• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest यह क्या हुआ

Enjoywuth

Well-Known Member
4,391
5,088
158
Lgta hai ponam ke sath dheere dheere suruwat ho gayi..

Rajesh bhai...chchi ne bahut kuch khul ke bola hai ..dekho kuch whan bhi maal bhokta pada hai..

Gain aaye bhaut din ho gaye abhi tak rajeesh sukha sukha hi hai
 

Sanju@

Well-Known Member
4,951
19,934
158
राजेश सुबह उठकर अखाडे पे चला गया।
बिरजू _अरे राजेश, तुमने तो कमाल ही कर दिया। चारो तरफ तुम्हारा ही चर्चा है।
भई तुम साधारण लडका नही हो, सभी युवाओं ने राजेश को उसके कामयाबी के लिए बधाई दिया।
बिरजू _राजेश, तुम हमारे अखाड़े के सदस्य हो यह हमारे लिए गर्व की बात है।
राजेश ने सभी को शुक्रिया कहा।
राजेश ने अखाड़े पर अभ्यास किया साथ ही कबड्डी के नियमो को भी जाना और साथियों के साथ कबड्डी खेला।
अखाड़े पर अभ्यास के बाद जब वह घर जा रहा था।
घर जाते समय जब वह अपने चाचा जी के दुकान के पास से गुजर रहा था।
उसका चाचा माधव, दुकान खोल रहा था।
राजेश _नमस्ते चाचा जी।
माधव _अरे राजेश बेटा, तुम्हे ही याद कर रहा था, आओ। आजकल कम दिखाई देते हो। वैसे तुमने तो हमारे खानदान का नाम रोशन कर दिया।
राजेश _चाचा जी, सब आपका आशीर्वाद का फल है। अभी एक्जाम की तैयारी के कारण घर में ही रहता हूं। इसलिए दिखाई नही देता।
माधव _बेटा तुम्हारी चाची पुछ रही थी, तुम्हारे बारे में, कह रही थी अब राजेश नही आता क्या?
तुम रुको, मैं तुम्हारी चाची को खबर करता हूं।
माधव अंदर गया।
माधव _सविता, कहा हो।
सविता कीचन में काम कर रही थी।
सविता _क्या huwa जी?
माधव _वो राजेश आया है। वह अखाड़े से घर जा रहा था, तो मैंने कहा तुम्हारी चाची तुम्हारे बारे में पुछ रही थी।
सविता _कहा है।
माधव _दुकान में।
सविता _उसे घर में क्यू नही लाया? जाओ उसे अंदर ले आओ।
माधव राजेश के पास गया और कहा,
माधव _राजेश, तुम्हारी चाची अंदर बुला रही है।
राजेश अंदर गया।
राजेश _नमस्ते चाची।
सविता _नमस्ते, राजेश, आओ बैठो।
राजेश सोफे पर बैठ गया।
माधव _लगता है दुकान पर कोइ ग्राहक आया है, मैं आता हूं।
माधव, दुकान पर चला गया।
सविता ने राजेश के लिए गिलासमें पानी लाया।
राजेश ने पानी का गिलास उठाकर पीने लगा।
राजेश _चाची, चाची जी कह रहे थे कि आप मेरे बारे मे पुछ रहे थे कुछ काम था क्या?

सविता _हा राजेश, जब तुम पहली बार घर आए थे, तो मैंने तुम्हारे साथ अच्छा बरताव नही किया था। तुम्हे बुरा लगा होगा।
राजेश _नही, चाची, मुझे बुरा नही लगा।
सविता _मैं उस वाकिये को लेकर सरमिंदगी महसूस कर रही हूं।
राजेश _चाची, मुझे बुरा नही लगा, आपको सरमिंदगी महसूस करने की आवश्यकता नहीं है।
सविता _रुको, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं।
सविता, राजेश के लिए चाय बनाने लगी, राजेश घर का मुआयना करने लगा।
घर को आधुनिक तरीके से बनाया गया था।
यह गांव का सबसे अच्छा घर था।
सविता, चाय बना कर लाई।
सविता _लो राजेश।
राजेश ने चाय का कप उठाया ,
राजेश _चाची आप नही लेंगी।
सविता _मैने कुछ देर पहले ही, पी है।
शुक्रिया, राजेश गांव वालो की मदद करने के लिए।
राजेश _चाची इसमें शुक्रिया कैसी गांव के लोगो का मदद करना मेरा फर्ज है।
सविता _राजेश, वह ठाकुर तो बड़ा कमिना है।सुरज पूर वालो को अपना दुश्मन समझता है फिर वह गांव वालो की आवास को स्वीकृत कराने तैयार कैसे हो गया?
राजेश _चाची, मैने उसकी बेटी दिव्या की इज़्ज़त बचाई थी, जिस ट्रैन से मैं गांव आ रहा था, उसी ट्रैन से दिव्या जी भी आ रही थी।
रात में कुछ बदमाशो ने उसके साथ बुरा करना चाहा, मैने उसकी मदद की।
सविता _ओह तो ये बात है?
राजेश _हा चाची, पर ठाकुर को इस बात के लिए मनाना इतना आसान नहीं था इसलिए मुझे बात मनवाने के लिए ठकुराइन और उसकी बेटियो का सहारा लेना पड़ा।
सविता _वो कैसे?
राजेश _चाची, ठाकुर कमिना जरूर है, लेकिन वह अपने बेटियो से बहुत प्यार करता है। अगर मैं ठाकुर से अकेले में मिलकर मदद की बात की होती तो वह जरूर, मदद करने से इंकार कर देता, इसलिए मैने उनके परिवार वालो के सामने यह बात कहीं, परिवार वालो ने मेरा सपोर्ट किया और ठाकुर उनका कहना मानना पड़ा।
सविता _मतलब तुमने चालाकी से काम लिया।
राजेश _जी चाची।
सविता _राजेश मैने आवास स्वीकृति के लिए ठाकुर के कार्यालय गया था, जानते हो उसने क्या कहा?
राजेश _, क्या कहा चाची, उस साले ने।
सविता _उस कमीने ने, आवास स्वीकृति के बदले अपने साथ मुझे रात गुजारने के लिए कहा।
मैने इंकार कर दिया था।
राजेश _उस साले ने ऐसा कहा? उस साले ने गांव वालो को बहुत रुलाया है, अब रोने की पारी उसकी आने वाली है। चाची तुम चिन्ता न करो गांव का जितना भी काम रुका हुआ है, एक एक कर सारे काम अब पूरे होंगे।

राजेश _अच्छा चाची अब मैं चलता हूं।
सविता _ठीक है राजेश, तुम घर आते रहना, और हा आज से रात का खाना तुम यहीं खाया करना।
राजेश _चाची, खाने के बारे में तो आपको ताई जी से बोलना पड़ेगा, अगर मैं ऐसे ही चला आया तो वह बुरा मान जाएंगी।
सविता _राजेश, पदमा दीदी और मेरे बीच कुछ मन मुटाव है। मैं कैसे पूछूंगी, उनसे।
राजेश _चाची, आखिर आप लोगो के बीच किस बात को लेकर मन मुटाव है?
सविता _वह बात बताने लायक नही है राजेश अभि तक तो मैने तुम्हारे चाचा जी को भी नही बताया है?
राजेश _ओह लगता है कोइ खास वजह है।
ठीक है चाची मैं रोज का तो नही कह सकता पर आज रात यहां भोजन करने आ जाऊंगा।
सविता _ठीक है राजेश।
राजेश जब घर पहुंचा,,,
भुवन _यार राजेश आज बड़ी देर कर दी, अखाड़े से आने में,
राजेश _भुवन भाई घर आ ही रहा था कि चाचा जी मिल गए। उसने कहा कि चाची जी तुम्हारे बारे में पुछ रही थी, तो मैं चाचा जी के घर चला गया।
भुवन _ओह चल जल्दी से नहा कर फ्रेस हो जाओ फिर नाश्ता करेंगे।
राजेश _ठीक है भुवन भईया।
राजेश जल्दी से नहाकर आया।
भुवन और राजेश दोनो नाश्ता करने बैठ गए।
पदमा वही पर थी।
राजेश _ताई, चाची कह रही थी कि रात का भोजन हमारे यहां करना।
पदमा_क्या कहा तुमने
राजेश _मैने कहा, ताई से पूछना पड़ेगा,,,
पदमा _इतने दिन हो गए आए तुमको गांव, आज याद आ रही है तुम्हारी।
अब तो तुम्हे पूरे गांव भर के लोग अपने यहां, भोजन करने बुलाएंगे।
राजेश _ताई क्या करू जाऊ कि नही।
पदमा _देखो बेटा मन मुटाव हमारे साथ huwa था, तुम तो पहली बार गांव आए थे। इतने दिनो तक तो भोजन के लिए बुलाई नही। उसका फर्ज था, तुम्हे घर बुलाकर भोजन कराना, मान सम्मान करना, आखिर तुम उसके भी भतीजे हो।
पर उसे तो अपने पे बहुत घमंड है।

अगर तुम नही गए तो मुझे ही दोष देगी, इसलिए चले जाना, रात में भोजन करने।
राजेश _ठीक है ताई।
नाश्ता करने के बाद, भुवन खेत चला गया और राजेश अपने कमरे में पढ़ाई करने लगा।
उधर हवेली में नाश्ता करते समय,,
ठाकुर _दिव्या बेटा, लक्षमण पुर में अपने हॉस्पिटल के लिए जगह देख लो।
फिर इंजीनियर से मिलकर नक्शा बनवा लेना।
दिव्या _पिता जी, हॉस्पिटल बनने में तो बहुत समय लगेगा। तब तक मुझे अस्थाई रूप से कोइ कोइ मकान देखकर अपन क्लिनिक चलाना चाहती हूं।
गीता _दिव्या, लक्षमण पुर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मेंचिकित्सा अधिकारी का पद खाली है।
ये पिछड़ा क्षेत्र होने के कारण, कोइ एमबीबीएस डाक्टर यहां आना नही चाहता। क्यू ना तुम जब तक हॉस्पिटल तैयार नहीं हो जाता। चिकित्सा अधिकारी के रूप में काम करो।


(प्रत्येक विकासखण्ड में सरकार ने एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोला है, जहां एक चिकित्सा अधिकारी ,और अधिनस्थ पैरामेडिकल स्टाफ होते हैं।
चिकित्सा अधिकारी के पास एम बी बी एस की डिग्री होना आवश्यक होता है।
इस स्वास्थ्य केंद्र में विकास खंड के रहने वाले लोग अपन इलाज कराने आते हैं।
रोगियों के लिए 6,_10बिस्तर होते है।)


दिव्या _हा, दीदी ये ठीक रहेगा।
मैं आज ही अप्लाई कर दूंगी, चिकित्सा विभाग में अपना आवेदन।
ठाकुर _मैं चिकित्सा मंत्री से बाट कर लूंगा बेटी, वह एक दो दिन में ही तुम्हारा नियुक्ति आदेश निकलवा देगा।

इधर खेत में भुवन मजदूरों के साथ, काम कर रहा था। वह खेत में मूंगफली लगाया था। मजदूरों के साथ मूंगफली के पौधे के जड़ खोद कर मूंगफली निकाल रहा था।
उसके पास में ही एक मजदूरन,,, भी फल्ली निकाल रही थी। अन्य औरतें थोड़ी दूर थी।
भुवन _कम्मो भौजी आज तो बड़ी मस्त लग रही हो।
कम्मो _देवर जी लगता है आज तुम्हारी नियत ठीक नही है। जब से आई हूं मेरे चुचियों को ही घूर रहे हो। वे फुसफुसाते हुवे बात चीत कर रहे थे, ताकि कोइ दूसरी औरत सुन न ले।
भुवन _आज तेरे मम्मे बड़े प्यारे लग रहे है?
आज मेरा बड़ा मन कर रहा है। आज रात में आ जाना खेत में मजे करेंगे।
कम्मो _नही देवर जी, नही आ सकती, रात को मैं!
भुवन _क्यू?
कम्मो _मेरी सास मुझ पर शक करती हैं। मेरी पहरेदारी करती हैं चुड़ैल कहीं की।
भुवन _अरे कोइ बहाना करके आ जाना, तेरे मम्मे का दूध पीने का बड़ा मन कर रहा है।
कम्मो _देवर जी, मैने कहा न मैं नही आ सकती, रात में।
भुवन _ठीक है, रात में नही आ सकती तो अभी दे दो। मेरा घोड़ा फड़फड़ा रहा है तुम्हारे कुवे का पानी पीने।
कम्मो _हाय दईया, यहां इतनी औरतें है किसी ने देख लिया तो, मेरे सास को बता देगी। मुझे यहां काम में भेजना बंद कर देगी।
भुवन _अरे, किसी को पता नही चलेगा।
भुवन ने अपने बापू को आवाज़ लगाया,,
बापू ओ बापू,,
केशव _क्या huwa बेटा,,
भुवन _मैने आज गन्ने के पेड़ में कुछ कीड़े देखे, पौधो में दवाई डालना पड़ेगा, नही तो पूरे खेत में फैल जायेंगे।
केशव _अरे बेटा ऐसी बात है तो जाओ डाल दो गन्ने के पौधो में दवाई। उस दिन जो दवाई लाया था वो बचा huwa है, झोपड़ी में रखा है।
भुवन _ठीक है बापू।
भुवन वहा से जाने लगा,,
जाते समय वह जोर से बोला,
अरे कम्मो भौजी चलो तुम भी मेरे साथ मेरी मदद करना।
केशव _हा कम्मो तुम भी चले जाओ, भुवन की मदद कर देना।
कम्मो _ठीक है चाचा जी, मुस्कुराने लगी,,
भुवन आगे आगे और कम्मो पीछे पीछे चलने लगी।
अन्य औरतें उन्हे जाते हुए देख रही थी, सरला काकी को कुछ शक huwa
भुवन झोपड़ी में पहुंचा, कम्मो भी पीछे पीछे पहुंच गई।
जाते ही भुवन ने कम्मो को अपनी बाहों में भर लिया और उसकी चूचियों को मसलने लगा।
कम्मो_अरे देवर जी आज तो बड़े उतावले लग रहे हों, कोइ आ जाएगा छोड़ो न।
भुवन _मेरी जान, मेरा घोड़ा को बड़ी प्यास लगी है, जरा पानी तो पिला दो।
कम्मो _यहां नही, कोइ भी आ सकता है, चलो गन्ने के खेत में चलते है।
भुवन झोपड़ी में रखे दवाई डालने का यंत्र स्पियर को लेकर गन्ने के खेत की ओर जाने लगा कम्मो उसके पीछे पीछे चली गईं। दोनो,
गन्ने के खेत के अंदर चले गए, और अंदर थोडी जगह देखकर दोनो वहा बैठ गए।
गन्ने के पेड़ ऊंचे ऊंचे होने के कारण बाहर के लोगो को दोनो दिखाई नही दे रहे थे।
भुवन _ये जगह ठीक है भौजी, यहां तुम लेट भी सकती हो।
भुवन _हाय मेरी जान अपनी ब्लाउज तो खोलो, जरा दूध पी लू।
कम्मो ने अपनी ब्लाउज के बटन खोल दिए। उसके बड़े बड़े दूध से भरे मम्मे भुवन के आंखो के सामने आ गया।
भुवन का land चुचियों को देख कर टनटना गया ।
भुवन चुचियों पर टूट पड़ा, वह उसे मसल मसल कर पीने लगा।
कम्मो सिसकने लगी,, आह उन आई,,
देवर जी जरा धीरे,,,
भुवन कुछ देर दूदू पीने के बाद अपन लूंगी खोल दिया।
उसका खड़ा land देख कर कम्मो मुस्कुराने लगी।
उसे अपने हाथो से सहलाने लगी।
भुवन _देख क्या रही हो, मेरी दिलरुबा, चूसो इसे।
कम्मो ने भुवन का land मूंह में लेकर चूसने लगी।
भुवन _आह, थोडा और अंदर, आह बड़ा मज़ा आ रहा है मेरी जान,, और चूसो,, थोडा तेज़ तेज़,,,
आह, उह,,
कुछ देर land चुसाने के बाद,,
भुवन _अब लेट जाओ, मेरी रानी, अब मेरा घोड़ा तेरे कूवे का पानी पिएगा।
कम्मो भुवन का लूंगी बिछाकर लेट गया।
भुवन ने कम्मो की चड्डी उतार दिया और उसकी मस्त फुली हुई गुलाबी चिकनी चूत चाटने लगा।
कम्मो मादक सिसकारी निकालने लगी।
आह उई मां आह, उन,,,,
देवर जी अब बर्दास्त नही हो रहा उतार दो अपने घोड़े को मेरे बावड़ी में।
भुवन _कम्मो की टांगे फैला कर उसके बीच आ गया।
अपन land का टोपा कम्मो की योनि के मुख पर रख कर एक जोर का धक्का लगाया।
लौड़ा, बुर को फाड़कर सरसराता huwa अंदर चला गया।
कम्मो के मुंह से हल्की चीख निकल पड़ी।
बुर एकदम गीली होने के कारण,land आराम से बुर के अंदर चला गया।
भुवन ने अपने दोनो हाथो से कम्मो की चुचियों को मसल मसल कर land को बुर में पेलना शुरू कर दिया ।
कम्मो के मुंह से लगातार कामुक सिसकारी निकलने लगी।
उधर भुवन ने कम्मो को दनादन चोदना शुरु कर दिया।
दोनो को chudai में बड़ा मजा आने लगा।
कम्मो अपनी क़मर उठा उठा कर भुवन का सहयोग करने लगी।
कम्मो की बुर से पानी झरने की तरह बहने लगी,land फच फच करता huwa अंदर बाहर हो रहा था।
भुवन बीना रूके गपागप चोदे जा रहा था।
कुछ देर में ही कम्मो के बुर ने अपना पानी छोड़ दिया।
वह भुवन को जकड़ कर झड़ने लगी।
कुछ देर सुस्ताने के बाद भुवन ने कम्मो की योनि को फिर से चाटने लगा, जिससे कम्मो धीरे धीरे फिर गर्म होने लगी।
जब वह पूरी तरह गर्म हो गई।
भुवन कम्मो को घोड़ी बना दिया और पीछे से land को उसकी बुर में डाल कर गच गच चोदने लगा,
फिर से दोनो जन्नत की सैर करने लगे।
कुछ देर घोड़ी बना कर कम्मो के जमकर चोदा, उसके बाद भुवन नीचे लेट गया।
और कम्मो को land पर बैठने कहा।
कम्मो लौड़ा को अपने हाथ में पकड़ कर अपनी बुर में सेट कर नीचे बैठ गया।land उसकी योनि में घुस गया।
अब वह भुवन की लौड़े में उछल, उछल कर चुदने लगी।
एक बार फिर से दोनो को संभोग का आपार आनंद मिलने लगा।
भुवन कम्मो की क़मर पकड़ कर अपने land पर पटक पटक कर चोदने लगा,,
कम्मो के मुंह से आह उह, उई मां आह मार डाला रि,, आह मैं आने वाली हु,,, आह,,
कम्मो चीखते हुई फिर झड़ने लगी, भुवन भी ख़ुद को न रोक सका और एक जोर का धक्का लगाते हुवे,, आह आह करते हुए कम्मो की बुर में झड़ने लगा।
दोनो कुछ देर सुस्ताने के बाद, अपने कपड़े पहने और गन्ने के खेत से बाहर निकले।
फिर दोनो, अन्य मजदूरों के साथ मूंगफली निकालने लगे,,
केशव _डाल दिया बेटा, गन्ने के खेत में दवाई।
भुवन _हा बापू, अब डरने की कोइ बात नही, मैने अच्छे से दवाई डाल दी है।
इधर सरला काकी दोनो को घूरते हुए अपने मन में बोली,,
मुआ कहीं का, झूठ बोल रहा है, ये गन्ने के खेत में दवाई डालने नही बल्कि कम्मो की खेत की जुताई और अपने हैंडपंप से सिंचाई करके आया है।
कम्मो की चाल ही बता रहा है की भुवन ने इसकी बुर को खुब चोदा है।

शाम के समय भुवन, राजेश, रवि और विमल टहलने के लिए नदी की ओर निकले,,
लोग राजेश को, नमस्ते राजेश बाबू,,, कह रहे थे,,

रवि _यार राजेश तुमने तो असंभव काम को संभव कर दिखाया, सभी लोग तुम्हारी तारीफ कर रहे हैं तुम तो गांव के हीरो बन गए हो अब तो,,
विमल _हा राजेश, तुम्हारे साथ चलने में हमें गर्व महसूस हो रहा है।
भुवन _हमारा राजेश कोइ साधारण लडका नही है, देखना एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनेगा।
विमल _राजेश, कलेक्टर बनने के बाद कहीं तुम हमें भुल तो नही जाओगे।
राजेश _विमल भईया ये आप कैसी बात कर रहे हैं, मैं कैसे भुल जाऊंगा आप लोगो को।
रवि _वैसे सुना है कल गांव में ग्राम सभा रखा जाएगा,जिसमें तुमको गांव वाले सम्मानित करेंगे और कोइ नया पद देगें।
भुवन _भाई राजेश ने काम ही ऐसा किया है? सम्मान तो मिलेगा ही, और बड़ा पद का हकदार भी है।

जब वे घर जा रहे थे, तभी दुकान से उसके चाचा माधव ने आवाज़ लगाया।
माधव _अरे राजेश बेटा, जरा आना।
राजेश और भुवन दुकान पर गए।
राजेश _जी चाचा जी, आपने बुलाया।
माधव _अरे बेटा, तुम्हारी चाची बोली है की आज रात का भोजन हमारे घर में करने के लिए। तुम समय पर आ जाना। तुम्हारी चाची भोजन की तैयारी में लगी है।
राजेश _जी चाचा जी, आ जाऊंगा समय पर।
माधव _ठीक है बेटा।
राजेश और भुवन दोनो घर जाने लगे,,
राजेश _भुवन भईया, चाची ने तुमको क्यू नही बुलाया भोजन करने
भुवन _क्यू की चाची मुझसे नाराज हैं।
राजेश _ऐसा क्या हो गया जो तुम से नाराज हो गई है। मुझे चाची के यहां अकेला भोजन करने जाना कुछ अच्छा नही लग रहा।
भुवन _चाची, मुझे आवरा समझती है, और ज्यादा तुम्हे बता नही सकता राजेश, तुम अकेले चले जाना भोजन करने नही तो उन्हे अच्छा नही लगेगा।

दोनो घर पहुंचे, पुनम ने दोनो को चाय दिया, घर के आंगन में बैठकर सभी बातचीत करने लगे।
कुछ समय बाद,,
घर में माधव का नौकर आया,,
नौकर _चाची, ओ चाची,
पदमा, बाहर आई,,
क्या है रि मंगलू, क्यो आवाज़ दे रहा है?
मंगलू _चाची सरपंच जी ने राजेश बाबू को घर बुलाया है भोजन के लिए।
पदमा _ठीक, भेज रही हूं, तुम जाओ।
मंगलू _ठीक है चाची।
पदमा धर में आई।
भुवन _कौन था मां?
पदमा _तुम्हारे चाचा का नौकर था, राजेश को बुलाने भेजा था।
राजेश बेटा जाओ अपने चाची के यहां भोजन करने।
भोजन करके आ जाना जल्दी।
राजेश _ठीक है ताई ।
पदमा _भुवन बेटा तु भी भोजन करके, खेत जाना है तुम्हे।
भुवन _ठीक है मां।
राजेश अपने चाची के घर के लिए निकल पड़ा।
वह दुकान में पहुंचा।
माधव _अरे राजेश, आ गया जाओ घर के अन्दर जाओ तुम्हारी चाची तुम्हारा ही राह देख रही है।
राजेश _जी चाचा जी।
राजेश अंदर गया।
सविता, भोजन की तैयारी कर रही थी।
जब राजेश को देखा।
सविता _आओ राजेश बैठो।
राजेश जी चाची।
राजेश ने दीवाल पर दो लडकियों की फोटो देखा।
राजेश _चाची, ये बच्चे कौन है?
सविता _ये दोनो तुम्हारी छोटी बहने है।
दोनो अपने मामा के घर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।
राजेश सरकारी स्कूलों में शिक्षको की कमी के कारण ठीक से पढ़ाई नही हो पाती इसलिए मैने उसके मामा जी के घर भेज दिया है, है एक आठवी कक्षा में है और एक छटवी कक्षा में।
राजेश _ओह।
राजेश _चाची आपके मायका कहा है?
सविता _यहीं धरम पुर में।
राजेश चलो हाथ मुंह धो लो, भोजन करना।
राजेश _चाची, चाचा जी भोजन नही करेंगे?
सविता _राजेश, तुम्हारे चाचा जी दुकान बंद करने के बाद ही भोजन करते हैं अभी तो काफी समय है तुम करलो। तुम्हारे चाचा जी बाद में करेंगे।
जाओ हाथ मुंह धोकर आ जाओ।
राजेश घर में वाश बेसिन पर हाथ मुंह धोकर, आया, सविता ने डायनिंग टेबल पर बैठने कहा।
राजेश _आओ टेबल पर बैठो।
राजेश ड्याइनिंग टेबल पर बैठ गया।
सविता ने राजेश के लिए कई प्रकार के व्यंजन बनाई थी। सारे व्यंजन टेबल पर सजाने लगी।
राजेश _चाची इतने सारे व्यंजन बनाने की क्या आवश्यकता थी।
रोटी और सब्ज़ी ही बना देती।
तभी वहा पर माधव आ गया।
माधव _क्या बाते हो रही है चाची और भतीजा के बीच।
राजेश _चाचा जी मैं चाची से कह रहा था कि इतने सारे व्यंजन बनाने की क्या आवश्यकता थी?
माधव _राजेश तुम नही जानते तुम्हारी चाची पाक कला में निपुण हैं, पाक कला की कोर्स की है। खा कर देखो कितना स्वादिष्ट खाना बनाती हैं तुम्हारी चाची।
राजेश _चाचा जी आप भी बैठिए न भोजन करने।
माधव _, नही राजेश मैं बाद में करूंगा तुम करो।
अभी दुकान में ग्राहक है।
माधव वहा से चला गया।
सविता ने राजेश के लिए प्लेट में भोजन परोशनी लगी।
राजेश _बस बस चाची, इतना नही खा पाऊंगा।
सविता _अरे तुमने तो खाना शुरू ही नहीं किया बस बस करने लगे। चलो शुरू करो।
राजेश ने खाना शुरू किया?
सविता _बताओ कैसा बना है भोजन?
राजेश _वाह चाची सच में भोजन बहुंट स्वादिष्ट बना है।
तभी चाचा जी आपके हाथ का भोजन खा खा कर मोटे हो गए हैं।
सविता हसने लगी,,,
सविता, व्यंजन परोसने के लिए जैसे ही झुकी उसकी साड़ी की पल्लू नीचे गिर गया।
उसकी बड़ी बड़ी मस्त चूचे राजेश के आंखो के सामने आ गया।
राजेश की नजर उसकी चूचों पर गया।
सविता ने देखा की राजेश उसकी चूचों को देख रहा है। वह तुरंत अपनी पल्लू ठीक की, वह सरमिंदगी महसूस करने लगी।
राजेश भी असहज महसूस करने लगा।
राजेश _बस बस चाची, इतना नही खा पाऊंगा।
अरे थोडा और लो।
भोजन परोस कर जब कुछ लाने सविता कीचन में गई।
राजेश उसे पीछे से देखा,,
मन में कहा चाची कितनी सुंदर है?
सविता के पास पुरुषो को आकर्षित करने वाली सभी चीजे थी।
पतली कमर, कजररी आंखे, गोरे गाल, बड़ी बड़ी चूचियां, लंबी बाल, गहरी नाभी, उठे हुवे चूतड। जो किसी भी मर्द को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम था। अभी वह 37 वर्ष की थी।
सविता अपनी साड़ी की पल्लू को अच्छे से अपनी क़मर में खोच ली ताकि वह फिर से न गिर जाए और उसे सरमिंदगी न उठाना पड़े।

सविता जब कीचन से लौटी, उसकी हाथो में रसमलाई थी।
सविता _लो इसे टेस्ट करो।
राजेश _वाउ रसमलाई।
राजेश ने रसमलाई टेस्ट किया।
उसे बहुत पसंद आया।
सविता _कैसा है?
राजेश ने अपनी उंगली से इशारा कर कहा बड़ा स्वादिष्ट।

भोजन करने के बाद राजेश ने कहा,,
वाह चाची आपके हाथो में तो जादू है सच में भोजन बड़ा स्वादिष्ट बना था, मजा आ गया।
सविता _मैं तो कह रही थी कि तुम रात का भोजन रोज यहीं कर लिया करना।
राजेश _चाची कहीं मैं भी चाचा जी की तरह मोटा हो गया तो,,
सविता _अरे तुम तो अखाड़े पे जाते हो न अभ्यास करने, फिर मोटे कैसे हो जाओगे?
राजेश _अखाड़े पर मुझे डबल मेहनत करना पड़ेगा।
सविता _, कर लेना।
राजेश _शुक्रिया चाची, भोजन के लिए, अब मैं चलता हूं। ताई जी बोली थी जल्दी आ जाना।
सविता _लगता है तुम अपने ताई के बड़े आज्ञाकारी हो।
राजेश _ताई है ही इतनी अच्छी, उसका कहना मानना पड़ेगा ही।
सविता _और मैं बुरी हूं।
राजेश _आप भी बहुत अच्छी है।
अच्छा चाची अब मुझे इजाजत दो।
सविता _ठीक है राजेश, पर घर आते जाते रहना, जब भी मन करे आ जाना।
राजेश _ठीक है चाची।
राजेश घर से निकल कर दुकान पर गया।
माधव _अरे बेटा, भोजन हो गया।
राजेश _हा चाचा जी। चाचा जी आपने बिलकुल सही कहा चाची बहुत अच्छा भोजन बनाती हैं। मैने कुछ ज्यादा ही खा लिया, ठीक से चला नही जा रहा।
माधव हसने लगा।
अरे भाई, थोड़ी देर टहल लो। पच जायेगा।
राजेश _अच्छा चाचा जी अब मैं चलता हूं ।
माधव _ठीक है बेटा।
राजेश घर पहुंचा,
पदमा ने दरवाजा खोला,
पदमा _आ गया बेटा, अपने चाची के यहां से।
राजेश _हा ताई।
ताई _जाओ बेटा अपने कमरे में जाकर आराम करो।
राजेश अपने कमरे में चला गया।
घर में सभी लोग भोजन कर लिए थे। पुनम बर्तन साफ़ कर रही थी।
बर्तन धोने के बाद पुनम राजेश के कमरे में दूध लेकर पहुंची।
पुनम _देवर जी सो गए क्या?
राजेश _नही भौजी, आ जाओ।
पुनम कमरे के अन्दर गई।
पुनम _लो देवर जी दूध पी लो।
राजेश _भौजी आज तो खाना कुछ ज्यादा हो गया है दूध पीने का मन नही कर रहा।
पुनम _लगता है चाची ने बड़ा स्वादिष्ट खाना बनाया था ।
राजेश _हा, चाची बड़ा स्वादिष्ट खाना बनाती है!
पुनम _मतलब मैं अच्छा नही बनाती।
राजेश _आप भी बहुत अच्छा बनाती हो।
ओ क्या है न की चाची ने जबरदस्ती ठूस ठूस कर खिला दिया।
पुनम _लो दूध पी लो भोजन को पचाएगा ये दूध।
राजेश _पेट में तो बिलकुल भी जगह नहीं है।
पुनम _अच्छा, बाद में पी लेना मैं रख देती हूं।
राजेश _भौजी, वैसे दूध किसकी है? गाय की या,,
पुनम शर्मा गई।
पुनम _देवर जी, कल खुशी में एक मां की दूध पिला दी थी।अब रोज रोज नही मिल सकता मां की दूध।
राजेश _पर अब हमें केवल मां कि ही दूध पीना है,,,
गाय की नही।
पुनम _तुम भी न देवर जी दिन ब दिन बिगड़ते जा रहे हो।
राजेश _भौजी, जब मां का दूध उपलब्ध हो तो, बच्चे को गाय का दूध नहीं पिलाना चाहिए।
पुनम _मतलब तु छोटा बच्चा है।
राजेश _हां मैं तुम्हारा, छोटा मुन्ना हूं।
पुनम _ठीक है, लाती हूं, पर ये बात किसी से कहोगे तो नही।
राजेश _नही भौजी ऐसी बात भी किसी को बताई जाती है क्या?
पुनम कमरे से जाने लगी,,
राजेश _अरे भौजी कहा चली?
पुनम _दूध लाने, तुम्ही ने तो कहा मां की दूध ही पीऊंगा, वही लाने जा रही, पुनम शर्मा ते हुए बोली।
राजेश _अरे भौजी, मुझे अपना छोटा मुन्ना समझ कर मुंह से पिला दो।
पुनम _हाय दईया, ये मुझसे नही हो पाएगा।
राजेश _क्यू? मैं अपनी आंखे बंद कर के पीऊंगा। कुछ नही देखूंगा।
पुनम _नही, मुझे तुम पर भरोसा नहीं कहीं आंखे खोल दिया तो,,
राजेश _अगर मूझपे भरोसा नहीं तो मेरी आंखों में पट्टी बांध दो।
पुनम _कोइ सरारत तो नही करोगे।
राजेश _नही करूंगा भौजी, कसम से।
पुनम _ठीक है, अपना रुमाल दो मैं बांध देती हूं तुम्हारी आंखों में।
राजेश ने रुमाल दे दिया।
पुनम ने रुमाल से राजेश की आंखो में पट्टी बांध दिया। ताकि वह कुछ देख न सके।
उसके बाद कमरे का दरवाजा बंद कर दिया कोइ आ न जाए।
अपन ब्लाउज का बटन खोल दिया।
उसके बड़े बड़े स्तन जो दूध से भरा था आज़ाद हो गया। पर राजेश के मुंह में पट्टी बंधे होने के कारण देख नही पा रहा था।
पुनम ने अपना एक चुचक राजेश के मुंह में डाल दिया, राजेश उसकी चुचक को मुंह में भर कर चूसने लगा।
पुनम अपना स्तन दबाती, दूध फौवारे के साथ बाहर निकलकर सीधे राजेश के पेट में जाने लगा। राजेश दूध गटक गटक कर पीने लगा।
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है
राजेश के काम से सारे गांव वाले खुश हैं साथ ही राजेश की चाची जो सरपंच हैं पहली बार तो राजेश से सीधे मुंह बात भी नहीं की लेकिन अब उसने राजेश को मनपसंद खाना बना कर खिला दिया राजेश कबड्डी की तैयारी कर रहा है
राजेश के तो मजे हो गए आज तो पूनम ने सीधे ही चूची मुंह में दे दी है लगता है जल्दी ही सब कुछ मिलने वाला है
 

rajesh bhagat

Active Member
998
5,212
124
Lgta hai ponam ke sath dheere dheere suruwat ho gayi..

Rajesh bhai...chchi ne bahut kuch khul ke bola hai ..dekho kuch whan bhi maal bhokta pada hai..

Gain aaye bhaut din ho gaye abhi tak rajeesh sukha sukha hi hai
😃😃 थोडा इन्तजार करो मित्र
 

sunoanuj

Well-Known Member
3,602
9,516
159
Waiting for NeXT update
 

rajesh bhagat

Active Member
998
5,212
124
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है
राजेश के काम से सारे गांव वाले खुश हैं साथ ही राजेश की चाची जो सरपंच हैं पहली बार तो राजेश से सीधे मुंह बात भी नहीं की लेकिन अब उसने राजेश को मनपसंद खाना बना कर खिला दिया राजेश कबड्डी की तैयारी कर रहा है
राजेश के तो मजे हो गए आज तो पूनम ने सीधे ही चूची मुंह में दे दी है लगता है जल्दी ही सब कुछ मिलने वाला है
शुक्रिया
 
Top