Shubhamkumar23942
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Ha ha padma ki to nikal padiगांव पहुंचने से पहले एक मंदिर आया।
डाकिया बाबू _शहरी बाबू ये शिव जी का मंदिर है। यहां से गुजरने के पहले लोग इनके दर्शन करते है।
मै भी जब भी इस गांव में आता हूं। प्रभु का दर्शन करता हूं।
आइए मंदिर चलते है।
राजेश सायकल से उतर कर मंदिर का सीढ़ी चढ़ने लगा।
तभी अचानक तेज हवा चलने लगा।
मंदिर की घंटियां हवा की तेज झोखो से हिलने लगी।
घंटियां बजने लगी।
मंदिर का पुजारी मंदिर जो एक बुजुर्ग व्यक्ति था, वह बाहर की ओर देखने लगा। उसके पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था।
ये घंटियां अचानक क्यू बजने लगी।
राजेश मंदिर का सीढ़ी चढ़ गया।
डाकिया सायकल खड़ा कर राजेश के पीछे आया।
इधर पुजारी की नजर राजेश पर पड़ा।
वह राजेश को पहचानने की कोशिश करने लगा।
मंदिर की घंटियां बज रही थी।
उसे लगा की कोई फरिश्ता आया है।
पुजारी _मानव।
वह राजेश को एक टक देखने लगा।
तभी डाकिया सामने आया।
डाकिया _बाबा ये शहरी बाबू है, ये शहर से आया है।
गांव जा रहा था, तो मैंने कहा पहले मंदिर जा कर प्रभु के दर्शन कर लेते है।
राजेश ये मंदिर का पुजारी है।
पुजारी राजेश को हतप्रभ देखता रहा।
राजेश _प्रणाम बाबा।
पुजारी _जीते रहो बेटा।
पुजारी _तुम्हारे पिता जी का क्या नाम है बेटा।
राजेश _शेखर।
पुजारी _क्या तुम मानव के पोते हो?
राजेश _जी बाबा, मेरे दादा जी का नाम मानव प्रसाद था, अब वह इस दुनियां में नही है।
क्या आप उसे जानते थे?
पुजारी _तुम्हारी सकल तो तुम्हारे दादा जी से काफी मिलती है। एक पल तो मुझे लगा की तुम मानव हो।
पुजारी _हे प्रभु ऐसा लगता है तुमने मानव को फिर से वापस भेज दिया है।
ये घंटियां पहली बार ऐसे बज रही है। लगता है बेटा तुम इस गांव में फरिश्ता बन कर आए हो।
राजेश _मै कोई फरिश्ता नही बाबा, मै तो खुद जिंदगी से चोट खाकर आया हूं।
राजेश ने शिव जी का दर्शन कर अपना शीश झुकाकर प्रणाम किया।
पुजारी _लो बेटा प्रसाद।
पुजारी ने उसे प्रसाद दिया।
राजेश _बाबा आप मेरे दादा जी को जानते थे।
पुजारी _बेटा तुम्हारे दादा जी को कौन नहीं जानता।
वह बहुत सज्जन व्यक्ति थे।
ठाकुर महेंद्र सिंह और तुम्हारे दादा जी परम मित्र थे।
ठाकुर महेंद्र सिंह,तुम्हारे दादा जी की सलाह के बिना कोई कार्य नहीं करते थे। दोनो का का दूर दूर तक आदर और सम्मान था।
पर एक दिन इस मंदिर के स्थापना दिवस के दिन दोनो मंदिर में पूजा करने आए थे।
कुछ नकाब पोशो ने बंदूक से गोली मारकर उन दोनो की हत्या कर दी।
इसी मंदिर के सीढ़ी पर मेरे आंखो के सामने तुम्हारे दादा और ठाकुर महेंद्र सिंह ने दम तोड़ा था।
लोग तो उनकी हत्या को लेकर कई तरह की बाते करते हैं, पर सच्चाई क्या है वह प्रभू ही जानता है।
तुम्हारे दादा के गुजर जाने के बाद
इस गांव के बुरे दिन शुरू हो गए।
मुझे लगता है तुमअपनी इच्छा से नही, प्रभु ने तुम्हे यहां भेजा है यहां पिछड़े गरीब लोगो की मदद करने।
बाबा की बातो को सुनकर राजेश के मन में ढेर सारे सवाल उमड़ने लगे।
मां और पापा ने कभी इस बारे में मुझे बताया क्यू नही?
अब यहां आया हूं तो सारी बातें पता चल ही जाएगी।
राजेश ने बाबा को प्रणाम कर कहा,,
अच्छा बाबा अब मै चलता हूं।
डाकिया ने राजेश को उसके ताऊ जी के घर तक छोड़ा।
घर वाले उनके आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
राजेश जैसे ही घर के आंगन में गया।
सभी लोग उसे गौर से देखने लगे।
राजेश ने उन लोगो से कहा,,
जी मै राजेश हूं।
ताई _अरे बेटा तू आ गया। मै तेरी ताई। कब से तुम्हारे आने का इंतजार कर रहे थे।
राजेश ने अपनी ताई की पैर छूकर प्रणाम किया।
ताई की उम्र थी 44 वर्ष नाम था पदमा।
पदमा _जीता रह बेटा। भुवन तो तुम्हे लाने गया था। वो मुआ कहा है।
राजेश _ताई, हम बाइक से आ रहे थे की रास्ते पर बाइक पंचर हो गया। भुवन भईया ने मुझे डाकिया बाबू के साथ गांव भेज दिया वह बाइक बनाकर आएगा।
पदमा _गांव की सड़के तो पैदल चलने के लायक नही है बेटा, तुम्हे तो बडी तकलीफ हुई होगी ऊबड़ खाबड़ सड़क से आने में।
तू थक गया होगा बेटा आ बैठ खाट पे।
पदमा ने अपनी बहु को आवाज़ लगाई।
बहु, राजेश के लिए पानी ले आ।
बहु का नाम था पूनम उम्र 22वर्ष।
पूनम पानी लेकर आई।
पूनम ने राजेश को पानी देने लगी,,
पदमा _बेटा ये तेरी भौजाई है। भुवन की लुगाई।
पूनम राजेश की पैर छूने नीचे झुकी।
राजेश _भाभी ये आप क्या कर रही है? आप मुझसे बडी है।
पदमा _बेटा, इधर भौजाई, देवर का पैर छूती है। उसे रिवाज निभाने दे।
राजेश _पर ताई ये मुझे अच्छा नहीं लगेगा।
पदमा _अरे बेटा, कुछ दिनो में तुम्हे भी आदत पड़ जाएगी।
अरे आरती तू वहा खड़ी होकर क्या देख रही है चल अपनी भईया का पैर छू।
आरती, भुवन की छोटी बहन है उम्र 20वर्ष 12वो तक पढ़ाई की है।
आरती, राजेश का पैर छू कर बोली,, प्रणाम भईया।
पदमा _बेटा, ये भुवन की छोटी बहन आरती है । इसके लिए भी कोई अच्छा सा लडका मिल जाए तो इसका भी हाथ पीला कर गंगा नहाले।
भुवन की बडी बहन ज्योति पास की गांव में बिहा के गई है।
राजेश _ताई, ताऊ जी नही दिख रहे।
पदमा _बेटा तुम्हारे ताऊ जी खेत गया है।
बहु, राजेश का सामान कमरे में रख दो।
पूनम _जी मां जी।
पदमा ने राजेश के आने से पहले ही एक कमरे की सफाई करवा दी थी।
बेटा घर में सब कैसे है ?तुम्हारे मां तुम्हारे बाबू जी, तुम्हारी बहन।
राजेश _सब अच्छे है ताई।
पदमा _बेटा तू यात्रा से थक गया होगा, एक काम करो, पहले नहा लो। बहु तुम्हारे लिए नाश्ता बना देगी। नाश्ता करने के बाद तुम आराम करना।
अब बात चीत तो होती रहेगी।
राजेश _ठीक है ताई।
तभी कमरे से बच्चे की रोने की आवाज़ आई।
पदमा _बहु मुन्ना रो रहा है, लगता है उसे भूख लगी है। जाओ उसे दूध पिला दो। फिर राजेश के लिए नाश्ता बना देना।
पूनम _ठीक है मां जी।
पदमा _आरती, जाओ तुम राजेश के नहाने के लिए बोर चालू कर देना। उसे नहाने के लिए साबुन भी दे दो।
राजेश अपने कमरे मे गया। अपना लोअर और टी शर्ट पहन लिया। टावेल, अंडरवियर, बनियान लेकर।
आरती के पीछे पीछे घर के पीछे बाड़ी में चला गया।
घर के पीछे जानवरो के रहने के लिए। झोफड़ा बना था जहा गाय और भैंस को बांध कर रखा जाता था। कुछ साग सब्जियो फल फूल के पेड लगें थे।
बाड़े में एक कुवा था जिसमे मोटर पंप फिट था।
मोटर पंप के स्वीच के लिए छोटा सा ईट का रूम बना था। बाड़े में शौचालय और मूत्रालय अलग अलग बने थे।
बाड़े चारो ओर से ईट कि ऊंची दीवारों से घिरा था। बाहर वाले बाड़े के अंदर नही देख सकते थे।
आरती ने कुवे पर लगा मोटर पंप चालू कर दिया। पम्प का पानी एक छोटे से टंकी में जा रहा था। टंकी से पानी ओवर फ्लो होकर साकसब्जियो में जा रहा था।
आरती _लो भईया मैने पंप चालू कर दिया अब नहा लो।
अगर शौचालय जाना हो तो उधर है।
राजेश _ठीक है आरती, तुम अब जाओ मैं नहाकर आता हूं।
आरती _ठीक है भईया, अगर किसी चीज की आवश्यकता हो तो आवाज देना।
राजेश _ठीक है।
राजेश ने पहले टूथ पेस्ट लेकर ब्रश किया।
अपना कपड़ा उतारा । सिर्फ अंडर वियर और बनियान में आ गया।
फिर शौचालय जाकर फ्रेस हुआ।
Fresh होने के बाद टंकी में भरा पानी जग से निकाल कर नहाने लगा। यह सब उनके लिए नया अनुभव था।
नहाने के बाद अपना अंडर वियर बनियान निकाल कर धो कर सूखने के लिए डाल दिया। नया अंडर वियर और बनियान पहन कर अपना लोअर और टी शर्ट पहन लिया। फिर वहा से चला गया।
घर के आंगन में पहुंचने पर
पदमा _नहा लिया बेटा लो ये तेल और कंघी। तेल लगाकर बालो में कंघी कर लो।
तेल लगाकर कंघी करने के बाद,
पदमा _बहु, राजेश के लिए नाश्ता लगा दो।
पूनम ने राजेश के बैठने के लिए चटाई लगा दिया। सामने लकड़ी का बना एक पीड़हा रख दिया।
एक प्लेट पर घी का बना पराठा और एक प्लेट पर आलू की सब्जी लगा दिया।
पदमा चलो बेटा नाश्ता कर लो।
नाश्ता बड़ा स्वादिष्ट बना था।
राजेश _वाह भाभी नाश्ता तो बड़ा स्वादिष्ट बना है खाकर आनद आ गया।
पूनम _लो देवर जी एक और पराठा लो।
राजेश _नही भाभी मेरा हो गया।
पूनम _ये क्या देवर जी सिर्फ चार पराठे में हो गया। लगता है तुम खाने में शर्मा रहें हो।
राजेश _नही भाभी सच में हो गया।
नाश्ता कर लेने के बाद,,
पदमा _बेटा अब तुम जाकर अपने कमरे में आराम करो।
राजेश अपने कमरे में जाकर लकड़ी के पलंग जिसमें गद्दा लगा था, जाकर लेट गया।
थोड़ी देर बाद भुवन आया,
भुवन _मां, राजेश आया क्या?
पदमा _अरे मुआ तू कहा रह गया था। राजेश अपने कमरे में आराम कर रहा है।
भुवन _मां बाइक पंचर हो गया था। उसे बनवा के आ रहा हूं।
पदमा _जा तू भी नहा कर नाश्ता करले।
भुवन _राजेश ने नाश्ता किया।
पदमा _हा, वह नहाकर नाश्ता करके आराम कर रहा है।
भुवन भी नहाने चला गया।
नहाकर आया तो पूनम ने उसके लिए नाश्ता बनाया।
घी का पराठा देखकर खुश हो गया।
भुवन _आह क्या खुशबू आ रही है पराठे की लगता है राजेश के आने से अब अच्छा नाश्ता खाने को मिलेगा।
वाह क्या स्वाद है मेरी जान, लगता है अपने देवर के लिए बड़ी प्यार से बनाई हो। हाय हम तो तरस ही गए थे ऐसे नाश्ता के लिए।
पूनम _देखो जी राजेश शहर से आया है पता नही उसे नाश्ता पसंद आएगा की नही इसलिए बडी मेहनत से आज नाश्ता बनाई है।
भुवन _हूं ये तो है भई।
भुवन ने नाश्ता कर लेने के बाद,,
भुवन _मां, मै सोच रहा हूं की राजेश को गांव घुमा लाऊ।
पदमा _अरे बेटा, राजेश को थोडा आराम करने दे वह भगा थोड़े ही जा रहा है। बाद में घुमा लाना।
भुवन _ठीक है मां।
भुवन भी अपने कमरे मे आराम करने लगा।
इधर जब दिव्या घर पहुंची तो उसकी मां रत्नावती थाली में फूल और दिया सजाकर उसकी आरती उतारी।
दिव्या ने उसकी पैर छूकर प्रणाम किया।
रत्नावति _जीती रह मेरी बच्ची, मै कब से तुम्हारी राह देख रही थीं। आखिर डाक्टर बनकर अपने मां और पिता का तुमने नाम रौशन कर दिया।
दिव्या _ये तो तुम्हारे आशीर्वाद का फल है मां।
रत्नावती_बेटी तू थक गई होगी जाओ अपने कमरे में जाकर फ्रेश हो जाओ। फिर साथ में नाश्ता करेंगे।
दिव्या _ठीक है मां।
इधर ठाकुर ने अपने आदमियों को अपने खास आदमी माखन को बुलाकर लाने कहा,,
कुछ देर में माखन पंहुचा,,,
माखन _मालिक आपने मुझे बुलाया।
ठाकुर _हां, माखन, तुम पता करके बताओ किन मादरचोदो कीइतनी हिम्मत हो गई की ठाकुर बलेन्द्र सिंह की बेटी की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की, उन मादर चोदो को जिंदा या मुर्दा मेरे पास लाओ।
माखन,_ठीक है मालिक।
माखन वहा से चला गया।
ठाकुर _मुनीम जी हमारी छोटी बेटी की डाक्टर बनने की खुशी में कल एक पार्टी रखो। हमारे जीतने भी रिश्ते दार मित्र है उसे आमन्त्रित करो।
मुनीम _जी मलिक।
इधर भुवन अपने कमरे में आराम कर रहा था तभी बाजू में सोया बच्चा रोने लगा।
भुवन ने पुनम को आवाज़ लगाया।
भुवन _अरे कहा हो
पुनम कमरे में आई।
पुनम_क्या हुआ जी
भुवन_, मुन्ना रो रहा है लगता है इसे भूख लगी है।
पूनम पलंग पर बैठ गई
वह मुन्ने को अपने गोद में लेकर उसे प्यार करने लगा,,
पुनम _अ ले, अले मेला, बेटा क्यू रो रहा है? मेले बेटे को भूख लगी है। मेला बेटा दूदू पिएगा।
पुनम ने ब्लाउज का एक बटन खोला और चोली उठाकर एक चूची बाहर निकाल लिया, चूचक को मुन्ने के मुंह में डाल दिया। प्यार से मुन्ने का बाल सहलाने लगा।
दूध से भरी मस्त चूची को देखकर भुवन का land खड़ा हो गया।
उससे रहा न गया। उसने एक हाथ से पुनम की दूसरी चूची बाहर निकाल कर मसलने लगा।
पुनम _अजी क्या कर रहे हों? बाजू वाले कमरे में मेहमान आया huwa है और आप, कोई कमरे में आ गया तो।
भुवन _अरे मेरी जान, इस कमरे में जब दोनो हो तो कौन आएगा।
तेरी मस्त चूचियां देखकर रहा नही जाता।
मुझे भी भूख लगी है। मुझे भी दूध पिलाओ।
पुनम _अभी तो नाश्ता किए हो फिर भूख लगने लगी।
भुवन _अरे मेरी जान भूख मुझे नही इसको लगी है इसकी प्यास बुझाओ।
भुवन ने पुनम का एक हाथ पकड़कर अपने land पर रख दिया।
पुनम _इसकी भूख तो मिटती ही नहीं है, जब देखो सर उठा के खड़ा हो जाता है।
भुवन _तेरी जैसी मस्त मॉल पास हो तो भूख तो लगेगी।
भुवन ने दूसरी चूची को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
पुनम एक हाथ से उसका land सहलाने लगा।
इधर बच्चा दूध पीता पीता सो गया।
भूवन _लगता है मुन्ना सो गया।
चल आजा बैठ जा मेरे land पे।
पुनम ने बच्चे को पलंग के किनारे लिटा दिया।
भुवन ने अपना लूंगी और चड्डी निकाल दिया। उसका land हवा में ठुमकने लगा।
पुनम ने अपनी चड्डी, उतार दी और पलंग पर चढ़ गई।
भुवन के द्वारा चूची मसलने और पीने से वह भी गर्म हो चुकी थी। उसकी बुर पानी छोड़ रही थी।
वह भुवन के land को अपने एक हाथ से पकड़ कर अपनी बुर के छेद में रख कर बैठ गई।
Land सरसराता huwa अंदर चला गया।
भुवन अपने दोनो हाथों से पुनम की चूची थाम लिया।
पुनम land पर उछल उछल कर चुदने लगी।
दोनो को बहुत मज़ा आने लगा,,,,
भुवन अपनी क़मर उठा उठा कर पुनम की योनि में land Ko गहराई तक ले जाने की कोशिश करने लगा जिससे दोनो को संभोग की अपार सुख प्राप्त होने लगा।
कमरे में पुनम की मादक सिसकारी गूंजने लगी।
इधर पदमा को बहु से कुछ काम था तो वह उसे ढूंढते हुए उसके कमरे की ओर आई। दारवाजे के पास पहुंचते ही उसे मादक सिसकारी सुनाई पड़ी,,
वह समझ गई अंदर क्या चल रहा है।
पदमा _इस मुआ का तो कोई समय ही नहीं है जब देखो,chudai करने लग जाता है।
बाजू वाले कमरे में छोटा भाई मौजूद है, इसे कोई लाज शर्म है नही सुरु हो गया,,, बुर चोदने।
चोदरा कही का,,,
ThanksShaandar jabardast super hot Kamuk Update
Dhire dhire Raj khulenge
Shandaar updateगांव पहुंचने से पहले एक मंदिर आया।
डाकिया बाबू _शहरी बाबू ये शिव जी का मंदिर है। यहां से गुजरने के पहले लोग इनके दर्शन करते है।
मै भी जब भी इस गांव में आता हूं। प्रभु का दर्शन करता हूं।
आइए मंदिर चलते है।
राजेश सायकल से उतर कर मंदिर का सीढ़ी चढ़ने लगा।
तभी अचानक तेज हवा चलने लगा।
मंदिर की घंटियां हवा की तेज झोखो से हिलने लगी।
घंटियां बजने लगी।
मंदिर का पुजारी मंदिर जो एक बुजुर्ग व्यक्ति था, वह बाहर की ओर देखने लगा। उसके पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था।
ये घंटियां अचानक क्यू बजने लगी।
राजेश मंदिर का सीढ़ी चढ़ गया।
डाकिया सायकल खड़ा कर राजेश के पीछे आया।
इधर पुजारी की नजर राजेश पर पड़ा।
वह राजेश को पहचानने की कोशिश करने लगा।
मंदिर की घंटियां बज रही थी।
उसे लगा की कोई फरिश्ता आया है।
पुजारी _मानव।
वह राजेश को एक टक देखने लगा।
तभी डाकिया सामने आया।
डाकिया _बाबा ये शहरी बाबू है, ये शहर से आया है।
गांव जा रहा था, तो मैंने कहा पहले मंदिर जा कर प्रभु के दर्शन कर लेते है।
राजेश ये मंदिर का पुजारी है।
पुजारी राजेश को हतप्रभ देखता रहा।
राजेश _प्रणाम बाबा।
पुजारी _जीते रहो बेटा।
पुजारी _तुम्हारे पिता जी का क्या नाम है बेटा।
राजेश _शेखर।
पुजारी _क्या तुम मानव के पोते हो?
राजेश _जी बाबा, मेरे दादा जी का नाम मानव प्रसाद था, अब वह इस दुनियां में नही है।
क्या आप उसे जानते थे?
पुजारी _तुम्हारी सकल तो तुम्हारे दादा जी से काफी मिलती है। एक पल तो मुझे लगा की तुम मानव हो।
पुजारी _हे प्रभु ऐसा लगता है तुमने मानव को फिर से वापस भेज दिया है।
ये घंटियां पहली बार ऐसे बज रही है। लगता है बेटा तुम इस गांव में फरिश्ता बन कर आए हो।
राजेश _मै कोई फरिश्ता नही बाबा, मै तो खुद जिंदगी से चोट खाकर आया हूं।
राजेश ने शिव जी का दर्शन कर अपना शीश झुकाकर प्रणाम किया।
पुजारी _लो बेटा प्रसाद।
पुजारी ने उसे प्रसाद दिया।
राजेश _बाबा आप मेरे दादा जी को जानते थे।
पुजारी _बेटा तुम्हारे दादा जी को कौन नहीं जानता।
वह बहुत सज्जन व्यक्ति थे।
ठाकुर महेंद्र सिंह और तुम्हारे दादा जी परम मित्र थे।
ठाकुर महेंद्र सिंह,तुम्हारे दादा जी की सलाह के बिना कोई कार्य नहीं करते थे। दोनो का का दूर दूर तक आदर और सम्मान था।
पर एक दिन इस मंदिर के स्थापना दिवस के दिन दोनो मंदिर में पूजा करने आए थे।
कुछ नकाब पोशो ने बंदूक से गोली मारकर उन दोनो की हत्या कर दी।
इसी मंदिर के सीढ़ी पर मेरे आंखो के सामने तुम्हारे दादा और ठाकुर महेंद्र सिंह ने दम तोड़ा था।
लोग तो उनकी हत्या को लेकर कई तरह की बाते करते हैं, पर सच्चाई क्या है वह प्रभू ही जानता है।
तुम्हारे दादा के गुजर जाने के बाद
इस गांव के बुरे दिन शुरू हो गए।
मुझे लगता है तुमअपनी इच्छा से नही, प्रभु ने तुम्हे यहां भेजा है यहां पिछड़े गरीब लोगो की मदद करने।
बाबा की बातो को सुनकर राजेश के मन में ढेर सारे सवाल उमड़ने लगे।
मां और पापा ने कभी इस बारे में मुझे बताया क्यू नही?
अब यहां आया हूं तो सारी बातें पता चल ही जाएगी।
राजेश ने बाबा को प्रणाम कर कहा,,
अच्छा बाबा अब मै चलता हूं।
डाकिया ने राजेश को उसके ताऊ जी के घर तक छोड़ा।
घर वाले उनके आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
राजेश जैसे ही घर के आंगन में गया।
सभी लोग उसे गौर से देखने लगे।
राजेश ने उन लोगो से कहा,,
जी मै राजेश हूं।
ताई _अरे बेटा तू आ गया। मै तेरी ताई। कब से तुम्हारे आने का इंतजार कर रहे थे।
राजेश ने अपनी ताई की पैर छूकर प्रणाम किया।
ताई की उम्र थी 44 वर्ष नाम था पदमा।
पदमा _जीता रह बेटा। भुवन तो तुम्हे लाने गया था। वो मुआ कहा है।
राजेश _ताई, हम बाइक से आ रहे थे की रास्ते पर बाइक पंचर हो गया। भुवन भईया ने मुझे डाकिया बाबू के साथ गांव भेज दिया वह बाइक बनाकर आएगा।
पदमा _गांव की सड़के तो पैदल चलने के लायक नही है बेटा, तुम्हे तो बडी तकलीफ हुई होगी ऊबड़ खाबड़ सड़क से आने में।
तू थक गया होगा बेटा आ बैठ खाट पे।
पदमा ने अपनी बहु को आवाज़ लगाई।
बहु, राजेश के लिए पानी ले आ।
बहु का नाम था पूनम उम्र 22वर्ष।
पूनम पानी लेकर आई।
पूनम ने राजेश को पानी देने लगी,,
पदमा _बेटा ये तेरी भौजाई है। भुवन की लुगाई।
पूनम राजेश की पैर छूने नीचे झुकी।
राजेश _भाभी ये आप क्या कर रही है? आप मुझसे बडी है।
पदमा _बेटा, इधर भौजाई, देवर का पैर छूती है। उसे रिवाज निभाने दे।
राजेश _पर ताई ये मुझे अच्छा नहीं लगेगा।
पदमा _अरे बेटा, कुछ दिनो में तुम्हे भी आदत पड़ जाएगी।
अरे आरती तू वहा खड़ी होकर क्या देख रही है चल अपनी भईया का पैर छू।
आरती, भुवन की छोटी बहन है उम्र 20वर्ष 12वो तक पढ़ाई की है।
आरती, राजेश का पैर छू कर बोली,, प्रणाम भईया।
पदमा _बेटा, ये भुवन की छोटी बहन आरती है । इसके लिए भी कोई अच्छा सा लडका मिल जाए तो इसका भी हाथ पीला कर गंगा नहाले।
भुवन की बडी बहन ज्योति पास की गांव में बिहा के गई है।
राजेश _ताई, ताऊ जी नही दिख रहे।
पदमा _बेटा तुम्हारे ताऊ जी खेत गया है।
बहु, राजेश का सामान कमरे में रख दो।
पूनम _जी मां जी।
पदमा ने राजेश के आने से पहले ही एक कमरे की सफाई करवा दी थी।
बेटा घर में सब कैसे है ?तुम्हारे मां तुम्हारे बाबू जी, तुम्हारी बहन।
राजेश _सब अच्छे है ताई।
पदमा _बेटा तू यात्रा से थक गया होगा, एक काम करो, पहले नहा लो। बहु तुम्हारे लिए नाश्ता बना देगी। नाश्ता करने के बाद तुम आराम करना।
अब बात चीत तो होती रहेगी।
राजेश _ठीक है ताई।
तभी कमरे से बच्चे की रोने की आवाज़ आई।
पदमा _बहु मुन्ना रो रहा है, लगता है उसे भूख लगी है। जाओ उसे दूध पिला दो। फिर राजेश के लिए नाश्ता बना देना।
पूनम _ठीक है मां जी।
पदमा _आरती, जाओ तुम राजेश के नहाने के लिए बोर चालू कर देना। उसे नहाने के लिए साबुन भी दे दो।
राजेश अपने कमरे मे गया। अपना लोअर और टी शर्ट पहन लिया। टावेल, अंडरवियर, बनियान लेकर।
आरती के पीछे पीछे घर के पीछे बाड़ी में चला गया।
घर के पीछे जानवरो के रहने के लिए। झोफड़ा बना था जहा गाय और भैंस को बांध कर रखा जाता था। कुछ साग सब्जियो फल फूल के पेड लगें थे।
बाड़े में एक कुवा था जिसमे मोटर पंप फिट था।
मोटर पंप के स्वीच के लिए छोटा सा ईट का रूम बना था। बाड़े में शौचालय और मूत्रालय अलग अलग बने थे।
बाड़े चारो ओर से ईट कि ऊंची दीवारों से घिरा था। बाहर वाले बाड़े के अंदर नही देख सकते थे।
आरती ने कुवे पर लगा मोटर पंप चालू कर दिया। पम्प का पानी एक छोटे से टंकी में जा रहा था। टंकी से पानी ओवर फ्लो होकर साकसब्जियो में जा रहा था।
आरती _लो भईया मैने पंप चालू कर दिया अब नहा लो।
अगर शौचालय जाना हो तो उधर है।
राजेश _ठीक है आरती, तुम अब जाओ मैं नहाकर आता हूं।
आरती _ठीक है भईया, अगर किसी चीज की आवश्यकता हो तो आवाज देना।
राजेश _ठीक है।
राजेश ने पहले टूथ पेस्ट लेकर ब्रश किया।
अपना कपड़ा उतारा । सिर्फ अंडर वियर और बनियान में आ गया।
फिर शौचालय जाकर फ्रेस हुआ।
Fresh होने के बाद टंकी में भरा पानी जग से निकाल कर नहाने लगा। यह सब उनके लिए नया अनुभव था।
नहाने के बाद अपना अंडर वियर बनियान निकाल कर धो कर सूखने के लिए डाल दिया। नया अंडर वियर और बनियान पहन कर अपना लोअर और टी शर्ट पहन लिया। फिर वहा से चला गया।
घर के आंगन में पहुंचने पर
पदमा _नहा लिया बेटा लो ये तेल और कंघी। तेल लगाकर बालो में कंघी कर लो।
तेल लगाकर कंघी करने के बाद,
पदमा _बहु, राजेश के लिए नाश्ता लगा दो।
पूनम ने राजेश के बैठने के लिए चटाई लगा दिया। सामने लकड़ी का बना एक पीड़हा रख दिया।
एक प्लेट पर घी का बना पराठा और एक प्लेट पर आलू की सब्जी लगा दिया।
पदमा चलो बेटा नाश्ता कर लो।
नाश्ता बड़ा स्वादिष्ट बना था।
राजेश _वाह भाभी नाश्ता तो बड़ा स्वादिष्ट बना है खाकर आनद आ गया।
पूनम _लो देवर जी एक और पराठा लो।
राजेश _नही भाभी मेरा हो गया।
पूनम _ये क्या देवर जी सिर्फ चार पराठे में हो गया। लगता है तुम खाने में शर्मा रहें हो।
राजेश _नही भाभी सच में हो गया।
नाश्ता कर लेने के बाद,,
पदमा _बेटा अब तुम जाकर अपने कमरे में आराम करो।
राजेश अपने कमरे में जाकर लकड़ी के पलंग जिसमें गद्दा लगा था, जाकर लेट गया।
थोड़ी देर बाद भुवन आया,
भुवन _मां, राजेश आया क्या?
पदमा _अरे मुआ तू कहा रह गया था। राजेश अपने कमरे में आराम कर रहा है।
भुवन _मां बाइक पंचर हो गया था। उसे बनवा के आ रहा हूं।
पदमा _जा तू भी नहा कर नाश्ता करले।
भुवन _राजेश ने नाश्ता किया।
पदमा _हा, वह नहाकर नाश्ता करके आराम कर रहा है।
भुवन भी नहाने चला गया।
नहाकर आया तो पूनम ने उसके लिए नाश्ता बनाया।
घी का पराठा देखकर खुश हो गया।
भुवन _आह क्या खुशबू आ रही है पराठे की लगता है राजेश के आने से अब अच्छा नाश्ता खाने को मिलेगा।
वाह क्या स्वाद है मेरी जान, लगता है अपने देवर के लिए बड़ी प्यार से बनाई हो। हाय हम तो तरस ही गए थे ऐसे नाश्ता के लिए।
पूनम _देखो जी राजेश शहर से आया है पता नही उसे नाश्ता पसंद आएगा की नही इसलिए बडी मेहनत से आज नाश्ता बनाई है।
भुवन _हूं ये तो है भई।
भुवन ने नाश्ता कर लेने के बाद,,
भुवन _मां, मै सोच रहा हूं की राजेश को गांव घुमा लाऊ।
पदमा _अरे बेटा, राजेश को थोडा आराम करने दे वह भगा थोड़े ही जा रहा है। बाद में घुमा लाना।
भुवन _ठीक है मां।
भुवन भी अपने कमरे मे आराम करने लगा।
इधर जब दिव्या घर पहुंची तो उसकी मां रत्नावती थाली में फूल और दिया सजाकर उसकी आरती उतारी।
दिव्या ने उसकी पैर छूकर प्रणाम किया।
रत्नावति _जीती रह मेरी बच्ची, मै कब से तुम्हारी राह देख रही थीं। आखिर डाक्टर बनकर अपने मां और पिता का तुमने नाम रौशन कर दिया।
दिव्या _ये तो तुम्हारे आशीर्वाद का फल है मां।
रत्नावती_बेटी तू थक गई होगी जाओ अपने कमरे में जाकर फ्रेश हो जाओ। फिर साथ में नाश्ता करेंगे।
दिव्या _ठीक है मां।
इधर ठाकुर ने अपने आदमियों को अपने खास आदमी माखन को बुलाकर लाने कहा,,
कुछ देर में माखन पंहुचा,,,
माखन _मालिक आपने मुझे बुलाया।
ठाकुर _हां, माखन, तुम पता करके बताओ किन मादरचोदो कीइतनी हिम्मत हो गई की ठाकुर बलेन्द्र सिंह की बेटी की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की, उन मादर चोदो को जिंदा या मुर्दा मेरे पास लाओ।
माखन,_ठीक है मालिक।
माखन वहा से चला गया।
ठाकुर _मुनीम जी हमारी छोटी बेटी की डाक्टर बनने की खुशी में कल एक पार्टी रखो। हमारे जीतने भी रिश्ते दार मित्र है उसे आमन्त्रित करो।
मुनीम _जी मलिक।
इधर भुवन अपने कमरे में आराम कर रहा था तभी बाजू में सोया बच्चा रोने लगा।
भुवन ने पुनम को आवाज़ लगाया।
भुवन _अरे कहा हो
पुनम कमरे में आई।
पुनम_क्या हुआ जी
भुवन_, मुन्ना रो रहा है लगता है इसे भूख लगी है।
पूनम पलंग पर बैठ गई
वह मुन्ने को अपने गोद में लेकर उसे प्यार करने लगा,,
पुनम _अ ले, अले मेला, बेटा क्यू रो रहा है? मेले बेटे को भूख लगी है। मेला बेटा दूदू पिएगा।
पुनम ने ब्लाउज का एक बटन खोला और चोली उठाकर एक चूची बाहर निकाल लिया, चूचक को मुन्ने के मुंह में डाल दिया। प्यार से मुन्ने का बाल सहलाने लगा।
दूध से भरी मस्त चूची को देखकर भुवन का land खड़ा हो गया।
उससे रहा न गया। उसने एक हाथ से पुनम की दूसरी चूची बाहर निकाल कर मसलने लगा।
पुनम _अजी क्या कर रहे हों? बाजू वाले कमरे में मेहमान आया huwa है और आप, कोई कमरे में आ गया तो।
भुवन _अरे मेरी जान, इस कमरे में जब दोनो हो तो कौन आएगा।
तेरी मस्त चूचियां देखकर रहा नही जाता।
मुझे भी भूख लगी है। मुझे भी दूध पिलाओ।
पुनम _अभी तो नाश्ता किए हो फिर भूख लगने लगी।
भुवन _अरे मेरी जान भूख मुझे नही इसको लगी है इसकी प्यास बुझाओ।
भुवन ने पुनम का एक हाथ पकड़कर अपने land पर रख दिया।
पुनम _इसकी भूख तो मिटती ही नहीं है, जब देखो सर उठा के खड़ा हो जाता है।
भुवन _तेरी जैसी मस्त मॉल पास हो तो भूख तो लगेगी।
भुवन ने दूसरी चूची को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
पुनम एक हाथ से उसका land सहलाने लगा।
इधर बच्चा दूध पीता पीता सो गया।
भूवन _लगता है मुन्ना सो गया।
चल आजा बैठ जा मेरे land पे।
पुनम ने बच्चे को पलंग के किनारे लिटा दिया।
भुवन ने अपना लूंगी और चड्डी निकाल दिया। उसका land हवा में ठुमकने लगा।
पुनम ने अपनी चड्डी, उतार दी और पलंग पर चढ़ गई।
भुवन के द्वारा चूची मसलने और पीने से वह भी गर्म हो चुकी थी। उसकी बुर पानी छोड़ रही थी।
वह भुवन के land को अपने एक हाथ से पकड़ कर अपनी बुर के छेद में रख कर बैठ गई।
Land सरसराता huwa अंदर चला गया।
भुवन अपने दोनो हाथों से पुनम की चूची थाम लिया।
पुनम land पर उछल उछल कर चुदने लगी।
दोनो को बहुत मज़ा आने लगा,,,,
भुवन अपनी क़मर उठा उठा कर पुनम की योनि में land Ko गहराई तक ले जाने की कोशिश करने लगा जिससे दोनो को संभोग की अपार सुख प्राप्त होने लगा।
कमरे में पुनम की मादक सिसकारी गूंजने लगी।
इधर पदमा को बहु से कुछ काम था तो वह उसे ढूंढते हुए उसके कमरे की ओर आई। दारवाजे के पास पहुंचते ही उसे मादक सिसकारी सुनाई पड़ी,,
वह समझ गई अंदर क्या चल रहा है।
पदमा _इस मुआ का तो कोई समय ही नहीं है जब देखो,chudai करने लग जाता है।
बाजू वाले कमरे में छोटा भाई मौजूद है, इसे कोई लाज शर्म है नही सुरु हो गया,,, बुर चोदने।
चोदरा कही का,,,