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बहुत ही खूबसूरत लेखन। डेबी और अमर का प्यार अब काफी आगे आ चुका तो अब उसको मंजिल तक ले जाना लाजिमी है। देखते है अमर डेबी के परिवार से कैसे मिलता है और क्या होता है।नया सफ़र - लकी इन लव - Update #10
दोपहर बाद, डेवी के घर पर :
हाथों में चाय का प्याला थामे, और कुर्सी पर सामने की ओर झुकते हुए जयंती ने पूछा, “तो पिंकी, कहाँ तक पहुँची तुम दोनों की प्रेम की नैया?”
जयंती को डेवी के हाथ की बनाई मसाला चाय बहुत पसंद थी! वो जब भी अपने मायके आती, तो डेवी से मसाला चाय की आशा ज़रूर रखती थी। लेकिन इस समय जयंती अपनी चाय को पूरी तरह से नज़रअंदाज कर के बैठी हुई थी, और उसकी आँखें अपनी छोटी बहन के प्यार को ले कर बहुत उत्साहित और उत्सुक थीं। जयंती, देवयानी की बड़ी बहन थी, और उससे चार साल बड़ी थी। हमारी डिनर डेट के बाद डेवी ने जयंती को मेरे बारे में बताया था, और कहा था कि मेरे साथ सम्बन्ध सीरियस होता जा रहा है। दोनों बहनों के बीच में कुछ भी नहीं छुपा था। डेवी के बचपन में ही उसकी माँ की मृत्यु हो गई थी - हाँलाकि उसके डैडी ने अपने दोनों बच्चों के लालन पालन में कोई कमी नहीं रख छोड़ी थी, लेकिन डेवी के जीवन में उसकी माँ की कमी जयंती ने ही पूरी करी थी। जयंती करियर वुमन थी, और चाहती थी कि उसकी छोटी बहन भी अपने पाँवों पर खड़ी हो सके। इसलिए जयंती ने डेवी को आगे पढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया और उसी के चलते डेवी ने अपनी मास्टर्स तक की शिक्षा पूरी करी थी। तब से ले कर अब तक डेवी ने जो कुछ भी हासिल किया, उसमें जयंती का प्रोत्साहन और सहयोग दोनों निहित था। किसी भी स्नेही बड़ी बहन के समान ही जयंती भी चाहती थी कि देवयानी का घर बस जाए और उसको जीवन का वो सुख भी मिल सके, जिससे वो अभी तक वंचित थी। जब से उसको मेरे बारे में पता चला, तब से वो मेरे बारे में जानने को और इच्छुक, और जिज्ञासु होती जा रही थी। डेवी भी हमारी डिनर डेट से लेकर अब तक की सभी घटनाओं से जयंती को अवगत कराती रही थी।
देवयानी ने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया। हाँलाकि डेवी ने जयंती ने हमारे बारे में सब कुछ शेयर किया था, लेकिन न जाने क्यों, वो हमारे अंतरंग सम्बन्ध का ब्यौरा उससे शेयर नहीं कर पा रही थी - उसको यह सही नहीं लग रहा था। हमारे बीच की बातें, हमारी निजी बातें थीं। बहुत ही व्यक्तिगत अंतरंग यादें थीं।
चाय की चुस्की लेते हुए उसने कहा, “कुछ नहीं दीदी! बस किसेस एंड थिंग्स लाइक दैट! और क्या!”
डेवी अपनी बात को सामान्य रखना चाहती थी, लेकिन कुछ ही घण्टों पहले हुए सेक्स के अनुभव के कारण उसके चेहरे पर शरम की लालिमा आ गई थी। ऊपर से उसका निचला होंठ अभी भी थोड़ा सूजन लिए हुए था, जो सामान्य नहीं था।
जयंती ने डेवी के चेहरे को जैसे पढ़ते हुए कहा, “ओह कम ऑन! अब मुझसे छुपाएगी तू? तुम दोनों किसेस करते हो, वो मैं जानती हूँ! लेकिन उसके घर जा कर, इतनी देर रह कर केवल किस कर रहे हो, ये नहीं मानती मैं! तुम दोनों का रोमांस बढ़िया चल रहा है - इसमें केवल किस करने से काम नहीं चलता। अच्छा, ये बता, अमर ने तुझे स्मूच किया...?”
डेवी ने शर्माते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।
“हाँ?” जयंती ने उत्साहित होते हुए कहा, “और क्या क्या किया उसने?”
“कुछ नहीं दीदी!”
“अच्छा,” जयंती ने थोड़ा कुरेदा, “इतना तो बता दे, उसने तेरे मम्मे दबाए या नहीं?”
देवयानी ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया, “हा हा! हाँ दीदी... शर्ट के ऊपर से।”
“हाँ हाँ! शर्ट के ऊपर से मेरा सर...!”
“सच में दीदी!”
“ठीक है - मत बताओ। लेकिन इतना दो बता दे - जब उसने तेरे मम्मे दबाए, तो तुझे अच्छा तो लगा?”
“हा हा हा! दीदी - तुम भी न!” डेवी ने खिलखिला कर हँसते हुए कहा, “हाँ! बहुत अच्छा लगा! बहुत सेक्सी!”
“हम्म्म! गुड! अच्छा, क्या तुमने... उम्, अमर का... वो छुआ?” जयंती ने फुसफुसाते हुए पूछा।
जब देवयानी ने कुछ देर कोई जवाब नहीं दिया तो जयंती ने ही कहा,
“ओह गॉड! तूने छुआ? सही! बता, कैसा है उसका? कितना बड़ा है?”
“दीदी!” डेवी ने झेंपते हुए कहा।
“अबे क्या दीदी! बता न!”
देवयानी ने सोचा और निश्चित किया कि अपनी दीदी को हमारी अंतरंगता के बारे कितनी जानकारी देना ठीक रहेगा!
“जब हम किस कर रहे थे, तो मेरा हाथ उसके ‘उस’ पर बस छू गया था!” डेवी ने स्वीकार किया।
“कैसा था वो? बड़ा था?” जयंती अब मज़े लेने लगी थी।
“दीदी!” डेवी फिर से झेंप गई।
“अरे! मालूम होना चाहिए! तेरे जीजू का ठीक है, लेकिन बड़ा नहीं है! अक्सर मन में आता है कि थोड़ा सा और बड़ा होता तो मज़ा आता! अब अपने हस्बैंड को चेंज तो नहीं कर सकती न! लेकिन तू ठीक से देख कर ही हस्बैंड सेलेक्ट करना! थोड़ा बड़ा सा रहता है, तो मज़ा आता है! इसलिए तो मैं पूछ रही हूँ। चल, बता!”
“बड़ा था दीदी!” डेवी ने शर्माते हुए कहा।
"कितना बड़ा?”
“उम्.. करीब करीब इतना?” डेवी ने अपने अंगूठे और मध्यमा से लगभग पाँच इंच की लम्बाई दिखाई। वो सही आकार दिखा कर जयंती को डाह नहीं देना चाहती थी।
“हा हा! साली! झूठी! केवल हाथ छूने से लम्बाई का पता चलता है क्या?” जयंती ने ठठाकर हँसते हुए कहा, “गलती से छू रही थी, कि प्यार से सहला रही थी थी उसके ‘उसको’?”
जयंती की बात पर डेवी के गालों की रंगत लाल हो गई। कुछ देर पहले के दृश्य उसके मानस पटल पर नाचने लगे। उधर जयंती ने कुरेदना जारी रखा,
“लेकिन मैं उसकी लम्बाई नहीं, मोटाई के बारे में पूछ रही थी। जितना तुम दिखा रही हो, उससे तो अमर की लंबाई अच्छी लगती है... कम नहीं है! तेरे जीजू की ही तरह है... लेकिन काम की बात तो मोटाई है! वो कैसा है?”
“दीदी! मैंने कहा न! मेरा हाथ केवल उसको... छुआ था!”
"हम्म... मुझे तेरी बात पर विश्वास नहीं है, लेकिन जाने देती हूँ फिलहाल! तू खुद ही बताएगी कभी! लेकिन मैं तुझे अपने एक्सपीरियंस से बताए देती हूँ कि सेक्स में लंबाई का उतना मतलब नहीं है। अगर पीनस बहुत लंबा होता है न, तो सर्विक्स को चोट मारता रहेगा हर धक्के में! वो मज़ा नहीं देगा! पीनस में केवल दो बातें मायने रखती हैं - एक तो यह कि वो एनफ मोटा है या नहीं - भरा भरा महसूस होता है, तो मज़ा आता है; और दूसरा यह कि वो देर तक कड़ा रह पाता है या नहीं - आदमी के साथ साथ लड़की को भी तो ओर्गास्म आना चाहिए न! इसलिए!”
देवयानी का मन हुआ कि वो अपनी दीदी को सब कुछ बता दे, लेकिन किसी तरह से उसने अपनी इस इच्छा को नियंत्रित किया। वो कैसे बता देती कि उसको सम्भोग के कितना आनंद महसूस हुआ था! ये सब बातें ऐसे थोड़े ही बताई जाती हैं! जयंती ने डेवी को सोचते हुए देखा, तो उसको थोड़ा और कुरेदने का सोचा,
“अच्छा, छूने पर क्या वो मज़बूत लग रहा था?” जयंती उसको इतनी आसानी से जाने नहीं देने वाली थी।
देवयानी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया - उसकी आँखों में उत्साह स्पष्ट दिखाई दे रहा था। हमारे पहले सम्भोग के कामुक दृश्य उसके मानस पटल पर फिर से कौंध गए।
जयंती अब कहीं जा कर अपनी कुर्सी पर पीछे की ओर आराम से टेक लगा कर बैठ गई; उसने मुस्कुराते हुए अपनी छोटी बहन पर एक गहरी नज़र डाली, और बोली, “तुम लकी हो, लड़की! खुश रहो हमेशा!”
उधर, देवयानी समझ रही थी कि जयंती को उस पर शक है - शक क्या, यकीन है कि उसका और मेरा सम्भोग हो चुका है! जयंती दीदी की शादी को पिछले छः साल बीत चुके थे और उनके दो बच्चे थे - छोटा वाला केवल छः महीने का था। जाहिर सी बात है, जयंती को मालूम था कि एक शक्तिशाली और आनंददायक सेक्स का प्रभाव किसी लड़की पर कैसा होता है! लेकिन जयंती ने भी शालीनता और सम्मान बरकरार रखते हुए डेवी से और कुछ नहीं कहा।
कुछ देर ऐसे ही चाय की चुस्कियाँ लेते हुए जयंती ने पूछा, “तुझे अमर के साथ अच्छा तो लगता है न?”
इस प्रश्न पर डेवी खिल गई, और अगले एक घंटे तक दोनों बहनें बातें करती रहीं और खिलखिलाती रहीं।
बात ख़तम करने से पहले जयंती ने डेवी को सुझाव दिया कि डैडी से मिलवाने से पहले, अमर और उनको मिल लेना चाहिए। डैडी और जयंती में जयंती अधिक फ्रेंडली है! इसलिए! किसी भी बहाने मिलवा दे! सप्ताहांत ठीक रहेगा। वैसे कोई भी दिन ठीक रहेगा! अब शादी की दिशा में प्रयास करना चाहिए और परिवारों को आपस में मिलना चाहिए! इत्यादि।
जब दोनों यह सारी योजनाएँ बना रही थीं, तब डेवी का पेजर गूँजा। उसने चुपके से, बाहर जा कर एकांत में मेरा मैसेज पढ़ा और मुस्कुरा दी।
“Miss u already.”
मुस्कुराते हुए डेवी ने जवाब लिखा, “Me 2. Luv ya loads.”
हम दोनों ने ही अभी हाल ही में अपने लिए पेजर लिए थे - फ़ोन पर हमेशा बात करना संभव नहीं था। घर में कोई भी उसको उठा सकता था। पेजर बहुत ही पर्सनल था। भारतीय बाजार में हाल ही में आया था, और महँगा होने के कारण एक तरह का स्टेटस सिम्बल भी था। लेकिन डेवी और मेरे लिए स्टेटस नहीं, बल्कि कनवीनियंस की आवश्यकता थी। मोबाइल फ़ोन बाद में आए।
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डेवी के जाने के बाद घर खाली खाली सा लग रहा था! ऐसा लग रहा था कि जैसे डेवी को यहीं रहना चाहिए - यही उसका घर है! मेरे साथ, मेरे पास! घर भर में उसकी ही महक फैली हुई थी। घर भर में फैली हुई थी या मेरे दिलोदिमाग में! प्रेमियों से इस तरह के प्रश्न नहीं पूछने चाहिए! डेवी की महक! ओह, कितनी मादक महक! उस महक मात्र से मुझको आंशिक रूप से उत्तेजना होने लगी थी! इतना शक्तिशाली सम्भोग था हमारा, कि मैं थक गया था! लेकिन फिर भी आँखों से नींद कोसों दूर थी!
कोई और समय होता तो डेवी को रोक लेता अपने ही पास! लेकिन उसने कहा कि जयंती दीदी घर आने वाली हैं। वो हर महीने दो तीन दिन के लिए घर आती थीं। रहती यहीं दिल्ली में ही थीं, लेकिन उनका अब अपना संसार था। ऐसे में अपने डैडी और छोटी बहन को देखने के लिए समय निकालना पड़ता था।
एक दो घंटा तो जैसे तैसे निकल गया, लेकिन फिर डेवी की याद बहुत अधिक सताने लगी।
मैंने अपना पेजर निकाला, और एक मैसेज टाइप किया, “Miss u already.”
डेवी के बिना घर का सूनापन बेचैन कर देने वाला था। डेवी ही मेरी ख़ुशी थी अब। उसकी मौजूदगी का मतलब था कि मेरे जीवन में रौनक है! हमारा सम्भोग बेहद मज़ेदार और आनंददायक था - लेकिन उसकी याद मुझे नहीं सता रही थी। याद सता रही थी मुझे देवयानी की - मेरी प्यारी सी, सुंदर सी, मुझसे आलिंगनबद्ध देवयानी की! जो मुझे अपने प्रेम में मीठे से आवरण में लपेटे हुए थी! वो छवि कितनी खूबसूरत और सेक्सी थी!
थोड़ी ही देर में मेरा पेजर गूंज उठा।
देवयानी का जवाब आया था, “Me 2. Luv ya loads.”
मैं मुस्कुराया और पेजर को बेडसाइड टेबल पर रख दिया।
कुछ बहुत ही ख़ास बात तो थी देवयानी में! उसकी सुंदरता, उसकी कशिश, उसका भोलापन, उसका सयानापन, उसका मातृत्व, उसकी चंचलता! सब कुछ बहुत ही प्यारा था! हमारे पहले सम्भोग के दौरान और उसके बाद अपने घर वापस जाने तक, डेवी ने एक भी कपड़ा नहीं पहना था - उसको गर्म रखने के लिए कमरे में हीटर जलाना पड़ा! और जब वो अपने घर के लिए निकली, तो वो अपनी लैवेंडर रंग वाली पैंटी यहीं छोड़ गई - मेरे लिए! कैसा नटखटपन! मैं सच में उससे पूरी तरह से मंत्रमुग्ध सा हो गया था। गैबी के साथ अलग ही तरह का प्यार था। उसके साथ एक अलग ही तरह का एहसास था। शायद यह पहेली विविधता और अनूठेपन के प्रतिच्छेदन को समझने से ही सुलझे! मुझे यह पहेली सुलझानी भी नहीं थी। गैबी का मेरे दिल में एक अलग ही स्थान था और डेवी का एक अलग ही! किस्मत से मुझे दो बेहद अभूतपूर्व लड़कियों का प्रेम मिला था! और मैं अब इसको जाने नहीं देने वाला था।
मैं सोच विचार में डूब गया - हमारा भविष्य क्या होगा? हमारा रिश्ता कैसे हो सकता है? ऐसा न हो कि हममें से किसी एक को शादी के बाद अपनी नौकरी बदलनी पड़े - कई ऑफिसों में ऐसा होता है! क्या उसका परिवार हमारे रिश्ते, हमारे मिलन को अपनी मंज़ूरी देगा? मैं डेवी के लिए अपनी इस तीव्र इच्छा, इस शक्तिशाली आकर्षण को कैसे संभालूं? मेरे सोच विचार में बस डेवी ही डेवी छाई हुई थी! उसका सुंदर चेहरा, उसकी सेक्सी आँखें, वह अद्भुत सी मुस्कान, और उसका सेक्सी यौवन!
सोने से पहले मैंने पेजर पर एक और मैसेज किया, “See u again? Morning? Breakfast?”
करीब एक घंटे बाद उसका जवाब आया। तब तक मैं गहरी नींद में था। जब पेजर गूँजा तो अवचेतना ने मुझे बताया कि कोई मैसेज आया है। मैं पूरी तरह तो नहीं, लेकिन लगभग 20 प्रतिशत जाग गया था, और उसी आधी नींद वाली अवस्था में मैंने डेवी के संदेशों की एक श्रृंखला पढ़ी -
“OK. I will come.”
“U wont get my other panties. 2 bad u asked me nt 2 wear them.”
“This time stay inside me some more.”
आखिरी वाला मैसेज पढ़ते ही मेरा लिंग जैसे जीवित हो उठा और तमतमाते हुए स्तंभित हो गया! सोचिए - सेक्स करने को तैयार और वो भी नींद में।
‘ओह गॉड! कैसी सेक्सी लड़की है ये!’
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धन्यवाद मित्रवर! देवयानी पसंद आने लगी या नहीं?बहुत ही खूबसूरत लेखन। डेबी और अमर का प्यार अब काफी आगे आ चुका तो अब उसको मंजिल तक ले जाना लाजिमी है। देखते है अमर डेबी के परिवार से कैसे मिलता है और क्या होता है।
बिलकुल दोस्त बहुत पसंद आने लगी।धन्यवाद मित्रवर! देवयानी पसंद आने लगी या नहीं?![]()