पहला प्यार - विवाह - Update #20
गैबी और मुझे सवेरे उठते उठते काफ़ी देर हो गई - लगभग साढ़े दस बज गए थे! ऐसी नींद तो शायद ही कभी आई हो हमको! जब हम कमरे से बाहर निकले, तो पाया कि घर घर में शांति है! केवल माँ और काजल ही थे वहाँ पर! आज थोड़ी गर्मी बढ़ी हुई थी! फिर भी ताज़गी जैसा नहीं लग रहा था, और हम दोनों ही उनींदे थे।
“गुड मॉर्निंग, बच्चों! हाँ, अब लग रहा है कि तुम्हारा हनीमून चल रहा है!” माँ ने हँसते हुए कहा।
“गुड मॉर्निंग माँ!” काजल ने माँ के पैर छूते हुए कहा, और फिर, “गुड मॉर्निंग मेरी दूसरी माँ!” गैबी ने काजल के भी पैर छू लिए!
काजल को इस बात की कोई उम्मीद नहीं थी; इसलिए गैबी की इस हरकत पर उसको आश्चर्य हुआ और बहुत प्रेम भी आया। उसने बड़े स्नेह से गैबी को अपने गले से लगा कर चूम लिया।
“माँ, बहुत भूख लगी है!” मैंने कहा, “कुछ खाने को है?”
“सब है! लेकिन पहले नहा लो!”
“क्या माँ! अभी अभी तो सो कर उठे हैं!”
“हाँ, लेकिन तुम दोनों के शरीर से गंध आ रही है!” माँ ने कहा।
उन्होंने कहा कि जैसे उन्होंने कल सुनील को नहलाया है, वैसे ही वो हमको भी नहला देंगीं। उन्होंने समझाया कि हमारे शरीर से दुर्गन्ध आ रही थी। लेकिन ठंडक के आलस्य के कारण, मैं न नहाने के बहाने ढूँढ़ने लगा। लेकिन तब माँ ने कहा कि सेक्स के लिए शरीर की साफ-सफाई जरूरी है, नहीं तो इससे संक्रमण होने का डर रहता है - खासतौर पर गैबी में। बात तो सही है - अगर ठीक से सफाई न हो, तो जननांग में संक्रमण होने की सम्भावना बहुत बढ़ जाती है। गैबी को ऐसा कुछ हो जाए, यह तो मैं नहीं चाहता था। नहाने में थोड़ी समस्या थी। नहाने के लिए हमको घर से बाहर जाना पड़ता। जो बाथरूम बनवाया गया था, वो घर से बाहर था। जब वो बाथरूम नहीं बना था तो घर की महिलाएं घर के अंदर, आंगन में, नहीं तो बाहर कुएँ पर स्नान कर लेती थीं। तो तय हुआ कि मैं बाहर, बाथरूम में, जबकि माँ, गैबी, और काजल घर के अंदर नहा सकती हैं। जाहिर है, मुझे लंबे समय तक बाहर रहना पड़ता, क्योंकि तीन महिलाओं को स्नान करना था और घर अंदर से बंद रहेगा। यह कोई आइडियल सिचुएशन नहीं थी। खास तौर पर ठंडक में! क्या मज़ा आए अगर मैं भी वहीं, गैबी के साथ नहा लूँ? मैंने तर्क दिया कि गैबी या काजल या माँ के सामने स्नान करने में कोई बुराई नहीं है, आखिरकार, उनमें से प्रत्येक ने मुझे कभी न कभी नग्न तो देखा ही था।
माँ ने मुझसे मज़ाक में कहा कि क्या इस परिवार में कोई ऐसा बचा हुआ है जिसने मुझे नग्न नहीं देखा था! उनकी बात पर मैंने महसूस किया कि वो शायद इस बात को दोहरा रही थीं कि काजल और उसके बच्चे इस परिवार का हिस्सा हैं! काजल के लिए यह बहुत बड़ी बात थी! पहले तो संभव है कि उसने सोचा हो कि शायद माँ और डैड ने केवल उसका मन रखने के लिए उसको अपने परिवार का हिस्सा कहा था... ताकि वो खुद को अकेला महसूस न करे। लेकिन अब उनकी बात पर कोई शक नहीं था! माँ की बात पर काजल काफी खुश नजर आ रही थी, और गौरान्वित भी! तो तय हुआ... गैबी और मुझे साथ में नहाना था, और काजल और माँ हमको नहलाने वाली थीं। यह सब ऐसे तय कर लिया गया, जैसे कि यह कोई आम बात हो!
लकड़ी के चूल्हे की प्राचीन पद्धति का उपयोग करते हुए, काजल ने पानी से भरे दो भगोनों (एक प्रकार का बड़ा बर्तन) को गरम किया, और मेरी मदद से हमारे स्नान के लिए आँगन में लाया। आँगन में हैंडपंप लगा हुआ था, जिससे ताज़ा पानी, गर्म पानी में मिलाया जा सकता था। माँ ने गैबी को नहलाया, जबकि काजल ने मुझे नहलाया। मैंने देखा कि माँ ने गैबी की योनि को साफ करने में थोड़ा अधिक समय बिताया - पानी का उपयोग करके उसे अंदर भी साफ किया। वहाँ से प्रभावित हो कर काजल ने भी मुझे अच्छी तरह धोया। आश्चर्य की बात नहीं, कि मेरा लिंग कुछ ही समय में फिर से कड़ा हो गया। माँ मुझे इस हालत में देख कर हँस पड़ीं,
“अपने छुन्नू पर कोई कण्ट्रोल है तुम्हारा?”
“रहने दीजिए ना माँ जी। सुंदर सा तो है।” काजल यह कहते हुए शरमा गई।
“हाँ... इसी सुंदरता ने ही तो मेरी दोनो बेटियों की म्यानी खोल कर रख दी है…”
“माँ जी!” काजल ने अपना चेहरा अपनी हथेलियों से छुपा लिया।
“क्या माँ जी! क्या मुझे समझ में नहीं आता कि तुम तीनों के बीच में क्या चल रहा है? तुझे अपनी बेटी ऐसे थोड़े ही बना लिया?”
“काजल दी... आप भी आ जाओ…” गैबी ने कहा।
“हाँ हाँ! बिलकुल आ जाओ!” माँ ने कहा।
काजल ने शुरू में हल्का-सा विरोध तो किया, लेकिन फिर कमरे का मिजाज भांपते हुए मैंने उसे अपने पास खींच लिया,
“अरे आओ ना!” और उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा!
अब तक आँगन में भाप जमा हो कर बादल का रूप ले चुकी थी - ढेर सारी भाप - कुछ पानी से, और कुछ हमारे अपने शरीर की गर्मी से! काजल ने मेरी बाँहों में फुसफुसाई, इस डर से कि माँ उसकी नग्नता और हमारी अंतरंगता को कैसे लेगी, कैसे समझेगी।
“छोड़ो मुझे... माँ जी के सामने नहीं…”
“अरे, मुझसे क्या शरमाना! तुम भी तो मेरी बेटी हो! और, सबसे बड़ी बात तो यह कि तुम मेरी इकलौती संतान हो, जिसे मैंने अभी तक नंगा नहीं देखा। चलो, जल्दी से नहाने के लिए तैयार हो जाओ!”
माँ से इस तरह का प्रोत्साहन देख कर, मैंने काजल के विरोध को अनसुना कर दिया, और उसका ब्लाउज उतार दिया। कुछ ही क्षणों में, उसके सुंदर और सुडौल, दूध से भरे स्तन हमारे सम्मुख प्रदर्शित हो गए! इस प्रक्रिया में होने वाले थोड़े से दबाव के कारण, उसके चूचकों के सिरे पर दूध की बूँदें बन गईं। माँ मुस्कुराई। उनको याद आया कि कैसे काजल ने हमारी शादी से पहले गाँव की महिलाओं के सामने गैबी को स्तनपान कराने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया था।
काजल थोड़ी नर्वस थी क्योंकि नहाने के लिए मैं उसको पूरा नग्न कर रहा था। उसे डर था कि माँ न जाने किस तरह से उसका मूल्यांकन करे! यहाँ यह समझना आवश्यक है कि काजल एक बहुत ही नम्र और पिछड़ी पृष्ठभूमि से आई है। उस समय, और आज भी, मनुष्य का सामाजिक मूल्यांकन उसकी शारीरिक विशेषताओं के आधार पर होता है। शरीर के रंग रूप, बनावट, आकार, और प्रकार के आधार पर उसकी पृष्ठभूमि और रहन सहन के बारे में अटकलें लगाई जातीं हैं। वो नग्न होने के बारे में उतनी चिंतित नहीं थी - वह समझती थी कि हमारा परिवार, अन्य परिवारों से बहुत अलग है, और हमारे परिवार में उसे अच्छी तरह से स्वीकार कर लिया गया था। लेकिन इस समझ के बावजूद, उसकी चिंता यह थी कि क्या माँ उसके सांवले रंग को नापसंद करेगी! विभिन्न भारतीय समाजों में त्वचा के रंग से जुड़े कलंक से इनकार नहीं किया जा सकता है।
मुझे स्वयं किसी की त्वचा के रंग से कभी भी कोई समस्या नहीं थी। मैं काजल से प्यार करता था और उसका सम्मान करता था। वो एक बेहद विलक्षण महिला थी, और उसका मेरे जीवन में एक पक्का स्थान था। गैबी को भी किसी की त्वचा के रंग से कोई समस्या नहीं थी - उसने मुझे अपने पति के रूप में, काजल को अपने करीबी विश्वासपात्र, माँ, और मित्र के रूप में, और मेरे परिवार को अपने स्वयं के परिवार के रूप में स्वीकार किया था। काजल बस एक चीज़ जो चाहती थी, वो थी प्यार! और उसे हमारे साथ ढेर सारा प्यार मिला। माँ और डैड ने पहले ही काजल के लिए अपने स्नेह और प्रेम का खुलासा कर दिया था, और उसे हमारे परिवार का हिस्सा घोषित कर दिया था। लेकिन शायद काजल को थोड़े और आश्वासन की जरूरत थी।
मुझे नहलाते समय काजल के कपड़े पहले ही आंशिक रूप से गीले हो चुके थे। जब मैंने उसकी साड़ी उतारी, तो मैंने देखा कि उसका पेटीकोट उसके शरीर से चिपक गया था। माँ और गैबी दोनों का ध्यान अब काजल पर केंद्रित था! शायद काजल भी अपने कपड़ों से मुक्त होने का इंतजार कर रही थी। यह तथ्य कि हम ठंड में खड़े थे, हम पर कोई प्रभाव नहीं डाल रहा था। जैसे ही मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा ढीला किया, मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि उसने अंदर चड्ढी नहीं पहनी हुई थी। इससे इस बात का संकेत मिलता था कि उसे पीरियड्स नहीं हो रहे थे, क्योंकि काजल अपने पीरियड्स के दौरान ही चड्ढी पहनती पहनी थी।
“माँ,” गैबी ने बड़े स्नेह से बोला, “काजल दीदी भी मेरी माँ हैं!”
माँ मुस्कुराईं, “हाँ बेटा! मुझे मालूम है ये बात!” फिर काजल की तरफ मुखातिब हो कर, “काजल, बेटा, तुम बहुत खूबसूरत हो।” माँ ने कहा, और फिर मुझे संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मेरी दोनो बेटियों को खुश रखना तुम!”
“जैसी आपकी आज्ञा, माते!”
“अमर, अगर काजल दीदी चाहती है, तो क्या तुम उससे सेक्स कर सकते हो?” गैबी ने माँ ही के सुझाव को अक्षरशः करते हुए कहा।
काजल को भी एक अच्छे, भरपूर यौन संसर्ग की आवश्यकता थी। उसके आस पार सभी लोग सेक्स का भरपूर आनंद उठा रहे थे; और बस, केवल वो ही सेक्स से वंचित थी। यह बात उसे अन्यायपूर्ण लग रही थी, लेकिन वो अपनी इच्छा जाहिर नहीं कर पा रही थी। गैबी के आने के बाद, उसको लग रहा था कि मेरे जीवन में उसका स्थान गैबी के मुकाबले गौण है। लेकिन, अब गैबी की अनुमति और माँ के आशीर्वाद से, वो मेरे साथ सेक्स करना चाहती थी। लेकिन फिर भी वो यह बात कह नहीं पा रही थी।
“काजल,” मैंने उसकी तरफ देखा, धीरे से उसकी योनि के चीरे को सहलाते हुए कहा, “मैं तैयार हूँ... क्या तुम सेक्स करना चाहती हो?”
काजल कुछ कह नहीं पाई - बस, अपना निचला होंठ काट कर रह गई। अब वो कहती भी तो क्या? माँ और गैबी के सामने ही वो मेरे साथ कैसे शुरू हो सकती थी? वो अलग बात है कि उसने बस थोड़ी ही देर पहले माँ और डैड को हमारे सामने सेक्स करते देखा था।
“अगर तुम दोनों चाहो, तो हम तुम दोनों को अकेला छोड़ सकते हैं!” माँ ने मुस्कुराते हुए सुझाव दिया।
उसने फिर भी कुछ नहीं कहा, लेकिन बस सर ‘न’ में हिला कर माँ के सुझाव से इंकार किया। उसकी सांवली त्वचा पर शर्म की हल्की सी लालिमा साफ देखी जा सकती थी। काजल बड़ी प्यारी लग रही थी! मेरे जीवन में अब तक जितनी भी स्त्रियाँ आई थीं, सभी एक से बढ़ कर एक सुन्दर थीं! उसकी योनि को सहलाते समय मैंने महसूस किया कि वो सम्भोग के लिए तैयार थी। मैं उसकी योनि के चीरे को सहलाते हुए, अपनी उंगली पर उसके चिकने, काम-रस को महसूस कर सकता था।
“काजल, नहा लें... फिर उसके बाद करते हैं?” मैंने सुझाव दिया।
उसने ‘हाँ’ में अपना सर हिलाया - लेकिन बहुत हल्के से। साथ ही साथ वो मुस्कुराई भी - लेकिन बहुत हल्के से। वाह!
तो, हमने अगले पांच मिनट में काजल का स्नान समाप्त किया और जल्दी से तौलिए से पोंछ कर खुद को सुखा लिया। माँ मेरे कमरे में अलाव ले आई, जहाँ हम सब इकट्ठे थे। काजल को गैबी और मेरे सुहाग सेज पर नग्न लेटने में झिझक महसूस हो रही थी। लेकिन गैबी ने उसको उस अपराध-बोध से मुक्त कर दिया। गैबी ने उसको बिस्तर पर लगभग गिरा दिया और उसके एक चूचक को अपने मुँह में भर कर पीने लग गई। उधर उसके कामुक बारूद के भंडार में विस्फोट करने के लिए, मैंने अपने मुंह से उसके भगशेफ को चूसना चुभलाना शुरु कर दिया। जब तक माँ अलाव ले कर कमरे में आईं, तब तक काजल को आज की पहली रति-निष्पत्ति का आनंद मिल रहा था।
अभी सोच कर मुझे आश्चर्य होता है कि हम कितनी जल्दी एक दूसरे से कितने खुले हो गए थे! माँ और डैड ने हमारे सामने सेक्स किया - और उस अंतरंग कृत्य ने हम सभी के बीच शर्म की आखिरी बची दीवार को तोड़ दिया था। मुझे काजल के साथ मेरे अंतरंग कृत्यों के दौरान गैबी और माँ की उपस्थिति बिलकुल भी अजीब नहीं लग रही थी। मैं दूसरों के बारे में निश्चित नहीं था। जब काजल मुख मैथुन के दौरान अपने संभोग सुख के चरम पर पहुँच कर, आनंद लेते हुए कराह रही थी, तो माँ उसकी कामुक कराहों को सुन सकती थी। माँ भी हमारे साथ बिस्तर पर आ गई, और उन्होंने प्यार से काजल के माथे को सहलाया।
“बहुत सुंदर... बहुत सुंदर।” उन्होंने काजल की खूबसूरती की तारीफ करते हुए कहा।
मैंने काजल की जांघें खोल दीं। काजल फिर से शर्मा गई। वहाँ मौजूद तीनों महिलाओं में उसकी योनि का रंग सबसे गहरा था। मुझे अभी भी समझ में नहीं आता कि किसी भी महिला को अपने त्वचा के रंग पर शर्म क्यों आनी चाहिए! नारी तो ईश्वर की सबसे सुन्दर रचना है। नारी में शरीर में सब कुछ सुन्दर होता है। उनको बस इतना करना चाहिए, कि परमेश्वर से उन्हें जो कुछ मिला है, उसको सुरक्षित रखें... जैसे कि अपना स्वास्थ्य अच्छा रखें, व्यायाम करें, खुश रहें और इसी तरह की अन्य चीजें! हम पुरुष तो बस इसी बात से धन्य हो जाते हैं कि हमको किसी स्त्री के साथ एक पल साझा करने को मिलता है!
खैर, यह दार्शनिक होने का समय नहीं है।
जी हाँ, काजल फिर अपने रंग को लेकर संकोच कर रही थी, लेकिन उस बात से माँ को फर्क नहीं पड़ता!
“काजल, तेरी म्यानी तो मेरी जैसी ही है।” माँ ने काजल की झिझक को कम करने की गरज से कहा।
“माँ जी…” काजल ने शर्म से, अपना चेहरा अपनी हथेलियों के पीछे छिपा लिया।
अलाव की गर्मी ने कमरे के अंदर का तापमान लगभग तुरंत ही बदल दिया था। ठंडक तो थी। लेकिन अब, कमरे में बिना कपड़ों के रहना अधिक आरामदायक हो गया। जब मैं काजल को मुख मैथुन का सुख दे रहा था, तो मेरा लिंग मुरझा गया था, क्योंकि शरीर का अधिकांश रक्त, मुझे गर्म करने की कोशिश कर रहा था। चरम आनंद को प्राप्त कर, काजल कुछ देर बेहोशी की हालत में बिस्तर पर पड़ी रही; उसकी जाँघें खुली हुई थीं, और उसकी योनि होने वाले सम्भोग की प्रत्याशा में काम रस निकाल रही थी। लेकिन मैंने अभी तक उसकी योनि में प्रवेश करना शुरू नहीं किया था, क्योंकि अभी तक मेरा लिंग समुचित रूप से सख्त नहीं था। हालांकि, कमरे में अलाव आ जाने के बाद, शरीर ने फिर से रक्त को लिंग की ओर पंप करना शुरू कर दिया! कुछ देर के इंतज़ार के बाद, मेरा लिंग समुचित रूप से स्तंभित हो गया।