ी रही, लेकिन जब उसने सोचा कि मैंने मन भर कर उसको देख लिया है, तो वो वापस बिस्तर पर बैठ गई। इसके बाद, उसने अब तक का सबसे कामुक काम किया - उसने एक हाथ से अपने एक स्तन को पकड़ते हुए ऊपर उठाया, जैसे कि मुझे दे रही हो, और बोली,

कम माय लव! इसको पियो - स्चुपार मेउस पेइतोस (मेरे स्तनों को पियो)।”

पिछले दिनों काजल और मेरे बीच में जो कुछ हुआ था, वो सब बातें मेरे दिमाग में तुरंत कौंध गईं। मैंने नग्न गैबी की कुछ और तस्वीरें क्लिक कीं और फिर उसके पास बैठ गया। उसने धीरे से मेरा सर अपनी ओर लिया, और मैंने उसका एक चूचक अपने मुँह में पकड़ लिया। जब मैं चूस रहा था तो उसने अपने स्तन को धीरे से निचोड़ना शुरू कर दिया, ताकि मुझे और अधिक दूध पिलाया जा सके। लेकिन गैबी को दूध तो आता ही नहीं - तो क्या यह सहज मातृ वृत्ति है, जो सभी स्त्रियों में होती है? कह पाना मुश्किल है। फिलहाल तो मैं उसके चूचक चूसने का आनंद उठा रहा था - उनका आकार मेरे मुँह में आ कर बढ़ गया, और मैं उनकी दृढ़ता महसूस कर सकता था। मैंने उसके पूरे चूचक को अपने मुंह में ले लिया, और अपने होंठों को उसके एरोला की नरम त्वचा पर महसूस किया। मेरे ऊपर एक पागलपन सवार हो गया - मैं उसके चूचकों को चबा रहा था, उनको कुतर रहा था, और उन्हें जोर से काट रहा था। गैबी मेरी हर हरकत को बर्दाश्त कर रही थी। मैं यह सब नाटक करता, और फिर से उसके पूरे चूचक को मुंह में ले कर चूसता। और फिर से वही सारा चक्कर शुरू कर देता। न जाने क्यों दिल में यह इच्छा उठती कि काश उनमे दूध आ जाए! गैबी मेरी हरकतों से आहत हो कर, और कमावेश से वशीभूत हो कर आहें भरने, और कराहने लगी! साथ ही साथ वो अन्यमनस्क हो कर मेरे चूसने के लय में ही अपने स्तनों को निचोड़ने लगी।

गैबी के स्तनों को पीना, काजल के स्तनों को पीने के बहुत समान भी था, लेकिन उससे बहुत भिन्न भी। उसका एक स्तन पीने से जब मेरा मन भर गया, तब मैंने अपना सर उसकी छाती पर से उठा लिया; उसका चूचक मेरी लार से सन कर चमक रहे थे, और बहुत सख्त हो गए थे। फिर मैंने दूसरा स्तन पीना शुरू कर दिया। उसका दूसरा चूचक उत्तेजनापूर्वक बाहर निकला हुआ था, मानो जैसे पुझसे खुद को चूसे जाने का आग्रह कर रहा था! तो फिर मैंने उसको भी चूसना, चबाना, काटना, और फिर चूसना शुरू कर दिया। जैसा उसने पहले स्तन को किया था, मेरे चूसने के साथ गैबी फिर से ताल में अपने इस स्तन को भी निचोड़ने लगी।

“ओह हनी, बहुत अच्छा लग रहा है!” उसने कोमलता से कहा।

उसने अपना खाली हाथ मेरे सर पर रखा, और अपनी उँगलियों को धीरे से मेरे बालों में घुमाया! मुझको सहलाते सहलाते, धीरे-धीरे उसका हाथ पजामे के ऊपर मेरे लिंग तक पहुँच गया। मेरे अंडरगारमेंट के बावजूद, मेरा लिंग बाहर तक उभर कर दिख रहा था।

“ओह गॉड!” उसने कहा, “माय सिनामन इस सो बिग!” और धीरे से उसे सहलाना शुरू किया!

पहले तो उसका हाथ मेरे लिंग को कपड़े के ऊपर से सहला रहा था, पर फिर उसका हाथ मेरे पजामे के अंदर, सीधा उस पर आ गया और मेरे लिंग की लंबाई पर ऊपर और नीचे सरकने लगा। युवावस्था किसी मनुष्य के जीवन का एक अद्भुत समय है। आप बहुत कम समय में यौन क्रीड़ा के लिए स्तंभित हो सकते हैं। गैबी के हाथ का स्पर्श पा कर मैं आकाश में तैरने लगा - उसकी उंगलियों का स्पर्श गर्म और कोमल था! उसके चूचक मुझे आनंद देने के लिए तत्पर थे, उसकी छाती कोमल और आरामदेह थी, और वो मुझसे फुसफुसा कर बातें कर रही थी,

“तुम्हारा लण्ड तो बहुत सख्त हो गया है। बेचारा! इसे कुछ मदद की ज़रूरत है... है ना? इतना बड़ा लण्ड! इतना मर्दाना! इतने बड़े बड़े टेस्टिकुलोस (अंडकोष)!”

गैबी नटखट हो रही थी, तो मैंने भी उसी के अंदाज़ में जवाब दिया, “हाँ, मेरा लण्ड बड़ा है ... मेरे अंडकोष बड़े हैं, क्योंकि तुम एक बड़ी और नटखट लड़की हो। तुम्हारे हनी-पॉट (योनि) को भरने के लिए इनको ढेर सारे रस का उत्पादन करना होता है! मेरा लण्ड तुम्हारी चूत को खूब फैलाएगा, खूब चोदेगा, और फिर उसको अपने जूस से भर देगा... पूरा भर देगा! अब मुझे अपना दूध पीने दो!”

मैं उसके चूचक फिर से पीने लगा, उधर उसने मेरे लिंग पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी, और शिश्नग्रच्छद को ऊपर और नीचे सरकाने लगी।

“क्या मेरे डार्लिंग को चोदने का मन है?” गैबी ने बड़ी शरारत से कहा। न जाने कैसे उसने शर्म को छोड़ कर मेरे खेल में शामिल होने का निर्णय ले लिया।

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया; उसका चूचक मेरे मुँह में ही था, इसलिए सर हिलाने के साथ साथ उसका स्तन भी ऊपर - नीचे हुआ।

“क्या तुम मुझे चोदोगे?” उसने खेल को आगे बढ़ाया।

मैंने फिर ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“आह! मेरी जान, मेरी बिकानो (योनि) को जलन हो रही है, क्योंकि तुम्हारा सारा ध्यान मेरे पेइतो (स्तन) पर है!”

उस समय मेरी उत्तेजना की स्थिति यह थी, कि मैं अपने लिंग को किसी भी योनि में डाल कर उसको भोग लूँ! इस समय मेरा लण्ड एक अच्छी, गर्म, नम, और तंग योनि में डुबकी लगाने के लिए बेताब हुआ जा रहा था। मैं इस समय प्रेम-प्रसंग (लव मेकिंग) के मूड में नहीं था; मैं इस समय शुद्ध चुदाई के मूड में था! बड़े लम्बे समय से एक दबी हुई वासना मेरे मन में उबल रही थी, इसलिए मैं उसका दबाव निकालना चाहता था। मैं बिस्तर से उठा, और अपनी बाहों का उपयोग करके गैबी को बिस्तर पर लिटा दिया। इसके बाद, मैंने बेहद जल्दबाज़ी में अपने कपड़े फ़ेंके, और खुद को गैबी की जाँघों के बीच साधा!

“ओह, भगवान,” गैबी ने बड़ी कामुकता से कहा।

सम्भोग के पूर्वानुमान में उसका सर करवट में हो गया, उसकी आँखें कस कर बंद हो गईं, और उसका चेहरा लाल हो गया। गैबी सोच रही होगी कि मेरा लिंग उसके अंदर जाते समय उसको कैसा महसूस होगा। मैं, पति पत्नी के रूप में एक होने के लिए जैसे ही उसके ऊपर झुका, उसने अपनी उंगलियों से अपनी योनि के होंठ फैला दिए, और मेरे लिंग को अपने दूसरे हाथ से पकड़ कर उसे अपनी योनि की ओर निर्देशित किया। उसकी योनि पिछले कुछ दिनों से हमारे संसर्ग की प्रत्याशा, अभी अभी हुए उसके चरमोत्कर्ष, और उसके स्तनों के चूसे जाने की उत्तेजनाओं से, भीग रही थी। तो, मैंने ज़ोर लगाया, और उसकी योनि के फाटक के दोनों पटों को धकेलते हुए भीतर तक घुस गया - जब तक उसके योनि के होंठ मेरे लिंग के आधार को चूमने नहीं लगे। शायद अतिउत्साह और उत्तेजना के कारण, उस धक्के में बल की मात्रा बहुत अधिक थी, और क्योंकि उसकी योनि इतनी अधिक चिकनी थी, पहले ही धक्के में मैं अपनी पत्नी के भीतर प्रवेश कर गया।

“आआह्ह्ह्ह! हे भगवान,” गैबी इस अचानक हुए हमले से चौंक गई। उसका चेहरा दर्द से विकृत हो गया, और पूरा शरीर दर्द से ऐंठ गया। उसने अपनी आँखें खोलीं और मेरी तरफ निरीहता से देखा,

“आह्ह! हनी, तुम सच में बहुत बड़े हो! मैं इसके लिए छोटी हूँ! थोड़ा सावधानी से!”

मुझे खुशी थी कि लड़की अनुभवी थी; अन्यथा, मेरी अनुभवहीनता और मेरी अधीरता ने उसे बहुत नुकसान पहुँचा दिया होता। या संभव है कि नुकसान पहुँचा दिया हो, और मुझे मालूम नहीं पड़ा। मुझे सम्भोग सही तरीके से करना होगा। मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया और गैबी को धीरे-धीरे से भोगने लगा। उसका चेहरा अभी भी दर्द से विकृत था, लेकिन उसकी मुझे आनंद देने की इच्छा इतनी बलवती थी, कि उसने अपना हाथ नीचे बढ़ाया, और मेरे अंडकोष को छुआ।

“हनी, तुम्हारे टेस्टेस (अंडकोष) भी बड़े हैं।” उसने कहा, फिर उसने अपनी आँखें फिर से बंद कर लीं और अपनी पीठ को थोड़ा मोड़ कर मुझे और स्थान दिया - अब वो संभोग की बनती हुई लय को महसूस कर रही थी। लेकिन उसकी आँखों के कोनों से मुझे आँसू गिरते दिखे! लेकिन क्या करूँ! मेरा लिंग बड़ा है, तो है! अब इसको काट कर, या छील कर छोटा तो नहीं किया जा सकता है न! दर्द तो महसूस करना ही पड़ेगा बेचारी को।

“ओह, भगवान,” उसने अस्पष्ट सा विलाप किया, “इतना लंबा समय हो गया है! ओह! बहुत अच्छा लग रहा है! बहुत अच्छा ... करते रहो... मेरे दर्द की परवाह न करो!”

मैंने सम्भोग लय में थोड़ा मसाला डालने के लिए गैबी के स्तनों को पकड़कर, और उन्हें दबा कर अपनी ओर उभारा, और सम्भोग करते हुए उसके चूचकों को बारी बारी चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर उसके स्तनों का आनंद लेने के बाद, मैं उस पर लगभग लेट गया और एक अच्छी, ठोस ‘चुदाई’ शुरू कर दी। जैसा मुझे उम्मीद थी, हर धक्के के साथ, गैबी का क्रंदन और विलाप निकलने लगा। उसको आनंद तो आ रहा था, लेकिन लिंग के आकार के कारन उसको असहज महसूस हो रहा था।

मुझको उत्साहित करने के लिए वो कराहते हुए, और रुक रुक कर बोली, “ओह डियर! माय लव! तुम बहुत अच्छे हो। मुझे बहुत खुशी है कि मैंने तुम्हारा इंतजार किया ... बहुत खुशी है कि मैंने इसके लिए इंतजार किया…”

अपने लिंग पर उसकी योनि की मज़बूत पकड़ मैं महसूस कर रहा था। काजल के साथ वैसा एहसास नहीं था - गैबी वाकई बहुत ही सँकरी थी। अपनी समझ से मैं तेज़ धक्के लगा रहा था, लेकिन योनि के सँकरेपन के कारण गति थोड़ी धीमी ही निकल रही थी। उसने मेरा साथ देने के लिए, मेरे ही लय में अपने कूल्हों से हल्का सा धक्का लगाया, और अपनी योनि को मेरे लिंग पर सरकने दिया। साथ ही वो मुझे प्रोत्साहन देने के लिए मेरी मर्दानगी की बढ़ाई करने लगी। लेकिन जब उससे बहुत अधिक हरक़त नहीं हो सकी, तो उसने अपनी टांगों को मेरी कमर के चारों ओर लपेट लिया, और मुझे दिल खोल कर सम्भोग करने दिया। इस प्रकार का उत्तेजन महसूस कर के, मुझे भी अपना चरमसुख आते हुए दिखने लगा। मैंने गैबी को आगाह किया मैं कुछ ही देर में स्खलित जाऊँगा। लेकिन, गैबी निश्चित रूप से बहुत अधिक उत्तेजित थी, और वो इस कार्य को रोकना नहीं चाहती थी, जिस कार्य में उसको ऐसा दर्दनाक आनंद आ रहा था!

उसने हाँफते हुए कहा, “अभी नहीं हनी, अभी नहीं। थोड़ा ब्रेक ले लो, और मुझे पोजीशन बदलने दो।”

तो मैंने उसको जो वो चाहती थी, वो करने दिया। उसने अपना दाहिना पैर ऊपर उठाया, और मुझसे अलग हो कर पेट के बल हो गई। इस पूरे समायोजन (एडजस्टमेन्ट) में एक बात यह दिलचस्प थी कि मेरा लिंग, गैबी की योनि से बाहर नहीं मिक्ला। मैं रुक गया, जब तक गैबी ठीक से एडजस्ट नहीं हो गई। अब तक मेरी साँसें थोड़ी शांत हो गईं। बढ़िया बात यह है कि मेरे लिंग ने मुझे निकट आते स्खलन का संकेत भेजना बंद कर दिया। मतलब हमारा पहला संभोग कुछ और देर चल सकता है। मैंने गैबी के कूल्हों को पकड़ लिया, और एक नए जोश के साथ धक्के लगाना शुरू कर दिया।

गैबी ने मेरी तरफ देखने की कोशिश करते हुए दर्द-भरी कामोत्तेजना से फुसफुसाया, “धीरे-धीरे, हनी... धीरे-धीरे!”

मैं अपनी गति पर थोड़ा विराम लगाया। गैबी ने अपना सर नीचे कर के मेरी तरफ़ हल्का सा धक्का लगाया। उसने एक मीठी आह भरी, और धीरे से कहा, “हनी, खूब आराम से करो! ये हमारा पहला मिलन है - मुझे यह देर तक चाहिए - इसलिए अपना समय लो सब करने में।”

एक सबक भी सीखने को मिला : एक अनुभवी महिला, जिसने लंबे समय तक सेक्स न किया हो, वो काफी अतृप्त हो सकती है! लेकिन ये एक अच्छी बात थी। सच में, पहला सम्भोग तो हमेशा ही यादगार होता है। इसलिए ये देर तक चलना चाहिए। मैंने धीरे-धीरे अपने लिंग को उसकी योनि से बाहर निकाला, और फिर धीरे-धीरे इसे अंदर की ओर धकेला। उसी लय में वो अपने कूल्हों को भी हिला रही थी - इसलिए योनि भेदन की गति अब अच्छी हो गई। हाँ, वाकई ये इंतजाम बहुत बेहतर था! मैं अब अपने दोनों हाथों से उसके स्तन और भगशेफ से खेल सकता था।

उसने कराहते हुए कहा, “ओह डार्लिंग! ए बिट ऑफ़ डायरेक्शन एंड यू परफ़ॉर्म ग्रेट!”

वास्तव में!

गैबी ने अब अपने कूल्हों की गति थोड़ा तेज कर दिया, और मैंने ठीक इसके विपरीत, अपनी गति धीमी कर दी। उसने इस बात को महसूस किया, मुस्कुराते हुए कहा, “अरे, तुम वाकई बड़ी तेजी से सीख गए!”

मैं हँसा, और अपनी उंगली ने उसके भगशेफ को छेड़ते हुए बोला, “हाँ, सिखाने वाली भी तो सेक्स की देवी है!”

कुछ और धक्कों के बाद, हाँफते हुए गैबी ने कहा, “हनी, अब बस, अब मैं थक गई! अब मैं ढलने के लिए बिलकुल तैयार हूँ!”

मैंने उसे चिढ़ाते हुए पूछा, “पक्का?”

वह मेरे लिंग पर अपना धक्का लगाते हुए, लगभग चिल्लाते हुए बोली, “येस!”

और फिर, उसके मुंह से रति-निष्पत्ति की चीख निकल गई; उसने अपने चेहरे को तकिए में घुसा दिया, जिससे उसकी चीख पुकार तक न जाए!

मुझे लगा कि उसकी योनि की दीवार मेरे लिंग की लम्बाई पर और भी अधिक कस गई है। अपने चरमसुख पर पहुँच कर गैबी की योनि एक अलग ही ताल पर नृत्य कर रही थी। मैं कराह उठा! उधर मेरी खुद की कामोत्तेजना ज़ोर पकड़ रही थी। मैं गैबी के साथ अपने सम्भोग के दौरान अपने आत्मविश्वास और जोश से हैरान था। वाकई, मज़ा आ गया! सच में, इतने दिनों तक इंतज़ार करने का फ़ल बड़ा ही सुखदायक रहा! मैं अपने आसन्न स्खलन के बारे में गैबी को सावधान करना चाहता था! लेकिन मैं कुछ कहता कि मेरा स्खलन शुरू हो गया - पहला वाला गोला, जैसे एक विस्फोट के रूप में मेरे लिंग से बाहर निकला, और गैबी के गर्भ में भीतर तक समां गया। अब मेरी बोली नहीं, बस सुख-कारी आहें ही निकलने वाली थीं। बोली फिर से एक धक्का लगाया, और दूसरी गोली चला दी। गैबी कराह उठी, और कांपने लगी! मानो उसे मेरे वीर्य का भार प्राप्त करने की बड़ी खुशी हुई हो! ऐसे ही कुछ और धक्कों के बाद, मेरा अंश पूरी तरह से गैबी के अंदर जमा हो गया।

जब मैंने अपना लिंग बाहर निकाला, तो यह देख कर दंग रह गया कि मेरे लिंग ने उस हालत में भी, गैबी के पेट पर एक दो और वीर्य की छोटी छोटी बूँदें गिराई! बहुत बढ़िया! जब मैं अंततः रुका, तो मैंने देखा कि मेरा वीर्य उसकी योनि से बाहर रिस रहा है...! हमारा पहला संसर्ग एक मैराथन था! अच्छा खासा समय बीत गया। थकावट और भावनाओं के रोलर-कोस्टर से उबर कर, मैं अपनी प्यारी पत्नी के ऊपर ही ढेर हो गया। हम दोनों ने अपनी साँसों को स्थिर करने में कुछ समय लिया। गैबी ने फिर अपनी योनि को छूने के लिए हाथ बढ़ाया - शायद वो पीड़ा के लक्षण महसूस कर रही थी, लेकिन हमारे सम्मिलित रसायनों ने उसकी उंगलियों को गीला कर दिया।

“हनी, क्या तुम... क्या तुम मेरे अंदर आए?” उसने पूछा।

“हाँ माय लव!”

“हे भगवान!” उसने कोमलता से कहा, “यह खतरनाक हो सकता है!”

उसके कहते ही हमारे बीच एक अजीब सी, संक्षिप्त सी खामोशी हो गई। मैं थोड़ा बुरा सा महसूस करने ही वाला था कि गैबी ने संतुष्ट हो कर कहा,

“ओह! मैं तो अब एक मैरिड वुमन हूं! और ये मेरे हस्बैंड का सीमन है! इसको तो मैं हमेशा अपने ही अंदर लेना चाहूँगी! किसी भी अन्य चीज से अधिक!”

गैबी ने यह बात बड़े आराम से कही थी। मुझे लगता है, कि क्योंकि अब हम शादीशुदा थे, तो अपने अंदर, मेरे बीज को स्वीकार करते हुए, उसे स्वाभाविक लगा होगा। उसने इस बात की पुष्टि की,

“हनी, उस बात को भूल जाओ जो मैंने पहले कही थी... मैं तुम्हारी पत्नी हूं, और मैं हमेशा, और बड़ी खुशी से अपने अंदर तुम्हारा सीमन लूंगी!”

उसने अपनी जीभ से अपनी उंगली को चाटा और कहा, “क्या तुमको मालूम है, कि तुम्हारा बड़ा बढ़िया है?”

मैंने उसका हाथ उसकी योनि पर जाते देखा; उसने अपनी उंगलियों पर मेरे रिसते हुए वीर्य को पोंछा, और फिर से उसको चाट लिया!

“बहुत बढ़िया!” उसने दोहराया।

***
zabardast update..!!
dono shaadi ho gayi aur suhaagrat bhi..maja aa gaya..!!
 
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