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ThanksBehad umda update he rajesh bhagat Bhai,
Rajesh ne poonam se ab majak karna shuru kar diya he........
Jald hi dono ki baato me aur bhi khulapan aa jayega...........
Keep rocking Bro
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Shandaar updateभुवन,राजेश, विमल और रवि चारो अपनी कहानी किस्सा सुनाते हुवे, नदी की ओर टहलने के लिए निकले थे। रास्ते में कुछ। महिलाए लोटा लेकर जाते हुवे दिखाई पड़ी,,,
राजेश _भुवन भाई ये महिलाए लोटा लेकर कहा जा रही है।
भुवन _राजेश, ये महिलाए लोटा लेकर शौच करने जा रही है, इनके घर में शौचालय नहीं है न। यहां गांव में अधिकांश लोगो के यहां शौचालय नही है।
राजेश _सरकार की तो योजना है न हर घर फ्री में शौचालय बनाने की।
रवि _अरे राजेश, हमारे गांव के लोगो को सरकार की योजना का लाभ कहा मिल पाया है।
विमल _भुवन भाई आपको याद है कि भुल गए, जब हम छोटे थे तो कैसे झाड़ियों में छिपकर, हगती हुईं महिलाओं के गाड़ और बुर देखा करते थे।
और अपना land खड़ा करते थे।
भुवन_अबे, कैसे भुल सकता हूं?
पर अब तो हमें इनकी गाड़ और बुर देखने की जरूरत नहीं, ऐसे ही कई चूत हमें चोदने को मिल रहा है।
नए नए जवानी चढ़ती है न तो लड़के झाड़ियों में छिपकर औरतों की बुर और गाड़ देखते हैं हगते एवम नहाते हुवे औरतों की।
रवि _हां भाई, औरतों की बुर और गाड़ देखकर land हिलाने का मजा ही कुछ और था।
तीनो दोस्त हसने लगते है।
चारो नदी किनारे पहुंच जाते है।
नदी किनारे बैठकर गपसप करने लगते है।
विमल _अबे मेरा पेट थोडा गड़बड़ लग रहा है।
भुवन _तो जाना, झाड़ी के पीछे, उस जगह ढूंढो डब्बा होगा, जहां हम छिपा कर रखते हैं।
नदी से पानी भरके ले जा डब्बे में।
विमल _ठिक है भाई, मै पेट साफ़ करके आता हूं।
विमल डब्बे में पानी भरकर झाड़ियों की ओर जाने लगा।
भुवन _अबे उधर कहा जा रहा है, उधर महिलाए गई है हगने।
विमल _अरे भाई गड़बड़ हो गई थी, अच्छा किया बता दिया, नही तो लफड़ा हो जाता।
राजेश, भुवन और रवि तीनो बैठकर बाते कर रहे थे, तभी कुछ लड़कों की टोली वहा पहुंचा।
भुवन _अरे बिरजू, अरे यार मुझे तुम्से ही काम था। कैसा चल रहा है तुम्हारा अखाड़ा।
बिरजू _मस्त भईया।
भुवन _अच्छा huwa जो यहां मिल गया।
बिरजू _बोलो भुवन भईया क्या काम हैं।
भुवन _अरे यार, इससे मिलो ये मेरा छोटा भाई राजेश है, यह शहर से आज ही सुबह आया है। अभी कुछ समय गांव में ही रहेगा।
क्या है न कि राजेश को सुबह जिम जाने की आदत है। मै कह रहा था कि तुम अपने अखाड़ा दल में राजेश को भी शामिल कर लेते तो सुबह राजेश अभ्यास कर लेता, जिससे राजेश का फिटनेस बना रहेगा।
बिरजू _क्यू नही, भुवन भईया।
कल से राजेश तुम आखड़े पर आ जाना। वैसे तुमने बहुत अच्छा बॉडी बना रखी है।
राजेश _आपने भी बहुत अच्छा बॉडी बनाया है, बिरजू भईया। मुझे अच्छा लगेगा आप लोगो के साथ अभ्यास करने में।
भुवन _बिरजू कैसा चल रहा है?कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी, इस बार हमारा गांव विजेता बनना चाहिए।हर साल भानगढ़ वाले विजेता बनते है।
बिरजू _लड़के अच्छे मेहनत कर रहे है भुवन भाई, पर पता नही हमारी तैयारी में क्या कमी रह जाती है की भानगढ़ वालो से हम हर बार हार जाते है।
राजेश _कैसी कबड्डी प्रतियोगिता भुवन भईया?
भुवन _राजेश ,भानगढ़ के महराज को कबड्डी खेल बहुत पसन्द था, उसके जन्म दिन पर,प्रत्येक वर्ष भानगढ़ में जिला स्तर पर कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन होता है। जिले के विभिन्न गांव के प्रतिभागी खेल में भाग लेते है। खेल में जीतने वाले टीम को कई पुरस्कार और हवेली में साही भोज दिया जाता है। सुना है इस बार जीतने वाले टीम के प्रत्येक खिलाड़ी को एक एक लाख इनाम दिया जायेगा। भानगढ़ वाले ही हमेशा चैंपियन बनते है।
तभी, विमल भी शौच करके आ गया।
रवि _भाई भुवन, चलो अब घर चलते है, बबलू का फोन आया था। मरीज लोग वेट कर रहे है।
भुवन _ठीक है चलो भाई।
रवि, भुवन, राजेश और विमल चारो घर की ओर निकल पड़ते हैं।
घर पहुंचने के बाद कुछ देर टीवी चालू कर, कोई प्रोग्राम देखने लगते।
पदमा _बेटा भोजन तैयार हो गया है चलो तुम लोग भोजन कर लो, भुवन बेटा तुम्हे खेत भी जाना है।
भुवन _ठीक, है मां।
हाथ पैर धोकर भुवन और राजेश दोनो कीचन में पहुंचते है, जहां पुनम खाना बनाकर दोनो का वेट कर रही थी।
भुवन _बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है भई क्या बना है आज।
भाई राजेश तुम्हारे आने से एक फायदा तो huwa, हमें स्वादिष्ट भोजन खाने को मिल रहा है।
पुनम _क्या जी, आप तो ऐसे बोल रहे है जैसे ऐसा भोजन पहली बार बन रहा हो,,
भुवन _भोजन तो बनता था मेरी रानी, पर ऐसा खुशबू तो आता नही था।
राजेश, और भुवन दोनो भोजन करने लगते है।
राजेश _वाह सच में भाभी आपके हाथ में तो जादू है, बड़ा स्वादिष्ट बनाई हो भोजन।
पुनम _सच में देवर जी आपको भोजन पसन्द आया। गांव में तो ज्यादा विरायटी बनती नही, दाल चावल सब्जी और रोटी, शहर में तो कई प्रकार के व्यंजन बनते होंगे।
राजेश _भाभी, दाल रोटी चावल और सब्जी, यही तो हमारे भोजन का प्रमुख आहार है, बांकी चीजे फालतू और सेहत के लिए हानिकारक होता है।
भुवन _लो भई अब तो आपके देवर ने भी आपके भोजन की तारीफ कर दी।
भोजन कर लेने के बाद,,
भुवन _अच्छा मां अब मैं खेत निकलता हूं, बापू मेरे आने का वेट कर रहा होगा।
पदमा _ठिक है बेटा।
भुवन _अच्छा भाई राजेश, कल सुबह मिलेंगे।
राजेश _ठीक है भईया।
भुवन खेत चला गया।
राजेश अपनें कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा।
भुवन खेत पहुंचा,
भुवन के पिता केशव _अरे आ गया बेटा।
भुवन _हा बापू, अब आप घर जाइए।
केशव _ठीक है बेटा, पर खेत का अच्छा ख्याल रखना कुछ जानवर परेशान कर रखा है।
भुवन _बापू आप बेफिक्र रहिए।
केशव घर आ गया।
घर आने के बाद।
पदमा _आ गए जी आप, चलो हाथ मूंह धो लो, भोजन के लिए।
केशव _राजेशने भोजन कर लिया।
पदमा _हां, भुवन के साथ राजेश ने भी भोजन किया।
चलो आप भी भोजन कर लो।
केशव _ठीक है।
तुम भी अपनें लिए थाली लगवा दो।
पदमा _नही जी पहले आप भोजन कर लीजिए उसके बाद मैं और बहु साथ में कर लेंगे।
बहु अपनें ससुर के लिए खाना लगाओ।
पुनम _जी मां जी।
केशव ने भोजन किया। फिर अपनें कमरे में आराम करने चला गया।
केशव के जाने के बाद पदमा और पुनमने ने भी भोजन कर लिया।
और बर्तन की सफाई करने के बाद ,,
पदमा _बहु, दूध गरम कर के राजेश को दे आ, और सोने से पहले उसके कमरे में पानी रख आना।
पुनम _जी मां जी।
उधर शहर में सुनीत ने डाइनिंग टेबल पर शेखर और स्वीटी के लिए भोजन लगाई।
स्वीटी _ने थोडा सा ही खाई, उसके बाद उठ गई,, शेखर भी,,
सुनीत _अरे ये क्या? बस थोडा सा ही खाय और दोनो उठ गए? क्या भोजन अच्छा नहीं बना है ।
स्वीटी _ओ मां भूख नहीं है न इसलिए।
सुनीता _और तुम्हे क्या हूवा जी, सुनीता मेरा भी खाने का मन नही कर रहा,,
सुनीता _देखो जी कब तक ऐसा चलेगा, हमें राजेश के बिना खाने की आदत डालनी होगी।
शेखर और स्वीटी दोनो, अपनें कमरे में चले गए।
कुछ देर बाद, सुनीता भी कमरे में पहुंची।
वह सोने की कोशिश करने लगी।
पर उसे राजेश की याद आ रही थी, वह सुबकने लगी।
शेखर भी सोया नही था।
शेखर _ये क्या, सुनीता तुम रो रही हो।
सुनीता _पता नही, राजेश गांव में कैसा होगा? खाया भी होगा की नही।
शेखर _राजेश समझदार है, भईया और भाभी भी बड़े अच्छे है। तुम्हे राजेश की चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं।
तुमने भोजन किया?
सुनीता _हां,
शेखर _खाओ मेरी कसम।
सुनीता _मुझे भूख नहीं है जी।
शेखर _मुझे पता है तुम सुबह से ही कुछ नही खाई हो।
सुनीता _आप राजेश से काल करके पूछो जी वह ठिक तो है न।
शेखर _सुबह से ही ट्राई कर रहा हूं, किसी का फोन नही लग पा रहा है। शायद वहां नेटवर्क की समस्या हो।
तुम राजेश की चिन्ता मत करो सुनीता, मुझे यकीन है वह सकुशल होगा।
इधर पुनम दूध गरम करके, राजेश के कमरे में गई।
पुनम _देवर जी क्या कर रहे हो?
राजेश _कुछ नही भाभी थोडा पढ़ाई कर रहा था।
पुनम _हूं केलेक्टरी की तैयारी चल रही है।
राजेश _भाभी, आपको किसने बताया।
पुनम _आपके भईया ने, आप कलेक्टर बन गए तो हमारी भी ठाठ हो जाएगी, लोग कहेंगे कलेक्टर की भाभी जा रही है।
लो दूध पी लो मां जी ने आपके लिए दूध भेजा है।
राजेश _भाभी मुझे दूध पीने की आदत नही है।
पुनम _देवर जी दूध पियोगे तभी तो स्वस्थ्य रहोगे, बुद्धि और ताकत बड़ेगी, तभी तो आप कलेक्टर बनोगे।
राजेश _अच्छा ये बात है, तब तो दूध पीना पड़ेगा।
वैसे सुना है गाय की दूध से ज्यादा मां की दूध बच्चे के लिए लाभकारी होता है।
पुनम _मतलब मां की दूध पीना है क्या?
उसके लिए तो पहले आपको शादी करनी पड़ेगी।
राजेश _बीना शादी किए दूध नहीं मिल सकता क्या?
पुनम _देवर जी मैं तो आपको सीधा साधा समझ रहा था, आप तो बड़े रंगीले निकले,,
राजेश _अरे भाभी मैं तो मजाक कर रहा था,,
अपनी भाभी से मजाक नहीं कर सकता क्या?
पुनम _हां भई, कर सकते हो, वैसे भी देवर को, दूसरा वर कहा जाता है। कहते है जब पति घर में न हो तो देवर ही अपने भाभी का ख्याल रखता है।
राजेश _अच्छा, ऐसी बात है क्या?
बोलो, क्या सेवा करू अपनी भाभी।
पुनम _जरूरत पड़ेगी तो बताऊंगी।
अभी तो आपके भईया ही काफी है सेवा करने के लिए।
चलो अब बाते बंद कर दूध पी लो।
राजेश ने दूध पी लिया।
गिलास लेकर पुनम चली गई।
कुछ देर बाद फिर राजेश के कमरे में फिर आई।
पुनम _देवर जी, जग में पानी रख रही हूं। रात प्यास लगे तो पी लेना।
राजेश _शुक्रिया, भाभी।
पुनम _किस बात की शुक्रिया।
राजेश _हमारा इतना ख्याल रख रहे हो इसलिए।
इतना अच्छा खाना बनाकर खिलाई, फिर दूध
पुनम _आप मेरे देवर है, देवर का ख्याल भौजी नही रखेगी तो और कौन रखेगा।
अच्छा अब मैं चलती हूं।
राजेश _ठीक है भाभी।
पुनम _भाभी नही,भौजी कहा करो, बड़ा अच्छा लगता है मुझे भौजी शब्द,
राजेश _अच्छा, तो ठीक है आज अब से भौजी ही कहा करेंगे।
उधर खेत में, भुवन, सरला काकी के आने का बेशब्री से इन्तजार कर रहा था।
भुवन _शाली इतना लेट कर रही है। आने दे उसे आज तो ऐसा बजाऊंगा उसे, चीख निकलूंगा उसकी।
उधर सरला अपनें पति के सोने का इन्तजार कर रही थी। जब उसे लगा की उसका पति गहरी नींद में सो चुका है।
वह दबे पांव बिस्तर से उठी और चादर ओढ़ कर एक लोटा में पानी लेकर, छुपते छुपाते खेत की ओर जाने लगी
, ताकि अगर कोइ पकड़ ले तो उसे बहाना बनाते हुवे कह सके की वह शौच करने जा रही है।
वह लोगो से छिपते छिपाते भुवन के खेत में पहुंची।
झोपड़े में घुसी,,
भुवन खाट पे लेटा हुआ था।
भुवन _अरे काकी, इतनी देर काहे लगादी आने में,,
सरला _अरे मुआ, तुम्हे क्या?
कैसे लोगो से छिपते छिपाते आ रही हूं तुम्हे क्या? तुम्हारे काका, आज लेट से सोए।
अब चलो जल्दी करो, कहीं तुम्हारा काका उठ गया और मुझे खाट पे नही पाया तो ढूंढने निकल जायेगा।
भुवन _अरे चाची अभी तो आई हो, मुझे बहुत इन्तजार कराई, मैं तो जी भर के लेने के बाद ही छोडूंगा।
सरला _अब बाते ही करता रहेगा की शुरु भी ।
सरला ने अपनी ओढ़ी हुईं चादर और साड़ी उतार दी।
चड्डी तो उसने पहनी ही नहीं थी।
वह सिर्फ पेटीकोट ओर ब्लाउज में खाट में लेट गई।
भुवन भी अपन लूंगी और शर्ट उतार दिया।
सिर्फ चड्डी में रह गया।
वह खाट पे चढ़ गया।
सरला की ब्लाउज का बटन खोल दिया। और उसकी बड़ी बड़ी मस्त चूचियों को आज़ाद कर दिया।
उसकी सुडौल चुचियों को मसलने लगा चुचुक को मुंह में भर कर चूसने लगा।
सरला सिसकने लगी,
उन आह उई मां, आह
बेटा थोडा धीरे आराम से कर
भुवन जी भर कर उसकी चूचियों से खेलने और चुसने के बाद।
नीचे गया और उसकी पेट और नाभी को चाटने लगा।
भुवन _काकी क्या सपाट पेट और खुबसूरत गहरी नाभी है तेरी सच में इसे देखते ही land खड़ा हो जाता हैं।
कुछ देर पेट और नाभि को चाटने के बाद, भुवन सरला की पेटी कोट की नाडा खीच दिया और उसे टांगों से खीच कर निकाल दिया।
सरला नंगी हो गई।
पेटीकोट निकलते ही सरला की मस्त फूली हुई चिकनी चूत भुवन के आंखो के सामने आ गया। जिसे देखकर भुवन का land तनकर खड़ा हो गया।
भुवन न सरला की बुर चाटना शुरु कर दिया।
सरला की मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी।
आह उन आई,, उई मां,, आह,
सरला बहुत ज्यादा उत्तेजीत हो गई,,,
आह, बेटा बस कर अब बर्दास्त नही हो रहा डाल दे अपना मूसल मेरी बुर में,,
Kutiya बहुत खुजाती है बुझा दे प्यास मेरी चूत की,,
भुवन _लो काकी अब तैयार हो जाओ, मेरा साप तुम्हारे बिल में जाने वाला है।
मेरा मूसल तेरी fuddi की सारी प्यास बुझा देगा।
भुवन अपन तना हुआ लौड़ा अपनें हाथो में लेकर सरला की टांगो को फैला कर बैठ गया। अपन land का टोपा सरला की योनि मुख पर रख कर एक जोर का धक्का लगाया।land एक ही धक्के में सरसराता huwa जड़ तक अन्दर घूस गया।
अब भुवन सरला की चुचियों को पकड़ कर। उकडू बैठ कर गच गछ chudai करना शुरू कर दिया।
Land बुर में तेजी से अन्दर बाहर होने लगा जिससे सरला को बहुत मजा आने लगा।
दोनो स्वर्ग की सैर करने लगे।
झोपड़े में सरला की मादक सिसकारी गूंजने लगा, आह उई आह उन उई मां,,,
चूड़ियों की खनकने की खन खन खन,,,
खाट के बजने की, चर चर चर,,,
Land का बुर में जाने की फच फ्च,,,,
सभी आवाजे माहौल को अत्यंत कामुक बना रहा था।
दोनों सबकुछ भुल कर संभोग के परम सुख में खो गए थे।
इसी आसन में जमकर मजा लेने के बाद भुवन ने land को बुर से बाहर निकाल लिया और सरला को घोड़ी बना दिया।
पीछे से अपन लौड़ा सरला की योनि में डालकर उसकी क़मर पकड़ कर दनादन चोदना शुरु कर दिया।
Land बुर में फिर से तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा जिससे सरला को फिर से बहुत मजा आने लगा वह पीछे से अपना क़मर हिला हिला कर भुवन का सहयोग करने लगी।
भुवन भी सरला की योनि में थपाथाप land पेले जा रहा था।
कमरे में सरला की मादक सिसकारी गूंजने लगी।
दोनो को फिर से संभोग का परम सुख प्राप्त होने लगा।
सरला _आह उन आह बेटा और जोर लगा बहुत मजा आ रहा है, आह उन,,, मैरी बुर की प्यास बुझा दे बेटा, बहुत खुजाती है, करमजलि।
भुवन _अरे मेरी जान तु फिकर मत कर आज तो तेरी सारी प्यास बुझा दूंगा, हाय क्या मस्त मॉल है तु, तुम्हे चोदने का मजा ही कुछ और है।
सरला की योनि से रस झरने की तरह बह कर land से होता huwa अंडकोष से होकर खाट पर टपक रहा था।
भुवन मशीन के भाती धक्के लगाने लगा।land बुर में सर सर अंदर बाहर हो रहा था।
दोनों किसी दूसरे लोक में विचरण कर रहे थे जहा सिर्फ मजा ही मजा था।
तभी भुवन को लगा की वह ओर बुर मारता रहा तो झड़ जायेगा।
वह अपना land बुर से बाहर खीच दिया।
और खाट पे पीठ के बल लेट गया।
उसने सरला को land के ऊपर बैठने का इशारा किया
सरला खाट पर चढ़ गई और भुवन के land को पकड़ कर अपनी योनि में डालकर कर बैठ गई।
भुवन की सीने पर हाथ रख कर उछल उछल कर चुदाने लगी, भुवन भी सरला की क़मर पकड़ कर अपनें land पर पटक पटक कर नीचे से धक्के लगा लगा कर चोदने लगा दोनो को फिर से संभोग का परम आनद मिलने लगा।
एक बार फिर से झोपड़े मे सरला की मादक सिसकारी
आह उई मां आ उन आई,,,
खाट के बजने की चर चू चर चू,,,,
चूड़ियां खनकने की, खन खन ,,
लौड़े का बुर में जाने की फच फुच,,,,
भुवन की आनंद में कराहने की,, आवाजे एक दूसरे से ताल में ताल मिला कर मदूर संगीत बना रही थी।
जिसे सुनकर कोइ नामर्द का land भी खड़ा हो जाता।
दोनो chudai का भरपूर मजा लें रहे थे।
सरला की बुर की सारी खुजली दूर हो रही थी,,
सरला बहुत अधिक उत्तेजित हो चुकी थी वह जोर जोर से उछल उछल कर चुदने, लगी और खुद को झड़ने से रोक न सकी,,,
आह मां आह,, उन,, वह भुवन को जकड़ कर झड़ने लगी,,,
भुवन भी खुद को रोक न सका वह भी सरला की कोख मे गरम गरम अपना वीर्य छोड़ने लगा,,
आह आह,, आह हा,,,
दोनो थक चुके थे,, एक दूसरे के ऊपर ढेर होकर सुस्ताने लगे,,,
कुछ देर बाद जब दोनों को राहत मिली,,
सरला खाट से उठ खडी हुईं,,
सरला _अब मुझे जल्दी से घर पहुंचना होगा।
तुम्हारा काका उठ न गया हो।
भुवन _अरे काकी काका उठ गया हो तो बोल देना, शौच करने गई थी।
सरला के जाने के बाद भुवन का नींद कब लगा उसे पता नही चला।
इधर सुबह राजेश उठ कर अखाड़ा चला गया जहा बिरजू और उसके साथियों नेअभ्यास हेतु देसी जुगाड कर रखा था।
बिरजू ने राजेश का परिचय अपनें दोस्तो से कराया। सभी राजेश से मिलकर खुश हुवे।
राजेश को देसी जुगाड का उपयोग कर अभ्यास करने में मजा आया।
Shaandar Mast Hot Kamuk Updateभुवन,राजेश, विमल और रवि चारो अपनी कहानी किस्सा सुनाते हुवे, नदी की ओर टहलने के लिए निकले थे। रास्ते में कुछ। महिलाए लोटा लेकर जाते हुवे दिखाई पड़ी,,,
राजेश _भुवन भाई ये महिलाए लोटा लेकर कहा जा रही है।
भुवन _राजेश, ये महिलाए लोटा लेकर शौच करने जा रही है, इनके घर में शौचालय नहीं है न। यहां गांव में अधिकांश लोगो के यहां शौचालय नही है।
राजेश _सरकार की तो योजना है न हर घर फ्री में शौचालय बनाने की।
रवि _अरे राजेश, हमारे गांव के लोगो को सरकार की योजना का लाभ कहा मिल पाया है।
विमल _भुवन भाई आपको याद है कि भुल गए, जब हम छोटे थे तो कैसे झाड़ियों में छिपकर, हगती हुईं महिलाओं के गाड़ और बुर देखा करते थे।
और अपना land खड़ा करते थे।
भुवन_अबे, कैसे भुल सकता हूं?
पर अब तो हमें इनकी गाड़ और बुर देखने की जरूरत नहीं, ऐसे ही कई चूत हमें चोदने को मिल रहा है।
नए नए जवानी चढ़ती है न तो लड़के झाड़ियों में छिपकर औरतों की बुर और गाड़ देखते हैं हगते एवम नहाते हुवे औरतों की।
रवि _हां भाई, औरतों की बुर और गाड़ देखकर land हिलाने का मजा ही कुछ और था।
तीनो दोस्त हसने लगते है।
चारो नदी किनारे पहुंच जाते है।
नदी किनारे बैठकर गपसप करने लगते है।
विमल _अबे मेरा पेट थोडा गड़बड़ लग रहा है।
भुवन _तो जाना, झाड़ी के पीछे, उस जगह ढूंढो डब्बा होगा, जहां हम छिपा कर रखते हैं।
नदी से पानी भरके ले जा डब्बे में।
विमल _ठिक है भाई, मै पेट साफ़ करके आता हूं।
विमल डब्बे में पानी भरकर झाड़ियों की ओर जाने लगा।
भुवन _अबे उधर कहा जा रहा है, उधर महिलाए गई है हगने।
विमल _अरे भाई गड़बड़ हो गई थी, अच्छा किया बता दिया, नही तो लफड़ा हो जाता।
राजेश, भुवन और रवि तीनो बैठकर बाते कर रहे थे, तभी कुछ लड़कों की टोली वहा पहुंचा।
भुवन _अरे बिरजू, अरे यार मुझे तुम्से ही काम था। कैसा चल रहा है तुम्हारा अखाड़ा।
बिरजू _मस्त भईया।
भुवन _अच्छा huwa जो यहां मिल गया।
बिरजू _बोलो भुवन भईया क्या काम हैं।
भुवन _अरे यार, इससे मिलो ये मेरा छोटा भाई राजेश है, यह शहर से आज ही सुबह आया है। अभी कुछ समय गांव में ही रहेगा।
क्या है न कि राजेश को सुबह जिम जाने की आदत है। मै कह रहा था कि तुम अपने अखाड़ा दल में राजेश को भी शामिल कर लेते तो सुबह राजेश अभ्यास कर लेता, जिससे राजेश का फिटनेस बना रहेगा।
बिरजू _क्यू नही, भुवन भईया।
कल से राजेश तुम आखड़े पर आ जाना। वैसे तुमने बहुत अच्छा बॉडी बना रखी है।
राजेश _आपने भी बहुत अच्छा बॉडी बनाया है, बिरजू भईया। मुझे अच्छा लगेगा आप लोगो के साथ अभ्यास करने में।
भुवन _बिरजू कैसा चल रहा है?कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी, इस बार हमारा गांव विजेता बनना चाहिए।हर साल भानगढ़ वाले विजेता बनते है।
बिरजू _लड़के अच्छे मेहनत कर रहे है भुवन भाई, पर पता नही हमारी तैयारी में क्या कमी रह जाती है की भानगढ़ वालो से हम हर बार हार जाते है।
राजेश _कैसी कबड्डी प्रतियोगिता भुवन भईया?
भुवन _राजेश ,भानगढ़ के महराज को कबड्डी खेल बहुत पसन्द था, उसके जन्म दिन पर,प्रत्येक वर्ष भानगढ़ में जिला स्तर पर कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन होता है। जिले के विभिन्न गांव के प्रतिभागी खेल में भाग लेते है। खेल में जीतने वाले टीम को कई पुरस्कार और हवेली में साही भोज दिया जाता है। सुना है इस बार जीतने वाले टीम के प्रत्येक खिलाड़ी को एक एक लाख इनाम दिया जायेगा। भानगढ़ वाले ही हमेशा चैंपियन बनते है।
तभी, विमल भी शौच करके आ गया।
रवि _भाई भुवन, चलो अब घर चलते है, बबलू का फोन आया था। मरीज लोग वेट कर रहे है।
भुवन _ठीक है चलो भाई।
रवि, भुवन, राजेश और विमल चारो घर की ओर निकल पड़ते हैं।
घर पहुंचने के बाद कुछ देर टीवी चालू कर, कोई प्रोग्राम देखने लगते।
पदमा _बेटा भोजन तैयार हो गया है चलो तुम लोग भोजन कर लो, भुवन बेटा तुम्हे खेत भी जाना है।
भुवन _ठीक, है मां।
हाथ पैर धोकर भुवन और राजेश दोनो कीचन में पहुंचते है, जहां पुनम खाना बनाकर दोनो का वेट कर रही थी।
भुवन _बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है भई क्या बना है आज।
भाई राजेश तुम्हारे आने से एक फायदा तो huwa, हमें स्वादिष्ट भोजन खाने को मिल रहा है।
पुनम _क्या जी, आप तो ऐसे बोल रहे है जैसे ऐसा भोजन पहली बार बन रहा हो,,
भुवन _भोजन तो बनता था मेरी रानी, पर ऐसा खुशबू तो आता नही था।
राजेश, और भुवन दोनो भोजन करने लगते है।
राजेश _वाह सच में भाभी आपके हाथ में तो जादू है, बड़ा स्वादिष्ट बनाई हो भोजन।
पुनम _सच में देवर जी आपको भोजन पसन्द आया। गांव में तो ज्यादा विरायटी बनती नही, दाल चावल सब्जी और रोटी, शहर में तो कई प्रकार के व्यंजन बनते होंगे।
राजेश _भाभी, दाल रोटी चावल और सब्जी, यही तो हमारे भोजन का प्रमुख आहार है, बांकी चीजे फालतू और सेहत के लिए हानिकारक होता है।
भुवन _लो भई अब तो आपके देवर ने भी आपके भोजन की तारीफ कर दी।
भोजन कर लेने के बाद,,
भुवन _अच्छा मां अब मैं खेत निकलता हूं, बापू मेरे आने का वेट कर रहा होगा।
पदमा _ठिक है बेटा।
भुवन _अच्छा भाई राजेश, कल सुबह मिलेंगे।
राजेश _ठीक है भईया।
भुवन खेत चला गया।
राजेश अपनें कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा।
भुवन खेत पहुंचा,
भुवन के पिता केशव _अरे आ गया बेटा।
भुवन _हा बापू, अब आप घर जाइए।
केशव _ठीक है बेटा, पर खेत का अच्छा ख्याल रखना कुछ जानवर परेशान कर रखा है।
भुवन _बापू आप बेफिक्र रहिए।
केशव घर आ गया।
घर आने के बाद।
पदमा _आ गए जी आप, चलो हाथ मूंह धो लो, भोजन के लिए।
केशव _राजेशने भोजन कर लिया।
पदमा _हां, भुवन के साथ राजेश ने भी भोजन किया।
चलो आप भी भोजन कर लो।
केशव _ठीक है।
तुम भी अपनें लिए थाली लगवा दो।
पदमा _नही जी पहले आप भोजन कर लीजिए उसके बाद मैं और बहु साथ में कर लेंगे।
बहु अपनें ससुर के लिए खाना लगाओ।
पुनम _जी मां जी।
केशव ने भोजन किया। फिर अपनें कमरे में आराम करने चला गया।
केशव के जाने के बाद पदमा और पुनमने ने भी भोजन कर लिया।
और बर्तन की सफाई करने के बाद ,,
पदमा _बहु, दूध गरम कर के राजेश को दे आ, और सोने से पहले उसके कमरे में पानी रख आना।
पुनम _जी मां जी।
उधर शहर में सुनीत ने डाइनिंग टेबल पर शेखर और स्वीटी के लिए भोजन लगाई।
स्वीटी _ने थोडा सा ही खाई, उसके बाद उठ गई,, शेखर भी,,
सुनीत _अरे ये क्या? बस थोडा सा ही खाय और दोनो उठ गए? क्या भोजन अच्छा नहीं बना है ।
स्वीटी _ओ मां भूख नहीं है न इसलिए।
सुनीता _और तुम्हे क्या हूवा जी, सुनीता मेरा भी खाने का मन नही कर रहा,,
सुनीता _देखो जी कब तक ऐसा चलेगा, हमें राजेश के बिना खाने की आदत डालनी होगी।
शेखर और स्वीटी दोनो, अपनें कमरे में चले गए।
कुछ देर बाद, सुनीता भी कमरे में पहुंची।
वह सोने की कोशिश करने लगी।
पर उसे राजेश की याद आ रही थी, वह सुबकने लगी।
शेखर भी सोया नही था।
शेखर _ये क्या, सुनीता तुम रो रही हो।
सुनीता _पता नही, राजेश गांव में कैसा होगा? खाया भी होगा की नही।
शेखर _राजेश समझदार है, भईया और भाभी भी बड़े अच्छे है। तुम्हे राजेश की चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं।
तुमने भोजन किया?
सुनीता _हां,
शेखर _खाओ मेरी कसम।
सुनीता _मुझे भूख नहीं है जी।
शेखर _मुझे पता है तुम सुबह से ही कुछ नही खाई हो।
सुनीता _आप राजेश से काल करके पूछो जी वह ठिक तो है न।
शेखर _सुबह से ही ट्राई कर रहा हूं, किसी का फोन नही लग पा रहा है। शायद वहां नेटवर्क की समस्या हो।
तुम राजेश की चिन्ता मत करो सुनीता, मुझे यकीन है वह सकुशल होगा।
इधर पुनम दूध गरम करके, राजेश के कमरे में गई।
पुनम _देवर जी क्या कर रहे हो?
राजेश _कुछ नही भाभी थोडा पढ़ाई कर रहा था।
पुनम _हूं केलेक्टरी की तैयारी चल रही है।
राजेश _भाभी, आपको किसने बताया।
पुनम _आपके भईया ने, आप कलेक्टर बन गए तो हमारी भी ठाठ हो जाएगी, लोग कहेंगे कलेक्टर की भाभी जा रही है।
लो दूध पी लो मां जी ने आपके लिए दूध भेजा है।
राजेश _भाभी मुझे दूध पीने की आदत नही है।
पुनम _देवर जी दूध पियोगे तभी तो स्वस्थ्य रहोगे, बुद्धि और ताकत बड़ेगी, तभी तो आप कलेक्टर बनोगे।
राजेश _अच्छा ये बात है, तब तो दूध पीना पड़ेगा।
वैसे सुना है गाय की दूध से ज्यादा मां की दूध बच्चे के लिए लाभकारी होता है।
पुनम _मतलब मां की दूध पीना है क्या?
उसके लिए तो पहले आपको शादी करनी पड़ेगी।
राजेश _बीना शादी किए दूध नहीं मिल सकता क्या?
पुनम _देवर जी मैं तो आपको सीधा साधा समझ रहा था, आप तो बड़े रंगीले निकले,,
राजेश _अरे भाभी मैं तो मजाक कर रहा था,,
अपनी भाभी से मजाक नहीं कर सकता क्या?
पुनम _हां भई, कर सकते हो, वैसे भी देवर को, दूसरा वर कहा जाता है। कहते है जब पति घर में न हो तो देवर ही अपने भाभी का ख्याल रखता है।
राजेश _अच्छा, ऐसी बात है क्या?
बोलो, क्या सेवा करू अपनी भाभी।
पुनम _जरूरत पड़ेगी तो बताऊंगी।
अभी तो आपके भईया ही काफी है सेवा करने के लिए।
चलो अब बाते बंद कर दूध पी लो।
राजेश ने दूध पी लिया।
गिलास लेकर पुनम चली गई।
कुछ देर बाद फिर राजेश के कमरे में फिर आई।
पुनम _देवर जी, जग में पानी रख रही हूं। रात प्यास लगे तो पी लेना।
राजेश _शुक्रिया, भाभी।
पुनम _किस बात की शुक्रिया।
राजेश _हमारा इतना ख्याल रख रहे हो इसलिए।
इतना अच्छा खाना बनाकर खिलाई, फिर दूध
पुनम _आप मेरे देवर है, देवर का ख्याल भौजी नही रखेगी तो और कौन रखेगा।
अच्छा अब मैं चलती हूं।
राजेश _ठीक है भाभी।
पुनम _भाभी नही,भौजी कहा करो, बड़ा अच्छा लगता है मुझे भौजी शब्द,
राजेश _अच्छा, तो ठीक है आज अब से भौजी ही कहा करेंगे।
उधर खेत में, भुवन, सरला काकी के आने का बेशब्री से इन्तजार कर रहा था।
भुवन _शाली इतना लेट कर रही है। आने दे उसे आज तो ऐसा बजाऊंगा उसे, चीख निकलूंगा उसकी।
उधर सरला अपनें पति के सोने का इन्तजार कर रही थी। जब उसे लगा की उसका पति गहरी नींद में सो चुका है।
वह दबे पांव बिस्तर से उठी और चादर ओढ़ कर एक लोटा में पानी लेकर, छुपते छुपाते खेत की ओर जाने लगी
, ताकि अगर कोइ पकड़ ले तो उसे बहाना बनाते हुवे कह सके की वह शौच करने जा रही है।
वह लोगो से छिपते छिपाते भुवन के खेत में पहुंची।
झोपड़े में घुसी,,
भुवन खाट पे लेटा हुआ था।
भुवन _अरे काकी, इतनी देर काहे लगादी आने में,,
सरला _अरे मुआ, तुम्हे क्या?
कैसे लोगो से छिपते छिपाते आ रही हूं तुम्हे क्या? तुम्हारे काका, आज लेट से सोए।
अब चलो जल्दी करो, कहीं तुम्हारा काका उठ गया और मुझे खाट पे नही पाया तो ढूंढने निकल जायेगा।
भुवन _अरे चाची अभी तो आई हो, मुझे बहुत इन्तजार कराई, मैं तो जी भर के लेने के बाद ही छोडूंगा।
सरला _अब बाते ही करता रहेगा की शुरु भी ।
सरला ने अपनी ओढ़ी हुईं चादर और साड़ी उतार दी।
चड्डी तो उसने पहनी ही नहीं थी।
वह सिर्फ पेटीकोट ओर ब्लाउज में खाट में लेट गई।
भुवन भी अपन लूंगी और शर्ट उतार दिया।
सिर्फ चड्डी में रह गया।
वह खाट पे चढ़ गया।
सरला की ब्लाउज का बटन खोल दिया। और उसकी बड़ी बड़ी मस्त चूचियों को आज़ाद कर दिया।
उसकी सुडौल चुचियों को मसलने लगा चुचुक को मुंह में भर कर चूसने लगा।
सरला सिसकने लगी,
उन आह उई मां, आह
बेटा थोडा धीरे आराम से कर
भुवन जी भर कर उसकी चूचियों से खेलने और चुसने के बाद।
नीचे गया और उसकी पेट और नाभी को चाटने लगा।
भुवन _काकी क्या सपाट पेट और खुबसूरत गहरी नाभी है तेरी सच में इसे देखते ही land खड़ा हो जाता हैं।
कुछ देर पेट और नाभि को चाटने के बाद, भुवन सरला की पेटी कोट की नाडा खीच दिया और उसे टांगों से खीच कर निकाल दिया।
सरला नंगी हो गई।
पेटीकोट निकलते ही सरला की मस्त फूली हुई चिकनी चूत भुवन के आंखो के सामने आ गया। जिसे देखकर भुवन का land तनकर खड़ा हो गया।
भुवन न सरला की बुर चाटना शुरु कर दिया।
सरला की मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी।
आह उन आई,, उई मां,, आह,
सरला बहुत ज्यादा उत्तेजीत हो गई,,,
आह, बेटा बस कर अब बर्दास्त नही हो रहा डाल दे अपना मूसल मेरी बुर में,,
Kutiya बहुत खुजाती है बुझा दे प्यास मेरी चूत की,,
भुवन _लो काकी अब तैयार हो जाओ, मेरा साप तुम्हारे बिल में जाने वाला है।
मेरा मूसल तेरी fuddi की सारी प्यास बुझा देगा।
भुवन अपन तना हुआ लौड़ा अपनें हाथो में लेकर सरला की टांगो को फैला कर बैठ गया। अपन land का टोपा सरला की योनि मुख पर रख कर एक जोर का धक्का लगाया।land एक ही धक्के में सरसराता huwa जड़ तक अन्दर घूस गया।
अब भुवन सरला की चुचियों को पकड़ कर। उकडू बैठ कर गच गछ chudai करना शुरू कर दिया।
Land बुर में तेजी से अन्दर बाहर होने लगा जिससे सरला को बहुत मजा आने लगा।
दोनो स्वर्ग की सैर करने लगे।
झोपड़े में सरला की मादक सिसकारी गूंजने लगा, आह उई आह उन उई मां,,,
चूड़ियों की खनकने की खन खन खन,,,
खाट के बजने की, चर चर चर,,,
Land का बुर में जाने की फच फ्च,,,,
सभी आवाजे माहौल को अत्यंत कामुक बना रहा था।
दोनों सबकुछ भुल कर संभोग के परम सुख में खो गए थे।
इसी आसन में जमकर मजा लेने के बाद भुवन ने land को बुर से बाहर निकाल लिया और सरला को घोड़ी बना दिया।
पीछे से अपन लौड़ा सरला की योनि में डालकर उसकी क़मर पकड़ कर दनादन चोदना शुरु कर दिया।
Land बुर में फिर से तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा जिससे सरला को फिर से बहुत मजा आने लगा वह पीछे से अपना क़मर हिला हिला कर भुवन का सहयोग करने लगी।
भुवन भी सरला की योनि में थपाथाप land पेले जा रहा था।
कमरे में सरला की मादक सिसकारी गूंजने लगी।
दोनो को फिर से संभोग का परम सुख प्राप्त होने लगा।
सरला _आह उन आह बेटा और जोर लगा बहुत मजा आ रहा है, आह उन,,, मैरी बुर की प्यास बुझा दे बेटा, बहुत खुजाती है, करमजलि।
भुवन _अरे मेरी जान तु फिकर मत कर आज तो तेरी सारी प्यास बुझा दूंगा, हाय क्या मस्त मॉल है तु, तुम्हे चोदने का मजा ही कुछ और है।
सरला की योनि से रस झरने की तरह बह कर land से होता huwa अंडकोष से होकर खाट पर टपक रहा था।
भुवन मशीन के भाती धक्के लगाने लगा।land बुर में सर सर अंदर बाहर हो रहा था।
दोनों किसी दूसरे लोक में विचरण कर रहे थे जहा सिर्फ मजा ही मजा था।
तभी भुवन को लगा की वह ओर बुर मारता रहा तो झड़ जायेगा।
वह अपना land बुर से बाहर खीच दिया।
और खाट पे पीठ के बल लेट गया।
उसने सरला को land के ऊपर बैठने का इशारा किया
सरला खाट पर चढ़ गई और भुवन के land को पकड़ कर अपनी योनि में डालकर कर बैठ गई।
भुवन की सीने पर हाथ रख कर उछल उछल कर चुदाने लगी, भुवन भी सरला की क़मर पकड़ कर अपनें land पर पटक पटक कर नीचे से धक्के लगा लगा कर चोदने लगा दोनो को फिर से संभोग का परम आनद मिलने लगा।
एक बार फिर से झोपड़े मे सरला की मादक सिसकारी
आह उई मां आ उन आई,,,
खाट के बजने की चर चू चर चू,,,,
चूड़ियां खनकने की, खन खन ,,
लौड़े का बुर में जाने की फच फुच,,,,
भुवन की आनंद में कराहने की,, आवाजे एक दूसरे से ताल में ताल मिला कर मदूर संगीत बना रही थी।
जिसे सुनकर कोइ नामर्द का land भी खड़ा हो जाता।
दोनो chudai का भरपूर मजा लें रहे थे।
सरला की बुर की सारी खुजली दूर हो रही थी,,
सरला बहुत अधिक उत्तेजित हो चुकी थी वह जोर जोर से उछल उछल कर चुदने, लगी और खुद को झड़ने से रोक न सकी,,,
आह मां आह,, उन,, वह भुवन को जकड़ कर झड़ने लगी,,,
भुवन भी खुद को रोक न सका वह भी सरला की कोख मे गरम गरम अपना वीर्य छोड़ने लगा,,
आह आह,, आह हा,,,
दोनो थक चुके थे,, एक दूसरे के ऊपर ढेर होकर सुस्ताने लगे,,,
कुछ देर बाद जब दोनों को राहत मिली,,
सरला खाट से उठ खडी हुईं,,
सरला _अब मुझे जल्दी से घर पहुंचना होगा।
तुम्हारा काका उठ न गया हो।
भुवन _अरे काकी काका उठ गया हो तो बोल देना, शौच करने गई थी।
सरला के जाने के बाद भुवन का नींद कब लगा उसे पता नही चला।
इधर सुबह राजेश उठ कर अखाड़ा चला गया जहा बिरजू और उसके साथियों नेअभ्यास हेतु देसी जुगाड कर रखा था।
बिरजू ने राजेश का परिचय अपनें दोस्तो से कराया। सभी राजेश से मिलकर खुश हुवे।
राजेश को देसी जुगाड का उपयोग कर अभ्यास करने में मजा आया।