hariom1936
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Shaandar jabardast super hot erotic updateअगले दिन सुबह जब सुनीता उठी, वह अपने पति की ओर देखी जो गहरे नींद में सो रहा था। सुनीता बाथरुम में जाकर फ्रेस हो कर नहाने लगी नहाने के बाद पूजा कक्ष में जाकर पूजा पाठ करने लगी।
पूजा करने के बाद फिर वह अपने कमरे मे आई।
शेखर अभी भी सोया था।
सुनीता _अजी, उठो न, आज होली है, आज तो जल्दी उठ जाइए।
शेखर ने आंखे खोला।
शेखर _क्या huwa भाग्यवान।
सुनिता_याद दिलाना पड़ेगा क्या? आज होली है, और आज भी देर तक सो रहे हैं।
झूठी गुस्सा दिखाते हुए कहा।
शेखर _ओह, सॉरी डार्लिंग।
सुनीताअपने हाथो में गुलाल ले रखी थी।
उसने शेखर के माथे पर गुलाल का टिका लगाया, हैपी होली जी।
और आशीर्वाद लिया। फिर जाने लगी।
शेखर ने उसकी हाथ पकड़कर रोक लिया।
शेखर _थोड़ा इधर तो आओ मेरी जान।
शेखर ने सुनीता को अपनी गोद में बिठा लिया।
और उसकी ओंठ चूम कर कहा,,
शेखर _हैप्पी होली डार्लिंग।
शेखर ने सुनीता को बाहों मे भर लिया।
और उसकी गालों पर किस करने लगा।
सुनीता _रहने दो अपना दिखावटी प्यार, अगर इतना ही प्यार होता तो मुझे उठाना नही पड़ता।
शेखर _ओह मेरी जान नाराज हैं, सॉरी मेरी रानी।
सुनीता _अब हो गया तो छोड़ो मुझे कीचन में आज बहुत काम करना है।
शेखर _रंग तो लगा लेने दे मेरी जान।
शेखर, सुनीता की चूची को मसलने लगा।
सच में आज भी तुम कितनी जवान और सुन्दर लगती हो।
सुनीता _अच्छा, आज बड़े रोमांटिक मूड में लग रहे हो।
शेखर _आज तो है ही रोमांस करने के दिन।
शेखर ने सुनीता की ब्लाउज का बटन खोल कर चूची बाहर निकाल कर मसलने लगा। उसकी गालों पर गुलाल लगाने लगा।
सुनीता सिसकने लगीं।
सुनीता _आह छोड़ो न क्या कर रहे हैं आप।
शेखर _आज तो होली है, मेरी रानी आज तो करने दो । नही तो तुम ही बोलोगी कि मेरी तो फिक्र ही नहीं।
शेखर सुनीता की चूची मसल कर पीने लगा।
सुनीता गर्म होने लगी।
उसके मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
आह, उन, अब बस भी करो, कितना मसलोंगै जी।
शेखर का land भी खड़ा हो चुका था।
उसके पजामा में land तन चुका था। जिसका एहसास सुनीता को huwa
सुनीता _लगता है आज अपनी पिचकारी से रंग डालने का इरादाहै।
शेखर _हां मेरी रानी, आज तो अपनी पिचकारी से तुझपे रंग डालूंगा।
चल लेट जा बेड पे।
सुनीता शेखर के गोद से उठी और बेड पे लेट गई।
शेखर उसकी पेटी कोट को उपर चढ़ा कर उसकी पेंटी निकाल दिया।
शेखर _हाय, आज तो बडी चिकनी लग रही है तेरी बुर।
शेखर, सुनीता की बुर को सहलाने लगा।
सुनीता, उत्तेजित हो कर मादक सिसकारी निकालने लगी।
सुनीता _अजी अब अब अपनी पिचकारी तो बाहर निकालो। रंग नही डालने क्या?
शेखर _अभी निकाला मेरी जान।
शेखर अपना पजामा निकाल कर land बाहर निकाल दिया।
सुनीता _आज तो आपका पिचकारी काफी बडा लग रहा है।
शेखर _तुम्हें पानी से नहलाने के लिए तैयार है मेरी जान।
सुनीता _तो डाल दीजिए न।
शेखर _ले मेरी रानी।
शेखर सुनीता की टांगे चौड़ी कर उसकी बुर पे अपना land को रगड़ा फिर उसकी छेद पे टोपा रख कर, एक जोर का धक्का मारा।
Land सरसराता huwa एक ही बार में अदंर घुस गया।
सुनीता _आह मां।
शेखर _क्या huwa मेरी जान।
सुनीता _आज तो बड़े जोश में है आप। लगता है आज के दिन के लिए ही अपना पानी बचा कर रखे थे।
शेखर _हा मेरी रानी, सही कहा।
ले chud मुझसे।
शेखर जोर जोर से land को सुनीता की बुर में अदंर बाहर करने लगा।
सुनीता की बुर की पानी से गीला होकर land फ्च fach की आवाज़ करता huwa अदंर बाहर होने लगा।
शेखर भी जोश में आकर तेज तेज चोदने लगा।
सुनीता को भी बहुत मज़ा आने लगा।
वह बहुत गर्म हो गई, अपनी गाड़ ऊपर उठा उठा कर। शेखर का सहयोग करने लगी।
शेखर, भी तेज तेज चोदने लगा।
पर ये क्या शेखर खुद को ज्यादा देर तक रोक न सका और झड़ने लगा।
अपने पिचकारी का पानी सुनीता की बुर में भरने लगा।
और हांपते हुवे, बेड पर सुनीता के एक ओर लुड़क गया।
सुनीता झड़ी नहीं थी। वह चरम अवस्था में पहुंचती उसके पहले ही, शेखर ढेर हो गया।
सुनीता को बहुत गुस्सा आया पर वह कर भी क्या सकती थी।
सुनीता उठी और बाथरुम में घुस गई। अपनी बुर को पानी से धोने लगी। उंगली डाल कर बुर की सफाई करने लगीं।
जब वह बाथरुम से बाहर निकली, राजेश अपना पजामा पहन चुका था।
शेखर _मज़ा आया न मेरी जान।
सुनीता _हां जी, आज तो आप काफी जोश में थे।
शेखर _अब तो मुझसे शिकायत नहीं न।
सुनीता ने झूठी मुस्कान लाकर, हां कहा।
सुनीता कीचन में चली गईं।
इधर राजेश भी उठ कर फ्रेस हो गया था। वह हाल में आया।
उसने शेखर को देखा।
राजेश _हैप्पी होली पापा।
राजेश ने शेखर को गुलाल लगाकर आशीर्वाद लिया।
शेखर _हैप्पी होली बेटा। खुश रहो।
राजेश _पापा मां कहा है?
शेखर _बेटा, तुम्हारी मां तो कीचन में होगी। कह रही थी की आज कीचन में बहुत काम है?
राजेश_पापा आपने मां को रंग लगाया कि नही।
शेखर _बेटा मैने तो तुम्हारे मां के साथ होली खेल लिया जाओ अब तुम भी अपनी मां के साथ होली खेलो, अच्छे से रंग लगाना अपनी मां को।
राजेश _जी पापा।
राजेश कीचन में चला गया।
शेखर पौधो को पानी देने गार्डन में चला गया।
राजेश जब कीचन में गया तो सुनीता बर्तन धो रही थी।
राजेश पीछे से गया और सुनीता को अपनी बाहों में भर लिया।
राजेश _हैप्पी होली मां।
राजेश ने गुलाल हाथो में ले कर उसकी गालों पर मलने लगा।
सुनीता _अरे क्या कर रहा है छोड़ो। बस हो गया और कितना लगाएगा।
राजेश _पापा ने कहा है अच्छे से रंग लगाना अपनी मां को।
सुनीता _अच्छा और क्या कहा है तुम्हारे पापा ने।
राजेश _पापा ने कहा कि मैंने तुम्हारे मां के साथ होली खेल लिया अब तुम जाकर अपनी मां के साथ होली खेलो।
सुनीता _अच्छा, ऐसा कहा।
राजेश _हां।
सुनीता मुस्कुराने लगी।
राजेश _मां, आज होली है एक चुम्मा तो दो।
राजेश ने सुनीता को अपनी बाहों मे जकड़ कर धीरे से उसकी कानो मे कहा।
सुनीता _पूरे गाल में तो रंग मल दिया अब चुम्मा कहा लेगा।
राजेश _गालों पे नही तो यहां दे दो।
राजेश ने सुनीता का पेट सहलाते हुए धीरे से कहा।
सुनीता _चल हट कोई देख लेगा न तो होली खराब हो जाएगी।
राजेश _कोई नही है, पापा तो पौधो को पानी देने बाहर गार्डन पे गया है। स्वीटी तो सो रही है।
सुनीता _पहले देखा कोई है तो नही।
राजेश देखने के लिए कीचन से बाहर आया।
कोई नजर नहीं आया।
वह फिर कीचन में चला गया। और सुनीता को अपनी बाहों मे जकड़ लिया।
राजेश _बाहर कोई नहीं है चलो अब किस करने दो।
राजेश ने सुनीता को अपनी ओर घुमा दिया।
राजेश नीचे बैठ गया और सुनीता की साड़ी को उसके पेट से हटा दिया।
फिर उसकी नाभि को चूमने लगा।
सुनीता _सिसकने लगीं।
आह उन,,,,
सुनीता राजेश की बालो को सहलाते हुए कहा,
आह उन,, अब बस कर कितना चूमेगा?
राजेश _मां, आज जीभर के चूमने दो न होली है।
सुनीता _सिसकने लगीं।
सुनीता _बस कर कोई आ जाएगा।
आह उन,,,
तभी राजेशसाड़ी को पल्लू को नीचे गिरा दिया। सुनीता की पेट चूमते हुवे ऊपर की ओर गया।
फिर उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनीता सिसकने लगीं।
राजेश, सुनीता को पीछे घुमा दिया और उसे कस कर जकड़ लिया। अपना land सुनीता की गाड़ में धसा दिया।
अपने दोनों हाथों से सुनीता की चूचियां मसलने लगा।
सुनीता सिसकने लगीं ।
आह मां उन,, क्या कर रहा है छोड़ो न, कोई,, आ,,, जा,,
आह मां,, उन,,
राजेश भी गर्म हो गया था उसका land तन कर लंबा और मोटा हो गया था। जिसका एहसास पाकर सुनीता की बुर पानी छोड़ने लगी। वैसे वह पहले से ही गर्म थी।
राजेश ने सुनीता की ब्लाउज का बटन खोल कर उसकी चूची बाहर निकाल दिया, उसकी चूची मसल मसल कर पीने लगीं।
सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
मादक सिसकारी उसके मुंह से निकलने लगी।
सुनीता एक हाथ पीछे ले जाकर राजेश के land Ko पकड़ कर सहलाने लगी।
राजेश समझ गया कि उसकी मां chudna चाहती है।
राजेश अपना पैंट का चैन खींचकर अपना land बाहर निकाल कर सुनीता की हाथ में थमा दिया।
सुनीता land सहलाने लगी।
अब राजेश ने सुनीता को उठा कर कीचन के पाटे पर लिटा दिया।
सुनीता की टांगो को फैला दिया। सुनीता पेंटी नहीं पहनी थी।
मस्त फूली हुई चिकनी chut राजेश के आंखो के सामने आ गया।
राजेश का land हवा में ठुमकने लगा।
राजेश सुनीता की बुर चाटने लगा।
सुनीता के मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी।
आह उन उई मां आई,, बेटा,, आह,,
सुनीता _बेटा जल्दी कर कोई आ जाएगा?
राजेश, ने अपना land को टोपा सुनीता की बुर के छेद पे रख कर एक एक जोर का धक्का मारा,
Land बुर को फाड़कर सरसराता huwa अदंर चला गया।
अब राजेश दोनो हाथो से सुनीता की दूदू को मसल मसल कर, गपागप बुर चोदने लगा।
कमरे मे फच फच की आवाज़ गूंजने लगा।
तभी शेखर पौधे पे पानी डालते हुए कीचन के खिड़की जो खुली हुई थी, के पास आ गया।
उसने राजेश को कीचन में हिलते देखा।
वह राजेश के सीने के ऊपर भाग को ही देख पा रहा था।
शेखर _अरे बेटा तू कीचन में क्या कर रहा है और ये आवाज़ कैसी है?
राजेश अपने पिता जी को देखते हुए और बुर चोदते हुए, चूचियां मसलते हुए कहा।
राजेश _पापा मै कीचन में मां की मदद कर रहा हूं। मै आटा गूथ रहा हूं।
शेखर _ये तो बडी अच्छी बात है।
पर तुम्हारी मां दिखाई नहीं दे रही।
सुनीता _मै कीचन की सफाई कर रही हूं जी।
तभी राजेश ने एक जोर का धक्का मारा land का टोपा सीधा सुनीता की बच्चेदानी से टकराया।
सुनीता _उई मां।
शेखर _क्या huwa सुनीता चीख क्यू रही हो?
सुनीता _कुछ नही जी काकरोच था।
इधर राजेश दनादन बुर में land पेले जा रहा था। सुनीता और राजेश दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था।
दोनो जन्नत का सुख भोग रहे थे।
इधर स्वीट अपने रूम से निकल कर घर के सदस्यों को ढूंढने लगी रंग लगाने।
वह कीचन पे आई। कीचन का दृश्य देखकर वह दंग रह गई।
सुनीता और राजेश दोनों chudai में लीन थे।
यह दृश्य देखकर स्वीटी भी बहुत गर्म हो गई। उसकी chut पानी छोड़ने लगी।
वह एक हाथ से अपनी बुर सहलाते हुए।chudai का खेल देखने लगी।
इधर राजेश सुनीता की बुर पे अपना land गपागपडाले जा रहा था।land boor की पानी से गीला हो कर सर सर अदंर बाहर हो रहा था जिससे दोनो को परम आनंद की प्राप्ति हो रहा था।
राजेश _पापा आटा गूथने में बडा मजा आ रहा है।
शेखर _काम को अगर मजा लेकर किया जाए तो कोई भी काम कठिन नहीं रह जाता बेटा।
सुनीता _हा जी, आपने सही कहा। राजेश तो बहुत अच्छा आटा गूथ रहा है ।
काश आप भी सिख लिए होते तो,,,
शेखर _सुनीता, तुमने तो कभी मुझसे कहा ही नहीं,, आटा गूथने,,
सुनीता _हां जी आप बैंक की ड्यूटी करके थक जाते हैं न इसलिए नही कहती।
अब राजेश है न मेरी मदद करने,,
क्यू राजेश?
राजेश _हां मां, आप जब कहे मै तैयार हूं आपकी मदद करने।
वैसे मैं अच्छे से कर रहा हु न।
सुनीता _हा बेटा, तुम बहुत अच्छे से कर रहे हों। हा ऐसे ही करते रहो।
सुनो जी राजेश तो बहुत जल्दी सीख गया।
शेखर _आखिर बेटा किसका है?
सुनीता _जानती हू, बेटा तुम्हारा है, पर सिखाया तो मैने न।
हा और थोडा जोर लगाओ बेटा,,
राजेश और जोर जोर से चोदने लगा।
सुनीता _हा ऐसे ही।
सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई और खुद को रोक न सकी वह राजेश को जकड़ कर झड़ने लगी।
राजेश ने chudai करना बन्द कर दिया।
और राजेश भी सुस्ताने लगा।
इधर स्वीटी की हालात खराब हो चुकी थी।
उसे चुदने की तीव्र इच्छा होने लगीं।
वह राजेश का कीचन के बाहर आने का इंतजार करने लगीं।
ThanksYour writing is superb and it is full of excitement and eroticism
ShukriyaShaandar jabardast super hot erotic update
Maa bete ab ghar me sabhi maudgi me bhi na ruk rahe hai
Shekhar ko to bewkuf bana diya ab Sweety ne bhi dekh Liya ab tino ka Threesom ho
अगले दिन सुबह जब सुनीता उठी, वह अपने पति की ओर देखी जो गहरे नींद में सो रहा था। सुनीता बाथरुम में जाकर फ्रेस हो कर नहाने लगी नहाने के बाद पूजा कक्ष में जाकर पूजा पाठ करने लगी।
पूजा करने के बाद फिर वह अपने कमरे मे आई।
शेखर अभी भी सोया था।
सुनीता _अजी, उठो न, आज होली है, आज तो जल्दी उठ जाइए।
शेखर ने आंखे खोला।
शेखर _क्या huwa भाग्यवान।
सुनिता_याद दिलाना पड़ेगा क्या? आज होली है, और आज भी देर तक सो रहे हैं।
झूठी गुस्सा दिखाते हुए कहा।
शेखर _ओह, सॉरी डार्लिंग।
सुनीताअपने हाथो में गुलाल ले रखी थी।
उसने शेखर के माथे पर गुलाल का टिका लगाया, हैपी होली जी।
और आशीर्वाद लिया। फिर जाने लगी।
शेखर ने उसकी हाथ पकड़कर रोक लिया।
शेखर _थोड़ा इधर तो आओ मेरी जान।
शेखर ने सुनीता को अपनी गोद में बिठा लिया।
और उसकी ओंठ चूम कर कहा,,
शेखर _हैप्पी होली डार्लिंग।
शेखर ने सुनीता को बाहों मे भर लिया।
और उसकी गालों पर किस करने लगा।
सुनीता _रहने दो अपना दिखावटी प्यार, अगर इतना ही प्यार होता तो मुझे उठाना नही पड़ता।
शेखर _ओह मेरी जान नाराज हैं, सॉरी मेरी रानी।
सुनीता _अब हो गया तो छोड़ो मुझे कीचन में आज बहुत काम करना है।
शेखर _रंग तो लगा लेने दे मेरी जान।
शेखर, सुनीता की चूची को मसलने लगा।
सच में आज भी तुम कितनी जवान और सुन्दर लगती हो।
सुनीता _अच्छा, आज बड़े रोमांटिक मूड में लग रहे हो।
शेखर _आज तो है ही रोमांस करने के दिन।
शेखर ने सुनीता की ब्लाउज का बटन खोल कर चूची बाहर निकाल कर मसलने लगा। उसकी गालों पर गुलाल लगाने लगा।
सुनीता सिसकने लगीं।
सुनीता _आह छोड़ो न क्या कर रहे हैं आप।
शेखर _आज तो होली है, मेरी रानी आज तो करने दो । नही तो तुम ही बोलोगी कि मेरी तो फिक्र ही नहीं।
शेखर सुनीता की चूची मसल कर पीने लगा।
सुनीता गर्म होने लगी।
उसके मुंह से सिसकारी निकलने लगी।
आह, उन, अब बस भी करो, कितना मसलोंगै जी।
शेखर का land भी खड़ा हो चुका था।
उसके पजामा में land तन चुका था। जिसका एहसास सुनीता को huwa
सुनीता _लगता है आज अपनी पिचकारी से रंग डालने का इरादाहै।
शेखर _हां मेरी रानी, आज तो अपनी पिचकारी से तुझपे रंग डालूंगा।
चल लेट जा बेड पे।
सुनीता शेखर के गोद से उठी और बेड पे लेट गई।
शेखर उसकी पेटी कोट को उपर चढ़ा कर उसकी पेंटी निकाल दिया।
शेखर _हाय, आज तो बडी चिकनी लग रही है तेरी बुर।
शेखर, सुनीता की बुर को सहलाने लगा।
सुनीता, उत्तेजित हो कर मादक सिसकारी निकालने लगी।
सुनीता _अजी अब अब अपनी पिचकारी तो बाहर निकालो। रंग नही डालने क्या?
शेखर _अभी निकाला मेरी जान।
शेखर अपना पजामा निकाल कर land बाहर निकाल दिया।
सुनीता _आज तो आपका पिचकारी काफी बडा लग रहा है।
शेखर _तुम्हें पानी से नहलाने के लिए तैयार है मेरी जान।
सुनीता _तो डाल दीजिए न।
शेखर _ले मेरी रानी।
शेखर सुनीता की टांगे चौड़ी कर उसकी बुर पे अपना land को रगड़ा फिर उसकी छेद पे टोपा रख कर, एक जोर का धक्का मारा।
Land सरसराता huwa एक ही बार में अदंर घुस गया।
सुनीता _आह मां।
शेखर _क्या huwa मेरी जान।
सुनीता _आज तो बड़े जोश में है आप। लगता है आज के दिन के लिए ही अपना पानी बचा कर रखे थे।
शेखर _हा मेरी रानी, सही कहा।
ले chud मुझसे।
शेखर जोर जोर से land को सुनीता की बुर में अदंर बाहर करने लगा।
सुनीता की बुर की पानी से गीला होकर land फ्च fach की आवाज़ करता huwa अदंर बाहर होने लगा।
शेखर भी जोश में आकर तेज तेज चोदने लगा।
सुनीता को भी बहुत मज़ा आने लगा।
वह बहुत गर्म हो गई, अपनी गाड़ ऊपर उठा उठा कर। शेखर का सहयोग करने लगी।
शेखर, भी तेज तेज चोदने लगा।
पर ये क्या शेखर खुद को ज्यादा देर तक रोक न सका और झड़ने लगा।
अपने पिचकारी का पानी सुनीता की बुर में भरने लगा।
और हांपते हुवे, बेड पर सुनीता के एक ओर लुड़क गया।
सुनीता झड़ी नहीं थी। वह चरम अवस्था में पहुंचती उसके पहले ही, शेखर ढेर हो गया।
सुनीता को बहुत गुस्सा आया पर वह कर भी क्या सकती थी।
सुनीता उठी और बाथरुम में घुस गई। अपनी बुर को पानी से धोने लगी। उंगली डाल कर बुर की सफाई करने लगीं।
जब वह बाथरुम से बाहर निकली, राजेश अपना पजामा पहन चुका था।
शेखर _मज़ा आया न मेरी जान।
सुनीता _हां जी, आज तो आप काफी जोश में थे।
शेखर _अब तो मुझसे शिकायत नहीं न।
सुनीता ने झूठी मुस्कान लाकर, हां कहा।
सुनीता कीचन में चली गईं।
इधर राजेश भी उठ कर फ्रेस हो गया था। वह हाल में आया।
उसने शेखर को देखा।
राजेश _हैप्पी होली पापा।
राजेश ने शेखर को गुलाल लगाकर आशीर्वाद लिया।
शेखर _हैप्पी होली बेटा। खुश रहो।
राजेश _पापा मां कहा है?
शेखर _बेटा, तुम्हारी मां तो कीचन में होगी। कह रही थी की आज कीचन में बहुत काम है?
राजेश_पापा आपने मां को रंग लगाया कि नही।
शेखर _बेटा मैने तो तुम्हारे मां के साथ होली खेल लिया जाओ अब तुम भी अपनी मां के साथ होली खेलो, अच्छे से रंग लगाना अपनी मां को।
राजेश _जी पापा।
राजेश कीचन में चला गया।
शेखर पौधो को पानी देने गार्डन में चला गया।
राजेश जब कीचन में गया तो सुनीता बर्तन धो रही थी।
राजेश पीछे से गया और सुनीता को अपनी बाहों में भर लिया।
राजेश _हैप्पी होली मां।
राजेश ने गुलाल हाथो में ले कर उसकी गालों पर मलने लगा।
सुनीता _अरे क्या कर रहा है छोड़ो। बस हो गया और कितना लगाएगा।
राजेश _पापा ने कहा है अच्छे से रंग लगाना अपनी मां को।
सुनीता _अच्छा और क्या कहा है तुम्हारे पापा ने।
राजेश _पापा ने कहा कि मैंने तुम्हारे मां के साथ होली खेल लिया अब तुम जाकर अपनी मां के साथ होली खेलो।
सुनीता _अच्छा, ऐसा कहा।
राजेश _हां।
सुनीता मुस्कुराने लगी।
राजेश _मां, आज होली है एक चुम्मा तो दो।
राजेश ने सुनीता को अपनी बाहों मे जकड़ कर धीरे से उसकी कानो मे कहा।
सुनीता _पूरे गाल में तो रंग मल दिया अब चुम्मा कहा लेगा।
राजेश _गालों पे नही तो यहां दे दो।
राजेश ने सुनीता का पेट सहलाते हुए धीरे से कहा।
सुनीता _चल हट कोई देख लेगा न तो होली खराब हो जाएगी।
राजेश _कोई नही है, पापा तो पौधो को पानी देने बाहर गार्डन पे गया है। स्वीटी तो सो रही है।
सुनीता _पहले देखा कोई है तो नही।
राजेश देखने के लिए कीचन से बाहर आया।
कोई नजर नहीं आया।
वह फिर कीचन में चला गया। और सुनीता को अपनी बाहों मे जकड़ लिया।
राजेश _बाहर कोई नहीं है चलो अब किस करने दो।
राजेश ने सुनीता को अपनी ओर घुमा दिया।
राजेश नीचे बैठ गया और सुनीता की साड़ी को उसके पेट से हटा दिया।
फिर उसकी नाभि को चूमने लगा।
सुनीता _सिसकने लगीं।
आह उन,,,,
सुनीता राजेश की बालो को सहलाते हुए कहा,
आह उन,, अब बस कर कितना चूमेगा?
राजेश _मां, आज जीभर के चूमने दो न होली है।
सुनीता _सिसकने लगीं।
सुनीता _बस कर कोई आ जाएगा।
आह उन,,,
तभी राजेशसाड़ी को पल्लू को नीचे गिरा दिया। सुनीता की पेट चूमते हुवे ऊपर की ओर गया।
फिर उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनीता सिसकने लगीं।
राजेश, सुनीता को पीछे घुमा दिया और उसे कस कर जकड़ लिया। अपना land सुनीता की गाड़ में धसा दिया।
अपने दोनों हाथों से सुनीता की चूचियां मसलने लगा।
सुनीता सिसकने लगीं ।
आह मां उन,, क्या कर रहा है छोड़ो न, कोई,, आ,,, जा,,
आह मां,, उन,,
राजेश भी गर्म हो गया था उसका land तन कर लंबा और मोटा हो गया था। जिसका एहसास पाकर सुनीता की बुर पानी छोड़ने लगी। वैसे वह पहले से ही गर्म थी।
राजेश ने सुनीता की ब्लाउज का बटन खोल कर उसकी चूची बाहर निकाल दिया, उसकी चूची मसल मसल कर पीने लगीं।
सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
मादक सिसकारी उसके मुंह से निकलने लगी।
सुनीता एक हाथ पीछे ले जाकर राजेश के land Ko पकड़ कर सहलाने लगी।
राजेश समझ गया कि उसकी मां chudna चाहती है।
राजेश अपना पैंट का चैन खींचकर अपना land बाहर निकाल कर सुनीता की हाथ में थमा दिया।
सुनीता land सहलाने लगी।
अब राजेश ने सुनीता को उठा कर कीचन के पाटे पर लिटा दिया।
सुनीता की टांगो को फैला दिया। सुनीता पेंटी नहीं पहनी थी।
मस्त फूली हुई चिकनी chut राजेश के आंखो के सामने आ गया।
राजेश का land हवा में ठुमकने लगा।
राजेश सुनीता की बुर चाटने लगा।
सुनीता के मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी।
आह उन उई मां आई,, बेटा,, आह,,
सुनीता _बेटा जल्दी कर कोई आ जाएगा?
राजेश, ने अपना land को टोपा सुनीता की बुर के छेद पे रख कर एक एक जोर का धक्का मारा,
Land बुर को फाड़कर सरसराता huwa अदंर चला गया।
अब राजेश दोनो हाथो से सुनीता की दूदू को मसल मसल कर, गपागप बुर चोदने लगा।
कमरे मे फच फच की आवाज़ गूंजने लगा।
तभी शेखर पौधे पे पानी डालते हुए कीचन के खिड़की जो खुली हुई थी, के पास आ गया।
उसने राजेश को कीचन में हिलते देखा।
वह राजेश के सीने के ऊपर भाग को ही देख पा रहा था।
शेखर _अरे बेटा तू कीचन में क्या कर रहा है और ये आवाज़ कैसी है?
राजेश अपने पिता जी को देखते हुए और बुर चोदते हुए, चूचियां मसलते हुए कहा।
राजेश _पापा मै कीचन में मां की मदद कर रहा हूं। मै आटा गूथ रहा हूं।
शेखर _ये तो बडी अच्छी बात है।
पर तुम्हारी मां दिखाई नहीं दे रही।
सुनीता _मै कीचन की सफाई कर रही हूं जी।
तभी राजेश ने एक जोर का धक्का मारा land का टोपा सीधा सुनीता की बच्चेदानी से टकराया।
सुनीता _उई मां।
शेखर _क्या huwa सुनीता चीख क्यू रही हो?
सुनीता _कुछ नही जी काकरोच था।
इधर राजेश दनादन बुर में land पेले जा रहा था। सुनीता और राजेश दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था।
दोनो जन्नत का सुख भोग रहे थे।
इधर स्वीट अपने रूम से निकल कर घर के सदस्यों को ढूंढने लगी रंग लगाने।
वह कीचन पे आई। कीचन का दृश्य देखकर वह दंग रह गई।
सुनीता और राजेश दोनों chudai में लीन थे।
यह दृश्य देखकर स्वीटी भी बहुत गर्म हो गई। उसकी chut पानी छोड़ने लगी।
वह एक हाथ से अपनी बुर सहलाते हुए।chudai का खेल देखने लगी।
इधर राजेश सुनीता की बुर पे अपना land गपागपडाले जा रहा था।land boor की पानी से गीला हो कर सर सर अदंर बाहर हो रहा था जिससे दोनो को परम आनंद की प्राप्ति हो रहा था।
राजेश _पापा आटा गूथने में बडा मजा आ रहा है।
शेखर _काम को अगर मजा लेकर किया जाए तो कोई भी काम कठिन नहीं रह जाता बेटा।
सुनीता _हा जी, आपने सही कहा। राजेश तो बहुत अच्छा आटा गूथ रहा है ।
काश आप भी सिख लिए होते तो,,,
शेखर _सुनीता, तुमने तो कभी मुझसे कहा ही नहीं,, आटा गूथने,,
सुनीता _हां जी आप बैंक की ड्यूटी करके थक जाते हैं न इसलिए नही कहती।
अब राजेश है न मेरी मदद करने,,
क्यू राजेश?
राजेश _हां मां, आप जब कहे मै तैयार हूं आपकी मदद करने।
वैसे मैं अच्छे से कर रहा हु न।
सुनीता _हा बेटा, तुम बहुत अच्छे से कर रहे हों। हा ऐसे ही करते रहो।
सुनो जी राजेश तो बहुत जल्दी सीख गया।
शेखर _आखिर बेटा किसका है?
सुनीता _जानती हू, बेटा तुम्हारा है, पर सिखाया तो मैने न।
हा और थोडा जोर लगाओ बेटा,,
राजेश और जोर जोर से चोदने लगा।
सुनीता _हा ऐसे ही।
सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई और खुद को रोक न सकी वह राजेश को जकड़ कर झड़ने लगी।
राजेश ने chudai करना बन्द कर दिया।
और राजेश भी सुस्ताने लगा।
इधर स्वीटी की हालात खराब हो चुकी थी।
उसे चुदने की तीव्र इच्छा होने लगीं।
वह राजेश का कीचन के बाहर आने का इंतजार करने लगीं।