Shaandar jabardast Romanchak Updateराजेश के जख्मों पर दिव्याद्वारा मरहम पट्टी करने से राजेश को दर्द से राहत मिला।
राजेश को दिव्या ने बताया कि वह एक डाक्टर है और मुंबई मेडिकल कालेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर अपनी घर जा रही है।
तभी राजेश को दिव्या पूछती है।
दिव्या _दर्द से कुछ राहत मिला।
राजेश _हा, काफी हद तक। धन्य वाद दिव्या जी ।
दिव्या _शुक्रिया तो मुझे कहना चाहिए, अगर आप नही होते तो पता नही आज क्या हो जाता?
वैसे आप जा कहा रहे है।
राजेश _मै अपने दादा जी का गांव जा रहा हूं। वैसे तो दादा दादी नही रहे। ताऊ और चाचा जी अपने परिवार के साथ रहते हैं। मेरी कालेज की पढ़ाई पूरी हो चुकी है, तो मैं कुछ दिन उनके साथ बिताने जा रहा हूं।
वैसे आप कहा उतरेंगी दिव्या जी।
दिव्या _मै लक्ष्मण पुर स्टेशन।
राजेश _लक्ष्मण पुर स्टेशन तो मुझे भी उतरना हैं।
दिव्या _क्या सचमुच?
राजेश _जी दिव्या जी। लक्ष्मण पुर स्टेशन से 15km है मेरा दादा जी का गांव, सूरज पुर।
दिव्या _क्या कहा आपने सूरज पुर, वह तो पड़ोसी गांव है।
मेरा गांव भानगढ़ है, वहा से 4 km दूर सूरज पुर है।
राजेश _ओह तब तो हम पढोसी हुवे।
दिव्या _वैसे आपके घर में कौन कौने है?
राजेश _मेरे पापा जो एक बैंक में मैनेजर है मेरी मां जो एक हाउस वाइफ है। मेरी एक छोटी बहन स्वीटी जो अभी इस वर्ष फर्स्ट ईयर की परीक्षा दिलाई है।
और मैं। 4लोग।
और आपके घर मे कौन कौने है दिव्या जी।
दिव्या _मेरे पिता जी,ठाकुर बलेन्द्र सिंहउम्र 50वर्ष, लक्ष्मण पुर विधानसभा से विधायक है,मेरी मां रत्ना वती 44वर्ष जो भानगढ़ की सरपंच है। मेरी बडी बहन गीता ठाकुर 25वर्ष जो इस धरम पुर जिला के पंचायत प्रमुख (अध्यक्ष) और मै ।
राजेश _लगता है आप बड़े जमीदार फैमली से है।
दिव्या _ जी,हमारे पूर्वज इस क्षेत्र के राजा huwa करते थे।
राजेश _पर आप अकेली मुंबई से ट्रैन में क्यू आ रही हो। आप इतनी सुंदर है किसी भी बदमाश लडको की नियत बिगड़ सकती है?
दिव्या _हंसते हुवे बोली,,,
मै मुंबई से राजधानी तक फ्लाइट से आई, राजधानी से ट्रैन पकड़ी।
पिता जी तो नौकरों को गाड़ी लेकर राजधानी भेज रहे थे। पर मैने मना कर दिया। मुझे कार में लम्बे समय तक बैठना सूट नही करती ।
राजेश _ओह।
दोनो वार्तालाप करते हुवे जा रहें थे इधर ट्रैन तेज पहाड़ों और सुरंगों से होता huwa दौड़ रही थी। लक्षमण पुर स्टेशन पहुंचने वाली थी।
दिव्या _सुबह के 6बजने वाली है,आधे घंटे में ट्रैन लक्ष्मणपुर स्टेशन पहुंच जाएगी।
राजेश, वैसे पूछना तो नही चाहिए पर,,,
राजेश_दिव्या जी, आप बेझिझक पूछिए क्या पूछना है?
दिव्या _राजेश मैने तुम्हारे मोबाइल की गैलरी चेक की थी। उसमे एक खुबसूरत लडकी की ढेर सारी तस्वीर थी।
कौन है वो।
राजेश निराश हो गया, वह उदास हो गया।
राजेश हाव भाव देखकर दिव्या ने कहा,,
ओह शायद मुझे नही पूछना चाहिए था।
दिव्या _वह निशा की तस्वीर है। राजेश गंभीर होते हुए बोला।
मेरी कालेज की दोस्त।
राजेश किसी ख्याल में खो गया।
दिव्या _क्या huwa राजेश कहा खो गए? क्या हुआ?
राजेश _कुछ दिव्या जी।
दिव्या _बहुत प्यारा नाम है तुम्हारी दोस्त का और बहुत खुबसूरत भी।
लगता है उसे बहुत प्यार करते हो?
राजेश _वो मुझे छोड़ कर चली गई।
दिव्या _क्या? कहा चली गई?
राजेश _हमेशा के लंदन।
दिव्या _पर क्यू?
राजेश _मेरी गलतियों की वजह से? वो मुझसे नाराज़ होकर हमेशा के लिए लंदन चली गई।
दिव्या _और तुम राजधानी छोडकर गांव जा रहें हो।
राजेश _अब इस बात को छोड़ो, दिव्या जी।
अब किसी के बिना जिंदगी रुक तो नही जाती न।
दिव्या _मुझे, सुनकर बड़ा दुख हुआ !
लो राजेश हमारा स्टेशन आ गया।
दोनो लक्षमण पुर स्टेशन पर पहुंचे।
दोनो को ढोल नगाड़ों की आवाज़ सुनाई पड़ी।
ठाकुर गजेंद्र सिंह अपने बेटी गीता और अपने साथियों के साथ दिव्या को लेने के लिए आए थे।
दिव्या के उतरते ही लोगो ने उसे फूलो से लाद दिया।
दिव्या ने अपने पिता जी का पैर छूकर प्रणाम किया।
दिव्या _पिता जी ये सब क्या है? इसकी क्या ज़रूरत थी।
ठाकुर _मेरी बेटी डाक्टर बनकर घर आ रही है। आज मै बहुत खुश हूं।
गीता ठाकुर भी वही पर खड़ी थी।
गीता ने दिव्या को अपने गले लगाकर कहा।
कैसी है मेरी बहना?
दिव्या _मै अच्छी हूं दी, आप कैसी है?
गीता _मै भी अच्छी हूं। बस तुम्हे ही याद करती थी की मेरी प्यारी बहना कब आयेगी।
ठाकुर _चलो बेटा, अब घर चलते है।
दिव्या _रुको पिता जी,
राजेश वही पर खड़ा था।
दिव्या _पिता जी ये राजेश है। ये हमारे पड़ोसी गांव सूरजपुर का रहने वाला है। पिता जी ट्रैन में कुछ बदमाशो ने मुझसे छेड़खानी करना चाही।
राजेश ने मुझे उन बदमाशो से बचाया।
ठाकुर _क्या? ट्रैन में ठाकुर बलेंद्र सिंह की बेटी से छेड़खानी किसकी इतनी हिम्मत हो गई। कौन थे वे लोग बेटी, मै उन कमीनो को ऐसा सजा दूंगा की दुनियां देखेगी।
दिव्या _पिता जी राजेश ने उन लोगो के उनके किए की सजा दे दी है।
ठाकुर ने शुक्रिया नौजवान, मेरी बेटी की मदद करने के लिए।
मुनीम जी राजेश को उनका इनाम दो।
मुनीम ने 500रुपए की 2बंडल राजेश को निकाल कर देने लगा।
राजेश _ठाकुर साहब इसकी आवश्यकता नहीं है। ये तो मेरा फर्ज था।
ठाकुर _लगता है बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं तुम्हारे मां बाप ने।
वैसे तुम किसके लड़के हो।
राजेश _मेरे पिता जी का नाम, शेखर वर्मा है।
ठाकुर मुनीम की ओर देखने लगा।
कुछ देर बाद फिर पूछा।
ठाकुर _तुम्हारी मां का नाम सुनीता तो नही।
राजेश _जी आपने बिलकुल सही कहा? क्या आप मेरे मां पापा को जानते हैं।
ठाकुरऔर मुनीम एक दूसरे को देखने लगे जैसे सांप सूंघ गया हो।
मुनीम _अरे बेटा तुम तो हमारे पड़ोसी गांव के हो, वहा के अधिकांश लोगो को हम जानते हैं।
दिव्या _पिता जी राजेश को भी हम अपने साथ ले चलते है।
ठाकुर _, क्यू नही?
राजेश _नही ठाकुर साहब, मेरे ताऊ जी का लडका, मेरा भाई मुझे लेने आ रहे हैं।
आप लोग जाइए।
ठाकुर _ठीक है राजेश, चलो बेटा दिव्या जीप में बैठो, हम घर चलते है घर में तुम्हारी मां तुम्हारी राह देख रही है।
ठाकुर, दिव्या और गीता जीप में बैठ गए, ठाकुर के आदमी दूसरी गाड़ी पे बैठ कर पीछे पीछे चलने लगे।
दिव्या के जाने के बाद, भुवन पंहुचा। वह मोबाइल पर भेजे गए फोटो को देखता huwa राजेश को ढूंढने लगा।
कुछ देर में ही वह राजेश को ढूंढ लिया।
भुवन _, तुम राजेश हो न,
राजेश _जी, आप कौन है?
भुवन _अरे मुझे पहचाना नहीं मै भुवन। तुम पहचानो ge कैसे पहली बार जो गांव आ रहें हो।
राजेश _अरे भुवन भाई आप।
दोनो गले मिलते है।
भुवन _घर में सब कैसे है राजेश?
राजेश _सब अच्छे है भईया।
भुवन _यार तुम पहली बार गांव आ रहे हों घर में सब तुमसे मिलने के लिए लालायित है, चलो घर चलते है।
चलो बैठो बाइक पे।
राजेश _ठीक है भईया?
राजेश और भुवन दोनो बाइक पर गांव की ओर निकल पड़े।
रास्ते में _यार, तूने बॉडी तो एक दम मस्त बनाई है फौजी की तरह! देखने में बॉलीवुड की हीरो लगता है।
गांव वाले देखना तुमको देखते रह जायेंगे।
मै भी कहूंगा? मेरा छोटा भाई है, मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो जायेगा!
सूना है तुम कलेक्टरी की तैयारी कर रहे हों!
राजेश _हां, भईया।
दोनो बातचीत करते हुए भानगढ़ तक पहुंच गए।
भुवन _ये भानगढ़ है यहां के विधायक ठाकुर बलेंद्र सिंह की हवेली पड़ती है उस तरफ।
उधर जाना मत।
राजेश _क्यू भईया?
भुवन _क्यू की हमारे गांव वाले और उनकी बनती नही है।
राजेश _ऐसा क्या हो गया, भईया।
भुवन _बाद में सब पता चल जायेगा छोटे।
भान गड़ तक रास्ता ठीक था। भानगढ़ से सुरज पुर वाले रास्ता कच्ची और खराब थी।
कुछ दूर चलते ही बाइक पंचर हो गई?
बाइक लहराने लगा।
भुवन _राजेश लगता है बाइक पंचर हो गई।
इसे बनवाना पड़ेगा।
यहां से हमारा गांव 4km है। भान गड़ में ही इसे बनाना पड़ेगा।
भुवन बाइक को पैदल धक्के लगाते ही भानगढ़ वापस ले जाने लगा।
तभी उसे सायकल से डाकिया आते दिखा।
डाकिया _क्या huwa भुवन भाई?
भुवन _अरे रुको डाकिया बाबू। गाड़ी तो पंचर हो गई है।
तुम कहा जा रहें हो।
डाकिया _मै तुम्हारा गांव जा रहा था।
ये नौजवान कौन है, नया लगता है।
भुवन _ये मेरा छोटा भाई है, राजेश आज ही शहर से गांव आया है। घर जा रहें थे की बाइक पंचर हो गया।
तुम एक काम करोगे?
डाकिया _अरे बोलो भुवन भाई।
भुवन _तुम अपनी सायकल पर राजेश को घर तक छोड़ देना।
डाकिया _ठीक है भुवन भाई।
भुवन _राजेश तुम गांव चले जाओ, डाकिया बाबू के साथ, घर में सब तुम्हारे राह देख रहे हैं। मै बाइक बनाकर आऊंगा।
राजेश _अरे भईया बाइक बनवाकर साथ चलेंगे।
भुवन _नही राजेश तू पहली बार गांव आ रहा है। पहले दिन ही ये सब,,, ठीक नही लगेगा ।
तुम डाकिया बाबू के साथ चलें जाओ।
राजेश _ठीक है भईया,,
राजेश डाकिया के सायकल पर बैठ गया।
एक दूसरे से बातचीत करते हुए सायकल से दोनो गांव की ओर जाने लगे।
राजेश _गांव की सड़क की हालात तो बहुत खराब है।
विधायक जी का गांव लगा huwa है फिर भी।
डाकिया _यहां की हालत के बारे में क्या बताऊं, भाई।
डाकिया गीत गाकर यहां की हाल बताने लगे,,,,
Thanksबहुत ही जबरदस्त अपडेट दिया है आपने मित्र ! लगता है कहानी में एक नया अध्याय जुड़ रहा है !
अगले भाग की प्रतीक्षा में।